RE: Antarvasna कामूकता की इंतेहा
दोस्तो आपकी रूपिंदर का बाजा अच्छी तरह बजाया जा चुका था। फुद्दी का हाल तो आपको पता ही होगा। फिर भी बता देती हूं कि मेरी कुदरती तौर पर हल्की सी फूली हुई सफेद फुद्दी का मुंह अब पूरी तरह खुल चुका था और उसे बंद होने के लिए 1-2 हफ्तों की ज़रूरत थी। फुद्दी फट तो गई थी लेकिन मैं पहले ही काफी चुदी होने के कारण ज़्यादा हल्का सा ही निशान था। इसके अलावा अंदर जाने वाला रास्ता अब और खुल गया था। ढिल्लों के हलब्बी लौड़े ने फुद्दी का दाना थोड़ा बाहर को सरका दिया था।
जब मैं कुछ देर बाद उठ कर बाथरूम में गई तो मेरी चाल में एकदम बहुत फर्क आ गया था, यानि कि बहुत मतवाली हो गई थी। बहुत ज़्यादा चुदने वाली औरतों की चाल में ये चीज़ अक्सर देखी जा सकती है।
खैर तभी ढिल्लों का आर्डर किया हुआ चिकन आया और हम हल्की हल्की दारू पीते हुए खाने लगे और एक दूसरे से बातें करते लगे।खाना खाने के बाद और ढिल्लों से अगली मीटिंग के बारे बातें करते करते आधा पौना घंटा बीत गया। ज़िन्दगी में पहली बार मैंने अल्फ नंगी होकर खाना खाया था। कमरे में हीटर की वजह से ठंड का नामोनिशान भी नहीं था। ढिल्लों ने भी सिर्फ अंडरवियर पहना था।
तभी सिगरेट पीते हुए वो मुझसे बोला- अगली चुदाई के लिए तैयार हो जा जल्दी, इस बार घोड़ी बना के मारूँगा। ठीक है?दरअसल इतनी ताबड़तोड़ चुदाइयों की वजह से मैं बिल्कुल तृप्त हो चुकी थी और अब मुझे फुद्दी मरवाने में बिल्कुल दिलचस्पी नहीं थी। इसके इलावा मुझे घोड़ी बनकर चुदना पसंद भी नहीं है क्योंकि इससे मुझे दर्द होता है।यही बात मैंने ढिल्लों से कही- ढिल्लों, वैसे तो अब कोई कसर नहीं छोड़ी है तुमने मेरा बैंड बजाने में, लेकिन फिर भी अगर और मारनी है तो आगे से मार लो, पीछे नहीं हटूंगी अपने कहे से, लेकिन घोड़ी बनके मुझे बहुत दर्द होता है।मेरी बात सुनकर ढिल्लों मुझसे बोला- कोई बात नहीं वादा करता हूं दर्द नहीं होगा, उन्हें फुद्दी मारनी ही नहीं आती, सही एंगल में करो तो कोई दर्द नहीं होगा, फिर भी अगर ज़्यादा दर्द हुआ तो बता देना।
मुझे उसकी बात सुनके बहुत तसल्ली हुई। इन तीन-चार चुदाइयों में मुझे पता चल चुका था कि ढिल्लों फुद्दी मारने में बहुत एक्सपर्ट है क्योंकि उसने हर बार मेरी फुद्दी मारने से पहले एंगल बहुत अच्छा बनाया था। जब पहली बार उसने मेरी टाँगें उठा के मारी थी तो टांगें अपनी बांहों से पूरी तरह फैला दी थीं और 2 तकिये मेरी गांड के नीचे रख दिए थे। इस तरह हुआ यह था कि मेरी फुद्दी चौड़ी भी हो गयी और ऊपर उठ कर उसके लौड़े के हिसाब से बिल्कुल सही कोन में आ गयी थी।उसने चुदाई भी इस तरह की थी कि लौड़ा बिल्कुल सीधा अंदर जाए और पूरा जड़ तक अंदर जाए।
यही सोच कर मैंने अपना सिर हिला कर और मुस्कुरा कर उसे मंज़ूरी दे दी।
तभी वो बेड पर चढ़ आया और मुझे पूरी तरह अपने आगोश में लेकर किस करने लगा और मेरी घूटें पीने लगा। मैं गर्म नहीं थी और मेरा चुदाई का मूड नहीं था इसीलिए मैंने ये सोच कर कि अब चुदना तो है ही, गर्म तो कर लूं खुद को, मैंने उसे जफ्फी डाल ली और उसका साथ देने लगी।किस करते करने मैं थोड़ी हीट में आई और अपनी फुद्दी उसकी जांघों पर रगड़ने लगी; 10-15 मिनट के अंदर ही फुद्दी फिर लौड़ा लेने के लिए तरसने लगी। मुझे तैयार हुआ देख ढिल्लों ने कहा- बन जा घोड़ी, घोड़ीए।
मैं चुपचाप उल्टी ही गयी और घोड़ी बन कर अपनी प्यासी फुद्दी उसे पेश कर दी। फिर वो मेरे पीछे आया और नीचे मेरे दोनों घुटनों को पकड़ कर चौड़ा कर दिया। इस तरह मेरी गांड और फुद्दी दोनों थोड़ी नीचे होकर पूरी तरह फैल गयीं। तभी उसने मेरे पिछवाड़े के ऊपर अपना एक हाथ रखा और उसे थोड़ा और नीचे सरका दिया। जनाब फुद्दी और खुल गयी और उसे पूरी तरह दिखाई देने लगी। तभी वो मुझसे बोला- अब नहीं दर्द होगा।
यह कहकर उसने अपने मोटे खीरे जैसे काले लौड़े को फिर उसी तरह फुद्दी और गांड पर अच्छी तरह ऊपर नीचे से 8-10 बार रगड़ा और फिर फुद्दी के ऊपर सेट करके एक तूफानी झटका मारा। लौड़ा शायद 7-8 इंच अंदर घुस गया। जब उसने झटका मारा तो मेरी आँखें बाहर आ गईं और मुंह पूरी तरह खुल गया और मेरे मुँह से एक तेज़ चीख ‘अईईईईई…’ करके निकली।दर्द की तेज लहर फुद्दी से होती हुई पूरे जिस्म में दौड़ गयी। मैंने उंगलियों से बेड के गद्दे को ज़ोर से भींचा और अपने घुटनों के बल ही “हूं, हूं” करते हुए फौजियों की तरह आगे निकल गयी और उसकी गरिफ्त से आज़ाद हो गई।
उसका यह वार बहुत ज़बरदस्त था जिसे मैं सह नहीं पाई। आगे निकल कर मैं बेड के नीचे उतर गई। फुद्दी में हो रहे दर्द के कारण मैं बहुत गुस्से में आ गई और उसे गालियां निकालने लगी- भेनचो, कमीने, आराम से नही कर सकता, मैंने कहा था कि मुझे दर्द होता है ऐसे, फ्री की फुद्दी रास नहीं ना आई तुझे, नहीं देती अब कर ले क्या करना है, जा रही हूँ मैं।क्योंकि मेले से वो सीधा मुझे इसी कमरे में ले आया था।
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