RE: Antarvasna कामूकता की इंतेहा
खतरनाक चुदाई के बाद रात डेढ़ बजे के करीब ढिल्लों मुझे मेरे कमरे में छोड़ गया। मैं रूम में आते ही लोई उतार कर नंगी ही कंबल में घुस गई और कई घंटों की हुई ज़बरदस्त सर्विसिंग के बारे में सोचती होई सुबह 7 बजे का अलार्म लगाकर सो गई।अगले दिन सुबह 9 से 12 बजे तक पेपर था। मैंने सुबह उठकर ढिल्लों को अब फोन न करने के लिए कह दिया था। पहले भी जब भी उससे कांटेक्ट करना होता था तो मैं ही करती थी।ढिल्लों ने मुझे आज तक फोन करके किसी तरह की परेशानी से बचाये रखा था और इसका इनाम मैंने उसे पिछली रात अपने आठों द्वार खोल कर चुद कर दिया।
तो दोस्तो, पेपर मेरा ठीक हो गया था क्योंकि मैंने पहले से ठीक ठाक तैयारी कर रखी थी।
लगभग दोपहर साढ़े बाहर बजे मेरा पति कार पर मुझे लेने आ पहुंचा और मेरी तरफ देख कर कुछ हैरान होकर पूछा- एक दिन में ही तुम्हारी आंखों के नीचे इतने काले धब्बे क्यों बन गए हैं और ये सूजी हुईं क्यों हैं?मैंने बड़े आत्मविश्वास से झूठ बोला- जनाब, रात भर पढ़ती रही, सोई तो बिल्कुल नहीं, पेपर की … पता कितनी फिकर थी।इतने में मेरी सहेली भी पेपर देकर आ गयी।
क्योंकि उसे भी सुबह उठकर मैंने रात की सारी बात बता कर समझा दिया था कि पति को क्या कहना है तो वो भी आते ही बोली- जीजू, दीदी तो रात भर पढ़ती रही, मैंने बहुत कहा लेकिन ये सोई नहीं!तभी वो मेरी तरफ देखकर बोली- क्यों दीदी, पेपर कैसा हुआ?मैंने आंख मार कर उसे ‘मस्त’ कहा और अपने पति से चलने के लिए बोली।
दरअसल पिछली रात मेरी ठुकाई बहुत ही वहशियाना तरीके से हुई थी, सुबह भी मैं बड़ी मुश्किल से उठी थी और अब मैं सोना चाहती थी। कार में बैठकर मैं अपने पति से हल्की फुल्की बातें करने लगी और इसी दौरान मुझे ज़बरदस्त नींद आ गयी और मैं कार में ही सो गई।2 घण्टों का सफर कैसे बीत गया मुझे पता ही नहीं चला।
घर आकर मैं अच्छी तरह से नहाई और फिर बैडरूम में जाकर सो गई। शाम को उठी और घर में थोड़ा बहुत काम किया। अंधेरा होते ही मेरा पति काम से लौट आया और खाना खाने के बाद अब सोने आ गए।
आपको तो मैंने बताया था ही था कि मेरा पति लगभग रोज़ मेरी टिका के मारता है। आज भी उसका मूड था और दारू भी पीकर आया था। लेकिन मेरा हाल तो आप समझ ही सकते हैं कि क्या होगा। तो जनाब होने लगी कशमकश … वो मुझसे लिपटता जा रहा था और मैं थी कि उसके काबू में नहीं आ रही थी।
दरसअल मेरा भर 72 किलो है और मेरे पति का भार 65 है और इसके इलावा मैं उससे 3 साल बड़ी भी थी, इसीलिए मैं उससे काफी तगड़ी थी। हमारा मेल ऐसे था जैसे वो एक गधा हो और मैं एक ऊंची वज़नदार नुक़री घोड़ी।मैंने उसे गधा इसलिए कहा है कि उसका लौड़ा भी कोई कम नहीं था, 6-7 इंच का तो था ही। और दूसरा ये कि एक वही था जिसके नीचे मैं पिछले 2 साल टिकी रही थी वर्ना ये किसी आम मर्द की बात नहीं थी। दरअसल वो था जिस्म का कुछ हल्का और मुझसे कमज़ोर लेकिन पक्का अफीमची और वैली होने के कारण मारता वो मेरी टिका के ही था। ज़्यादा नशा करने की वजह से उसके स्पर्म कम हो गए थे जिसकी वजह से अभी तक मुझे बच्चा नहीं हुआ था लेकिन रात ढिल्लों ने हर बार मेरी बच्चेदानी तक अपना लौड़ा डाल कर ही वीर्य अंदर गिराया था और मेरी डेट आयी को भी अभी 3-4 दिन ही गुज़रे थे तो मुझे यकीन था कि बच्चा तो उसने ठहरा ही दिया होगा।
खैर मुझे अपनी सास से बहुत सारी बुरी भली बातें सुननी पड़ती थी इसीलिए मैंने 72 घंटे वाली कोई गोली नहीं खाई।
मैं रात की बहुत थकी हुई थी और मेरा पति जिसका घर का नाम ‘काला’ है, दारू से टुन्न था इसीलिए मैं उसका मुकाबला ज़्यादा देर तक नहीं कर सकी और इसी दौरान उसने मेरी सलवार का नाड़ा खोल कर अपनी 2 उंगलियां मेरी फुद्दी में घुसेड़ दीं। अब मेरी फुद्दी पूरी तृप्त होने के कारण बिल्कुल सूखी हुई पड़ी थी जिसकी वजह से मुझे बहुत दर्द हुआ और मैंने अपनी पति को एक गाली निकाली और ज़ोर लगाकर उसकी उंगलियां बाहर निकाल दीं।
दरअसल मेरी सूखी फुद्दी में उसकी दो उंगलियां “घड़प्प” के जैसे अंदर चली गईं थी जिससे मेरे पति ने हैरान होकर पूछा- भेनचो, ये आज इतनी खुली क्यों लग रही है आज तेरी?थी तो मैं धड़ल्लेदार घोड़ी, इसीलिए मैंने उससे अपनी ज़ोरदार रोबीली आवाज़ में कहा- भेनचो, रोज़ दारू पीकर आ जाता है, साले नशा कुछ कम कर लिया कर, वही फुद्दी है, तुझे ही नशा ज़्यादा चढ़ गया है।मेरी इस रोबीली आवाज़ को सुनकर वो अक्सर चुप हो जाया करता है और इस बार भी वो खामोश हो गया। इतना रोब तो मैंने शुरू से रखा था। खैर मेरा पैंतरा काम कर गया और वो चुपचाप मेरी फटकार सुनकर दूसरी तरफ मुँह करके सो गया।यह देखकर मेरी जान में जान आयी और मैं भी रब्ब का शुक्र मना कर सो गई।
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