RE: Antarvasna कामूकता की इंतेहा
अगले दिन फिर मैं उठकर सारा दिन आम कामकाज करती रही और खाना खाकर मैं और मेरा पति फिर उसी बेड पर आ गए। आज फिर मेरे वैली पति ने बहुत ज़्यादा पी रखी थी और वो थोड़े गुस्से में भी था।आधा-पौना घंटा तो वो चुपचाप लेटा रहा और मुझे कि आज फिर मैं बच गयी।
दरसअल ढिल्लों ने एक रात में ही मेरी कई रातों की प्यास बुझा दी थी.
लेकिन इसके बाद उसके दिमाग में पता नहीं क्या आयी के आव देखा न ताव। सलवार का नाड़ा खोल कर और मेरी पैंटी एकदम निकाल के फेंक दीं और धर लीं मेरी भारी टाँगें अपने कंधे पे। दरअसल ये सब इतनी जल्दी हुआ कि मुझे संभलने का मौका ही नहीं मिला क्योंकि मैं तो गहरी नींद में थी। मेरा पति मुझे 2 सालों तक चोदने के बाद भी ये नहीं जानता था कि कहां घुसाना या शायद उसे ये अच्छा लगता था इसीलिए उसने हर बार की तरह मुझे खुद घुसाने के लिए कहा।
मैंने अपने पति से मिन्नत की कि आज मेरा मूड नहीं है और मैंने उसका लण्ड नहीं पकड़ा। मुझे दो-तीन मोटी मोटी गालियां निकाल कर उसने खुद ही अपने लण्ड को सीधा करके ऐसे ही गुस्से में एक घस्सा दे मारा।लंड सीधा मेरी सूखी फुद्दी के अंदर जाकर जड़ तक घुस गया और जो आवाज़ आयी उससे मैं और मेरा पति दोनों हैरान हो गए ‘घड़ापपपप…’
मेरी फुद्दी पूरी तरह सूखी होने के कारण भी मुझे बहुत ही कम दर्द हुआ। मैंने जान बूझ कर दर्द होने का नाटक किया।तभी मेरे पति ने मुझसे पूछा- भेनचो, ये फुद्दी आज इतनी खुली क्यों लग रही है, क्या बात है?मैंने बहाना बना कर कहा- मुझे तो नहीं लग रहा … शायद 3-4 दिन पहले आयी डेट की वजह से है.
इसके बाद मेरे पति ने मुझसे कोई बात न की और मेरी सूखी फुद्दी में ताबड़तोड़ धक्के मारने लगा। असल में ढिल्लों ने मेरी हल्की सी खुली हुई फुद्दी को अब गुफा जैसा फुद्दा बना दिया था। हालत यह हो गयी कि 5-7 मिनट की ज़ोरदार चुदाई में बाद मैं गर्म न हुई क्योंकि ढिल्लों के आधे साइज का लंड मुझे मेरी फुद्दी में महसूस नहीं हो रहा था। अब मुझे पता चल चुका था कि अब मैं ढिल्लों के बजाए और किसी के काम की नहीं रही थी।
फिर भी अपने पति को धरवास देने के लिए मैं नीचे से हिलने लगी और जान बूझ कर ‘आह … आह …’ करती रही। 10-15 मिनट की चुदाई में मैं गर्म तो गयी लेकिन मुझे बिल्कुल भी मज़ा नहीं आ रहा था।मेरा पति पूरे ज़ोर से मुझे पेल रहा था और तभी वो बोला- साला आज पता ही नहीं चल रहा, तेरी घुस्सी(चूत) मुझे आज बहुत खुली लग रही है।
यह सुन कर मैंने उसे मज़ा देने के लिए अपनी टाँगें पूरी तरह भींच लीं ताकि लंड रगड़ कर फुद्दी में जाये। मेरी इस हरकत से मेरे पति को थोड़ा मज़ा आने लगा और वो मुझे ‘आह … आह …’ करके पेलता रहा और कुछ देर बाद हांफते हुए झड़ने लगा।इस समय मैं पूरी गर्म थी और मेरा काम भी नहीं हुआ।
अब आप खुद समझ सकते हैं कि मेरा क्या हाल हुआ होगा। मेरी दरियायी प्यास को अब सिर्फ कोई ढिल्लों जैसा मोटा और लंबा जैसा ही बुझा सकता था।
खैर अगले पेपर में अभी 5 दिन बाकी थे और मैं रोज़ अपने पति से चुदती रही। मेरी मारता तो दारू पीकर वो रोज़ टिका के था लेकिन उसका लंड अब मेरी प्यास नहीं बुझा पा रहा था। मैं बहुत हिल हिल कर उससे चुदी और 2-3 बार झड़ी भी, लेकिन उसके लंड की मार मेरी फुद्दी की आधी गहरायी तक ही थी। अब मुझे ढिल्लों से अगली मीटिंग की उडीक(प्रतीक्षा) थी।
मैंने अपने पति को और अपनी सहेली से पूरी सेटिंग करके औ अपनी किसी सहेली की शादी में जाने के लिए उसे पेपर से 2 पहले यूनिवर्सिटी जाने के लिए मना लिया था। इसके अलावा मैंने ढिल्लों से वादा पूरा करते हुए लाल रंग के ज़बरदस्त लहंगा चोली का प्रबंध भी कर लिया था।
मैंने जान बूझ कर थोड़ा छोटा लहंगा चोली आर्डर किया था। लहंगा और चोली में लगभग 15-16 इंच का फासला था क्योंकि चोली ऊपर से लहँगा नीचे से बेहद लो कट था। चोली ऐसी थी कि मेरे बड़े बड़े मम्मों में पूरी तरह फंसती थी जिससे उनका आकार पूरी तरह से नुमाया हो जाता था। लहँगा मैं नाभि के बहुत नीचे तक पहनने वाली थी ताकि मेरा हल्का सा बाहर को निकला हुआ पेट ज़्यादा से ज़्यादा दिखे। लहँगे चोली के साथ पहनने वाली चुनरी भी मैंने बहुत झीनी ली थी ताकि अंदर के नजारे में कोई बाधा न आये।
इसके अलावा मैंने एक दिन बाज़ार जाकर बेहद ऊंची एड़ी की सैंडल ले ली थी और ऊपर से नीचे तक अपने जिस्म की दो बार वैक्सिंग करवा ली थी जिसमें फुद्दी और गांड भी शामिल थी। मेरे सर और आंखों के अलावा अब मेरे जिस्म पर बाल नाम की कोई चीज़ मौजूद नहीं थी।
अब मुझे बेसब्री से अगले दिन का इंतज़ार था कि कब मेरा फुद्दू पति मुझे अपनी सहेली के पास छोड़ कर आये।
मेरी फुद्दी की ठुकायी की कहानी आपको मजा दे रही है या नहीं? मुझे कमेन्ट करके बतायें
कहानी जारी रहेगी.
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