RE: Antarvasna कामूकता की इंतेहा
मैंने उसकी बार बार मिन्नतें कीं लेकिन वो नहीं माना और 15-20 मिनट चलने के बाद नीचे जंगल में घने दरख्तों के बीच एक बहुत छोटा सा मैदान था। ढिल्लों को वो जगह जच गयी क्योंकि चारों तरफ कोई भी नहीं था और न ही उन घने दरख्तों में से कोई देख सकता था। उसने मुझे घास पर लेटा दिया और मुझे बुरी तरह चूमने चाटने लगा।मैं बहुत डरी हुई थी लेकिन मेरी फुद्दी में आग भी शिखर तक पहुंच चुकी थी। बीच में मैंने उसे रोक कर कहा- यह जंगल सेक्स करने की जगह है? अगर कोई आ गया तो मारे जाएंगे ढिल्लों, बेवकूफी न कर, गाड़ी में लेजाकर ठोक ले।ढिल्लों ने मुझे चूमते हुए कहा- जानेमन, ये रिवाल्वर मैंने गांड में लेने के लिए नहीं रखा, साला अगर कोई हरामी आ भी गया तो बस मेरे एक हवाई फायर का खेल है, तू डर मत, मेरा नाम ढिल्लों है।उसकी इस तकरीर से पूरी तरह संतुष्ट हो गयी और जंगल सेक्स का मज़ा लेने लग गयी।
बेहद ठंड थी। ढिल्लों ने मेरी फुद्दी में एक चप्पा चढ़ा के धीरे धीरे सारे कपड़े मेरे जिस्म से अलग कर दिए। अब मैं सिर्फ ऊंची एड़ी के सैंडल और अपने सोने के गहनों में ही थी। बाकी अल्फ नंगी उसके नीचे पड़ी थी। 15-20 मिनट के बाद पूरा अंधेरा छा गया और मैं पूरी तरह से बेफिक्र थी। ढिल्लों ने मुझे इस बार अपने लौड़े के लिए इतना तड़पा दिया था कि मैंने खुद अपनी सारी ताक़त इकठ्ठी करके उसका लौड़ा पकड़ा और अपनी फुद्दी लगा कर नीचे से एक करारा झटका मारा। आधा लौड़ा बेपरवाही से मेरी फुद्दी में जाकर फंस गया, जिससे मुझे इतना चैन मिला कि मैं बयान नहीं कर सकती।
ढिल्लों ने मेरी हरकत को देखकर अपनी कमर ऊंची की, लौड़ा पूरी तरह से बाहर निकाला, मेरी अच्छी तरह से तह लगाई और एक लंबा, तीक्षण शॉट मारा और लौड़ा मेरी धुन्नी तक पहुंचा दिया। उसके एक वार से ही मेरी फुद्दी ने बूम बूम करके पानी छोड़ दिया। मैं धन्य हो गयी थी। पिछले एक घंटे से मैं झड़ने के लिए तड़प रही थी और ये तो एक लंबा, काला और मोटा लौड़ा था जो मेरी धुन्नी तक जा पहुंचा था।
मेरे मुंह से बहुत जोर से ‘हाय … ओये …’ निकला और मैंने उसकी पीठ में अपने नाखून गड़ा दिए और टाँगें जितनी मैं ऊपर कर सकती थी, कर लीं। एक बार फिर ढिल्लों ने अपनी तूफानी चुदाई शुरू कर दी। मैं ढिल्लों का लौड़ा लेने के लिए इतनी मजबूर हो चुकी थी कि घने जंगल में सर्दियों की रात में बेफिकर हो कर नंगी चुद रही थी। जब ढिल्लों तूफानी रफ्तार से पूरा लौड़ा बाहर निकाल कर जड़ तक अंदर पेल देता तो फुद्दी से ‘पुच्च’ की तेज़ आवाज़ आती और घने जंगल को चीरती हुई घाटी में गूंज जाती।
दूसरा जो मैंने आपको पहले भी बताया है कि मैं एक भरे जिस्म वाली औरत हूँ, जिसके कारण मेरी जांघें और गांड गैरमामूली तौर पर बड़ी बड़ी हैं, जब दूसरा ढिल्लों की जांघें भी खूब भरी हुईं थीं, और जब ढिल्लों घस्सा मारता तो मेरा तरबूजी पिछवाड़ा और उसकी जांघें टकरा के बहुत ऊंची ‘पटक’ की आवाज़ पैदा कर रही थी, जो मेरी फुद्दी की ‘पुच्च’ की आवाज़ से मेल खाकर चुदाई को एक जबरदस्त रंगत दे रही थी।
मेरी गांड में एक बड़ा वाइब्रेटर चालू था और मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मैं दो मर्दों से चुद रही हूं। खैर मैं उसकी इस चुदाई से इतनी मखमूर^ हो गयी कि मैंने सब कुछ भूल कर अपनी टाँगें उसकी पीठ के गिर्द नागिन की तरह लपेट दीं और उसका मुंह अपने दोनों हाथों में लेकर उसकी आँखों में आंखें डाल लीं और बिना पलकें झपकाए उसको तकती रही।
मेरे पूर्ण समर्पण और मुझे मोर्चे पर इस तरह डटे हुए देख कर ढिल्लों ने अपनी पूरी ताकत से अपना हलब्बी लौड़ा बाहर निकाल कर मेरी फुद्दी में ठोकने लगा। ये वो इतना ज़ोर लगा कर करने लगा था कि उस जैसे घोड़े की भी सांस फूल गयी थी। आप अंदाज़ा लगा सकते हैं कि पौने फुट लंबा और 4 इंच मोटा काला हब्शी लौड़ा मेरी तरबतर फुद्दी में इस गति से अंदर बाहर होकर उसका क्या हाल कर रहा होगा।मेरी फुद्दी का बाहरी छल्ला जो उसके लौड़े पर इलास्टिक की तरह कसा हुआ था, हर गुज़रते सैकंड के साथ तीन चार इंच अंदर धंस रहा था और जब वो अपना लौड़ा बाहर निकालता तो ऐसा लगता कि फुद्दी भी उसके साथ बाहर आ रही है लेकिन वो छल्ला ही था जो उसके लौड़े पर कसे होने के कारण 3-4 इंच बाहर को आ जाता था।
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