RE: Antarvasna कामूकता की इंतेहा
दोस्तो, अब मैं आपको काले के बारे में बता दूं जिससे चुदने की बात मैंने ढिल्लों से कह डाली थी। काले का कद लगभग ढिल्लों जितना ही था, यही कोई साढ़े छह फुट के करीब। रंग उसका ढिल्लों से भी काला था, आंखें बड़ी बड़ी गहरी लाल, ढिल्लों से भी सुडौल और बड़े शरीर का मालिक, देखने में सिरे का बदमाश लगता था और शायद कोई नशा भी करता था, जिसके कारण उसकी आंखें हमेशा चढ़ी रहती थीं।एक और बात कि ऊपर कमरे में जब मैं हवा में लहराती हुई ढिल्लों से ढिल्लों के डंडे पर अपनी फुद्दी पटक रही थी तो सिर्फ वो अकेला था जो मुझे चुदते हुए देखने नहीं आया था।दरअसल उसे पहली नज़र देखते ही मेरा दिल उस पर आ गया था और उससे हाथ मिलाते वक़्त मैंने दिल ही दिल में ये कहा था- क्या तकड़ा मर्द है, साला ऊपर चढ़ जाए तो मज़ा आ जाये।आपको मैं पहले ही बता चुकी हूं कि मुझे भारी और बदमाश किस्म के मर्द पसंद हैं, क्योंकि ये लोग हार्डकोर होते हैं।
खैर गाड़ी में ढिल्लों ने मुझसे हंस कर सवाल किया- साला काला ही क्यों, उसे तो कभी किसी औरत ने पसंद नही किया?मैंनें जवाब दिया- यही तो उन्हें पता नहीं है! और हां, मुझे सिर्फ काला और तुम चाहिए हो, और लल्ली छल्ली नहीं आना चाहिए।
ढिल्लों ने कोई जवाब नहीं दिया और हंस पड़ा, आते आते उसने एक बड़ी गोली अफीम की निकाली और मुझे थमाते हुए कहा- खा ले इसे, पंगा तूने बहुत बड़ा ले लिया है, हम तो अकेले अकेले ही काफी होते हैं, जब दो हो जाएंगे तो सिर्फ हम ही हम और हमारे लौड़े होगें, न तो तू दिखेगी, और न तेरी फुद्दी और गांड।मैंने भी गोली खाकर कहा- पता नहीं मुझे हो क्या गया है ढिल्लों! लेकिन देख लेना टांग नहीं उठाऊँगी, नुक़री घोड़ी हूँ, शायद दो सांडों को भी संभाल लूं, बाकी मैदान में आकर पता लगेगा।
ढिल्लों मेरी बात सुनकर हैरानी से मेरा मुंह ताकने लगा, उसको इतना हैरान मैंने पहले कभी नहीं देखा था। खैर इसके बाद कुछ और हल्की फुल्की बातें करते करते हम पैलेस में आ गए जहाँ शादी का समागम जारी था।और हां, 2-3 घण्टों के बाद ढिल्लों ने मेरी गांड से वो वाइब्रेटर निकाल लिया था।
आते ही मेरी नज़रें काले को ढूंढने लगीं लेकिन काफी देर तक वो मुझे नज़र नहीं आया. ढिल्लों के बाकी दोस्त तो आ गए थे हमारे पास लेकिन वो नहीं आया था।मैंने बेचैन होकर ढिल्लों के दोस्तों से उसके बारे में पूछ ही लिया कि आखिर वो है कहाँ।ढिल्लों के पांचों दोस्त हैरानी से मेरा मुँह ताकने लगे और एक ने मुझे पूछ ही लिया- क्यों जनाब, दिल आ गया क्या उस पर आपका?मैंने थोड़ा शर्मा कर गर्दन झुका ली।इसका जवाब ढिल्लों ने दिया- हाँ यार, सॉरी, तुम सब लोगों में से उसी पर इसका दिल आया है।
इसके बाद उसके दोस्त मुझे बातों बातों में छेड़ते रहे और मैं बेशर्म रंडियों की तरह हंसती रही. यह पहली बार था कि कोई मुझपर इतनी गंदी टिप्पणियाँ कर रहे हों और मैं उनका मज़ा लेने लग गयी।अब मैं एक नए और बेहद ज़बरदस्त सफर पर निकल पड़ी थी लेकिन मैं यह किसी मजबूरी में नहीं आ रही थी, मुझे तो चुदाई के नए किले फतेह करने थे।
खैर अगला एक घंटा मैं ढिल्लों और उसके दोस्तों के साथ दारू पे दारू पीती गयी। बुरी तरह नशे में चूर मैंने उसके दोस्तों के साथ सिगरेटें भी पी लीं। नशा अब इतना हो चुका था कि ऊंची एड़ी के सैंडलों के साथ खड़ा होना मुश्किल हो रहा था इसीलिए मैंने ढिल्लों के दोस्त से कार में मेरे बैग में पड़ी अपनी पंजाबी जूती मंगवा कर पहन ली।
अब आधे मेहमानों की नजरें मुझ पर थीं। छोटी सी चोली और बहुत नीचे बंधा हुआ मेरा लहँगा मेरा हल्का सा उभरा हुआ गोरा पेट और मेरी गहरी धुन्नी को नुमायाँ कर रहा था। पीठ पर ऊपर से नीचे तक महज़ एक डोरी थी।
जब मैं कुछ ज़्यादा ही झूमने लगी तो आखिर ढिल्लों ने काले को फोन लगाया और साइड में हटकर उसे सारी बता बताई और फौरन आने को कहा। दस मिनट के बाद मैं काले की फौलादी बांहों में झूम रही थी। कुछ देर के बाद मैं एक नए मर्द का स्पर्श पाकर गर्म होने लगी और किसी की परवाह न करते हुए अपना जिस्म खड़े खड़े ही धीरे धीरे काले के साथ मसलने लगी, और तो मैं क्या कर सकती थी।
मेरी ये हरकतें देख कर ढिल्लों के दोस्त ने कहा- जनाब जी अपना कंट्रोल खो रहे हैं, जा ले जा इन्हें, और हां, काले तू पहले चैक करके लेता है ना, जा चेक तो कर ले।काला उनकी बात सुनकर मुस्कुराया और मुझे अपनी बाँह में लेकर चलाने लगा। जाते जाते मैंने उसे चेक करने का मतलब पूछा तो उसने बताया कि वो पहले माल अच्छी तरह चेक करता है और फिर पसंद आये तो लेता है वरना नहीं।
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