RE: Antarvasna कामूकता की इंतेहा
मैं उसकी बात सुनकर हैरान परेशान हो गयी। परेशान इसलिए कि अगर मैं पसंद न आई तो मेरे अरमान मिट्टी में मिल जाएंगे। रात के 10 बज चुके थे। काला मुझे चलाते हुए बाहर ले गया और सामने वाली सड़क पार करते ही उसने मुझे अपनी गोद में उठा लिया और सामने खेतों में ले गया। एक अंधेरी सी जगह देखी, मुझे नीचे उतारा और इससे पहले कि मैं कुछ सोचती समझती, लहँगा और चोली मेरे जिस्म से अलग हो चुके थे और पता नहीं उसने कहाँ फेंक दिए थे, ब्रा और चड्डी तो मैंने पहनी ही नहीं थी, इसलिए सब मैं अल्फ नंगी उसकी बांहों में थी।
उसने खुद अपने कपड़े नहीं उतारे और ऐसे ही मेरे मुंह में अपनी जीभ डाल कर मुझे ज़ोर से चपर चपर करते हुए पीने लगा, उसके हाथों में मेरा पिछवाड़ा था। 5-7 मिनट के अंदर ही मैं बुरी तरह कामवासना में तपने लगी।
अचानक काले ने अपना हाथ मेरे पिछवाड़े पर फेरते फेरते मुझे ऊपर उठा लिया और मेरी गांड में दो सुखी उंगलियां जड़ तक पिरो दीं। इससे पहले कि मुझे कुछ समझ आता उसके हाथ दूसरी दो उंगलियां मेरी फुद्दी में थीं। जब उसने गांड में उंगलियां डाली थीं तो मुझे ऐसा लगा जैसे गांड में से खून निकल आएगा। और जब उसने अगले ही पल मेरी फुद्दी में भी उंगलियां पिरो दीं तो मुझे दर्द और मज़े के अजीब अहसास एक साथ हुए जिसे मैं बयान नहीं कर सकती।
अगले पर ही वो बुरी तरह से इंजन की रफ्तार से उंगलियां बाहर निकाल निकाल कर अंदर पेलने लगा। पोज़िशन ये थी कि ऊपर से मैं उसकी गर्दन के साथ लिपटी हुई और नीचे से मैं उसके पंजे के भार पर थी जिसकी उंगलियां तेज़ी से मेरे दोनों छेदों में अंदर बाहर हो रहीं थी ‘फच … फच … फच … फच … फच और फचचच!मैं झड़ने वाली थी तो एकदम उसने मुझे मेरी टांगों पर खड़ा कर दिया।
दोस्तो, मैं इतने ज़ोर से झड़ने लगी कि कांपती हुईं टांगों के साथ ‘हूँ … हूँ …’ करते हुए मेरी दो आधी बैठकें लग गईं और मेरी टाँगें गीली हो गईं।यह देखकर उसे पता नहीं क्या तसल्ली मिली और ‘ठीक है.’ कहते हुए उसने मुझे अपनी लोई पे लपेट दिया और मुझे उठा कर वापस चलने लगा।
ढिल्लों अपनी गाड़ी समेत बाहर ही खड़ा था और अगले ही पल मैं मादरजात नंगी सिर्फ एक लोई में ढिल्लों के साथ फ्रंट सीट पर बैठी थी और काला हब्शी (मैं उसे इसी नाम से पुकारती हूँ) पीछे बैठा था। गाड़ी हवा को चीरती हुई बढ़ने लगी।
कुछ देर के बाद गाने बंद करा कर अचानक काला बोला- ढिल्लों यार, बड़ा करारा माल लाया है इस बार, इसमें तो आग ही बड़ी है.इस बात पर ढिल्लों ने काले को पूछा- तूने साले इसे भी झड़वाया है ना, क्यों अब पता लग गया न कि मैं झूठ नहीं बोल रहा था।काले ने कहा- झड़ने के वक़्त साली की सारी जान फुद्दी में आ गयी थी, कमाल की बात है, लेकिन तूने तो अच्छी सर्विस कर रखी है इसकी! दो उंगलियां घप्प से चढ़ गयीं थी, फिर इसे मेरी क्या ज़रूरत है?
ऐसा नहीं हो सकता था कि ढिल्लों ने उसे मेरी ख़ाहिश बताई न हो, लेकिन काला अब बातों बातों में मज़े ले रहा था. मुझे भी उन दोनों की बातचीत सुनकर बहुत मज़ा आ रहा था इसलिए मैं चुपचाप सुनती रही।
काले की बात के जवाब में ढिल्लों ने कहा- यार, ये पूरा मज़ा लेना चाहती है, मैंने 2-3 बार वाइब्रेटर गांड में घुसा कर फुद्दी मार दी। अब इसे असल लौड़े की ज़रूरत है।
इसके बाद काले ने मुझे मुखातिब होकर कहा- क्यों जानेमन, खुद भी कुछ बोलो?मैंने थोड़ा शर्मा कर कहा- यार, तुम दोनों को पता तो है सब कुछ, अब मैं क्या बोलूं? और यार तुम तो मेरे कपड़े भी वहीं खेतों में फेंक आये, अब मैं पहनूँगी क्या?काले ने जवाब दिया- पहली बात तो तुझे ज़रूरत ही नहीं पड़ने वाली कपड़ों की, फिर भी मैं तेरे लिए कपड़े लेने ही गया था।मैंने काले से कहा- लाओ दिखाओ तो सही क्या लाये हो?
काले ने पीछे से बैग उठा कर मुझे पकड़ा दिया, खोल कर देखा तो उसमें एक जीन्स, टीशर्ट, एक बड़े बड़े जूतों का जोड़ा और एक बहुत-बहुत छोटी काले रंग की ब्रा पैंटी थी। इसके इलावा एक गर्म जैकेट थी।सारे कपडे बेहद महंगे यानि कि ब्रांडेड थे। दोस्तो, ब्रा-पैंटी के बारे में बता दूं कि ब्रा झीने काले कपड़े की थी, जिसे अगर मेरे जैसी औरत पहन ले तो सिर्फ 25% मम्मे ही ढके जाएं, ऊपर से उसके कंधे भी नहीं थे यानि कि बस पीछे बांधने के लिए एक डोरी थी। पैंटी का तो नाम ही क्या लेना, सिर्फ 2 डोरियां और गांड और फुद्दी ढकने के लिए बड़ी मुश्किल से लगा काला झीना कपड़ा। वैसे मुझे यकीन नहीं था कि वो मेरे दोनों छेदों को ढक पायेगा।
तभी काले ने मुझसे पूछा- क्यों ठीक है ना?मैंने थोड़ा झेंप कर कहा- हां बाबा, ठीक है।
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