RE: Antarvasna कामूकता की इंतेहा
इसके बाद काले ने पीछे बैठे बैठे तीनों के लिए एक पेग बनाते हुए मुझे पीछे की सीट पर बुलाया। क्योंकि मैं पहले ही काफी पी चुकी थी इसलिए मैंने पीने में न नुकर की तो काले ने कहा- साली पी ले, पहला राउंड पूरे नशे में ही पार कर सकती है, तुझे पता नहीं है तेरी मां चुदने वाली है कुछ देर में।मुझे इस बात पे थोड़ा गुस्सा आया लेकिन आने वाले वक्त से अनजान मैंने भी एक डायलॉग चेप दिया- मां तो तुम दोनों की चोदूंगी आज मैं … वो भी अकेली।
काला और ढिल्लों इस बात पे ज़ोर ज़ोर से हंसे।
तभी मैं अचानक उठकर उकड़ूं पकड़ूँ होते हुए पीछे जाकर काले से सट कर बैठ गयी।
“हीटर तेज़ कर दे ढिल्लों!” ये कहकर उसने मुझे झफ्फी में लेते हुए मेरी लोई उतार दी और घुटनों के नीचे और कमर के पीछे बाहें डाल कर उठा कर अपनी मुझ अल्फनंगी को गोदी में बैठा लिया। बड़ी गाड़ी होने के कारण मैं आसानी से काले की गोद मे फिट हो गयी।
क्योंकि रात को काले शीशों में भी बाहर की रोशनी अंदर आ सकती है इसलिए ढिल्लों ने सभी शीशों को ढक दिया था सिवाए बस ड्राइवर साइड के आधे शीशे को छोड़कर। तो जनाब ढिल्लों ने गानों की आवाज़ तेज़ कर दी और पीछे होंठों से होंठ और जीभ से जीभ मिल गई।यार किस करने का तरीका तो काले का भी जबरदस्त था, 2 मिनट के अंदर ही मैं पूरी तैयार हो गयी। उसे किस करते करते मैं खुद उसके कपड़े उतारने लगी क्योंकि मुझे अब जल्दी से जल्दी उसके लौड़े के दर्शन करने थे।
तो जनाब सबसे पहले मैंने उसका सफ़ेद कुर्ता उतारा, वाह, क्या भरा हुआ मर्द था, बार बार उसकी छाती, पीठ और डौलों पर हाथ फेरने का दिल कर रहा था और मैंने फेरे भी, यहां तक कि उसके बलशाली, हट्टेकट्टे जिस्म को देख कर मैंने उसका पजामा उतारने में भी जल्दी न की।
खैर 4-5 मिनट मैं इसी तरह मैं उससे लिपटती चिमटती रही। मेरा जिस्म अब काम और हीटर की वजह से तपने लगा था। अब मुझे मुंह में लण्ड चाहिए था। इसलिए मैंने जल्दी जल्दी हड़बड़ाहट में उसका उसके पजामे का नाड़ा उतारा और उसका अंडरवियर नीचे खींच दिया।अगला नज़ारा देख कर मेरे मुंह से अनायास ही निकल गया- हाय मेरी माँ!
दोस्तो, इतना सुंदर लौड़ा तो ढिल्लों का भी नहीं था। हां उसके लौड़े से लंबाई में एक-आध इंच था लेकिन मोटा उससे भी ज़्यादा था। बड़ा सारा सुपाड़ा, जिसके आसपास ऊपरी मांस नाम की कोई चीज़ नहीं थी। अच्छी तरह साफ सुथरा, बाँह जितना मोटा खूबसूरत लौड़ा।उसको निहारने के लिए मैं एकदम रुक गयी तो मेरे पिछवाड़े पर आज़ादी से धीरे धीरे हाथ फेरते हुए काले ने मुझसे पूछा- क्यों, कैसा लगा हथियार?मैंने उसकी बात का कोई जवाब नहीं दिया और न ही उसके पूर्ण तौर पर खिले हुए लौड़े को हाथ में पकड़ा।
मैंने अपना मुंह पूरी तरह खोला और उसके लौड़े को मुंह में 3-4 इंच तक लिया और इसी तरह उसे चूसने की कोशिश करने लगी। बेहद गर्म, मुलायम और तगड़ा लौड़ा था। मोटाई ज़्यादा होने के कारण उसे मुँह में लेकर चूसना मुमकिन नहीं था फिर भी मैंने 1-2 मिनट उसे मुंह में ही रखा। जब जबड़ा दर्द करने लगा तो बाहर निकाला और फिर आराम से जीभ और होंठों से चपर चपर चूसने लगी।
मुझे उसका लौड़ा इतना पसंद आ गया था कि 8-10 मिनट अपनी सुधबुध खोकर उसे चूसने चाटने में मस्त रही।
अचानक से क्या हुआ कि काले ने मुझे उठाकर नीचे ले लिया और मेरा मुँह सीट पर सट गया। पीछे मेरा पिछवाड़ा गाड़ी के दरवाज़े के साथ मिल गया और टाँगें ऊपर छत की तरफ हो गईं। हिलने की कोई गुंजाइश नहीं बची थी।
काले ने इसी तरह अपना आधा गीला लौड़ा मेरे मुंह में डाला और दे दना दन घस्से मारने लगा। वाक़ई ही मेरी माँ चुद रही थी। मज़ा अब दर्द में तब्दील हो गया, आंखें बाहर को आने लगीं। मेरा मुँह ज़िन्दगी में पहली बार इतना खुला था। अगला वार असहनीय था, उसने पूरी बेदर्दी से एक तेज़ घस्सा मारा और लौड़ा सारी हदें तोड़ता हुआ गले तक घुस गया। आधा मिनट रुका और फिर एक तेज़ घस्सा मार दिया।
|