RE: Antarvasna कामूकता की इंतेहा
अब मुझे वो तूफानी रफ्तार में चोदने लगा और एक बार फिर मेरे पिछवाड़े और फुद्दी के तबले बजने लगे। पहली बार थी कोई इतना भारी मर्द मुझ पर चढ़ा था। मेरे जैसी हैवी गाड़ी भी उसका और उसके मोटे लौड़े का वज़न महसूस कर रही थी।
दोस्तो, उस काले सांड में इतनी पावर थी कि 15-20 तूफानी गति से लयबद्ध मेरी फुद्दी मारता रहा और 2 बार फिर मुझे निहाल कर दिया. लेकिन इस बार मेरी हुँकारों और हांफने के बाद भी वो रुका नहीं और ना ही धीरे हुआ।
तीसरी बार जब मैं झड़ने वाली थी तो मैंने उसका भार महसूस करते हुए उससे कह ही दिया- जट्टी फिर आ रही है।
ऊपर से मैंने नीचे से भी तेजी से हिलना शुरू कर दिया।
यह सुनकर काला जोश से भर गया और उसने गति और तेज़ करने की कोशिश की। अगले 5-7 घस्सों में हम दोनों पसीनो पसीनी होकर ‘हो … हो … हो …’ की आवाज़ें निकालते हुए झड़े। काले ने भी अपना सारा वीरज अंदर ही निकाला।
इस ज़बरदस्त चुदाई से लबालब भरे हम दोनों की अगले 15-20 मिनट कोई आवाज़ न निकली। काला भी मुझसे पूरा संतुष्ट लग रहा था और ज़रा हैरान भी लग रहा था।
कुछ देर और शांति रहने के बाद आखिर ढिल्लों बोला- क्यों साले? कुछ बोल भी … देती है न हिल हिल के?
इस पर काला बोला- यार गर्मी तो वाकई बड़ी है इसमें, पसीने से भर गया मैं तो! आज जैसा मज़ा कभी नहीं आया.
और फिर मुझे जफ्फी में लेकर कहने लगा- जल्दी होटल ढूंढ अब, देखते हैं हम दोनों का मुकाबला कर पाती है कि नहीं।
ढिल्लों बोला- मुकाबला तो करेगी, मेरे पास दवाई ही ऐसी है।
उसकी बात सुनकर मैं हैरान हो गयी कि अब मुझे जो पहले ही दारू की टल्ली थी, उसे ये क्या खिलाएंगे?
खैर कुछ देर शहर आ गया और ढिल्लों ने एक 4 स्टार होटल में एक कमरा बुक कर लिया। मैं गाड़ी में कपड़े पहनने लगी तो काले ने मना कर दिया और मुझे कमरे तक अपने जिस्म पर सिर्फ एक लोई लेकर ही जाना पड़ा। वैसे भी किसी को क्या पता था कि मैं अंदर से मादरजात नंगी घूम रही हूँ।
कमरे के अंदर आते ही मैंने पहले अपना मुँह अंदर और बाहर से साफ किया और फिर टूथब्रश किया। इसके फौरन बाद ही ढिल्लों ने मुझे अपनी बांहों में भर लिया और अगले ही पल लोई मेरे जिस्म से अलग हो गई और हम दोनों के होठों में होंठ पड़ गए।
बस इतना ही काम था उसका, जट्टी फिर गर्म हो गई। मैंने ढिल्लों पर अपना काबू जमाने के लिए उसे बेड पर गिरा दिया और उस पर भूखी शेरनी की तरह टूट पड़ी और उसके कपड़े उतारने लगी। काला कुर्सी पर बैठा सब देख रहा था।
तभी एकदम ढिल्लों रुका और बोला- काले, मेरे बैग से इंजेक्शन निकाल!
उसकी बात सुनकर मैं डर गई, मैं बुरी तरह से चीखी- नहीं ढिल्लों, कोई इंजेक्शन नहीं, ऐसे ही कर लो जो भी करना है, मैं इंजेक्शन नहीं लगवाऊंगी।
मुझे इस तरह गुस्से में देख कर ढिल्लों को पता चल गया कि मैं इस तरह इंजेक्शन नहीं लगवाऊंगी तो उसने मुझे फिर पकड़ लिया और मुझे बुरी तरह चूमने चाटने लगा और अपने सारे कपड़े उतार दिए।
15-20 मिनट बेड पर गुत्थम-गुत्था होते हुए मैं बेहद गर्म हो गई और मैंने ज़ोर से कहा- ढिल्लों, मार हथौड़ा … लोहा गर्म है।
ढिल्लों मेरी बात सुनकर मेरे नीचे से उठा और मुझे घोड़ी बना लिया। अगले वार से बेखबर मैंने बेपरवाही से अपना बड़ा पिछवाड़ा उसके हवाले कर दिया.
लेकिन ढिल्लों ने वो हरकत कर दी कि मेरी आँखें बाहर आ गईं और मुझे इतना दर्द हुआ कि मैं चीख भी न सकी।
उसने लौड़ा मेरी फुद्दी पर घिसाते घिसाते अचानक मेरी गांड पर रखा और एक तगड़ा, तीक्ष्ण झटका मारा और अपना पौना लौड़ा मेरी गांड में उतार दिया। मेरा सारा काम काफूर हो गया और मैं बिलबिलाने लगी। मैंने बहुत कोशिश की लेकिन उसकी पकड़ से आज़ाद न हो पाई। चादर मेरी मुठियों में भर गई थी।
दोस्तो … इसे ही गांड फटना कहते हैं!
दरअसल मेरी गांड का छेद बुरी तरह छिल गया था और थोड़ा खून भी निकला था। अब मुझे पता चला कि मैंने वाक़ई ही गलती कर ली थी उनको अपनी गांड का न्योता देकर। इनके लौड़े सिर्फ फुद्दी के लिए ही ठीक हैं। अपनी सारी ताकत इकठ्ठी करके मैं सिर्फ इतना कह पाई- ढिल्लों … निका…ल, हाथ … जोड़ती हूँ … फाड़ दी साले!
इस पर ढिल्लों बोला- साली पता चला, ये फुद्दी नहीं गांड है जानेमन, अब तो इन्जेक्शन लगवा ले, गांड तो तेरी मारेंगे ही अब, वो भी फुद्दी के साथ।
लेकिन मैं भी ज़िद को पक्की थी, हार नहीं मानी और कराहती हुई बोली- ऐसे ही कर लो जो करना है, मगर प्लीज तेल तो लगा लो थोड़ा।
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