RE: Antarvasna कामूकता की इंतेहा
लेकिन 5-7 मिनटों के बाद भी जब ढिल्लों नहीं रुका तो मैं फिर गर्म ही गयी। अब मुझे अच्छी तरह पता चल गया था कि इस कमरे में मैं अपनी फुद्दी के बूंद बूंद पानी तक नुचड़ कर जाऊंगी क्योंकि पिछले दो घण्टों में मैं 8-10 बार झड़ चुकी थी। वैसे कोई आम औरत शायद इतना न झेल पाए लेकिन नशे और मेरी फुद्दी की जबरदस्त दहकती आग मुझे मेरे काबू से ऊपर से ले गयी थी।
खैर मैं एक बार फिर गर्म हो गयी और मेरा जिस्म भट्टी की तरह तपने लगा। मैं फिर हूंकारने लगी और अब मुझे महसूस हुआ कि सिर्फ जीभ से काम नहीं चलने वाला क्योंकि अब मैं जीभ से नहीं झड़ना चाहती थी।
मैंने जैसे तैसे अपनी अपनी सांसों को इकट्ठा करके ढिल्लों से उखड़ उखड़ कर कहा- जानू … अंदर डालो जल्दी!
अब मुझे धुन्नी तक लौड़ा चाहिए था.
लेकिन ढिल्लों ने मेरी बात को अनसुना कर दिया और मेरी फुद्दी के ऊपरी हिस्से को खींचा और मेरा दाना बाहर निकाल कर 4-5 बार जीभ फेर दी। मैं लौड़े के लिए बुरी तरह तरसती हुई फिर आ गयी और बिन पानी मछली की तरह छटपटाती हुई झड़ी।
लेकिन इस बार कुछ बूंदें ही पानी की निकलीं जिन्हें ढिल्लों ने चाट कर फुद्दी एक बार फिर सफाचट कर दी।
मुझे दो बार झड़ा कर ढिल्लों उठा खड़ा हुआ और उसने काले से कहा- भेनचो, मज़ा आ गया, बड़ी करारी फुद्दी है, चाट ले साले!
उसकी बात सुनकर काला उठा और मेरी तरफ बढ़ने लगा.
लेकिन मैंने ढिल्लों से फरियाद की- जानू बस करो, मैं पागल हो जाऊंगी, कुछ देर रुक जाओ प्लीज़, मेरी धड़कन बढ़ रही है, बहुत जोर लग जाता है मेरा।
लेकिन हैवानों के सामने फरियाद करने से क्या फायदा। काले को अपनी तरफ बढ़ते हुए देख मैंने उठने की कोशिश की लेकिन उसने आते साथ ही मुझे दबोच लिया और नीचे से टाँगें पूरी तरह खोल कर मेरी दहकती फुद्दी पर अपनी ज़बान रख दी।
दोस्तो, उस समय मैं किसी भी तरह का सेक्स करने के लिए तैयार नहीं थी लेकिन मेरी बहुत छटपटाहट के चलते भी काले ने ज़बान फुद्दी से अलग नहीं की और मेरी टांगों को ज़ोर से पकड़े रखा। हालांकि मुझे नीचे गुदगुदी सी हो रही थी।
खैर मैं कोई और रास्ता न देख कर टाँगें खोल कर लेटी रही और काला चुपड़ चुपड़ मेरी फुद्दी चाटता रहा।
लेकिन किसी औरत की फुद्दी इतनी तसल्ली से चाटी जा रही हो और वो गर्म न हो? यह तो मैं 8-10 बार झड़ चुकी थी कि मेरा मन नहीं था वरना किस लड़की या औरत को फुद्दी चटवाने में आनन्द नहीं मिलता। दरअसल उन दोनों की इन्हीं हरकतों के कारण मैं लंबे समय तक उनकी रखैल बन कर रही और उन दोनों ने मुझे पता नहीं किस किस से चुदवाया। और ढिल्लों की भी यही मंशा थी कि आज रात मुझे अपने पूरे बस में करना है, इसीलिए उसने खुद और अब काले को मेरी फुद्दी अच्छी तरह चूसने को कहा था।
खैर 8-10 मिनट तो मुझे बस गुदगुदी ही होती रही लेकिन अब एक बार फिर मुझे आनन्द आने लगा।
मेरी सिसकारियों को सुन कर काले ने मेरी टाँगें पूरी तरह चौड़ी कर दीं और मेरी पूरी तरह से तह लगाकर फुद्दी का मुंह पूरी तरह हवा में लहरा दिया। फिर उसने दोनों हाथों से मेरी फुद्दी को इतनी बेदर्दी से चौड़ा कर दिया कि मेरा अंदर का सामान और दाना उसे साफ साफ दिखने लगा।
फिर उसने अपनी पूरी जीभ बाहर निकाली, सीधी की और फुद्दी के अंदर घुसेड़ दी। दरसअल ढिल्लों से जीभ अंदर नहीं घुसी थी लेकिन काले ने कमाल ही कर दिया। पूरी जीभ अंदर डाल कर जब बाहर से वो अपने होठों से चुपड़ चुपड़ करने लगा तो मैं सब कुछ भूल कर चिल्लाने लगी- हाय मेरी माँ … मेरी माँ … ये क्या है … मेरी माँ.. मैं मर जाऊंगी … हाय।
मेरी आवाज़ इतनी ऊंची थी कि ढिल्लों को एकदम उठना पड़ा और आकर उसने अपने हाथ से मेरा मुंह पूरी तरह ढक दिया। लेकिन फिर भी मेरे मुंह से “गूँ.. गूँ.. गूँ..” निकल ही रहा था।
मैं पागल हो गई थी। अब मुझे एकदम अपनी फुद्दी के अंदर खलबली के साथ एक बहुत बड़ा खालीपन महसूस हुआ। मुझे अपनी फुद्दी की गहराई के आखरी छोर तक कुछ चाहिए था। लेकिन काला तो लगा ही रहा।
उस वक़्त पता नहीं मुझमें इतनी ताकत कैसे आयी कि मैंने ढिल्लों के हाथ ओ एक झटके से अलग कर दिया और बुरी तरह हुंकारती हुई ने काले के सिर को पकड़ा और बड़ी बुरी तरह से अपनी फुद्दी पर कसने लगी और नीचे से खुद फुद्दी उसकी ज़बान पर बुरी तरह से रगड़ने लगी।
लेकिन काले ने हैरानी में अपना मुंह हटा लिया और मैं झड़ी नहीं तो मैं चीखने लगी- अंदर डालो सालो, बहन चोदो अंदर डालो, मर गयी मैं!
लेकिन वो दोनों मेरी ऐसी हालत देख कर एक दूसरे की तरफ हैरानी से देखते हुए हंसने लगे।
मेरे मुंह से झाग निकल रही थी। ऐसा हाल मेरा उनके लगाए इंजेक्शन ने कर दिया था। मैंने अपने होशोहवास खोकर आस पास कोई चीज़ देखी लेकिन कोई भी अच्छी नहीं लगी तो मैंने अपनी 3-4 उंगलियां एक साथ फुद्दी में घुसेड़ लीं और तेज़ तेज़ हिलाने लगी।
ढिल्लों के रोकने के बावजूद भी काले को मुझ पर तरस आ गया और दोनों हाथों से मेरे हाथ फुद्दी से हटा कर अच्छे मेरी तह लगाई और ‘फड़ाच’ की आवाज़ के साथ अपना 9 इंच का मोटा काला लौड़ा एक ही बार में पूरी शक्ति के साथ अंदर पिरो दिया।
मेरी फुद्दी की अंदरूनी गर्माइश से हैरान होकर उसके मुंह से अनायास ही निकल गया- ओ मेरे रब्बा, इतनी गर्मी है साली के अंदर?
यह कहकर वो अपना पूरा लौड़ा बाहर निकाल कर अंदर जड़ तक पेलने लगा।
मेरी फुद्दी के एकबार फिर परखच्चे उड़ने लगे। मैंने उसको ज़ोर से जफ्फी डाल ली और टाँगें पूरी तरह चौड़ी कर ली ताकि उसका लौड़ा टट्टे तक अंदर जाए। मैं उसके होठों को अपने होठों में लेकर उसे हूँ हूँ करती हुई चाटने लगी।
इस बार 30-35 तीक्ष्ण घस्सों का काम था कि मेरी चूत ने एक बार फिर हल्का सा पानी छोड़ दिया और मेरे अंदर की गर्मी और जफ्फियों पप्पियों की वजह से काले जैसा हैवान भी 5-7 मिनट में मेरे अंदर झड़ गया।
यह कुश्ती इतनी जबरदस्त थी कि हम दोनों अल्फ नंगे सर्दियों के मौसम में भी पसीने से तरबतर हो गए और बुरी तरह हांफने लगे। न तो काले में और न ही मुझमें उठने की हिम्मत बची थी। इसलिए काला अपना 100 किलो का वजन लेकर मेरे ऊपर ही निढाल हो गया।
2-4 मिनट के बाद मैंने उससे मिन्नत करके नीचे उतारा और खुद उसको कस कर जफ्फी डाल कर हांफती हुई उसकी मज़बूत बाँहों में समा गई।
कहानी जारी रहेगी।
देरी के लिए माफी।
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