Antarvasna कामूकता की इंतेहा
08-25-2020, 01:13 PM,
#48
RE: Antarvasna कामूकता की इंतेहा
वो अपना पूरा लौड़ा बाहर निकाल कर अंदर जड़ तक पेलने लगा.

मेरी फुद्दी के एक बार फिर परखच्चे उड़ने लगे. मैंने उसको ज़ोर से जफ्फी डाल ली और टाँगें पूरी तरह चौड़ी कर ली ताकि उसका लौड़ा टट्टे तक अंदर जाए. मैं उसके होठों को अपने होठों में लेकर उसे हूँ हूँ करती हुई चाटने लगी.

इस बार 30-35 तीक्ष्ण घस्सों का काम था कि मेरी चूत ने एक बार फिर हल्का सा पानी छोड़ दिया और मेरे अंदर की गर्मी और जफ्फियों पप्पियों की वजह से काले जैसा हैवान भी 5-7 मिनट में मेरे अंदर झड़ गया.

यह कुश्ती इतनी जबरदस्त थी कि हम दोनों अल्फ नंगे सर्दियों के मौसम में भी पसीने से तरबतर हो गए और बुरी तरह हांफने लगे. न तो काले में और न ही मुझमें उठने की हिम्मत बची थी. इसलिए काला अपना 100 किलो का वजन लेकर मेरे ऊपर ही निढाल हो गया.
उस रात जो जो कुछ हो रहा था, मैंने कभी ख्वाबों ख्यालों में भी नहीं सोचा था. मेरे जैसी औरत की ललक उसे कहाँ तक ले जा सकती है, वो तो आप देख ही रहे हैं.

ढिल्लों ने पहली बार देख कर ही अन्दाज़ा लगा लिया था कि मेरी तसल्ली करवानी और मुझे एक लंड के खूंटे से बांधना आसान काम नहीं है. इसीलिए वो अपने दोस्त के साथ मेरी इतनी सर्विस करना चाहता था कि मेरे मन में उनसे बाहर जाने का सवाल ही न पैदा हो, और वो ये काम बड़े ज़बरदस्त तरीके से कर रहे थे.

अगर उसने मुझे नशे का डोज़ न दिया होता तो शायद इतनी देर और इतनी बार मैं उन काले सांडों के आगे न टिक पाती.
खैर कहानी पर आते हैं.

रात बहुत गहरी हो चली थी, शायद सुबह 4 बजे का वक़्त था. फ़रवरी का महीना था शायद … लेकिन हम तीनों पसीने से तरबतर थे.
मैं कितनी बार झड़ चुकी थी, मुझे अब कोई होश नहीं था. ढिल्लों से जफ्फी डाल कर मैं कितनी देर सोई रही, इसका भी मेरे पास कोई जवाब नहीं है.

इतने वहशियाना ढंग से चुदी होने के कारण सोई हुई का गला हलक सूख गया. न चाहते हुए भी मैंने उठने की कोशिश की, लेकिन सिर इतना भारी था कि आधी ही उठ सकी और धड़ाम करके फिर गिर गयी.
और फिर 2-4 मिनट के बाद मेरे मुंह से निकला- पानी!

तभी मुझे उन दोनों के ज़ोर के हंसने की आवाज़ आयी. उन्होंने कुछ कहा भी, लेकिन मुझे कुछ समझ नहीं आयी.
मैं थोड़ी दी लेटी रही. और इसके बाद एक बार फिर सूखे गले से तंग आकर आवाज़ देने की कोशिश की लेकिन इस बार मुँह से कुछ नहीं निकला.

तभी मैंने कोई चारा न देख कर अपनी पूरी ताकत इकठ्ठी की और सिरहाने से ढो लगा कर आधी लेट गई और अपनी आंखें खोलीं.

मेरे सामने दोनों कुर्सियों पर बिल्कुल नंगे बैठे वो कुछ कर रहे थे.
कुछ देर बाद जब मुझे समझ लगी कि वो क्या कर रहे थे तो मेरा दिल धक करके रह गया औऱ मैं बुरी तरह कांप गई. वो दोनों एक दूसरे के बांह पर वैसे ही इंजेक्शन लगा रहे थे, जैसा उन्होंने मुझे दिया था.

डर के मारे मैंने आंखें बंद कर लीं फिर लेट गयी.
लेकिन इतने में उन्होंने मुझे देख लिया था.

तभी काला मेरे पास आया और मुझे उठाने की कोशिश की. मुझे पता भी चल गया था कि वो मुझे उठा रहा है, लेकिन पिछले नज़ारे से डर कर मैंने आंखें नहीं खोलीं और नीम बेहोशी का नाटक करने लगी.

लेकिन वो कोई बच्चे नहीं थे, मेरे जैसी पता नहीं कितनी औरतों के परखच्चे वो उड़ा चुके थे.
काले ने बहुत कोशिश की लेकिन मैं टस से मस न हुई, हालांकि प्यास से मेरा बुरा हाल था.
काफी देर कोशिश करके काले ने ये कहा- बहनचोद ऐसे नहीं मानेगी.

5-7 मिनट के बाद एकदम ढिल्लों की बहुत ऊंची आवाज आयी- ओए, ओए, रुक जा ओये, क्या कर रहा है, रुक साले!
ढिल्लों ये चीख ही रहा था कि मेरे जिस्म में ऊपर से नीचे तक ठंड का एक करंट दौड़ गया.

दरअसल काला, बाथरूम से एक बर्फ जैसे पानी का एक कप भर लाया और आकर एकदम मेरे मुँह पर मार दिया.
इस 440 वोल्ट के झटके के ताब न लाते हुए मैं बिजली के तरह उठी और बेड से नीचे उतर कर काले से दूर होती हुई दीवार से चिपक गयी और ठुर ठुर करके कांपने लगी.

सामने काले के तेवर देख कर मेरे पैरों तले जमीन निकल गई थी. दरसअल इंजेक्शन के वजह से उसकी आंखें बुरी तरह लाल हो गईं थी और वो मुझे बहुत गुस्से में लग रहा था और हुँकारें मार रहा था. उसका 10 इंच लंबा और 4 इंच मोटा हलब्बी लौड़ा बुरी तरह खड़ा था और उसका मुंह ऊपर था.

हालांकि इतने मोटे लौड़े अपने वज़न के कारण ऊपर नहीं जा पाते. मैंने हैरान होकर एकदम ढिल्लों के तरफ देखा, उसको देख कर तो मेरे बचे खुचे हवास भी जवाब दे गए.

ढिल्लों भी अपने 10 इंच के काले लौड़े को हाथ से ऊपर से नीचे तक पकड़ कर ऊपर नीचे कर रहा था.

उनके तेवर देख कर मुझे अंदाज़ा हो गया था कि आज ये मुझे तार तार कर देंगे. अगर मैं पहले इतनी न चुदी होती तो शायद मेरी फुद्दी के मुँह में कुछ हद तक पानी आ जाता. लेकिन मेरी पहले से ही बहुत अच्छे से सर्विस हो चुकी हो चुकी थी और मैं अब 7-8 दिन तक बिल्कुल सेक्स नहीं चाहती थी.
मेरे बस में कुछ नहीं था सिवाय इसके कि उनसे रहम की अपील करूँ.

अब मैं आधी धमकी और आधी मिन्नत करके ढिल्लों से कहने लगी- देख ढिल्लों, जाने दे प्लीज़, मैं नहीं सह पाऊँगी अब! बहुत बजा चुके हो … सोंह रब्ब दी … फुद्दी की नींव तो पहले ही हिला चुके हो. मैं शादीशुदा हूँ, घरवालों को जाते ही पता चल जाएगा. यकीन करके आयी थी, जाने दे यार. ये तो पता अब भी चलेगा कि चुद कर आई हूँ. लेकिन इसके बाद कुछ भी हो सकता है मेरा, देखो अगर मुझे न जाने दिया तो सारी उम्र शक्ल नहीं दिखाऊँगी तुम को! प्लीज़ यार हाथ जोड़ती हूँ, प्लीज़!
और यह कहते हुए मैं बुरी तरह रोने लगी.

लेकिन उन दोनों के कानों में जूं न सरकी.
ढिल्लों दहकता हुआ मेरे पास आया और कहा- साली चलने लायक ही छोड़ दिया तो दुर फिट्टे मुँह जवानी के, तेरी मर्ज़ी आना न आना तो, लेकिन अब तसल्ली तेरी और कोई न कर पायेगा.

यह कहकर उसने मुझसे हाथ पायी होते हुए अपने एक हाथ से मेरा गला दबा कर अपनी दो उंगलियाँ फच्च से मेरी फुद्दी में उतार दीं. लेकिन एक ही झटके में निकाल भी लीं. दरसअल मेरी फुद्दी मैं अभी तक माल भरा हुआ था और खड़ी होनेके कारण अब वो फुद्दी के होंठों तक आ गया था लेकिन उनके लौड़े इतने लंबे थे कि बाहर नहीं निकल रहा था.

उंगलियाँ बाहर निकाल कर उसने काले को एक मोटी गाली दी और कहा- साले, इसे साफ किसने करना था, हर बार मुझे ही करना पड़ता है.
यह कहकर उसने आस पास देखा.

जब उसे और कोई कपड़ा दिखाई न दिया, तो उसने खड़े ख़ड़े ही बेड की चादर ज़ोर से खींची और उसका एक हिस्सा इकठ्ठा करके मेरी फुद्दी को बुरी तरह पौंछ दिया.

ठंड के कारण मैं एकदम ढिल्लों के गर्म गर्म जिस्म से लिपट गयी. ढिल्लों ने मुझे खड़े खड़े ही एक लंबा स्मूच किया. मेरा किसी को स्मूच करने का कोई इरादा नहीं था लेकिन मैं अब कोई धक्का बर्दाश्त भी नहीं कर सकती थी, इसीलिए मैंने अनचाहे ही ढिल्लों का साथ दिया.

स्मूच करते करते ढिल्लों अपनी आदत के अनुसार अपने दोनों हाथ मेरे नंगे गोरे गोल और भारी पिछवाड़े पर फेरने लगा. पहले मुझे लगा था कि ढिल्लों जल्दी करेगा लेकिन वो मुझे भी गर्म करना चाहता था इसीलिए वो बार अपनी उंगलियों को मेरी गांड के अंदर घुसाना चाहता था लेकिन मैं बार बार गांड पर पहुंचते ही उसका हाथ हटा देती.

5-10 मिनट ढिल्लों मुझे खड़े खड़े ही अलग अलग हरकतों के साथ गर्म करने की कोशिश करता रहा लेकिन सब बेकार!
दरअसल इतना चुदने के बाद मेरी पूरी से ज़्यादा तसल्ली हो चुकी थी और अब जिस्म में जान बाकी नहीं थी.

अब मेरी टांगे काँपी और मैं खड़ी खड़ी ढिल्लों के ऊपर निढाल हो गयी. ढिल्लों समझ चुका था कि उसकी कोशिशें बेकार हैं. इसलिए वो अपनी एक बांह मेरे बीच में लाया और मुझे उठा कर बेड पर पटक दिया औऱ काले से बोला- काले दारू भर के दे बड़े गिलास में!

और फिर मुझसे बोला- देख रूप, चुदना तो तुझे है ही, मुझे नहीं पता कैसे, तेरी मर्ज़ी है, धक्का करेंगे तो ज़्यादा तंग होगी, ये दारू पी ले और मेरा साथ दे, पी ले, फिर तेरी नीचे से चाटता हूँ.

बात तो ढिल्लों की सही थी. बचने का मेरे पास कोई रास्ता नहीं था, इसलिए मैंने मौके की नज़ाकत समझ कर काले से दारू का ग्लास लिए औऱ एक बार में ही गटक गयी और कहा- और दो.

काले ने एक और ग्लास भर के थोड़ा सा पानी डाला और मुझे दिया- मैंने अपना नाक बंद किया और फिर बॉटम अप करके लेट गई.

अब ढिल्लों ने मेरी पीठ के नीचे 2 सिरहाने रख दिए और टांगें खोल कर मोड़ दीं. मेरी फुद्दी से लेकर गांड तक ऐन ऊपर को हो उठीं, ढिल्लों के मुंह के सामने, फुद्दी तो पूरी की पूरी खुल गयी थी. उसने अपनी पूरी जीभ बाहर निकाली और गांड से लेकर सारी फुद्दी को ऊपर से नीचे तक जीभ फेरने लगा.

पहले 2-3 मिनट तक तो मुझे कुछ महसूस न हुआ लेकिन इसके बाद मेरे जिस्म में गुदगुदी सी होने लगी और मुझे हल्का हल्का मज़ा आने लगा.
दरअसल जिस शिद्दत से ढिल्लों नीचे से ऊपर तक चाट रहा था, ऐसी मेहनत रंग लाए बिना नहीं रह सकती. ऊपर से मुझे 2 लार्ज पैग का भी नशा हो गया था.

खैर अगले कुछ मिनटों में मेरे हाथ बेडशीट पर फंसने लगे और टांगें ऊपर को उठने लगीं. ढिल्लों ने यह महसूस करके एक पल के लिए अपना मुँह फुद्दी से हटाया और बोला- हो, हो, हो, काले हो जा तैयार, घोड़ी उठान पर है, साली बड़ी मुश्किल से तैयार की है.

ये कह कर ढिल्लों से अपनी ज़बान फिर मेरी फुद्दी पर रख दी और चुपड़ चपड़ चाटने लगा.

अगले कुछ मिनटों बाद तो मैं बिल्कुल तैयार हो गयी और मेरा जिस्म अकड़ने लगा. लेकिन इससे पहले कई बार झड़ने के कारण अब जिस्म में वो ताक़त नहीं बची थी.
बस मेरे मुंह से हूंकारें निकल रही थीं- हूँ, हूँ, हूँ

मुझे पूरी तरह से तैयार देख कर ढिल्लों ने अपनी ज़बान से आखरी बार फुद्दी अछी तरह से साफ की और फिर मेरी टांगें मोड़ कर और पूरी तरह से चौड़ी करके फुद्दी का मुंह ऊपर करके पूरी तरह खोल दिया.
दरअसल मुझे ढिल्लों का ये अंदाज बहुत पसंद था कि वो फुद्दी और गांड को मारने से पहले अच्छी तरह से मोर्चे के लिए तैयार करता था ताकि लौड़ा जड़ तक अंदर जाए. पता नहीं उसे इसका क्या शौक था कि लौड़ा आधा इंच भी बाहर न हो.

खैर मेरी पोजीशन सेट करके ढिल्लों आधा खड़ा हुआ, और मुझे कहा- चौड़ी कर हाथ से अपने!

मैंने हैरान परेशान हो कर अपने हाथ फुद्दी के आस पास धरे और अपनी पहले से खुल चुकी फुद्दी को और चौड़ा कर दिया. ढिल्लों से मेरी फुद्दी के अंदर थूका और अपना हथियार बीचोंबीच सेट कर दिया और एक धक्का मारा.
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RE: Antarvasna कामूकता की इंतेहा - by desiaks - 08-25-2020, 01:13 PM

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