RE: Antarvasna कामूकता की इंतेहा
मैंने हैरान परेशान होकर अपने हाथ फुद्दी के आस पास धरे और अपनी पहले से खुल चुकी फुद्दी को और चौड़ा कर दिया. ढिल्लों से मेरी फुद्दी के अंदर थूका और अपना हथियार बीचोंबीच सेट कर दिया और एक धक्का मारा.
10 इंच में से 7-8 इंच लौड़ा पहली बार में ही मेरी फुद्दी में धंस गया और मेरी हल्की सी चीख निकल गयी और मैंने अपने हाथ हटा लिए.
लेकिन ढिल्लों ने फिर कहा- चौड़ी करके रख साली!
मैंने फिर उसका हुक्म माना और हाथ नीचे लेजाकर फिर उसी तरह से फुद्दी चौड़ी कर ली. लेकिन इस बार मैंने हाथ से ढिल्लों का लौड़ा और अपनी फुद्दी उस पर चढ़ी हुई भी महसूस की.
हालांकि मेरी फुद्दी का बाहरी छल्ला अब भी उसके लौड़े को जकड़े हुए था लेकिन मैंने महसूस किया कि मेरी फुद्दी उसके लौड़े के हिसाब से खुल चुकी है.
खैर जब मैंने उसके हलब्बी लौड़े को अपनी उंगलियों से महसूस किया तो मैं हैरान भी थी कि इतना बड़ा लौड़ा कैसे मेरी फुद्दी में अब आसानी से जा रहा था. इसका मतलब यही था कि अब मैं एक रात में ही पहले जैसी औरत ने रह गयी थी.
2-4 पलों की चेकिंग के बाद मैंने फुद्दी अच्छी तरह से चौड़ी करने की कोशिश की मगर वो तो पहले से ही बहुत खुली थी. खैर ढिल्लों ने सिर्फ एक वार और किया और लौड़ा 10 का 10 इंच फुद्दी में पेवस्त हो गया.
इस गहरे वार के बाद ढिल्लों रुक गया और उसने मुझे अपनी जांघों के दम पर ही पूरी तरह से कस लिया ताकि लौड़ा रत्ती भर भी बाहर न आ सके. मैं हैरान थी कि ये वो कर क्या रहा था. लेकिन मेरी हैरानी कुछ पलों की ही थी क्योंकि आधा एक मिनट इसी दाव में रह कर ढिल्लों से अपनी पूरी ताकत इकठ्ठी करके मेरी फुद्दी में झोंक दी, जैसे उससे कोई बदला लेना चाहता हो.
अब वो मुझे इतनी तेजी से पेलने लगा के मेरे छक्के छूट गए. उसका हर एक धक्का इतना मजबूत था कि बेड भी चीखने लगा था. मुझे अपनी पूरी हस्ती में सिर्फ मेरी फुद्दी महसूस हो रही थी.
ढिल्लों ने मेरे जिस्म का पोर पोर हिला दिया था. मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था और उसकी इस वहशत से मैं डर गई थी और मेरे जिस्म में मज़े के साथ एक तरह का डर भी शामिल हो गया.
खैर मैं इस राउंड में मैं पहली बार इसी हालत में झड़ी, लेकिन इस रात पूरी तरह नुचडी हुई होने के कारण पानी नहीं निकला.
हां … झड़ने का एक फायदा तो हुआ कि फुद्दी में गीलापन सा आ गया जिसके कारण ढिल्लों का हलब्बी लौड़ा आराम से अंदर बाहर होने लगा. इससे पहले मुझे अपनी फुद्दी ज़रा सूखी सूखी सी लग रही थी और लग रहा था जैसे फुद्दी छिल गई हो.
ढिल्लों लगातार 3-4 मिनट तक मुझे ताड़ ताड़ करके चोद रहा था और मेरा जिस्म बेड पर पूरी तरह से हिल रहा था, बूब्स का तो कोई हाल ही नहीं था.
ऐसी चुदाई आपका वजूद हिला देती है और ऐसा मेरे साथ भी हो रहा था. मुझे पहले इस बात की कोई खबर नहीं थी कि इतनी वहशत से भी कोई चोद सकता है.
ख़ैर इस वहशत से डर कर मैंने कुछ बोलने की कोशिश की, लेकिन अगर आप की फुद्दी में कोई पौने फुट का मोटा लौड़ा पिस्टन की तरह चल रहा हो और उस मोटे लौड़े का मालिक भी जिस्म में आपसे दुगना तगड़ा हो तो सिर्फ चीखें ही निकल सकती हैं, जो मेरी भी निकलने लगीं.
मैंने अपनी इज़्ज़त की बिल्कुल परवाह न करते हुए ज़ोर ज़ोर से चीखना शुरू कर दिया- ओह … आह … ओअह!
मेरी चीखें इतनी तेज थी कि शायद उन्हें अब आधा होटल सुन सकता था.
लेकिन हैरानी की बात ये थी कि ढिल्लों और काले ने मुझे रोका नहीं. आखिर ढिल्लों एकदम रुका और मुझे पकड़ कर बिजली की रफ्तार से पलटी मारी मुझे अपने ऊपर ले लिया. लौड़ा उसी तरह फुद्दी में पेवस्त था.
और अगले ही पल मेरी पीठ को दोनों हाथों से कस के पकड़ के नीचे से पूरा लौड़ा बाहर निकाल निकाल कर 4-5 तूफ़ानी घस्से मारे और फिर एकदम मुझे अपने साथ चिपका लिया जिसके कारण मेरी गान्ड का छेद कोई भी आसानी से देख सकता था.
इसके बाद वो अपने दोनों हाथ मेरे दूध से गोरे पिछवाड़े पर ले गया और मेरी गांड के पास करके उसको बहुत जोर से फैला दिया और काले को आवाज़ दी- आजा ओये, जोड़ तांगा, इसकी मां की …
काला ऊपर चढ़ आया और अपना तना हुआ मोटा काला हथ्यार गांड पर रख दिया और एक घस्सा मारा लेकिन डर के कारण मेरी गांड पूरी तरह भिंच गयी और लौड़ा सरक गया.
ऐसा 2-3 बार हुआ.
फिर एकदम से ढिल्लों ने काले को इशारा किया कि तेल लगा ले.
काले ने उसका कहा माना और लौड़ा सरसों के तेल से तरबतर कर लिया.
इसके बाद वो फिर आया लेकिन नतीजा कुछ नहीं, मगर हां इस बार जब सब दबाव बनाया था तो गांड का छल्ला खुला ज़रूर था जिससे मेरे निढाल शरीर में दर्द की एक टीस दौड़ी थी.
दरअसल हो यह रहा था कि ढिल्लों का मूसल जड़ तक अंदर घुसा हुआ था जिसके कारण गांड बिल्कुल बन्द हो गयी थी.
ढिल्लों ने इस बात को समझा तो उसने एकदम से मेरी फुद्दी को खाली कर दिया और काले से कहा- अब आ, जब पूरा घुस जाए तो बताना!
फिर मुझसे कहा- ओये बहनचोद, ढीली छोड़ इसको, नहीं तो सूखी मरवाऊंगा.
और फिर अपने हाथों से गांड चौड़ी करने की कोशिश की. लेकिन डर के कारण मैं फिर ढीली न छोड़ सकी तो उसने अपनी उंगलियों से मेरी गांड पर ऐसी चिकोटी काटी कि मैं बुरी तरह हिल गयी और मैंने बिन बोले के गांड ज़ोर लगा कर गांड ढीली छोड़ दी.
ढिल्लों ने अब थूक लगा कर दो उंगलियां अंदर घुसेड़ी तो उसको यकीन आ गया और फिर उसने काले को इशारा किया.
काले ने अपना सरसों के तेल से सना हुआ लौड़ा मेरी गांड के छेद पर रखा, इस बार अपना लौड़ा उसने कस के पकड़ा हुआ था कि हिल न सके, छेद पर रखके उसने एक ऐसा धक्का मारा कि मैं चिर गयी. मेरे मुंह से एक वहशियाना चीख निकल कर फिर हलक में ही दब गई.
मैंने इतना दर्द कभी ज़िन्दगी में बर्दाश्त नही किया था.
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