Vasna Story पापी परिवार की पापी वासना
08-30-2020, 03:16 PM,
RE: Vasna Story पापी परिवार की पापी वासना
ओहहहह, मादरचोद ! मैं झड़ रही हूँ!”, टीना जी चीखीं, “जय, मुझे चोद! माँ को कस के चोद, बेटा! अँह आँह ऑह आँह 'अ'अँह! चोद माँ की चूत !”

जय ने माँ की कसमसाती योनि को अपने लिंग पर कसते हुए अनुभव किया जिसके फलस्वरूप, वो अधिक उत्साह से उनपर ठेलने लगा। उसका लिंग सचमुच मातृ योनि की सेवा कर रहा था! टीना जी ऑरगैस्म के समय पुरुष द्वारा बलशाली ऊर्जा से सम्भोग क्रिया की अपेक्षा रखती थीं। उनका हट्टा-कट्टा पुत्र उनकी इसी इच्छा को पूरी कर रहा था! | माँ और बेटी बिस्तर पर साथ-साथ लेटे हुए थे। वासना के मारे दोनो कराह और कुलबुला रहे थे। उनकी इन्द्रियाँ पहले तो दैहिक आनन्द के शिखर तक पहुंची, फिर धीमे-धीमे थमने लगी। मिस्टर शर्मा ने सोनिया के लिसलिसे योनि द्वार से अपना मुँह उठा कर अलग किया और अपने होंठों पर जीभ फेरकर चेहरे पर चुपड़े हुए बेटी के मादा-द्रवों को पोंछा। जय ने अपने लिंग को माता की सिहरती योनि के अन्दर ही गड़ा कर रखा। जय का वीर्य स्खलित नहीं हुआ था और यह उसके जीतेन्द्रीय पौरुष और कामकला में कौशल्य का प्रमाण था!

जय अपने शिलालिंग को माँ की दवों से सनी योनि में ठेलने लगा। अपने ऑरगैस्म की सशक्त अनुभूतियों के शनैः-शनैः उतराव का अनुभव करती हुई टीना जी के चोंचले पर वो अपने पेड़ को संकेतात्मक रूप में रगड़े जा रहा था। फिर जय लोट कर पीठ के बल लेट गया और माता को अपने ऊपर खींच कर बैठा दिया। उसका लिंग अब भी मातृ योनि में ज्यों का त्यों प्रस्थापित था। टीना जी अपने कूल्हों को पुत्र के गहरे घोंपे हुए लिंग पर ऊपर-नीचे उचकाने लगीं। बड़ी कामोन्मत्त होकर रणचन्डी जैसी अपने अश्व रूपी युवा पुत्र की सवारी कर रही थीं वे।

अपनी नवयौवना पुत्री सोनिया की कामुक योनि को चाट लेने के उपरान्त मिस्टर शर्मा का लिंग उदिक्त होकर इस्पात सा कठोर हो चला था। किसी तंग, गरम, लिसलिसे छिद्र में उसे घुसेड़ देने की उनकी इच्छा अब प्रबल हो रही थी। अपनी हाँफ़ती बेटी पर चढ़ कर, वे अपने दैत्यकारी लिंग को उसकी संकरी कामगुहा में घुसेड़ने ही वाले थे कि, टीना जी ने अपने पतिदेव के लिंग का अप्रत्याशित रौद्र रूप को देख लिया।

ओहहह, दीपक! बेटीचोद, आज से पहले मैने तेरा लन्ड ऐसा फला - फूला कभी नहीं देखा! घुसेड़ दे मेरी गाँड में इसे !”, वे चीखीं, “चोद मेरी गाँड को अपने मोटे लन्ड से। साथ में हमारा मादरचोद बेटा जय मेरी चूत को चोदेगा! पति और बेटे से डबल चुदाई करवाऊंगी !” | मिस्टर शर्मा के समक्ष एक विकल्प सोनिया की तत्पर, चाटी और चूसी हुई योनि थी, दूसरा विकल्प पत्नी टीना की ललचाती तंग, गुलाबी गुदा-छिद्र था। उन्हें पुत्री की किशोर योनि के संग सम्भोग की तीव्र लालसा थी, परन्तु पत्नी की तंग, चिकनी गुदा से मैथुन करने का अवसर, वह भी तब, जब उन्हीं के बीज की उत्पत्ति, उनका सगा पुत्र, मातृ योने से मैथुन -क्रिया में संलग्न हो, उनके सामने ऐसा कामुक प्रलोभन प्रस्तुत कर था, जिसे वे अस्वीकार नहीं कर सकते थे। मिस्टर शर्मा ने अपने दानवी लिंग के भार को मुट्ठी में ढोते हुए मिसेज शर्मा के पीछे घुटनों के बल बैठ कर अपना स्थान ग्रहण किया। फिर टीना जी को आगे, जय की ओर दबाकर झुका दिया।

* जय, चोद दे पट्ठे !”, वे गुर्राये, “तू कस के अपनी माँ की चूत को चोद, मैं हरामजादी की गाँड मारता हूँ !”

“ओहहह! हाँ डैडी! दोनो मिल के माँ को चोदेंगे !”, जय कराह कर बोला। वो अपनी कामुक, रूपवती माता की छरहरी देह के भाजन में अपने पिता को सहयोग देने को व्याकुल था।

“टीना, मेरी रन्डी पत्नी, आज तो तेरी ऐश करा देंगे”, मिस्टर शर्मा अपनी पत्नी के कानों में बुदबुदाये, तेरी जवानी की आग बुझाने के लिये एक मर्द काफ़ी नहीं है, हरामजादी तेरी डबल चुदाई होगी ::आगे झुक जा साली, आने दे मेरे लन्ड को! ... जय बेटा, जरा मदद करो ... माँ की गाँड को डैडी के लन्ड के लिये खोल दो !” ।

आज्ञाकारी जय ने अपने लम्बे लिंग को माँ की योनि से निकाले बिना, उठकर अपनी नग्न माँ के खरबूजे जैसे नितम्बों को दोनों हाथों में भरा, और उन्हें चौड़ा पाट कर पिता के लिये पृष्ठ द्वार खोल दिया। |

मिस्टर शर्मा ने पत्नी के कूल्हों को दबोच कर अश्वासन धारण करते हुए लिंग के सिरे को उनके कसमसाते मलद्वार पर दाबा, जिसका मार्ग उनके पुत्र ने उनके हेतु खोला था।

* अँह 'अँह आँह! ऊह, दीपक ! प्राणनाथ, मेरी गाँड मारिये! कब से मैं तुम दोनो मर्दो से चुदना चाहती थी !” दीर्घ काल से मन में पनपती इच्छा की पूर्ती की मंगल घड़ी आ जाने से टीना जी के मुखमंडल पर हर्ष और अधीरता का भाव छा गया था।

मिस्टर शर्मा आगे को झुके, और अपने लिंग को एक ही ठेला मारकर पत्नी की उचकी हई गुदा में सुनिश्चितता और गहनता से स्थापित कर लिया। उनकी पत्नी का तंग गुदा मार्ग सदैव जैसा चिकना और उत्तेजना के मारे ज्वलन्त था, पर आज कुछ अतिरिक्त संकराव था ... इसलिये क्योंकि उनके पुत्र का परिपक्व लिंग उनकी पत्नी की योनि में टुसा हुआ था। पिता और पुत्र के लिंग के बीच केवल टीना जी के माँस का लोथड़ा था, दोनों लिंग परस्पर एक दूजे की हलचल और दबाव का आभास कर सकते थे। मिस्टर शर्मा को अपने लिंग पर जय के लिंग की फड़कन सुनाई दे रही थी। वे इन्च दर इन्च अपने दैत्याकार लिंग को टीना जी के गरम, चिकने मलमार्ग में जोतने लगे।
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