RE: Vasna Story पापी परिवार की पापी वासना
“मम्मी, क्या तू मुझसे गाँड मरवाना चाहेगी ?”, किसी सर्प जैसे हुंकार कर जय ने माँ के समक्ष बेशर्मी से अपना अश्लील प्रस्ताव प्रस्तुत किया, और संकेतत्मक रूप में अपनी माँ के गुदा द्वार पर एक उंगली को दबाया।
अपने पृष्ठ द्वार पर अचानक दबाव और अप्रत्याशित आनन्द का अनुभव कर टीना जी चौंक गयीं और बिलबिला उठीं। गुदा-मैथुन सदैव से उनके सैक्स - अनुभवों के तरकश में एक विशिष्ट स्थान रखता था, और अपने नौजवान पुत्र के द्वारा उनके मलद्वार में उसका मोटा तगड़ा लिंग घुसेड़ दिये जाने की कल्पना भर से वे मारे प्रसन्नता के झूम उठीं। जय ने उनकी प्रतिक्रिया भांप ली तो और अधिक दबाया, अपनी उंगली टेढ़ी कर उसे सहजता से उनकी मक्खन सी चिकनी गुदा के भीतर उतार दिया। टीना जी उसके तन पर सिमट गयीं और उमड़ते आनन्द के प्रभाववश ऊंचे स्वर में कराहने लगीं।
“अहा! मेरी माँ को पसन्द आया, हैं ना मम्मी ?”, जय ने आह भरी। अपनी माँ की प्रतिक्रिया के उतावलेपन और ऊर्जा ने उसे विस्मित कर दिया था। सोलह आने सत्य वचन कहे थे जय ने, वो अति-उत्तेजित स्त्री अपने संकरे गुदा मार्ग में उसकी उंगली के आभास से अत्यंत संतोष पा रही थीं। उनके पुत्र ने उन्हें इस कदर उत्तेजित कर दिया कि उनकी सुलगती योनि मैथुन के लिये बेताब हो गयी थी।
“ऊ ऊहहह, जय! गाँड बाद में मार लेना !”, वे चीखीं, “पहले मेरी चूत का तो कुछ बन्दोबस्त कर! मेरे लाल, चोद मुझे ! इस काले मुस्टंडे साँप को, जिसे तू लन्ड बोलता है, माँ की चूत में पेल दे, मेरे लाल, और मुझे कस के चोद दे !”
जय जानता था कि मंगल वेला आ गयी है। उसकी माँ पागलों जैसे अपनी योनि को फुदकाती हुई उसके लिंग को जोरदार झटके देती जा रही थीं ... दुनिया और दीन से बेपरवाह होकर वे अपना सम्पूर्ण ध्यान को केवल अपनी भूखी और कभी तृप्त न होने वाली योनि द्वारा सैक्स क्रिया करने पर केंद्रित कर चुकी थीं।
“जैसी तेरी इच्छा, माँ! पाट दे जाँघे पट्टे दे वास्ते, लौन्डिया !”, जय ने आदेश दिया, और अपने लिंग को माता की छलकती योनि के द्वार पर साधा। “चौड़ी खोल दे अपनी चूत की खिड़की, आ रहा है तेरी कोख का लाल अपना दनादन लन्ड लिये, मम्मी। आज तो दिल खोल के तेरा बेटा तेरी चूत को चोदेगा, जिससे तूने उसे जना था! साली रन्डी मम्मी, तेरी चूत को चोद - चोद कर गर्मी नहीं निकाली, तो नाम नहीं जय !”
टीना जी मारे आनन्द के बिलबिलायीं, और अपने एक हाथ को नीचे लेजाकर अपनी योनि के द्वार को पाट दिया। दूसरे हाथ में पुत्र के विकराल और खौफ़नाक तरह से फूल चुके लिंगस्तम्भ को लेकर, ना आव देखा, ना ताव, ढूंस दिया अपनी गरम-गरम रिसती योनि में !
जैसे उसका लिंग भीतर प्रविष्ट हुआ, जय ने आगे को ठेला, और एक ही बलशाली झटके समेत , उसे जाहिलों जैसे पेल दिया माँ की कस कर खिंची हुए योनि-छिद्र में ::. उसके अण्डकोष थप्प' के जोरदार स्वर से टीना जी के तन पर जा टकराये।
“ऊ ऊहह हे मादरचोद! क्या लन्ड पाया है जय!” , टीना जी चीखीं, कितना लम्बा ... कितना तगड़ा! ओहह, डार्लिंग! ::: कितना बड़ा है तेरा पहलवान लन्ड! मुस्टंडा मेरी कोख में घुस गया है! ओह साले! शाबाश जय! :::: माँ को चोद !!” ।
“श्श्श : भगवान के लिये मम्मी! इतना जोर से मत चीख !”, जय ने आह भरी, “पूरा मादरचोद मोहल्ला जान जायेगा कि कोई रन्डी चुद रही है!”
टीना जी ने बात अनसुनी कर दी, वे तो पूरी तरह से अपने पुत्र के विलक्षण लिंगोभार को यथासंभव अपनी योनि में ठूस लेने में तल्लीन थीं। उनकी योनि की मासपेशियाँ जय के दीर्घाकार और धड़कते लिंग पर अपना शिकंजा जमाये हुए थीं, बड़ी पुखतगी से उसे अपनी पाश्विक गिरफ़्त में दबोचे हुए थीं। । “माँ के बड़वे , गाँड उचका !”, टीना जी ने ऐड़ दी, “ऊह, येह बात मर्दो वाली! अब ऐसे ही उचका उचका के चोद! चोद मम्मी की गरम चूत, रन्डी वाली चूत है ये, तू ठीक से नहीं चोदेगा तो मोहल्ले के मर्द चोदेंगे! चोद! ऊहहहह अंहहह! भोंसड़चोद, लगा अपने टट्टों का जोर, नहीं तो सड़क पर चुदवाऊंगी !”
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