RE: Vasna Story पापी परिवार की पापी वासना
जय ने कोहनी का बिस्तर पर सहारा लेकर अपने बदन को ऊपर उठाया और अपने कूल्हे उचका दिये, फिर माँ की मांद में अपने लिंग को आगे और पीछे ठेलता हूअ, लम्बे, दमदार झटकों के साथ पाप संभोग करने लगा। टीना जी ने सर उठाया और उनकी पसीने से सनी देहों के बीच झांककर, बड़ी उतावली से अपने पुत्र के पौरुषयुक्त लिंग को उत्कृष्टता से उनकी योनि के भीतर फिसलते हुए देखा। जय ने माँ को ऐसा करते देखा और उनके नम माथे को चूम लिया।
“मम्मी, देखें कैसे मेरा मोटा-मोटा लन्ड तेरी झांटेदार चूत को चोद रहा है, देख रही है मम्मी ???, उसने पूछा। टीना जी की आँखें फटी की फटी रह गैई, उनकी निगाहें पुत्र के काले-काले और मोटी-मोटी हरे रंग की नसों वाले लिंग को अपनी टपकती योनि में प्रहार करते देख रही थीं। जैसे जय ने आगे को झटका दिया, उन्होंने अपने हाथों को उसके कंधों पर सहारे के लिये रखा, फिर भी जय के बलशाली ठेले के कारण उनका सर बिस्तर के सिरहाने टकराने लगा।
“ठीक है, ठीक है, लवड़े की मोटाई दिखाना अपने बाप को! साला कुतिया की औलाद लन्ड काला-काला तो है, पर कुछ दमखम भी है या, मुठ मार मार के अब सिरफ़ पेशाब ही निकालता है ?” मिसेज शर्मा ने व्यंग्य बाण फेंका।
“देख रन्डी, भड़का मत मुझे !”, जय ने हंकार कर कहा। “देसी माँ के देसी दूध को पी-पी कर मेरा देसी लन्ड मोटा-तगड़ा हुआ है, और मेरे टट्टे भी कम मादरचोद नहीं, साले रात भर वीर्य बना रहे थे। कि बेटा सुबह उठकर माँ को चोदना है ना। एक बार तेरे पाँव भारी कर दिये, फिर नौ महीने तेरी चुदने की छुट्टी! देख हरामजादी, देख अपने बेटे के चोदते लन्ड को !” ।
उसकी माँ का पेड़ उसपर ऊपर नीचे फुदक रहा था, और उसके चमचमाते काले लिंग को यथासंभव गहरा खींचे चले जा रहा था। अन्दर ठेलता हुआ जय अपने कूल्हों को घुमा-घुमा कर बलखा रहा था, और अपने पेड़ को पटक-पटक कर उनके अकड़े और धड़कते हुए चोंचले पर मसले जा रहा था।
“ओहहह, जय! मादरचोद, कितना बदमाश हो गया है! साले, पता नहीं तेरी मम्मी तेरी बातें सुनकर कितनी गर्मा रही है! :::
नजर न लगे मेरे लाल के चिकने लन्ड को, क्या लौड़ा है, भगवान !”, वे चीखीं, “हाँ बेटा लगे रह! चोद मुझे! तेरी कुतिया माँ की चूत में आग लगी है आग! अब बस तू ही इसे बुझा सकता है! साले तू नहीं होता, तो कबकी कोठे पर जाकर बैठ गयी होती! तेरा हरामी बाप तो साला सिरफ़ जवान लड़कियों में दिलचस्पी लेता है! मेरे लाल, चोद! चोद मेरे देसी मादरचोद !” | हाँफ़ते उन्माद से, वे अपने नितम्बों और और अधिक गती से उचकाती गयीं, वे जय के बलवान लिंग प्रहारों का कन्ढे से कन्ढा मिला कर मुक़ाबला कर रही थीं। उनका पुत्र किसी उपजाऊ बैल के जैसा सैक्स क्रीड़ा कर रहा था, और टीना जी उसका यथासंभव आनन्द उठाना चाहती थीं ::: हमेशा, हमेशा के लिये! जय ने अपने हाथों को उनकी सनसनाती त्वचा पर फेर रहा था, और उनके खरबूजों जैसे, झूलते स्तनों और मक्खन सी चिकनी जाँघों को दबाता जा रहा था। माँ को संतुष्ट करने के लिये ऐसा उतावला हुए जाता था कि जय किसी छोटे राक्षस जैसा माँ के संग प्रणय लीला कर रहा था। वो अपने दोनो हाथों में उनके तने हुए नितम्बों पर दबोच कर, उनकी भूखी योनि को अपने धड़कते हुए, नौ इन्ची लिंग से भरे जा रहा था।
“दे मार मेरे अन्दर, डार्लिंग ::: झड़ा अपनी माँ को! दम लगा के चोद मुझे बेटा ::: समझ तेरी माँ तेरे घर की भंगिन है, चोद साले जैसे भंगिन कमलाबाई को चोदता है! अहहहह, और अन्दर! तेरे बाप से भी गहरा !” ।
जय माँ को देह-तृप्ति की भिक्षा मांगते सुनकर बड़ा प्रसन्न हुआ। जब उसकी माता उसके कान में निर्लज्जता से गन्दे - गन्दे उद्गार कह कर उकसातीं, तो उसे लगता था कि लिंग ने अतिरिक्त दीर्घता प्राप्त कर ली हो। जय का वीर्य से लबालब अण्डकोष थपथपाता हुआ टीना जी की गुदा के मध्य स्थित दरार पर टकराये जा रहा था, उधर उनकी योनि की सिकोड़ती माँसपेशियाँ उसके ताबड़तोड़ लिंग को कस के जकड़े हुए थीं। हर बार जब वो उसे बाहर खींचता, लगता था जैसे उसका लिंग उखड़ कर तन से अलग हो जायेगा। जय दो इन्च आगे को खिसका, और लिंग के योनि में प्रविष्टि के कोण को बदल कर, अपना लिंग इतना गहरा घोंप डाला, कि टीना जी को कभी कभी ऐसा लगता कि सुपाड़ा उनके गर्भाशय के मुख में घुस रहा है!
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