RE: Vasna Story पापी परिवार की पापी वासना
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जैसे ही दोनो फ़ार्महाउस के भीतर दाखिल हुए, राज ने टीना जी को अपनी बाँहों में भरा और तन्मयता से उनका चुम्बन लेने लगा। टीना जी उसके नौजवान बदन की कैद में सिमट कर जैसे पिघलने लगीं, और अपने बिकीनी की जाँघिया से ढके पेड़ को उसके वज्र से कठोर लिंग के उभार पर बेशर्मी से मसलने लगीं। राज उनके पुत्र जैसा ही था, जवान और कामेच्छुक। उसमें एक अद्भुत आकर्षण था जो उन्हें उसके संग सैक्स क्रीड़ा करने पर मजबूर किये दे रहा था!
उन्हें इस बात की तनिक भी चिंता नहीं थी कि उनके पतिदेव बाहर मौजूद थे। शर्मा कुटुम्ब के बीच नवस्थापित यौन -स्वातंत्र्य ने समाज के रूढ़ीवादी नियमों को दरकिनार कर दिया था। वैसे भी, मिस्टर शर्मा स्विमिंग पूल में जवान डॉली पर कुछ ज्यादा ही मेहरबान हो रहे थे, टीना जी विश्वास से कह सकती थीं कि उनके कामातुर पतिदेव उस क्षण राज की जुड़वाँ बहन के साथ ऐसे ही रंगरेलियाँ मना रहे होंगे। और अपने पुत्र की काम प्रवृतियों का स्वयं अनुभव कर लेने के बाद उतने ही विश्वास के साथ कह सकती थीं कि राज की माँ और जय जैकूजी में सिर्फ स्नान करने के वास्ते नहीं गये थे।
उन्हें तो संशय था कि सब किया धरा सोनिया का ही था, पर जैसे-जैसे राज के हाथ दृढ़तापूर्वक उनके अंग-अंग पर घूमने लगे, टीना जी अन्य विचार त्याग कर अपना पूरा ध्यान केवल अपनी वासना भरी अनुभूतियों और अपनी भीगी योनि के भीतर उठती तीक्षण टीस पर केन्द्रित लगीं।
“राज !”, नाटकीय शैली में चिंता व्यक्त करती हुई वे बोलीं, “क्या इसका मतलब है कि तुम मुझे चाय-नमकीन परोसने में मदद नहीं करोगे, बेटा ?”
“ओहहह, टीना आँटी! चाय-नमकीन को छोड़िये! इस वक़्त तो मुझे आप ऐसी नमकीन लग रही हैं, कि मेरा दिल तो आपसे ही भर जायेगा !”
“म्म्म्म! बेटा नमकीन पसन्द है तो जरा इसका स्वाद भी चख कर देखना !”, टीना जी खिलखिलायीं, और नीचे की ओर संकेत करके अपने भीगे पेड़ को किशोर राज की आतुरता से सहलाती उंगलियों पर रगड़ने लगीं।
आपको शिकायत का मौक़ा नहीं दूंगा। बस देखते जाईये!”, वो मुस्कुराया। ऐसा कह कर, राज ने टीना जी को अपनी बाँहों में भर कर उठा लिया और उस रूपमती स्त्री को आत्मीयता से चूमता हुआ बैठक में उठा लाया। उसने सावधानीपूर्वक उन्हें सोफ़े पर लेटा दिया, और लपक कर अपना स्विमिंग टूक उतार निकाला। अपने जवान तन्दुरुस्त लिंग की प्रथम झलक पाकर टीना जी की फटी रह गयी आँखों को देखकर राज मुस्कुराने लगा।
उहहह हे भगवान राज ! तू तो राक्षस है! कटुवे लन्ड वाला राक्षस !”, टीना जी ने आह भरी, वे हड़बड़ाती हई अपनी बिकीनी के टॉप के हक को खोलने की चेष्टा कर रही थीं।
जैसे उनके स्तन विमुक्त होकर कूद कर बाहर निकले, राज कराहा और अपने सर को टीना जी के सुविकसित और परिपक्व स्तनों पर झुकाया, फिर भूखों की तरह उनके निप्पलों को अपने मुँह के भीतर चूसने लगा। ।
“ओहाहह, शाबाश बेटा! डार्लिंग, मेरे मम्मों को चूस! शिशु की तरह इन्हें चूस बेटा, अपनी माँ के मम्मों जैसा ही समझ ! जैसी रजनी के मम्मों से चूस चूस कर दूध पीया था, मेरे थनों को भी चूस !” ।
राज ने शीघ्रतापूर्वक आदेश का पालन किया, एक-एक करके लड़के के आतुर मुँह ने उनके अति - संवेदनशील निप्पलों को स्तनपान की रीति में चूसा, तो टीना जी मातृट्व बोध के मारे ऊंचे स्वर में अभूतपूर्व आनन्द का अनुभव करती हुई कराह पड़ीं। बड़ा मर्मस्पर्शी दृष्य था, राज किसी मासूम शिसु की तरह प्रेमपूर्वक उनके भरे-पूरे स्तनों का पान करता हुआ जैसे बलवर्धक दूध का संचय कर रहा हो। टीना जी भी अपने स्तनपान के दिनों को स्मरण कर के ममता से ओतप्रोत होकर तृप्ति प्राप्त कर रही थीं।
किशोर राज के होंठ उनके स्तनों से जुदा होकर जब नीचे की ओर बढ़े, तो टीना जी हलके से चीख उठीं। राज ने उनके नग्न पेट पर गरम और भीगे चुम्बनों की बरसात कर दी, जिससे उनकी योनि में कामोपेक्षा के अनेक बुलबुले फूटने लगे।
टीना जी अब अधिक समय धीरज नहीं धर सकती थीं। उन्होंने अपने अंगूठों को अपनी बिकीनी की जाँघिया के इलास्टिक में अटकाया और उन्हें नीचे खींच लिया। फिर अपेक्षापूर्वक भाव से अपने होठों पर जिह्वा को फेरते हुए, टीना जी आराम से लेटीं और अपनी मलाई सी चिकनी जाँघों को चौड़ा पाट दिया, जिससे उनकी रोमयुक्त योनि की खुली कोपलें राज की भूखी निगाहों के समक्ष अनावृत हो गयी।
ले खा नमकीन बेटा!”, वे फुकार कर बोलीं, और किशोर राज के सर को अपनी जाँघों के बीच खींच दिया। राज ने अपने पूरे मुंह को टीना जी की खुली, भीगी योनि पर दबा डाला और सुड़प - सुड़प कर चूसने लगा। टीना जी की योनि का स्वाद उसकी माँ जैसा ही कुछ था! अपनी माँ की योनि के स्वाद को चख कर राज की कामेन्द्रियाँ सदैव ही उदिक्त हो उठती थीं। उसका उतावला युवा लिंग शीघ्र ही कठोर होने लगा और फूल कर दैत्याकार का हो गया।
“ऊ ऊ ऊह, बहुत बढ़िया! चूस ले, राज !”, टीना जी हाँफ़ कर बोलीं, और अपने नितम्बों को सोफ़े से ऊपर उचकाने लगीं। उनकी खुला हुआ योनि-द्वार लड़के के चूसते मुख पर कस के चिपटा हुआ था, परन्तु टीना जी और अधिक घर्षण के लिये तड़प रही थीं।
दोनो हाथों में उनके नग्न नितम्बों को दबोचे हुए राज अपने मुँह को टीना जी की चौड़ी खुली हुई योनि में और गहरा गाड़ता जा रहा था। वे हर्ष के मारे कराहीं, और अपनी रिसती योनि को राज के चूसते मुख पर मसलने लगीं। राज भी अपने मुख को उनकी योनि के कोमल और नम माँस पर रगड़ता रहा। राज की सुलगती जिह्वा लपक लपक कर टटोल रही थी, और बार-बार टीना जी के चोंचले पर चाबुक से वार कर रही थी। टीना जी आह्लाद के मारे अपने नितम्बों को आगे और पीछे फटकती जा रही थीं। । “अंदर घुसा !”, टीना जी बिलबिलायीं। “मेरे अंदर डाल अपनी जीभ ! ::: मेरी चूत को अपनी जीभ से चोद, बेटा !”
राज ने अपना मुंह खोला, और अपनी जिह्वा को टीना जी की कुलबुलाती योनि में गहरा घोंप डाला। अपने पंजों से टीना जी के छरहरे चिकने नितम्बों को जकड़े हुए, वो उनके प्रचुरता से प्रवाहित होते योनि -दवों को ‘सड़प्प - चपड़ कर के चाटता जा रहा था। टीना जी मारे उन्माद के बिलबिलायीं और अपने नितम्बों को झटकने लगीं। वे इधर से उधर अपने बदन को ऐंठ- ऐंठ कर रगड़ाव कर रही थीं, और अपनी योनि से बहती तरलता को राज के आतुर युवा मुंह पर चुपड़े जा रही थीं। उन्होंने नीचे, अपने झूलते स्तनों के बीच राज के चेहरे को देखा, उनके योनि - रोमों के ऊपर केवल उसकी आँखें ही दीख रही थीं। टीना जी को अपनी योनि के भीतर किशोर राज की लम्बी और कड़ी जिह्वा बड़ी मनोरम प्रतीत हो रही थी। खासकर जीस तरह से वो उनके योनि द्वार की सम्पूर्ण लम्बाई को चाटता था, और फिर होठों से चूसता हुआ अपनी जिह्वा को उनकी कसमसाती योनि के भीतर गहरा घोंप डलता था।
“चाट मेरी चूत' ऊ ऊहह, चाट मादरचोद !”, वे बिलबिलायीं। “मेरी चूत को चूस, राज !’ उ ऊह, बेटा! :.. चूस मेरी चूत ! ::' चुद मुझे अपनी जीभ से ! ::' म्म्म्म्म्म्म , चूस, चूस इसे, चूस ! ::अपने चूत चाटते मुँह में मुझे झड़ा !” टीना जी अपने पतिदेव और पुत्र को पूऋनतय भुला चुकी थीं, उन्हें फ़िक्र थी तो सिर्फ अपनी क्षुधा-पीड़ित योनि के भीतर इस लड़के के सुखदायक मुख और जिह्वा की।
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