Antarvasnax Incest खूनी रिश्तों में चुदाई का नशा
09-05-2020, 02:00 PM,
#94
RE: Antarvasnax Incest खूनी रिश्तों में चुदाई का नशा
इस अचानक पैदा होने वाले हालात ने हमें शाहजी के प्लान पर काम करने का मौका ही नही दिया. दूसरे दिन हम लोग सफ्दर अंकल के यहाँ गए और दोनो भाई का रिश्ता पक्का करके आ गये. दो दिन के बाद ही दोनो की एंगेज्मेंट कर के एक महीने के बाद ही दोनो भाईजान की शादी की तारीख पक्की कर दी गई. इसी दरमियाँ नजमा के लिए सफ्दर अंकल के बताए हुए लड़के को नजमा के लिए पसंद कर लिया
गया और यह प्रोग्राम बना कि भाइयों की शादी और नजमा का एंगेज्मेंट साथ साथ होगा और नजमा के एंग़जमेंट के तीन महीने बाद भाईजान
के यूएसए जाने से पहले ही नजमा की शादी भी कर दी जाएगी. नजमा के होने वाले शौहर का नाम कमाल अहमद सिद्दीक़ी था.

दो हफ्ते बाद यह हंगामा ठंडा हुआ तो शादी की तैयारी का सिलसिला शुरू हो गाया और मम्मी ने शाहजी को दूसरे दिन आने के लिए कहा ताकि वो शादी की रस्मों मे मेहमानो के लिए खाने पीने के पूरे समान को लिखवा दें. मौका बहुत अच्छा था नजमा ने उसी रात को कबीर और सबा के साथ नानी जान के यहाँ जाने की इजाज़त ले-ली.

दूसरे दिन पापा और भाईजान दुकान जाते हुए नजमा, कबीर और सबा को अपने साथ ही ले गये ताकि वो तीनो को ननिजान के घर छोड़ते हुए दुकान जाएँ , और पापा ने नजमा को यह भी कह दिया कि शाम को दुकान से वापस आते हुए तीनो को वापस भी ले आएँ गे. सब के जाने के बाद मम्मी ने मुझे शाहजी को बुलाने के लिए भेजा. मैने शाहजी के पास जा कर उसे खुशख़बरी सुनाई कि आज वो मौका आख़िर
आही गया है जिस के लिए बेसब्री से इंतज़ार कर रहे थे. शाहजी यह खबर सुन कर खुशी से उछल पड़ा फिर सारे प्लान को एक बार फिर मुझे समझाया. मैं ने मम्मी को बताया कि शाहजी अपनी दुकान बंद करके एक घंटे मे आजाएगा. फिर मैं बड़ी बेताबी के साथ शाहजी के आने का इंतज़ार करने लगा….

कॉलिंग बेल की आवाज़ सुनते ही मैं एकदम उछल पड़ा और समझ गया कि शाहजी आ गया है, शाहजी को खबर कर के जब से मैं घर वापस आया था उसी वक़्त से मैं ख़यालों की दुनिया मे डूबा हुआ अपने तसव्वर मे मम्मी और शाहजी की चुदाई देख देख कर अपने बिस्तर मे चादर के अंदर अपने जज़्बात से बेक़ाबू हुए लंड को सहला रहा था, मम्मी की चुदाई देखने के ख्याल ने मुझ पर एक नशा सा तरी कर रखा था, मेरा मुँह बार बार खुश्क हो रहा था. घंटी बजते ही मैं बिजली की तरह बिस्तर से उतर कर भागता हुआ अपने कमरे से निकला, मम्मी अपने कमरे मे थी और वो वही से आवाज़ लगा कर मुझे जा कर देखने को कह रही थी के मैं जा कर देखूं कि कौन आया है. मैं बाहर वाले दरवाज़े की तरफ जाता हुआ मम्मी को जवाब दिया, “जा रहा हूँ यह शाहजी ही आया होगा.” मैने दरवाज़ा खोला तो मेरा अंदाज़ा ठीक निकला, वो शाहजी ही था. शाहजी अंदर आते हुए मेरी तरफ देख कर हल्की आवाज़ मे पूछा, “तुझे सब कुछ याद है कि क्या करना है.”

मैं जवाब मे सिर्फ़ सर हिला दिया और शाहजी के कपड़ों से आने वाली खुश्बू से सॉफ मालूम हो रहा था कि शाहजी आज परफ्यूम भी लगा कर आया है. मैं उसे लेजा कर ड्रॉयिंग रूम मे बैठाया और मम्मी के कमरे मे गया तो देखा कि मम्मी ने अपने सुबह के कपड़े बदल कर एक नया और खूबसूरत सूट पहन लिया था और वो ड्रेसिंग टेबल के सामने खड़ी होकर चेहरे पर क्रीम लगा रहीं थी. उनका पिछला हिस्सा दरवाज़े की तरफ था इसलिए वो मुझे देख नही सकती थी, मैं उनकी पतली कमर और खूबसूरत चुतड़ों को देख कर दिल ही दिल मे सोच रहा था कि आज शाहजी मम्मी को उल्टा लेटा कर और उनके चुतड़ों को चीर कर अपना लंड उनकी गान्ड और चूत मे घुसा कर उन्हें खूब ज़बरदस्त
तरीक़े से चोदेगा, यह सब कुछ सोचते हुए मम्मी को बताया कि शाहजी आ गया है और वो ड्रॉयिंग रूम मे बैठा आप का इंतज़ार कर रहा है, जवाब मे मम्मी ने मेरी तरफ देखे बगैर कहा, “तुम जा कर शाहजी के पास बैठो मैं अभी समान की लिस्ट ले कर आती हूँ.” मैं खामोशी से जा
कर शाहजी के बराबर बैठ गया और इशारे ही इशारे मे उसे बताया कि मम्मी आ रही हैं. 2/3 मिनिट मे मम्मी आ कर शाहजी के सामने वाले सोफे पर बैठ कर बोलने लगी.

“शाहजी तुम्हें तो मालूम ही है कि दो दो शादियाँ और एक मँगनी है और अब सिर्फ़ 15 दिन ही बाक़ी हैं, अगले हफ्ते से ही तमाम रस्मों का
सिलसिला शुरू हो जाएगा. इसलिए लिस्ट का पूरा समान कल तक ज़रूर भेजवा देना ताकि मेहमानो के लिए किसी चीज़ की कमी ना हो.”

“आप बिल्कुल फ़िक्र मत करें पूरा समान कल आप के घर पहुँच जाएगा. मुझे अंदाज़ा था कि आप को कितना और क्या क्या समान चाहिए, इसी लिए मैने उन तमाम समान की लिस्ट बना ली है जो या तो मेरे पास कम है या नही है, आज मेरी तबीयत कुछ ठीक नही है इसलिए मैं खुद जाने की बजाए शहाब को यह लिस्ट दे कर जोड़िया बाज़ार अपने सप्लाइयर के पास भेजना चाहता हूँ ताकि वो कल सुबह ही सब
समान मेरी दुकान पर भेजदे और समान आते ही मैं आप के घर भिजवा दूं.” शाहजी ये कह कर मम्मी का जवाब सूने बगैर मेरी तरफ देख कर मुझ से कहने लगा, “शहाब अगर तुम मेरा यह काम करदो तो मेहरबानी, मैं तुम्हें आने जाने का भाड़ा और साथ ही फिल्म देखने के लिए 20 रुपये भी दूँगा.”

मैने मम्मी को बोलने का मौका दिए बगैर जल्दी से बोला, “शाहजी मामूली काम है ज़रूर कर दूँगा मगर मुझे उसका अड्रेस नही मालूम है.”

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