MmsBee कोई तो रोक लो
09-09-2020, 12:14 PM,
#14
RE: MmsBee कोई तो रोक लो
घर आने के बाद मैं सीधे अम्मी निम्मी की पास चला गया. वो दोनो छोटी माँ के पास खेल रही थी. ये मेरी आदत थी कि, घर से आते जाते, जब तक एक बार मैं उनको देख नही लेता था, मुझे चैन नही मिलता था. मुझे वापस आया देख कर छोटी माँ ने मुझसे पुछा.

छोटी माँ बोली “तुम लोगों ने वापस आने मे बहुत देर लगा दी.”

मैं बोला “छोटी माँ, वो क्या है कि, कीर्ति को बहुत भूक लगी थी और वो वही पर कुछ खाने की ज़िद करने लगी तो, हम लोग रेस्टौरेंट मे खाना खाने लगे थे.”

मेरी बात सुनकर छोटी माँ के चेहरे पर मुस्कुराहट आ गयी और उन्हो ने कीर्ति से कहा.

छोटी माँ बोली “ये तो बहुत अच्छी बात है बेटी. इसी बहाने इसने घर से बाहर खाना तो खाया. वरना ये बाहर कुछ भी नही ख़ाता.”

कीर्ति बोली “आप चिंता मत कीजिए मौसी. ये कुछ दिन यहाँ रहेगा तो और भी बहुत कुछ सीख जाएगा.”

छोटी माँ बोली “ठीक है, अब जब अगली बार आएगा तो सिखा देना. अब तू जा और दीदी को बोल कि, तुम लोग वापस आ गये हो.”

कीर्ति बोली “वो तो मैने आते ही बता दिया है मौसी. लेकिन मम्मी बोल रही है कि, आप अभी ही जा रही है.”

छोटी माँ बोली “जाना तो कल ही था, पर दीदी ने रोक लिया तो रुकना पड़ गया. मगर अब रुक पाना मुस्किल है. तेरे मौसा जी भी घर मे अकेले है और फिर पुन्नू और अमि की पढ़ाई का नुकसान भी तो हो रहा है.”

कीर्ति बोली “लेकिन मौसी आप तो कह रही थी कि, मेरे स्कूल का प्रॉजेक्ट बनाने मे, पुन्नू मेरी मदद कर देगा और अब आप लोग जा रहे है. अब यदि पुन्नू चला जाएगा तो, मेरा प्रॉजेक्ट कैसे बनेगा मौसी.”

कीर्ति की बात सुनकर, छोटी माँ को, सुबह कीर्ति से कही गयी, अपनी बात याद आ गयी. लेकिन वो तो खुद मेरी वजह से घर वापस जा रही थी. ऐसे मे वो मुझे वहाँ रुकने के लिए कैसे कह सकती थी.

उन्हे समझ नही आ रहा था कि, वो अब कीर्ति को क्या जबाब दें. वो सवालिया नज़रों से मेरी तरफ देखने लगी. जैसे पूछ रही हो कि, अब क्या किया जाए. मैने उन्हे इस दुविधा मे पड़ा देखा तो, उनको इस दुविधा से बाहर निकालते हुए कहा.

मैं बोला “छोटी माँ, यदि अमि, निमी यहाँ नही रही तो, फिर मैं भी यहाँ नही रुकुंगा.”

मेरी इस बात का मतलब छोटी माँ के सिवा कोई नही समझ पाया. सबको यही लगा कि, मैं अमि निमी के बिना वहाँ रहना नही चाहता. जबकि मैने छोटी माँ को, अपने वही रुकने की सहमति दी थी. मेरी बात का मतलब समझते ही, छोटी माँ मुस्कुरा दी और उन्हो ने कीर्ति से कहा.

छोटी माँ बोली “जा और अपने मौसा जी को फोन लगा कर बोल दे कि, हम लोग आज भी यही रुकेगे.”

छोटी माँ की बात सुनकर कीर्ति खुशी खुशी फोन करने चली गयी और मैं कमल के कमरे मे आ गया. कमल उस समय अपने कमरे मे नही था. शायद वो बाहर गया हुआ था.

मैं जाकर लेट गया और फिर थोड़ी देर बाद मेरी नींद लग गयी. ना जाने कितनी देर तक मैं सोता रहा. फिर कीर्ति ने आकर मुझे जगाया तो मेरी नींद खुली. उसने मुझे जागते हुए कहा.

कीर्ति बोली “शाम के 5 बज गये है, अब उठ भी जाओ. ऐसे ही सोते रहोगे तो, मेरा प्रॉजेक्ट तैयार करने मे मेरी मदद कब करोगे.”

मैं बोला “तूने इतनी देर तक मुझे सोने ही क्यो दिया, पहले ही जगा देना था.”

कीर्ति बोली “मैं तो जगा देना चाहती थी. लेकिन मौसी ने कहा कि, उसने कभी घर से बाहर रात नही बिताई है. इसलिए उसे यहाँ रात को ठीक से नींद नही आई होगी. अब वो सोया है तो, उसे अपनी नींद पूरी कर लेने दो. अब भला मैं मौसी की बात को कैसे काट सकती थी.”

मैं बोला “चल कोई बात नही. तू अपने प्रॉजेक्ट का समान निकाल, तब तक मैं मूह हाथ धोकर आता हूँ.”

कीर्ति बोली “ठीक है, जल्दी आना.”

ये बोल कर वो चली गयी. उसके जाने के बाद मैं उठा और मूह हाथ धोने लगा. मूह हाथ धोने के बाद, मैं कीर्ति के कमरे मे जाने को हुआ, तभी अमि और निमी आ गयी. दोनो किसी बात पर लड़ रही थी. उनको लड़ते देख कर मैने उनसे पुछा.

मैं बोला “तुम दोनो लड़ क्यो रही हो.”

अमि बोली “भैया निमी ने अपनी डॉल तोड़ दी है और अब मेरी डॉल लेकर यहाँ भाग आई है.”

मैने निमी को देखा तो, वो अपने दोनो हाथ पीछे किए खड़ी थी. तभी कीर्ति भी आ गयी और दोनो की नाटक बाजी देखने लगी. मैने निमी को अपने पास बुलाया और उस से पुछा.

मैं बोला “छोटी, तूने दीदी की डॉल क्यो ले ली.”

मेरी बात के जबाब मे निमी बड़े ही हक़ से अपने हाथ की, डॉल दिखाती हुए कहने लगी.

निमी बोली “भैया दीदी झूठ बोल रही है. ये डॉल मेरी है.”

मैं बोला “छोटी, अच्छे बच्चे कभी झूठ नही बोलते. सच बताओ, ये दीदी की डॉल है ना.”

मेरी बात सुनकर, निमी ने अपना सर हिला कर हां कहा और फिर अपना सर झुका लिया. मैने प्यार से उसके सर पर हाथ फेरा और उसे समझाते हुए कहा.

मैं बोला “छोटी, मैं तुम्हे इस से भी अच्छी डॉल लाकर दूँगा. तुम दीदी की डॉल, दीदी को वापस कर दो.”

मेरी बात सुनकर निमी ने अपना चेहरा रुआंसा सा बना लिया. जैसे अभी ही रो पड़ेगी और फिर डॉल अमि को देने लगी. मगर अमि ने जब उसका रुआंसा चेहरा देखा तो, वो डॉल वापस लेते लेते रुक गयी और कहने लगी.
अमि बोली “मुझे नही चाहिए ये डॉल. अब ये तुम ही रख लो. भैया मुझे इस से अच्छी डॉल लाकर दे देगे.”

उसके मूह से ये सुनते ही निमी के चेहरे पर मुस्कुराहट आ गयी और उसने डॉल को अपने गले से लगा लिया. उसकी हरकत पर अमि ने मूह बनाते हुए मुझसे कहा.

अमि बोली “भैया मुझे अच्छा वाला वीडियो गेम चाहिए. जिसमे 1000 गेम हो. मैं वो गेम इस निमी को नही दूँगी.”

मैं बोला “ठीक है, मैं तुझे अच्छा वाला वीडियो गेम लाकर डुगा. अब तो खुश.”

मेरी बात सुनकर अमि खुश हो गयी. मगर निमी के चेहरे की मुस्कान गायब हो गयी. वो फ़ौरन मेरे पास आई और कहने लगी.

निमी बोली “भैया, मुझे भी वीडियो गेम चाहिए.”

निमी की ये हरकत देख, अब अमि को गुस्सा आने लगा. लेकिन उसके कुछ बोलने के पहले ही मैने बात को सभालते हुए कहा.

मैं बोला “मैं तुम दोनो को ही वीडियो गेम लाकर दूँगा और बेटू को एक सुंदर सी डॉल भी लाकर दूँगा. मगर ये सब तभी लाकर दूँगा. जब तुम दोनो आपस मे नही लड़ोगी.”

मेरी ये बात सुनते ही दोनो के चेहरे की मुस्कुराहट वापस आ गयी और दोनो ने एक दूसरे के कंधे पर हाथ रखते हुए, मुझसे कहा.

दोनो बोली “भैया, अब हम दोनो कभी नही लड़ेंगे. लेकिन आप हमें बहुत सारे गेम वाला वीडियो गेम लाकर देना.”

मैने प्यार से दोनो के सर पर हाथ फेरा और दोनो से कहा.

मैं बोला “ठीक है, अब तुम दोनो बाहर जाकर खेलो. मैं कीर्ति दीदी का काम करके आता हूँ.”

मेरी बात सुनते ही दोनो ने कमरे के बाहर की तरफ दौड़ लगा दी. उनकी ये हरकत देख कीर्ति मुस्कुरा रही थी. दोनो के चले जाने के बाद कीर्ति ने हंसते हुए मुझसे कहा.

कीर्ति बोली “अब मुझे समझ मे आया कि, तुम इन दोनो के बिना क्यो नही रह पाते हो.”

मैने बोला “हां, मेरी दोनो बहने इतनी प्यारी है कि, मैं कभी इनसे दूर नही रह पाता और जब इनके पास रहता हूँ तो, सब कुछ भूल जाता हूँ.”

कीर्ति बोली “हां वो तो मैं देख ही रही हूँ. जैसे अभी मेरा प्रॉजेक्ट भूल गये हो.”

मैं बोला “ओह्ह ये तो मैं सच मे भूल गया, चलो जल्दी चलो.”

कीर्ति बोली “चलो याद तो आया.”

इसके बाद मैं कीर्ति के साथ उसके रूम मे आ गया. उसने बैठने को बोला तो, मैं उसके बॅड पर बैठ गया और कीर्ति भी कुर्सी खींच कर मेरे सामने बैठ गयी.

मैं बोला “तू मुझे यहाँ प्रॉजेक्ट तैयार करने को लेकर आई है या बैठने के लिए लेकर आई है.”

कीर्ति बोली “ना ही मैं तुझे यहाँ प्रॉजेक्ट तैयार करने को लेकर आई हूँ और ना ही बैठने के लिए लेकर आई हूँ.”

मैं बोला “तो क्या तुझे प्रॉजेक्ट तैयार नही करना.”

कीर्ति बोली "वो तो मैने दिन मे तैयार कर लिया था.”

मैं बोला “तो फिर तू मुझे यहाँ क्यो लेकर आई है.”

कीर्ति बोली “दिन वाली अधूरी बात पूरी करने के लिए, अब हमें यहाँ कोई परेशान नही करेगा.”

ये कह कर वो मुस्कुराते हुए मेरी तरफ देखने लगी. लेकिन कीर्ति की इस बात ने मुझे एक अजीब ही परेशानी मे डाल दिया था. मुझे समझ नही आ रहा था कि, मैं उसे अपनी बात का कैसे यकीन दिलाऊ.
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RE: MmsBee कोई तो रोक लो - by desiaks - 09-09-2020, 12:14 PM
(कोई तो रोक लो) - by Kprkpr - 07-28-2023, 09:14 AM

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