MmsBee कोई तो रोक लो
09-09-2020, 12:22 PM,
#18
RE: MmsBee कोई तो रोक लो
18
फ्रेश होने के बाद मैं तैयार हुआ और फिर 7:30 बजे कमरे से बाहर आ गया. मैं कमरे से बाहर आया तो, मौसी मुझसे नाश्ता करने को कहने लगी. लेकिन तभी कीर्ति अपना प्रॉजेक्ट हाथ मे लेकर आ गयी और उसने मौसी से कहा.

कीर्ति बोली “मम्मी पुन्नू ने तैयार होने मे पहले ही देर कर दी है. अब यदि ये नाश्ता करने लगा तो मुझे भी देर हो जाएगी.”

मौसी बोली “अरे उसे नाश्ता कर लेने दे. थोड़ी देर हो जाने मे कुछ नही हो जाएगा.”

कीर्ति बोली “ये एक दिन नाश्ता नही करेगा तो चल जाएगा. लेकिन यदि मुझे देर हो गयी तो, मेरी सारी मेहनत बेकार हो जाएगी. मेरा प्रॉजेक्ट शामिल नही किया जाएगा. वैसे भी हमें वहाँ ज़्यादा देर नही लगनी हम जल्दी आ जाएगे.”

उसकी बात सुनकर, मौसी भी चुप हो गयी और मैं गौर से कीर्ति का चेहरा देखने लगा. उसने मेरी तरफ देखा और कहने लगी.

कीर्ति बोली “अब यहाँ खड़े खड़े मुझे ही देखते रहोगे या यहाँ से चलोगे भी, चलो जल्दी से स्कूटी निकालो, मुझे स्कूल के लिए देर हो रही है.”

कीर्ति की बात सुनकर, मैं बाहर आ गया. मैने स्कूटी बाहर निकाली, तब तक कीर्ति भी अपना प्रॉजेक्ट लिए आ गयी. उसने स्कूटी मे बैठते हुए कहा.

कीर्ति बोली “ज़रा आराम से चलाना, नही तो ये तेज हवा लगने से टूट जाएगा.”

मैं बोला “ठीक है.”

इतना बोल कर मैने स्कूटी आगे बढ़ा दी. कीर्ति की अभी की हरकत देख कर, अब मुझे कमल की बात सही लग रही थी. अब मुझे भी लग रहा था कि, कीर्ति मुझे जान बुझ कर परेशान कर रही है. इसी बात को सोचते हुए, मैने कीर्ति से कहा.

मैं बोला “यदि तुझे मेरे साथ ही स्कूल जाना था तो, तू मुझसे रात को ही बोल देती. मैं सुबह जल्दी उठ जाता.”

कीर्ति बोली “मुझे तेरे साथ आने का कोई शौक नही था. वो तो कमल आज अपना स्कूल मिस करना नही चाहता था, इसलिए मुझे तेरे साथ आना पड़ा. लेकिन यदि तुझे मेरे साथ आने मे परेशानी थी तो, घर पर ही बोल देता. मैं बेकार मे तुझे परेशान नही करती और टेक्सी मे स्कूल चली जाती.”

कीर्ति का ये सफेद झूठ सुनकर, मुझे हँसी आ रही थी. लेकिन मैने अपनी हँसी दबाते हुए उस से कहा.

मैं बोला “मुझे आने मे कोई परेशानी नही है. मैं तो सिर्फ़ इसलिए बोल रहा था, ताकि तुझे समय पर स्कूल पहुचा सकता.”

कीर्ति बोली “कोई बात नही, अभी भी हम समय पर ही स्कूल पहुच जाएगे. अब फालतू की बात बंद करो और चुप चाप गाड़ी चलाओ.”

उसका बिगड़ा हुआ मूड देख कर, मैं चुप चाप गाड़ी चलाने लगा. स्कूल पहुच कर मैने कीर्ति से पूछा.

मैं बोला “क्या मैं वापस जाउ.”

कीर्ति बोली “नही गाड़ी पार्क कर के मेरे साथ चलो.”

मैने स्कूटी पार्क की और फिर कीर्ति के साथ चल पड़ा. हम लोग एक हॉल मे पहुचे. वहाँ बहुत से लड़के लड़कियाँ अपने अपने प्रॉजेक्ट टेबले पर रखे, उसके सामने खड़े थे.

एक लड़की ने कीर्ति को देखा तो, उसने कीर्ति को अपने पास की टेबल पर आने का इशारा किया. कीर्ति ने अपनी सहेली से हेलो कहा और फिर अपना प्रॉजेक्ट टेबल पर रख कर उस पर अपने नाम की पर्ची चिपका दी और अपनी उस सहेली से बात करने लगी.

कीर्ति की सहेली देखने मे ना तो कीर्ति की तरह सुंदर थी और ना ही इतनी ज़्यादा आधुनिक थी. देखने मे वो बहुत सीधी सादी थी. शायद इसी सादगी की वजह से उसकी कीर्ति से दोस्ती हुई होगी. मुझे भी उसके बात करने का अच्छा लगा था.

कुछ देर बाद, उन लोगों के पास एक मेडम आई. जिनके पास उन लोगों ने अपना नाम और प्रॉजेक्ट नोट करवाया. फिर थोड़ी देर बाद कीर्ति ने मुझे चलने का इशारा किया और वो अपनी सहेली के साथ बाहर आ गयी. मैं भी उनके साथ साथ चलने लगा. कीर्ति ने अपनी सहेली से, मेरा परिचय करवाते हुए कहा.

कीर्ति बोली “नितिका ये मेरा कज़िन पुनीत है और पुनीत ये मेरी सबसे प्यारी सहेली नितिका है.”

मैने नितिका से हेलो कहा और उस से हाथ मिलाया. फिर वो दोनो अपने अपने प्रॉजेक्ट की बातें करने रही. उसके बाद कीर्ति ने मुझे गाड़ी निकालने को कहा तो, मैं गाड़ी निकालने लगा. तब तक कीर्ति भी नितिका को बाइ कह कर आ गयी.

इसके बाद हम दोनो घर के लिए निकल पड़े. कुछ दूर चलने पर कीर्ति ने एक मोबाइल शॉप मे गाड़ी रोकने को कहा तो, मैने मोबाइल शॉप के सामने गाड़ी रोक दी. उस मोबाइल शॉप से एक अच्छा सा मोबाइल और एक सिम खरीदने के बाद हम घर आ गये.

घर आकर कीर्ति सबको अपना नया मोबाइल दिखाती रही. इसी बीच मौसी ने सबके लिए खाना लगा दिया और सब खाना खाने लगे. खाना खाने के बाद सब बातें करने लगे. लेकिन मेरा सर दर्द कर रहा था और अब मैं आराम करना चाहता था. इसलिए मैं वहाँ से उठ कर कमल के कमरे मे आ गया.

मैं कमल के कमरे मे लेटा रहा. कमल घर आया तो, वो कमरे मे नही रुका और बाहर सबके साथ बातों मे लग गया. सब की बातें चलती रही और इसी मे 3 बज गये. फिर 3 बजे के बाद हम लोग वहाँ से घर के लिए निकल पड़े.

घर पहुच कर छोटी माँ ने कीर्ति को, उपर मेरे कमरे के पास वाले कमरे मे ठहरा दिया. कीर्ति ने अपने कमरे मे समान रखा और अमि निमी के कमरे मे चली गयी.

(यहाँ मैं ये बता देना ज़रूरी समझता हूँ कि, मेरा घर 2 मंज़िला है. जब मैं 9थ मे आया तो फर्स्ट फ्लोर पर बने 5 कमरो मे से एक कमरा मुझे दे दिया गया और एक कमरा अमि निमी को दे दिया गया. ताकि वो मेरी नज़रो के सामने ही रहे. एक कमरे मे स्टोर रूम बना दिया गया और बाकी के दो कमरे महमानो के लिए रखे गये. जिनमे से एक कमरा अभी कीर्ति को दिया गया था.)

मेरे सर मे दर्द था तो, मैं अपने कमरे मे आकर आराम करने लगा. मैं सोना चाहता था मगर नींद भी नही आ रही थी. जब बहुत देर तक मुझे ना तो नींद आई और ना ही मेरा सर दर्द कम हुआ. तो फिर मैं उठ कर छोटी माँ के पास चला गया.

छोटी माँ लेटी हुई थी और अमि निमी के साथ कीर्ति भी वही पर थी. मेरा उतरा हुआ चेहरा देख कर, छोटी माँ समझ गयी कि, मुझे कुछ तकलीफ़ है. उन्हों ने फ़ौरन उठते हुए कहा.

छोटी माँ बोली “क्या हुआ बेटा, तेरा चेहरा इतना उतरा हुआ क्यो है. तेरी तबीयत तो ठीक है ना.”

मैं बोला “छोटी माँ, तबीयत तो ठीक है. मगर सर मे बहुत ज़्यादा दर्द हो रहा है और सोने की कोशिश कर रहा हूँ तो, नींद भी नही आ रही है. क्या मैं आपके पास लेट जाउ.”

छोटी माँ बोली “आ मेरे पास आ, मैं तेरा सर दबा देती हूँ.”

मैं जाकर छोटी माँ की गोद मे सर रख कर लेट गया और छोटी माँ मेरा सर दबाने लगी. सर दबाते दबाते उन्हों ने कीर्ति से कहा.

छोटी माँ बोली “कीर्ति बेटा उस बॉक्स मे सर दर्द की गोली है, ज़रा उठा कर दे.”

कीर्ति ने छोटी माँ को सर दर्द की गोली दी और छोटी माँ ने वो गोली मुझे खिला दी. इसके बाद मैं फिर उनकी गोद मे सर रख कर लेट गया. लेकिन अब वो जैसे ही मेरा सर दबाने को हुई, तभी अमि निमी मेरे अगल बगल आ कर बैठ गयी और छोटी माँ से कहने लगी.

अमि निमी “मम्मी, भैया का सर हम दबाएगे.”

छोटी माँ बोली “नही तुम लोग इसे परेशान मत करो. अब तुम अपने कमरे मे जाकर खेलो और इसे आराम करने दो.”

लेकिन उन दोनो मे कोई भी मेरे पास से जाने को तैयार नही हुई. वो दोनो ज़िद करते हुए छोटी माँ से कहने लगी.

दोनो बोली “नही भैया हमारा है तो, सर भी हम ही दबाएगे.”

ऐसा कहकर दोनो ने मेरे सर से छोटी माँ का हाथ अलग किया और दोनो ने मेरा सर दबाना सुरू कर दिया. छोटी माँ जानती थी कि, उनसे बहस करना बेकार है. इसलिए उन्हों ने उन दोनो पर से अपना ध्यान हटाते हुए, मुझसे कहा.

छोटी माँ बोली “लगता है आज तूने सुबह से बिल्कुल चाय नही पी है. जिसकी वजह से तेरा सर दर्द करने लगा है. मैं अभी तेरे लिए चाय बना कर लाती हूँ.”

ऐसा कह कर वो चाय बनाने को उठने लगी तो, मैने उन्हे मना किया. मगर वो नही मानी और चाय बनाने चली गयी. अमि निमी दोनो अपने कोमल हाथों से सर दबा रही थी. जिससे मुझे बहुत सुकून मिल रहा था.

कीर्ति चुप चाप खड़ी खड़ी ये सब देख रही थी. कुछ देर तक वो चुप चाप खड़ी रही. लेकिन जब उस से नही रहा गया तो, उसने मुझसे कहा.

कीर्ति बोली “अगर चाय पीना तेरे लिए इतनी ही ज़रूरी थी तो, क्या तू घर पर नही बोल सकता था. हम लोग क्या तुझे एक कप चाय नही दे सकते थे.”

मैं अभी कीर्ति की इस बात का कोई जबाब दे पाता की, उस से पहले ही अमि ने कीर्ति को फटकार लगाते हुए कहा.

अमि बोली “दीदी बेकार मे झगड़ा मत करो. आप इतनी बड़ी हो गयी हो, मगर इतनी सी बात भी समझ मे नही आती कि, अभी भैया के सर मे दर्द है और वो अभी किसी बात का जबाब नही दे सकते.”

अब जब अमि बोली तो फिर भला निमी कहाँ पीछे रहने वाली थी. उसने अमि से भी दो कदम आगे बढ़ते हुए, कीर्ति से कहा.

निमी बोली “दीदी आप से, ये तो हुआ नही कि, लाओ मैं सर दबा देती हूँ या चाय ही बना देती हूँ. उल्टा लड़ने लगी हो. लड़ाकू कही की.”

अमि निमी की बातें सुनकर, मुझे तो हँसी आ रही थी. मगर मैं अपनी हँसी दबाए चुप चाप लेटा कीर्ति को देखने लगा. कीर्ति तो अमि निमी की बातें सुनकर सन्न रह गयी और हैरानी से उन्हे देखने लगी.

तभी छोटी माँ भी चाय लेकर आ गयी. शायद उन्हों ने भी अमि निमी की कुछ बातें सुन ली थी. इसलिए वो मुझे चाय देते हुए कीर्ति से पूछने लगी.

छोटी माँ बोली “क्या हुआ कीर्ति. ये दोनो तुझसे क्या बोल रही है.”

कीर्ति बोली “मौसी ये दो छिपकलियाँ तो गिरगिट की तरह रंग बदलती है. घर पर थी तो, सारे समय दीदी दीदी कह कर पीछे पड़ी रहती थी और इधर आते ही बड़ी भैया वाली हो गयी.”

ये कहते हुए, कीर्ति ने छोटी माँ को सारी बात बता दी. जिसे सुनकर छोटी माँ ने हंसते हुए, कीर्ति से कहा.

छोटी माँ बोली “क्या तूने घर पर कभी पौंनू को इनके सामने इस तरह कुछ कहा है.”

कीर्ति बोली “नही कभी नही.”

छोटी माँ बोली “तभी तुमको इनका ये रूप उधर देखने को नही मिला. वरना तुम इनका ये रूप उधर ही देख लेती.”

कीर्ति बोली “मौसी ये ग़लत बात है. मैं भी तो इनकी बहन हूँ ना.”

छोटी माँ बोली “तू क्यो इनकी बातों मे आती है. तू तो मेरी सबसे लाडली बेटी है.”

ये कहते हुए, छोटी माँ ने कीर्ति को अपने गले से लगा लिया. लेकिन जब अमि निमी ने ये नज़ारा देखा तो, वो कीर्ति को चिडाने के लिए मेरे गले से लग गयी. मगर अब कीर्ति भी कहाँ हार मानने वाली थी. वो भी अमि निमी के साथ बच्ची बन गयी और अमि निमी को दिखाते हुए, छोटी माँ से लिपट कर कहने लगी.

कीर्ति बोली “मैं तो अपनी प्यारी मौसी की, सबसे प्यारी बेटी हूँ.”

कीर्ति को इस तरह छिड़ाते देख कर, अमि तो चुप रह गयी. मगर निमी से ये सहन नही हुआ और फिर वो गुस्से मे, बिना कुछ सोचे समझे कीर्ति को उल्टा सीधा कहने लगी.

निमी बोली “बड़ी आई मौसी की सबसे प्यारी बेटी. अब आप अपनी प्यारी मौसी के साथ ही रहना. मुझसे, अमि दीदी से और भैया से दूर ही रहना. हमारे या भैया के कमरे मे भी मत आना. अपनी मौसी के कमरे मे ही रहना.”

निमी को जो जो समझ मे आया, वो कीर्ति से बोलती चली गयी. अब उसे कौन समझाता कि, अभी हम कीर्ति की मौसी के कमरे मे ही है. मैं बस ये सोच रहा था कि कहीं कीर्ति भी इस बात को ना पकड़ ले और बिल्कुल ऐसा ही हुआ. कीर्ति ने निमी की इसी बात का फ़ायदा उठाया और उसको चिड़ाते हुए कहने लगी.

कीर्ति बोली “हां मैं तुम्हारे और तुम्हारे भैया के कमरे मे बिल्कुल नही आउन्गी. लेकिन तुम लोग तो अभी मेरी मौसी के कमरे मे हो. यदि तुम लोग मेरी मौसी के कमरे मे रह सकते हो तो, फिर मैं भी तुम्हारे और तुम्हारे भैया के कमरे मे जा सकती हूँ. हिसाब बराबर रहना चाहिए.”

कीर्ति की बात सुनकर, निमी का ध्यान जब इस बात की तरफ आया तो, वो फ़ौरन उठ कर खड़ी हो गयी और अमि को भी खड़ा करने के बाद मुझसे भी उठने के लिए बोलने लगी. मैं उसके ऐसा करने का मतलब समझ तो गया था. लेकिन फिर भी मैने उस से पुछा.

मैं बोला “क्या हुआ.”

निमी बोली “अब हम इस कमरे मे बिल्कुल नही आएगे. ये दीदी की मौसी का कमरा है. हम अपने कमरे मे चलेगे.”

मैं बोला “पर ये तुम्हारी मम्मी का कमरा भी तो है और कीर्ति तुम्हारी दीदी है. उसकी बात का बुरा नही मानते.”

निमी बोली “नही अब ये दीदी की मौसी का कमरा है क्योकि मम्मी ने खुद ही कहा की, दीदी उनकी सबसे प्यारी बेटी है. इसलिए जब तक दीदी यहाँ है. हम मे से कोई भी इस कमरे मे नही आएगा और यदि कोई आया तो मैं उस से कट्टी कर लुगी.”

निमी की इस बात पर मैने उसको समझाते हुए कहा.

मैं बोला “कीर्ति तुम्हारी दीदी है उसे माफ़ कर दो.”

निमी भी मेरी बात को सोचने लगी और फिर कुछ देर सोचने के बाद कहने लगी.

निमी बोली “माफ़ कर दूँगी मगर पहले दीदी से बोलो सॉरी बोले.”

कीर्ति को शायद ये सब बहुत अच्छा लग रहा था. उसने निमी को तंग करते हुए हुए कहा.

कीर्ति बोली “मैं क्यो सॉरी बोलूं. तुम और तुम्हारे भैया मुझे सॉरी बोलो तो, मैं तुम लोगो को माफ़ कर दुगी.”

अमि जो अब तक चुप थी. उसे कीर्ति की इस बात पर निमी को गुस्सा आ गया और उस ने पलटवार करते हुए कहा.

अमि बोली “मेरे भैया क्यो माफी माँगेगे. माफी माँगना है तो आप और मम्मी माफी माँगेगे और यदि माफी नही माँगे तो, अब वैसा ही होगा जैसा निमी ने कहा है.”

कीर्ति बोली “हम लोग माफी नही माँगेगे.”

ये सुनना था कि अमि और निमी दोनो मुझे खीच कर बाहर ले आई. मैने उन्हे समझाने की बहुत कोशिश की, मगर दोनो मेरी कोई बात समझने को तैयार ही नही थी. आख़िर मे हार कर, मैं अमि निमी के साथ अपने कमरे मे आ गया.

मगर अमि निमी और कीर्ति का ये युद्ध अभी ऑर बढ़ना बाकी था. क्योकि अमि निमी अब पापा और चंदा मौसी को अपनी तरफ करने की योजना बना रही थी. जिसका मतलब था कि, वो कीर्ति को झुकाए बिना नही मानेगी.

अब तीन जिद्दी आमने सामने थे. एक तरफ अमि निमी, कीर्ति को हराने की ज़िद पकड़ी हुई थी तो, दूसरी कीर्ति भी हार मानने के लिए तैयार नही थी. ये एक अजब ही तरह की लड़ाई चल रही थी. जिसको जो भी देखता, वो हँसे बिना नही रह सकता था.

अमि निमी अपनी बातों मे मस्त थी और कीर्ति छोटी मा के साथ उनके कमरे मे व्यस्त थी. लेकिन मैं अपने कमरे मे होते हुए भी कहीं ऑर खोया हुआ था.

ना चाहते हुए भी मुझे कीर्ति के ख़यालों ने घेर लिया था. आज दूसरा दिन था, जबकि उसने मुझसे अच्छे से बात नही की थी. उसके इस बात ना करने ने, मुझे उसके बारे मे सोचने पर मजबूर कर दिया था.

मैं उसकी बातों को बहुत ज़्यादा मिस कर रहा था. ना जाने क्यो, पर मैं उसके पास रहना चाहता था और उस से बात करना चाहता था. आज कीर्ति के मेरे सामने होते हुए भी, मुझे उसकी कमी का ऐएहसास हो रहा था.

मैं कीर्ति के ख़यालो मे खोया हुआ था कि, तभी निमी ने मेरा हाथ पकड़ कर हिलाते हुए कहा.

निमी बोली “भैया चलो, नीचे चल कर बैठते है. हम कुछ देर नीचे चल कर, टीवी देखते है.”
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RE: MmsBee कोई तो रोक लो - by desiaks - 09-09-2020, 12:22 PM
(कोई तो रोक लो) - by Kprkpr - 07-28-2023, 09:14 AM

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