RE: MmsBee कोई तो रोक लो
19
अमि निमी सोफे पर मेरे अगल बगल बैठी थी. उन्हों ने कीर्ति को आते देखा तो, अमि ने निमी को इशारा किया ऑर फिर दोनो मेरी गोद मे सर रख कर लेट गयी, ताकि सोफे पर कीर्ति ना बैठ पाए.
उनकी हरकत देख कीर्ति ने बुरा सा मूह बनाया और फिर छोटी माँ के साथ दूसरे सोफे पर बैठ गयी. मगर कुछ देर बाद उसे भी अमि निमी को चिडाने का आइडिया आया और वो तुरंत छोटी माँ की गोद मे लेटते हुए कहने लगी.
कीर्ति बोली “मौसी आप की गोद मे मुझे बहुत अच्छा लग रहा है और आपके हाथ मे तो जादू है. आप जब सर पर हाथ फेरती है तो, ओर भी ज़्यादा अच्छा लगता है. मेरे सर पर हाथ फेरीए ना.”
कीर्ति की बात सुनकर छोटी माँ मुस्कुराते हुए उसके सर पर हाथ फेरने लगी. अमि निमी ने ये देखा तो, उन्हे उस से जलन होने लगी. मगर उन्हों ने इस जलन का इलाज भी तुरंत निकाल लिया. अमि ने निमी के कान मे कुछ फुसफुसाया ऑर कुछ देर चुप चाप लेती रही. फिर कीर्ति को सुनाते हुए, निमी ने अमि से कहा.
निमी बोली “दीदी मेरे सर मे बहुत दर्द हो रहा है.”
अमि बोली “हमारे भैया के हाथों मे मम्मी के हाथों से भी ज़्यादा जादू है. जब वो सर पर हाथ फेरते है तो, बड़े से बड़ा सर दर्द चुटकी मे भाग जाता है.”
निमी बोली “भैया मेरे सर पर हाथ फेरीए ना.”
निमी की बात सुनकर मुझे हँसी आ गयी और मैं उसके सर पर हाथ फेरने लगा. लेकिन फिर अमि ने मुझे टोकते हुए कहा.
अमि बोली “भैया मेरे सर मे भी थोड़ा दर्द है. मेरे सर पर भी हाथ फेरीए ना.”
अमि की बात सुनकर, मैने छोटी मा की तरफ देखा तो, वो अमि निमी की हरकत पर मुस्कुरा रही थी. मैं भी मुस्कुराते हुए अमि निमी दोनो के सर पर हाथ फेरने लगा.
यहाँ अमि निमी के चेहरे पर कीर्ति को चिडाने वाली मुस्कान थी. कीर्ति उनकी मुस्कान का मतलब समझ रही थी और उनको परेशान करने का तरीका सोच रही थी. तभी कुछ सोच कर उसके चेहरे पर मुस्कान आ गयी और उन ने छोटी माँ से कहा.
कीर्ति बोली “मौसी आज खाने मे क्या बनाया है.”
छोटी माँ बोली “तेरी पसंद के मलाई कोफ्ते और दम आलू.”
कीर्ति बोली “वाह मौसी आप मेरा कितना ख़याल रखती. अब तो बाकी लोगों को भी मेरी पसंद का ही खाना खाना पड़ेगा.”
इतना कह कर, वो अमि निमी की मुस्कान का जबाब अपनी मुस्कान से देती है. जिसे देख कर मेरी दोनो लाड़लियों की मुस्कान फीकी पड़ जाती है और उनका मूह बन जाता है. दोनो अब किसी गहरी सोच मे पड़ी थी.
शायद वो कीर्ति की बात का जबाब देने के लिए कोई नयी तरकीब ढूँढ रही थी और जल्दी ही उन्हे ऐसा कुछ भी मिल जाता है. क्योकि निमी फुसफुसा कर कुछ अमि के कान मे कहती है. जिसे सुनने के बाद अमि ने मुझसे कहा.
अमि बोली “भैया ज़रा अपना मोबाइल देना. मुझे एक ज़रूरी फ़ोन लगाना है.”
मैं बिना कुछ बोले उसे अपना मोबाइल दे देता हूँ. लेकिन उसकी इस हरकत ने कीर्ति को सोच मे डाल दिया था और अब उसकी अमि निमी को चिडाने वाली मुस्कान गायब हो गयी थी. क्योकि वो ये समझ चुकी थी कि, अब अमि उसकी बात का जबाब देने वाली है.
वो गौर से अमि की तरफ देखने लगती है कि, ये किसको कॉल कर रही है और ये करना क्या चाहती है. इधर अमि एक नंबर मिलाती है और मोबाइल अपने कान मे लगा लेती है. दूसरी तरफ से कॉल उठा लिए जाने पर अमि ने कहा.
अमि बोली “हेलो मौसी, मैं अमि बोल रही हूँ. आप तो बोल रही थी कि, कीर्ति दीदी को मसाले वाली चीज़े खाना मना है. लेकिन वो तो यहाँ मम्मी से मलाई कोफ्ते, दम आलू और भी मसाले वाली चीज़े बनवाकर खा रही है. क्या आपने मम्मी को उनकी तबीयत के बारे मे कुछ नही बताया.”
फिर दूसरी तरफ से कुछ कहे जाने पर अमि ने कहा.
अमि बोली “नही मौसी ये बात आप ही मम्मी के मोबाइल पर कॉल करके बोल दीजिए. नही तो सब समझेगे कि मैं झूठ बोल रही हूँ.”
फिर वो बाइ बोल कर फोन रख देती है. उसके मोबाइल रखने के कुछ ही देर बाद छोटी माँ का मोबाइल बजता है. छोटी माँ कॉल उठाती है और मौसी से बात करती है. मौसी से बात हो जाने के बाद, छोटी माँ कीर्ति से कहती है.
छोटी माँ “सॉरी बेटी, दीदी ने कहा है कि, तुम मसालेदार खाना नही खा सकती. इसलिए मैं तेरे लिए कम मसाले का खाना बना देती हूँ.”
ये कह कर छोटी माँ खाना बनाने चली जाती है और कीर्ति अमि की इस हरकत से सच मे गुस्सा हो जाती है. मगर जिसे अमि देख कर समझ जाती है और बड़ी ही मासूमियत से कहती है.
अमि बोली “दीदी गुस्सा मत हो. सुबह मौसी, आपके लिए अलग से बिना तेल मसाले का खाना बना रही थी तो, हम लोगों ने पूछा कि दीदी के लिए अलग से ये खाना क्यो बनाया जा रहा है तो, मौसी ने बताया था कि ज़्यादा तेल मसाले के खाने से आपकी तबीयत खराब हो जाती है. आपका लिवर कमजोर है. अब आप बेकार मे मेरे उपर गुस्सा मत होइए.”
कीर्ति जानती थी कि, दोनो ने उसकी बात को काटने के लिए ही ऐसा किया है. मगर उनकी बात सही थी. इसलिए वो इस बात के लिए उन्हे कुछ नही कहती. लेकिन कीर्ति इतनी जल्दी हार मानने वाली भी नही थी. उसने मुस्कुराते हुए अपनी दूसरी चाल चलते हुए कहा.
कीर्ति बोली “नही कोई बात नही. मैं तुम पर गुस्सा नही हूँ. क्या हुआ जो आज मैं मसाले वाला खाना नही खा पाउन्गी. मुझे तो जो कल तुम्हारे भैया ने रेस्टौरेंट मे बहुत ही बढ़िया और मसालेदार कहना खिलाया था उसके सामने तो ये खाना कुछ भी नही है.”
ऐसा कह कर कीर्ति हंसते हुए उठ कर छ्होटी मा के पास चली गयी और अमि निमी गुस्से मे मेरी तरफ देखने लगी. उन दोनो को ये लग रहा था कि, वो मेरी वजह से कीर्ति से हार गयी है. अब मरता, क्या ना करता. मैं अपनी दोनो लाड़लियों को नाराज़ तो कर नही सकता था. इसलिए मैने उनके सामने इस बात पर अपनी सफाई देते हुए कहा.
मैं बोला “अरे तुम लोग मुझे ऐसे क्या देख रही हो. क्या तुम लोगों को याद नही है कि, कल मैने खुद छोटी माँ को बताया था कि, कीर्ति की ज़िद की वजह से हमें बाहर खाना खाना पड़ा गया और कीर्ति ने भी तो, छोटी माँ से कहा था कि, यदि मैं उसके साथ रहा तो, वो मुझे बहुत कुछ सिखा देगी. अब मुझे क्या मालूम था कि, वो खुद रेस्टौरेंट मे खाना खाएगी और बाद मे सारी बात मेरे उपर डाल देगी. यदि मुझे ऐसा मालूम होता तो, मैं ऐसी ग़लती कभी ना करता.”
अपनी बात कह कर, मैं अमि निमी के चेहरे की तरफ देख कर पक्का करने लगा कि, उन्हे मेरी बात पर विस्वास हुआ है या नही. दोनो कुछ देर तक सोचती रही. फिर अमि ने निमी से कहा.
अमि बोली “भैया ठीक कह रहे है. खाना खाने की ज़िद तो दीदी ने की थी. फिर वो ये कैसे कह सकती है कि, खाना भैया ने उन्हे खिलाया है.”
अमि की बात सुनकर मुझे शांति हुई की, चलो इसे तो मुझ पर विस्वास हो गया है. मगर निमी का गुस्सा अभी शांत नही हुआ था. उसने अमि की इस बात से जबाब मे उस से कहा.
निमी बोली “लेकिन जब भैया बाहर खाना नही खाते है तो, फिर इन्हे उनके साथ खाना खाने की क्या ज़रूरत थी.”
अमि बोली “तू समझती क्यो नही है. वो भैया का नाम लेकर हमें लड़ाना चाहती है. ताकि हम लोग आपस मे लड़ जाए और वो आसानी से हम लोगों से जीत जाए.”
ये बोल कर अमि ने मेरा काम आसान कर दिया. क्योकि ये बात निमी के नन्हे से दिमाग़ पर असर गयी. उसकी मुझसे नाराज़गी दूर हो गयी और उसने अमि से कहा.
निमी बोली ‘तो दीदी ज़्यादा स्मार्ट बनने की कोशिश कर रही है. अब हमे उसे सबक सिखाना ही होगा.”
निमी की बात सुनकर मुझे तसल्ली हुई, की चलो इसका मेरे उपर से गुस्सा तो शांत हो गया. लेकिन मेरे लिए अब मुसीबत वाली बात ये थी कि, कीर्ति और अमि निमी की लड़ाई ख़तम होने का नाम नही ले रही थी और इस लड़ाई मे मैं पिस रहा था.
मैं चाह कर भी इस लड़ाई से पीछे नही हट सकता था. क्योकि मेरी दोनो नन्ही बहनें मेरी वजह से ही कीर्ति से लड़ रही थी. ये बात अलग थी की उनकी ये लड़ाई बेमतलब की थी. मगर दोनो समझने को तैयार नही थी और कीर्ति भी उनके साथ बच्ची बन कर इसका मज़ा ले रही थी.
एक तरफ जहाँ कीर्ति इस लड़ाई का मज़ा ले रही थी. वही दूसरी तरफ अमि निमी की नज़र मे ये लड़ाई, उनके भैया के सम्मान की लड़ाई थी और वो हर हाल मे कीर्ति को अपने भैया के सामने झुकना चाहती थी.
लेकिन मुझे इस बात का डर सता रहा था कि, इस खेल खेल की लड़ाई मे कही अमि निमी के मन मे कीर्ति को लेकर कोई ऐसी कड़वाहट पैदा ना हो जाए. जिस से अमि निमी और कीर्ति के बीच दूरियों की दीवार खड़ी हो जाए.
इसलिए मैं इस खेल को यही ख़तम करना चाहता था. लेकिन कीर्ति तो मुझसे कोई बात ही नही करना चाहती थी. ऐसे मे सिर्फ़ एक ही रास्ता बचता था कि, अमि निमी को समझाया जाए. ताकि इस खेल को यही ख़तम किया जा सके.
रात को पापा आए तो मैं अपने कमरे मे आ गया. खाने का टाइम हुआ तो, चंदा मौसी मेरा खाना मेरे कमरे मे देकर चली गयी. सब खाना खाने बैठे तो, कीर्ति ने मुझे खाने पर, ना आया देख कर, छोटी माँ से पूछा.
कीर्ति बोली “मौसी क्या पुन्नू खाना नही खाएगा.”
छोटी माँ कीर्ति की इस बात का कोई जबाब दे पाती, इस पहले ही पापा ने उसकी बात का जबाब देते हुए कहा.
पापा बोले “हमारे लाट साब को हमारी सूरत पसंद नही है, इसलिए जनाब अपने कमरे मे ही खाना खाते है.”
पापा की बात सुनकर, कीर्ति छोटी माँ का चेहरा देखने लगी. छोटी माँ ने बात को संभालते हुए कीर्ति से कहा.
छोटी माँ बोली “ऐसी बात नही है बेटी. तेरे मौसा जी की तो, बातें करने की बात करने की आदत है. असल मे बात ये है कि, उसे सबके साथ बैठ कर खाना खाना अच्छा नही लगता. इसलिए वो अपने कमरे मे खाना ख़ाता है.”
लेकिन छोटी माँ की ये बात सुनकर पापा को गुस्सा आ गया और उन ने गुस्से मे छोटी माँ से कहा.
पापा बोले “हां हां, मेरी तो बेकार की बात करने की आदत है. साहब जादे दिन मे तो सब के साथ खाना खाते है. मगर रात मे उन्हे सबके साथ बैठ कर खाना खाना पसंद नही है.”
छोटी माँ ने पापा को कीर्ति के सामने ये सब बातें उखाड़ते देखा तो, उन्हे रोकते हुए कहा.
छोटी माँ बोली “अब आप ये फालतू की बात बंद कीजिए. कम से कम कीर्ति का कुछ ख़याल कीजिए.”
पापा ने कीर्ति को देखा और हंसते हुए बोले.
पापा बोले “अरे हां, मैं तो भूल ही गया था कि, कीर्ति के लिए मैं कुछ लाया हूँ.”
ये कह कर वो बाहर चले जाते है और फिर बाहर से कुछ पॅकेट लेकर आते है और कीर्ति के हाथ मे थमा देते है.
कीर्ति बोली “ये क्या है मौसा जी.”
पापा बोले “ये तुम्हारे बर्तडे का गिफ्ट है.”
कीर्ति चौुक्ते हुए कहा.
कीर्ति बोली “आपको कैसे पता कि, मेरा जनमदिन आने वाला है.”
पापा बोले “आज मेरी तुम्हारे पापा से बात हुई थी. उन्ही ने बताया कि, तुम घर आ रही हो और तुम्हारा बर्तडे भी आ रहा है.”
कीर्ति बोली “पर मेरा बर्तडे तो परसों है मौसा जी.”
पापा बोले “मुझे मालूम है. लेकिन मैं कल एक बिज़्नेस मीटिंग के सिलसिले मे बाहर जा रहा हूँ, इसलिए तुम्हे पहले ही गिफ्ट दे दिया. लेकिन तुम इन्हे अपने बर्तडे के ही दिन खोलना.”
कीर्ति बोली “थॅंक्स मौसा जी”
फिर पापा ने एक पेकेट खोला उसमे खाने के लिए चॉकलेट्स और मॅनचरियन बगैरह थे. उनने वो डिशस डाइनिंग टेबल पर रख दिए. जिसे देख कर कीर्ति को मेरा ख़याल आया और उसने छोटी माँ से कहा.
कीर्ति बोली “मौसी, ये पुन्नू को भी भेज दीजिए ना. उसने अभी खाना नही खाया होगा.”
लेकिन कीर्ति की बात सुनकर पापा ने गुस्से मे कहा.
पापा बोले “नही कीर्ति बेटा. ये मैं हम सब के साथ खाने के लिए लाया हूँ. अगर वो हम सब के साथ बैठ कर खाना नही खा सकता तो, उसको ये सब भेजने की भी कोई ज़रूरत नही है. तुम खाना खाओ और उसकी चिंता छोड़ दो.”
इसके बाद सब खाना खाने लगे. मगर अमि और निमी ने उन डिशस को हाथ तक नही लगाया तो कीर्ति ने उनको टोकते हुए कहा.
कीर्ति बोली “अमि निमी क्या तुम को ये डिशस पसंद नही है.”
अमि बोली “नही दीदी, मुझे पसंद नही है.”
कीर्ति ने निमी की तरफ देख कर उस से भी यही सवाल करते हुए कहा.
कीर्ति बोली ““निमी क्या तुझे भी पसंद नही है.”
निमी बोली “दीदी मुझे पसंद तो है, पर मेरा पेट भर गया है.”
कीर्ति को कुछ समझ नही आ रहा था. मगर पापा अमि निमी की हरकत का मतलब समझ गये थे. इसलिए उन्हों ने कीर्ति से कहा.
पापा बोले “कीर्ति बेटा, तुम इनकी तरफ ध्यान मत दो. इनको कभी मेरी लाई हुई कोई चीज़ पसंद ही नही आती. वैसे भी मैं ये सब तुम्हारे लिए ही लाया हूँ. तुम तो खाओ.”
अब शायद कीर्ति समझ चुकी थी कि, अमि निमी क्यों नही खा रही है. इसलिए उसका मन भी कुछ खाने का नही था. लेकिन पापा इतने प्यार से उसके लिए ये सब लेकर आए थे. जिस वजह से ना चाहते हुए भी उसे खाना पड़ रहा था.
अमि निमी ने जल्दी जल्दी अपना खाना ख़तम किया और फिर सबको गुड नाइट बोल कर आने लगी. मगर कीर्ति ने उनको थोड़ी देर रुकने को कहा तो, मजबूरी मे उसको वही रुकना पड़ गया. कीर्ति खाना खाने के बाद थोड़ी देर पापा और छोटी माँ से बात करती रही.
लेकिन बात करते करते, उसने देखा कि, जो अमि निमी दिन भर चहचाहती रहती थी. अब वो बिल्कुल शांत बैठी है और बड़ी बेसब्री से, उसके वहाँ से चलने का इंतजार कर रही है. कीर्ति को भी उन्हे और इंतजार करवाना ठीक नही लगा. वो पापा और छोटी माँ को गुड नाइट बोलकर, अमि निमी के साथ उपर आ गयी.
उपर आकर कीर्ति अपने कमरे मे चली गयी और अमि निमी मेरे कमरे मे आ गयी. जब अमि निमी आई तब मैं लेटा हुआ और टीवी देख रहा था. मैने दोनो को आते देखा तो, मैं उठ कर बैठ गया.
दोनो आकर मेरे पास बैठ गयी. ये दोनो का रोज का काम था कि, खाना खाने के बाद, कुछ देर मेरे कमरे मे आकर, यहाँ वहाँ की बातें करती और फिर अपने कमरे मे जाकर सो जाती.
मगर आज बिल्कुल खामोश थी. मुझे समझ मे तो आ गया कि, नीचे कुछ हुआ है. जिस वजह से दोनो इतनी खामोश है. उनकी इस खामोशी की वजह जानने के लिए मैने उनसे पुछा.
मैं बोला “तुम दोनो को क्या हुआ, इतना चुप चुप क्यो हो.”
मेरी बात सुनकर, अमि तो समझ नही पाई कि, वो मुझे क्या जबाब दे. लेकिन निमी ने मेरी बात सुनते ही कहा.
निमी बोली “हम लोग पापा को अपने साथ नही मिलाएगे.”
मैं बोला “क्यो, क्या हो गया. क्या पापा ने तुम दोनो को कुछ कहा है.?”
अमि बोली “पापा कीर्ति दीदी के लिए बहुत सारे गिफ्ट और खाने के लिए डिशस लाए थे. जब कीर्ति दीदी ने मम्मी से कहा कि, ये उपर पुन्नू को भी भेज दो तो, पापा गुस्सा करने लगे और बोलने लगे कि, जब वो नीचे आकर नही खा सकता तो, उसके लिए कुछ भी, उपर भेजने की ज़रूरत नही है.”
मैं बोला “पापा हम से बड़े है और कभी भी अपने पापा की कही बात का बुरा नही माना जाता. इसलिए अपने मन से ये बात निकाल दो.”
अमि बोली “लेकिन भैया, पापा हमेशा आप पर गुस्सा करते है. ये हमें अच्छा नही लगता. पापा आप पर गुस्सा क्यो करते है.”
मैं बोला "पापा मुझ पर गुस्सा इसलिए करते है, क्योकि मैं उनकी बात नही मानता हूँ.”
निमी बोली “तो भैया आप उनकी बात मान लिया करो ना. फिर पापा आप पर गुस्सा भी नही करेगे और मुझे मॅनचरियन भी नही छोड़ना पड़ेगा.”
मैने पूछा “तूने मॅनचरियन क्यो नही खाया.”
अमि बोली “पापा ने आप पर गुस्सा किया तो, इसे अच्छा नही लगा. इसने पापा का लाया कुछ भी नही खाया.”
मैं बोला “तब तो तूने भी नही खाया होगा.”
अमि बोली “जब आप और निमी नही खाओगे तो, मैं कैसे खा सकती हूँ.”
अपनी छोटी बहनों का अपने लिए प्यार देख कर मेरी आँखों मे आँसू आ गये और मैने दोनो को गले से लगा लिया. मुझे रोता देख कर जहा अमि मेरे आँसू पोछने लगी. वही निमी को मेरे आँसू का मतलब समझ मे नही आया तो वो रोने लगी. मैने निमी के आँसू पोंछे और उस से पूछा.
मैं बोला “तुझे क्या हुआ, तू क्यो रो रही है.”
निमी ने रोते हुए मूह बना कर कहा.
निमी बोली “क्योकि आप रो रहे.”
उसकी इस बात से मुझे हँसी आ गयी और मैने उसे समझाते हुए कहा.
मैं बोला “पागल, मैं रो थोड़ी रहा हूँ. ये तो मेरी अमि निमी का प्यार है. जो आँसू बनकर मेरी आँखो से निकल आया.”
ये कह कर मैने दोनो के सर पर प्यार से हाथ फेरा और फिर उनको समझाते हुए कहा.
मैं बोला “देखो, अब तुम लोग अपनी कीर्ति दीदी से भी लड़ना बंद करो. वो हमारे घर मे कुछ ही दिन के लिए आई है. यदि तुम लोग ऐसे ही लड़ती रही तो, फिर वो हमारे घर कभी नही आएगी.”
अमि बोली “भैया हम कहाँ लड़ते है. वो तो कीर्ति दीदी ही लड़ती रहती है और उन्होने ही इस लड़ाई को शुरू किया था.”
मैं बोला “लड़ाई तो तुम दोनो ने शुरू की थी. वो तो सिर्फ़ ये बोल रही थी कि, अगर मुझसे चाय के बिना नही रहा जाता है तो, मैं घर मे उसे बता देता, क्या वो मुझे चाय नही दे सकती थी. मगर तुम लोगों ने उसकी बात नही सुनी और उससे लड़ाई शुरू कर दी.”
निमी बोली “पर भैया वो भी तो, हमे चिडाती है. तभी तो हम लड़ते है.”
मैं बोला “वो तुम लोगों से मज़े लेने के लिए तुम्हे चिडाती है. लेकिन अब तुम दोनो, ना तो उसकी किसी बात से चिड़ना और ना ही उस से लड़ना.”
अमि बोली “ठीक है भैया, अब हम नही लड़ेंगे. लेकिन आप कीर्ति दीदी से भी बोल दीजिए कि, वो हमें ना चिडाए.”
मैं बोला “ठीक है मैं कीर्ति से भी बोल दूँगा. अब तुम्हारे सोने का टाइम हो गया है. अब तुम दोनो अपने कमरे जाओ.”
दोनो उठने को होती है, तभी निमी को कुछ याद आ जाता है और वो मुझसे कहती है.
निमी बोली “पता है भैया, आज पापा कीर्ति दीदी के बर्तडे के लिए बहुत सारे गिफ्ट लाए है.”
मैं बोला “अच्छा, क्या गिफ्ट लाए है.”
निमी बोली “ये तो नही मालूम, क्योकि पापा ने उन्हे अभी खोलने को मना किया है.”
मैं बोला “ठीक है, जब वो बर्तडे वाले दिन उन्हे खोलेगी तो हम देख लेगे.”
निमी बोली “भैया, क्या हमे भी उन्हे गिफ्ट देना चाहिए.”
मैं बोला “हां ज़रूर देना चाहिए, पर तू क्या गिफ्ट देगी.”
निमी बोली “अभी सोचा नही है. मैं कल सोच कर बताउन्गी.”
मैं निमी से बात कर रहा था. तभी बात करते करते, मेरी नज़र कमरे के बाहर दरवाजे के सामने पड़ रही परच्छाई पर पड़ती है. मुझे समझते देर नही लगी, कीर्ति बाहर खड़ी होकर हमारी बात सुन रही है. मैने उस तरफ से अपना ध्यान हटाया और अमि से पुछा.
मैं बोला “और तू क्या गिफ्ट देगी.”
अमि बोली “मैं भी कल सोच कर बताउन्गी, पर आप दीदी को क्या गिफ्ट दे रहे है.”
मैं बोला “मैने भी अभी सोचा नही है. मैं भी कल सोच कर बताउन्गा. अब तुम लोग जाओ और जाकर सो जाओ. नही तो सुबह नींद नही खुलेगी.”
इसके बाद दोनो ने मुझे गुड नाइट कहा और अपने कमरे मे चली गयी. उनके जाने की बात सुनकर कीर्ति भी, उनके बाहर निकलने के पहले, अपने कमरे मे चली गयी थी.
मेरा मन कीर्ति से बात करने का कर रहा था. इसलिए मैने टीवी बंद किया और कीर्ति के कमरे की तरफ बढ़ गया. मैं उसके कमरे के बाहर पहुचा तो, उसके कमरे का दरवाजा और लाइट दोनो बंद थे.
मैं ये जानता था कि, वो अभी अभी अपने कमरे मे आई है. इसलिए अभी वो सोई नही होगी. फिर भी उसके कमरे की लाइट बंद देख कर, मैं सोच मे पड़ गया कि, अभी इस वक्त, उसके कमरे का दरवाजा खटखटाया जाए या नही.
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