RE: MmsBee कोई तो रोक लो
वहाँ से मैं सीधे बाजार निकल गया. बाजार से मैने ब्लू कलर का एक स्लीव्ले सलवार सूट खरीदा. ब्लू मेरा पसंदीदा कलर था, मगर ये कलर कीर्ति को ज़रा भी पसंद नही था.
एक तरह से हम दोनो की पसंद एक दूसरे से बिल्कुल अलग थी. मैने समय देखा तो 8:00 बजने वाले थे और अब मुझे घर पहुचने की जल्दी थी. मैने एक रेस्टौरेंट से मॅनचरियन और कट्लेट पॅक करवाए और घर आ गया.
मुझे घर आते आते 9:00 बज गये. घर मे खाने की तैयारी चल रही थी और मेरे अभी तक घर ना लौटने की वजह से छोटी माँ को मेरी चिंता होने लगी थी. मुझे देखते ही छोटी माँ ने मुझ पर झूठा गुस्सा दिखाते हुए कहा.
छोटी माँ बोली “तू इतनी देर तक कहाँ था. तुझसे मैने कहा भी था कि, जल्दी घर आना. लेकिन तेरी समझ मे मेरी बात नही आई. क्योकि तू अब बड़ा हो गया है और अपनी मर्ज़ी से कुछ भी कर सकता है.”
छोटी माँ को गुस्सा करते देख, मैने उन्हे अपनी सफाई देते हुए कहा.
मैने बोला “छोटी माँ, मैं तो जल्दी ही घर आ रहा था. लेकिन अमि निमी के लिए ये सब पॅक करवाने लगा था. जिस वजह से मुझे आने मे देर हो गयी.”
ये कह कर मैं मॅनचरियन और कट्लेट का पॅकेट डाइनिंग टॅबेल पर रख कर, अपने कमरे मे आने लगता हूँ. तभी निमी मेरे हाथ मे सलवार सूट का पॅकेट देख कर, मुझे टोकती हुई कहती है.
निमी बोली “भैया, ये आपके हाथ मे जो पॅकेट है, उसमे क्या है.”
मैं बोला “तेरे मतलब की चीज़ नही. इसमे मेरी कुछ बुक्स है.”
ये कह कर मैं निमी को कुछ कहने का मौका दिए बिना जल्दी से अपने कमरे की तरफ बढ़ जाता हूँ. कमरे मे आकर मैं वो पॅकेट रखने के बाद मूह हाथ ढोने चला जाता हूँ.
मैं मूह हाथ धोने के बाद, तैयार होकर नीचे आ जाता हूँ और नीचे हॉल मे बैठ कर सब के साथ बातें करने लगता हूँ. कीर्ति अभी भी मुझसे से कोई बात नही कर रही थी.
लेकिन सलवार सूट गिफ्ट करने से पहले, मैं एक बार कीर्ति का मूड देख लेना चाहता था. ताकि यदि उसका मूड मेरी तरफ से सही हो गया हो तो, फिर उसे ये सलवार सूट देकर खराब ना किया जाए. यही सोच कर मैं उस से कहता हूँ.
मैं बोला “कीर्ति, आज मुझे मेहुल के घर मे, तेरी सहेली नीतिका मिली थी.”
लेकिन कीर्ति ने मेरी बात को सुनकर भी अनसुना कर दिया और वो अमि निमी के साथ ही बातें करने मे लगी रही. मगर मैने फिर बात करने की कोसिस करते हुए, उस से कहा.
मैं बोला “कीर्ति, पापा ने तुझे बर्तडे मे क्या गिफ्ट दिए. वो गिफ्ट खोल कर तो दिखाओ. वैसे भी अब वो गिफ्ट तुम्हे कल तो खोलना ही है.”
मगर मेरी बात करने की ये कोसिस भी बेकार ही गयी. कीर्ति समझ गयी कि, मैं उस से बात करने की कोसिस मे लगा हूँ. इसलिए वो मेरी बात को अनसुना कर, किचन मे छोटी माँ के पास चली गयी.
उसकी हरकत ने मुझे भी यकीन दिला दिया कि, मेरा कीर्ति को सबक सिखाने का फ़ैसला सही है. मैं मन ही मन ये सब सोच रहा था. लेकिन इस बात से अंजान था कि, कीर्ति के ये हरकत वहाँ किसी को बुरी भी लगी है और वो कोई ऑर नही निमी थी. कीर्ति के जाते ही उसने मेरे पास आकर कहा.
निमी बोली “देखा ना भैया, कीर्ति दीदी कितना घमंड दिखाती है. आपने उन से दो बार कुछ कहा, लेकिन उन ने आपकी बात का जबाब तक देने की ज़रूरत नही समझी.”
मैं बोला “तू क्यो इस बात का बुरा मानती है. वो तुझसे तो अच्छे से बात करती है ना.”
निमी बोली “मुझसे अच्छे से बात करती है तो क्या हुआ. आपको तो वो कुछ नही समझती. इसी बात से मुझे उन पर गुस्सा आ जाता है.”
मैं बोला “देख तू अपने छोटे से दिमाग़ पर, इतना सारा बोझ मत डाला कर, और इन छोटी छोटी बात पर गुस्सा करना भी बंद कर दे. क्या तुझे नही पता की, सुबह मैं उसको छोड़ कर मेहुल से मिलने चला गया था. बस इसी बात की वजह से वो मुझसे गुस्सा है.”
निमी बोली “क्या ये भी कोई गुस्सा करने वाली बात है. जब देखो तब गुस्सा हो जाती है. अरे क्या कोई अपने दोस्त से मिलने भी नही जा सकता.”
मैं बोला “तू क्यो इन सब बातों को अपने दिल पर लेती है. जब मैं उसकी किसी बात का बुरा नही मानता तो, मुझे ये समझ मे नही आता कि, तू इतना बुरा क्यो मान जाती है. ये अच्छी आदत नही है.”
मेरी ये बात निमी को अच्छी नही लगी. उसने मुझे ही अपने तेवर दिखाते हुए कहा.
निमी बोली “मेरी ये आदत अच्छी नही है तो, ना रहे. मेरे सामने यदि कोई आपको, अपनी अकड़, अपना खमंड दिखाएगा, तो ये मुझे बिल्कुल पसंद नही. फिर चाहे वो मम्मी हो, पापा हो या फिर कीर्ति दीदी ही क्यो ना हो.”
ये कह कर वो गुस्से मे मेरे पास से जाने लगी. उसकी इस बात पर मुझे हँसी भी आ रही थी और उस पर प्यार भी आ रहा था. मैने उसका हाथ पकड़ा और उसे खीच कर अपने पास बैठा कर, प्यार से समझाते हुए कहा.
मैं बोला “मेरी प्यारी गुड़िया रानी. ऐसे गुस्सा नही होते. वो भी तो मेरी बहन है ना. उसे मुझसे लड़ने, झगड़ने और मुझ पर गुस्सा करने का पूरा हक़ है. तुझे उसकी बस ये बात बुरी लगती है ना कि, वो मेरी बात का जबाब नही देती और हर बात मे अपनी अकड़ दिखाती है. तो सुन, अब से ऐसा नही होगा.”
मेरी बात पर निमी ने खुश होते पुछा.
निमी बोली “पर भैया, ऐसा कैसे होगा.”
मैं बोला “पहले तू वादा कर कि, तू अब कीर्ति से किसी बात पर गुस्सा नही होगी और उसके साथ मिल कर रहेगी.”
निमी बोली “मैं वादा करती हूँ कि, मैं उनसे गुस्सा नही होउंगी और उनके मिल कर रहूगी. अब आप बताइए कि ऐसा कैसे होगा.”
मैं बोला “यदि उसने कल से मुझसे अच्छे से बात करना सुरू नही किया तो, फिर कल के बाद, मैं भी उस से बात नही करूगा और मैं भी अपना घमंड दिखाना सुरू कर दूँगा. तब तो तुझे खुशी होगी ना.”
निमी बोली “हां ये ठीक है. लेकिन आप आज से ही ऐसा क्यो नही करते.”
मैं बोला “तू भी बिल्कुल बुद्धू है. अरे कल उसका बर्तडे है और बर्तडे के दिन किसी को नाराज़ नही किया जाता.”
निमी बोली “हां ये बात भी ठीक है. मगर याद रखना कि, यदि कल तक वो नही सुधरती है तो, फिर आप अपना घमंड ज़रूर दिखाओगे. नही तो फिर मैं आप से नाराज़ हो जाउन्गी.”
मैं बोला “हां मई याद रखुगा. अब तू जाकर अमि के साथ खेल, नही तो कीर्ति हमारी बात सुन लेगी.”
ये सुनते ही निमी फ़ौरन ही उठ कर अमि के पास चली गयी और फिर दोनो अपने खेल मे लग गयी. थोड़ी देर बाद, छोटी माँ ने खाना लगा दिया और सब खाना खाने बैठ गये.
आज रात के समय मे, मुझे सबके साथ खाना खाते देख, कीर्ति को कुछ ताज्जुब ज़रूर हो रहा था. मगर वो मेरे सामने किसी से पुच्छना नही चाहती थी. इसलिए चुप चाप खाना खाने लगी.
लेकिन आज जब उसने अमि निमी को मॅनचरियन और कट्लेट खाते देखा तो, फिर वो खुद को बोलने से नही रोक पाई, उसने अमि को इस बात के लिए टोकते हुए कहा.
कीर्ति बोली “अमि तुझे तो ये सब पसंद नही है. फिर तू आज ये सब क्यों खा रही है”
अमि बोली “भैया, इतने प्यार से लाए है, इसलिए खा रही हूँ. वरना मुझे सच मे ये सब पसंद नही है.”
निमी तो आज कुछ ज़्यादा ही खुश लग रही थी. इसी खुशी मे उसने कीर्ति के बिना कुछ पुच्छे ही, इस बात जबाब देते हुए कहा.
निमी बोली “मुझे तो ये सब बहुत पसंद है. मगर कल मेरे पेट मे दर्द था, जिस वजह से ये सब नही खाया था. लेकिन आज मेरा पेट दर्द सही है, इसलिए खा रही हू.”
ये बात बोल कर, निमी खुशी खुशी खाने मे लग गयी. लेकिन कीर्ति तो कल रात को, उनकी सारी बातें सुन चुकी थी. इसलिए उसने निमी की टाँग खिचते हुए कहा.
कीर्ति बोली “लेकिन निमी, तूने तो कल ये सब ना खाने की, कुछ दूसरी ही वजह बताई थी.”
कीर्ति की इस बात से निमी सोच मे पड़ गयी की, उसने कल ये सब ना खाने की, सबको क्या वजह बताई थी. लेकिन जब उसे कुछ याद नही आया तो, वो अमि की तरफ देखने लगी. अमि उसके ऐसे देखने का मतलब समझ गयी और उसने फ़ौरन बात को संभालते हुए कीर्ति से कहा.
अमि बोली “दीदी असल मे कल निमी के पेट मे ही दर्द था. लेकिन उसे लगा कि कही पापा उसे पेट दर्द की कड़वी वाली दवा ना पिला दे. जिस वजह से कल उसने ये कह दिया था कि, उसका पेट भरा हुआ है.”
अमि के दिए गये जबाब से, निमी समझ चुकी थी कि, कल उसने क्या बोला था. उसने अमि की बात की सहमति देते हुए कीर्ति से कहा.
निमी बोली “हां दीदी, अमि दीदी ठीक कह रही है. मैने कल इसी वजह से बोला था कि, मेरा पेट भरा हुआ है.”
कीर्ति को तो सब सच्चाई, पहले से ही पता थी. फिर भी वो अंजान बनते हुए उन से पुच्छने लगी.
कीर्ति बोली “पेट मे दर्द तो निमी को था. फिर अमि को कब और कैसे पता चल गया. जबकि तुम दोनो तो, पूरे समय मेरे ही साथ खेलती रही.”
निमी को फिर इस बात का जबाब समझ नही आया और उसने अमि की तरफ देखा. अमि ने फिर से निमी का बचाव करते हुए कीर्ति से कहा.
अमि बोली “दीदी, जब हम खाना खा रहे थे. तब निमी ने मुझे इशारे से बताया था. अब आप तो दूसरी तरफ बैठी थी, फिर भला आप कैसे इसका इशारा करना देख पाती.”
निमी बोली “हन, मैने अमि दीदी को इशारे से बताया था.”
इतना बोल कर निमी शरारत भरी मुस्कान से मुस्कुराने लगी. उधर कीर्ति ने देखा कि, अमि हर बात मे निमी का बचाव कर रही है तो, इस बार उसने अमि को ही चपेटते हुए कहा.
कीर्ति बोली “मगर अमि ये तो बहुत ग़लत बात है. अगर निमी के पेट मे दर्द था तो, तुम्हे ये बात किसी ना किसी को तो, बताना चाहिए था. दवा ना खाने से, रात को निमी की तबीयत, ज़्यादा खराब भी हो सकती थी.”
कीर्ति के साथ साथ निमी को भी ऐसा लग रहा था कि, अमि के पास इस बात का कोई जबाब नही होगा. लेकिन कीर्ति ये नही जानती थी कि, अमि का दिमाग़ चाचा चौधरी से भी तेज है और ये बात अमि ने अगले ही पल साबित भी कर दी. उसने बड़ी ही मासूमियत से कीर्ति की बात का जबाब देते हुए कहा.
अमि बोली “दीदी हम ने ये बात पापा की वजह से यहाँ नही बताई थी. मगर उपर जाते ही भैया को सारी बात बता दी थी और भैया ने फ़ौरन ही निमी को पेट दर्द की दवा भी खिलाई थी.”
अमि की बात सुनते ही निमी की जान मे जान आ गयी और उसने भी चहकते हुए कहा.
निमी बोली “हां दीदी, वो दवा खाते ही मेरा पेट दर्द जल्दी से ठीक हो गया था और वो दवा पापा की दवा जितनी कड़वी भी नही थी.”
दोनो की ये बात सुनते ही मैं अपनी हँसी ना रोक पाया और खाना खाते समय हँसने की वजह से मुझे ज़ोर दार थस्का लग गया. मैं बेहताशा खांसने लगा. ये देखते ही अमि निमी खाना छोड़ कर, भाग कर मेरे पास आ गयी.
अमि ने फ़ौरन मुझे पानी उठा कर दिया और निमी मेरी पीठ पर हाथ फेरने लगी. मैने पानी पिया तो कुछ राहत मिली और मैने दोनो को खाना खाने बैठने को कहा. मगर दोनो थोड़ी देर मुझे खड़ी देखती रही. जब उन्हे यकीन हो गया कि, अब मैं ठीक हूँ. तब फिर दोनो खाना खाने बैठ गयी.
कीर्ति जहाँ एक तरफ उनके मूह से सफेद झूठ को सुन कर दंग रह गयी थी. वही दूसरी तरफ मेरे लिए उनके प्यार को देख कर मन ही मन तारीफ कर मुस्कुरा भी रही थी. इसलिए इसके बाद, उसने उन दोनो से फिर कोई सवाल नही किया.
खाना खाने के बाद सब बातें करते रहे. छोटी माँ ने पापा के ना होने की वजह से, अमि निमी को आज नीचे उनके पास ही सोने को कहा और फिर 11 बजे सब उठ कर अपने अपने कमरे मे चले गये.
अमि निमी आज नीचे सो रही थी. इसलिए आज कीर्ति का उनके कमरे मे सोने का सवाल ही पैदा नही होता था. मगर आज कीर्ति ने जिस तरह से मेरी बात को अनसुना कर दिया था. उसे देख कर आज मेरा उस से बात करने का ज़रा भी मन नही था. इसलिए मैने उस से बात करने की कोसिस करना भी ज़रूरी नही समझा.
लेकिन जैसे ही घड़ी ने रात के 12 बजाए. मेरा दिल ना जाने क्यो उसे बर्तडे विश करने के लिए मचलने लगा. मगर उसे सामने से बर्तडे विश करने की मुझे हिम्मत नही हो रही थी.
तभी मेरे दिमाग़ मे उसे एसएमएस करने का ख़याल आया और मैने बिना देर किए उसे बर्तडे विश का एसएमएस भेज दिया और सोचने लगा कि शायद इसके बदले मे वो भी कोई रिप्लाइ कर दे. लेकिन उसका कोई रिप्लाइ नही आया.
मैने घड़ी मे समय देखा तो अभी 12:15 बजे थे. मैने सोचा कीर्ति को अपने कमरे मे गये 1 घंटे से उपर हो गया है. कही वो सो तो नही गयी है. ये सोच कर मैने उसे कॉल करने की सोची और उसे कॉल लगा दिया. मगर कॉल करते ही मुझे ज़ोर का झटका लगा. क्योकि कीर्ति का कॉल बिज़ी जा रहा था.
ये देखते ही मैने तुरंत कॉल काट दिया. मैं सोचने लगा कि रात को 12:15 बजे, ये किस से बात कर रही है. मैं अभी इस बारे मे सोच ही रहा था कि, तभी मुझे कीर्ति की, उसका बाय्फ्रेंड होने की बात याद आ गयी.
अब मुझे इस बात मे कोई शक़ नही रह गया था कि, वो अभी अपने उसी बाय्फ्रेंड से बात कर है और हो सकता है कि, इसी वजह से शायद उसने मेरा एसएमएस भी ना देखा हो. ये सब सोचते सोचते 12:30 बज गये और तभी मेरे मोबाइल की रिंग बजने लगी.
मुझे लगा कि कीर्ति का कॉल आ रहा है. लेकिन जब देखा तो, वो मेहुल का कॉल आ रहा था. मैने कॉल उठाया और मैं मेहुल से बात करने लगा. मैने मेहुल को अपने साथ, उसके घर मे घटी हुई सारी बातें बताई. जिसे सुनकर वो बहुत खुश हो गया.
मगर मेरा मूड कीर्ति का कॉल बिज़ी रहने की वजह से खराब था और मैं चाहता था कि, मेहुल जल्द से जल्द अपनी बात ख़तम करके कॉल रखे. लेकिन वो तो नितिका और शिल्पा के बारे मे सुनकर बावला सा हो गया और मुझसे सवाल पर सवाल सवाल करने लगा.
अभी मेरी मेहुल से बात चल ही रही थी कि, तभी कीर्ति का कॉल आने लगा. मैने टाइम देखा तो, अब 12:45 बज गये थे. ये देख कर मुझे कीर्ति पर ऑर भी ज़्यादा गुस्सा आ गया कि, इतनी देर तक अपने बाय्फ्रेंड से बात कर रही थी. अपने इसी गुस्से की वजह से अब मैं कीर्ति से बात करना नही चाहता था. इसलिए मैने अपने कॉल को बिज़ी रखना ठीक समझा और मैं आराम से मेहुल से बात करने लगा.
अभी तक मेहुल मुझे अपनी बातों मे उलझाए हुए था. लेकिन अब मैने मेहुल को अपनी बातों मे उलझाना सुरू कर दिया. इधर कीर्ति मेरा कॉल बिज़ी देख कर भी, मुझे लगातार कॉल किए जा रही थी. जिसे देख कर, ना जाने क्यो, मुझे बहुत सुकून मिल रहा था.
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