RE: MmsBee कोई तो रोक लो
नितिका से बात हो जाने के बाद, कीर्ति ने फोन रखा और फिर मेरी तरफ मुस्कुरा कर देखते हुए कहने लगी.
कीर्ति बोली “ले मैने नितिका को सारी बात बता तो दी है. लेकिन उसे मेरी बात पर विस्वास ही नही हो रहा था, इसलिए मैने उन लोगों पर नज़र रखने को कहा है.”
मैं बोला “ये तूने ठीक किया. अब उसको भी उनकी असलियत का पता चल जाएगा.”
कीर्ति बोली “अब सिर्फ़ बात ही करता रहेगा, या फिर रात के खाने का कुछ इंतेजाम भी करेगा.”
मैं बोला “खाना आने को तो, थोड़ी ही देर मे आ जाएगा. लेकिन मैं सोच रहा था की, हम बाहर ही चलकर खाना खाते है. तू बोल, तेरा क्या इरादा है.”
कीर्ति बोली “हां ये अच्छा आइडिया है. मैं अभी फ्रेश होकर आती हूँ. तब तक तू भी तैयार होकर आ जा.”
ये बोलकर कीर्ति अपने कमरे मे चली गयी. उसके जाने के बाद, मैं भी अपने कमरे मे आ जाता हूँ. मैं कमरे मे आकर फ्रेश होता हूँ और फिर तैयार होने के बाद, हॉल मे आकर कीर्ति के आने का इंतेजर करने लगता हूँ.
मगर अब मेरे दिमाग़ मे, कीर्ति की राज को अपना बाय्फ्रेंड बनाने वाली बात घूमने लगती है. मुझे कीर्ति की बातों से ऐसा लग रहा था कि, राज उसको बहुत ज़्यादा पसंद आ गया है. इस बात की वजह से मेरे मन मे राज के लिए जलन की भावना सी आ गयी थी.
मैं अभी इसी बारे मे सोच रहा था कि, तभी कीर्ति तैयार होकर आ गयी. अभी उसने ब्लू पेन्सिल जीन्स और टाइट पिंक टॉप पहना हुआ था. जिसमे वो कयामत की सुंदर लग रही थी. मैने उसे देखा तो एक बार फिर उसे देखता रह गया.
एक पल के लिए मेरे दिल की धड़कने बहुत ही ज़्यादा तेज हो गयी और मैं अपने आपको संभालने की कोशिस करने लगा. वो मेरे पास आई तो, मैं उसे कुछ बोलने को हुआ. मगर कीर्ति ने मेरी बात को बीच मे ही काटते हुए कहा.
कीर्ति बोली “अब फिर से ये मत कहने लगना कि, मैं बहुत सुंदर लग रही हूँ. सुबह से हज़ार बार तेरे मूह से ये बात सुन चुकी हूँ.”
मैं बोला “मैं बोलना तो यही चाहता था कि, तू बहुत सुंदर लग रही है. लेकिन तूने मना कर दिया तो, चल नही बोलता हूँ कि, तू बहुत सुंदर लग रही है.”
मेरी बात को सुनकर, कीर्ति ने खिलखिला कर हंसते हुए कहा.
कीर्ति बोली “इसी बहाने से, बोल तो दिया तुमने और कैसे बोलना चाहते हो. क्या तुम इसे बोले बिना नही रह सकते.”
मैं बोला “चल अब नही बोलुगा. अब तू ये बता कि, खाना खाने कहाँ चलना है.”
कीर्ति बोली “ज़रा रूको, अभी नितिका का फोन आया था. वो लोग भी बाहर ही खाना खाने वाले है. उसने बोला है कि, वो कुछ देर मे राज और रिया से बात करके बताती है.”
राज का नाम सुनते ही मेरे मन मे आग लग गयी. मेरा सारा मूड खराब हो गया और मैने गुस्से मे उस से कहा.
मैं बोला “तुझे उन लोगो को भी अपने साथ शामिल करने की, क्या ज़रूरत थी. क्या तुझे मेरे साथ अकेले चलने मे कोई परेशानी थी. जो उन सबको भी अपने पिछे लगा लिया.”
कीर्ति बोली “मैने उन्हे अपने साथ आने को नही कहा है. वो तो राज, नितिका और रिया को डिन्नर करने ले जा रहा था. उसने नितिका से कहा कि, हम दोनो से भी पुछ ले कि, हम उसके साथ शामिल हो सकते है या नही. अब हम तो पहले से ही जा रहे थे, इसलिए मैने उस से हां कह दिया. अब साथ डिन्नर करने मे कौन सी बुरी बात है. दो से भले पाँच. ज़्यादा लोग रहेगे तो खाने का मज़ा भी दुगुना हो जाएगा.”
मगर उनको साथ देख कर, मेरा मूड सही नही था. इसलिए गुस्से मे कीर्ति से कहा.
मैं बोला “तुझे जाना है तो तू जा, मगर मैं नही जाउन्गा.”
कीर्ति बोली “अरे जब तू नही जाएगा तो फिर मैं जाकर क्या करूगी और ये बाहर जाने का आइडिया भी तो तेरा ही था.”
मैं बोला “हां, बाहर खाना खाने का मेरा आइडिया था. मगर मैं सिर्फ़ तेरे साथ जाना चाहता था. लेकिन तूने इसमे उन लोगो को शामिल करके, मेरा सारा मूड खराब कर दिया है. इसलिए अब तू ही उनके साथ जा. मैं उन लोगों के साथ नही जाउन्गा तो, मतल्ब नही जाउन्गा.”
मेरी बात सुनकर, कीर्ति उदास हो गयी और उदासी भरे स्वर मे कहने लगी.
कीर्ति बोली “मैं तेरी खुशी के लिए तेरा दिया हुआ सूट पहन सकती हूँ. लेकिन तू मेरी खुशी के लिए, ज़रा सा सबके साथ डिन्नर करने नही जा सकता. ठीक है, अगर तुझे नही जाना तो, मैं भी नही जाउन्गी. मैं अभी फोन करके नितिका को मना कर देती हूँ.”
ये कहकर कीर्ति अपने मोबाइल से नितिका को फोन लगाने लगती है. कीर्ति का कहना सही था और मैं आज के दिन उसे उदास भी करना नही चाहता था. इसलिए मैने उसे कॉल लगाने से रोकते हुए कहा.
मैं बोला “उन लोगो को मना करने की, कोई ज़रूरत नही है. मैं तेरे साथ चलता हूँ. लेकिन मेरी एक बात कान खोल कर सुन ले. यदि उस कामीने राज ने तेरी तरफ, फिर अपनी गंदी नज़रों से देखा तो, मैं वही सबके सामने उसकी आँख फोड़ दूँगा.”
कीर्ति बोली “ठीक है, तू उसकी आँख भी फोड़ देना और टाँग भी तोड़ देना. मगर अभी अपना मूड तो सही कर ले.”
मैं बोला “मेरा मूड ठीक है. लेकिन तू अपने ये कपड़े बदल कर आ. मुझे ये ड्रेस बिल्कुल पसंद नही है. तू जाकर सुबह वाला सलवार सूट ही पहन ले.”
कीर्ति कुछ बोलना चाह रही थी. मगर मेरा मूड खराब देख कर, बिना कुछ बोले चली गयी. शायद वो यही पूछना चाहती होगी कि, अभी तो मैं उसकी तारीफ कर रहा था, फिर अचानक मुझे उसका ये ड्रेस खराब क्यो लगने लगा.
उसका ये सोचना ग़लत नही था. वो ड्रेस सच मे उस पर अच्छा लग रहा था. लेकिन मैं नही चाहता था कि, राज उसे इस ड्रेस मे देखे. इसलिए मैने ड्रेस बदल लेने को कहा था.
थोड़ी ही देर मे कीर्ति मेरे दिया हुआ सलवार सूट पहन कर वापस आ गयी. मैने भी अपना मूड सही करते हुए उस से पुछा.
मैं बोला “वो लोग कितने बजे आ रहे है.”
कीर्ति बोली “वो लोग 8:30 बजे वहाँ पहुच जाएगे. हमारे नाम की टेबल पहले से ही बुक्ड है. टाइम ज़्यादा हो रहा है. अब हमें निकलना चाहिए.”
कीर्ति की बात सुनकर मैने चंदा मौसी को बताया कि, हम लोग खाना खाने बाहर जा रहे. इसके बाद मैने अपनी बाइक निकाली और फिर हम दोनो रेस्टोरेंट के लिए निकल पड़े.
वहाँ पहुच कर हम अपने नाम की बुक्ड टेबल पर बैठ गये और नितिका लोगों के आने का इंतजार करने लगे. मगर जब 8:45 बजे तक वो लोग नही पहुचे तो, मैने कीर्ति से नितिका को फोन लगाने को कहा.
मेरी बात सुनकर, कीर्ति ने नितिका को कॉल लगा कर, उन लोगों के यहाँ आने के बारे मे बात की और फिर कॉल रखने के बाद, मुझसे कहा.
कीर्ति बोली “उन लोगो को आने मे थोड़ा सा टाइम ऑर लगेगा. नितिका बोल रही है कि, तुम लोग अपने खाने का ऑर्डर दे दो, तब तक वो लोग भी पहुच जाएगे.”
मैं बोला “ठीक है.”
फिर मैने वेटर को बुलाया और कीर्ति उसे खाने का ऑर्डर देने लगी. इसके बाद कीर्ति वॉशरूम जाने का बोलकर, उठ कर चली गयी. उसका मोबाइल टेबल पर ही रखा था. मैने उसका मोबाइल उठाया और यू ही उसे देखने लगा.
मोबाइल को देखते देखते मेरी नज़र, कॉल डीटेल पर पड़ती है और मैं चौक जाता हूँ. उसके मोबाइल मे शाम से कोई कॉल नही आया था और जाने मे भी सिर्फ़ 2 कॉल ही गये थे. एक कॉल तो वो था, जो उसने मेरे सामने ही नितिका को लगा कर, उसे राज रिया की बात बताई थी और दूसरा किसी अंजान नंबर पर किया था.
अंजन नंबर पर किया गया कॉल उस समय का था, जब वो तैयार होने अपने कमरे मे गयी थी. उस अंजान नंबर पर किए गये कॉल को देख कर, मैं कुछ सोच मे पड़ जाता हूँ और फिर अपने मोबाइल से उस नंबर पर कॉल लगा देता हूँ.
लेकिन उस नंबर पर बात करके मुझे बहुत हैरानी होती है. क्योकि वो इसी रेस्टोरेंट का नंबर रहता है. जिसका मतलब था कि, ये टेबल कीर्ति ने ही बुक्ड करवाई है और उसने मेरे सामने, अभी नितिका को जो कॉल लगाया था, वो सिर्फ़ एक नाटक था.
अभी उसने किसी को भी, कोई कॉल नही किया था. जिस से सॉफ पता चल रहा था कि, कीर्ति सिर्फ़ मुझे जलाने के लिए ये सब कर रही है और यहाँ पर हमारे सिवा डिन्नर पर कोई नही आने वाला है.
ये सारी बातें मेरी समझ मे आते ही, मुझे हँसी आ जाती है और मैं कीर्ति का मोबाइल, वापस वही रख देता हूँ, जहाँ से मैने उठाया था. कुछ देर बाद, कीर्ति वापस आ जाती है.
वो वापस आकर बैठती है, तभी वेटर भी खाना लेकर आ जाता है और टेबल पर खाना लगाने लगता है. वेटर के खाना लगा कर जाने के बाद, मैने कीर्ति से कहा.
मैं बोला “ये देख, हमारा तो खाना भी आ गया और उन लोगों का कही कोई पता नही है. अब तो 9 बज गये है और अब तक तो इन लोगों को आ जाना चाहिए था. तू ज़रा अपना मोबाइल दे. मैं अभी नितिका से बात करता हूँ कि, वो लोग अभी तक क्यो नही आए.”
ये कह कर, मैं कीर्ति का मोबाइल लेने के लिए, अपना हाथ कीर्ति की तरफ बढ़ा देता हूँ. मगर कीर्ति जल्दी से अपना मोबाइल टेबल से उठा कर अपने हाथ मे ले लेती है और मुझसे कहने लगती है.
कीर्ति बोली “जाने दो ना. उन लोगों को जब आना होगा, वो लोग आ जाएगे. उनके लिए हम अपना मूड क्यो खराब करे. हम अब खाना शुरू करते है. नही तो उनके चक्कर मे, हम लोगों को घर पहुचने मे देर हो जाएगी.”
ये कह कर कीर्ति खाना खाना शुरू भी कर देती है. उसकी ये हरकत देख मैं मुस्कुरा देता हूँ और उसे खाना खाते देख कर, मैं भी खाना खाने लगता हूँ. इस बीच हम लोगो मे थोड़ी बहुत नितिका लोगों के बारे मे बात होती है. अभी भी कीर्ति राज को अपना बाय्फ्रेंड बनाने की बात कर रही थी.
उसकी ये बातें सुनकर मुझे बुरा तो लग रहा था. लेकिन अब मैं इस दुविधा मे फँसा हुआ था कि, कीर्ति ये बात मुझे जलाने के लिए कह रही है या फिर सच मे उसके मन मे ऐसी कोई बात है. अपनी इसी दुविधा की वजह से मैं, उसकी इस बात पर चुप रहने के सिवा कुछ नही कर पता हूँ.
यू ही बातें करते करते हमारा डिन्नर हो जाता है. अब 10 बज गये थे, इसलिए हम लोग जल्दी से बिल पे करके, घर के लिए निकल पड़ते है. रास्ते भर कीर्ति हल्का फूलका हँसी मज़ाक करती रहती है.
फिर 10:30 बजे हम घर पहुच जाते है. चंदा मौसी हमारे घर वापस आने का इंतजार कर रही थी. हमें देखते ही, वो हमें बता कर अपने कमरे मे सोने चली जाती है.
हम लोग वही हॉल मे बैठ कर टीवी देखते हुए बातें करने लगते है. ऐसे ही बातें करते हुए 11 बज जाते है और फिर हम एक दूसरे को गुड नाइट कह कर अपने अपने कमरे मे चले जाते है.
अपने कमरे मे आने के बाद, मैं नाइट सूट पहन कर, टीवी चालू कर लेता हूँ. लेकिन मेरा मन टीवी देखने मे नही लगता और मैं टीवी बंद कर के लेट जाता हूँ. अब मेरे दिमाग़ मे कल रात से, आज रात की बातें घूमने लगती है.
मेरे सामने एक एक कर के, कभी नितिका तो, कभी रिया का चेहरा आता है. मैं सोचने लगता हूँ कि, क्या मुझे नितिका को अपनी गर्लफ्रेंड बना लेना चाहिए. मगर फिर सोचता हूँ कि नितिका से सुंदर तो रिया है. मगर तभी मुझे दोपहर को रिया और राज का सेक्स करना याद आ जाता है कि, किस तरह से दोनो भाई बहन एक दूसरे की जवानी का मज़ा लूट रहे थे.
ये सोचते ही मेरी आँखों मे एक बार फिर राज और रिया का सेक्स करना घूमने लगता है. जिस से मैं गरम होने लगता हूँ और मेरे लिंग मे भी तनाव आने लगता है. मैं कपड़े के उपर से ही अपने लिंग को दबाने लगता हूँ.
मेरे ऐसा करने से मेरे लिंग का आकार बढ़ने लगता है और फिर मैं अपने लोवर और अंडरवेर को नीचे खिसका देता हूँ और रिया और राज के दोपहर वाले दृश्य को याद कर अपने लिंग को मसल्ने लगता हूँ.
मैं इमॅजिन करने लगता हूँ कि, उस समय रिया के साथ राज नही बल्कि मैं था और मैं ही उसकी पुसी मे लिंग अंदर बाहर कर रहा था. ये सोच कर मैं अपने लिंग को अपने हाथो मे थाम कर, उसकी चमड़ी को उपर नीचे करने लगता हूँ.
रिया का ख़याल करने से मेरा जोश और बढ़ जाता है और मैं तेज़ी से अपने हाथ चलाते हुए बड़बड़ाने लगता हूँ कि, रिया मेरी जान, ले मेरा लिंग अपनी पुसी मे, आज मैं तेरी पुसी को अपने वीर्य से भर दूँगा.
अपने हाथ को रिया की पुसी समझ कर, मैं रिया का नाम ले लेकर अपने हाथों की रफ़्तार बढ़ाए जा रहा था और हान्फता जा रहा था. मगर रिया की पुसी मे अपने लिंग के रहने की अनुभूति से मेरा जोश कम नही पड़ रहा था.
मैं अभी भी अपने लिंग को उपर नीचे किए जा रहा था और फिर मेरा लिंग पिचकारी छोड़ने लगता है. लिंग के 5-6 बार पिचकारी छोड़ने के बाद लिंग सिकुड कर छोटा हो जाता है और मैं भी निढाल होकर बिस्तर पर वैसे ही लेट जाता हूँ.
आज पहली बार मैने हस्त मैथुन किया था. वो भी रिया जैसी सुंदर लड़की को इमॅजिन कर के, मगर हस्त मैथुन करने के बाद, ना जाने क्यो मुझे कुछ अच्छा नही लग रहा था.
अब मेरे सामने बार बार कीर्ति का चेहरा आ रहा था. जिस से मैं आँख नही मिला पा रहा था. मैं सोचने लगा कि, जब दोपहर वाली बात को याद कर के, मेरा ये हाल है तो, फिर कीर्ति का क्या हाल होगा. उसने भी तो ये सब पहली बार देखा है. ये सब देख कर उस पर इन सब बातों का क्या असर पड़ रहा होगा.
ये सोच कर मैं कीर्ति के पास जाने का फ़ैसला करते हुए उठ जाता हूँ. मगर तभी मेरी नज़र चादर पर गिरे मेरे वीर्य पर पड़ती है. मैं जल्दी से दूसरी चादर निकालता हूँ और चादर बदल कर, फ्रेश होने बाथरूम की तरफ चला जाता हूँ.
फ्रेश होने के बाद, मैं दूसरा नाइट सूट पहन लेता हूँ और फिर कीर्ति के पास जाने के लिए अपने कमरे का दरवाजा खोलता हू. मगर दरवाजा खोलते ही, मेरा दिल धक्क से रह जाता है.
क्योकि मेरे सामने कीर्ति खड़ी थी. उसे देखते ही मैं सोच मे पड़ जाता हूँ कि, पता नही ये कब से यहा खड़ी है और हो सकता है कि, इसने मेरे कमरे की सारी आवाज़े सुन ली हो. ये बात सोचते ही मेरा सर खुद ब खुद शर्मिंदगी से झुक जाता है.
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