MmsBee कोई तो रोक लो
09-09-2020, 12:50 PM,
#37
RE: MmsBee कोई तो रोक लो
सुबह मेरी नींद 5:30 बजे खुल जाती है. मैं आँख खोलता हूँ तो कीर्ति पेट के बल सो रही होती है और उसका एक हाथ मेरे सीने पर रखा रहता है. मैं उसका हाथ अलग करने की सोचता हूँ मगर फिर मेरी नज़र उसकी तरफ जाती है तो मुझे उसके चेहरे पर बच्चों सी मुस्कान दिखाई देती है. जैसे कि वह कोई मीठा सपना देख रही हो. ये देख कर मैं उसका हाथ वैसे ही रखे रहने देता हूँ ताकि उसका सपना ना टूटे. मैं फिर से आँख बंद कर के लेट जाता हूँ और उसके हाथ अलग करने का इंतजार करने लगता हूँ मगर उसके हाथ के स्पर्श से मुझे इक अलग ही तरह का सुकून महसूस होता है और मेरी फिर से नींद लग जाती है.

फिर मेरी नींद निमी के जगाने पर 6:30 बजे खुलती है. कीर्ति उठ कर अपने कमरे मे जा चुकी होती है. निमी रो रही होती है.

मैं पूछता हूँ "ये सुबह सुबह तुझे क्या हुआ है. इस तरह क्यों रो रही है."

निमी बोली "मेरे पेट मे दर्द है और मम्मी स्कूल जाने को बोल रही है."

मैं बोला "आज फिर स्कूल जाने के नाम से तेरी नाटक बाजी सुरू हो गयी. चल अब ये नाटक बंद कर और जल्दी से स्कूल के लिए तैयार हो जा."

निमी बोली "आज मैं नाटक नही कर रही हूँ भैया. आज सच मे मेरे पेट मे बहुत दर्द है."

तभी अमि आ गयी. मैने उससे पूछा "ये आज स्कूल जाना क्यों नही चाहती है."

अमि बोली "भैया कल ये पिक्निक मे चली गयी थी और फिर उधर से लौटने के बाद भी होमवर्क नही किया है और आज इसे डाँट पड़ेगी, इसलिए ये आज स्कूल जाने से डर रही है."

निमी बोली "नही भैया दीदी झूठ बोल रही है. मेरी मिस तो मुझे कभी गुस्सा नही होती. आज मेरे पेट मे सच मे दर्द हो रहा है."

मैं बोला "देख तुझे स्कूल नही जाना तो मत जा मगर झूठ मत बोल. यदि तू झूठ बोलेगी तो मैं तेरा साथ नही देने वाला. अब सच सच बोल कि तुझे स्कूल क्यों नही जाना."

निमी बोली "दीदी ठीक कह रही है. मैने होमवर्क नही किया है इसलिए मिस मुझ पर बहुत गुस्सा करेगी."

मैं बोला "यदि तेरी मिस तुझ पर गुस्सा ना करे तो, क्या तू स्कूल जाएगी."

निमी बोली "नही भैया वो ज़रूर गुस्सा करेगी. उन्हो ने साफ साफ कहा था कि जो होमवर्क करके नही लाएगा उसे कड़ी सज़ा दी जाएगी."

मैं बोला "तू तैयार हो जा. मैं खुद तेरे साथ चल कर तेरी मिस से बात करूगा. फिर वो तुझे गुस्सा नही करेगी."

मगर निमी नही मानी. वो बोली "आप कुछ भी करो पर मैं आज स्कूल नही जाउन्गी मतलब नही जाउन्गी. आप अभी जाकर मम्मी से कहो कि मुझे स्कूल ना भेजे. इसके सिवा मैं कुछ नही सुनना चाहती."

मैं बोला "ठीक है मेरी माँ. तू स्कूल मत जा. मैं मम्मी से बोल दूँगा पर अब मुझे तो स्कूल के लिए तैयार होने दे."

मेरी बात सुनकर निमी खुशी खुशी अपने कमरे मे चली गयी और मैं फ्रेश होने चला गया. फ्रेश होने के बाद मैं स्कूल के लिए तैयार हुआ तभी कीर्ति नाश्ता लेकर आ गयी.

मैं बोला "आज तू क्यों नाश्ता लेकर आई है. क्या चंदा मौसी नही है."

कीर्ति बोली "अगर तुझे मेरा नाश्ता लाना बुरा लगा तो मैं वापस ले जाती हूँ और चंदा मौसी को भेज देती हूँ."

मैं बोला "अरे यार मैने यूँ ही पूछ लिया. तू तो हर वक्त गुस्सा अपनी नाक पर ही रखे रहती है."

ये बोल कर मैं नाश्ता करने लगा और कीर्ति मेरे पास ही बैठ गयी.

कीर्ति बोली "तूने आज रिया से मिलने का टाइम दोपहर के 3 बजे के बाद का क्यों दिया है. तू तो स्कूल से 1 बजे ही आ जाता है."

मैं बोला "तुझे आज ये मेरी जासूसी का करने शौक क्यों लगा है."

कीर्ति बोली "मैं तो ये कल ही पूछना चाहती थी पर तूने मुझे सुला दिया था. अब बता ना, तूने उसे 3 बजे के बाद मिलने को क्यों कहा. क्या उस से पहले तुझे और भी कुछ काम है."

मैं बोला "हाँ मुझे आज मेहुल के पापा से मिलने उनके ऑफीस जाना है. उन्हे मुझसे अकेले मे कोई बात करना है. अब जाहिर है कि जब उन्हो ने अकेले मे बात करना चाहा है तो, वो बात ऐसी होगी जो वो घर बाहर किसी से भी बताना नही चाहते है. इसलिए तू भी ये किसी को मत बताना."

कीर्ति बोली "चल तूने मुझे इस लायक तो माना कि अपने राज की बात मुझे बता सके."

इसके बाद मैं नाश्ता करके नीचे आया और छोटी माँ से निमी को स्कूल ना भेजने को कहकर मैं स्कूल चला गया. स्कूल से आकर मैने खाना खाया और फिर मेहुल के पापा से मिलने उनके ऑफीस निकल गया. वो मेरा ही इंतजार कर रहे थे. उनके साथ उनके कोई फ्रेंड भी थे. मैं उनके पास जाकर बैठ गया.

मैं बोला "नमस्ते अंकल."

अंकल बोले "नमस्ते बेटा. ये मेरे खास मित्र सुभेन्दु रॉय है."

मैने उनसे भी नमस्ते किया और फिर अंकल से बोला "बताइए अंकल. आपने मुझे किस लिए बुलाया है. ऐसी क्या बात थी जो आप घर मे नही कर सकते थे."

मेरी इस बात का जबाब रॉय अंकल ने दिया.

वो बोले "देखो बेटे हम ने तुम्हे बहुत ही खास बात करने को बुलाया है. वैसे ये बात हमें मेहुल से करना था पर अभी हम लोग किसी खास नतीजे पर नही पहुचे है इसलिए हम ने मेहुल से बात करना ठीक नही समझा. लेकिन अब हमें लगता है कि मेहुल को ये बात पता चलना चाहिए. मगर राजेश (अंकल) ये बात उसे बता नही पा रहा है और इसीलिए तुम्हे बुलाया है ताकि तुम ये बात मेहुल को बता सको पर बेटे ये बात अभी तुम्हारी आंटी को पता नही चलनी चाहिए."

रॉय अंकल की बात सुनकर मैं अंदर ही अंदर कांप गया. मुझे समझ मे ही नही आ रहा था कि ऐसी कौन सी बात है जिसने अंकल को इतना परेशान कर दिया है. अंकल के कोई रिश्तेदार तो थे नही शायद इसीलिए मुझे बुलाया था.

मैं बड़ी बेचैनी के साथ बोला "अंकल क्या हुआ.? मेरा दिल बहुत घबरा रहा है. प्लीज़ बताइए ना क्या बात है."

रॉय अंकल बोले "देखो बेटा ये बात सुनकर तुम्हे धक्का ज़रूर लगेगा पर तुम्हे अपने आपको संभालना है और मेहुल को भी संभालना है. बात ये है कि राजेश को डॉक्टर. ने कॅन्सर बताया है. हमे ये बात बहुत देर से पता चली है. अभी तक हम यहीं इलाज करवा रहे थे इसलिए कोई परेशानी नही आई थी पर अब डॉक्टर. का कहना है कि, इन्हे इलाज के लिए मुंबई ले जाना होगा. अब मुंबई मे इलाज मे कितना दिन लगेगा ये तो बता पाना मुस्किल है. इसलिए अब ये बात इनके घर मे बताना ज़रूरी हो गया है."

ये कह कर वो मेरी तरफ देखने लगे मगर मैं तो अपने होश ही खो बैठा था. अंकल को कॅन्सर होने की बात मेरे गले से ही नही उतर रही थी और मेरी आँखों से आँसू बहने लगे थे. ऐसा होता भी क्यों रिचा आंटी और राजेश अंकल ने हमेशा मुझे बेटे की तरह ही प्यार दिया था और ये बात सुनकर मुझे वो झटका लगा था जो शायद अपने पापा के बारे मे सुनकर भी नही लगता.

मेरी हालत समझते हुए अंकल ने मेरे कंधो पर हाथ रखा और बोले "पुन्नू बेटा सम्भालो अपने आपको. यदि तुम ही ऐसे टूट जाओगे तो फिर मेहुल को कैसे संभालोगे. अब यदि मुझे कुछ हो गया तो तुझे ही तो मेहुल को और अपनी आंटी को संभालना है.

ये सुनते ही मैं रोने लगा और बोला "नही अंकल आपको कुछ नही होगा. मैं आपके साथ मुंबई चलुगा और आपका इलाज करवाउन्गा. आप बिल्कुल ठीक हो जाएँगे."

और मैं फुट फुट कर रोने लगा.

अंकल बोले "हाँ बेटा. मैं ज़रूर ठीक हो जाउन्गा. तभी तो मुंबई जा रहा हूँ. तुझे मेरे साथ जाने की ज़रूरत नही है. तू बस यही रह कर अपनी आंटी और मेहुल का ख़याल रखना."

मैं बोला "नही अंकल मैं आपको अकेले नही जाने दूँगा. मैं भी आपके साथ चलुगा. कब जाना है हमें."

अंकल बोले "बेटे कल ही निकलना है पर तुम हमारे साथ नही जाओगे. तुम वही करोगे जो मैं कह रहा हूँ. मेरे साथ रॉय है ना. अगर ज़रूरत पड़ी तो तुझे ज़रूर बुला लेगे."

मैं बोला "ठीक है अंकल पर आंटी से क्या कह कर जाएँगे."

अंकल बोले "रिचा को कुछ नही बताना है इसलिए हम कहेगे कि मैं रॉय के साथ उसके किसी रिश्तेदार के इलाज के सिलसिले मे जा रहा हूँ."

मैं बोला "क्या मेहुल को ये बात बताना ज़रूरी है. मैं कैसे बता पाउन्गा उसे ये सब."

अंकल बोले "बेटा यदि बताना ज़रूरी नही होता तो मैने ये बात तुझे भी नही बताई होती. लेकिन ये बात तू उसे मेरे जाने के बाद ही बताना. अब तू जा हमे कल निकलने की अभी कुछ तैयारिया भी करनी है."

मैं बोला "ठीक है अंकल."

ये बोल कर मैं उदास मन से घर आ गया. घर आकर मैं किसी से बात किए बिना सीधे अपने कमरे मे आ गया. मुझे आया देख कर कीर्ति मेरे कमरे मे आई.

कीर्ति बोली "क्या हुआ. इतना उदास क्यो है. क्या रिया का फोन नही आया."

मैं बोला "कुछ नही. बस थोड़ा मूड सही नही है."

कीर्ति बोली "अरे अभी तो 3 ही बजे है. 10-15 मिनिट मे रिया का फ़ोन आ जाएगा. तू बैठ कर उसके फोन का इंतजार कर तब तक मैं तेरे मूड को सही करने के लिए एक गरमा गरम चाय बना कर लाती हूँ."

ये बोल कर कीर्ति चली गयी और मैं लेट कर अंकल के बारे मे सोचने लगा. कुछ देर बाद कीर्ति चाय लेकर आती है. वो देखती है कि मेरा मोबाइल बज रहा है लेकिन मैं उठा नही रहा हूँ. वो मुझे चाय देती है और फिर मोबाइल मे देखती है तो रिया का कॉल आ रहा होता है.

ये देख कीर्ति बोलती है "अरे रिया का कॉल आ रहा है और तू कॉल ही नही उठा रहा. सब ठीक तो है."

पर मैं उसकी बात को अनसुना कर चुप चाप चाय पीने लगता हूँ. रिया का कॉल लगातार आता रहता है. तब कीर्ति उसका कॉल उठाती है.

कीर्ति बोली "हेलो."

रिया बोली ".........." (हेलो, कौन कीर्ति)

कीर्ति बोली "हाँ रिया, मैं कीर्ति ही बोल रही हूँ."

रिया बोली "............" (क्या पुनीत अपना मोबाइल घर मे ही भूल गया है)

कीर्ति बोली "नही रिया. वो घर मे ही है मगर उसकी तबीयत कुछ सही नही है इसलिए वो सो रहा है. उसका मोबाइल साइलेंट मे है. मैं उसकी तबीयत देखने आई थी तभी देखा कि तेरा कॉल आ रहा है तो मैने उठा लिया."

रिया बोली "................" (क्यों क्या हो गया पुनीत को. ये अचानक उसकी तबीयत खराब कैसे हो गयी)

कीर्ति बोली " कुछ नही. शायद विराल फीवर है. दवा दे दी है शाम तक उसे आराम लग जाएगा."

रिया बोली ".............." (ओके कीर्ति. जब पुनीत जागे तो उसे बता देना कि मेरा फोन आया था. मैं रखती हूँ. बाइ)

कीर्ति बोली "ठीक है रिया. मैं उसे बता दूँगी. बाइ."

ये बोल कर कीर्ति कॉल रख देती है. तब तक मैं चाय पी चुका होता हूँ. कीर्ति मेरे माथे पर हाथ लगा कर बुखार देखती है.

फिर बोलती है "बुखार तो तुझे नही है. आख़िर क्या हुआ है तुझे. अचानक तू इतना उदास क्यों है."

मैं बोला "कुछ नही. बस मूड कुछ ठीक नही है."

कीर्ति बोली "तू मेहुल के पापा के पास से आ रहा है ना.? क्या बोला उन्हो ने.? सच सच सच बता क्या बात हुई तेरी उन से.?"

पहले तो मैं कीर्ति को टालता रहा पर आख़िर मे उसने मुझे अपनी कसम दे दी. तब मैने उसे मेहुल के पापा से हुई सारी बात बता दी. जिसे सुन कर उसे भी धक्का लगा.

फिर कुछ सोचते हुए वो बोली "देख जो होना था वो तो हो चुका है. अब सोचना ये है कि हम उसका सामना कैसे करे. यदि तू ही ऐसे हिम्मत हार जाएगा तो मेहुल का क्या होगा. तू अपने आपको संभाल और ये सोच कि मेहुल को ये बात कैसे बताएगा. अगर अंकल ने ये बात तुझे बताई है तो कुछ सोच समझ कर ही बताई है. इसलिए तू अपने आपको मजबूत कर और इसका सामना कर."

अभी कीर्ति मुझे ये बातें समझा ही रही थी तभी उसकी नज़र दरवाजे पर खड़ी छोटी माँ पर पड़ती है. जो हमारी बात बड़े ध्यान से सुन रही थी. वो मुझे उदास देख कर मेरी उदासी का कारण जानने आई थी मगर मेरे मूह से अंकल की बीमारी की बात सुन कर बाहर ही खड़ी हमारी बात सुनने लगी थी.

उन्हे देखते ही कीर्ति बोली "मौसी आप. ?"

ये सुनते ही मेरी नज़र दरवाजे पर जाती है और छोटी माँ अंदर आ जाती है. वो मुझे अपने गले से लगा लेती है.

फिर कहती है "देख मैं सब बात सुन चुकी हूँ. कीर्ति जो भी बोल रही है, ठीक ही बोल रही है. यदि तू सच मे उनका भला चाहता है तो बहादुर बन कर इसका सामना कर. तू ये सोच ना कि जब ये बात सुनकर तुझे इतनी तकलीफ़ हुई है तो मेहुल को कितनी तकलीफ़ होगी. इस समय तुझे एमोशनल नही बल्कि प्रॅक्टिकल बनना चाहिए."

कीर्ति और छोटी माँ की बातों से मेरे अंदर साहस जगा और मैने अपने आपको संभाला.

मैं बोला "आप ठीक कह रही है छोटी माँ. लेकिन ये बात हम तीन लोगों के ही बीच मे रहनी चाहिए. हमारे अलावा ये बात किसी को पता नही चलनी चाहिए."

छोटी माँ बोली "तू चिंता मत कर मैं ये बात किसी से भी नही बोलुगी पर तू शाम को एक बार ज़रूर मेहुल के यहाँ चले जाना हो सकता है जीजा जी (मेहुल के पापा) को और भी कुछ तुझसे कहना हो. मगर ध्यान रखना कि अब उनके सामने जाना तो मजबूत बन कर जाना ताकि वो अपनी कोई भी बात दिल खोल कर कर सके."

ये बोल कर छोटी माँ चली गयी और मैं मूह हाथ धोने चला गया. मैं मूह हाथ धो कर लौटा तो कीर्ति अभी भी मेरे कमरे मे ही बैठी थी.

मुझे आता देख कर बोली "तूने रिया से मिलने के बारे मे क्या सोचा है."

मैं बोला "अब मेरा मूड नही है उस से मिलने का."

कीर्ति बोली "हर काम मूड से नही किया जाता. कुछ काम बिना मूड के भी करना चाहिए."

मैं बोला "उस से मिलने का फ़ायदा भी क्या है. वैसे भी तो वो 2-3 दिन मे यहाँ से चली ही जाएगी."

कीर्ति बोली "मैं इसीलिए तो तुझसे बोल रही हूँ कि रिया से मिल ले. क्योंकि वो मुंबई की है और यदि तू उस से दोस्ती बनाए रखता है तो ये दोस्ती बहुत काम आएगी. इसलिए तू कम से कम अभी उसे कॉल करके ये तो बता दे कि तू उससे तबीयत खराब होने की वजह से मिलने नही आ सका और उसे शाम को मेहुल के घर मिलने बुला ले ताकि उसकी अंकल आंटी से भी जान पहचान हो जाए."

कीर्ति की बात सुनकर मैं मन ही मन उसके दिमाग़ की दाद देने लगा और फिर मैने रिया को कॉल करके बता दिया कि, मेरी तबीयत खराब होने के कारण, मैं आज उस से मिलने नही आ सका. मैं शाम को 7 बजे, मेहुल के घर आ रहा हूँ, और यदि वो मुझसे मिलना चाहती है तो वही मिल ले. इसके बाद मैं तैयार होने लगा.

कीर्ति बोली "ये तैयार होकर कहाँ जा रहा है तू."

मैं बोला "कहीं नही बस बाहर जाकर थोड़ा मूड फ्रेश करना चाहता हूँ."

कीर्ति बोली "मैं भी तेरे साथ चलूं. दिन भर घर मे रहते रहते बोरियत होने लगी है."

मैं बोला "ठीक है. जल्दी से जाकर तैयार हो जा."

मेरी बात सुन कर कीर्ति जल्दी से अपने रूम मे तैयार होने चली गयी. मैं तैयार होकर नीचे आ गया. मैने छोटी माँ को बताया कि हम लोग बाहर घूम ने जा रहे है. आने मे देर भी हो सकती है. इतना कहकर मैं बाहर आ गया.

मैने अपनी बाइक निकाली और कीर्ति के आने का इंतजार करने लगा. कुछ देर बाद कीर्ति भी आ गयी. वो पर्पल टी-शर्ट और ब्लॅक जीन्स पहने थी. मैने उसे देखा तो मुस्कुरा दिया. कीर्ति बाइक के दोनो तरफ पैर डालकर बैठी और उसने मेरी कमर को पकड़ लिया. मैने बिना कुछ कहे बाइक आगे बढ़ा दी. ना तो कीर्ति ने ये पूछा कि हम कहाँ जा रहे है, और ना ही मैने बताया कि हम कहाँ जा रहे है. दोनो ही खामोश थे. या फिर दोनो ही कुछ सोच रहे थे. मैं तो ये सोच रहा था कि अब कहाँ जाया जाए. तभी कीर्ति ने मेरी पीठ पर अपना सिर टिका दिया और उसके ऐसा करने से मुझे बहुत अच्छा लगा. कीर्ति के इस तरह से बैठने से मुझे बहुत सुकून मिल रहा था इसलिए मैं भी बस बाइक को यूँ ही रास्ते पर दौड़ाता रहा और सोचता रहा कि काश ये रास्ता कभी ख़तम ना हो. कुछ देर यू ही चलते चलते हम बहुत दूर निकल आए. अब गाड़ियों की आवाजाही कम थी और रास्ते के दोनो तरफ हरे भरे पेड़ लगे हुए थे. जिनसे ठंडी हवा चल रही थी और वो हवा हमे छु कर मदहोश कर रही थी. कीर्ति आँख बंद कर मेरी पीठ पर अपना सर रखे खामोशी के साथ बैठी थी.

मैं बोला "तुम चुप क्यों हो.? कुछ बोलो ना."

कीर्ति बोली "हूँ हूँ."

मैं बोला "कुछ बोलोगी नही."

कीर्ति बोली "हूँ हूँ."

मैने कहा "तुम्हे यू ही घूमते रहना अच्छा लग रहा है."

कीर्ति बोली "हूँ."

वह मेरी हर बात का जबाब बिना अपना मूह खोले हूँ हूँ करके दे रही थी. शायद इस ठंडी हवा के झोंको ने उसे मदहोश कर दिया था. फिर इसी मदहोशी मे उसने मुझे कसकर पकड़ लिया और वह पूरी तरह मुझ से चिपक कर अपना सर टिकाए बैठ गयी. उसके ऐसा करने से मेरे मूह से भी शब्द निकलना बंद हो गये और मैं खामोशी से बस बाइक को चलाते जा रहा था. बिना ये सोचे बिना ये जाने कि हम कहाँ जा रहे है. पर शायद हम दोनो ही यही चाहते थे कि ये सफ़र यूँ ही चलता रहे. कभी इस सफ़र का अंत ना हो.
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RE: MmsBee कोई तो रोक लो - by desiaks - 09-09-2020, 12:50 PM
(कोई तो रोक लो) - by Kprkpr - 07-28-2023, 09:14 AM

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