MmsBee कोई तो रोक लो
09-09-2020, 01:00 PM,
#46
RE: MmsBee कोई तो रोक लो
मैने कीर्ति से कहा "तू चुप होती है या नही."

लेकिन उसने मेरी बात को अनसुना कर दिया. वो सिसकती ही जा रही थी.

मैने उसे डराने के लिए कहा "तुझे रोना ही है तो घर चल. घर चल कर रोती रहना."

मगर मेरी बात का उस पर उल्टा असर पड़ा. वो उठने को हुई तो मैने उसे छोड़ दिया. और फिर हम दोनो बाइक की तरफ बढ़ने लगे. मैं बाइक पर बैठ गया. लेकिन कीर्ति बाइक पर ना बैठ कर सीधे ही आगे बढ़ गयी.

उसे ऐसा करते देख मैं तुरंत बाइक से उतरा और उसके पास पहुचा.

मैने कहा "कहाँ जा रही है. चल कर बाइक मे बैठ ना."

कीर्ति कुछ नही बोली और सिसकी भरते हुए पैदल ही आगे बढ़ती रही. मैने जबरदती उसका हाथ पकड़ कर उसे वापस वही लेकर आ गया जहाँ हम बैठे थे. मैने उसे पकड़ कर उधर ही बैठा दिया और मैं उसका हाथ पकड़े पकड़े ही उसके पास बैठ गया.

लेकिन कीर्ति ने अपना चेहरा दूसरी तरफ घुमा लिया. मैं उसे समझाए जा रहा था पर मेरी किसी बात का उस पर कोई असर नही पड़ रहा था.

आख़िर मे जब वो किसी तरह से नही मानी तो मैने उसे अपनी तरफ खिचा. अब कीर्ति पूरी तरह मेरी बाहों मे थी. उसका चेहरा मेरी तरफ था. उसका चेहरा बहुत भोला लग रहा था और मुझे उस पर प्यार आ रहा था. वो अपने आपको छुड़ाने की कोसिस करने लगी. मगर मेरी पकड़ मजबूत थी. इस से पहले कि वो अपने आपको मुझसे छुड़ा पाती, ना जाने मुझे क्या हो गया.

मैने अपने होठों को उसके होंठो पर रख दिया और उन्हे चूसने लगा. मेरे ऐसा करने से पहले कीर्ति चौक गयी. उसने आपको मुझसे छुड़ाने की कोसिस की लेकिन मैने उसे नही छ्चोड़ा. मैं लगातार उसके होंठों को चूसे जा रहा था.

मेरे ऐसा करने से उसकी आँखें धीरे धीर बंद हो गयी. मैं उसके होठों को लगातार चूसे जा रहा था और फिर मैने अपनी जीभ को उसके मूह मे डाल दिया. मेरे ऐसा करने से उस पर एक अजब सी मदहोशी छा गयी थी. उसने अपने आपको मेरी बाहों मे ढीला छोड़ दिया और मेरे सर पर हाथ रख कर वो भी मेरे किस का जबाब देने लगी. हम दोनो करीब 3 मिनिट तक एक दूसरे के होंठ चूस्ते रहे.

मगर ऐसा करने से मेरे लिंग मे भी सर-सराहट होने लगी और मैने उसे किस करना बंद किया और उसे अपनी बाहों से आज़ाद कर दिया. लेकिन वो मेरी गोद मे ही आँख बंद कर के लेटी रही.

उसके चेहरे पर एक अलग ही कामुकता नज़र आ रही थी. मैं उसका मदहोशी मे भरा मासूम सा चेहरा देखता रहा. जिसे देख कर मैं अपने आपको रोक नही पाया और मैने फिर अपने होंठ उसके होठों पर रख दिए. मैं फिर उसके होंठ चूसने लगा. वो कभी मेरे बालों मे हाथ फेरती तो कभी मेरी गर्दन पर हाथ फेरती.

मुझ पर भी एक अजब सा नशा छा गया था. मैने उसके बूब्स पर हाथ रखना चाहा तो उसने मेरा हाथ अलग कर दिया. ये देख कर मैने उसके होंठ चूसना बंद कर दिया. लेकिन वो मेरे होंठो को चूसे जा रही थी.

उसने मुझे अपने किस का जबाब ना देते हुए देखा तो उसने मेरा हाथ खुद पकड़ कर अपने बूब्स पर रख दिया. अब मैं भी उसके किस का जबाब देने लगा और उसके बूब्स मसल्ने लगा. उसके बूब्स पर मेरा हाथ पड़ते ही जहाँ मेरे अंदर उत्तेजना बढ़ रही थी तो वही कीर्ति भी अपने आप पर अपना काबू खोती जा रही थी.

मैं अब किसी भी हद से गुजरने को तैयार था. मैं ये पूरी तरह से भूल चुका था कि मैं किसके साथ क्या कर रहा था. मुझे तो कीर्ति पर बहुत प्यार आ रहा था और मैं अपना सारा प्यार उस पर लूटा देना चाहता था. मैने अपना हाथ उसकी कुरती के अंदर डालने की कोसिस की मगर कुरती शॉर्ट थी और उसके लेटे होने के कारण नीचे दबी हुई थी इसलिए मेरा हाथ कुरती के अंदर नही जा रहा था.

कीर्ति समझ गयी कि मैं क्या करना चाह रहा हूँ. उसने अपनी कमर को थोड़ा उठाया तो मेरा हाथ कुरती के अंदर चला गया और मैं उसके पेट पर हाथ फेरते हुए अपना हाथ उपर ले जाने लगा. मेरा हाथ धीरे धीरे उसके पेट पर रेंगते हुए उसके बूब्स की तरफ बढ़ रहा था.

मेरे हाथ के स्पर्श से कीर्ति भी उत्तेजना से भरती जा रही थी. अब मेरा हाथ उसके नंगे बूब्स पर था. उसके कोमल बूब्स को स्पर्श करते ही मैं अपना आपा खो चुका था. मैं बड़ी ज़ोर ज़ोर से उसके बूब्स को दबाने लगा. निप्पल्स को अपने हाथ की उंगलियों से मसल्ने लगा. जब मैं उसके निप्पल्स मसलता तो वो कसमसा कर रह जाती और उसके मूह से एक कामुकता भरी सिसकी निकल जाती. जिस से मेरे अंदर और भी उत्तेजना भर जाती. मैं और भी जोश से उसके बूब्स मसल्ने लगता.

बहुत देर तक हम लोग ऐसा ही करते रहे. ऐसा करने से मेरा लिंग पूरे उफान पर पहुच गया था. हमारी साँसे बहुत तेज हो गयी थी और हमारी बेचैनी भी बढ़ती जा रही थी.

लेकिन जब हमारी बेचैनी हद से ज़्यादा बढ़ने लगी तो हम ने किस करना बंद कर दिया. हम दोनो ने खामोशी से बिना कुछ कहे ये सब बंद करने की सहमति एक दूसरे को दे दी थी. अब हम दोनो अपने आप पर काबू पाने की कोशिस करने लगे.

कीर्ति मेरी गोद मे अभी भी लेटी थी. उसे फिर शरारत सूझी और उसने मुझ से कहा.

कीर्ति बोली "मेरे सर मे कुछ गढ़ रहा है."

मैं समझ गया कि उसके सर मे क्या गढ़ रहा है मगर मुझे कोई जबाब नही सूझ रहा था कि मैं उसे क्या जबाब दूं.

मैं बोला "बाइक की चाबी होगी."

कीर्ति ने अपने सर को उपर उठाया और ना मे सर हिलाते हुए कहा.

कीर्ति बोली "नही मुझे ये चाबी जैसी चीज़ तो मालूम नही हो रही है."

फिर उसने मेरी पॅंट की तरफ इशारा करते हुए कहा.

कीर्ति बोली "तेरे यहाँ क्यों फूला हुआ है. ये क्या है."

उसके इस सवाल से मैं झेप गया. मुझे समझ मे ही नही आ रहा था कि मैं उसे क्या जबाब दूं. ऐसे मे मैने उसका ध्यान उस तरफ से हटाने के लिए कहा.

मैने कहा "छोड़ ना कहाँ की फालतू की बात लेकर बैठ गयी. ये बता तुझे मेरा ये किस करना बुरा तो नही लगा."

कीर्ति बोली "नही मुझे किस करना बुरा नही लगा पर उसके बाद तूने जो किया वो मुझे अच्छा नही लगा."

मैं बोला "तूने मेरा हाथ हटा दिया था तो मैने कुछ कहा क्या. तूने तो खुद मेरा हाथ वहाँ रखा था."

कीर्ति बोली "वो तो मैने इसलिए किया क्योंकि मुझे लगा कि तू मेरे मना करने से गुस्सा हो गया है."

मैं बोला "नही मैं गुस्सा नही था. मुझे लगा कि मेरी हरकत तुझे पसंद नही आई इस लिए मैं रुक गया था."

कीर्ति बोली "पर तू तो इतनी ज़ोर से दबा रहा था कि मेरी जान ही निकल रही थी."

मैं बोला "तुझे मना करना चाहिए था."

कीर्ति बोली "जब हाथ लगाने से मना नही कर सकी तो फिर दबाने से मना कैसे करती."

मैं बोला "वो तो ठीक है पर तुझे ये नही लग रहा कि, हम दोनो ने जो किया भी किया है, वो ग़लत किया है."

कीर्ति बोली "मुझे तो नही लग रहा कि हम ने जो किया, वो ग़लत है. लेकिन यदि तुझे ऐसा लग रहा है तो हम अपनी ग़लती सुधार सकते है."

मैं बोला "कैसे.?"

कीर्ति बोली "ऐसे."

ये कहकर कीर्ति ने मेरे चेहरे को अपनी ओर खिचा और मेरे होंठो पर अपने होंठ रख दिए. उसका ये किस करने का अंदाज बहुत ही ख़तरनाक था. वो मेरे होंठों को बड़ी बेरहमी से चूसने लगी. मुझे अच्छा भी लग रहा था और दर्द भी हो रहा था. उसने मेरे होंठों पर जैसे ही अपने दाँत गढ़ाए मेरी तो जान ही निकल गयी. मैने उसे अपने से दूर किया और कहा.

मैं बोला "ये क्या कर रही है. किस कर रही है या मेरे होंठ खा रही है."

कीर्ति हंसते हुए बोली "जो दर्द तूने मुझे दिया था वो तुझे वापस कर रही थी."

मैं बोला "देख जो कुछ भी हुआ अचानक मे हो गया. ये हम दोनो के बीच होना ठीक नही है. हम इस बात को यही ख़तम कर देते है. इसी मे हम दोनो की भलाई है."

कीर्ति बोली "बात तेरी सही है पर मुझे इसमे कोई बुराई नज़र नही आती."

मैं बोला "तुझे बुराई क्यों नज़र नही आ रही. कुछ भी हो पर हमे ये नही भूलना चाहिए कि हम दोनो भाई बहन है. क्या तू कमल के साथ ऐसा कर सकती है."

मेरी बात कीर्ति को अच्छी नही लगी. उसका चेहरा उतर गया. मैने प्यार से उसके सर पर हाथ फेरा और कहा.

मैं बोला "देख कमल का नाम मैने तुझे सिर्फ़ बात को समझाने के लिए लिया था. मेरी बात का बुरा मत मान."

कीर्ति बोली "तुम्हे शरम नही आती. किसी लड़के के साथ मेरा नाम जोड़ते हुए. क्या मैं तुम्हे ऐसी लड़की लगती हूँ जो हर किसी के साथ ये सब करती फिरू."

मैं बोला "तू मेरी बात का ग़लत मतलब निकाल रही है. मैं कुछ ऑर कहना चाहता था और तू कुछ ऑर मतलब निकल रही है."

कीर्ति बोली "मैं तेरी बात को अच्छी तरह समझ रही हूँ. मैं कोई बच्ची नही हूँ. तू यही कहना चाहता है ना कि तू मेरा भाई है इसलिए ये सब मैं तेरे साथ नही कर सकती."

मैं बोला "हाँ मेरे कहने का यही मतलब है."

कीर्ति बोली "यदि तुझे ऐसा करने से ऐतराज है तो फिर तूने मुझे किस क्यों किया."

कीर्ति की बात सुनकर मेरा सर झुक गया. मुझसे उसकी बात का जबाब देते नही बना.

मैं बोला "मुझसे ग़लती हो गयी."

कीर्ति बोली "ग़लती तुझसे हुई है क्योंकि तू मुझसे प्यार नही करता. लेकिन मुझसे कोई ग़लती नही हुई. मैं चाहती तो तुझे ऐसा करने से रोक सकती थी. मगर मैने नही रोका, क्योंकि मैं तुझे प्यार करती हूँ और मेरी नज़र मे हमारे बीच कुछ भी ग़लत नही हुआ."

मैं बोला "तू जानती भी है तू ये क्या कह रही है. कोई सुनेगा तो क्या सोचेगा. लोग थुकेगें तुझ पर और मुझ पर."

कीर्ति बोली "मैं जानती हूँ कि, मैं क्या कह रही हू. मुझे दुनिया की परवाह नही है. लोग मुझ पर थुक्ते है तो थूकें मुझे कोई फ़र्क नही पड़ता. लेकिन दुनिया के डर से मैं अपना प्यार नही खो सकती."

कीर्ति की ये बात सुनकर मुझे गुस्सा आ गया. मैने गुस्से मे उस से कहा.

मैं बोला "कैसा प्यार.? कौन से प्यार की बात कर रही है तू.? मैं तुझे कोई प्यार व्यार नही करता. अपनी बकवास बंद कर और चुप चाप घर चल."

मेरी बात सुन कर कीर्ति की आँखों मे आँसू आ गये. वो रुआंसी होकर बोली.

कीर्ति बोली "मुझे नही जाना घर. तुझे जाना है तो तू जा. मेरी चिंता मत कर."

मैं बोला "तेरे जैसी बद दिमाग़ लड़की की मुझे चिंता करने की ज़रूरत भी नही है. तू मेरे साथ आई है तो मेरे साथ चल. उसके बाद तू क्या करती है, मुझे इससे कोई लेना देना नही है."

कीर्ति की आँखों मे आँसू तो थे ही अब उसे गुस्सा भी आ गया था. वो गुस्से और रोने के मिले हुए स्वर मे बोली.

कीर्ति बोली "कौन जानता है कि मैं तेरे साथ आई हूँ. तू आराम से घर जा. कोई तुझसे नही पुछेगा कि कीर्ति कहाँ है."

मैं बोला "तू क्या साबित करना चाहती है. यही कि मुझे तेरी फिकर नही है और मैं तुझे यहाँ ऐसे ही छोड़ कर जा सकता हूँ."

कीर्ति बोली "मैं कुछ साबित करना नही चाहती. प्लीज़ भगवान के लिए मुझे मेरे हाल पर छोड़ दो."

कीर्ति बस रोए जा रही थी. बात कोई भी हो पर उसका रोना मुझसे देख नही जा रहा था. मैने अपना गुस्सा शांत किया और उसे समझाने लगा.

मैं बोला "देख जो कुछ भी होना था वो हो चुका. तू मुझे प्यार करती है तो मैं भी तुझ से कोई कम प्यार नही करता. लेकिन हम भाई बहन है. हमें इस बात को नही भूलना चाहिए. मैं आज यदि तेरी बात को मान भी लेता हूँ तो, तू खुद सोच कल इस रिश्ते का क्या अंजाम होगा. हम चाहें भी तो इक दूसरे के साथ जिंदगी भर नही रह सकते. कुछ दिन बाद मौसा मौसी किसी अच्छे लड़के को देख कर तेरी शादी कर ही देगे. फिर मेरा क्या होगा. मुझे भी तो किसी ना किसी से शादी करना ही पड़ेगी. फिर हम ऐसा कोई रिश्ता बनाए ही क्यों जो आगे जाकर टूटना ही है."

ये बात मैने कीर्ति को समझाने के लिए कही थी मगर उसके उपर इसका उल्टा ही असर पड़ा. उसे इस बात मे अपने लिए आशा की एक किरण नज़र आई.

कीर्ति बोली "तू हाँ तो कर. मैं मरते दम तक इस रिश्ते को निभाउन्गी. तुझे किसी से शादी करना हो तो तू कर लेना. मैं तुझे शादी करने से नही रोकूगी, पर मैं तेरे सिवा किसी को अपना नही बना सकती. मुझे तुझसे सिर्फ़ तेरा प्यार चाहिए और कुछ नही चाहिए."

कीर्ति की बात सुनकर तो मेरे पैरो के नीचे की ज़मीन ही खिसक गयी थी. मैं नही जानता था कि मेरा कुछ देर के लिए बहक जाना मुझ पर इतना भारी पड़ेगा. मेरी एक ग़लत हरकत ने कीर्ति के अंदर, ना जाने कब से दबी हुई भावनाओं की चिंगारी को ज्वालामुखी का रूप दे दिया था. जो अब हर हाल मे मुझे अपने अंदर समा लेना चाहती थी.
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RE: MmsBee कोई तो रोक लो - by desiaks - 09-09-2020, 01:00 PM
(कोई तो रोक लो) - by Kprkpr - 07-28-2023, 09:14 AM

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