MmsBee कोई तो रोक लो
09-09-2020, 01:04 PM,
#54
RE: MmsBee कोई तो रोक लो
ये बोल कर मेहुल तो चला गया मगर मेरे जले मे नमक छिड़क गया. मैं फिर कीर्ति के बारे मे सोचने लगा कि अब वो क्या कर रही होगी. उसका उदास चेहरा अब ठीक हुआ होगा या नही. तभी अगला स्टेशन आ गया. मैं ट्रेन से नीचे उतर कर प्लटफार्म पर आ गया. थोड़ी देर बाद मेहुल भी ट्रेन से उतर आया. उसने चाय का पूछा तो मैने मना कर दिया फिर वो अपने और अंकल के लिए चाय लेकर वापस ट्रेन मे चढ़ गया.

तभी मेरा मोबाइल बजने लगा. मैने देखा कीर्ति का फोन आ रहा था. मैने तुरंत कॉल उठाया.

मैं बोला "तू घर पहुच गयी."

कीर्ति बोली "मैं तो कब की घर पहुच गयी हूँ. तुझे कॉल लगा रही थी पर कॉल ही नही लग रहा था. शायद नेटवर्क नही मिल रहा था."

मैं बोला "हाँ ऐसा ही होगा. ट्रेन मे था ना इसलिए नेटवर्क नही मिल रहे होंगे. अभी एक स्टेशन आया है तभी नेटवर्क मिला होगा."

कीर्ति बोली "तूने कुछ खाया पिया या नही."

मैं बोला "नही मेरा मन नही है."

कीर्ति बोली "तू इतना उदास क्यों है. देख जिस काम के लिए जा रहा है उसकी चिंता कर. मेरे या किसी के बारे मे चिंता करने की कोई ज़रूरत नही है. तूने बोला है ना कि मैं तेरी जान का ख़याल रखू, तो मैं तेरी जान का ख़याल रख रही हूँ. मगर तू यदि मेरी जान को इस तरह उदास रखेगा तो फिर मैं भी तेरी जान को खुश नही रख सकुगी."

मैं बोला "नही ऐसा मत करना. मैं तेरी जान का अब पूरा ख़याल रखुगा पर तू मेरी जान को ज़रा भी उदास मत होने देना. वरना मैं यहा कुछ भी नही कर पाउन्गा."

कीर्ति बोली "अब आया ना रास्ते पर. अब बेकार की बात बंद कर और जल्दी से कुछ खा ले."

मैं बोला "अभी भूक नही है, बाद मे खा लूँगा."

कीर्ति बोली "तू फिर शुरू हो गया ना. देख यदि तू कुछ नही खाएगा तो मैं भी कुछ नही खाउन्गी. अब ये तेरे उपर है कि मैं कुछ खाऊ या ना खाऊ."

मैं बोला "तू बेकार की ज़िद कर रही है. मुझे सच मे भूक नही है. जैसे ही मुझे भूक लगेगी मैं खा लूँगा. मगर तू बेकार मे खाना पीना बंद मत करना. तुझे तो मालूम है कि मैं देर से खाना ख़ाता हूँ."

कीर्ति बोली "मुझे सब मालूम है पर जब तक तू मेरे सामने नही है तब तक तुझे जल्दी खाना खाना पड़ेगा. तभी मैं खाना खाउन्गि. अब तुझे मालूम है कि यहा सब रात को 9:30 बजे के बाद खाना खाने बैठते है इसलिए अब से तू 9:30 बजे के पहले खाना खाएगा और फिर मुझे बताएगा कि तूने खाना खा लिया है तभी मैं खाना खाउन्गि."

मैं बोला "पर तू समझती क्यों नही है. अभी मैं ट्रेन मे हूँ और यहाँ सिग्नल भी नही मिल रहे है. ऐसे मे यदि मैं चाहूं भी तो तुझे कॉल नही कर सकता. अब यदि मैं खाना खा भी लेता हूँ तो तुझे कैसे बताउन्गा कि मैने खाना खा लिया है. मैं 9:30 बजे के पहले खाना ज़रूर खा लुगा पर तू मेरे बताने तक रुकने की ज़िद मत कर."

कीर्ति बोली "ठीक है लेकिन अभी तू स्टेशन पर है तो एक कप चाय ले और मेरे सामने पी तभी मेरा दिल कुछ खाने का करेगा नही तो मैं चाहते हुए भी कुछ नही खा पाउन्गी."

मैं बोला "ठीक है."

ये बोल कर मैने तुरंत एक टी-स्टाल से एक कप चाय ली और कीर्ति से बात करते हुए चाय पीने लगा.

कीर्ति बोली "देख तू यहाँ किसी की भी चिंता मत करना और मेरे बारे मे भी ज़्यादा सोच कर परेशान मत होना. तेरा जब भी मुझसे बात करने का मन हो तू मुझे कॉल कर लेना. मैं अपना मोबाइल हमेशा ही अपने पास रखुगी."

मैं बोला "अच्छा, जब मेरा मन तुझसे बात करने का होगा, तो मैं तो तुझे कॉल कर लूँ और तेरा मन नही होगा तुझे मुझसे बात करने का. क्या तुझे मेरी याद नही आएगी."

कीर्ति बोली "याद तो आएगी और मन भी बहुत होगा पर अब तेरे साथ हमेशा मेहुल और अंकल होंगे. मुझे क्या पता कि तू कब अकेला है और कब नही है. इसलिए अब मैं कॉल नही करूगी. जब तुझे टाइम मिले तू खुद कॉल कर लेना. लेकिन रात मे एक बार ज़रूर कॉल कर लेना."

मैं बोला "तू कॉल ना करके मुझसे पीछा छुड़ाना चाहती है."

कीर्ति बोली "तुझसे पीछा छुड़ाना चाहती तो, तुझे कॉल करने को मना करती. मैं तो तुझे जब चाहे तब कॉल करने की छूट दे रही हूँ. जब तेरा कॉल ना उठाऊ तब बोलना कि मैं पीछा छुड़ाना चाहती हूँ."

मैं बोला "तो इसका मतलब तो ये हुआ कि, तूने मेरा पीछा छोड़ दिया. अब मैं जो चाहूं वो कर सकता हूँ. मुझे तेरा कोई डर नही होगा."

कीर्ति बोली "तुझे ज़्यादा उछल्ने की ज़रूरत नही है. मैने सिर्फ़ ये कहा है कि मैं कॉल नही करूगी, पर इसका मतलब ये नही कि मैं तेरा पिछा इतनी आसानी से छोड़ दूँगी. मैं सिर्फ़ कॉल ही तो नही कर सकती लेकिन एसएमएस करने से तो मुझे कोई नही रोक सकता. मैं तुझे एसएमएस करके परेशान करती रहूगी और एक पल के लिए भी ये नही भूलने दुगी, कि तेरे साथ मैं जुड़ी हुई हूँ."

मैं बोला "ठीक है मैं भी यही चाहता हूँ कि, तू मुझे 24 घंटे परेशन करती रहे लेकिन अब कॉल रख क्योंकि एल्लवो सिग्नल हो चुका है और ट्रेन छूटने वाली है."

कीर्ति बोली "ठीक है पर तू याद से समय पर खाना खा लेना और यदि रात को कॉल कर सके तो कॉल भी लगा लेना. अब जल्दी से एक प्यारी से पप्पी दे ताकि मैं फ़ोन रख सकूँ."

मैं बोला "ये मेरी जान के प्यारे प्यारे होंठों पर मेरी प्यारी सी क़िस्सी मुउहह."

कीर्ति बोली "ये मेरी जान के होंठों पर मुऊऊुुुउऊहह."

इसके बाद कीर्ति ने कॉल रख दिया और मेरी सारी उदासी इस कॉल के साथ ही समाप्त हो गयी थी. मेरे दिल और दिमाग़ का सारा तनाव मिट गया था. तब तक ट्रेन का ग्रीन सिग्नल भी हो गया और मैं वापस ट्रेन मे चढ़ गया. मेरे चढ़ते ही ट्रेन एक बार फिर चल पड़ी.

अब मैं हर तनाव से मुक्त होकर मेहुल और अंकल के पास बैठा उनसे बात कर रहा था. बात करते करते काफ़ी समय हो चुका था. कुछ देर बाद कीर्ति का एसएमएस आ गया. मैने पहले टाइम देखा तो 9:00 बज चुका था. मैने एसएमएस खोला.

कीर्ति का एसएमएस "
उदास लम्हो का भी ना कोई मलाल रखना.
तूफ़ानो मे भी अपना हौसला संभाल रखना.
मेरे लिए शर्त आए जिंदगानी हो तुम.
इसी खातिर ही सही खुद का ख़याल रखना.

कीर्ति का एसएमएस पढ़ कर मुझे बहुत खुशी महसूस हुई. मैं भी उसे ऐसा ही कोई एसएमएस करना चाहता था पर मुझे शायरी का शौक कभी था ही नही. मेरे कोई ऐसे खास दोस्त भी नही थे जो मुझे शायरी भेजते. दोस्तों के नाम पर सिर्फ़ एक मेहुल ही था जिसने मुझे एक दो बार शायरी वाला एसएमएस भेजा भी तो मैने उसे गुस्सा कर दिया था कि, मुझे फालतू मे कोई शायरी ना भेजा करे. मुझे ये सब पढ़ कर गुस्सा आता है. उसके बाद से मेहुल ने भी मुझे शायरी वाले एसएमएस भेजना बंद कर दिए थे.

मगर जब से कीर्ति के पास मोबाइल आया था तब से वह जब भी मुझे एसएमएस करती थी. शायरी मे ही अपने दिल की बात कहा करती थी. लेकिन मैने कभी उसे कोई एसएमएस नही किया था और यदि कभी किया भी था तो सीधे सीधे लफ़जो मे अपनी बात कह दी थी.

लेकिन आज मेरी उसे कॉल ना लगा पाने की मजबूरी ने मुझे, एसएमएस करने के लिए मजबूर कर दिया था. मेरा मन उसकी शायरी का जबाब शायरी मे ही देने को कर रहा था. मैने अपने मोबाइल के सारे मेसेज देखे कि शायद कोई शायरी वाला एसएमएस हो मगर कीर्ति के मेसेज के सिवा किसी के भी मेसेज मे शायरी नही थी.

तब मेरे सामने एक ही रास्ता बचा था और मैने वही रास्ता चुना. मैने मेहुल से उसका मोबाइल लिया और उनके पास से उठकर अपनी वाली बर्थ पर जाकर लेट गया. मैने मेहुल के मोबाइल के एसएमएस देखे और मुझे एक अच्छी शायरी भी मिल गयी. मैने उस शायरी मे कुछ फेर बदल किया और फिर अपने मोबाइल मे टाइप कर उसे कीर्ति को भेज दिया.

मेरा एसएमएस
"दिल से तुम्हारी याद को जुदा तो नही किया.
रखा जो तुमको याद कोई बुरा तो नही किया.
हम तो कर रहे है तुम्हारी जान की हिफ़ाज़त.
तुमने हमारी जान को खफा तो नही किया."

मैने एसएमएस भेज तो दिया पर कुछ अजीब सा लग रहा था क्योंकि आज से पहले कभी मैने, उसे इस तरह का एसएमएस नही किया था. मैं ये जानने के लिए बेताब था कि कीर्ति को मेरा एसएमएस कैसा लगा, और क्या वो मेरी शायरी का मतलब समझ गयी है.
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RE: MmsBee कोई तो रोक लो - by desiaks - 09-09-2020, 01:04 PM
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