MmsBee कोई तो रोक लो
09-09-2020, 01:04 PM,
#55
RE: MmsBee कोई तो रोक लो
मैं उसके एसएमएस का इंतजार कर ही रहा था कि उसका एसएमएस भी आ गया. मैने तुरंत उसका एसएमएस खोला और पड़ने लगा.

कीर्ति का एसएमएस
"ओये बल्ले बल्ले. हाए मार दिया रे जान तुमने.
मेरा तो मन डिस्को करने का कर रहा है.
देखो मैं सच मे डिस्को कर रही हूँ.

इट'स दा टाइम टू डिस्को
समझो ज़रा तुम इसको
इट'स दा टाइम टू डिस्को"

उसका एसएमएस पढ़ कर मुझे ऐसा महसूस हुआ जैसे कि वो सच मे मेरे सामने नाच रही हो और ये सोच कर मेरे चेहरे पर उसकी हरकतों के बारे मे सोच कर मुस्कुराहट आ गयी तभी उसका दूसरा एसएमएस भी आ गया. मैं उसे भी पढ़ने लगा.

कीर्ति का एसएमएस
"जान आज सच मे तुमने मेरा दिल खुश कर दिया.
तुम सामने नही हो नही तो तुम्हे एक जादू की झप्पी देती.
अब जादू की झप्पी नही दे सकती हूँ तो क्या हुआ.
ये लो एक जादू की प्यारी सी पप्पी मुउउहह.

लो जान मैने तो तुम्हारा मूह मीठा करा दिया.
मगर तुम अभी तक मेरी जान को भूका रखे हो.
देखो 9:15 बज गये, अब जल्दी से खाना खा लो ना.
प्लस्सस्स्सस्स प्लस्सस्स्सस्स प्लस्सस्स्सस्स. अब कोई मेसेज नही.
अब बसस्सस्स खनाआअ खनाआअ खनाआअ."

कीर्ति का ये एसएमएस पढ़ कर भी मुझे बहुत खुशी हुई. मुझे इन दोनो बातों मे एक खास बात ये भी नज़र आई कि आज पहली बार उसकी बातों मे मेरे लिए तू की जगह तुम और जान आ रहा था. ये अच्छी बात थी या बुरी मैं नही जानता पर अब मुझे उसकी हर बात पर प्यार आ रहा था और शायद यही वजह थी कि मैं उसकी हर बात सर झुका कर मानता जा रहा था और अभी भी मैने यही किया.

मैं अपनी बर्थ से उठ कर मेहुल और अंकल के पास आ कर बैठ गया. मैने अंकल से कहा.

मैं बोला "अंकल 9:15 बज गये है. अब हमें खाना खा लेना चाहिए."

मेहुल बोला "लेकिन तू तो देर से खाना ख़ाता है फिर आज तुझे इतनी जल्दी भूक कैसे लग आई."

मैं बोला "वो इसलिए क्योंकि आज मैं दिन मे अच्छे से खाना नही खा पाया था. तुझे नही खाना तो तू मत खा. मैं और अंकल खा लेते है."

मेहुल बोला "अबे मुझे तो कब से भूक लगी है. मैं तो तेरे लिए बैठा था. मुझे तेरी तरह देर से खाने की बुरी आदत नही है. मुझे तो 8 बजते ही भूक लगने लगती है."

उसकी बातें सुनकर अंकल ने मेहुल को चुप कराया और उसे खाना निकालने को बोला. मेहुल ने खाना निकाला और हम लोग खाना खाने लगे पर मैं बार बार घड़ी मे टाइम भी देख रहा था. इसे देख कर मेहुल ने कहा.

मेहुल बोला "तू सीधे खाना क्यों नही खा रहा. ये बार बार घड़ी क्यों देख रहा है. अब हमे कल से पहले कहीं नही उतरना है और ना ही हम स्टेशन पर है कि हमारी गाड़ी छूट रही है. ये बार बार टाइम देखना बंद कर और चुप चाप खाना खा."

मेहुल की बात सुनकर मैने उसे घूर कर देखा तो वो हँसने लगा मगर अंकल हम दोनो को ही देख रहे थे इसलिए मैं चुपचाप खाना खाने लगा. कोई और समय होता या फिर अंकल ना होते तो मैं ज़रूर एक दो तो उसको जमा ही देता पर उस समय मैने चुपचाप खाना खाने मे ही अपनी भलाई समझी.

मैने जल्दी जल्दी खाना खाया और फिर से मेहुल का मोबाइल लेकर अपनी बर्थ पर जाकर बैठ गया. मैने एक शायरी ढूंढी और उसमे फेर बदल करके अपने मोबाइल से कीर्ति को भेज दी.

मेरा एसएमएस
"याद आने वाले याद आए जा रहे है.
ख़यालों मे वो हमारे छाए जा रहे है.
हम ने तो वादा अपना कर दिया है पूरा.
अब उनके इंतजार मे पलके बिच्छाए जा रहे है."

मेरे एसएमएस के काफ़ी देर बाद तक जब कीर्ति का एसएमएस नही आया. तब मैं समझ गया कि वो अभी खाना खाने सब के साथ बैठ चुकी है. मैं भी अब फ़ुर्सत ही था तो मैं मेहुल के मोबाइल की अच्छी अच्छी शायरी अपने मोबाइल मे सेव करने लगा. ये सब करते करते मुझे तो वक्त का कुछ पता ही नही चला मगर जब मेहुल ने मुझसे कहा कहा कि वो अब सो रहा है तो मैने टाइम देखा. अब 11:15 बज चुके थे.

मैने मेहुल को उसका मोबाइल दिया और मैं भी लेट गया. मैं समझ गया कि हो ना हो उसके एसएमएस ना आने मे निमी का ही कोई हाथ होगा. वो मेरे बिना आज से पहले कभी नही रही थी. ये बात दिमाग़ मे आते ही मेरा मन निमी से बात करने के लिए मचलने लगा. मैने जैसे ही कॉल करने के मोबाइल हाथ मे लिया वैसे ही कीर्ति का एसएमएस आ गया.

कीर्ति का एसएम
"यादों मे जो अपनी हम को बसाए है.
ख़यालों मे जिनके हम ही हम छाये है.
ए खुदा पूरा हो उन आँखों का हर सपना.
जो हमारे इंतजार मे अपनी पलके बिछाये है."

मैने एसएमएस पढ़ने के बाद तुरंत कीर्ति को कॉल लगा दिया. कुछ देर बाद कीर्ति ने कॉल उठाया.

मैं बोला "क्या हुआ. क्या निमी परेशान कर रही है."

कीर्ति बोली "हाँ बड़ी मुस्किल मे उसको अभी सुलाया है. जब से उपर आई थी बस रोए जा रही थी. कह रही थी मुझे भैया के पास जाना है. मैने तुम्हे कॉल भी लगाने की कोसिस की मगर कॉल भी नही लग रहा था."

मैं बोला "फिर कैसे सोई."

कीर्ति बोली "मैं और अमि उसे बहलाते रहे तब जाकर बहुत देर बाद वो सोई है."

मैं बोला "उसे मेरे कमरे मे ले जाती. वो उधर आराम से सो जाती."

कीर्ति बोली "वही तो किया है. उसे तुम्हारे कमरे मे लेकर आए और फिर तुम्हारी बातों से बहला कर उसे सुला दिया."

मैं बोला "ये लड़की भी बिल्कुल तुम्हारी तरह ही है. एक पल भी मुझसे दूर नही रह सकती."

कीर्ति बोली "तुम्हे तो खुश होना चाहिए कि तुम्हे इतना चाहने वाले एक नही दो दो लोग है."

मैं बोला "खुश तो हूँ पर उन से दूर होने का दुख भी तो होता है."

कीर्ति बोली "चलो अब ज़्यादा दुख मत करो. बस कुछ दिन की ही तो बात है. ये दिन भी देखते देखते ही निकल जाएगे. ये बताओ कि खाना खा लिया ना."

मैं बोला "हाँ खाना भी खा लिया और दवाई भी खा ली."

कीर्ति बोली "दवाई.? क्यों तुम्हे क्या हुआ."

मैं बोला "मुझे कुछ नही हुआ. मैं उस दवाई की बात कर रहा हूँ जो तुमने अपने एसएमएस मे भेजी थी."

कीर्ति बोली :तुम बहुत बदमाश होते जा रहे हो."

मैं बोला "और तुम बहुत शरीफ होती जा रही हो."

कीर्ति बोली "वो तो मैं शुरू से ही हूँ."

मैं बोला "तो मैं भी शुरू से ही बदमाश हूँ."

बस इसी तरह हमारी हमारी एक दूसरे से बात चलती रही. बीच बीच मे नेटवर्क ना मिलने से हमारी बात बंद हो जाती और नेटवर्क मिलते ही फिर हमारी बात शुरू हो जाती. ये सिलसिला रात को 1 बजे तक चला और फिर इसके बाद हम दोनो ने एक दूसरे को गुड नाइट कहा और सो गये. दूसरे दिन हमारी दिनभर एसएमएस से बात होती रही और बीच बीच मे मैं कॉल भी लगाता रहा. उस दिन भी हमारी देर रात तक बात हुई और फिर अगले दिन हम लोग 11 बजे मुंबई पहुच गये.

मुंबई मे हमें लेने के लिए स्टेशन पर राज और रिया मिले. नितिका ने उन्हे फोन कर बता दिया था कि हम किस गाड़ी से आ रहे है. उन दोनो ने हम लोगों से हमारा हाल चाल पूछा और फिर हम से अपने घर चलने की ज़िद करने लगे. हम ने मना भी किया कि हम किसी होटेल मे रह लेगे मगर वो दोनो नही माने. आख़िर मे हमे उनके साथ ही जाना पड़ा. राज ने एक टेक्सी की और फिर हम लोग उनके साथ उनके घर के लिए निकल पड़े.

राज लोगों के साथ चलने से पहले मैने कीर्ति को एसएमएस किया कि हम लोग पहुच गये है. राज और रिया हमें लेने आए है. हम उनके साथ ही उनके घर जा रहे है. मैं फ़ुर्सत होते ही तुमसे बात करूगा. कीर्ति ने भी मेरा एसएमएस मिलते ही ओके लिख कर भेजा दिया.

राज और रिया रास्ते मे हमारे यहाँ के सभी लोगों का हाल चाल पूछते रहे. मेहुल उन्हे सभी के बारे मे बताता रहा. मैं बस टॅक्सी से बाहर का माहौल देखता रहा. बस कोई कुछ पूछता तो उसे छोटा सा जबाब दे देता. ना जाने क्यों मुझे राज और रिया के घर जाना पसंद नही आ रहा था. लेकिन दोनो इतने प्यार से लेने आए थे इसलिए मजबूरी मे जाना पड़ रहा था. जैसे तैसे बात करते करते हम लोग राज और रिया के घर पहुच गये.

राज और रिया का घर भी हमारी तरह ही बड़ा था. उनके दादा जी और मम्मी हमारे आने का ही इंतजार कर रहे थे. राज ने हम लोगों का उनसे परिचय करवाया. सब का आपस मे परिचय होने के बाद राज के दादा जी ने कहा.

दादा जी बोले "बच्चो आप लोगों के रुकने का इंतज़ाम गेस्ट रूम मे करवा दिया गया है. आप लोग अब जब तक मुंबई मे है हमारे साथ ही रहेगे."

अंकल बोले "आप लोग बेकार मे परेशान ना हो. हम पहले भी मुंबई आ चुके है. हमें यहाँ कुछ ज़्यादा टाइम भी लग सकता है और फिर हमारा आना जाना भी वक्त बेवक्त का रहेगा. इस से आप लोगो को तकलीफ़ होगी. वो तो इन बच्हों ने ज़िद की थी, जिसकी वजह से हमें यहाँ तक आना पड़ा लेकिन हम यहाँ नही रुक सकते. यहाँ मेरी परिचित की एक होटेल है हम वही रुक जाएगे."

दादा जी बोले "आप ये कैसी बात कर रहे है. माना कि हम आपस मे कोई रिश्तेदार नही है मगर आप वहाँ हमारे बेटे के पड़ोसी है. इस नाते से तो आप हमारे भी पड़ोसी लगे. इसलिए ये बेकार की ज़िद छोड़िए और अब अपना समान वग़ैरह गेस्ट रूम मे ले जाइए. आज से आप हमारे साथ ही रहेगे."

अंकल बोले "आप हमारे बुजुर्ग है. आप हर बात को मुझसे बेहतर समझते है इसलिए मैने ये बात आप से कही."

दादा जी बोले "हमें अपना बुजुर्ग मानते हो तो फिर हमारी बात भी मानो. आप किसी भी बात की चिंता मत करो. आपको यहाँ किसी भी प्रकार की कोई परेशानी नही होगी और ना ही आपके किसी भी टाइम आने जाने से हमें कोई परेशानी है. आप इसे अपना ही घर समझ कर रहो और किसी भी बात के लिए ज़रा भी संकोच मत करो."

अंकल बोले "जैसा आप ठीक समझे."

दादा जी बोले "ठीक है अभी तो हमारे घर के बाकी सदस्य नही है पर रात के खाने पर सभी लोग होंगे. उस समय हम आपका परिचय उन से भी करवा देगे. अभी आप खाने के बाद कहीं जाना चाहे तो राज आपको ले जाएगा. अभी तो आप जाकर फ्रेश हो जाइए फिर हम सब एक साथ खाना खाएगे."
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