MmsBee कोई तो रोक लो
09-09-2020, 01:05 PM,
#56
RE: MmsBee कोई तो रोक लो
इसके बाद दादा जी ने राज को हमे गेस्टरूम मे ले जाने को कहा. राज ने एक रूम मे मुझे और मेहुल को रुकवा दिया और एक रूम मे अंकल को इसके बाद वो चला गया. कुछ देर मैं और मेहुल बात करते रहे और फिर मेहुल फ्रेश होने चला गया. मेहुल के जाने के बाद मैने कीर्ति को कॉल लगाया. कीर्ति ने तुरंत कॉल उठाया. जैसे कि वो मेरे ही कॉल आने के इंतजार मे बैठी हो.

मैं बोला "क्या हुआ. तुझे कोई काम धाम नही है. जो तू मोबाइल पकड़ कर ही बैठी रहती है."

कीर्ति बोली "काम ही तो कर रही हूँ."

मैं बोला "मोबाइल पकड़ कर बैठना कौन सा काम है."

कीर्ति बोली "तुम्हारे ना रहने पर मेरे पास यही तो एक काम बचा है कि तुम्हारे कॉल आने का इंतजार करती रहूं. ये बताओ वहाँ पर सब कुछ कैसा चल रहा है."

मैं बोला "अभी तो हम लोग रिया के घर पर ही है. उनके दादा जी और मम्मी से मिले. दोनो ही बहुत अच्छे है. उन्हो ने हमे होटेल मे जाने ही नही दिया. ज़िद करके अपने ही घर मे रोक लिया है."

कीर्ति बोली "ये तो अच्छी बात है पर एक बात है पर तुम अपना ख़याल रखना. खाना पीना समय पर खाते रहना."

मैं बोला "ये तुझे हुआ क्या है. जब से घर से निकला हूँ. तेरे मूह से सिर्फ़ एक ही बात सुनते आ रहा हूँ कि खाना पीना समय पर खाते रहना. अरे मेरे साथ अंकल और मेहुल भी तो है. वो मुझे क्या भूका रखेगे."

कीर्ति बोली "सॉरी. मेरा ऐसा करना तुम्हे बुरा लगा तो अब आगे से ऐसा नही करूगी मगर क्या करूँ."

मैं बोला "तुझे सॉरी बोलने की कोई ज़रूरत नही है. मैं तो ये बात इसलिए कह रहा था कि मुझे तेरी बात याद है. मैं खाना समय पर ही ख़ाता रहुगा पर तू इसके सिवा भी तो कोई बात कर सकती है. मैं तेरी बातें सुनने के लिए तरस गया हूँ."

कीर्ति बोली "तरस तो मैं भी गयी हूँ. यू लग रहा है जैसे मैने तुम्हे बरसो से ना देखा हो."

मैं बोला "मुझे भी ऐसा ही लग रहा है. अच्छा ये बता. घर मे सब ठीक है ना. निमी का क्या हाल है. आज तो ज़रूर वो अपना स्कूल गोल कर गयी होगी."

कीर्ति बोली "यहाँ सब ठीक है. अमि निमी भी अच्छी है और दोनो स्कूल गयी है. निमी ज़रूर स्कूल ना जाने की ज़िद कर रही थी मगर मैने उसे समझा कर स्कूल भेज दिया है. आंटी मम्मी के पास ही है और उनने कहा था कि जब मेरी तुम लोगो से बात हो तो मैं उनको खबर दे दूं."

मैं बोला "ये सब होने से तेरे उपर बहुत बोझ पड़ गया है. तुझे एक ही समय मे उधर सबको संभालना पड़ रहा है और इधर मेरी भी चिंता करनी पड़ रहा है."

कीर्ति बोली "ऐसा कुछ नही है. मेरे उपर इधर किसी तरह का कोई बोझ नही है. तुम मेरी चिंता बिल्कुल भी मत करो. सिर्फ़ उधर अंकल के इलाज की फिकर करो. मैं तो यहाँ बहुत मस्ती कर रही हूँ. तुम चाहो तो तुम भी वहाँ मस्ती कर सकते हो."

मैं बोला "हाँ वो तो मैं जानता हूँ कि तू वहाँ कितनी मस्ती कर रही है. तभी तो मेरी कॉल की पहली ही रिंग पर कॉल उठ गया."

कीर्ति बोली "तुम क्यों ये सब बात सोच रहे हो. मैं जो कुछ भी कर रही हूँ उसमे मुझे खुशी है क्योंकि इसी बहाने से मैं कम से कम तुम्हारी जबाब्दारी निभाने मे तुम्हारा साथ तो दे पा रही हूँ. अब ये सब छोड़ो ये बताओ खाना कब खाओगे."

मैं बोला "यार तू किस मिट्टी की बनी है. घूम फिर कर फिर से खाने पे आकर ही अटक गयी है."

कीर्ति बोली "मुझे कुछ नही सुनना. जो पूछ रही हूँ उसका सीधा सीधा जबाब दो. खाना कब खाओगे."

मैं बोला "बस तुझसे बात होने के बाद मैं फ्रेश होने जाउन्गा और उसके बाद खाना खाने."

कीर्ति बोली "तो ठीक है. अब फोन रखो और अभी फ्रेश होने जाओ. बाकी की बात हम खाना खाने के बाद कर लेगे."

मैं बोला "तू कुछ देर बात कर फिर मैं चला जाउन्गा."

कीर्ति बोली "बिल्कुल नही. मैने अभी बोला तो इसका मतलब है अभी."

मैं बोला "तू कभी नही सुधरेगी. जब देखो अपनी ही चलाती रहती है. मेरी तो कुछ सुनती ही नही है."

कीर्ति बोली "मुझे सुधरना भी नही है. यदि मैं सुधर गयी तो फिर तुम बिगड़ जाओगे. अब मुझे जल्दी से एक मीठी सी क़िस्सी दो और कॉल रखो."

मैं बोला "ओके मुऊऊऊहह"

कीर्ति बोली "मुउउहह"

इसके बाद उसने फोन रख दिया और तब तक मेहुल भी फ्रेश होकर आ चुका था. मैने उस से आंटी को फोन करने को कहा और फिर मैं फ्रेश होने चला गया. फ्रेश होने के बाद मैं तैयार हुआ और मेहुल से बात करता रहा. अंकल भी तैयार होकर हमारे कमरे मे ही आ गये थे. वो हमें बता रहे थे कि अब हम लोगों को कहाँ कहाँ जाना है. कुछ देर बाद राज हम लोगो को खाने के लिए बुलाने आ गया. हम लोग राज के साथ डाइनिंग रूम मे आ गये.

डाइनिंग रूम मे दादा जी और रिया पहले से ही थे. हम भी उनके साथ बैठ गये. खाना खाते खाते दादा जी की अंकल से बातें होती रही. खाने के बाद कुछ देर और यू ही बातें चलती रही. उसके बाद अंकल ने उनसे हॉस्पिटल मे 3 बजे डॉक्टर. से मिलने जाने की बात बताई. फिर हम लोग 2 बजे के बाद राज के साथ हॉस्पिटल के लिए निकल पड़े.

करीब 3 बजे हम लोग हॉस्पिटल पहुच गये. वहाँ हमें डॉक्टर. से मिलने मे ज़्यादा टाइम नही लगा. डॉक्टर. ने अंकल को आज ही अड्मिट होने को कहा और दूसरे दिन उनका ऑपरेशन करने की बात कही. हम ने हॉस्पिटल की बाकी फ़ॉर्मलटी पूरी कर शाम तक अंकल को अड्मिट कर दिया. अंकल को अड्मिट करने के बाद भी हम लोग हॉस्पिटल मे ही रहे.

फिर 7:30 बजे अंकल ने हम लोगों को जाने को बोला तो हम ने मना कर दिया. तब अंकल ने कहा कि ऑपरेशन तो सुबह 8 बजे होना है. तुम लोग बेकार मे रात भर यहा परेशान होगे. वैसे भी यहाँ एक व्यक्ति को रुकने मिलेगा और वो भी सो नही पाएगा. क्योंकि यहाँ सिर्फ़ बैठने के लिए ये चेयर ही है. इसी मे बैठे बैठे ही सोना पड़ेगा. तुम दोनो ही सफ़र से थके हुए हो इसलिए रात को जाकर आराम कर लो सुबह जल्दी आ जाना. राज ने भी अंकल की बात का समर्थन किया. आख़िर मे हमें ना चाहते हुए भी वहाँ से वापस आना पड़ा.

राज इस दौरान पूरे समय हम लोगों के ही साथ था. उसने भी हमारे साथ बहुत दौड़ धूप की थी. उसके साथ होने से हमें यहाँ बहुत हेल्प मिली थी. इस सब के बाद भी मुझे राज का साथ ज़रा भी पसंद नही आ रहा था. जिसकी वजह थी रिया और राज का एक दूसरे से सेक्स करना. इसलिए मेरी राज से अभी भी कोई ज़्यादा बात नही हो रही थी.

हम लोग 8:30 बजे राज के घर पहुच गये. दादा जी हम लोगों का ही रास्ता देख रहे थे. राज ने उन्हे दिन भर की सारी बातें बताई फिर दादा जी ने हम लोगों से मूह हाथ धोकर खाने पर आने को कहा तो हम लोग मूह हाथ धोने चले गये. मूह हाथ धोने के बाद मैने कीर्ति को कॉल करके सारी बात बताई और कहा कि मैं खाना खाने जा रहा हूँ. बाकी की बातें रात को करूँगा. इसके बाद हम लोग डाइनिंग रूम मे आ गये.

डाइनिंग रूम मे पहुचते ही मेरी नज़र डाइनिंग टेबल पर बैठे लोगों पर पड़ी. उन मे से एक पर जाकर मेरी नज़र ठहर गयी और मैं वही के वही रुक गया. एक पल के लिए तो मेरी साँसे ही थम गयी मगर ये सिर्फ़ मेरा अकेला ही हाल नही था. ऐसा ही कुछ हाल मेहुल का भी था. हम दोनो ने एक दूसरे की तरफ देखा. दोनो के मन मे एक ही सवाल था. लेकिन उस सवाल का जबाब हम दोनो मे से किसी के भी पास नही था. हम दोनो के ही कदम वही के वही रुके हुए थे.

हम दोनो की नज़र डाइनिंग टेबल पर बैठी एक लड़की पर टिकी हुई थी. जो ब्लू सलवार सूट पहने एक और लड़की के साथ वहाँ बैठी थी. देखने मे वह वहाँ बैठी सभी लड़कियों से सुंदर लग रही थी. लेकिन इस सब से बढ़कर जो बात हमें उसकी तरफ खिच रही थी. वो ये थी कि वो लड़की हू-ब-हू कीर्ति की तरह लग रही थी. ऐसा लग रहा था जैसे कि वो कीर्ति की जुड़वा बहन हो. उसे देख कर हम लोगों को अपनी आँखों पर विस्वास ही नही हो रहा था. हम ये सब देख कर कुछ पल के लिए अपनी ही जगह पर खड़े रहे.

रिया ने हमारी ऐसी हालत देखी तो वो हँसने लगी. बाकी के सभी लोग भी रिया की हँसी मे साथ दे रहे थे. उस लड़की के चेहरे पर भी हमारी हालत देख कर हँसी थिरक उठी. मैं और मेहुल सबको इस तरह हंसते देख झेप गये मगर अभी भी अपनी ही जगह पर ही खड़े रहे. तब दादा जी ने सबको चुप कराया और हम से कहा.

दादा जी बोले "बच्चो ऐसे कब तक खड़े रहोगे. यहाँ आकर बैठ जाओ."

दादा जी की बात सुनकर हम लोग राज के पास वाली खाली चेयर पर बैठ गये पर अब हमारी नज़र उस लड़की पर ना होकर दादा जी की तरफ थी. दादा जी ने हमारी हालत का अनुमान लगाते हुए कहा.

दादा जी बोले "तुम्हे तुम्हारे मन मे उठ रहे हर सवाल का जबाब मिल जाएगा. रिया ने हमें तुम्हारी कज़िन के बारे मे सब कुछ बता दिया था मगर हमें यकीन ही नही हो रहा था कि एक ही शकल के दो लोग बिना आपस मे किसी रिश्ते के भी हो सकते है. तब रिया ने हमें तुम्हारी कज़िन की तस्वीर दिखाई तो हमें यकीन करना पड़ा. आज यही सच तुम्हारी आँखों के सामने भी है. जिसे देख कर तुम्हे भी अपनी आँखों पर यकीन नही आ रहा होगा."

"राज और रिया को तो तुम पहले से ही जानते हो. हम से और राज की मम्मी से भी तुम सुबह मिल चुके हो. अब हम यहाँ बैठे बाकी के लोगों से भी तुम्हारा परिचय करवा देते है. ये हमारा बेटा अजय है और ये मेरी छोटी पोती प्रिया है. प्रिया 11थ मे पढ़ रही है और रिया से एक साल छोटी है. ये दूसरी लड़की,जिसे तुम देख कर इस तरह से चौक गये थे. ये प्रिया की सहेली निकिता है. ये अजय के बचपन के दोस्त रायपुर के जागीरदार जगत बहादुर सिंग की बेटी है और यहाँ बोर्डिंग मे पड़ती है. जब कभी इसकी छुट्टियाँ पड़ती है तो ये अपनी छुट्टियां हमारे साथ ही बिताती है. अब बताओ क्या सच मे इसकी सकल तुम्हारी कज़िन से मिलती है और दोनो मे कोई फ़र्क नही है."

मेहुल बोला "जी अंकल. यदि कुछ बातों को छोड़ दिया जाए तो ये हू-ब-हू कीर्ति से मिलती है."

अजय अंकल बोले "कौन सी बातें."

मेहुल बोला "एक तो इनके बाल बहुत छोटे है और कीर्ति के बाल कमर तक आते है. ये कुछ शांत स्वाभाव की लग रही जबकि कीर्ति दिन भर बक बक करती रहती है."

अजय अंकल बोले "इसके अलावा और कोई बात है."

मेहुल बोला "नही अंकल बस ये ही दो बातें है."

मेहुल की बात सुनकर ना जाने मुझे कैसा महसूस हुआ. जैसे सब उस लड़की से कीर्ति की बराबरी कर कीर्ति का मज़ाक बना रहे हो. मैं अपने आपको ना रोक सका और बोल पड़ा.

मैं बोला "नही अंकल अभी और भी बहुत सी बातें है. जैसे ये सलवार सूट पहने हुई है. हमारी कीर्ति को सलवार सूट पहनना ज़रा भी पसंद नही है. वो सिर्फ़ जीन्स टी-शर्ट और स्कर्ट टॉप ही पहनना पसंद करती है. इनका सूट ब्लू कलर का है जबकि कीर्ति को ब्लू कलर ज़रा भी पसंद नही है. इनके हाथो मे चूड़िया है जबकि कीर्ति को चूड़ीयाँ पहनना ज़रा भी पसंद नही है. वो अपने हाथ मे ब्रेसलेट पहनती है. इनके बाल छोटे है फिर भी ये बालों को बाँधे हुए है जबकि कीर्ति हमेशा ही बालों को खुला रखती है. ज्यदा से ज़्यादा वो बालों को फोल्ड कर लेती है. इनके माथे पर बिंदी नही है लेकिन कीर्ति हमेशा एक छोटी सी बिंदी अपने माथे पर लगाए रहती है. कीर्ति का रंग भी इनके मुक़ाबले ज़्यादा गोरा है. ये हँसने मे कंजूसी करती है पर कीर्ति हर बात पर दिल खोल कर हँसती है."

मेरी बातें सुनकर निक्की को लगा कि मैं वेवजह उसकी बुराई कर रहा हूँ. उस से अपनी ये बुराई सहन नही हुई और फिर उसने मेरी बातों को बीच मे ही काट कर कहा.

निक्की बोली "ये सारी खूबियाँ मुझमे भी है. मैं तो सलवार सूट पहन कर सिर्फ़ इसलिए आई थी क्योंकि दादा जी को ये पहनावा पसंद है. हाँ बाल मेरे छोटे ज़रूर है पर वो इसलिए है क्योंकि यहाँ प्रदूषण इतना है कि बड़े बालों की देख भाल कर पाना मुस्किल हो जाता है. आपके यहाँ पर इतना प्रदूषण नही होगा."

मैं बोला "आपका सिटी महानगर है तो इसका मतलब ये नही कि हमारी सिटी कोई गाँव या कस्बा है. हमारी सिटी भी देश के चार महानगरों मे से एक है और वहाँ इस से भी ज़्यादा आबादी और प्रदूषण है फिर भी हमारी कीर्ति अपने बालों का ख़याल रखती है और उसे ऐसा करना अच्छा लगता है."

हमारे बीच की बहस का मज़ा थोड़ी देर तो सब लेते रहे मगर फिर दादा जी ने देखा कि ये बहस कोई दूसरा ही रूप लेने लगी है तो दादा जी ने हम दोनो को रोकते हुए कहा.

दादा जी बोले "अरे तुम लोग अभी अपनी बहस बंद कर खाना खाओ. ना तो तुम अभी कहीं भागे जा रहे हो और ना ही निक्की कहीं भागी जा रही है. खाने के बाद तुम लोगों को जितनी भी बहस करना हो कर लेना मगर अभी तो खाना खाना शुरू करो."

दादा जी की बात सुनकर हम सब ने खाना खाना शुरू कर दिया पर निक्की बीच बीच मे मुझे खाना खाते खाते गुस्से से घूर कर देख रही थी. मेरी एक दो बार उस पर नज़र पड़ी और उसे अपनी तरफ घूरते देख कर मैने भी लापरवाही मे सर को झटका और फिर खाना खाने लगा. वो शायद मेरे इस बर्ताव से नाराज़ हो गयी थी. मगर मैं भी क्या करता. मेरा इरादा निक्की को नाराज़ करने का नही था पर मैं अपनी कीर्ति की किसी से बराबरी करना सहन नही कर पाया था और उसे निक्की से अच्छा साबित करने के लिए निक्की को छोटा दिखा रहा था.

हम लोगों ने खाना खाया और फिर कल अंकल के ऑपरेशन को लेकर बात चलती रही. लेकिन फिर ना तो मैं कुछ बोला और ना ही निक्की ही कुछ बोली. हम दोनो शांति से सिर्फ़ बात सबकी बात सुनते रहे. ये बात ख़तम होने के बाद हम लोग अपने अपने कमरे मे आ गये.

कमरे मे आने के बाद मेरे और मेहुल के बीच मे कुछ देर बात होती रही. फिर मेहुल बोला तू जल्दी सो जा सुबह उठना है. मैं पापा के कमरे मे जा रहा हूँ क्योंकि मैं अभी कुछ देर शिल्पा से बात करूगा. ये कहकर मेहुल अंकल वाले कमरे मे चला गया. निक्की से मिलने के बाद से ना जाने क्यों मेरा मूड कुछ ठीक नही था. मैने टाइम देखा तो 11 बज चुके थे. मैने तुरंत कीर्ति को कॉल लगाया.

मैं बोला "और सुना वहाँ का क्या हाल चाल है."

कीर्ति बोली "यहाँ सब ठीक है. तुम बताओ कल सुबह हॉस्पिटल के लिए यहाँ से कितने बजे निकलोगे."

मैं बोला "डॉक्टर. ने तो सुबह 8 बजे ऑपरेशन करने को कहा है पर हम लोग सुबह 6 बजे यहाँ से निकलेगे."

कीर्ति बोली "तब तो तुम्हे अभी जल्दी सो जाना चाहिए. वरना सुबह उठने मे परेशानी होगी."

मैं बोला "हाँ सो जाउन्गा. तुझसे बात करने के बाद तो सोना ही है."

कीर्ति बोली "तुम्हे क्या हुआ है. तुम्हारा मूड उखड़ा उखड़ा क्यों है. क्या डॉक्टर. ने अंकल के बारे मे कोई बात की है."

मैं बोला "नही ऐसी कोई बात नही है. डॉक्टर. ने तो कहा है कि उसे 99% ऑपरेशन के सफल होने की उम्मीद है."

कीर्ति बोली "तो फिर क्या बात है. तुम्हारा मूड इतना उखड़ा क्यों है."

मैं बोला "कुछ तो नही. बस ऐसे ही थक गया हूँ."

कीर्ति बोली "नही बताना तो मत बताओ पर मुझसे झूठ मत बोलो. मैं जानती हूँ कि वहाँ कुछ ना कुछ बात ज़रूर हुई है. जिसका तुम्हे बुरा लगा है. सच सच बोलो तुम्हे किसने क्या बोला है."

मैं बोला "ऐसी कोई बात नही है. बस आज एक लड़की मिली है. उससे ही मिलकर दिमाग़ खराब हो गया है."

कीर्ति बोली "कौन लड़की.? उसने तुम्हे क्या कह दिया जो तुम्हारा इतना मूड खराब हो गया."

मैं बोला "वो लड़की रिया की बहन प्रिया की सहेली है. वो बिल्कुल तेरे जैसी दिखती है."

कीर्ति बोली "अरे तो इसमे बुरा मानने की क्या बात है. ये तो अच्छी बात है. कम से कम इसी बहाने तुम्हे मेरी सूरत तो देखने को मिलेगी."

मैं बोला "ज़्यादा मत बोल. कोई किसी लड़की से तेरी बराबरी करे ये मुझसे सहन नही होगा."

कीर्ति बोली "अरे बाबा इसमे इतना नाराज़ होने की क्या ज़रूरत है. मुझे तो पहले से ही मालूम है कि प्रिया की किसी सहेली की सकल मुझसे मिलती है."

मैं बोला "तुझे कैसे मालूम है."

कीर्ति बोली "उस दिन मैं और राज जब वॉटरफॉल मे घूम रहे थे. तब राज मुझे इसी बारे मे बता रहा था. मैं तुमसे ये बात बताना चाहती थी पर तुम राज को लेकर इतना नाराज़ थे कि कुछ सुनना ही नही चाहते थे."

मैं बोला "कुछ भी हो पर वो .लड़की तेरे जैसी बिल्कुल भी नही है. सिर्फ़ शकल मिल जाने बस से कोई किसी के जैसे नही बन जाता."

कीर्ति बोली "चलो मैं मान लेती हूँ कि वो मेरे जैसी बिल्कुल भी नही है. अब अपना मूड सही करके बात करो ना. नही तो मुझे सारी रात नींद नही आएगी."

मैं बोला "सॉरी. मैने किसी और का गुस्सा तुम पर उतार दिया."

कीर्ति बोली "कोई बात नही. तुम्हारा गुस्सा हो या प्यार मुझे सब प्यारे है. लोग जिसे ज़्यादा प्यार करते है अपना गुस्सा भी उसी पर उतारते है. अब मैं एक बात बोलूं."

मैं बोला " हाँ बोलो."

कीर्ति बोली "आइ लव यू."

मैं बोला "ठीक है."

कीर्ति बोली "नही ऐसे नही. तुम भी बोलो."

मैं बोला "तुझे तो मालूम ही है फिर बोलने का क्या फ़ायदा."

कीर्ति बोली "नही मुझे सुनना है."

मैं बोला "आइ लव यू."

कीर्ति बोली "नही ऐसे नही. प्यार से बोलो. ज़रा मुस्कुरा कर बोलो."

कीर्ति की बात सुनकर मेरे चेहरे पर सच मे मुस्कुराहट आ गयी.

मैं बोला "आइ लव यू जान."

कीर्ति बोली "ये हुई ना बात. अब आँख बंद करो और सो जाओ."

मैं बोला "नही अभी मुझे बात करनी है."

कीर्ति बोली "बात तो मैं भी करना चाहती हूँ जान. लेकिन कल तुम्हे जल्दी उठना है और पता नही फिर कल तुम्हे कब सोने को मिले. इसलिए मैं चाहती हूँ की आज हम ज़्यादा रात तक बात ना करे. आज तुम आराम कर लो फिर कल जितनी देर तक बात करने को कहोगे मैं करूगी."
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RE: MmsBee कोई तो रोक लो - by desiaks - 09-09-2020, 01:05 PM
(कोई तो रोक लो) - by Kprkpr - 07-28-2023, 09:14 AM

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