MmsBee कोई तो रोक लो
09-09-2020, 01:05 PM,
#57
RE: MmsBee कोई तो रोक लो
मैं कीर्ति से बात करना चाहता था मगर उसका कहना भी ठीक ही था फिर भी मैने बेमन से कहा.

मैं बोला "ठीक है जैसी तुम्हारी मर्ज़ी. गुड नाइट."

कीर्ति बोली "हूँ हूँ. ऐसे मन छोटा करके नही. प्यार से बोलो."

मैं बोला "ओके कल हम देर तक बातें करेगे. मुऊऊऊहह गुड नाइट जान."

कीर्ति बोली "अब ठीक है. कल मैं तुम्हे जल्दी जगा दूँगी. अपना मोबाइल अपने पास ही रखना. मुऊऊुुुुउऊहह गुड नाइट जान."

ये कह कर कीर्ति ने कॉल रख दिया और मैं कीर्ति के बारे मे सोचने लगा. वो मुझसे इतनी दूर होकर भी मेरा कितना ख़याल रख रही थी. मैं उसका इतना प्यार पाकर खुद को दुनिया का सबसे खुश नसीब इंसान समझ रहा था. बस यूँ ही कीर्ति की बातें सोचते सोचते मुझे कब नींद आ गयी मुझे पता ही नही चला.

सुबह 5 बजे मेरी नींद कीर्ति के कॉल से ही खुली. मैने देखा उसके 8-10 मिस्ड कॉल है. मैने तुरंत उसका कॉल उठाया.

कीर्ति बोली "गुड मॉर्निंग जान."

मैं बोला "गुड मॉर्निंग. तू रात भर सोई भी है या फिर मुझे जगाने के चक्कर मे सारी रात जागती रही."

कीर्ति बोली "गुड मॉर्निंग टू यू जान."

मैं बोला "मैने कुछ पूछा है तुझसे."

कीर्ति बोली "छोड़ो ना जान. अब उठो जल्दी से और उस मेहुल को भी जगा दो. वो भी तुम्हारी तरह अभी तक सो ही रहा होगा."

मैं बोला "इसका मतलब है कि तू हम लोगों को सुबह जगाने के लिए रात भर जागती रही."

कीर्ति बोली "मैं कोई जानबूझ कर नही जागी. मुझे नींद ही नही आ रही थी. जागते जागते 3 बज गया था तो मैने सोचा कि अब थोड़ी देर और जाग लेती हूँ फिर तुम्हे जगा कर सो जाउन्गी."

मैं बोला "तू मुझे इतना प्यार क्यों करती है. मुझसे तेरा इतना प्यार संभाला नही जाता."

कीर्ति बोली "हर किसी को अपनी जान प्यारी होती है. यदि मैं अपनी जान को इतना प्यार करती हूँ तो इसमे बुरा क्या है."

मैं बोला "तेरा ये प्यार या तो किसी दिन तुझे पागल कर देगा या फिर मुझे पागल कर देगा."

कीर्ति बोली "जब तक मेरी जान मेरे पास है. ना मैं पागल होने वाली हूँ और ना ही अपनी जान को पागल होने दूँगी. मेरी चिंता मत करो. मैं अब सोउंगी तो सीधा 12 बजे के बाद ही उठुगी लेकिन अब तुम देर मत करो और जल्दी से उठ जाओ."

मैं बोला "ठीक है. अब मैं जाग गया हूँ. तू सो जा और 12 बजे के पहले मत उठना."

कीर्ति बोली "ओके जान. गुड नाइट. मुउउहह.

मैं बोला "ओके गुड नाइट. मुउउहह.

इसके बाद कीर्ति ने फोन रख दिया और मैं उठ कर मेहुल को जगाने चला गया. मेहुल भी गहरी नींद मे था. उसने टाइम पूछा और जैसे ही मैने कहा 5:15 बज गया है. वो तुरंत उठ कर बैठ गया. उसे जगाने के बाद मैं अपने कमरे मे आकर फ्रेश होने चला गया. फ्रेश होकर मैं तैयार हुआ और वापस मेहुल के पास आया. मेहुल भी तैयार हो चुका था. हमें तैयार होते होते 5:45 हो गये थे. अब हम जल्दी से हॉस्पिटल पहुचना चाहते थे.

हम लोग कमरे से बाहर निकले तो बाहर हॉल मे निक्की टहल रही थी. वो इस समय ब्लॅक जीन्स और वाइट टी-शर्ट पहने थी. उसमे वो बला की खूबसूरत लग रही थी. फिर भी मैने उसे देखते ही इस तरह मूह बना लिया जैसे कोई अनचाहा मेहमान घर मे आ जाता है. निक्की ने एक नज़र मेरी तरफ डाली और मुझे मूह बनाया हुआ देख कर उसने मेहुल से कहा.

निक्की बोली "आप लोग तैयार हो गये. मैं आप लोगों को जगाने गयी थी पर देखा कि आप लोग जाग चुके हो. मैं भी आप लोगों के साथ चल रही हूँ."

मेहुल बोला "क्यों क्या राज हम लोगों के साथ नही जाएगा."

निक्की बोली "राज और बाकी सब लोग यहा देर से ही सोकर उठते है. जैसे ही उसकी नींद खुलेगी वो पहुच जाएगा. मैं जल्दी उठ जाती हूँ इसलिए मैं आप लोगों के साथ चल रही हूँ."

मैं बोला "हम लोग टॅक्सी लेकर चले जाएगे. आपको परेशान होने की कोई ज़रूरत नही है."

निक्की बोली "इसमे परेशानी वाली कोई बात नही है. उस हॉस्पिटल मे मेरी एक फ्रेंड के भाई डॉक्टर. है. मैं उन्हे भाई मानती हू. उन से आप लोगों को बहुत हेल्प हो जाएगी इसलिए मैं आपके साथ चल रही हूँ, फिर चाहे कल से आप लोग अकेले चले जाना."

मेहुल बोला "निक्की ठीक कह रही है. अब हमे बेकार की बातों मे समय बर्बाद नही करना चाहिए और जल्दी से हॉस्पिटल चलना चाहिए."

मेहुल की बात सुनकर हम तीनो बाहर आ गये और एक टॅक्सी लेकर हॉस्पिटल के लिए निकल पड़े. 6:30 बजे हम लोग हॉस्पिटल पहुच गये. हम मे से किसी एक को ही हॉस्पिटल के अंदर जाने की इजाज़त थी क्योंकि हॉस्पिटल के रूल के अनुसार मरीज के साथ कोई एक अटेंडर ही रह सकता था और उसके लिए हमें एक गेट पास दिया गया था. लेकिन निक्की ने हॉस्पिटल पहुच कर अपनी सहेली के भाई को फोन लगाया. जो उस समय इतेफ़ाक से अपनी ड्यूटी पर थे. निक्की की सहेली के भाई आए तो उन्हो ने से निक्की ने हमारा परिचय करवाया. निक्की ने उनसे कहा.

निक्की बोली "भैया ये है मेरी सहेली प्रिया के रिश्तेदार है. ये है मेहुल जिनके पापा अड्मिट है और ये इनके दोस्त पुनीत."

फिर निक्की ने हम से उसका परिचय करवाया.

निक्की बोली "ये मेरे भाई अमन खन्ना है. ये इस हॉस्पिटल मे डॉक्टर. है और आपको यहाँ किसी भी तरह की परेशानी हो आप इनसे कह सकते है."

इसके बाद निक्की ने उनसे सारी बात बताई. डॉक्टर अमन खन्ना ने हमारे लिए एक और गेट पास का इंतेजाम कर दिया. फिर हम तीनो डॉक्टर अमन के साथ अंकल के पास गये. हम ने अंकल से निक्की का परिचय करवाया. डॉक्टर. अमन कुछ देर तक हमारे साथ रहे और फिर वहाँ के स्टाफ को कुछ ज़रूरी हिदायत देकर चले गये.

फिर 7:00 बजे अंकल को ऑपरेशन के लिए तैयार किया जाने लगा. डॉक्टर. ने हम लोगों से कहा आप में से एक ही यहाँ रुके बाकी के दो लोग वेटिंग लोंगे मे जाकर बैठे. तब मैं और निक्की वेटिंग लोंगे मे आ गये. लेकिन कुछ देर बाद निक्की ने कहा.

निक्की बोली "मुझे यहाँ के एसी मे बहुत ठंड लग रही है. क्या हम बाहर चल कर बैठ सकते है."

मैं बोला "हाँ क्यों नही. हम यहाँ बैठे या बाहर बैठे एक ही बात है."

ये कह कर मैने मेहुल को कॉल लगा कर कहा. हम लोग हॉस्पिटल के बाहर जा रहे है. तुझे ज़रूरत हो तो मुझे कॉल करके बुला लेना. इसके बाद मैं निक्की के साथ हॉस्पिटल से बाहर आ गया. बाहर समुंदर का किनारा था और सुबह की गुनगुनी धूप थी. हम लोग वही समुंदर के किनारे आकर बैठ गये.

सुबह का वक्त होने की वजह से वहाँ एक्का दुक्का लोग ही थे. किनारे पर आती जाती लहरों के पास ही कुछ दूरी पर कबूतरों का झुंड भी बैठा हुआ था. मेरे लिए समुंदर की ये आती जाती लहरें और कबूतरों का बैठा हुआ वो झुंड, दोनो ही मन मोहक थे. मैं कभी समुंदर की आती जाती लहरों को देखता तो कभी कबूतरों के उस झुंड मे खो जाता.

मेरे और निक्की के बीच आपस मे कोई बात नही हो रही थी. शायद निक्की मुझसे बात करने की सोच भी रही हो, पर मेरे मन मे उस से बात करने या ना करने को लेकर उस समय कोई बात नही थी. बहुत देर तक हम दोनों के बीच खामोशी रही.

फिर निक्की ने ही इस खामोशी को तोड़ते हुए कहा कि वो अभी आती है. ये कह कर वो मेरे पास से उठ गयी. मैं समुंदर की लहरों को छोड़ कर निक्की को जाते हुए देखने लगा, कि ये कहाँ जा रही है. निक्की थोड़ी दूर चलकर गयी और वहाँ बैठे एक आदमी से उसने कबूतरों का दाना खरीदा और वापस मेरे पास आकर बैठ गयी.

कबूतरों का झुंड हम लोगों के काफ़ी करीब था. निक्की बैठे बैठे उन्हे दाना चुगाने लगी. कबूतरों को दाना चुगते देख मुझे बहुत अच्छा लगा और निक्की का ये करना मुझे बहुत अच्छा लगा था. ये दृश्य देख कर मेरे चेहरे पर मुस्कान आ गयी. जो शायद निक्की ने पहली बार मेरे चेहरे पर देखी थी.

उसने मुस्कुराते हुए मुझसे कहा "बहुत आनंद आता है इन्हे दाना चुगाने मे. ये लीजिए आप भी दाना चुगाए."

मैने उस से बिना कुछ बोले दाना अपने हाथ मे ले लिया और कबूतरों को चुगाने लगा. मुझे ऐसा कर बहुत ही अच्छा लग रहा था. कबूतरों को दाना चुगाने से मुझे जिस सुख का अहसास हुआ उससे मेरे अंदर का सारा तनाव निकल गया था. मेरा मूड बदला हुआ और मुझे यू खुश देख कर निक्की ने कहा.

निक्की बोली "आप के अंदर अभी भी एक छोटा सा बच्चा है. जो ज़रा ज़रा सी बातों मे नाराज़ हो जाता है और ज़रा ज़रा सी बातों मे खुश भी हो जाता है. आप ऐसे ही बहुत अच्छे लगते है."

कुछ पल के लिए मैने निक्की की तरफ देखा. उसके चेहरे पर मुझे मनाने वाली मुस्कान थी. मैने फिर वापस कबूतरों को दाना चुगाते हुए कहा.

मैं बोला "मैं बचपन से ही ऐसा हूँ. मेरी सारी दुनिया सिर्फ़ कुछ लोगों मे ही सिमटी हुई है और मैं उसी मे खुश रहता हूँ. मुझे नये लोगों से मिलना जुलना ज़्यादा अच्छा नही लगता."

निक्की बोली "वो तो मैं आपको देख कर ही समझ गयी थी. लेकिन आप को ये नही लगता कि आप वेवजह मुझसे नाराज़गी जता रहे थे."

मैं बोला "मैं भला आपसे क्यों नाराज़गी जताउन्गा. आपने ऐसा किया ही क्या है."

निक्की बोली "अगर आप नाराज़ नही है तो फिर मेरे साथ इस तरह का रूखा बरताव क्यों कर रहे थे."

मैं बोला "अब आप इतनी भी भोली नही है कि आप इसका मतलब भी ना समझती हो."

निक्की बोली "मैं तो अच्छी तरह से जानती हूँ और आप भी ये अच्छी तरह से जानते है कि इस सब मे मेरा कोई दोष नही है. अब आपकी कजिन से मेरी शकल मिलती है तो इसमे मेरी ग़लती क्या है."

मैं बोला "आपकी कोई ग़लती नही है पर कहीं ना कहीं आपकी वजह से मेरे दिल को ठेस लगी है."

निक्की बोली "लेकिन इसमे मैं ग़लत होती तो मान भी लेती. मुझे भी किसी से मेरी बराबरी किया जाना पसंद नही है. मगर जो सच है उस से भी आँखे चुराना मेरी आदत नही है. आप खुद अपने दिल पर हाथ रख कर कहो कि मैं ग़लत हूँ. फिर भी यदि आपको मेरी वजह से ठेस लगी है तो उसके लिए मैं माफी चाहती हूँ."

मैने निक्की की तरफ गौर से देखा. उसके चेहरे पर उस समय मासूमियत और शर्मिंदगी के भाव थे. जिस वजह से वो बहुत ही प्यारी लग रही थी और मेरा मन उसकी इस मासूमियत को देख कर उसकी तरफ से साफ हो चुका था. मगर इस शर्मिंदगी के कारण उसका खिला हुआ चेहरा मुरझा गया था. मैने उसकी शर्मिंदगी दूर करने की गरज से कहा.

मैं बोला "आपको माफी माँगने की कोई ज़रूरत नही है. जो हो गया उसे भूल जाना ही बेहतर है. आप का स्वभाव मुझे अच्छा लगा. उम्मीद करूगा कि आप मेरी कही बात को दिल से नही लगाएगी."

मेरी बात सुनकर निक्की का चेहरा वापस खिल उठा. उसने चहकते हुए कहा.

निक्की बोली "यदि आपकी बात को दिल से लगाना होता तो अभी आपके साथ नही बैठी होती. मैं आपकी बात को समझ चुकी हूँ और यह भी अच्छी तरह से समझ गयी हूँ कि आप अपनी कजिन को बहुत प्यार करते है तभी आपको उससे मेरी बराबरी किए जाने पर ये ठेस लगी है."

मैं बोला "हाँ मैं उसे बहुत प्यार करता हूँ पर ऐसा करना कोई तो ग़लत नही है. सभी अपने कजिन को प्यार करते ही है."

निक्की बोली "मैं उस प्यार की बात नही कर रही. मुझे लगता है कि आप अपनी कजिन को बाय्फ्रेंड गर्लफ्रेंड वाला प्यार करते है और इस बात को शायद आप दोनो के सिवा कोई नही जानता. वरना मेहुल ने इस बात को इतनी आसानी से नही कह दिया होता."

मैं बोला "जैसा आप सोच रही है, ऐसी कोई बात नही है."

निक्की बोली "मुझे ऐसा लगा तो मैने बोल दिया. हो सकता है कि मेरा अनुमान ग़लत हो. फिर भी आप यदि चाहे तो मुझे अपना दोस्त समझ कर अपनी फीलिंग्स शेयर कर सकते है."

मैं बोला "आपने मुझे अपना दोस्त समझा उसके लिए थॅंक्स. मुझे आपकी दोस्ती मंजूर है. मैं आपकी बात को याद रखुगा और यदि आगे शेयर करने वाली कोई बात हुई तो मैं आप से ज़रूर शेयर करूगा. अब मैं आप से एक बात पुछु."

निक्की बोली "अब आपने मुझे दोस्त मान ही लिया है तो ये बात भी अच्छे से समझ लीजिए कि, दोस्तो को किसी बात को पूछने के लिए एक दूसरे से इजाज़त लेने की ज़रूरत नही होती. आप बेशक मुझसे कुछ पूछ सकते है."

मैं बोला "आप रिया और राज के घर मे कब से आ जा रही है."

निक्की बोली "मेरा तो सारा बचपन ही यही बीता है. मेरे डॅड ने मुझे बचपन मे ही बोर्डिंग मे भेज दिया था. तब से मेरा समय अपने घर मे कम और रिया के घर मे ज़्यादा बीता है. दादा जी और घर के बाकी लोग मुझे घर के किसी सदस्य की तरह ही प्यार करते है."

मैं बोला "तब तो आप घर के सभी लोगों के बारे मे अच्छे से जानती होगी."

निक्की बोली "हाँ मैं सभी को अच्छे से जानती हूँ, पर आप ऐसा क्यों पूछ रहे है."

मैं बोला "तो आपको कभी रिया और राज के रिश्ते मे कुछ अजीब सा नही लगा."

निक्की बोली "नही मुझे तो कुछ भी अजीब नही लगा. दोनो अच्छे भाई बहन की तरह रहते है और दोनो मे आपस मे बहुत प्यार है. आपको इसमे क्या अजीब लगा है."

मैं बोला "कुछ नही. बस ऐसे ही मन मे ख़याल आया तो पूछ लिया."

निक्की बोली "नही ऐसा नही हो सकता. आपको जितना मैं अभी जान पाई हूँ. उस से इतना तो समझ समझ सकती हूँ कि, आप कभी कोई फालतू की बात करना पसंद नही करते. आपने ये बात पूछी है तो ज़रूर इसमे कोई राज की बात छुपि होगी. वरना आप इस बात को हरगिज़ नही पूछते."

मैं बोला "ऐसा कुछ भी नही है. मैने तो बस यू ही पूछ लिया."

निक्की बोली "ये तो ग़लत बात है. आपने मुझे दोस्त तो कहा पर मुझे दिल से दोस्त नही माना. आपको पता होना चाहिए कि सच्चे दोस्तों से कोई बात छिपाइ नही जाती. मुझे लगता है कि आपने मुझे अपना दोस्त दिल से नही माना है वरना आप अपने दिल की बात खुल कर बोल देते."

मैं बोला "मुझसे आपकी दोस्ती हुए तो अभी कुछ ही देर हुई है जबकि आपका रिया के परिवार से रिश्ता बचपन का है. फिर मैं कैसे मान लूँ कि आप मेरी बात को अपने तक ही रखेगी. रिया लोगों तक नही जाने देगी."

निक्की बोली "दोस्ती मे नया पुराना नही देखा जाता. दोस्ती दिल से की जाती है और निभाई भी दिल से जाती है. दोस्ती का दूसरा नाम ही विस्वास है. आप यकीन रखिए कि आप जो कुछ भी कहेगे वो सिर्फ़ आपके और मेरे बीच ही रहेगा. वो बात कभी किसी तीसरे को मालूम नही होगी."

मैं बोला "आपकी मेरी दोस्ती तो सिर्फ़ तभी तक की है, जब तक मैं यहाँ हूँ. उसके बाद तो आप अपने रास्ते और मैं अपने रास्ते पर निकल जाउन्गा. लेकिन जो बात मैं बोलुगा यदि वो बात खुल जाती है तो उस से रिया और राज के परिवार मे अच्छा ख़ासा तूफान उठ सकता है."

निक्की बोली "बात तो आपकी सही है. शायद आपके जाने के बाद हमारी कभी मुलाकात भी ना हो मगर इस बात को भी नही झुठलाया जा सकता कि कुछ दोस्त चाहे थोड़े समय के लिए ही साथ क्यों ना हो, पर वो दिल मे ऐसी जगह बना लेते है कि उनकी जगह कोई नही ले सकता."

मैं बोला "तो क्या मैं ऐसे दोस्तो की कतार मे आता हूँ, जो दिल मे जगह बना लेते है."

निक्की बोली "बेशक आप ऐसे ही दोस्तो की कतार मे आते है. रिया ने हम लोगों को आपके आने के पहले ही आपके बारे मे बहुत कुछ बताया था. उसमे ये बात भी शामिल थी कि आपको मेहुल के मम्मी पापा कितना प्यार करते है और आज आपको उनके लिए ये सब करते देख मेरे दिल मे आपकी इज़्ज़त और भी बढ़ गयी है. बहुत कम दोस्त ऐसे होते है जो मुसीबत के समय अपने दोस्त के काम आते है. शायद यही वजह थी कि आपके इतना सब कहने के बाद भी मेरे मन मे आपके लिए कोई मैल नही आया."
Reply


Messages In This Thread
RE: MmsBee कोई तो रोक लो - by desiaks - 09-09-2020, 01:05 PM
(कोई तो रोक लो) - by Kprkpr - 07-28-2023, 09:14 AM

Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,454,335 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 539,079 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,213,114 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 917,054 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,625,788 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,058,585 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 2,913,161 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 13,931,931 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 3,983,389 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 280,427 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 5 Guest(s)