MmsBee कोई तो रोक लो
09-09-2020, 01:05 PM,
#58
RE: MmsBee कोई तो रोक लो
निक्की की इन बातों ने सीधे मेरे दिल पर असर किया. मैं समझ नही पा रहा था कि उस से वो बात करूँ या ना करूँ. मगर फिर मैने निक्की की दोस्ती को आज़माने की गरज से बात कह देना ही ठीक समझा. मैने निक्की से बड़े ही संजीदा शब्दो मे कहा.

मैं बोला "ठीक है यदि आप मुझे सच्चा दोस्त समझती है तो, मैं भी आप से ये बात ज़रूर शेयर करूगा मगर आपको वादा करना होगा कि आप इस बात के बारे मे रिया राज या प्रिया से कुछ पूछेगी नही."

निक्की बोली "मैं वादा करती हूँ कि मैं ना तो किसी से कुछ पूछुगी और ना ही आप से हुई बात के बारे मे किसी से कोई जिकर करूगी."

मैं बोला "आपको मालूम है कि रिया और राज के बीच मे सेक्स रिलेशन्षिप है."

मेरी बात को सुनकर निक्की को एक जोरदार धक्का लगा. कुछ देर वो मेरा चेहरा देखती रही और मेरी बात को समझने की कोशिस करती रही. मैने उसे यूँ देखा तो मैने अपनी बात को आगे बढ़ाया.

मैं बोला "ये सब मैने अपनी आँखों से देखा है. ये दोनो जब मेरी सिटी आए थे और मैं इनसे नही मिला था तब मैने इन्हे एक पार्क मे एक दूसरे से सेक्स करते देखा था. उसके बाद जब मैं नितिका के घर पहुचा तब मेरी इनसे मुलाकात हुई थी. तब मुझे पता चला था कि ये दोनो भाई बहन है."

इतना कह कर मैं चुप हो गया मगर निक्की को अभी भी मेरी कही बात पर यकीन नही हो रहा था. वो अभी कुछ बोल पाती उस से पहले ही मुझे राज आता दिखाई दे गया. मैने निक्की को बताया कि राज आ रहा है. उसने अपने चेहरे के भावों को बदला और दूसरी बात करने लगी. राज ने आकर ऑपरेशन के बारे मे पूछा तो मैने कहा अभी चल रहा है और मेहुल उपर ही है. फिर मैने घड़ी मे टाइम देखा तो 9:30 बज गये थे. मैने मेहुल को कॉल लगाया और पूछा.

मैं बोला "क्या हुआ. अंकल ऑपरेशन थियेटर से बाहर आए या नही."

मेहुल बोला ".................... (अभी तो ऑपरेशन चल ही रहा है.)

मैं बोला "ठीक है. मैं उपर आता हूँ. तू कुछ देर के लिए नीचे आ जाना."

मेहुल बोला "................... (ठीक है. तू आजा.)

मैने निक्की और राज से कहा मैं उपर जा रहा हूँ. मेहुल आए तो तुम लोग उसके साथ कुछ चाय नाश्ता कर लेना. क्योंकि वो शायद अकेले ऐसे समय मे कुछ ना खाए. निक्की ने मुझे भी चाय नाश्ता करने को कहा तो मैने कहा, मैं बाद मे आकर कर लूँगा. ये कह कर मैं हॉस्पिटल के अंदर चला गया. उपर पहुच कर मैने मेहुल को नीचे भेजा और फिर मैं ऑपरेशन थियेटर के बाहर खड़ा रहा.

ऑपरेशन बड़ा था इसलिए बहुत समय लग रहा था. मेहुल बीच बीच मे मुझे कॉल करके ऑपरेशन के बारे मे पूछता रहा और मैं उसे बताता रहा कि अभी ऑपरेशन चल ही रहा है. मेहुल 12 बजे फिर मेरे पास आ गया. मैने उस से पूछा कि उसने चाय नाश्ता कर लिया तो उसने बताया कि वो राज के साथ चाय नाश्ता कर के आया है. निक्की मेरे लिए रुकी हुई है. मैं भी जाकर चाय नाश्ता कर लूँ.

मेहुल को उधर छोड़ कर मैं नीचे निक्की और राज के पास आ गया. राज ने मुझसे कहा कि वो अभी यहाँ खड़ा है. तुम और निक्की जाकर चाय नाश्ता कर आओ. फिर मैं निक्की के साथ चाय नाश्ता करने गया. नाश्ता करते समय निक्की ने फिर हमारी पहले की अधूरी छूटी बात को आगे बढ़ाते ही कहा.

निक्की बोली "क्या आपने सच मे रिया और राज को ऐसा करते देखा था."

मैं बोला "मैं झूठ क्यों बोलुगा और वो भी तब जब रिया और राज हमारी इतनी मदद कर रहे है."

निक्की बोली "हाँ ये बात तो आपकी सही है. भला कोई अपनी मदद करने वाले की वेवजह बुराई क्यों करेगा. सच कहूँ तो मुझे कभी कभी ऐसा लगता था कि, इन दोनो के बीच मे ज़रूर कुछ ना कुछ खिचड़ी पक रही है मगर ये ऐसी खिचड़ी पक रही है, इसका मुझे ज़रा भी अंदेशा नही था. मुझे तो अभी भी इस बात पर यकीन नही हो रहा है."

मैं बोला "अब यकीन करो या ना करो पर जो मैने देखा था. वो आपको सच सच बता दिया. बस मेरी ये समझ मे नही आया कि दोनो मे कोई कमी नही है. उन्हे एक से बढ़ कर एक लड़के लड़कियाँ मिल जाते. फिर उन्हे आपस मे ये सब करने की क्या ज़रूरत थी."

निक्की बोली "अब इस बात का जबाब तो वो दोनो ही दे सकते है कि, उन्हे ऐसा करने की क्या ज़रूरत थी पर हम चाह कर भी ये बात उनसे पूछ नही सकते. लेकिन मैं इतना ज़रूर कहुगी कि इस बात को जान लेने के बाद मेरे दिल मे दोनो के लिए अब वो जगह नही रही जो पहले थी."

मैं बोला "देखिए मेरा आपको ये बात बताने का मतलब आप लोगों के रिश्ते मे खटास डालने का हरगिज़ नही था. मैं तो सिर्फ़ ये जानना चाहता था कि उन दोनो के बीच ये सब होने की वजह क्या थी. फिर किसी अजनबी की बातों मे आकर अपने अच्छे भले रिश्ते को यूँ मिटाना अच्छी बात नही है."

निक्की बोली "बात आपकी सही है मगर मुझे आप अजनबी नही लगते, और मुझे आपकी बात पर पूरा यकीन है. अब इस बात को छोड़िए और ये बताइए क्या आपकी कोई गर्लफ्रेंड है."

मैं बोला "है भी और नही भी."

निक्की बोली "ये कैसा जबाब हुआ."

अभी हमारी बात चल ही रही थी कि तभी डॉक्टर. अमन हमरी तरफ आते हुए दिखे. उनके साथ एक लेडी डॉक्टर. भी थी. वो हमारे पास आए तो हम दोनो उठ कर खड़े हो गये. हमें खड़ा होते देख कर उन्हो ने कहा.

अमन "अरे तुम लोग खड़े क्यों हो गये. बैठो हमें तो बस तुम लोगों का 5 मिनिट का टाइम चाहिए."

उनकी बात सुनकर हम लोग बैठ गये और वो दोनो भी हमारे साथ ही बैठ गये. हम बड़ी बेसब्री से उनके बोलने का इंतजार कर रहे थे. फिर डॉक्टर. अमन खन्ना ने मुझसे कहा.

अमन "तुम निक्की के फ्रेंड हो इस नाते तुम हमारे भी खास मेहमान हो. मेरी मजबूरी ये है कि मैं हॉस्पिटल आते ही मरीजों मे इतना उलझ जाता हूँ की चाहकर भी तुम्हे समय नही दे सकुगा, इसलिए मैं तुम्हे डॉक्टर. निशा से मिलाना चाहता हूँ. ये है डॉक्टर. निशा. अब से तुम्हे यहाँ किसी भी बात की कोई परेशानी हो तुम बेहिचक इनसे बता सकते हो. ये डॉक्टर. होने के साथ साथ तुम लोगों की होने वाली भाभी भी है."

ये सुनकर मुझसे तो कुछ कहते नही बना मगर निक्की डॉक्टर. अमन के कान खिचने लगी. उसने डॉक्टर अमन से कहा.

निक्की बोली "वाह भैया वाह. जब हम लोग पूछते थे कि क्या निशा जी ही हमारी होने वाली भाबी है, तो आप कहते थे कि हम लोगों को इसके सिवा कोई बात करना नही आती. अब खुद ही बोल रहे हो कि ये हमारी होने वाली भाभी है. आख़िर अब तक हमारी भाबी को हम से छिपा कर क्यों रखा था."

निक्की की ये बात को सुनकर डॉक्टर. अमन मुस्कुरा दिए. फिर उन्होने डॉक्टर. निशा की तरफ देखा और बोलने का इशारा किया तो डॉक्टर निशा ने निक्की से कहा.

निशा "देखो हम दोनो अपने रिश्ते को लेकर बहुत ही मुश्किल दौर से गुजर रहे थे. अमन की तरफ से तो कोई परेशानी नही थी मगर मेरे घर वाले इस रिश्ते को लेकर खुश नही थे. मेरे पिताजी अपने किसी दोस्त के डॉक्टर. बेटे से मेरा रिश्ता करना चाहते थे. मैं अमन से शादी करना तो चाहती थी मगर अपने घर वालों की मर्ज़ी के बिना नही. इसी वजह से अमन ने तुम सब से इस बात को छुपाये हुए रखा था, क्योंकि हम नही जानते थे कि हमारा रिश्ता बन भी पाएगा या नही. लेकिन अब सारी परिस्थतियाँ बदल चुकी है, और मेरे घर वाले भी इस रिश्ते के लिए तैयार हो गये है. इसलिए अब हमे इस बात को किसी से छुपाने की कोई ज़रूरत नही है."

निक्की बोली "चलो कोई बात नही. मुझे तो खुशी हो रही है कि आप दोनो लव मॅरेज कर रहे है. अब तो आप मेरी भाभी लगी. क्या अब मैं आपको भाभी कहकर पुकार सकती हूँ."

निशा बोली "हाँ. तुम्हारा दिल जो कहे तुम मुझे वो कहकर पुकार सकती हो मगर ये बात तब तक किसी को पता नही लगना चाहिए जब तक अमन खुद ही इस बात को सबको बता नही देता."

निक्की बोली "किसी को भी कुछ पता नही चलेगा पर मुझे ये बात सुनकर बहुत खुशी हुई है. अब तो आप दोनो को पार्टी देना होगी."

निशा "पार्टी भी मिलेगी मगर सब के साथ. अब तुम लोग बैठो. हम लोगों को अभी और भी मरीज देखना है."

ये कह कर डॉक्टर. अमन और निशा चले गये. मैं उनके बारे मे और भी कुछ जानना चाहता था. अभी मैं निक्की से कुछ पूछने ही वाला था कि निक्की बोल उठी.

निक्की बोली "अब सब बात छोड़िए. आपने कीर्ति की इतनी तारीफ की है और वो मेरी हम्शकल भी है. ये सब जानकर तो मेरा मन कीर्ति को देखने का कर रहा है. क्या आपके पास उसकी कोई फोटो है."

मैं बोला "मेरे पास कीर्ति की बहुत सी फोटो है मगर उसे देखने के लिए आपको मेरी एक शर्त माननी होगी."

निक्की बोली "मुझे आपकी सारी शर्त मंजूर है. अब जल्दी से कीर्ति का फोटो दिखाइए."

मैं बोला "अरे पहले शर्त तो सुन लीजिए. क्या पता मेरी शर्त आपको पसंद ना आए."

निक्की बोली "ये सब फालतू की बात मत कीजिए. मैं जानती हूँ कि आप कोई भी ऐसी शर्त नही रखेगे. जो मुझे पसंद ना आए. फिर भी आपकी जो शर्त है जल्दी से बताइए क्योंकि मैं कीर्ति को जल्द से जल्द देखना चाहती हूँ."

मैं बोला "आप कीर्ति का फोटो देखना चाहती है तो मैं भी कीर्ति को आपका फोटो दिखाना चाहता हू. मेरी शर्त ये है कि आपको इसके बदले मे अपनी भी कुछ फोटो मुझे देनी होगी."

निक्की बोली "मुझे मंजूर है. अब तो जल्दी से फोटो दिखाइए."

निक्की की बात सुनकर मेरे चेहरे पर मुस्कुराहट आ गयी. मैने मुस्कुराते हुए अपना मोबाइल निकाला और उसमे सेव कीर्ति की फोटो का फोल्डर खोलकर मोबाइल निक्की को पकड़ा दिया. निक्की बड़े ही आश्चर्य के साथ कीर्ति की फोटो देखने लगी. जैसे जैसे वो कीर्ति की फोटो देखती जा रही थी. वैसे वैसे ही उसके चेहरे की रंगत भी बदलती जा रही थी.

मैं बड़े गौर से निक्की के चेहरे के बदलते हुए भाव को देख रहा था और मुस्कुरा रहा था. लेकिन अचानक ही तभी कुछ ऐसा हो गया कि, मेरे चेहरे की मुस्कुराहट कही गायब हो गयी और निक्की मुझे देख कर मुस्कुराने लगी.

निक्की के हाथ मे मेरा मोबाइल था और मोबाइल की रिंग टोन बज रही थी और स्क्रीन पर नाम की जगह जान लिखा आ रहा था. जिसे देख कर निक्की की मुस्कुराहट और गहरी हो चुकी थी. उसने मोबाइल मेरे हाथ मे थमा दिया और बड़े गौर से मेरा चेहरा देखने लगी. मैने मोबाइल उसके हाथ से लिया और कॉल उठा कर कहा.

मैं बोला "क्या हुआ. बहुत जल्दी उठ गयी तू."

कीर्ति बोली "जल्दी कहाँ है. टाइम देखो 12:30 बज गये है. मौसी भी गुस्सा हो रही थी कि रोज तो 6 बजे उठ जाती है और यहाँ आते ही तेरे रंग ढंग बदल गये है."

मैं बोला "तूने अचानक कॉल कैसे कर दिया."

कीर्ति बोली "तुम्हारी चोरी पकड़ने के लिए. मेरे जासूस चारो तरफ फैले हुए है. ये तुम क्या कर रहे हो."

उसकी बात सुनकर मैं सच मुच सकपका कर रह गया. मैने अपने आपको संभालते हुए कहा.

मैं बोला "मेरी चोरी.? कौन सी चोरी की बात कर रही हो.? मैने क्या चोरी की है और यहाँ तेरे जासूस कहाँ से आ गये है.?"

कीर्ति बोली "मुझे मेहुल ने सब कुछ बता दिया है कि तू अभी क्या कर रहा है."

मैं बोला "मेहुल ने तुझे ऐसा क्या बता दिया है और तूने उसे कॉल क्यों किया था."

कीर्ति बोली "कॉल मैने नही मेहुल ने किया था."

मैं बोला "झूठ मत बोल. मेहुल तुझे कॉल क्यों करेगा. सच सच बोल तू किस चोरी की बात कर रही है."

कीर्ति बोली "अरे मैं तो बस मज़ाक कर रही थी पर तुम तो ऐसा डर रहे हो जैसे सच मे ही तुमने कोई चोरी की हो. मुझे तो लगता है ज़रूर दाल मे कुछ काला है. सच सच बोलो तुम इस समय कहाँ हो और किस के साथ हो."

मैं बोला "मैं किसी के भी साथ नही हूँ. मैं अकेला ही हूँ और अभी चाय नाश्ता करने कॅंटीन मे आया हूँ."

कीर्ति बोली "मुझसे झूठ मत बोलो. सच बताओ कौन है तुम्हारे साथ."

मैं बोला "सच मे कोई नही है. मैं अकेला ही हूँ."

कीर्ति बोली "सच बोल रहे हो ना. कही मुझसे कुछ छुपा तो नही रहे हो. कही कोई लड़की वाड्की तो तुम्हारे साथ नही है."

मैं बोला "सच मे ही मैं अकेला हूँ. यहाँ आते ही भला कहाँ से कोई लड़की मिल जाएगी."

कीर्ति बोली "क्यों क्या रिया लड़की नही है. क्या वो तुम्हारे साथ नही हो सकती."

मैं बोला "रिया मेरे साथ हो सकती थी, अगर वो हमारे साथ घर से आई होती. लेकिन जब हम लोग घर से निकले थे, तब वो सो ही रही थी. अभी कुछ देर पहले राज आया है पर वो अकेला ही आया है."

कीर्ति बोली "हाँ ये तो बहुत ही बुरा हुआ है. तुम्हे एक ही तो लड़की पसंद आई थी और वो भी तुम्हारा साथ देने नही आई."

मैं बोला "तुझे तो हर समय ही मज़ाक सूझता रहता है. मैं तो समझा था कि तू अब सुधर गयी है, मगर अब लगता है कि तू कभी नही सुधर सकती."

कीर्ति बोली "सॉरी जान गुस्सा मत हो. मैं तो तुम्हे ऐसे ही छेड़ रही थी, ताकि तुम्हारा मूड फ्रेश हो जाए, पर तुम तो मुझ पर ही गुस्सा होने लगे. क्या वहाँ जाते ही मुझे भूल गये हो."

मैं बोला "यदि तुझे भूल गया होता तो, फिर यहाँ चाय नाश्ता करने क्यों आता. क्या तूने ही नही कहा था कि समय पर खाना पीना खाते रहना."

कीर्ति बोली "पर तुम इतना कब से सुधर गये कि, अकेले चाय नाश्ता करने जाने लगे."

मैं बोला "तूने ही कहा था कि मेरी जान का ख़याल रखना. नही तो तू मेरी जान का ख़याल नही रखेगी."

बोलने को तो मैं घबराहट मे ये बात कीर्ति से बोल गया था, पर जैसे ही मेरी नज़र निक्की पर पड़ी तो मुझे अहसास हुआ कि मैं किस के सामने, क्या बोले जा रहा हूँ. निक्की बड़े मन लगा कर मेरी बात सुन रही थी, और बात करते समय मेरी पतली हालत देख कर धीरे धीरे मुस्कुरा भी रही थी, तो दूसरी तरफ कीर्ति कह रही थी.

कीर्ति बोली "गुड अच्छी बात है. तुम नाश्ता करो मैं फ्रेश होकर फिर कॉल करती हूँ."

मैं बोला "ठीक है अब तू रख."

कीर्ति बोली "अरे ऐसे कैसे रख दूं. पहले मेरी गुड मॉर्निंग क़िस्सी तो दे दो."

मैं बोला "अब कैसी मॉर्निंग. दोपहर हो गयी है. अब ज़्यादा बात मत कर और कॉल रख."

कीर्ति बोली "नही जब जागो तभी सवेरा है. मुझे किसी दो तभी मैं कॉल रखुगी."

मैं बोला "मैं इधर रेस्टौरेंट मे हूँ. सब देख रहे है."

कीर्ति बोली "देख रहे है तो देखने दो. क्या देखने वालों की कोई गर्लफ्रेंड नही होगी जो वो तुम्हारे किस करने का मतलब भी ना समझ सके. वैसे भी उधर तुम्हे कौन पहचानता है. जिस से तुम इतना डर रहे हो. किसी दो नही तो मैं फोन
नही रखुगी."

मैं बोला "तू भी हमेशा बच्चों की तरह ज़िद करती रहती है. देख अभी ज़िद मत कर, बाद मे एक साथ ले लेना."

कीर्ति बोली "नही मुझे अभी चाहिए हुन्न्ं हुन्न्ं."

मेरी कीर्ति से इस तरह बहस चलते देख शायद निक्की समझ गयी थी कि कीर्ति किस चीज़ के लिए ज़िद कर रही है, और मैं क्यों मना कर रहा हूँ. निक्की ने मुझे कीर्ति की ज़िद को पूरा करने का इशारा किया. तब मैने कीर्ति से कहा.

मैं बोला "ठीक है, तू ऐसे नही मानेगी. मुहह मुहह."

कीर्ति बोली "मुहह मुहह."

फिर कीर्ति ने कॉल काट दिया, और मैं सर झुका कर बैठ गया. मैं सोच रहा था कि मुझे निक्की को मोबाइल ही नही दिखाना चाहिए था. मैं कैसे भूल गया कि 12 बजे के बाद कभी भी कीर्ति का कॉल आ सकता है. मैं अभी ये सब सोच ही रहा था कि निक्की बोल पड़ी.

निक्की बोली "आपने कीर्ति से झूठ क्यों बोला कि आप अकेले है."

मैं बोला "आप कीर्ति को नही जानती. मैं यदि झूठ नही बोलता तो, वो बाल की खाल निकालने लगती."

देने को तो मैने निक्की की बात का जबाब एक झटके मे दे दिया था. लेकिन जबाब देने के बाद मुझे अपनी ग़लती का अहसास हुआ कि, मैं ये बात क्यों बोल गया. मैने ये बात बोल कर, निक्की की बात पर ये मुहर लगा दी थी, कि कॉल करने वाली लड़की कीर्ति ही थी. मेरा जबाब सुनकर निक्की के चेहरे की मुस्कुराहट और भी बढ़ गयी थी. निक्की बोल पड़ी.

निक्की बोली "चलो कीर्ति ना सही पर मैने तो आपकी चोरी पकड़ ही ली. अभी आपके पास जिसका कॉल आया था. वो कीर्ति थी और उसका मोबाइल नंबर आपने जान नाम से सेव किया है. अब तो आपको मानना ही पड़ेगा कि आपकी गर्लफ्रेंड कीर्ति ही है, और आप उस से ही प्यार करते है."

मैं बोला "हाँ ये सच है कि मेरे लिए जो कुछ भी है सिर्फ़ कीर्ति ही है. अब आप उसे जो चाहे समझ सकती है."

निक्की बोली "तो आप इस बात को क्यों नही मानते कि, कीर्ति से आपको बाय्फ्रेंड गर्लफ्रेंड वाला प्यार है."

मैं बोला "मुझे डर लगता है. क्या पता मेरे परिवार वाले इस बात को जान कर, कहीं उसी तरह से ना सोचे, जैसा हम राज और रिया के बारे मे जानकार सोच रहे है."

निक्की बोली "बात तो सच मे सोचने की है पर, जहाँ तक मुझे पता चला है कि कीर्ति आपकी सग़ी मौसी की लड़की नही है. यदि होती भी तब भी आपके रिश्ते मे कोई ग़लत नही है. इस रिश्ते को समाज भी मान लेगा और शायद परिवार वाले भी मान ले."

मैं बोला "बात सगे और सौतेले की नही है. बात तो दिलों के रिश्तों की है. मेरी छोटी माँ ने कभी मुझे मेरी माँ की कमी का अहसास नही होने दिया. उन्हे देख कर कभी लगा ही नही कि, वो मेरी सौतेली माँ है. मेरी छोटी माँ और मेरी छोटी बहनें मुझे जान से भी ज़्यादा प्यारी है. मैं उन्हे अपनी वजह से ना तो कोई दुख पहुचाना चाहता हूँ, और ना ही उनका दिल दुखाना चाहता हूँ. काश आपकी बात सही हो जाए और कीर्ति मेरी हमेशा के लिए हो जाए तो, मैं जिंदगी भर भगवान से कुछ नही माँगूंगा."

मेरी बात सुनकर निक्की ज़ोर से हँसने लगी, और मैं उसकी तरफ हैरानी से देखने लगा. मैं सोचने लगा मैने इतनी संजीदा बात कही और ये इस तरह हंस रही है. मैने तो कोई हँसी वाली बात कही ही नही थी. निक्की ने मेरी तरफ देखा तो अपनी हँसी रोकने की नाकाम कोशिश करते हुए कहा.

निक्की बोली "सॉरी मैं अपनी हँसी रोक नही पाई, पर आपने बात ही कुछ ऐसी कर दी कि मेरे लिए अपनी हँसी रोक पाना मुस्किल हो गया."

मैं बोला "क्यों मैने ऐसी क्या बात कर दी."

निक्की बोली "अभी तो आप मान नही रहे थे कि कीर्ति आपकी गर्लफ्रेंड है, और अब उसके जिंदगी भर के साथ की दुआ माँग रहे है."

मैं बोला "ये बात मेरे और कीर्ति के सिवा कोई जानता ही नही है. फिर मैं आपके सामने ये बात कैसे बोल देता."

निक्की बोली "तो फिर अब आपने ये बात क्यों बोल दी."

मैं बोला "मैने आपके सामने ये राज कहाँ खोला था. ये राज तो कीर्ति के कॉल आने से खुद आपके सामने खुल गया था."

निक्की बोली "बात तो आपकी सही है मगर फिर आपने अपने दिल की बात मुझसे क्यों बताई."

मैं बोला "पहले मुझे आप पर विस्वास नही था, लेकिन अब आप पर विस्वास भी हो गया है और अब आपको अपना दोस्त भी मानता हूँ इसलिए बोल दिया."

निक्की बोली "दोस्त तो मेहुल भी आपका है. फिर आप ने अभी तक ये बात मेहुल से क्यों छुपाई है. क्या आपको ये लगता है कि मेहुल आपका साथ नही देगा या फिर कोई और बात है."

मैं बोला "नही ऐसी कोई भी बात नही है. मेहुल मेरा हर हाल मे साथ देगा. मुझे उस पर पूरा विस्वास है मगर मुझे लगता है कि, अभी इतना सब कुछ करने की कोई ज़रूरत नही है. जब सही वक्त आएगा तो उसे ही सबसे पहले ये बात बताउन्गा."

निक्की बोली "हाँ बात तो आपकी ये भी ठीक है, मगर अपने खास दोस्त को अपनी लवर के बारे मे बता देने से बहुत हेल्प होती है. ये आप दोनो के लिए ही अच्छा होगा."

मैं बोला "आप ठीक कह रही है, मगर मैं बिना कीर्ति से पूछे कोई कदम नही उठा सकता."

निक्की बोली "अब तो मुझे सच मे कीर्ति से जलन सी होने लगी है."

मैं बोला "क्यों.? ऐसा क्या हो गया. जो आपको कीर्ति से अचानक जलन होने लगी."

निक्की बोली "अरे किसी के पास यदि कोई इतना प्यार करने वाला हो तो, उस से जलन तो होगी ही. अच्छा एक बात सच सच बताइए, मैं आपको कैसी लगती हूँ."

मैं बोला "आप बहुत अच्छी दोस्त है."

निक्की बोली "मैं ये नही पूछ रही हूँ. मेरे पूछने का मतलब ये था कि मैं देखने मे कैसी लगती हूँ."

मैं बोला "सुंदर दिखती है."

निक्की बोली "बस सुंदर दिखती हूँ और कुछ नही."

मैं बोला "क्यों, क्या ये बोलना काफ़ी नही है."

निक्की बोली "मेरी सारी सहेलियाँ तो बोलती है कि मैं बहुत सेक्सी दिखती हूँ."

मैं बोला "अब ये सब बात छोड़िए. हमे बहुत देर हो गयी है. राज हमारा इंतजार कर रहा होगा, और मेहुल भी बहुत देर से उपर है. अब हमें चलना चाहिए."

निक्की बोली "ओके पर ये मत सोचिएगा कि, ये बात यही ख़तम हो गयी. हम जब भी फ्री बैठेगे. मैं अपनी बात यही से शुरू करूगी."

मैं बोला "ठीक है कर लेना मगर अभी तो चलिए."

इसके बाद हम दोनो 1 बजे वहाँ से उठ कर वापस राज के पास आ गये. वहाँ आकर मैने मेहुल को कॉल किया तो पता चला, अभी अंकल का ऑपरेशन चल ही रहा है. मैने मेहुल को नीचे बुला लिया और मैं उपर चला गया. मेरे उपर पहुचने के बाद मेहुल और कीर्ति के कॉल बराबर आते रहे और मैं उन्हे बताता रहा कि ओप्रेशन चल ही रहा है.
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RE: MmsBee कोई तो रोक लो - by desiaks - 09-09-2020, 01:05 PM
(कोई तो रोक लो) - by Kprkpr - 07-28-2023, 09:14 AM

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