RE: MmsBee कोई तो रोक लो
करीब 6 घंटे तक ऑपरेशन चलने के बाद, 3 बजे ऑपरेशन ख़तम हुआ. अंकल को ओटी से बाहर लाया जाने लगा तो मैने मेहुल को बोला कि, अंकल को ओटी से बाहर ला रहे है. तू जल्दी से उपर आ जा. तब मेहुल भी उपर आ गया. अंकल बेहोश थे और उन्हे रूम मे शिफ्ट किया जा रहा था.
अंकल की बेहोशी की हालत को देखते ही मेहुल मुझसे लिपट कर रो पड़ा. सुबह से पहली बार उसकी आँखे छल्कि थी. मैने मेहुल को चुप कराया मगर उसकी आँख से आँसू छलके ही जा रहे थे. मैने डॉक्टर. से ऑपरेशन के बारे मे पूछा तो डॉक्टर. ने कहा कि ऑपरेशन सफल रहा है. मेहुल अंकल को देखे जा रहा था और अपने आँसू छल्काये जा रहा था. मैने उस से कहा.
मैं बोला "देख अंकल की ऐसी हालत देख कर मुझे भी तकलीफ़ हो रही है, पर हमे अभी यहाँ बहुत समय उनकी इसी हालत के साथ गुज़ारना है. अपने आपको संभाल और यदि तुझसे अंकल की ये हालत नही देखी जा रही है तो तू नीचे चला जा. मैं यहा अंकल के पास हूँ."
मेहुल बोला "नही मैं पापा को छोड़ कर कही नही जाउन्गा. मैं उनके पास ही रहुगा."
मैं बोला "तो फिर ये रोना बंद कर. अभी अंकल बेहोश है तो, तेरा ये रोना चल गया मगर जब वो होश मे आएँगे तो, उनके सामने ये ग़लती मत करना."
मगर मेरे समझाने का उस पर कोई असर नही पड़ रहा था. वो रोते हुए बोलने लगा.
मेहुल बोला "देख मेरे भाई, पापा का कितना अच्छा चेहरा कैसा हो गया है. पापा ये सब कैसे सह पाएगे. मेरी तो ये सोच सोच कर जान ही निकली जा रही है."
उसे यूँ फफक फफक कर रोते देख, मेरी आँखों मे भी आँसू आ गये, मगर फिर मैने अपने आपको संभालते हुए, राज को कॉल किया और कहा कि मैं मेहुल को नीचे भेज रहा हूँ. तुम दोनो मे से जो भी अंकल को देखना चाहे, वो उपर आ जाए. फिर मैने मेहुल से कहा.
मैं बोला "जा अब तू नीचे जा. मैं यहाँ हूँ."
मेहुल बोला "नही मैं नही जाउन्गा. तुझे जाना है तो तू जा."
मैं जानता था कि वो ऐसे मेरी बात नही मानेगा, इसलिए मैं बात को घूमाते हुए बोला.
मैं बोला "देख अभी हम दोनो मे से कोई भी यहाँ रहे. अंकल को कोई फरक नही पड़ेगा, क्योंकि वो बेहोश है. उन्हे होश मे आने मे अभी 4-6 घंटे लगना है. मैं चाहता हूँ कि, जब उन्हे होश आए तू उनके पास रहे. अभी तू नीचे जा. निक्की और राज को भी अंकल को देख लेने दे. वो भी हमारे साथ सुबह से लगे हुए है."
मेरी इस बात का मेहुल पर असर पड़ा और वो नीचे चला गया. थोड़ी देर बाद राज उपर आया. उसने अंकल को देखा और फिर कुछ देर बाद नीचे चला गया. राज के जाने के बाद निक्की आई और कुछ देर रुक कर वो भी नीचे चली गयी.
मैं अकेला ही अंकल के पास बैठा रहा. शाम को 5 बजे रिया उपर आई मगर उसे देखते ही मुझे अजीब सी चिड छूटी. मैने उस से कहा.
मैं बोला "तुम कब आई. तुम्हे अंकल को देखने आने का बहुत जल्दी टाइम मिल गया."
रिया बोली "इसमे गुस्सा होने वाली कोई बात नही है. मैं 1 बजे की आई हुई हूँ. बस उपर अभी आ रही हूँ."
मैं बोला "1 बजे तो मैं खुद ही नीचे था. तब तुम तो नीचे नही थी."
रिया बोली "हाँ जब तुम नीचे से उपर आए हो. तभी मैं आई थी. तब से मैं नीचे ही थी. मैं उपर आना चाहती थी, मगर मेहुल जब अंकल को देख कर नीचे पहुचा था तो, बहुत रो रहा था, इसलिए मैं उसके पास ही रही और उसे समझाती रही."
मुझे रिया की ये बात सुनकर अच्छा लगा और मेरा चिड चिड़ापन अपने आप ख़तम हो गया. मैने रिया से कहा.
मैं बोला "ये तुमने बहुत अच्छा किया. अब मेहुल कैसा है."
रिया बोली "अब वो ठीक है. राज और निक्की उसे समझा रहे है. राज तुम से भी कुछ बात करना चाहता है, इसलिए तुमको नीचे बुला रहा है. तुम नीचे जाओ. तब तक मैं यहाँ अंकल के पास रुकती हूँ."
रिया की बात सुनकर मैं नीचे आ गया. राज मेहुल और निक्की मेरे नीचे आने का वेट कर रहे थे. मेरे पहुचते ही राज ने कहा.
राज बोला "अंकल का ऑपरेशन हो चुका है. जहाँ तक मेरा मानना है कि, अंकल के पास तुम दोनो को बारी बारी से रुकना चाहिए. तुम दोनो ही सुबह के जागे हुए हो. अब यदि तुम लोगों ने आराम नही किया तो, शायद रात को बहुत नींद आएगी. ऐसे मे तुम दोनो मे से एक अभी यहीं रुक जाए और दूसरा घर जाकर आराम कर ले. ताकि रात को वो अंकल के पास रुक सके."
मैं बोला "मुझे इसमे कोई परेशानी नही है. मेरी तो देर रात तक जागने की आदत ही है. हाँ मेहुल को ज़रूर रात को रुकने मे परेशानी होगी, क्योंकि ये रात को जल्दी सोता है."
राज बोला "तब ठीक है. तुम घर जाकर आराम कर लो. मैं मेहुल के साथ यही रुका हूँ. रात को तुम आ जाना तो, मेहुल घर जाकर आराम कर लेगा और सुबह मेहुल के आने के बाद तुम चले जाना. कुछ दिन तक ऐसा ही सिलसिला बनाए रखना ज़रूरी है."
मैं बोला "ठीक है. अंकल को होश आ जाए. फिर मैं घर चला जाउन्गा."
राज बोला "देखो अंकल को होश आने मे ना जाने कितना समय लग जाए. इसलिए बेहतर यही होगा कि, तुम अभी ही घर चले जाओ. रात को तो तुम्ही को अंकल के पास रहना है."
मैं बोला "नही मैं अंकल के होश मे आने से पहले, उनके पास से नही जा सकता."
मुझे राज की बात ना मानते देख कर मेहुल बोला.
मेहुल बोला "तुझे घर नही जाना है तो, मैं चला जाता हूँ. मैं रात को रुक जाउन्गा और तू अभी रुक जा."
मैं बोला "नही तू अभी घर नही जा सकता. अंकल को होश मे आने पर तेरा उनके सामने रहना बहुत ज़रूरी है. तुझे अपने सामने देख कर उन्हे बहुत खुशी होगी."
मेहुल बोला "तो फिर तू राज की बात मानकर घर चला जा, और अभी आराम कर ले. वैसे भी रिया बता रही थी कि, दादा जी और आंटी भी यहाँ पापा को देखने आने वाले है. इतने लोगों के होते हुए, मुझे कोई परेशानी नही होगी, पर रात को तो तुझे अकेले ही रहना है. ऐसे मे तेरा आराम कर लेना बहुत ज़रूरी है. रात को आराम से खाना वग़ैरह खा कर तू आएगा तो, मुझे भी तेरी कोई चिंता नही रहेगी."
मैं बोला "ठीक है. तू कहता है तो मैं चला जाता हूँ. मेरे साथ और कौन कौन जा रहा है."
राज बोला "मैं और निक्की मेहुल के साथ रुक रहे है. तुम रिया को अपने साथ ले जाओ, क्योंकि दादा जी और मम्मी भी यही आ रहे है. ऐसे मे रिया का घर मे होना ज़रूरी है. अभी मैं जाकर अंकल के पास बैठता हूँ और रिया को भेजता हूँ."
मैं बोला "क्या निक्की घर नही जाएगी."
राज बोला "एक अकेला यहाँ बैठे बैठे बोर हो जाएगा. इसलिए मैं निक्की को यहीं रोक रहा हूँ. अब मैं उपर जा रहा हूँ और रिया को भेज रहा हूँ. तुम उसके साथ घर चले जाना."
मैं बोला "ठीक है."
इसके बाद राज उपर अंकल के पास चला गया. मैने निक्की की तरफ देखा तो उसका चेहरा उतरा हुआ सा लगा. शायद उसे वहाँ रुकना अच्छा नही लग रहा था, या फिर वो मेरे साथ घर जाना चाहती थी. मैं उसके चेहरे को पढ़ने की कोशिस कर रहा था. शायद ये बात निक्की को भी समझ मे आ गयी तो, वो अपने चेहरे पर झूठी मुस्कुराहट लाती हुई बोली.
निक्की बोली "देखिए आप घर मे आराम करने जा रहे है, इसलिए जाते ही सो जाइएगा. कही ऐसा ना हो कि आप घर जाकर टीवी चालू कर के बैठ जाए, और टीवी ही देखते रहे."
मैं बोला "ऐसा कुछ नही होगा. मुझे ज़्यादा टीवी देखने का शौक नही है, और मुझे इतनी थकान हो रही है कि लेटते ही नींद आ जाएगी."
ये बोल कर मैं निक्की की इस बात का मतलब समझने की कोशिस करने लगा, मगर मुझे इसमे कोई खास बात नज़र नही आई. लेकिन अगले ही पल निक्की ने जो कहा उस बात ने मुझे और भी उलझा कर रख दिया. निक्की ने कहा.
निक्की बोली "आपको तो टीवी देखने की आदत नही है, पर रिया को ज़रूर अकेले बोरियत होती है. कहीं ऐसा ना हो कि वो आपको बातों मे लगा ले, और आप आराम ही ना कर सके."
मैं बोला "हाँ ये बात हो सकती है, क्योंकि रिया के मूह पर ताला लगाना मेरे बस की बात नही है. फिर भी मैं कोशिश यही करूगा कि, घर जाकर मैं आराम ही करूँ. ताकि रात को मुझे जागने मे कोई परेसानी ना हो."
अभी मैने अपनी बात पूरी ही की थी कि, तभी रिया आ गयी. रिया के हमारे पास आते ही निक्की ने रिया से कहा.
निक्की बोली "देख ये तेरे साथ घर आराम करने जा रहे है. इन्हे आराम करने देना. बेकार मे अपनी बातों मे मत उलझा देना."
रिया बोली "मुझे सब मालूम है. इन्हे रात को यहाँ रुकना है. मैं इन्हे अपनी बातों मे नही उलझाउंगी और इन्हे पूरा आराम करने दुगी."
निक्की बोली "गुड. पहली बार तेरे मूह से इतनी समझदारी की बात सुन रही हूँ."
रिया बोली "मुझसे इन्हे कोई शिकायत नही होगी. मैं इनके आराम का पूरा ख़याल रखुगी. अब हम लोग निकलते है."
ये कह कर हम सब उठ कर सड़क की तरफ आ गये. हम ने एक टेक्शी रुकवाई. टॅक्सी मे बैठने के बाद मैने और रिया ने सब को बाइ कहा और टेक्सी आगे बढ़ गयी.
मगर मेरी आँखो मे निक्की का चेहरा घूम रहा था. मेरी समझ मे नही आ रहा था कि, आख़िर निक्की का चेहरा इतना उतरा हुआ क्यों था. क्या उसे मेरा रिया के साथ जाना पसंद नही आ रहा था, या फिर वो भी मेरे साथ घर जाना चाहती थी. आख़िर किस बात ने निक्की जैसी हँसमुख लड़की की, मुस्कुराहट को छीन लिया था.
मैं अभी इसी सोच मे उलझा हुआ था कि, तभी मुझे मेरी जांघों पर रिया के हाथ के रखने का अहसास हुआ. मैने एक नज़र रिया के हाथ पर डाली, और दूसरी नज़र रिया के तरफ की तो, वो टेक्सी के दूसरी तरफ बाहर की ओर देख रही थी.
उसने इस समय पिंक कलर का स्लीवेलेस्स टॉप और ब्लॅक कलर की शॉर्ट जीन्स पहनी हुई थी. जिसमे वो बहुत ही सेक्सी लग रही थी. मैं थोड़ी देर तक रिया की तरफ देखता रहा. वो बड़ी बेफिक्री से बाहर की तरफ देख रही थी. मैने भी सोचा कि इसने हाथ यू ही मेरे पैरो पर रख दिया है.
मैने भी अपना दिमाग़ उस तरफ से हटाया, और मैं भी टेक्सी से बाहर की तरफ देखने लगा. मेरी आँखों मे फिर से निक्की का चेहरा घूमने लगा, और मैं एक बार फिर उसकी बातों और उदास चेहरे का मतलब ढूँढने लगा.
मैं अभी अपनी सोच मे ही गुम था. तभी मुझे फिर रिया के हाथ मे कुछ हरकत होती नज़र आई. रिया अपने हाथ की हथेली को मेरी जांघों पर धीरे धीरे रगड़ रही थी. जिस से कुछ ही देर मे मुझे जीन्स के उपर से ही, उसकी कोमल हथेली का, नरम नरम अहसास, अपनी जाँघो पर होने लगा. उसकी नरम नरम उंगलियाँ की, मेरी जांघों पर रगड़ से, मेरे लिंग मे सनसनी पैदा हो रही थी, और मेरी बेचैनी बढ़ने लगी थी.
चाहते हुए भी, मेरी हिम्मत नही हुई कि, मैं उसका हाथ अपनी जांघों से हटा सकूँ. इस से उसकी हिम्मत और बढ़ गयी. उसने मेरी जांघों को सहलाते सहलाते, अपना हाथ सीधे मेरे लिंग के उपर रख दिया. वो जीन्स के उपर से ही, मेरे लिंग पर हाथ फेरने लगी, और लिंग को सहलाने लगी. उसके कोमल हाथो के स्पर्श से, मेरे लिंग मे तनाव आना शुरू हो गया. मेरा सारा ध्यान रिया की ही हरकत पर था.
थोड़ी देर तक लिंग को सहलाने के बाद, वो उसे अपने हाथ से पकड़ने की कोसिस करने लगी, मगर जीन्स टाइट होने के कारण, लिंग उसकी पकड़ मे नही आ रहा था तो, उसने उसे अपनी उंगलियों से, उसे मसलना शुरू कर दिया. अब वो लगातार मेरे लिंग को मसले जा रही थी. जिस से मेरा लिंग विकराल रूप ले चुका था, और जीन्स को फाड़ कर बाहर निकालने के लिए फडफडा रहा था.
जीन्स टाइट होने के कारण, मुझे लिंग मे दर्द भी महसूस होने लगा था. लेकिन अब मैं पूरी तरह से उत्तेजित हो चुका था, और मुझ पर एक अलग सा नशा छा गया था. मुझे इस सब मे एक अजब ही मज़ा आ रहा था.
मेरा मन कर रहा था कि, मैं अपने पॅंट्स की जिप खोल कर, लिंग रिया के हाथ मे थमा दूं. मगर मेरी कुछ भी करने की, हिम्मत नही हो रही थी. रिया अभी मेरे लिंग से खेले ही जा रही थी की, तभी टॅक्सी घर के बाहर जाकर रुक गयी.
मेरा लिंग पूरे उफान मे था. अब ऐसे मे बिना पानी छोड़े, उसके शांत होने की कोई गुंजाइश भी नही थी. लेकिन घर आया देख कर, मैने उसे शांत करने की असफल कोसिस भी की, मगर वो शांत नही हुआ. तब आख़िर मे मैने टी-शर्ट को, खीच कर नीचे तक कर लिया. जिस से की कुछ हद तक, उसका उभार दिखना बंद हो गया, और मैं टॅक्सी से उतर कर बाहर आ गया.
लेकिन घर के अंदर पहुचने के पहले, मुझे अपने लिंग का तनाव कम करना है. यही सब अपने मन मे सोचते हुए. मैं टॅक्सी वाले को पैसे देने लगा. तभी टॅक्सी रुकने की आवाज़ सुन कर, प्रिया भागती हुई बाहर आई. उसे देखते ही मेरी धड़कने बढ़ गयी, और मेरा लिंग फिर से टनटना गया.
प्रिया वैसे भी रिया से ज़्यादा सुंदर और तन्दुरुस्त तो थी ही, साथ ही साथ उसका बदन भी कसा हुआ था. मगर इस वक्त मेरे लिंग के तन्तनाने की वजह प्रिया की सुंदरता नही, बल्कि उसका पहनावा था. वो अभी वाइट कलर की स्लीवेलेस्स फ्रॉक पहनी थी. जो इतने पतले कपड़े की थी कि, उसके अंदर से उसकी ब्लॅक ब्रा, अलग ही झलक रही थी, और इतनी छोटी थी कि, उसकी मंशाल जाँघो को ठीक तरह से, ढक भी नही पा रही थी. उस फ्रॉक मे से, उसके अंग का हर कटाव, अलग ही नज़र आ रहा था.
उसके इस गदराए हुए बदन को देख कर, मेरे लिंग की उत्तेजना और अधिक बढ़ गयी थी. अब मुझे अपने तने हुए लिंग को लेकर, वहाँ खड़े रह पाना मुस्किल हो रहा था. इसलिए मैं टॅक्सी के पास से हट कर, एक किनारे खड़ा हो गया, और ये देखने लगा कि, इस हालत मे प्रिया यहाँ भागी हुई, क्यों आई है. प्रिया ने आते ही रिया से कहा.
प्रिया बोली "रिया टॅक्सी मत छोड़ना. हम लोग इसी टॅक्सी मे वापस हॉस्पिटल चले जाएगे."
प्रिया की बात सुनकर रिया ने टॅक्सी वाले से कहा.
रिया बोली "भैया क्या आप हॉस्पिटल तक वापस सवारी ले जाएगे."
टेक्सी वाले ने रिया से पूछा.
टेक्सी वाला "मेम साहब, यदि आपको यहाँ से निकलने मे, ज़्यादा टाइम नही लगना है तो, मैं आपको ज़रूर ले चलुगा. नही तो आप कोई दूसरी टेक्सी देख लीजिए."
प्रिया ने कहा "नही भैया. हमें ज़्यादा टाइम नही लगेगा. सब तैयार ही है. बस मुझे कपड़े बदलने मे, मुश्किल से 10 मिनिट लगेगे."
टेक्शी वाला "तब ठीक है मेम साहब. आप लोग आ जाइए. मैं आपका इंतजार करता हूँ."
ये सुनकर प्रिया दौड़ते हुए अंदर जाने लगी. मैं उसे जाते हुए देखने लगा, और उसके इस तरह से दौड़ कर जाने से, उसकी छोटी सी फ्रॉक भी उपर नीचे उछल रही थी. जिससे मुझे उसकी ब्लॅक पैंटी की भी, एक झलक मिल गयी. अब तो मेरा और भी ज़्यादा बुरा हाल हो गया था. मेरा लिंग अब भी तना हुआ ही था. मैं मन ही मन उसे शांत हो जाने को बोल रहा था.
तभी रिया ने मुझसे अंदर चलने को कहा. लेकिन मैं अपने तने हुए लिंग के साथ, सबके सामने जाने की हिम्मत नही कर पा रहा था. मैने रिया से कहा, तुम अंदर चलो. जब तक सब तैयार हो रहे है, मैं इन टॅक्सी वाले भैया के साथ यही खड़ा हूँ. मेरी बात सुनकर रिया अंदर चली गयी. मैं वहीं खड़ा अपने ताने हुए लिंग के बैठने का इंतजार करने लगा.
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