MmsBee कोई तो रोक लो
09-09-2020, 01:21 PM,
#64
RE: MmsBee कोई तो रोक लो
57


फिर मैं और निक्की मेहुल के आने के बाद घर निकल गये . मैं जाते ही अपने रूम चला गया मेरे दिल पर एक बोझ सा था दिल में कुछ घुटन सी हो रही थी मैने कीर्ति को फ़ोन मिलाया

मैं बोला -जान सॉरी मैं तुम से ढंग से बात नही कर पाया वो मेरे साथ कोई ऑर भी था
कीर्ति बोली "जान मुझे तुम पर पूरा विश्वास है. तुम दोबारा किसी बात के लिए मुझसे सॉरी मत बोलना. मुझे अच्छा नही लगता."

मैं बोला "मैं जानता हूँ कि, तुझे मुझ पर विश्वास है और मैं तेरे इस विश्वास को कभी टूटने नही दूँगा."

कीर्ति बोली "जान बहुत बात हो चुकी है. अब दिल का बोझ उतर गया हो तो सो जाओ."

मैं बोला "नही, अभी मेरी बात पूरी नही हुई है. अभी मैने तुझे सबसे ज़रूरी बात तो बताई ही नही है."

कीर्ति बोली "कौन सी बात."

जो बात मैं कीर्ति से बोलने वाला था. उसे लेकर मैं खुद ही असमंजस मे था. मैं समझ ही नही पा रहा था कि, ये बात कीर्ति से किस तरह बोलूं. मैं ये तो अच्छी तरह से जानता था की, कीर्ति जितनी नटखट है. उतनी ही समझदार भी है. बड़ी से बड़ी बात का सामना करने की, उसके अंदर ताक़त है. जो बात मैं उस से कहने वाला हूँ, वो बात उसके लिए कोई बड़ी बात नही होगी. फिर भी मैं अपनी बात उस से कह नही पा रहा था.

मैं किस मूह से कहता कि मैं अंजाने मे ही सही, मगर उसके प्यार और विश्वास के साथ धोका कर रहा हूँ. मैं उस से बात करते करते अपनी इन्ही सोच मे गुम था. मुझे चुप देख कर, कीर्ति ने कहा.

कीर्ति बोली "जान क्या हुआ. किस सोच मे गुम हो गये. जो भी बात बताना है, बता दो. उसमे इतना सोचने वाली क्या बात है."

मैं बोला "सोचु नही तो क्या करूँ. बात इतनी छोटी भी नही है कि, मैं बोल दूं और तू चुप चाप सुन ले. हो सकता है कि, उस बात को सुनकर तू मुझसे नाराज़ हो जाए. मैं भला तेरी नाराज़गी कैसे सह पाउन्गा."

कीर्ति बोली "जान ऐसा क्यों सोचते हो. मैं भला तुम पर क्यों नाराज़ होने लगी."

मैं बोला "बात ही कुछ ऐसी है कि, तू मुझसे नाराज़ हुए बिना ना रहेगी."

कीर्ति बोली "जान अगर ऐसी बात है तो, मत बताओ. मुझे ऐसी बात नही सुननी. जिसे बताने मे तुम्हे परेशानी हो."

मैं बोला "नही, वो बात तो मुझे, हर हाल मे तुझे बताना ही है. क्योंकि मैं तेरे प्यार और विश्वास के साथ कोई धोका नही कर सकता. मैं नही चाहता कि, मुझसे जुड़ी ऐसी कोई बात हो, जो तुझे पता ना हो. लेकिन क्या करूँ, साथ ही साथ मुझे, ये डर भी लगा है कि, कही तू उस बात को सुनकर मेरा साथ ना छोड़ दे."

कीर्ति बोली "जान ऐसा क्यों सचते हो. मैं भी तो तुम्हे अपनी, हर अच्छी बुरी बात बताती हूँ. क्या तुम कभी मेरी किसी बात से नाराज़ होकर, मेरा साथ छोड़ सकते हो."

मैं बोला "मैं तुझसे नाराज़ तो हो सकता हूँ, पर तुझे अपने से अलग कभी नही कर सकता. मैं तेरे बिना जीने की सोच भी नही सकता."

कीर्ति बोली "बस जान. ऐसा ही मेरे साथ भी है. मेरा हँसना रोना, सब कुछ तुमसे ही जुड़ा हुआ है. मैं एक पल भी तुम्हारे बिना नही रह सकती. मैं तुमसे वादा करती हूँ, बात चाहे कितनी ही बुरी क्यों ना हो, पर मैं तुम से नाराज़ नही होउंगी. अब बेफिकर होकर अपनी बात कहो."

मैं बोला "ठीक है, मैं अपनी बात बोलता हूँ, मगर तुझे मेरी एक बात मानना होगी."

कीर्ति बोली "मानूँगी जान. तुम जो भी बोलोगे, तुम्हारी सब बात मानूँगी. बोलो मुझे क्या बात माननी है."

मैं बोला "तुझे वादा करना होगा कि, तुझे यदि मेरी बात बुरी लगेगी तो, तू मुझ पर गुस्सा कर लेगी, पर कोई बात अपने दिल मे मे नही रखेगी."

कीर्ति बोली "जान मैं वादा करती हूँ, ऐसा ही होगा. अब तुम अपनी बात बोलो. मुझे बहुत बेचैनी हो रही है."

उसकी बात सुनने की इस बेचैनी को देखते हुए मैने कहा.

मैं बोला "बात ऐसी है कि, पिच्छले एक दो दिनो से, मेरे साथ ऐसा कुछ हो रहा है. जैसा इसके पहले मेरे साथ कभी नही हुआ. मैं यदि ये बात तुझे नही बताउन्गा. तो शायद तुझे इसका कभी पता भी ना चले. मगर मैं इस बात को छुपा कर, तेरे उस प्यार और विश्वास के साथ कोई धोका करना नही चाहता, जो तू मुझ पर करती है. मेरे साथ इन सब बातों की शुरुआत तब हुई थी. जब रिया हमारे यहाँ आई थी."

इतना कह कर मैने कीर्ति को अपनी बात बताना शुरू कर दिया. ये पहला मौका नही था. जब मेरी कीर्ति से सेक्स को लेकर, कोई बात हो रही थी. हमारे बीच इन बातों का सिलसिला रिया और राज से मिलने के बाद, पूरी तरह से खुल कर नही तो, थोड़ा बहुत चलने लगा था. क्योंकि जिस दिन हम दोनो भाई बहन ने रिया राज को सेक्स करते देखा था. उसके बाद से हमारे बीच भाई बहन होने के बाद भी, इन बातों को लेकर थोड़ी बहुत बातें होने लगी थी.

इसी बीच हम दोनो एक दूसरे मे इतना खो चुके थे कि, अब अपने भाई बहन के रिश्ते को भूल कर, खुद का बनाया रिश्ता निभा रहे थे. हम सेक्स से अंजान नही थे. फिर भी हमारे रिश्ते के बीच, सेक्स की कोई भावना नही थी. हमारे बीच प्यार का एक निर्मल रिश्ता था. जिसने सेक्स की भावनाओ को कभी पनपने ही नही दिया था.

लेकिन मुंबई आने के बाद, मेरे साथ जो कुछ हुआ. उसे मैं कीर्ति से छुपा कर नही रखना चाहता था. इसलिए मैने उसे रिया की वॉटरफॉल मे मेरे लिंग के साथ मस्ती करने से लेकर, टॅक्सी मे मस्ती करने तक की सारी बातें बताई. इसके बाद प्रिया को फ्रॉक मे देख कर, मेरे अंदर जागी उत्तेजना से लेकर, उस से हुई बातों के बारे मे, जस का तस पूरी तरह से खुल कर, बताता चला गया. जिन्हे कीर्ति बड़ी खामोशी से सुनती रही.

जब मेरी बात ख़तम हुई तो, मैं कीर्ति के कुछ बोलने का इंतजार करने लगा. लेकिन वो खामोश ही रही. उसकी खामोशी ने मुझे चिंता मे डाल दिया. मुझे लगा कि वही हुआ, जिस से मैं डर रहा था. मैने धीरे से कीर्ति से कहा.

मैं बोला "क्या हुआ. मुझ पर नाराज़ हो गयी ना."

मगर कीर्ति खामोश ही थी. उसकी कोई आवाज़ ना आते देख, मुझसे रहा ना गया. मैने फिर उस से कहा.

मैं बोला "देख चुप मत रह. तुझे मुझ पर गुस्सा है तो, तू मुझ पर गुस्सा कर ले. मैने तुझे पहले ही कहा था कि, कोई बात अपने दिल मे मत रखना. तूने मुझसे इसका वादा भी किया था. लेकिन अब तू अपना वादा भूल कर, मुझसे नाराज़ हो गयी."

मेरी बात सुनकर कीर्ति खामोश ना रह सकी. उसने मुझे समझाते हुए कहा.

कीर्ति बोली "नही जान, ऐसा कुछ भी नही है. तुम्हारे साथ, जो कुछ भी हुआ. वो तुमने मुझे सब कुछ, सच सच बता दिया. मेरे लिए इस से बढ़ कर, खुशी की बात, और क्या हो सकती है. मैं तुमसे किसी भी बात के लिए नाराज़ नही हूँ."

कीर्ति की इस बात से उसकी उदासी साफ झलक रही थी. उसकी उदासी और खामोशी दोनो बता रही थी कि, उसे ये बात सुनकर बहुत ठेस पहुचि है. तभी उसका हंसता खिलखिलाता चेहरा उदास हो गया. मगर मेरी समझ मे, ये बात नही आ रही थी कि, जब कीर्ति को मेरी ये बात बुरी लगी है तो, वो मुझसे इस बात को लेकर कोई बहस, या कोई सवाल, क्यों नही कर रही है. मैने तो उस से, साफ साफ कहा था कि, यदि तुझे मेरी बात बुरी लगे तो, तू मुझ पर गुस्सा कर लेना, पर कोई बात अपने दिल मे मत रखना. बस इसी बात को सोचते हुए मैने कीर्ति से कहा.

मैं बोला "तू झूठ बोल रही है. यदि ऐसी बात है तो, फिर मेरी बात सुनकर खामोश क्यों हो गयी थी और जब तू बोली तो तेरी बातों मे, ये उदासी क्यों है. सच बात तो ये है कि, तू मन ही मन मुझसे नाराज़ है."

कीर्ति बोली "जान ऐसी कोई बात नही है. मैं भला अपनी जान से क्यों नाराज़ रहूगी. मैं तो चुप इसलिए थी, क्योंकि तुमने इस तरह की बात, मेरे साथ पहली बार इतनी खुल कर की है. मुझे समझ मे ही नही आया कि, मैं तुमसे क्या बोलूं. अब तुम ये बेकार की बातें सोचना बंद करो, और चुप चाप सो जाओ. रत को तुम्हे फिर जागना है."

मैं बोला "देख मुझे बहलाने की कोसिस करना बेकार है. मैं जानता हूँ, तुझे ये सब सुनकर बहुत बुरा लगा है. मुझे भी तुझसे ये सब बातें करना ज़रा भी अच्छा नही लगा. लेकिन मेरे लिए तुझसे, ये सब बातें करना ज़रूरी था. तू साफ साफ क्यों नही कहती कि, तुझे रिया के साथ मेरा ये सब करना बुरा लगा है."

कीर्ति बोली "जान ऐसा कुछ भी नही है. मुझे तुम्हारी किसी बात का कोई बुरा नही लगा. मैने तो खुद तुमसे कहा था कि, मुझे सिर्फ़ तुम्हारा प्यार चाहिए. तुम जिसे भी अपना बनाना चाहते हो, बना सकते हो. मैं उसे खुशी खुशी स्वीकार कर लूँगी. फिर भला मैं तुम्हारी इस बात का, बुरा कैसे मान सकती हूँ."

कीर्ति के ये बात बोलते ही, मैं समझ गया कि, वो मुझसे कोई बहस, या सवाल, क्यों नही कर रही है. असल मे अपनी कही बात की वजह से, वो मुझ पर अपना कोई हक़ जताना नही चाहती थी. उसके इस तरह से बात करने की वजह, समझ मे आते ही मैने उस से कहा.

मैं बोला "तू ये सब क्या बोले जा रही है. तू अपनी कही किसी बात मे बँध कर, क्या मुझे मेरी मनमानी करने के लिए, अकेला छोड़ देगी."

कीर्ति बोली "जान मैं तुम्हे कहाँ अकेला छोड़ रही हूँ. मैं तो हमेशा तुम्हारे साथ हूँ. लेकिन जो सच है, वही मैने कहा है. मैने तुम्हारा प्यार पाने के लिए, तुम्हे अपने हर बंधन से आज़ाद किया था. मैं इस बात को कैसे भूल सकती हूँ."

मैं बोला "ये सब बातें तूने उस समय की थी. जब मैं तेरे प्यार को समझ नही पा रहा था. क्योंकि उस समय मुझे तेरा मेरा प्यार सही नही लग रहा था. मगर जब मैने महसूस किया कि, मैं भी तेरे बिना रह नही सकता. तब से आज तक मैने, तेरे सिवा किसी और के बारे मे सोचा तक नही है. मेरे अंदर, तेरी जितनी समझ नही है. लेकिन इतना ज़रूर जानता हूँ कि, शर्तों पर प्यार नही होता. इसलिए हमारे प्यार को, किसी शर्त मे मत बाँध. मेरे लिए तो, मेरा सब कुछ तू ही है, और तुझे मेरे उपर पूरा हक़ है. तू ये सब बेकार की बात करके मेरा दिल क्यों दुखा रही है."

कीर्ति बोली "सॉरी जान. मैने तुम्हारा दिल दुखाया है तो, मुझे माफ़ कर दो. लेकिन फिर भी सच यही है कि, मेरे लिए तुम्हारी खुशी से बढ़कर कुछ नही है. जिस बात मे तुम खुश हो. उसी मे मेरी खुशी भी है. मैं सिर्फ़ अपनी खुशी के लिए, तुम्हारी आज़ादी कैसे छीन सकती हूँ."

मैं बोला "अपनी बड़ी बड़ी बाते अपने पास रख. मुझे कोई आज़ादी नही चाहिए. मैं जिंदगी भर तेरे प्यार के बंधन मे, बँध कर रहना चाहता हूँ. तू यदि मुझ पर गुस्सा है तो, गुस्सा कर ले. मगर मेरी खुशी को, अपनी खुशी से अलग मत समझ, मेरी खुशी भी तेरी खुशी मे है. यदि तू ही खुश नही है तो, फिर मैं कैसे खुश रह सकता हूँ."

कीर्ति बोली "जान तुम ऐसा क्यों सोच रहे हो. तुम्हारा प्यार मेरे साथ है तो, मैं कैसे खुश नही रहूगी. तुम किसी बात को लेकर, बेकार मे परेशान मत हो. मेरा प्यार हमेशा तुम्हारे साथ है."
Reply


Messages In This Thread
RE: MmsBee कोई तो रोक लो - by desiaks - 09-09-2020, 01:21 PM
(कोई तो रोक लो) - by Kprkpr - 07-28-2023, 09:14 AM

Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,452,289 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 538,857 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,212,386 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 916,538 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,624,830 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,057,681 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 2,911,884 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 13,927,210 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 3,981,448 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 280,283 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 3 Guest(s)