MmsBee कोई तो रोक लो
09-09-2020, 01:22 PM,
#66
RE: MmsBee कोई तो रोक लो
मैं बेमन से अपने बिस्तर से उठा और दरवाजा खोला. दरवाजा खोलते ही मुझे सामने प्रिया नज़र आई. उसे देखते ही मेरे चेहरे पर हँसी आ गयी. मैने अपने मन मे कहा.

मैं मन मे "ये लड़की कपड़े पहनती ही क्यों है. जब इसके कपड़े पहनने के बाद भी इसका सब कुछ साफ साफ नज़र आता."

असल मे वो इस समय पर्पल कलर की सिल्क की शॉर्ट नाइटी मे थी. जो उसकी फ्रॉक से भी छोटी थी. जिसमे से उसके बदन का हर अंग साफ साफ झलक रहा था. उसे देख कर ऐसा लग रहा था. जैसे किसी ने उसे अभी अभी सोते से जगाया हो, और वो उठ कर सीधे मेरे पास आ गयी हो. क्योंकि वो अभी भी उनीदी सी थी. ऐसी हालत मे वो और भी ज़्यादा सेक्सी लग रही थी.

इस हालत मे यदि उसे मेरी जगह कोई दूसरा देख लेता. तो उसका लिंग ज़रूर पानी छोड़ देता. लेकिन मेरे साथ ऐसा कुछ नही हुआ. क्योंकि अब मेरे दिल दिमाग़ मे कीर्ति की तस्वीर घूम रही थी. जिसके सामने प्रिया का ये रूप भी फीका था. इसलिए अब उसे देख कर मेरा मन ज़रा भी मैला नही हुआ. उसके हाथ मे चाय नाश्ते की ट्रे थी. जिसे देख कर मैने कहा.

मैं बोला "मैने तो चाय नाश्ते का नही बोला."

लेकिन मेरी इस बात के जबाब मे प्रिया कुछ नही बोली. जैसे उसने मेरी बात सुनी ही ना हो. वो बिना कुछ कहे, मेरे कमरे के अंदर आई. उसने मेरे बेड के पास रखी टेबल पर नाश्ता रखा, और फिर मेरे बेड पर ही धम्म से लेट गयी. उसके इस तरह से लेटने से उसकी नाइटी पेट के उपर तक सरक गयी, और उसकी वाइट पैंटी साफ साफ नज़र आने लगी.

मैं कुछ समझ पाता की, ये क्या कर रही है. उस से पहले ही उसकी आँख बंद हो चुकी थी. उसकी ऐसी हालत मे, मेरी हिम्मत उसके पास जाने की नही हुई. मैने दरवाजे के पास खड़े खड़े ही, उसे दो बार प्रिया प्रिया करके आवाज़ लगाई. मगर प्रिया कुछ नही बोली. वो शायद सो चुकी थी.

मैं अजीब उलझन मे फसा हुआ था. मुझे समझ मे ही नही आ रहा था कि, अब मैं क्या करूँ. जब मेरे कुछ समझ मे नही आया तो, मैं कमरे से बाहर निकल आया. कमरे से बाहर आकर मैने दरवाजा बंद किया और हॉल मे आ गया.

हॉल मे निक्की चहल कदमी कर रही थी. वो शायद प्रिया के वापस लौटने का इंतजार कर रही थी. लेकिन प्रिया की जगह उसने मुझे कमरे से बाहर निकलते देखा तो, वो मेरे पास चली आई और पुछा.

निक्की बोली "क्या हुआ. आप बाहर क्यों आ गये. प्रिया तो आपको नाश्ता देने गयी थी ना."

मैं बोला "हाँ नाश्ता देने तो आई थी, मगर नाश्ता देकर वो वहीं सो भी गयी. लगता है आप ने ही उसे नाश्ता लेकर मेरे पास भेजा था."

निक्की बोली "हाँ मैने ही उसे भेजा था. क्या आपने उसे जगाया नही."

मैं बोला "मैने उसे जगाने की कोशिस तो की थी, मगर लगता है आपने उसे बहुत गहरी नींद से जगा दिया है. इसलिए उसे कुछ होश नही है."

निक्की बोली "हाँ जब मैने उसे जगाया था. तब वो बहुत गहरी नींद मे थी. शायद इसीलिए वो आपके कमरे मे बेड देखते ही सो गयी होगी. ये तो इसकी बचपन की आदत है."

मैं बोला "कैसी आदत."

निक्की बोली "यदि इसे गहरी नींद से ज़बरदस्ती जगा दो तो, ये जहाँ भी सोने की जगह देखती है. वही पर सो जाती है. ये इसकी बचपन की आदत है."

मैं बोला "यदि ऐसी बात थी तो, आपने इसे जगाया ही क्यों था."

निक्की बोली "मुझे क्या मालूम था कि, इसकी बचपन की आदत अभी तक नही गयी है. यदि मुझे मालूम होता तो मैं इसे नाश्ता लेकर नही भेजती."

मैं बोला "कोई बात नही. किसी किसी के साथ ऐसा होता है. आप चल कर उसे जगा दीजिए."

मेरी बात सुनकर निक्की मेरे साथ मेरे कमरे तक आई. मगर मैं प्रिया की ऐसी हालत मे, अंदर नही जाना चाहता था. मैं कमरे के बाहर ही रुक गया. निक्की ने कमरे मे जाकर प्रिया को जगाने की कोशिस की, लेकिन प्रिया जागने का नाम ही नही ले रही थी. तब निक्की नाश्ते की ट्रे लेकर बाहर आई और मुझसे कहने लगी.

निक्की बोली "आप ऐसा कीजिए डाइनिंग रूम मे चल कर नाश्ता कीजिए. तब तक मैं इसे जागती हूँ."

ये कह कर वो मुझे डाइनिंग रूम मे ले आई. मैं वहाँ बैठ कर चाय नाश्ता करने लगा और निक्की प्रिया को जगाने चली गयी. थोड़ी देर बाद मैने देखा कि, निक्की प्रिया को पकड़ कर उपर उसके रूम मे ले जा रही है. प्रिया अभी भी आधी नींद मे ही लग रही थी.

मैं अभी नाश्ता कर ही रहा था. तभी रिया के पापा आ गये. वो शायद ऑफीस जाने की तैयारी मे थे. मैने उनसे गुड मॉर्निंग किया तो, उन ने गुड मॉर्निंग का जबाब दिया और मेरे पास ही बैठ गये. तब तक निक्की भी प्रिया को छोड़ कर आ चुकी थी. निक्की ने अंकल को बैठे देखा तो, वो जाकर उनके लिए भी चाय नाश्ता ले आई. अंकल ने इस बीच मेरी थोड़ी बहुत बात हुई. फिर अंकल नाश्ता करने के बाद ऑफीस चले गये.

अब मैं और निक्की अकेले ही वहाँ बैठे थे. मैं भी नाश्ता कर चुका था. लेकिन निक्की अभी नाश्ता कर रही थी. जिस वजह से मुझे वहाँ बैठना पड़ा. मेरा उस से अभी भी बात करने का मन नही था. फिर भी मैने बेमन से निक्की से पुछा.

मैं बोला "घर के बाकी लोग कहाँ है."

निक्की बोली "प्रिया और अंकल से तो आप मिल ही चुके है. राज और रिया 9 बजे के बाद ही सोकर उठेगे."

मैं बोला "क्या दादा जी और आंटी भी देर से उठते है."

निक्की बोली "नही दादा जी और आंटी जल्दी उठ जाते है. आज सोमवार है तो, वो दोनो मंदिर दर्शन के लिए गये है. वो हर सोमवार को मंदिर जाते है. वो अब आने ही वाले होंगे."

तब तक निक्की का भी नाश्ता हो चुका था. मैं अब मैं उस से अपना पिछा छुड़ाना चाहता था. इसलिए मैने उस से कहा.

मैं बोला "क्या आपको सोना नही है."

निक्की बोली "मैं आपको और अंकल को नाश्ता देने के लिए रुकी हुई थी. अब मैं भी जाकर सोउंगी."

मैं बोला "ठीक है. अब आप भी आराम कीजिए. मुझे भी बहुत नींद आ रही है."

ये कह कर मैं अपने कमरे मे आ गया. कमरे मे आकर मैं बिस्तर पर लेट गया और कुछ ही देर मे मुझे नींद आ गयी. मैं कीर्ति के बारे मे सोचते हुए सोया था. इसलिए मुझे उसका ही सपना आया. मगर सपने मे उसके साथ अमि निमी भी थी. निमी रोए जा रही थी. कीर्ति और अमि उस से रोने की वजह पुछ रही थी. निमी रोने की वजह बताने ही जा रही थी. तभी मेरी नींद खुल गयी.

निमी को सपने मे रोते देख कर मेरा मूड खराब हो गया. मैने टाइम देखा तो शाम के 4:30 बज गये थे. मैने घर कॉल लगाने के लिए मोबाइल उठाया तो, उसमे करीब 2 बजे के आस पास कीर्ति के 15 मिस्ड कॉल थे. मैने कीर्ति को कॉल लगाया. लेकिन उसका मोबाइल ऑफ बता रहा था. ये देख कर मुझे और भी चिंता होने लगी.

तब मैने छोटी माँ के मोबाइल पर कॉल किया. लेकिन उनके मोबाइल पर रिंग तो जा रही थी पर कॉल नही उठ रहा था. इस से मेरी चिंता और बढ़ गयी, और फिर मैने आंटी के मोबाइल पर कॉल किया. आंटी ने कॉल उठा लिया. उनके कॉल उठाते ही मैने उनसे पुछा.

मैं बोला "आंटी घर मे सब ठीक तो है ना."

आंटी बोली - "हाँ सब ठीक है. तू ऐसा क्यों पुछ रहा है."

मैने आंटी को अपने सपने वाली बात बताई. फिर छोटी माँ और कीर्ति को कॉल लगाने वाली बात बताई. तब आंटी ने कहा.

आंटी बोली "चिंता की कोई बात नही है. बस निमी को स्कूल मे बुखार आ गया था. अब वो ठीक है, और तेरे कमरे मे आराम कर रही है. हम सब भी यही है. सुनीता का मोबाइल उसके कमरे मे रखा है. इसलिए वो तेरा कॉल नही उठा पाई."

मैं बोला "निमी को डॉक्टर. को दिखाया या नही."

आंटी बोली "अरे क्या तुझी को बस उसका ख़याल है. हम सब यहाँ है ना. हम ने उसे डॉक्टर को दिखा दिया है. डॉक्टर. ने कहा है है कि, चिंता की कोई बात नही है. बस ऐसे ही मौसमी बुखार है. शाम तक वो बिल्कुल ठीक हो जाएगी. अभी दबा खाकर वो सो रही है."

मैं बोला "ठीक है. यदि कीर्ति आपके पास हो तो, उस से मेरी बात करा दीजिए."

आंटी बोली "हाँ वो यही है. मैं उसे फोन देती हूँ."

ये कह कर आंटी ने कीर्ति को फोन दे दिया. कीर्ति के फोन पर आते ही, मैने कीर्ति से पुछा.

मैं बोला "अचानक निमी को बुखार कैसे आ गया. सुबह जब मुझसे बात हुई थी. तब तो वो अच्छी भली लग रही थी."

कीर्ति बोली "आज सुबह वो तबीयत सही ना होने की बात बोल,कर स्कूल ना जाने की ज़िद कर रही थी. हम सब ने सोचा की वो, हमेशा की तरह बहाना कर रही है. इसलिए उसकी बात नही मानी, और उसे स्कूल भेज दिया. 11 बजे उसकी स्कूल से फोन आया की, उसकी तबीयत सही नही है. कोई उसे आकर घर ले जाए. तब मैं उसे स्कूल लेने गयी. रास्ते मे मैने उसे डॉक्टर. को दिखाया और फिर घर ले आई. तब से वो आराम ही कर रही है."

मैं बोला "जब वो स्कूल जाना नही चाहती थी. तब तुम लोगों ने उसे स्कूल भेजा ही क्यों था. उसके एक दिन स्कूल ना जाने से, ऐसा क्या बिगड़ जाता."

कीर्ति बोली "तुम ही तो सुबह बोल रहे थे कि, उसे तो स्कूल ना जाने का बहाना चाहिए. यदि तुम उस से बात कर लोगे तो, वो कहेगी कि भैया ने कहा है कि, आज तुम स्कूल मत जाना. मुझे यही लगा कि तुम्हारी बात सही निकल रही है. तुमसे बात होते ही वो बोलने लगी कि, भैया कह रहे है आज तुम स्कूल मत जाना."

कीर्ति की ये बात सुनकर मुझे गुस्सा आ गया. मैं ने उसे चिल्लाते हुए कहा.

मैं बोला "मेरी बात सही होने का क्या मतलब है. तेरे पास कुछ अपना दिमाग़ है या नही है. या सारे समय बस मुझसे बात करने मे ही लगा रहता है. मैं तुझे अपनी बहनों के पास इसलिए छोड़ कर आया था कि, मैं उन से बेफिकर होकर यहाँ रह सकूँ. लेकिन तुझसे तो ये काम भी अच्छे से नही हुआ. 2 दिन मे मेरी बहन की तबीयत खराब कर के रख दी."

कीर्ति बोली "इस मे मेरी क्या ग़लती है. ये तो मौसमी बुखार था. इसे मैं आने से कैसे रोक सकती हूँ."

मैं बोला "ग़लती तेरी नही मेरी थी. जो मैने तुझ पर कुछ ज़्यादा ही भरोसा कर लिया, और निमी से बात करने तक का टाइम नही निकाला. यदि मैं उस से बात करता होता तो, उसकी तबीयत कभी खराब नही होती."

कीर्ति को भी मेरी बात पर गुस्सा आ गया. उसने मुझसे कहा.

कीर्ति बोली "मैने कब तुम्हे तुम्हारी बहन से बात करने से मना किया था. उल्टे तुम्हारे पास ही उस से बात करने का समय नही था. मैने तो खुद तुम्हारी सुबह उस से बात कराई थी."

मैं बोला "चल अपनी सफाई अपने पास रख. ना तूने कभी किसी बात मे अपनी ग़लती मानी थी, और ना ही कभी किसी बात मे अपनी ग़लती मानेगी. लेकिन सच ये ही है कि, निमी की तबीयत तेरी ही लापरवाही की वजह से खराब हुई है."

कीर्ति बोली "तुम मुझे वेवजह निमी की तबीयत के लिए दोषी बना रहे हो. इस सब मे मेरी कोई ग़लती नही है. यदि ग़लती है तो इस मे खुद निमी की ग़लती है. वो रात से ही स्कूल ना जाने के लिए कोई ना कोई बहाना बोलते आ रही थी. अब मुझे कोई सपना हो रहा था कि, स्कूल जाने से उसकी तबीयत खराब हो जाएगी. वैसे भी उसे ज़बरदस्ती स्कूल मैने नही, मौसी ने भेजा था. तुम्हे जो भी कहना है. मौसी से कहो."

मैं बोला "मुझे भी तुझसे कोई बात नही करनी. छोटी माँ को फोन दो. मैं उन्ही से बात करूगा."

मेरी बात सुनकर कीर्ति ने छोटी माँ को फोन दे दिया. छोटी माँ शायद हमारा लड़ाई झगड़ा सुन चुकी थी. उन ने फोन लेते ही कहा.

छोटी माँ बोली "कीर्ति पर क्यों गुस्सा हो रहा है. क्या तू अपनी लाडली को नही जानता. उसकी तो स्कूल ना जाने के लिए, आए दिन कोई ना कोई बहाना बनाने की आदत ही है. ऐसे मे हम लोगों को क्या मालूम कि, उसको स्कूल भेजने से उसकी तबीयत ही खराब हो जाएगी."

मैं बोला "कुछ भी हो छोटी माँ, पर निमी की तबीयत आप लोगों की वजह से ही खराब हुई है. आप लोगों ने मेरी गैर हाज़िरी मे उसका ज़रा भी ध्यान नही रखा."

छोटी माँ बोली "उसकी तबीयत खराब होने की वजह कोई दूसरा नही बल्कि तू खुद ही है."

छोटी माँ की ये बात मेरी समझ मे नही आई. लेकिन इसे सुनकर मेरा गुस्सा शांत हो गया. मैने कहा.

मैं बोला "ये आप क्या बोल रही है. मैं भला निमी की तबीयत खराब होने की वजह कैसे हूँ."

छोटी माँ बोली "तू पूरा बुद्धू है. अरे इतना भी नही समझता. तेरी बहन तुझसे कभी दूर नही रही. अब तू उसके सामने नही है तो, वो तुझे बहुत मिस कर रही है. इसलिए वो बीमार पड़ गयी. नही तो इतने सालों मे तूने कभी उसे बीमार पड़ते देखा है."

छोटी माँ की ये बात मुझे सही लगी. आज तक मैं कभी अमि निमी की नज़रों से दूर नही रहा था. यहाँ तक कि जब कभी छोटी माँ अपने मायके जाती तो, अमि निमी की वजह से मैं भी उनके साथ जाता था. छोटी माँ की बात मेरी समझ मे आ चुकी थी और, मेरा गुस्सा पूरी तरह से शांत हो चुका था. मैने उनसे कहा.

मैं बोला "शायद आप ठीक कह रही है. मुझे खुद उनके बिना यहाँ सूना सूना लग रहा है. फिर तो अमि निमी अभी बहुत छोटी है. यदि अमि वहाँ हो तो, ज़रा उसे फोन देना. मुझे उस से बात करना है."

अमि उधर पर ही थी. छोटी माँ ने उसे फोन पकड़ा दिया. अमि के फोन पर आते ही मैने उस से कहा.

मैं बोला "मेरी इतनी ज़्यादा समझदार अमि के रहते, निमी की तबीयत कैसे खराब हो गयी."

अमि बोली "भैया मैं तो निमी को कितना समझाती हूँ कि, कुछ भी उल्टा सीधा ना खाया करे. लेकिन निमी मानती ही नही है. जब देखो कुछ ना कुछ खाती ही रहती है. अब ऐसे मे बीमार नही पड़ेगी तो और क्या होगा."

मैं बोला "तू तो बड़ी है ना. तो फिर तू उसे पिटाई क्यों नही लगाती."

अमि बोली "भैया जब वो कुछ खाती है तो, उसमे से मुझे भी खिलाती है. फिर मैं उसको पिटाई कैसे लगा सकती हूँ."

मैं बोला "ये तो ग़लत बात है. यदि निमी कोई ग़लती करती है तो, तुझे उसको ग़लती करने से रोकना चाहिए. खुद ही उसकी ग़लती मे शामिल नही हो जाना चाहिए. जब तू खुद ग़लती कर रही है तो, फिर तू उसे ग़लती करने से कैसे रोक पाएगी."

अमि बोली "ठीक है भैया. आज से मैं ये ग़लती नही करूगी. लेकिन आप कब आ रहे हो. निमी आपको बहुत याद करती है."

मैं बोला "अंकल के ठीक होते ही आ जाउन्गा. लेकिन जब तक मैं नही आ रहा हूँ. तू निमी, और बाकी सबका ख़याल रखना."

अमि बोली "भैया ख़याल तो मैं सबका रखती हूँ, पर आपके बिना ज़रा भी अच्छा नही लग रहा है. अब तो अंकल का ऑपरेशन भी हो गया है, और वहाँ पापा भी पहुच गये है. आप पापा को अंकल के पास छोड़ कर आ जाओ ना."

अमि की बात सुनकर मेरा भी मन उसे देखने के लिए तड़प उठा. मैने किसी तरह से अपने को संभाला और अमि से कहा.

मैं बोला "मेरी प्यारी आमो. ऐसा नही कहते. देख पापा यहा किसी काम से आए है. वो अपना काम कर के एक दो दिन मे तुम लोगों के पास आ जाएगे. फिर अंकल और मेहुल भैया का ख़याल कौन रखेगा. उनका ख़याल रखने के लिए मुझे तो उनके पास रहना चाहिए ना."

लेकिन अमि के छोटे से दिमाग़ मे मेरी बात नही आई. वो उल्टा मुझे समझाते हुए बोलने लगी.

अमि बोली "भैया अभी तो पापा वहाँ है. जब तक के लिए पापा वहाँ है. तब तक के लिए तो आप यहाँ आ ही सकते है. जब पापा यहाँ आने लगे. तब आप वहाँ चले जाना. ऐसा करने मे अंकल को भी परेसानी नही होगी और हम लोग आप को देख भी लेगे."

मैं जानता था की निमी को समझाना आसान है पर अमि को समझाना इतना आसान नही है. उसके पास हर बात का कोई तोड़ होता ही है. इसलिए मैने उसे समझाने की जगह बहलाना ही ठीक समझा. मैने उस से कहा.

मैं बोला "देख मैं तुझे एक राज की बात बताता हूँ. मगर पहले तू वादा कर कि तू ये बात किसी को नही बताएगी और इसमे मेरा साथ देगी."

अमि को जैसे ही लगा की कोई राज की बात मैं सिर्फ़ उसे बता रहा हूँ, तो उसने झट से कहा.

अमि बोली "मैं वादा करती हूँ कि मैं ये बात किसी से नही कहुगी, और आपका साथ दूँगी."

मैं बोला "गुड. अब पहले बता कि कोई हमारी बात सुन तो नही रहा है."

अमि बोली "नही, कोई नही सुन रहा है."

मैं बोला "देख मैं यहा अंकल की तबीयत के साथ साथ एक दूसरे काम से भी रुका हुआ हूँ. मैं अपना दूसरा काम सिर्फ़ तुझे बता रहा हूँ. तू ये बात किसी को मत बताना."

अमि बोली "आप बिल्कुल चिंता मत करो. मैं ये राज की बात किसी को भी पता नही चलने दूँगी."

मैं बोला "तो सुन. कुछ दिन बाद तेरा और निमी का जनम दिन है ना."

अमि बोली "हाँ है."

मैं बोला "मैं उसी वजह से यहाँ रुका हुआ हूँ. यहा बहुत अच्छे खिलौने और कपड़े मिलते है. एक दो दिन मे अंकल की तबीयत थोड़ी सुधर जाएगी. तब मैं यहाँ रोज थोड़ी थोड़ी खरीदी करूगा. अभी अंकल की तबीयत सही नही है. ऐसे मे क्या बाजार जाना सही रहेगा."

अमि बोली "नही भैया ऐसे मे बाजार जाना ठीक नही है."

मैं बोला "तो फिर तू समझ गयी ना कि, मैं अभी क्यों नही आ रहा हूँ."

अमि बोली "नही भैया, मुझे कोई खिलोने नही चाहिए. मुझे बस आप चाहिए."

मैं बोला "मुझे मालूम है कि, तुझे कुछ नही चाहिए. लेकिन तू निमी की भी सोच ना. निमी ये सब देख कर कितना खुश होगी. क्या तू नही चाहती तेरी छोटी बहन खुश हो."

अमि बोली "चाहती हूँ भैया."

मैं बोला "तो फिर इस सब मे मेरा साथ दे. जब तक मैं नही आ जाता निमी को खेल मे लगाए रह. उसको मेरी कमी ज़रा भी महसूस मत होने दे. हमारे बीच हुई बात को राज ही रखना. इसका किसी को पता नही चलना चाहिए."

अमि बोली "ठीक है भैया मैं आपका साथ दुगी. लेकिन आपको भी मेरी एक बात मानना होगी."

मैं बोला "मैं अपनी आमो की सब बात मानूँगा. तू बोल तो सही."

अमि बोली "आप जब तक नही आ रहे हो. तब तक मुझसे और निमी से रोज बात करोगे."

मैं बोला "बिल्कुल करूगा. मैं खुद अपनी अमि निमी से बात किए बिना नही रह सकता. अब तू ऐसा कर कीर्ति को फोन दे. मुझे उस से कुछ ज़रूरी बात करनी है."

अमि बोली "भैया कीर्ति दीदी तो यहाँ नही है. वो शायद किसी काम से नीचे चली गयी है. मैं क्या नीचे जाकर उनसे आपकी बात करवाउँ."

मैं बोला "नही रहने दे. वो ज़रूर कोई काम कर रही होगी. वो जब आए तो उस से कहना कि मुझसे बात कर ले."

अमि बोली "ठीक है भैया."

मैं बोला "ठीक है, अब फोन छोटी माँ को दे."

इसके बाद अमि ने फोन छोटी माँ को दे दिया. मेरी छोटी माँ से निमी को लेकर थोड़ी बहुत बात हुई. मैने निमी के जागने पर उस से बात करने को कहा, और फोन रख दिया. फोन रखने के बाद मैं फ्रेश होने चला गया. फ्रेश होने के बाद मैने मोबाइल देखा कि शायद कीर्ति का कॉल आया हो. लेकिन उसका कोई कॉल नही था.

मैने उसे कॉल लगाया, पर उसका मोबाइल अभी भी बंद था. मुझे उसके मोबाइल बंद होने का कारण भी समझ मे नही आ रहा था. मैने उसे वेवजह गुस्सा किया था. यही बात अब मुझे परेशान करने लगी. मैं यही सब सोचते सोचते तैयार होने लगा.

तैयार होने के बाद मैने टाइम देखा तो अब 5:15 बज गये थे. अब मुझे बहुत ज़ोर से चाय की तलब लग रही थी. लेकिन मुझे किसी से चाय के लिए बोलना अच्छा नही लग रहा था. इसलिए मैं आराम से अपने बेड पर बैठ कर, किसी के आने का इंतजार करने लगा कि, शायद कोई खुद ही मुझसे पुच्छने आ जाए.

अभी मुझे इंतजार करते थोड़ी ही देर हुई थी. तभी किसी ने मेरे कमरे का दरवाजा खटखटा दिया. मेरा अंदाज़ा था कि, हो ना हो ये निक्की ही होगी. ये सोचते हुए मैं दरवाजा खोलने चला गया. मैने दरवाजा खोला तो, सामने निक्की थी. वो चाय लेकर आई थी.

मेरे दरवाजा खोलते ही वो कमरे के अंदर आकर बेड पर बैठ गयी. अभी वो वाइट टॉप और ब्लॅक स्कर्ट पहनी थी. उसे इन कपड़ों मे देखते ही मुझे कीर्ति की याद आ गयी, और मेरा मन उदास हो गया.

मैने उसे कॉल लगाया, पर उसका मोबाइल अभी भी बंद था. मुझे उसके मोबाइल बंद होने का कारण भी समझ मे नही आ रहा था. मैने उसे वेवजह गुस्सा किया था. यही बात अब मुझे परेशान करने लगी. मैं यही सब सोचते सोचते तैयार होने लगा.

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RE: MmsBee कोई तो रोक लो - by desiaks - 09-09-2020, 01:22 PM
(कोई तो रोक लो) - by Kprkpr - 07-28-2023, 09:14 AM

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