MmsBee कोई तो रोक लो
09-09-2020, 01:25 PM,
#69
RE: MmsBee कोई तो रोक लो
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फिर 7:45 बजे रिया लोग मेरे कमरे मे आई. वो लोग डिन्नर पर जाने के लिए तैयार हो चुकी थी. बस मुझे बाइ कहने के लिए आई थी. मैं उन लोगों को बाहर तक छोड़ने आया. उन्हे टॅक्सी मिलने मे मुस्किल से 5 मिनट का समय लगा. उनके जाने के बाद मैं वापस अपने कमरे मे आ गया.

अभी सिर्फ़ 8 बजे थे और मुझे हॉस्पिटल 10 बजे पहुचना था. मैं चाहता था कि इस बीच मेरी कीर्ति से बात हो जाए. यदि मैने कीर्ति को गुस्सा नही किया होता और उसका मोबाइल बंद नही होता. तब मुझे उस से बात करने की इतनी बेचैनी नही होती. लेकिन एक साथ हुई इतनी बातों ने, मेरी बेचैनी को बहुत बढ़ा दिया था. अब मैं हर हाल मे, बस कीर्ति की आवाज़ सुनना चाहता था. लेकिन कैसे करूँ ये समझ नही पा रहा था.

तभी मेरे दिमाग़ मे एक बात आई. जिसके आते ही मेरे चेहरे पर मुस्कुराहट आ गयी. मगर मैं ये नही जानता था कि, ये मुस्कुराहट मेरे चेहरे पर, सिर्फ़ कुछ देर के लिए मेहमान बनकर आई है. जाते जाते ये मुस्कुराहट, मुझे ऐसा दर्द देने वाली है. जिसे मैं लाख कोशिस करने के बाद भी सह नही पाउन्गा.

मैने अंजानी सी खुशी के जोश मे अपना मोबाइल उठा लिया. मैं कॉल लगाने को ही था. तभी किसी ने फिर मेरा दरवाजा खटखटा दिया. अब रिया निक्की और प्रिया तो डिन्नर को जा चुकी थी. ऐसे मे आंटी के सिवा किसी और के होने की कोई उम्मीद नही थी. इसलिए मैने जल्दी से जाकर दरवाजा खोला.

दरवाजा खोलते ही मुझे दादा जी नज़र आए. उन्हे देखते ही मैने उनको अंदर आने को कहा, वो अंदर आ कर खाली पड़ी चेयर पर बैठ गये. मैने उनसे कहा.

मैं बोला "दादा जी आपको आने की क्या ज़रूरत थी. यदि आपको मुझसे कोई काम था तो मुझे बुला लिया होता. मैं आपके पास चला जाता."

दादा जी बोले "देखो बेटे ये दुनिया की रिवायत है. कुआ खुद चल कर प्यासे के पास नही आता. प्यासे को ही खुद चलकर कुआ के पास जाना पड़ता है."

मैं बोला "दादा जी आप मुझसे बड़े है. आपको मुझे अपने पास बुलाने का पूरा हक़ है, फिर चाहे वो काम आपका ही क्यों ना हो."

दादा जी बोले "चलो अगली बार से तुम्हारी इस बात को याद रखूँगा. अब मैं अपनी बात पर आता हूँ. मुझे तुमसे एक बहुत ज़रूरी काम है. इसलिए मैं खुद चल कर तुम्हारे पास आया हूँ. ये काम यदि मैं तुम्हारे दोस्त मेहुल, या किसी और से बोलता तो, वो खुशी खुशी कर देता. लेकिन हो सकता है कि मेरी बात सुनने के बाद, तुम इस काम को करने से मना कर दो."

मैं बोला "ऐसा क्यों सोचते है दादा जी. मैं आपके किसी काम को करने के लिए मना नही करूगा. लेकिन एक बात बताइए, जब वो काम मेहुल या कोई और कर सकता है. तब आपने उस काम के लिए मुझे ही क्यों चुना है."

दादा जी बोले "मैने दुनिया देखी है. मैं लोगों को देख के पहचान जाता हूँ कि, किस के मन मे क्या है. ऐसे ही मैने तुम्हारे मन को भी पहचाना है. तुम एक बेहद ही भोले भाले और संवेदनशील लड़के हो. जिसके हाथ से कभी किसी का बुरा नही हो सकता."

मैं बोला "ऐसा नही है दादा जी. मैं कोई भोला भला नही हूँ. मेरे अंदर घमंड कूट कूट कर भरा है. मैं अपने सिवा किसी की बात नही सुनता."

दादा जी बोले "यही तो तुम्हारा भोला पन है. तुम घमंड और स्वाभिमान मे अंतर ही नही समझ सकते. जिसे तुम अपना घमंड बोल रहे हो. वो तुम्हारा स्वाभिमान है. स्वाभिमानी आदमी सिर्फ़ अपने बनाए आदर्शों पर चलता है. वो दूसरो के दिखाए रास्ते पर नही चलता इसलिए लोग उसे घमंडी कहते है."

मैं बोला "इन सब बातों का आपके काम से क्या लेना है."

दादा जी बोले "लेना है बेटा. तभी तो सबको छोड़ कर तुम्हे अपने काम के लिए चुना है."

मैं बोला "आप अपना काम बताइए. मैं उसे पूरा करने की पूरी कोसिस करूगा.

दादा जी बोले "ये काम मेरे घर की इज़्ज़त से जुड़ा हुआ है. इसलिए मैं चाहता हूँ कि, चाहे तुम मेरा काम करो, या ना करो. लेकिन हमारे बीच मे जो ये सब बातें हो रही है. उन बातों का पता किसी को भी नही चलना चाहिए. क्योंकि इस बात के किसी और को पता चलने से, इस घर की इज़्ज़त मिट्टी मे मिल जाएगी."

मैं बोला "आप बेफिकर रहे दादा जी. ये बात किसी को भी पता नही चलेगी. आपके और मेरे बीच हुई बात, हमेशा के लिए मेरे सीने मे दफ़न हो जाएगी."

दादा जी बोले "हो सकता है कि, ये काम सुनने के बाद, तुम मेरा काम करने के लिए मना कर दो. यदि तुम ऐसा करते हो तो भी, मेरे मन मे तुम्हारे लिए कोई बुराई नही राहगी. तुम भी इस काम को सुनने के बाद अपने मन मे, हमारे परिवार के लिए कोई मैल मत आने देना."

मैं बोला "आप चिंता ना करे दादा जी. आपकी कही किसी बात से मेरे मन मे, आपके परिवार के लिए कोई मैल नही आएगा. यदि कोई बात मेरे मन मे आती भी है तो, मैं उसे आपसे कर के, अपने मन का मैल निकाल लुगा. आप अब अपनी बात बताइए."

दादा जी बोले "बेटा ये बात मैं तुझसे दादा जी बनकर नही, बल्कि तेरा दोस्त बनकर कर रहा हूँ. तू भी मुझसे किसी दोस्त की तरह बात करना. इस से ना तो तेरे दिल पर कोई बोझ पड़ेगा, और ना ही मेरे दिल पर कोई बोझ पड़ेगा."

मैं बोला "जी दादा जी. जैसा आप चाहते है ऐसा ही होगा. हम एक दूसरे के दोस्त बनकर बात करेगे."

दादा जी बोले "अब हम दोस्त बन गये है तो, दोस्तों की तरह ही बातें करते है. अब तू मुझे दादा जी की जगह सिर्फ़ दादू ही कहना."

मैं बोला "ओके दादू."

दादा जी बोले "अब हम सेक्स और लड़कियों से जुड़ी बाते करेगे. तू मुझे अपना दोस्त समझ कर ये बाते खुल के कर पाएगा."

मैं बोला "अब दादू को दोस्त बनाया है तो, दोस्त की तरह बात तो करना ही पड़ेगा. मैं कर लूँगा दादू. मगर किसी बात पर मेरी हँसी मत उड़ाना."

दादा जी बोले "अरे दोस्तों के बीच तो हँसी मज़ाक चलता रहता है. तू इस हँसी मज़ाक का बुरा मत मानना. अब ये बता तेरी कोई गर्लफ्रेंड है."

मैं बोला "नही, मेरी कोई गर्लफ्रेंड नही है."

दादा जी बोले "ये तो तू झूठ बोल रहा है. तेरे जैसे लड़के की कोई गर्लफ्रेंड ना हो. ये मैं मान ही नही सकता."

मैं बोला "सच मे दादू. मेरी कोई गर्लफ्रेंड नही है. यदि होती तो बताने मे क्या हर्ज था."

दादा जी बोले "चल मान लेता हूँ की तेरी कोई गर्लफ्रेंड नही है. मगर क्यों नही है. क्या कोई पसंद नही आई, या किसी को तू अभी तक पटा ही नही पाया है."

मैं बोला "कोई पसंद ही नही आई दादू."

दादा जी बोले "अच्छा ये बता, तुझे रिया प्रिया और निक्की मे कौन ज़्यादा सुंदर है."

मैं बोला "ये क्या फालतू की बात पूछ रहे हो दादू. अपने काम की बात करो ना."

दादा जी बोले "वही बात करने की तैयारी कर रहा हूँ. लेकिन जब तक तू अपने दोस्त से खुलेगा नही. तब तक तेरा दोस्त तुझसे वो बात नही कर पाएगा."

मैं बोला "ओके मुझे रिया प्रिया निक्की मे निक्की ज़्यादा सुंदर लगती है."

दादा जी बोले "उन तीनो मे ज़्यादा सेक्सी कौन है."

मैं बोला "रिया सबसे ज़्यादा सेक्सी है. वो कुछ भी पहन ले सेक्सी ही लगती है."

दादा जी बोले "अच्छा ये बता तुझे तीनो मे से सबसे ज़्यादा कौन पसंद है."

मैं बोला "प्रिया, वो हमेशा हँसती खिलखिलाती रहती है. उसके अंदर अभी भी बच्पना भरा हुआ है."

दादा जी बोले "तेरी नज़र बहुत अच्छी है. हर किसी की खूबी को बड़ी आसानी से पकड़ लिया. जब तेरी कोई गर्लफ्रेंड नही है. तो तू इनमे से किसी को गर्लफ्रेंड क्यों नही बना लेता."

मैं बोला "इनको गर्लफ्रेंड बना कर क्या करूगा दादू. मुझे कौन सा यहाँ रहना है. कुछ दिन बाद तो मैं वापस चला जाउन्गा. गर्लफ्रेंड बाय्फ्रेंड अपने सहर मे ही बनाना अच्छा रहता है. ये तो मेरी दोस्त ही ठीक है."

दादा जी बोले "बात तो तेरी सही है. लेकिन तुझे एक गर्लफ्रेंड तो बनानी ही चाहिए. तभी तो लाइफ का कुछ मज़ा है."

मैं बोला "दादू मेरी लाइफ मे तो बिना गर्लफ्रेंड के भी मज़ा है. मुझे किसी गर्लफ्रेंड की ज़रूरत नही है."

दादा जी बोले "जब तेरी गर्लफ्रेंड ही नही है तो, तुझे गर्लफ्रेंड वाले मज़े का पता कैसे चलेगा."

मैं बोला "क्यों गर्लफ्रेंड मे ऐसा क्या मज़ा है. ज़रा मुझे भी बताओ."

दादा जी बोले "तूने कभी किसी के साथ सेक्स किया है."

मैं बोला "नही किया."

दादा जी बोले "यही तो वो मज़ा है, जो गर्लफ्रेंड से मिलता है. तेरी उमर मे तो मेरी 3-4 गर्लफ्रेंड थी. जिनसे मैने सेक्स भी किया था. अब तेरी गर्लफ्रेंड ही नही है तो, तू सेक्स कैसे कर सकता है. मगर तूने हस्तमैंतुन तो ज़रूर किया होगा."

मैं बोला "ये क्या होता है और इसको करने से क्या होता है."

दादा जी बोले "इसका मतलब तूने ये भी नही किया. इसके लिए तो गर्लफ्रेंड बनाने की ज़रूरत भी नही होती. जब भी किसी सुंदर और सेक्सी लड़की को देखकर शरीर मे उत्तेजना जागती है. तब लिंग अकड़ कर खड़ा हो जाता है. ऐसे समय मे उसे शांत करने के लिए, उसे अपने हाथों मे लेकर उपर नीचे करते है. जिस को करने से लिंग मे से वीर्य की पिचकारी छूटती है और लिंग शांत हो जाता है. इसे हस्तमैंतुन कहते है."

दादा जी की बात मेरे समझ मे आ गयी थी. मैं हस्तमैंतुन का मतलब तो नही जानता था, लेकिन अब समझ मे आया कि, अपने कमरे मे रिया को सोचते हुए, मैने जो सब कुछ किया था. वो हस्तमैंतुन ही था. अचानक ही मैं बोल पड़ा.

मैं बोला "ये तो मैं एक बार कर चुका हूँ दादू."

अपनी बात बोल जाने के बाद मुझे ये अहसास हुआ कि, मुझे ये बात नही कहनी थी. इसलिए मेरा सर शरम से झुक गया. लेकिन दादू मेरी बात सुन चुके थे. वो पुराने खिलाड़ी थे. उन्हो ने मुझसे कहा"

दादा जी बोले "कौन थी वो लड़की. जिसके नाम से तुमने हस्थ मैन्थुन किया था."

मैं बोला "लड़की कोई नही थी. वो तो मैने ऐसे ही कर लिया था."

दादा जी बोले "बेटा ये लिंग किसी लड़की को देख कर ही आकड़ा होगा. फिर तुमने उसी लड़की का नाम ले ले कर इसे अपने हाथों से शांत कराया होगा. अब हम जब अपने घर का राज तुम्हे बता रहे है. तो तुम भी अपना राज हमें बता दो."

मैं बोला "वो सब अचानक ही हो गया था. मैं करना नही चाहता था."

दादा जी बोले "इस तरह सफाई देने का मतलब तो यही है कि, वो इसी घर की कोई लड़की है."

मैं बोला "नही वो हस्तमैंतुन तो मैने घर मे किया था. हम लोग वाट्टरफॉल गये थे. वही मैने एक लड़की को स्वीमिंग करते देखा था. वो बहुत सेक्सी लग रही थी. उसके बाद मुझसे रहा नही गया और घर आकर मैने ये सब किया.

दादा जी बोले "स्वीमिंग पर तो तुम्हारे साथ रिया थी."

मैं बोला "क्या दादू आप तो इस घर के पीछे ही पड़ गये, इस घर की कोई लड़की नही थी,.

दादा जी बोले "जहाँ तक मुझे रिया ने बताया था. वहाँ तुम्हारे साथ तुम्हारी 3 बहने राज रिया मेहुल और मेहुल की गर्ल फ्रेंड थी. तुम्हारी 3 बहनो और मेहुल की गर्लफ्रेंड के बारे मे तो तुम ऐसा सोच नही सकते. तब तो तुम्हारे ऐसा करने के लिए रिया ही बचती है.

दादा जी की इस बात ने मेरी बोलती ही बंद कर दी थी. मैं अपने बचाव का रास्ता ढूँढ रहा था. तभी मेरे दिमाग़ मे नितिका का ख़याल आ गया. मैने उन से कहा.

मैं बोला "इनके अलावा एक लड़की नितिका भी थी. उसी को देख के मेरे मन मे ये ख़याल आ गया."

बात तो मैने अपने तरफ से सही ही की थी. लेकिन मेरे दिमाग़ मे उस समय ये बात नही आई कि, नितिका भी दादा जी के दूसरे लड़के की बेटी है. इसलिए मेरी बात सुन कर दादा जी हंस पड़े और कहने लगे.

दादा जी बोले "तेरी पसंद भी अजीब है. तुझे ये जन्नत की पारिया छोड़ कर, वो छुयि मुई सी नितिका पसंद आई. मैने तो उसे सलवार सूट के सिवा, कभी किसी लिबास मे नही देखा. लेकिन ये बात तो मानना पड़ेगा वो बहुत सीधी और सरीफ़ लड़की है. इसीलिए जब तूने उसे स्वीमिंग करते ही देखा होगा तो, तू ये सब करने पर मजबूर हो गया. लेकिन तू ये क्यूँ भूल रहा है कि, नितिका इसी घर की बच्ची है."

मैं बोला "सॉरी दादू. मैने जानबूझ कर ऐसा नही किया था. अचानक मे पहली बार मेरे साथ ऐसा हुआ था,"

दादा जी बोले "इसमे सॉरी बोलने की कोई ज़रूरत नही है. ये तो इस उमर मे सबके साथ होता है. क्या तुझे नितिका बहुत पसंद है. यदि पसंद है तो बोल दे. मैं तेरी शादी अभी से उसके साथ फिक्स करवा दूँगा,"

मैं बोला "नही दादू, ऐसी कोई बात नही है. मैं तो लड़कियों से दूर ही रहता हूँ."

दादा जी बोले "ठीक है अगर कभी तेरा इरादा हो, निकिता से शादी बनाने का तो, मुझे बोल देना. मेरी बात को कोई नही तलेगा.

मैं बोला "ठीक है दादू. अब आप अपनी वो बात बताइए, जिसके लिए आप यहाँ मेरे पास आए है.

दादा जी बोले "ठीक है सुन, मगर मेरी बात सुनकर तुम एक दम से चौकना मत. बल्कि मेरी पूरी बात को समझने की कोशिश करना."

मैं बोला "ओके दादू. अब आप अपनी बात शुरू कीजिए."

दादा जी बोले "बात ये है कि पिच्छले कुछ समय से मेरी बहू की तबीयत ठीक नही रहती है. मुझे उसके इलाज के लिए तेरी मदद की ज़रूरत है."

मैं बोला "आप बोलिए दादू मुझे क्या मदद करना है. मैं आंटी के इलाज के लिए आपकी हर मदद करूगा."

दादू बोले "तुझे उसके साथ सेक्स करना है."

दादा जी की ये बात सुनकर मैं चौके बिना, ना रह सका. मुझे अपने कानों पर विस्वास ही नही आ रहा था कि, मैं जो कुछ भी सुन रहा हूँ. वो सब सच ही सुन रहा हूँ. मैं इस राज को जानने के लिए बेचैन हो गया. आख़िर दादू ने ये बात क्यों कही. मैने उनसे इस बात का मतलब जानने के लिए पुछा.

मैं बोला "दादू आप ये सब क्या बोल रहे है. आंटी मेरी माँ के बराबर है. उनके साथ ये सब करना तो दूर की बात है. मेरे लिए ऐसा सोचना भी पाप है. आप जानते है ये सब ग़लत है. फिर भी आप ऐसी बात बोल रहे है."

दादा जी बोले "मैं जानता हूँ कि ये सब ग़लत है. फिर भी मुझे अपनी बहू की खुशी के लिए तुमसे ये सब कहना पड़ा. वो तो इस बारे मे कुछ जानती ही नही है. मैने पहले तुमसे बात करना ठीक समझा. यदि तुम हाँ कहते हो तो मैं उस से बात करूगा."

मैं बोला "नही दादू. मैं ऐसा कोई काम नही कर सकता. जिससे मेरे चरित्र पर दाग लगे. मैं आपकी हर तरह की मदद करने को तैयार हूँ. मगर मुझसे आपकी ये मदद नही होगी."

दादा जी बोले "कहीं तुम इस वजह से मना तो नही कर रहे हो. क्योंकि देवकी एक लड़की ना होकर एक औरत है. जबकि तुम अपना पहला सेक्स किसी लड़की से करना चाहते हो."

मैं बोला "नही दादू. ऐसी कोई बात नही है. मैने आपसे झूठ कहा था कि मेरी कोई गर्लफ्रेंड नही है. मेरी एक गर्लफ्रेंड है और मैं उसे बेहद प्यार करता हूँ. वो भी मुझे बहुत प्यार करती है. वो मेरे सिवा किसी के बारे मे सोचती ही नही है. हमारे बीच सिर्फ़ प्यार का पवित्र रिश्ता है. हमारे रिश्ते के बीच सेक्स कभी आया ही नही है. जब उसके साथ अभी तक मैने सेक्स नही किया है तो, फिर किसी और लड़की के साथ सेक्स करने के बारे मे सोच भी कैसे सकता हूँ. अब यदि मैं ऐसा कुछ करता हूँ तो, ये उसके प्यार और विस्वास के साथ धोका करना होगा. अब आप ही बताओ. क्या उसके साथ धोका करना ठीक होगा."

दादा जी बोले "नही किसी के प्यार और विस्वास के साथ कभी धोका नही करना चाहिए. फिर भी यदि तुम्हे उस पर विस्वास है और तुम्हे लगता है कि वो हमारी बात को किसी से नही कहेगी. तब तुम चाहो तो, उस से एक बार पुच्छ कर देख सकते हो. हो सकता है कि, वो तुम्हे इस बात की इजाज़त दे दे."

मैं बोला "दादू मुझे उस पर पूरा विस्वास है. मैं उस से जो भी बात करता हूँ. वो उन बातों को कभी किसी से नही कहती. लेकिन मैं उसे जानता हूँ. वो इस बात के लिए कभी तैयार नही होगी. प्लीज़ दादू मुझे ये काम ना करने के लिए माफ़ कर दो. आप चाहो तो अपना ये काम मेहुल से करवा लो. वो बहुत अच्छा लड़का है."

दादा जी बोले "नही बेटा. मैं जानता हू की मेहुल अच्छा लड़का है. लेकिन उसके अंदर किसी बात को राज रखने की क़ाबलियत मुझे नज़र नही आती. वो इस बात को राज नही रख पाएगा और मेरे परिवार की इज़्ज़त खराब हो जाएगी."

मैं बोला "आपकी सोच सही है दादू. मेहुल किसी बात को अपने पेट मे पचा नही पाता है. लेकिन मेरे समझ मे ये बात नही आ रही है कि, अंकल के होते हुए आप को ये सब करवाने की ज़रूरत क्या है. क्या आप मुझे वो वजह बताएगे."

दादा जी बोले "मुझे तुम पर पूरा विस्वास है. इसलिए मैं तुम्हे अपने ऐसा करने की वजह बताता हूँ. जिस से तुम्हे तुम्हारे मन मे उठ रहे सारे सवालों का जबाब मिल जाएगा. तब तुम मुझे बताना कि, क्या मैं कुछ ग़लत कर रहा हूँ."

इसके बाद दादा जी मुझे उस राज के बारे मे बताने लगे. जिस की वजह से उन्हो ने ये सब बातें मुझ से कही थी. मैं उन की बातें बड़ी ही मन लगा कर सुनता रहा. अपनी बात ख़तम करने के बाद वो मेरा चेहरा देखने लगे. लेकिन मैं चुप ही रहा. तब उन ने फिर मुझसे पुछा.

दादा जी बोले "मैं जानता हू. तुम्हे ये सब जानकर मुझसे और मेरे परिवार से नफ़रत हो रही होगी. लेकिन मैने तुम्हे जो कुछ भी बताया है. वो सब सच है. अब इसे तुम चाहे तो मेरी बदक़िस्मती मान सकते हो, या फिर इसे मेरी मजबूरी का नाम दे सकते हो. लेकिन मैने जो कुछ भी किया. उस समय मुझे ये सब करना ठीक लगा था, लेकिन अब मुझे इस बात को लेकर मन ही मन पछतावा भी होता है."

मैं अभी भी उनकी बात को खामोशी से सुने जा रहा था. दादा जी की किसी बात का मेरे पास कोई जबाब नही था. दादा जी ने दुनिया देखी थी. इसलिए उनकी किसी बात पर उंगली उठा पाना मेरे बस की बात नही थी. फिर भी मैने उन से कहा.

मैं बोला "दादू मुझे इन सब बातों की इतनी समझ नही है. लेकिन इतना ज़रूर जानता हूँ कि, कोई भी काम यदि किसी की भलाई के लिए किया गया हो तो, वो बुरा नही होता. फिर इसमे तो आपके सारे परिवार की खुशी छुपि हुई थी. दुनिया चाहे इस बारे मे कुछ भी सोचती हो. लेकिन मेरी नज़र मे आपने कुछ ग़लत नही किया. मुझे आप से या आपके परिवार से कोई नफ़रत नही है."

दादा जी बोले "बस बेटा, तुमने मेरी बात को समझा. मेरे लिए इतना ही बहुत है. यदि तुम्हारी गर्लफ्रेंड इस बात के लिए तैयार हो जाए तो मुझे ज़रूर बताना."

मैं बोला "ज़रूर दादा जी. यदि वो इस बात के लिए मान गयी तो, मैं आपको ज़रूर बताउन्गा."

दादा जी बोले "चल अब बात बहुत हो गयी है. अब चल कर डिन्नर कर ले. फिर तुझे हॉस्पिटल भी जाना है."

मैं बोला "आप चलो दादू. मैं अभी आता हूँ."
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RE: MmsBee कोई तो रोक लो - by desiaks - 09-09-2020, 01:25 PM
(कोई तो रोक लो) - by Kprkpr - 07-28-2023, 09:14 AM

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