MmsBee कोई तो रोक लो
09-09-2020, 01:26 PM,
#72
RE: MmsBee कोई तो रोक लो
मेरा दिल अंदर ही अंदर रो रहा था. मैं शायद दुनिया का पहला ऐसा आशिक़ था. जो अपनी प्रेमिका की शादी की खबर सुनते ही इस कदर टूट गया था कि, उसके मन मे अपनी प्रेमिका से करने के लिए कोई सवाल ही नही बचा था. ऐसा होता भी क्यों ना. इस बात को खुद उस लड़की की माँ ने कहा था. जिसे मैं अपनी जान समझता था.

मैने इन्ही सोचों मे गुम घंटों तक, एक ही जगह पर बैठा रहा. मैं मन ही मन कीर्ति से हज़ारों सवाल किए जा रहा था. हर सवाल के करने के साथ मुझे ऐसा लग रहा था. जैसे कोई मेरे सीने से मेरे दिल को खीच कर बाहर निकाल रहा हो. मुझे अपनी हालत का कोई होश ना रहा. सारी रात कब आँखों ही आँखों मे गुजर गयी. इसका मुझे पता ही नही चला.

मुझे होश तब आया. जब सुबह 6 बजे नर्स मेरे पास आई. उसने आकर मुझे देखा और मेरे चेहरे को गौर से देखते हुए कहा.

नर्स बोली "यहाँ सब ठीक तो है ना."

मैं बोला "हाँ सब ठीक है."

नर्स बोली "आप ठीक तो है."

मैं बोला "हाँ मुझे क्या हुआ."

नर्स बोली "ओके तो अब आप नीचे जाइए. मरीज को बाथ देने का समय हो गया है."

नर्स के इस तरह से बात करने का कारण मैं नही समझ सका. लेकिन उसकी बात सुनकर मैं नीचे ज़रूर आ गया. नीचे आकर मैं अपनी जगह पर जाकर बैठ गया. लेकिन आज उस जगह पर भी मुझे कोई शांति नही मिल रही थी. मैं अभी भी उदास और गमगीन था. मेरी सारी दुनिया लूट जाने का दर्द मेरे चेहरे से झलक रहा था.

ऐसे मे मेरी नज़र अजय पर पड़ी. उस पर नज़र पड़ते ही मैं अपने आपको उसकी नज़र से छुपाने लगा. शायद मेरे अंदर किसी से नज़र मिलाने की ताक़त नही थी, या फिर मैं अपने गम को सब से छुपाना चाहता था.

लेकिन मेरी ये कोसिस भी नाकामयाब रही. अजय ने मुझे देख लिया था. वो मेरे पास चला आया. मगर जब उसकी नज़र मेरे चेहरे पर पड़ी तो, थोड़ी देर के लिए वो भी सहम गया. उसने बस मुझसे इतना पुछा.

अजय बोला "उपर सब ठीक तो है बाबू साहब."

मैने मुस्कुराने की नाकामयाब कोसिस करते हुए कहा.

मैं बोला "हाँ हाँ, सब ठीक है. आप ऐसा क्यों पुछ रहे है."

अजय बोला "वो इसलिए क्योंकि आपके चेहरे को देख कर ऐसा लग रहा है. जैसे आप सारी रात रोते रहे है."

मैं बोला "नही ऐसी कोई बात नही है. वो तो सारी रात जागने की वजह से ऐसा लग रहा होगा.

अजय बोला "बाबू साहब. मैं तो क्या कोई छोटा सा बच्चा भी आपके चेहरे को देख कर यही कहेगा कि, आप सारी रात रोते रहे है."

मैं बोला "सच मे ऐसी कोई बात नही है. दो दिन से मेरी नींद पूरी नही हो पा रही है. इसलिए आपको ऐसा लग रहा होगा."

अजय की पारखी नज़र समझ गयी थी कि, मुझे कोई गम है. लेकिन मैं अपना गम उसे बताना नही चाहता हूँ. उसने मुझसे कहा.

अजय बोला "बाबू साहब, हो सकता है कि आप सही बोल रहे हो. लेकिन आपका चेहरा कुछ और ही बोल रहा है. अच्छा तो यही होगा कि, आप अपने दोस्तों के आने के पहले अपना चेहरा सही कर ले. नही तो मेरी तरह वो भी आप से यही सवाल करेगे."

मुझे अजय की बात सही लगी. मैं उठ कर अंदर मूह हाथ धोने चला गया. जब मैं मूह हाथ धोकर बाहर निकला तो, अजय कॉफी लिए मेरा इंतजार कर रहा था. मैं उसके पास पहुचा तो उसने मुझे कॉफी दी. मैने उस से कॉफी लेते हुए कहा.

मैं बोला "क्या हुआ. आप अभी तक यहीं खड़े हुए है. क्या आज आपको कोई सवारी नही मिल रही है."

अजय बोला "सवारी का क्या है बाबू साहब. एक गयी तो दूसरी मिल जाएगी. लेकिन सही बात ये है कि आपको ऐसे मे छोड़ कर जाने का मेरा दिल ही नही किया."

मैं बोला "अरे मुझे सच मे कुछ नही हुआ. आप बेकार मे परेशान मत होइए."

अजय बोला "बाबू साहब, मैं भी इस दौर से गुजर चुका हूँ. इसलिए जानता हूँ कि, आपको किस बात का गम है. आप भले मुझे दोस्त नही मानते, मगर मैं तो आपको दोस्त मानता हूँ. फिर भला आपको कैसे अकेला छोड़ कर जा सकता हूँ."

मुझे अजय की ये सब बातें अच्छी लग रही थी. फिर भी मैं उसे अपने दिल का हाल नही बता सकता था. मैने अपनी बात से उसका ध्यान हटाने के लिए उस से कहा.

मैं बोला "आप भी अजीब बात करते हो. एक तरफ तो मुझे अपना दोस्त समझते हो, और दूसरी तरफ मुझे बाबू साहब कहते हो. मुझे आपकी दोस्ती का ये राज कुछ समझ मे नही आया."

अजय बोला "मैं तो आपको दोस्त समझता हूँ. लेकिन जब आप ही मुझे दोस्त नही समझते तो फिर भला मैं आपको आपके नाम से कैसे बुला सकता हूँ."

मैं बोला "ऐसी बात नही है अजय भाई. यदि मैं आपको अपना दोस्त नही समझता होता तो, फिर आपसे इतनी बातें करता ही क्यों. अच्छा यही होगा कि अब आप मुझे बाबू साहब की जगह पुन्नू ही कहे."

अजय बोला "तब आप भी मुझे सिर्फ़ अज्जि ही कहिए. दोस्ती मे ये आप वाप अच्छा नही लगता."

मैं बोला "ओके अज्जि. क्या तुम मेरा एक काम करोगे."

अजय बोला "एक क्या सौ काम बोलो भाई. दोस्ती के लिए तो ये जान भी हाजिर है."

मैं बोला "मुझे आज रुकने के लिए किसी होटेल मे एक कमरा चाहिए. लेकिन मेरे पास कोई समान नही है. इसलिए बिना समान के मुझे किसी होटेल मे कमरा मिलने मे बहुत परेसानी होगी."

अजय बोला "लेकिन तुम तो अपने दोस्त के घर रुके हुए हो. फिर तुम्हे होटेल मे रुकने की क्या ज़रूरत है."

मैं बोला "ये मत पुछो. तुम यदि कर सकते हो तो बस आज के लिए मेरा ये काम कर दो."

अजय बोला "यदि ऐसी बात है तो तुम, मेरे घर मे रुक सकते हो."

मैं बोला "नही, यदि मुझे घर मे ही रुकना होता तो, फिर मेरे दोस्त के घर मे कोई बुराई नही थी. मैं आज अकेला रहना चाहता हूँ."

अजय शायद मेरी बात का मतलब समझ चुका था. उस ने मुझसे कहा.

अजय बोला "मेरा घर किसी होटेल से कम नही है. तुम्हे वहाँ कोई परेसानी नही होगी. क्योंकि वहाँ मेरे सिवा और कोई नही है. तुम वहाँ चाहे जैसे रह सकते हो. इसी बहाने तुम मेरा घर भी देख लोगे.'

जब अजय नही माना तो मुझे उसकी बात मानना ही पड़ी. मैने उसे उसके घर जाने के लिए हाँ कह दिया. इसके बाद मेरी उस से इधर उधर की बात होती रही. इस बीच उसके पास काई सवारी आई मगर उस ने सभी सवारी को ले जाने से मना कर दिया. शायद वो मुझे अकेला छोड़ना नही चाहता था.

फिर 7 बजे मेहुल आ गया. मेरी मेहुल से थोड़ी बहुत अंकल को लेकर बातें हुई. उसके बाद मैने मेहुल का अजय से परिचय कराया और उस से कहा कि, आज मैं दिन भर अजय के साथ ही रहुगा. इसलिए आज मेरा राज के घर जाना नही हो पाएगा. तुम राज को और उसके घर वालों को ये बात बता देना. हो सकता है कि दिन मे मेरा मोबाइल भी बंद रहे. इसलिए यदि घर से कोई फोन आए तो उसे भी तुम संभाल लेना.

मेरी इस बात का मतलब मेहुल नही समझ सका. उसे ये लगा कि मैं अजय के साथ घूमने जा रहा हूँ. इसलिए ये सब उस से कह रहा हूँ. उसने मेरी हर बात को हाँ कहा. फिर वो उपर अंकल के पास चला गया.

उसके जाते ही मैने छोटी माँ के मोबाइल पर कॉल किया. उनने कॉल उठाते ही मुझे बर्थ'डे विश किया. फिर निमी को कॉल थमा दिया. निमी ने भी मुझे बर्थ'डे विश किया और फिर हमेशा की तरह अपनी बातों का पिटारा खोल लिया. थोड़ी देर तक मैं उसकी बातें सुनता रहा. फिर मैने उसे बताया कि मैं अपने दोस्त के साथ उसके घर जा रहा हूँ. इसलिए आज दोपहर मे उस से बात नही कर पाउन्गा. लेकिन उसे लगा कि मैं उस से झूठ बोल रहा हूँ. तब मैने उसकी अजय से बात करा दी. फिर जाकर उसने मुझे कॉल ना करने की सहमति दी. इसके बाद मेरी अमि से बात हुई. उसने अभी भी मुझे बर्थ'डे विश किया. उस से थोड़ी बहुत बात करने के बाद मैने कॉल रख दिया.

कॉल रखने के बाद मैने अजय से घर चलने को कहा. मेरी बात सुनते ही अजय ने अपनी टॅक्सी निकाली और हम उसके घर के लिए निकल पड़े. रास्ते मे मैने एक शराब की दुकान के सामने टॅक्सी रुकवा दी. अजय शायद पहले से ही जानता था कि, मैं आज होटेल मे क्यों रुकना चाहता हूँ. उसने मुझसे सिर्फ़ इतना कहा कि, तुम किसी चीज़ की चिंता मत करो. ये सब चीज़े तुम्हे मेरे घर मे ही मिल जाएगी. उसके बाद हम दोनो उसके घर के लिए निकल पड़े.

कुछ ही देर बाद हम उसके घर पहुच गये. उसके घर पहुचने पर मैं उसके घर को देखता रह गया. मैने जैसा सोच रखा था, उस से बिल्कुल उल्टा उसका घर था. उसे घर कहना ही ग़लत था. वो किसी बंगलो से कम नही था. उसके मुक़ाबले मे रिया राज का घर भी कुछ नही था.

उस बंगलो के मैंन गेट मे ताला लगा हुआ था. अजय ने टॅक्सी से उतर कर ताला खोला और हम अंदर पहुचे. घर के अंदर का भी वही हाल था. देखने से कही से भी नही लग रहा था कि, वो किसी टॅक्सी वाले का घर है. बल्कि ऐसा लग रहा था. जैसे कि मैं किसी बिज़्नेसमॅन के यहाँ आया हूँ.

मेरा मन इस सब को जानने की जिगयाशा तो हुई थी. मगर उस समय मेरे अंदर किसी बात को समझने की ताक़त नही थी. मैं सिर्फ़ अकेलापन चाहता था. जिसकी वजह से मैं अजय के घर आया था. अजय ने मुझे मेरा कमरा दिखाया और मुझसे फ्रेश हो जाने को कहा. मैं फ्रेश होने चला गया.

मैं जब फ्रेश होकर आया तो अजय एक ट्राली धकेलते हुए मेरे कमरे मे ले आया. उस ट्रॉली मे एक ओल्ड मॉंक रूम की बॉटल, सोडा और ड्राइ फ्रूट थे. उसने ट्रॉली को मेरे बेड के सामने लाकर खड़ा कर दिया. फिर उसने अलमारी से एक नाइट सूट निकाला और मुझे देते हुए कहा.

अजय बोला "तुम चाहो तो ये नाइट सूट पहन सकते हो. तुम शायद पहली बार पी रहे हो. इसलिए तुम्हारे लिए ये ब्रांड लाया हूँ. तुम्हे यदि ये ब्रांड पसन्द ना आए तो तुम बाहर से अपनी पसंद का ब्रांड ले सकते हो. तुम जितनी चाहे उतनी पी सकते हो. मेरी तरफ से तुम्हे कोई रोक नही है. मैं तुम्हे डिस्टर्ब करने भी नही आउन्गा. बस मेरी तुमसे एक रिक्वेस्ट है."

मैं बोला "क्या."

अजय बोला "तुम इस समय बहुत अपसेट लग रहे हो. इसलिए शराब पीकर अपने गम को भूलना चाहते हो. लेकिन शराब पीने के बाद क्या होता है. शायद तुम इस बात को नही जानते. शराब के नशे मे अक्सर इंसान वो सब कर बैठता है. जो वो कभी करना नही चाहता. मैं नही चाहता कि तुम्हारे साथ भी ऐसा ही कुछ हो. या फिर तुम शराब के नशे मे किसी को उल्टा सीधा कॉल कर बैठो. इसलिए यदि तुम बुरा ना मानो तो अपना मोबाइल मुझे दे दो. जिस से ऐसा कुछ होने से बचा जा सके."

मुझे अजय की इस बात मे सच्चाई नज़र आई. लेकिन मुझे अपने उपर पूरा विस्वास था. लेकिन उस विस्वास से ज़्यादा मुझे अपने मोबाइल से लगाव था. क्योंकि मेरे मोबाइल मे कीर्ति के मेसेज और उसकी फोटो थी. जिस वजह से मैं चाह कर भी अपने मोबाइल को किसी के हवाले नही कर सकता था. मैने अजय को टालते हुए कहा.

मैं बोला "तुम ग़लत सोच रहे हो यार. मैं किसी गम को भूलने के लिए शराब नही पी रहा. मैं तो सिर्फ़ अपनी थकान मिटाने और नींद पूरी करने के लिए शराब पीना चाहता हूँ. इसलिए जैसा तुम सोच रहे हो. वैसा कुछ भी नही होगा. मुझे अपना मोबाइल तुम्हे देने मे कोई परेशानी नही है. लेकिन इसमे मेरी जान की तस्वीर है. जिसे मैं एक पल के लिए भी खुद से डोर नही कर सकता. तुम किसी बात की चिंता मत करो. मैं एक दो पेग लेकर सो जाउन्गा."

मेरी बात सुनकर अजय समझ गया कि मैं अपना गम उसे बताना नही चाहता हूँ. वो मुस्कुराते हुए, कमरे से बाहर निकल गया. उसके जाते ही मैने दरवाजा बंद किया और अपने कपड़े बदले. अब मैं हर तरह से आज़ाद था. मैं शराब के नशे मे कीर्ति की बेवफ़ाई को भुला देना चाहता था.

मैने टाइम देखा तो 8:30 बज चुके थे. मैं आकर बिस्तर पर टिक कर बैठ गया. मैने मोबाइल मे कीर्ति का फोटो निकाला और उसे देखने लगा. कल तक जिस फोटो को देख कर मेरे चेहरे पर मुस्कुराहट आ जाती थी. आज उसी फोटो को देख कर मेरी आँखों से आँसू बहने लगे, और मेरे दिल का दर्द आ बनकर गूंजने लगा.

दिल और दिमाग़ को रो लुगा आह कर लुगा.
तुम्हारे इश्क़ मे सब कुछ तबाह कर लुगा.
अगर मुझे ना मिली तुम, तुम्हारे सर की कसम.
मैं अपनी सारी जवानी तबाह कर लुगा.

सच भी यही था. कीर्ति मेरे चेहरे की मुस्कान थी. मेरे दिल की धड़कन थी. वो ही मेरी जिंदगी और मेरी जिंदगी की हर खुशी थी. फिर भला मैं हंसते हंसते, उसे किसी और का होते कैसे देख सकता था. मेरे लिए ये सब होते देख पाना मुस्किल ही नही नामुमकिन था.

अब मैं कुछ भी समझने की हालत मे नही था. मेरी आँखों से आँसू झरते जा रहे थे. मैं एक तक कीर्ति की तस्वीर देखे जा रहा था. मैं कीर्ति से नाराज़ ज़रूर था. फिर भी मेरे दिल मे उसके लिए इतना ज़्यादा प्यार था की, किसी भी हालत मे उसका कम होना मुस्किल ही था.

मेरा अजीब ही हाल हो गया था. मैं उसकी तस्वीर देख कर रो भी रहा था, और मुस्कुरा भी रहा था. मैं समझ नही पा रहा था की, मैं उसे मेरे साथ धोका करने के लिए बद्दुआ दूं, या फिर उसे नयी जिंदगी शुरू करने के लिए दुआ दूं.

उसकी मुस्कुराती हुई तस्वीर को देख कर, उसके साथ बिताया गया, हर लम्हा मेरी आँखों के सामने से गुजरने लगा. उसके साथ बिताया गया हर पल मुझे तडपा रहा था. उसकी बातें मेरे कानो मे गूँज रही थी. उसकी हँसी मुझे पागल बना रही थी.

मैं उसके बिना जीने की सोच भी नही सकता था. यही वजह थी की, मैने उसके बिना जीने से बेहतर मरने को समझा था. लेकिन अमि के कॉल ने, मुझे ये सब करने से रोक दिया था. लेकिन अब मेरे सामने ऐसी स्थिति पैदा हो गयी थी. जिसमे ना तो मैं उसे भुला सकता था, और ना ही उसे अपना बना सकता था. इस स्थिति ने मुझे शराब का सहारा लेने पर मजबूर कर दिया था.

जब मुझसे ये सब सहन नही हुआ. तब मैने बॉटल खोल ली. मैने एक पेग बनाया, और सॅट्ट से अपने गले से नीचे उतार लिया. पहला पेग पीने मे, मुझे मेरे सीने मे जलन सी महसूस हुई. लेकिन ये जलन उस आग के मुक़ाबले, कुछ भी नही थी. जो उस समय मेरे दिल मे जल रही थी.

एक पेग पीने के बाद भी मुझे, कोई राहत महसूस नही हुई. ना ही मुझे उसका कोई नशा समझ मे आया. तब मैने गुस्से मे एक बाद दूसरा, और फिर दूसरे के बाद तीसरा पेग भी बना कर पी लिया. तीसरे पेग को पीने के बाद मुझे कुछ हल्का हल्का शुरूर महसूस हुआ.

लेकिन ये शराब का इतना शुरूर भी मेरे काम का नही था. क्योंकि अभी भी मुझे कीर्ति की याद परेशान कर रही थी. मैने इस हल्के से नशे के शुरूर मे चौथा पेग भी बना कर पी लिया. चौथा पेग पीते ही मेरा सर घूमने लगा. मेरी आँखों के सामने की हर चीज़ मुझे, हिलती हुई नज़र आने लगी. लेकिन अभी भी मुझे, कीर्ति की तस्वीर साफ साफ नज़र आ रही थी.
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RE: MmsBee कोई तो रोक लो - by desiaks - 09-09-2020, 01:26 PM
(कोई तो रोक लो) - by Kprkpr - 07-28-2023, 09:14 AM

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