MmsBee कोई तो रोक लो
09-09-2020, 01:28 PM,
#75
RE: MmsBee कोई तो रोक लो
65
मेरा अंदाज़ा सही निकला था. मेरे पिछे प्रिया और निक्की खड़ी थी. मैने एक नज़र दोनो को चेहरे पर डाली. निक्की मुझे देख कर मुस्कुराने लगी थी. लेकिन प्रिया कुछ सोच मे लग रही थी. दोनो को अपने सामने देख कर एक पल के लिए मैं चौका तो ज़रूर था. लेकिन मेरे उपर छोटी माँ के समझाने का ऐसा असर हुआ था, की मैने बिना किसी बात की परवाह किए हुए, उन दोनो से कहा.

मैं बोला "आप लोग ऐसे छुप छुप कर मेरी बात क्यो सुन रही थी. यदि आप लोगों को मेरी बात सुनना ही थी तो, यहाँ मेरे पास बैठ कर भी सुन सकती थी."

मेरी बात सुन कर भी प्रिया का मूह फूला ही रहा. लेकिन निक्की ने कहा.

निक्की बोली "हम दोनो तो यहाँ टहलने आए थे. लेकिन आपको यहाँ बैठे देख कर रुक गये. हम यदि सामने आ गये होते तो, आप अपनी बात करना ही बंद कर देते. इसलिए हम लोग पिछे ही खड़े होकर आपकी बात सुनने लगे."

मैं बोला "लेकिन आप लोग कब मेरे पिछे आकर खड़ी हो गयी. मुझे तो कुछ पता ही नही चला."

निक्की बोली "जब आप अपनी छोटी माँ को मरने की बात बोलने के उपर से गुस्सा कर रहे थे. तभी हम लोग आए थे."

मैं समझ गया कि, इन लोगों ने मेरी और कीर्ति के बारे मे छोटी माँ से हुई सभी बात सुन ली है. अब ये तो सिर्फ़ निक्की ही जानती है कि, मेरी गर्लफ्रेंड कौन है. वो ज़रूर मुझसे इस बारे मे जानना चाहेगी. मैं अभी इसी बारे मे सोच रहा था कि, निक्की ने मुझे टोकते हुए कहा.

निक्की बोली "आप चिंता मत कीजिए. जो कुछ भी हम ने सुना है. हम किसी को कुछ नही बताएगे."

मैं बोला "थॅंक्स, लेकिन आप लोग यहाँ अकेली कैसे है. आप लोग तो दादा जी के साथ आई थी."

निक्की बोली "दादा जी अपने दोस्तो के साथ अंदर वॉक कर रहे थे. हम दोनो यहा बाहर टहल रहे थे. हम ने उनसे कह दिया था कि, आप घर चले जाना. हम दोनो भी टहलने के बाद आ जाएगे."

मैं बोला "लेकिन आज आप लोगों को अचानक वॉक करने का शौक कैसे लग गया."

निक्की बोली "वो हम लोग घर मे बैठे बैठे बोर हो रहे थे. इसलिए दादा जी के साथ वॉक पर आ गये थे."

मैं निक्की से बात कर रहा था और प्रिया मुझे गुस्से से घूर रही थी. मैने उस से पुछा.

मैं बोला "तुमको क्या हुआ है. क्या तुम्हारा किसी से झगड़ा हुआ है. जो तुम्हारा गुस्से मे मूह फूला हुआ है."

प्रिया गुस्से मे बोली "मुझे तुमसे ज़रूरी बात करना है."

मैं बोला "बोलो ना. मैने कब तुम्हे कुछ बोलने से मना किया है."

प्रिया बोली "यहाँ नही, मुझे अकेले मे कुछ बात करना है. तुम घर चलो. वही चल कर बात करेगे."

मुझे और निक्की दोनो को प्रिया के इस बदले हुए मिज़ाज का कारण समझ मे नही आया था. फिर भी उसके इस गुस्से को देख कर ना तो मैने कुछ उस से आगे पुछा और ना ही निक्की ने कुछ कहा. मैने सिर्फ़ इतना कहा.

मैं बोला "ओके चलो."

इसके बाद हम तीनो घर के लिए निकल पड़े. लेकिन प्रिया का चेहरा अभी भी गुस्से मे ही लग रहा था. उसने सारे रास्ते भर कोई भी बात नही की. मेरी निक्की से ही थोड़ी बहुत बातें होती रही. कुछ ही देर मे हम घर पहुच गये.

हम घर पहुचे तो सबसे पहले दादा हॉल मे बैठे थे. मुझे देखते ही उन्हो ने मुझे जनम दिन की मुबारक बाद दी. प्रिया और निक्की भी वही थे. लेकिन दोनो मे से किसी ने भी मुझे बर्थ'डे विश नही किया था. मुझे उनका ये बर्ताव बहुत अजीब लगा.

लेकिन मैं इसे अनदेखा कर दादा जी बातें करने लगा. थोड़ी देर मेरी दादा जी से इधर उधर की बातें होती रही. फिर जब मैं उनसे हॉस्पिटल के बारे मे बात करने लगा तो, उनको जैसे कुछ याद आ गया हो. वो मेरी बात को अधूरा छोड़ कर प्रिया से बोले.

दादा जी बोले "प्रिया बेटा, 8 बज गये है. ज़रा जाकर देखो. मेहुल अभी सोकर उठा है या नही."

मैं दादा जी की बात सुनकर चौक गया. प्रिया अभी मेहुल को देखने जा पाती. उस से पहले ही हमें मेहुल आते हुए दिख गया. उसे इस तरह घर मे देख कर मुझे गुस्सा आ गया. मैं उठ खड़ा हुआ और उस से कहने लगा.

मैं बोला "तुझे तो अभी हॉस्पिटल मे होना चाहिए था. तू यहाँ क्या कर रहा है. क्या रात भर सोकर भी तेरी नींद पूरी नही हुई थी. जो इस तरह अंकल को अकेला छोड़ कर यहाँ आराम करने चला आया. तुझे आराम ही करना था तो, मुझे बोल देता. मैं वहाँ रुक जाता."

मुझे यू गुस्सा करते देख मेहुल के कोई बोल नही फूटे. वो बेबस सा दादा जी की तरफ देखने लगा. मुझे यूँ उस पर गुस्सा करते देख दादा जी अपनी जगह से उठे और मेरे पास आकर मुझे समझाने लगे.

दादा जी बोले "बेटा तुम इस पर बेकार मे गुस्सा कर रहे हो. इसको ऐसा करने के लिए मैने कहा था."

मैं दादा जी की बात सुन कर चौके बिना ना रह सका. मैने दादा जी से कहा.

मैं बोला "दादू आपने. मगर आपने ऐसा क्यो किया. आपको तो पता है कि, हम दोनो मे से किसी ना किसी का, अंकल के पास रहना ज़रूरी है."

दादा जी बोले "मुझे सब पता है बेटा. लेकिन मुझे लगा कि, तुम लोगों को अपनी पारी बदलते रहना चाहिए. नही तो राजेश की तबीयत को ठीक करते करते, तुम दोनो मे से किसी की भी तबीयत खराब हो सकती है. इसी बात को लेकर कल मेरी मेहुल से बात हुई थी. मेहुल बोला भी था कि यदि उसने तुम से पुछे बिना कुछ भी किया तो, तुम नाराज़ हो जाओगे. इसलिए मैने ही उस से कहा था कि, तुमसे मैं बात कर लूँगा. लेकिन तुम सुबह घर ही नही आए थे. इस वजह से मेरी तुमसे बात नही हो सकी."

मैं बोला "लेकिन दादू. अब राज वहाँ दिन भर से रुका है. वो बेचारा भी तो अकेला परेशान हुआ होगा."

दादा जी बोले "राज अकेला कहाँ था. राज 12 बजे वहाँ पहुचा था. उसके पहुचने के बाद मेहुल घर आया. फिर मेहुल के घर आते ही रिया प्रिया और निक्की वहाँ पहुच गयी थी. ये लोग शाम को 5 बजे तक वहाँ थी. जब ये लोग वहाँ से लौटने लगी. तब तुम्हारे पापा वही थे. उन्हो ने कहा था कि, वो 7-8 बजे तक वहाँ रुकेगे. क्योकि उनको अपने किसी डॉक्टर. दोस्त से भी मिल कर राजेश की तबीयत के बारे मे चर्चा करना है. जो 7 बजे के बाद उन से वही मिलेगा."

पापा का नाम आते ही मुझे याद आया कि, कल रिया लोग पापा के साथ डिन्नर पर गयी थी. लेकिन अभी किसी से भी मेरी इस बारे मे बात नही हुई थी. मैं अभी इस बात को सोच रहा था. तभी दादा जी ने कहा.

दादा जी बोले "अब एक दो दिन मेहुल को रात मे हॉस्पिटल मे रुकने दो. तुम दिन मे रुकना."

मैं बोला "दादू, मुझे किसी भी समय वहाँ रुकने मे कोई परेशानी नही है. परेशानी तो इस मेहुल को है. इसे रात को 9 बजे ही नींद आने लगती है."

दादा जी बोले "वो तो इस लिए क्योकि ये दिन मे नही सोता है. अब ये दिन मे सो लिया है तो, अब भला इसे कहाँ नींद आएगी. वैसे भी ऐसे समय पर इसको अपनी नींद पर काबू करना आना चाहिए. ये इसके लिए भी तो एक चुनोती है."

मैं बोला "ठीक है दादू. आप को जो ठीक लगे. लेकिन अभी 8 बजे है. मेहुल तो वहाँ 10 बजे के बाद जाएगा. आप कहे तो तब तक के लिए मैं वहाँ चला जाता हूँ."

दादा जी बोले "मैं तुमको जाने से कहाँ मना कर रहा हूँ. तुम अभी जाना चाहते हो तो चले जाओ."

दादा जी की बात सुनने के बाद मैने कहा कि मैं हॉस्पिटल जा रहा हूँ. जब मेहुल पहुचेगा तब मैं राज के साथ आ जाउन्गा. ये कह कर मैं हॉस्पिटल चला गया. मैं 8:30 बजे हॉस्पिटल पहुच गया. मेरे हॉस्पिटल पहुचने पर मुझे राज ने बताया कि, पापा 8 बजे तक वहाँ रुके थे. राज और अंकल दोनो ने मुझे बर्थ'डे विश किया. फिर मैं उपर अंकल के पास ही बैठा रहा.

इसके बाद 9:30 बजे मेहुल आ गया. निक्की की घटना के बाद मेरी मेहुल से ज़्यादा बात नही हो रही थी. लेकिन आज पहली बार मेहुल ने मुझे बर्थ'डे विश नही किया था. छोटी माँ और अमि निमी के बाद कीर्ति और मेहुल ही दो ऐसे लोग थे. जो मेरे दिल के बहुत ज़्यादा करीब थे.

लेकिन आज के दिन मुझे उन दोनो की ही बातें इस तरह से चुभ रही थी. जिसके बारे मे मैं उन से कुछ कह ही नही सकता था. अभी भी मेरी मेहुल से ज़्यादा कोई बात नही हुई. मेरी जो भी बात हुई. अंकल के विषय मे ही हुई. फिर राज के साथ मैं घर वापस आ गया.

घर आते आते हमे 10:00 बज गये थे. हमारे घर पहुचते ही आंटी ने हमारे लिए खाना लगाया. मुझे उम्मीद थी कि सब मेहुल के साथ ही खाना खा चुके होगे. लेकिन मुझे देख कर तब ताज्जुब हुआ. जब एक एक करके पहले रिया, फिर प्रिया और निक्की भी आकर डाइनिंग टेबल पर बैठ गयी और आंटी उन्हे भी खाना लगाने लगी.

तब आंटी ने बताया कि, अभी तक इन सबने भी तुम्हारी वजह से खाना नही खाया है. मैने एक नज़र उन सब के चेहरे पर डाली. रिया और निक्की का चेहरा खिला हुआ था. लेकिन प्रिया का चेहरा अभी भी गुस्से मे लग रहा था और वो खा जाने वाली नज़रो से मुझे ही घूरे जा रही थी.

मुझे प्रिया के इस गुस्से की वजह समझ मे नही आ रही थी. वो शाम को बात करने के लिए मुझे घर भी वापस लेकर आई थी. लेकिन दादा जी की बातों मे लग जाने और फिर मेरे हॉस्पिटल चले जाने की वजह से मेरी उस से बात नही हो सकी थी.

लेकिन ये प्रिया के नाराज़ होने की वजह नही हो सकती थी. क्योकि जब वो शाम को मुझे बात करने के लिए घर लेकर आई थी. तब भी वो बहुत गुस्से मे नज़र आ रही थी. अब ये तो वो ही जानती थी कि, वो मुझ पर किस बात को लेकर इतना ज़्यादा गुस्सा है.

खाना लग चुका था. लेकिन किसी ने खाना खाना शुरू नही किया था. सब को जैसे किसी बात का इंतजार हो. सब मेरी तरफ ही देख रहे थे और मैं सब के खाना शुरू करने का इंतजार कर रहा था. फिर अचानक रिया ने निक्की को कोहनी मारी. जिस से निक्की ने रिया को पलट कर देखा.

उन मे इशारे ही इशारे मे कोई बात हुई. फिर निक्की ने प्रिया को कोहनी मारी. प्रिया जैसे इस हमले के लिए तैयार नही थी. क्योकि उसका ध्यान तो मुझे घूर्ने मे लगा हुआ था. वो निक्की के कोहनी मारने से लड़खड़ा सी गयी और अपनी चेयर से गिरती गिरती बची.

उसने निक्की को गुस्से मे घूर कर देखा तो, निक्की ने उसे कुछ इशारा किया. वो निक्की का इशारा समझ गयी थी. वो अपनी जगह से उठी और फिर कहीं चली गयी. थोड़ी देर बाद वो अपने हाथ मे एक पॅकेट लेकर आई.

उसने मेरे पास आकर वो पॅकेट खोला. उसमे एक केक था. प्रिया ने केक डाइनिंग टेबल पर रखा और मुझे काटने को कहा. मुझे कुछ अटपटा सा लग रहा था. मैने आंटी से कहा.

मैं बोला "आंटी ये सब क्या है. मुझे इस सब की आदत नही है. मैने कभी अपना जनम दिन इस तरह से नही मनाया है. आप चाहे तो मेहुल से पूछ सकती है."

आंटी बोली "हमे मेहुल से कुछ पूछने की ज़रूरत नही है. वो हमे कल ही इस बारे मे बता चुका था कि, तुम्हे ये सब पसंद नही है. लेकिन ये प्रिया नही मानी. इसने ये केक कही से मँगाया नही है. बल्कि खुद अपने हाथ से तैयार किया है. अब तुम्हे केक काटना है या नही तुम इस बात का फ़ैसला तुम और प्रिया आपस मे मिलकर कर लो."

लेकिन प्रिया का चेहरा देखते ही मेरी बोलती बंद हो गयी. मेरी उस से कुछ भी कहने की हिम्मत नही हुई. क्योकि मैं उसके गुस्से से मुझे घूर्ने से मैं ये तो समझ चुका था कि, वो मुझसे ही किसी बात पर गुस्सा है. लेकिन मेरी समझ मे ये नही आ रहा था कि, वो किस बात को लेकर इतना गुस्सा है.

जब मैं प्रिया से कुछ नही बोला तो, मुझे खामोश देख कर रिया और निक्की केक काटने की जल्दी मचाने लगे. तब राज ने कहा.

राज बोला "चलो यार, अब देर मत करो. जल्दी से केक कतो."

राज की बात सुनकर सब खड़े हो गये. उस समय वहाँ सच मे किसी पार्टी की तरह का महॉल बना हुआ था. सब के चेहरे हँसी खुशी से भरे हुए थे. उनके खुशी भरे चेहरों को देख कर मैं भी खड़ा हो गया. मेरे खड़े होते ही रिया और निक्की भी मेरे पास आकर खड़ी हो गयी. प्रिया तो पहले से ही मेरे पास ही खड़ी थी. मैने केक काटा और प्रिया ने केक का टुकड़ा उठा कर मेरे मूह मे ठूंस दिया.

इसे ठुसना इसलिए कहा जाएगा. क्योकि उसके चेहरे पर गुस्सा अभी था. उसके केक खिलाने से मुझे ऐसा लगा. जैसे कि बकरे को हलाल करने के पहले खिलाया पिलाया जा रहा हो. मैने सबको अपने हाथो से केक खिलाया. इसके बाद सबने मिलकर खाना खाया. खाना खाते समय और खाने के बाद प्रिया को छोड़ कर, सबसे मेरी इधर उधर की बातें होती रही.

उस समय मुझे ऐसा लग रहा था. जैसे मैं राज के परिवार के साथ नही बल्कि अपने ही परिवार के साथ हूँ. मैं अपने आपको उनके परिवार का ही एक हिस्सा महसूस कर रहा था. काफ़ी देर तक मेरी उन सब से बातें होती रही. फिर 11:15 बजे मैने सब से गुड नाइट कहा और अपने कमरे की तरफ चल पड़ा.

कल रात के बाद से आज मैं अपने कमरे मे जा रहा था. मेरे मन मे जहाँ राज के परिवार के लोगों के प्यार को देख कर खुशी थी. वही कीर्ति की बात को लेकर उदासी भी थी. मैं इसी कशमकश मे उलझा हुआ अपने कमरे तक पहुच गया.

लेकिन कमरे का दरवाजा खोलते ही मैं चौक पड़ा. मैने एक नज़र कमरे पर डाली. फिर पलट कर वापस राज के परिवार के लोगों की तरफ देखा. वो सब मुझे देख कर मुस्कुरा रहे थे. मुझे दरवाजे पर ही यूँ खड़ा देख कर निक्की मेरे पास आने लगी.
Reply


Messages In This Thread
RE: MmsBee कोई तो रोक लो - by desiaks - 09-09-2020, 01:28 PM
(कोई तो रोक लो) - by Kprkpr - 07-28-2023, 09:14 AM

Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,450,184 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 538,631 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,211,559 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 915,941 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,623,596 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,056,182 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 2,910,168 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 13,921,420 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 3,979,200 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 280,103 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 8 Guest(s)