MmsBee कोई तो रोक लो
09-09-2020, 01:31 PM,
#76
RE: MmsBee कोई तो रोक लो
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मगर तभी आंटी ने निक्की को रोकते हुए कहा.

आंटी "अरे अब उसे आराम भी करने दो. तुम्हे जो भी बात करना है. सुबह कर लेना. अब तुम सब भी अपने कमरे मे जाकर सो जाओ."

आंटी की बात सुन कर निक्की हंस दी और फिर वो मेरे पास नही आई. सबने वही से मुझे फिर से गुड नाइट कहा और सब अपने अपने कमरे की तरफ चले गये. मैने भी अपने कमरे मे आकर कमरे का दरवाजा बंद लिया. मैने एक नज़र अपने बेड पर डाली. जिसमे इस समय बहुत से गिफ्ट पॅक रखे हुए थे.

उन गिफ्ट पॅक को देखते ही मुझे फिर उदासी ने घेर लिया. क्योकि अब मुझे बहुत ज़्यादा कीर्ति की याद सता रही थी. मैने भारी मन से अपने कपड़े बदले और फिर सारे गिफ्ट पॅक बेड के एक किनारे सरका कर, बेड पर टिक कर बैठ गया.

अब मेरे दिमाग़ मे कीर्ति के सिवा कुछ नही था. रह रह कर मेरी नज़र मेरे पास रखे हुए गिफ्ट पॅक पर जा रही थी. मेरी नज़र एक गिफ्ट पॅक पर पड़ी. जिसमे प्रिया लिखा हुआ था. ना जाने क्यो मगर प्रिया को लेकर मेरे मन मे एक अलग ही अहसास था. ना चाहते हुए भी मेरे दिल मे उसके लिए एक अलग सी ही जगह बन गयी थी.

उसके गुस्सा रहने की वजह मुझे पता नही चल सकी थी. लेकिन मैं इतना तो समझ चुका था कि वो मुझसे ही किसी बात को लेकर नाराज़ है. इसलिए जब मेरी नज़र उसके दिए गिफ्ट पॅक पर पड़ी तो, मैं अपने आपको रोक ना सका. मैने उसके दिए गिफ्ट पॅक को उठाया और उसे खोलने लगा.

प्रिया का गिफ्ट खोलते समय मेरी धड़कने बढ़ गयी थी. मेरे मन मे ये जानने की उत्सुकता थी कि प्रिया ने मुझे गिफ्ट मे क्या दिया है. मेरा सारा ध्यान प्रिया का गिफ्ट खोने मे लगा हुआ था. तभी मेरा मोबाइल बज उठा और अचानक से मोबाइल की रिंग टोन बजने से मैं चौक गया था. जिस की वजह से गिफ्ट पॅक मेरे हाथ से छूट कर बेड के नीचे गिर गया.

मैने कुछ पल अपने आपको शांत किया और फिर मोबाइल को देखा. मेहुल का कॉल आ रहा था. मेहुल का इतने समय कॉल आने से मुझे कुछ आशंका सी हुई और मैने जल्दी से कॉल उठाते हुए मेहुल से कहा.

मैं बोला "क्या हुआ. वहाँ सब ठीक तो है."

मेहुल बोला "कुछ नही हुआ. यहाँ सब ठीक है."

मैं बोला "फिर इतने समय कॉल क्यो किया."

मेहुल बोला "अबे तेरा कॉल नही आया तो मुझे ही कॉल करना पड़ा."

मैं बोला "मैने कब तुझे कॉल लगाने को कहा था."

मेहुल बोला "वाह बेटा. इतने सारे लोगों के बर्थ'डे गिफ्ट पाकर अपने दोस्त को थॅंक्स बोलना ही भूल गया."

मैं बोला "तूने मुझे कब विश किया. जो मैं तुझे थॅंक्स बोलू."

मेहुल बोला "अबे ये सारा किया धरा मेरा ही तो था. नही तो यहाँ किसको मालूम था कि, आज तेरा बर्थ'डे है."

मैं बोला "कुछ भी हो पर तूने मुझे विश तो नही किया है."

मेहुल बोला "भाई विश करने के लिए ही तो तेरे कॉल का इंतजार कर रहा था."

मैं बोला "ये क्या बात हुई. मुझे क्या ज़रूरत पड़ी कि, तेरी विश लेने के लिए तुझे कॉल करूँ."

मेहुल बोला "यार मैं सोच रहा था कि तू मेरे गिफ्ट को देख कर ज़रूर मुझे कॉल करेगा. इसीलिए मैने तुझे विश नही किया था कि, जब तू कॉल करेगा. तब मैं तुझे विश कर दूँगा. लेकिन मुझे लगा कि तूने अभी तक मेरा गिफ्ट देखा ही नही है. इसलिए अब मुझे विश करने के लिए खुद कॉल करना पड़ा."

मैं बोला "हाँ अभी मैने कोई गिफ्ट नही देखा है. लेकिन आज तेरे जैसे कंजूस को मुझे गिफ्ट देने का ख़याल कैसे आ गया."

मेहुल बोला "ये सब बातें छोड़, पहले मेरा गिफ्ट देख और बता कि कैसा है."

मेहुल की बात सुनकर मैने वहाँ रखे गिफ्ट मे से मेहुल का गिफ्ट निकाला और उसे खोला. उसमे एक मोबाइल था. उसे देखते हुए मैने मेहुल से कहा.

मैं बोला "अबे तुझे मोबाइल ही गिफ्ट करना था तो कोई अच्छा सा करना था. ये कौन सा सस्ता वाला मोबाइल गिफ्ट किया है."

मेहुल बोला "तुझसे किसने कहा कि मैने तुझे ये मोबाइल गिफ्ट किया है. मैने तो तुझे बस इस मोबाइल का सिम कार्ड गिफ्ट किया है."

ये बोल कर मेहुल हँसने लगा. मैने उस से पुछा.

मैं बोला "तो फिर ये मोबाइल किसका है."

मेहुल बोला "ये मोबाइल भी तुझे गिफ्ट मे ही मिला है. मैने तो तुझे बस इसमे यहाँ का सिम कार्ड डाल कर तुझे दिया है."

मैं बोला "मगर ये किसने गिफ्ट मे दिया है."

मेहुल बोला "अबे इतनी जल्दी भूल गया. कीर्ति ने तेरे सामने ही तो इसे मेरे बेग मे रखा था. उसने तुझे जनम दिन के पहले इसके बारे मे बताने को मना किया था. इसलिए मैने तुझे इसके बारे मे कुछ नही बताया था. कल राज से एक सिम कार्ड खरीद कर इसे पॅक करके तेरे कमरे मे रख दिया था. सोचा था कि आज सुबह जब तू यहाँ सब के गिफ्ट के साथ इसे रखा देखेगा तो, मुझे कॉल ज़रूर करेगा. लेकिन तूने तो इसे अभी तक देखा भी नही था."

मैं बोला "लेकिन इस मोबाइल की ज़रूरत क्या थी. मेरे पास तो पहले से ही मोबाइल है."

मेहुल बोला "तेरे पास मोबाइल है. लेकिन अकल ज़रा भी नही है. मैने तो यहाँ आते ही अपने दूसरे मोबाइल का सिम कार्ड बदल लिया था. ताकि मुझे कॉल करने मे रोमिंग ना लगे. लेकिन तू अभी भी वही सिम कार्ड चला रहा है. शायद इसी वजह से उसने तुझे ये मोबाइल गिफ्ट किया है."

मेहुल की ये बात सुनते ही मेरा दिल रो पड़ा. सच मे कीर्ति को मेरा कितना ख़याल था. वो मेरी हर आदत को जानती थी. उसे पता था कि मैं खुद के लिए यहा ज़रा भी समय नही निकल पाउन्गा. इसलिए उसने मेरे लिए सब कुछ की तैयारी पहले से ही कर के रख दी थी.

जब सब कुछ वो जानती थी. तब क्या वो ये नही जानती थी कि उसकी शादी से मुझे कितनी तकलीफ़ होगी. फिर उसने ऐसा क्यो किया. क्या उसे ऐसा करते हुए एक पल के लिए भी मेरा ख़याल नही आया था. क्या उसे एक पल के लिए भी ये महसूस नही हुआ कि, इस सब से मेरे उपर क्या बीतेगी.

मैं अभी ये सब ही सोच रहा था कि, मेहुल की बात ने मुझे मेरी सोच से बाहर निकाल दिया. मेहुल ने कहा.

मेहुल बोला "क्या सोचने लगा. क्या तुझे उसका ऐसा करना अच्छा नही लगा."

मैने अपने मन की बात को मेहुल से छुपाते हुए कहा.

मैं बोला "ऐसी कोई बात नही है. मैं तो ये सोच रहा था कि, उसके पास इतना पैसा कहाँ से आ गया. क्या उसने तुझे बताया है."

मेहुल बोला "नही मुझे इसके बारे मे कुछ नही पता. उसने हमारे यहाँ पहुचने के बाद मुझे बताया था कि, उसने तुम्हे जनम दिन का गिफ्ट देने के लिए मोबाइल रखा है और मैं उस मोबाइल मे यहाँ का सिम कार्ड डाल कर, तुम्हे तुम्हारे जनम दिन के दिन गिफ्ट कर दूं."

मैं समझ गया था कि मेहुल इस बारे मे कुछ नही जानता है. मैने मेहुल का ध्यान इस बात पर से हटाने के लिए अपनी बात को बदलते हुए कहा.

मैं बोला "चल छोड़ इस बात को और ये बता कि, तू रात को वहाँ जाग सकेगा या नही. यदि तुझे रुकने मे कोई परेशानी हो रही है तो, तू वापस आजा. मैं वहाँ रात को रुक जाउन्गा."

मेहुल बोला "नही यार. मुझे कोई परेशानी नही हो रही है. तू चिंता क्यो करता है. यदि मुझसे रात को यहाँ रुकते नही बना तो, कल से तुझे ही रोक दूँगा. अब तू आराम कर, मैं पापा के पास जाता हूँ."

ये कह कर मेहुल ने कॉल रख दिया. उसके कॉल रखने के बाद मैने कीर्ति का दिया हुआ मोबाइल हाथ मे लिया और प्यार से उसे देखने लगा. ना जाने कब मेरी आँखों मे नमी छा गयी थी. मुझे सच मे कीर्ति की बहुत कमी अखर रही थी. मेरा मन उसे कॉल करने को कर रहा था. लेकिन चाह कर भी मैं ऐसा नही कर पा रहा था.

मैने टाइम देखा तो 11:30 बज चुके थे. आज कीर्ति का कॉल आने का नाम ही नही ले रहा था. मेरी समझ मे ये नही आ रहा था कि, नाराज़ तो मैं उस से हूँ. फिर वो मुझे मनाने के लिए कॉल क्यो नही कर रही है. उसे तो आज दिन भर मुझे मनाने की कोशिश करना चाहिए थी. लेकिन उसने तो सुबह के बाद से मुझे एक भी कॉल नही किया.

यही सब सोचते हुए मैने कीर्ति के दिए मोबाइल को चालू कर दिया. मोबाइल के चालू होते ही एक के बाद एक, तीन मेसेज आ गये. मसेज किसी अंजान नंबर से आए थे. लेकिन मेसेज देखते ही मैं समझ गया कि, ये मेसेज कीर्ति ने ही किए है.

कीर्ति के मेसेज
"तुम हँसते हो मुझे हसाने के लिए.
तुम रोते हो मुझे रुलाने के लिए.
तुम यदि रूठ जाओगे मुझसे.
तो मैं मर जाउन्गी तुम्हे मनाने के लिए."

"आए मौत तुझे गले लगाना चाहती हूँ.
कितनी वफ़ा है तुझ मे आज़माना चाहती हूँ.
उन्हो ने बहुत रुलाया है मुझे.
तेरा साथ मिले तो उन को रुलाना चाहती हूँ."

"एक बार सारी फीलिंग्स ने डिसाइड किया कि वो लोग हाइड न सीक खेलेंगे.
दर्द ने काउंटिंग स्टार्ट की और बाकी फीलिंग्स छुप गयी.
झूट पेड़ के पीछे छुपा और प्यार गुलाब की झाड़ियों के पीछे.
सब पकड़े गई सिवाए प्यार के, यह देख जेलसी ने दर्द को बता दिया कि प्यार कहाँ छुपा है.
दर्द ने प्यार को खीच के निकाला तो कान्टो की वजह से प्यार की आँखे खराब हो गयी.
प्यार अँधा हो गया. यह देख कर गॉड ने दर्द को सज़ा सुनाई कि उसे जिंदगी भर प्यार के साथ रहना पड़ेगा.
तब से प्यार अँधा है और जहाँ भी जाता है दर्द साथ होता है."

कीर्ति के तीनो मेसेज मे मुझे जो प्यार और दर्द नज़र आया था. उसे देख कर मैं अपनी आँखों को ना तो छलकने से रोक पाया और ना ही खुद को कीर्ति को मेसेज करने से रोक पाया. मैने भी उसका जबाब उसी दर्द भरे अंदाज मे भेजा.

मेरे मेसेज
"आँखे क्यू हुई मेरी नम कभी सोचना.
क्यूँ मिला मुझे इतना गम कभी सोचना.
प्यार तो हम दोनो ने किया था लेकिन.
सिर्फ़ मुझ पर ही क्यूँ हुआ ये सितम कभी सोचना."

मेरे मेसेज करते ही उस नंबर से कॉल आने लगा. जैसे उसे इसका ही इंतजार रहा हो. मैने धड़कते दिल से कॉल उठाया और कहा.

मैं बोला "हेलो".

दूसरी तरफ कीर्ति ही थी. उसने मेरी आवाज़ सुनते ही कहा.

कीर्ति बोली "जान प्लीज़ मुझे माफ़ कर दो. मैने तुम्हे बहुत तकलीफ़ पहुचाई है. प्लीज़ जान मुझे माफ़ कर दो."

ये कह कर वो सिसकने लगी. उसकी आँखों की नमी उसकी बातों मे साफ झलक रही थी. मेरा मन तो उसे दो चार बातें सुनाने का था. लेकिन उसकी ये हालत देख कर मुझसे उसे कुछ कहते ना बना. मैने सिर्फ़ इतना कहा.

मैं बोला "तुमने ऐसा क्यों किया. क्या ऐसा करते हुए तुम्हे मेरा ज़रा भी ख़याल नही आया. क्या तुमने ऐसा करने के पहले एक पल के लिए भी ये सोचा था कि, इस सब से मुझ पर क्या गुज़रेगी."

कीर्ति बोली "जान मुझे नही मालूम था कि, ये बात तुम्हे इस तरह पता चल जाएगी. मैने सोचा था कि, मैं ये बात तुम्हे खुद बताउन्गी."

मैं बोला "ये बात मुझे किस तरह से पता चली. इस बात से क्या फरक पड़ता है. तुम्हारे बताने से ये सच बात, झूठ तो हो नही जाएगी. ये सच बदल तो नही जाएगा कि, तुम्हारी सगाई तुम्हारी मर्ज़ी से हुई है."

कीर्ति बोली "जान प्लीज़ मेरा विस्वास करो. तुम जैसा सोच रहे हो. वैसा कुछ भी नही है. मैने जो कुछ भी किया है. सिर्फ़ और सिर्फ़ तुम्हे ही अपने मन मे बसा कर किया है. मेरे लिए तो मेरा सब कुछ तुम ही हो. मैं तुम्हारे सिवा किसी का होने की सोच भी नही सकती."

मैं बोला "यदि ऐसा है तो, फिर तुमने इस सगाई के लिए हाँ क्यो कहा. तुमने यदि चाहती तो ये सगाई हरगिज़ नही होती."

कीर्ति बोली "जान तुम्हारा कहना सच है. लेकिन पहले मेरी पूरी बात को सुन लो. उसके बाद बोलो कि मैने ग़लत किया है या सही किया है."

मैं बोला "ठीक है बोलो."

कीर्ति बोली "जान तुमको मालूम है कि, पापा का सारा बिज़्नेस मौसा जी की ही देन है. पापा ने मौसा जी की मदद से अपना ये बिज़्नेस शुरू किया था और ये अच्छा भी चल रहा था. लेकिन कुछ समय से पापा के बिज़्नेस की हालत सही नही चल रही थी. मगर पापा को बार बार बिज़्नेस के लिए मौसा जी की मदद लेना अच्छा नही लग रहा था. पापा के बिज़्नेस से जुड़े कुछ लोगों ने पापा की इसमे मदद की और पापा का बिज़्नेस फिर से सही चलने लगा. पापा को इसमे मदद करने वालों मे एक रॉय अंकल भी है."

रॉय अंकल का नाम सुनते ही मैने बात को बीच मे काटते हुए कहा.

मैं बोला "क्या तुम उन्ही रॉय अंकल की बात कर रही हो. जो अंकल के साथ इलाज के लिए यहाँ मुंबई आए थे."

कीर्ति बोली "हाँ मैं उन्ही की बात कर रही हूँ. उन्हो ने पापा को बिज़्नेस मे सभालने मे बहुत मदद की है. इसी सिलसिले मे उनका हमारे घर आना जाना भी लगा रहता था. जिस वजह से उनके और हमारे परिवारों के बीच भी अच्छे रिश्ते बन गये थे. इधर मम्मी को मेरे लिए लड़का देखने की जल्दी थी. उन्होने ये ही बात रॉय आंटी के सामने बातों बातों मे रखी तो, रॉय आंटी ने अपने बेटे सौरव के लिए मेरा हाथ माँग लिया."

मैं बोला "इसका मतलब ये है कि तुम अपने पापा मम्मी की खुशी के लिए इस शादी के लिए तैयार हुई हो. ये तो तुम अपने मम्मी पापा के लिए कर रही हो. इसमे तुम्हे मेरा ख़याल कहाँ आया."

कीर्ति बोली "पूरी बात तो सुनो. मम्मी और आंटी की बात हो जाने के बाद ये बात पापा और रॉय अंकल को पता चली. तब पापा और रॉय अंकल ने कहा कि अभी हम दोनो की शादी की उमर नही है. लेकिन मम्मी और आंटी इस बात को मानने को तैयार नही थी. तब पापा और अंकल ने इस बात का फ़ैसला मेरे और सौरव के उपर छोड़ दिया. मैने तो मम्मी से शादी के लिए साफ मना कर दिया था. पर उनकी बात मान कर एक बार सौरव से मिलने को तैयार हो गयी. सौरव से मेरी बात हुई तो, उसने पहले ही बोल दिया कि, वो किसी और लड़की को प्यार करता है."

कीर्ति की ये बात सुन कर जहाँ एक तरफ मेरी खुशी का कोई ठिकाना नही था. वही दूसरी तरफ मुझे ऐसा लगा. जैसे कीर्ति ने खुद अपने पैर पर कुल्हाड़ी मार दी हो. मैने गुस्से मे कहा.

मैं बोला "तब तुम्हे इस शादी के लिए हाँ कहने की क्या ज़रूरत थी. हमारा काम तो सौरव के ना कहने से ही हो जाता."

कीर्ति बोली "जान पूरी बात तो सुनो. मैं भी जानती थी कि, हमारा काम सौरव के ना कहने से हो जाएगा. लेकिन सौरव की बात सुनकर मेरे मन मे बात आई कि, जब ऐसी बात थी तो, फिर ये मुझसे मिलने क्यो आया. इसने सीधे अपने मम्मी पापा से ये बात क्यो नही बता दी. इसलिए मैने सौरव से कहा कि, जब ऐसी बात है तो, फिर वो मुझसे मिलने क्यो आया. उसने ये बात खुद अपने मम्मी पापा को क्यो नही बता दी. तब सौरव ने बताया कि, वो अपनी पढ़ाई पूरी होने के पहले और उसे कोई जॉब मिल जाने तक, ये बात अपने मम्मी पापा को बताना नही चाहता है. इसलिए वो मुझसे मिलने आया है. ताकि मैं इस शादी के लिए मना कर दूं."

अपनी खुशी और उत्सुकता की वजह से, मुझसे फिर नही रहा गया और मैं फिर बीच मे बोल पड़ा.

मैं बोला "तो तुम्हे ऐसा कर देना था. इस से हमारी परेशानी भी दूर हो जाती और सौरव की परेशानी भी दूर हो जाती."

मुझे फिर बात के बीच मे टोकते देख कर कीर्ति ने प्यार भरा गुस्सा दिखाते हुए कहा.

कीर्ति बोली "जान ये क्या है."

मैं बोला "क्यो, क्या हुआ. क्या मैं कुछ ग़लत बोल रहा हूँ."

कीर्ति ने फिर प्यार भरे गुस्से मे कहा.

कीर्ति बोली "जान क्या तुम थोड़ी देर चुप होकर मेरी बात नही सुन सकते. मैं एक एक करके सब बात बता रही हूँ ना."

मैं बोला "सॉरी, अब मैं बीच मे नही बोलुगा. तुम अपनी बात बोलो."

कीर्ति बोली "सौरव की बात सुन कर मुझे भी उतनी ही खुशी हुई थी. जितनी अभी तुम्हे हो रही है. मगर फिर मैने सोचा कि मेरे सौरव से शादी करने के लिए मना कर देने से सौरव की परेशानी तो दूर हो जाएगी. लेकिन मेरी परेशानी तब भी जहाँ की तहाँ बनी रहेगी. क्योकि मम्मी तो मेरे लिए लड़का ढूँढना सुरू कर चुकी है. वो सौरव के बाद किसी दूसरे की तलाश शुरू कर देगी. ये बात मेरे मन मे आते ही मैने सौरव से कहा कि, यदि मैं शादी के लिए अपने घर मे मना करूगी तो, मेरे घर वाले इसकी वजह पुछेगे. अब यदि मैं उन्हे ये वजह बता देती हूँ कि, तुम किसी लड़की से प्यार करते हो तो, मेरी मम्मी ज़रूर तुम्हारी मम्मी को ये बात बताएगी. तब तुम क्या करोगे."

मैं बोला "हाँ ये बात तो तुमने ठीक कही. उसके घर मे पता चल जाने से उसकी परेशानी और भी बढ़ जाती."

कीर्ति बोली "मुझे उसकी परेशानी से कोई मतलब नही था. मैं तो सिर्फ़ अपनी मम्मी के सर पर से अपने लिए लड़का ढूँढने का भूत उतारना चाहती थी. इसलिए सौरव के मन मे ये डर पैदा कर दिया. जब उसने मेरी बात सुनी तो उसे भी तुम्हारी तरह मेरी बात सही लगी. तब उसने मुझसे ही पूछा कि वो क्या करे, जिससे उसकी मेरे साथ शादी भी ना हो, और उसके घर मे उसकी बात का पता भी ना लगे."

मैं बोला "तब तुमने क्या कहा."

कीर्ति बोली "मैने सौरव से पूछा कि उसे अपनी पढ़ाई पूरा करने और जॉब मिलने मे कितना समय लगेगा. तब उसने बताया कि ये उसके ग्रॅजुयेशन का अंतिम साल है और इसके बाद वो एमबीए करना चाहता है. जिसको करने मे उसे 2 साल का समय लगेगा. एमबीए करते ही उसे कोई ना कोई जॉब मिल ही जाएगा. तब मैने उस से कहा कि उसे अपनी पढ़ाई पूरी करने और जॉब मे लगने मे कम से कम 4 साल का समय लगना है. ऐसे मे यदि मैं शादी के लिए मना भी कर देती हूँ. तब भी उसके घर वाले उसके लिए कोई ना कोई लड़की देखते रहेगे. इस से अच्छा तो ये ही है कि वो मुझसे ही शादी करने के लिए हाँ कह दे."

कीर्ति की ये बात सुनकर मैं चौके बिना ना रह सका. मेरे चेहरे पर एक ही पल मे हज़ारों भाव आए और चले गये. लेकिन मैं उसके गुस्सा होने के डर से कुछ नही बोला. मैने सिर्फ़ इतना कहा.

मई बोला "फिर क्या हुआ. उसने क्या कहा."

मेरी बेचैनी और उत्सुकता को देख कीर्ति ने हंसते हुए कहा.

कीर्ति बोली "मेरी बात सुनकर उसकी भी ऐसी ही हालत हो गयी थी. जैसे अभी तुम्हारी है. उस से कुछ ना कहते बन रहा था. जब वो कुछ ना बोला. तब मैने ही उस से कहा कि, मैं सच मे शादी करने को नही कह रही हूँ. मैं तो सिर्फ़ शादी करने की हाँ करने को बोल रही हूँ. तुम शादी के लिए हाँ कर देना और फिर कह देना कि मेरे बालिग होने और अपने जॉब पर लगने तक तुम शादी नही करोगे. जब तुम्हारा जॉब लग जाएगा. तब तुम जिस से चाहे शादी कर लेना. मेरी बात सुन कर वो खुश हो गया और फिर उसने शादी के लिए हाँ कर दी."

मैं बोला "लेकिन ये सगाई का क्या लफडा है. जब शादी अभी नही होना तो, अभी से सगाई करने की क्या ज़रूरत थी."

कीर्ति बोली "ये बात तो मुझे भी नही मालूम थी. कल अचानक मम्मी ने मुझे बुलाया और कहा कि वो लोग शादी के लिए तैयार है. हम जल्द से जल्द तुम दोनो की शादी कर देना चाहते है. तब मैने सौरव से बात की तो उसने कहा कि, उसने अपने घर मे शादी के लिए हाँ तो की थी. मगर ये नही कहा था कि, वो अभी शादी नही करना चाहता है. इसलिए ये लफडा हो गया है."

कीर्ति की ये बात सुन कर मुझसे फिर नही रहा गया और मैं फिर बीच मे बोल दिया. मैने कहा.

मैं बोला "यदि वो ऐसे ही डरता रहा तो, ऐसे मे उस से तुम्हारी शादी भी हो जाएगी."

कीर्ति बोली "चुप करो. ऐसा कुछ नही होगा. सौरव की बात सुन ने के बाद मैने उस से साफ कह दिया था कि, वो चाहे जैसे भी हो, इस सगाई को रोके. तब उस ने अपने मम्मी पापा से बात की थी. जिस वजह से कल रॉय अंकल आंटी सौरव के साथ घर आए थे. कल जब मम्मी से तुम्हारी बात हुई थी. तब हम लोगों मे इसी बात को लेकर चर्चा चल रही थी. देर रात तक सब सौरव को समझाने की कोशिश करते रहे कि, सगाई करने मे कुछ नही जाता. लेकिन वो किसी भी हालत मे सगाई के लिए तैयार नही था. उसने साफ कह दिया कि, वो अपने जॉब पर लगने के पहले और मेरे बालिग होने तक इस बारे मे सोच भी नही सकता. बाद मे सौरव की बात से सभी सहमत हो गये और फिर सगाई टल गयी."

कीर्ति की ये बात सुन कर मुझे ऐसा लगा. जैसे मेरा सब कुछ मुझे वापस मिल गया हो. मेरी खोई हुई खुशी मुझे वापस मिल चुकी थी. लेकिन फिर भी मेरे मन मे बहुत से सवाल उठ रहे थे. जिसकी वजह से मैं इस खुशी को ना तो महसूस कर पा रहा था, और ना ही खुश हो पा रहा था.
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RE: MmsBee कोई तो रोक लो - by desiaks - 09-09-2020, 01:31 PM
(कोई तो रोक लो) - by Kprkpr - 07-28-2023, 09:14 AM

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