RE: MmsBee कोई तो रोक लो
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मैं बैठा बैठा यही सब सोच रहा था और उधर निक्की प्रिया से बहस कर रही थी. निक्की प्रिया से कह रही थी.
निक्की बोली "मैं तेरे से कुछ पुच्छ रही हूँ. तू सीधे सीधे मेरी बात का जबाब क्यो नही देती. आख़िर तू इन लोगों के बीच मे क्यो अपनी टाँग अड़ा रही है. तुझे ये सब करके क्या मिलेगा."
निक्की के बार बार एक ही बात पुच्छने पर प्रिया भी अपने आपको चुप ना रख सकी. उसने झुंझलाते हुए कहा.
प्रिया बोली "तुझे सुनना है तो सुन. मुझे उस लड़की से कोई मतलब नही है कि, वो क्या करती है और क्या नही करती. मुझे मतलब है तो सिर्फ़ पुन्नू से है. क्योकि मैं इसे प्यार करती हूँ. तुझे जो जानना था. मैने तुझे बता दिया. अब तू चुप रह."
प्रिया की बात सुन कर निक्की के तो होश ही उड़ गये. उसे समझ मे नही आ रहा था कि, अचानक ये सब क्या हो गया. वो एक दम से खामोश हो गयी. या शायद उसके पास अब बोलने के लिए कुछ बचा ही नही था. वो खामोश होकर मेरी तरफ देखने लगी. जैसे की ये जानना चाहती हो कि, अब मैं क्या करूगा.
मगर मैं उसके इस खामोश सवाल का, क्या जबाब देता. मैं तो खुद ही इसका जबाब ढूँढ रहा था. कीर्ति मेरे लिए मेरी जान थी. इसलिए मुझे उसके दर्द का अहसास था. लेकिन प्रिया तो मुझे अपनी जान बनाना चाहती थी. मैं उसे होने वाले दर्द से भी अंजान नही था.
मेरे लिए प्रिया को ना बोलना इतना आसान नही था. क्योकि कीर्ति का दिल तो मैने सिर्फ़ कुछ देर के लिए ही तोड़ा था. मुझसे बात होते ही कीर्ति को उसका सब कुछ वापस मिल जाना था. लेकिन प्रिया का तो सब कुछ ही ख़तम हो जाना. यही सब सोच कर मैं खामोश ही रहा.
मैं चुप चाप बेड पर बैठा रहा. जब मैं प्रिया की बात सुनकर भी कुछ नही बोला. तब शायद निक्की को मेरी हालत का अहसास हो गया. उसने फिर से प्रिया को समझाते हुए कहा.
निक्की बोली "प्रिया तू इनसे प्यार करती है, ये कोई ग़लत बात नही है. मगर इसका मतलब ये तो नही है कि, इनको भी तुझसे प्यार हो. फिर तू बेकार मे ज़बरदस्ती इन पर अपना प्यार क्यो लादना चाहती है. तू ये क्यो नही समझने की कोसिस करती कि, ये दोनो एक दूसरे से सच्चा प्यार करते है."
प्रिया बोली "मैं ज़बरदस्ती कहाँ कर रही हूँ. पुन्नू भी मुझे प्यार करता है. ये बस उस लड़की की वजह से अपने प्यार का इज़हार नही कर पा रहा है."
निक्की बोली "क्या इन्हो ने खुद तुझसे कहा है कि, ये तुझसे प्यार करते है."
प्रिया बोली "इसने नही कहा तो क्या हुआ. मैं अच्छे से जानती हूँ कि, ये भी मुझे प्यार करता है. फिर वो लड़की भी तो यही कह रही थी कि, वैसे भी प्रिया तुम्हे पहली ही नज़र मे भा गयी थी. अब तुम भी उसे अच्छे लगने लगे हो. अब तो तुम दोनो की खूब जमेगी. अब इस बात का मतलब तो यही हुआ ना कि पुन्नू को मैं पसंद हूँ. तभी इसने मेरे बारे मे ये सब बात उस लड़की से की होगी. वरना उसे क्या मालूम कि प्रिया कौन है."
निक्की बोली "लेकिन किसी को पसंद करना और किसी को प्यार करना दोनो ही अलग बातें होती है. करने को तो मैं भी इन्हे पसंद करती हूँ. मगर इसका मतलब ये तो नही कि, मैं इन्हे प्यार करती हूँ."
कहने को तो ये बात निक्की ने प्रिया को समझाने के लिए कही थी. लेकिन प्रिया पर निक्की की इस बात का उल्टा ही असर पड़ा. प्रिया निक्की की ये बात सुनकर भड़क उठी. उसने निक्की से जो कहा. उस से तो निक्की की बोलती ही बंद हो गयी. प्रिया ने गुस्सा करते हुए कहा.
प्रिया बोली "तुझे अपनी सहेली कहते हुए मुझे शर्म आ रही है. यदि तू मेरी सच्ची सहेली होती तो, चाहे मैं ग़लत ही क्यो ना होती, पर तू मेरा प्यार पाने मे मेरा साथ देती. लेकिन तू मेरा साथ देने की जगह, एक ऐसी लड़की का साथ दे रही है. जिसे तू जानती भी नही है."
प्रिया की बात सुन कर निक्की का मूह छोटा सा हो गया. उसकी नज़र मुझ पर पड़ी तो, मैं उसे ही देख रहा था. वो मुझसे नज़र मिला नही पाई. लेकिन फिर उसने खुद को संभाला और दोबारा प्रिया को समझाने लगी.
निक्की बोली "यदि मैं तुझे सिर्फ़ अपनी सहेली मानती, तो ज़रूर तेरी हर बात मे, हाँ मे हाँ मिलाती. लेकिन तू मेरे लिए मेरी सहेली से बढ़ कर, मेरी बहन जैसी है. इसलिए मैने तुझे ये सब समझाने की कोसिस की थी. मगर तूने आज मुझे ये बात बोलकर मुझे मेरी ही नज़रों मे गिरा दिया. तुझे यदि मेरी बात का बुरा लगा है, तो उसके लिए मैं तेरे से माफी मांगती हूँ. तुझे जो ठीक लगे तू वही कर. अब मैं तेरी किसी बात मे बीच मे नही बोलुगी."
ये बोल कर निक्की कमरे से बाहर जाने को लगी. लेकिन इस तरह निक्की को बाहर जाते देख शायद प्रिया को अपनी ग़लती का अहसास हो गया. उसने निक्की को टोकते हुए कहा.
प्रिया बोली "हाँ मैं तेरी सग़ी बहन थोड़ी हूँ. जो तू मेरी किसी बात को सहेगी. एक तरफ मुझे बहन कहती है और दूसरी तरफ मेरी गुस्से मे कही बात का बुरा मानती है. तुम सभी बहुत अच्छे हो. बस मैं ही एक बुरी लड़की हूँ. तू जाना चाहती है तो जा. मैं भी तुझे नही रोकूगी. लेकिन मेरी एक बात सुन ले. मैने हमेशा तुझे अपनी बहन माना है. तुझमे और रिया मे मैने कभी कोई फ़र्क नही किया है."
ये बोल कर प्रिया की आँखे आँसुओं से भीग गयी और निक्की के बाहर जाते हुए कदम वही रुक गये. निक्की प्रिया के पास वापस आई और उसके कंधे पर हाथ रखती हुई उस से कहने लगी.
निक्की बोली "तू मेरी बहन थी और हमेशा रहेगी. मुझे तेरी किसी बात का कोई बुरा नही लगा. लेकिन तू मेरी किसी बात को समझना ही नही चाहती तो, मैं यहाँ रुक कर क्या करूगी."
निक्की की बात से प्रिया को इस बात की राहत महसूस हुई कि, निक्की को उसकी बात का बुरा नही लगा. लेकिन इसके बाद भी वो अपनी बात पर अडी ही रही. उसने अपने आँसुओं को पोन्छ्ते हुए कहा.
प्रिया बोली "मैं हर बात को समझने तैयार हूँ. लेकिन तुम लोगों को तो हर बात मे, उस लड़की की अच्छाई ही दिखाई दे रही है. तुम लोगों को ये क्यो नही दिखाई दे रहा कि, मेरे बारे मे सुनकर भी, उसे कोई असर नही पड़ा. उल्टे उसने ये तक कह दिया कि, अब कम से कम वो अपने माता पिता की मर्ज़ी से शादी करके, अपना फ़र्ज़ पूरा कर सकेगी."
निक्की बोली "तू यही तो समझना नही चाहती. तुझे क्या लगता है कि, इनके ये बात कहने से, उस पर कोई असर नही पड़ा और वो खुशी खुशी सो गयी है."
प्रिया बोली "हाँ मैं यही कहना चाहती हूँ."
निक्की बोली "यदि ये बात साबित हो जाए कि, वो ये सब सिर्फ़ इनके दिल का बोझ कम करने के लिए कह रही थी, और उसे सच मे इनकी बात से बहुत दुख पहुचा है. तब तू क्या करेगी. क्या तब तू अपने प्यार को भुला सकेगी."
प्रिया बोली "यदि उसका प्यार सच्चा है तो, मैं ज़रूर इनके बीच से हट जाउन्गी. लेकिन तुम लोगों को ये बात अभी इसी वक्त साबित करना होगी."
निक्की बोली "ओके ये बात अभी साबित हो जाएगी. अभी तेरे सामने दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा."
निक्की और प्रिया की बातों से मुझे कुछ तसल्ली तो ज़रूर हुई. लेकिन मेरी समझ मे नही आ रहा था कि, निक्की इस बात को साबित कैसे करेगी. मैं उम्मीद भरी नज़रों से निक्की की तरफ देखने लगा. निक्की ने प्रिया को बैठने को कहा तो, वो मेरे पास आकर बैठ गयी. फिर निक्की ने एक चेयर ली और हम दोनो के सामने बैठते हुए, मुझसे कहने लगी.
निक्की बोली "अब ये आपको साबित करना है कि, वो लड़की आपसे सच्चा प्यार करती है. उस लड़की ने तो आपको अपना ये सबूत दे दिया है कि, वो आपसे कितना प्यार करती है. अब आप भी इस बात का सबूत दीजिए कि आपको उस के दर्द का कितना अहसास है."
मैं बोला "मैं भला अपने प्यार का क्या सबूत दे सकता हूँ. मैं उसकी तरह नही हूँ. जो हर बात को इतनी आसानी से कह सकूँ. मैं बस इतना जानता हूँ कि, मुझे हँसना उसी लड़की ने सिखाया है. मेरी जिंदगी मे आज जो भी रंग है. सब उसके ही भरे हुए है. लेकिन मैं चाहू भी तो, ये सब साबित नही कर सकता. क्योकि मुझे ये सब करना नही आता. अभी तुमने तो खुद देखा कि, मैने प्रिया को उसके प्यार का सबूत देने के लिए, किस तरह उसका दिल दुखा दिया."
निक्की बोली "आप उसके बारे मे कुछ ऐसा बताइए. जिस से प्रिया को यकीन हो जाए कि वो लड़की आप से सच्चा प्यार करती है. उसे आपसे दूर होने का बहुत दुख है."
मैं बोला "ये उसकी आदत है. वो अपना दुख अपना दर्द कभी मुझ पर जाहिर नही होने देती. मैं इस बात को अच्छी तरह से जानता था कि, यदि कीर्ति मेरे मूह से सुनेगी कि, मुझे किसी और लड़की से प्यार हो गया है. तब वो मुझे उसके पास जाने से नही रोकेगी. यही वजह थी कि, मैने कीर्ति की बात प्रिया को सुनाई थी. ताकि प्रिया को इस बात का अहसास हो सके कि सच्चा प्यार क्या कहलाता है. मगर प्रिया पर कीर्ति के इतने बड़े बलिदान का कोई असर नही पड़ा. उसे तो अब यही लग रहा है कि, कीर्ति को मेरे उस से दूर होने का कोई दुख नही है."
प्रिया बोली "दुख है तो फिर उसकी बातों मे, मुझे वो दुख दिखाई क्यो नही दिया."
मैं बोला "उसने अपना दर्द मुस्कुरा कर छुपा लिया और आप लोग उसके दर्द को महसूस नही कर पाई. मगर मैं ये अच्छी तरह से जानता हूँ कि, भले ही उस ने हंसते हंसते इस बात के लिए हाँ कह दी हो, पर असल मे अब वो अकेले मे बहुत रो रही होगी."
प्रिया बोली "यदि ऐसी बात है तो, आप अभी उसे कॉल लगाइए. मैं देखना चाहती हूँ कि, वो सो रही है या रो रही है."
मैं बोला "कोई कॉल करने का कोई फ़ायदा नही है. वो अभी रो ही रही होगी और अब सोने का बहाना कर के मेरा कॉल नही उठाएगी."
निक्की बोली "उसे कॉल मत उठाने दीजिए. लेकिन आप कॉल तो लगाइए."
उन दोनो की बात सुन कर मैने कॉल लगा दिया. लेकिन हुआ वही जो मैने कहा था. मेरे दो तीन बार कॉल लगाने के बाद भी कीर्ति ने कॉल नही उठाया. तब मैने कहा.
मैं बोला "आप लोग उसे नही जानती. जब मैं यहाँ आ रहा था. तब भी उसने ऐसा ही कुछ किया था. मुझे अपने से दूर होता देख पहले तो वो रोई लेकिन फिर उस ने रोना बंद कर दिया और पूरी तरह से शांत हो चुकी थी. मगर उसके चेहरे से मुस्कुराहट गायब थी. उसका चेहरा किसी पत्थर की तरह सख़्त था. लेकिन उसकी आँखो मे आँसुओं की झिलमिलाहट साफ नज़र आ रही थी. उसकी ये हालत देख कर मेरा भी दिल रो रहा था. मैं उसके पास खड़ा रहा. लेकिन ना उसने कुछ बोला और ना ही मैने कुछ बोला. कुछ देर बाद ट्रेन आ गयी. सब ट्रेन मे समान रखने लगे, पर मैं वही पत्थर का बुत बने खड़ा रहा. मेरे पैर जबाब दे गये थे. मुझसे वहाँ से हिलते भी नही बन रहा था. जब उसने मेरी ऐसी हालत देखी. तब उसने दोनो हाथ अपने चेहरे पर फेरे और अपने आपको मजबूत करके खड़ी हुई और मेरा हाथ पकड़ कर, मुझे ट्रेन पर चढ़ा दिया. अभी भी उसने ऐसा ही कुछ किया है. उसे इस बात से फ़र्क नही पड़ता कि उसे क्या दर्द है. उसे फ़र्क पड़ता है तो इस बात से की मुझे कोई दर्द ना हो."
अब शायद प्रिया के मन मे कीर्ति के लिए सहानुभूति जाग गयी थी. उसने कहा.
प्रिया बोली "जब उसे तुम्हारे दर्द की इतनी पहचान है. तब तुमको भी उसके दर्द की पहचान होगी. मुझे तो उसके तुमसे बात करते समय, उसकी बातों मे कोई दर्द समझ नही आया. लेकिन तुमको उसकी कौन सी बातों मे उसका दर्द समझ मे आया."
मैं बोला "ये समझने की बात है. यदि आप लोगों ने उसके दर्द को समझा होता तो, उसका दर्द आप लोगों को तभी समझ मे आ गया होता. जब वो मुझसे बात कर रही थी. प्यार मे छोटी छोटी बातें बहुत मायने रखती है. उसने बिना एक आँसू बहाए मुझे किसी और के पास जाने दिया. फिर भी यदि आप लोगों ने ध्यान दिया होता तो, तो आपको उसकी बेबसी समझ मे आ जाती. पहले वो मुझसे जान कह कर बात करती रही. लेकिन जैसे ही मैने कहा कि, मुझे प्रिया से प्यार है. उसके बाद से उसने मुझसे बात करते हुए जान लगाना बंद कर दिया. फिर आज उसने ना तो रोज की तरह खुद कॉल रखा और ना ही उस ने कॉल काटते समय मुझसे किस की माँग की. ऐसा सिर्फ़ इसलिए था क्योकि उसे लगा कि अब मैं उसका नही हूँ. वरना आज तक उसने कभी मुझसे किस लिए बिना कॉल नही काटा. चाहे मैं किसी भी जगह पर क्यो ना रहा हूँ. वो मुझसे किस लिए बिना कॉल रखती ही नही है."
मेरी इस बात पर निक्की बोल पड़ी.
निक्की बोली "हाँ ये तो एक बार मेरे सामने हॉस्पिटल मे भी हो चुका है. उसने तब तक कॉल नही रखा था. जब तक आपने उसे किस नही दे दिया था. लेकिन मेरी समझ मे ये बात नही आ रही कि, आप कॉल क्यो नही रखते है. कॉल वो ही क्यो रखती है."
मैं बोला "ऐसा इसलिए है क्योकि मैं कभी कॉल रख ही नही पाता हूँ. मुझे कॉल रखने मे ऐसा महसूस होता है. जैसे की मैं उस से हमेशा के लिए दूर हो रहा हूँ. इसी वजह से वो कभी मुझसे कॉल रखने को कहती भी नही है. मगर आज ना जाने क्यो उसने मुझसे कॉल रखने को कहा."
निक्की बोली "सो सॅड. तुम इतनी सी बात भी नही समझ सके. उसने कॉल रखने को इसलिए कहा होगा. क्योकि वो ये देखना चाह रही होगी कि, तुम्हारे दिल मे उसकी जगह अब भी वही है या नही है. लेकिन तुमने कॉल रख कर उसे ये अहसास दिला दिया कि, तुम्हारे दिल मे उसकी जगह पहले जैसी नही है. उसे तुम्हारे कॉल रख देने बहुत ज़्यादा तकलीफ़ पहुचि होगी."
मैं बोला "हाँ, उसे तकलीफ़ तो पहुचि है. लेकिन मेरे लिए उस समय, उसकी तकलीफ़ से ज़्यादा ये ज़रूरी हो गया था कि, मैं किसी भी तरह से प्रिया को उसके प्यार का अहसास दिला सकूँ. क्योकि बात चाहे कैसी भी क्यो ना हो. लेकिन सच तो यही है कि, प्रिया मुझसे प्यार करती है. ऐसे मे मैं इसके दिल को ठेस कैसे लगा सकता हूँ. मैं पहले प्यार को ना पा सकने का दर्द जानता हूँ. इसलिए मैं प्रिया के दिल को किसी भी हालत मे ठेस लगाना नही चाहता था."
इतना बोल कर मैं नीचे सर झुका कर बैठ गया. लेकिन मेरी इन बातों ने सीधे प्रिया के दिल पर असर किया. उसे शायद कीर्ति के प्यार पर यकीन होने लगा था. उसने बड़े ही धीरे से कहा.
प्रिया बोली "सॉरी, मैं तुम दोनो के प्यार को समझ ना सकी. मैं अपने प्यार के जुनून मे बहुत स्वार्थी हो गयी थी. जो मुझे अपने आगे तुम दोनो का प्यार समझ मे नही आ रहा था. लेकिन मैं भी क्या करती. वो इस तरह से हंस रही थी कि, मैं समझ ही नही सकी कि, उसे तुमसे दूर होने का कोई दुख है. सच कहूँ तो मुझे अभी भी इस बात पर पूरी तरह से यकीन नही हो पा रहा है."
मैं इस बात का मतलब अच्छे से जानता था कि, जब कोई किसी से प्यार करता है तो, फिर वो दिल से ये मानने को तैयार ही नही होता कि, कोई और उस से ज़्यादा प्यार कर सकता है. यही हाल प्रिया का भी था. उसके दिमाग़ ने तो ये बात मान ली थी कि, कीर्ति ने जो कुछ किया वो सब दिखावा था. लेकिन उसका दिल अभी भी इस बात को मानने को तैयार नही था.
मुझे भी ऐसा कोई रास्ता समझ मे नही आ रहा था. जिस से मैं प्रिया के दिल से इस बात को निकल सकूँ. लेकिन प्रिया की बात को सुनने के बाद शायद निक्की को कुछ सूझा. उसने मुझसे कहा.
निक्की बोली "आप ज़रा अपना मोबाइल मुझे दीजिए."
निक्की की बात सुनकर मुझे लगा कि वो फिर कीर्ति को कॉल लगाने वाली है. मैने उसे समझाते हुए कहा.
मैं बोला "अब उसे कॉल लगाने का कोई फ़ायदा नही है. वो बहुत जिद्दी है. यदि उसे कॉल उठाना होता तो, वो तभी कॉल उठा लेती, या फिर तभी उसने वापस कॉल लगा दिया होता. अब वो कॉल नही उठाएगी."
निक्की बोली "मैं कॉल नही लगाउन्गी. आप बस मुझे मोबाइल दीजिए और देखते जाइए क्या होता है."
मैने अपना मोबाइल निक्की को दे दिया. निक्की ने मोबाइल लिया और कुछ टाइप करने लगी. फिर उसने मुझे मोबाइल दे दिया. उसने एक मेसेज टाइप किया था.
निक्की का मेसेज
"सोचा किसी अपने से बात करें.
अपने किसी खास को याद करें.
जो फ़ैसला किसी को एसएमएस करने का किया.
दिल ने कहा क्यूँ ना तुमसे शुरुआत करें."
मैने मेसेज पढ़ा. फिर निक्की ने वो मेसेज कीर्ति को सेंड करने को कहा. मैने मेसेज कीर्ति को सेंड किया और फिर निक्की से कहा.
मैं बोला "इस से क्या होगा. क्या वो कॉल करेगी."
निक्की बोली "कुछ नही होगा. बस आप देखते चलिए और मेसेज सेंड करते चलिए."
इस मेसेज के थोड़ी देर बाद निक्की ने फिर मोबाइल लिया और फिर एक मेसेज टाइप करके मुझे दे दिया.
निक्की का मेसेज
"अभी करो मेरे साथ कोई बात फिर सो जाना.
जब ढल जाए ये रात फिर सो जाना.
मुद्दत से प्यासे है हम तेरी दीद के.
जब बुझ जाए मेरी प्यास फिर सो जाना..
कुछ तुम सताओ, कुछ हम सताए.
कुछ हो जाए दिल की बात फिर सो जाना.
अभी तो जाग रहे है चाँद सितारे.
जब सो जाए ये कायानात फिर सो जाना."
मैने मेसेज पढ़ा और कीर्ति को सेंड किया और फिर वापस मोबाइल निक्की को दे दिया. थोड़ी देर बाद उसने फिर एक मेसेज टाइप करके मुझे दिया.
निक्की का मेसेज
"रात की धड़कन जब तक जारी रहती है.
सोते नही है हम, ज़िम्मेदारी रहती है.
जब तक तुझसे अपने दिल की बातें ना हो.
सुकून नही मिलता तबीयत भारी रहती है."
मैने मसेज पढ़ा और फिर से सेंड कर दिया. लेकिन कीर्ति की तरफ से अभी भी कोई जबाब नही आ रहा था. मैं अच्छे से जानता था कि, वो ये सब मेसेज पढ़ तो रही है. लेकिन वो किसी का जबाब नही देगी. थोड़ी देर बाद फिर निक्की ने एक मेसेज टाइप करके मुझे दिया.
निक्की का मेसेज
"आज ज़रूरत है जिसकी वो पास नही है,
अब उनके दिल मे वो एहसास नही है,
तड़पते है दो पल बात करने को,
शायद अब वक़्त हमारे लिए उनके पास नही है."
मैने मेसेज पढ़ा तो, मुझे मेसेज अच्छा नही लगा. मैने निक्की से कहा.
मैं बोला "इस तरह का मेसेज भेजने की कोई ज़रूरत नही है. वो बेकार मे परेशान होगी."
निक्की बोली "जब आपने उसे कॉल करके परेशान किया. तब आपको इस बात की फिकर नही हुई. अब थोडा सा परेशान मुझे भी कर लेने दो."
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मुझे निक्की की बात पसंद तो नही आई. लेकिन फिर भी मैने मेसेज सेंड कर दिया. मगर अभी भी कीर्ति की तरफ से कोई जबाब नही आया था. तब निक्की ने फिर एक मेसेज टाइप करके मुझे दिया.
निक्की का मेसेज
"आँखे रो पड़ी उनका ना पैगाम आया,
चले गये हमें अकेला छोड़ के ये कैसा मुकाम आया,
मेरी तन्हाई हँसी मुझपे और बोली,
बता आख़िर मेरे सिवा तेरे कॉन काम आया."
मैने बेमन से मेसेज सेंड कर दिया. क्योकि मुझे मालूम था कि, निक्की फिर वही जबाब देगी. जो उसने पहले दिया था. इसके थोड़ी देर बाद निक्की ने फिर एक मेसेज टाइप करके दिया.
निक्की का मेसेज
"क्या ज़माना था, तुम रोज़ मिला करती थी.
रात भर चाँद के, हमराज़ फिरा करती थी.
देख कर भी आज मुझे मूह फेरे बैठी हो.
कभी तुम ही मुझे अपनी जान कहा करती थी."
मैने मसेज पढ़ा और कीर्ति को मेसेज सेंड कर दिया. अब मेरी और प्रिया की नज़र निक्की पर ही टिकी थी. क्योकि हमें समझ मे नही आ रहा था कि, वो करना क्या चाह रही है. मैं तो अपनी बेचैनी को छुपाए रहा. लेकिन प्रिया अपने आपको ज़्यादा देर ना रोक सकी. प्रिया ने निक्की से कहा.
प्रिया बोली "तू आख़िर करना क्या चाहती है. जब उसकी नींद कॉल करने से नही खुली तो, क्या अब वो तेरे मेसेज करने से जाग जाएगी."
निक्की बोली "तू चुप करके बैठ. तुझे खुद पता चल जाएगा कि, मैं क्या करना चाहती हूँ."
प्रिया बोली "ऐसे तो तू उसे रात भर मेसेज करती रहेगी. तो क्या हम रात भर चुप बैठ कर तेरा तमाशा देखते रहेगे."
निक्की बोली "रात भर नही. बस अब इस मेसेज के बाद तेरे सब समझ मे आने लगेगा."
ये कह कर निक्की ने फिर एक मेसेज टाइप किया.
निक्की का मेसेज
"तुमसे दूर जाने का इरादा ना था.
सदा साथ रहने का भी वादा ना था.
तुम याद ना करोगी ये जानते थे हम.
पर इतनी जल्दी भूल जाओगी आंदज़ा ना था."
"यू ब्रेक माइ हार्ट."
"बाइ न टेक केयर"
मैने मेसेज पढ़ा और कीर्ति को मेसेज सेंड करने के बाद निक्की से कहा.
मैं बोला "ये तो ग़लत बात है. उसने तो ऐसा कुछ भी नही किया. वो बस अपना दर्द मेरे सामने जाहिर करना नही चाहती है. इसलिए वो सोने का नाटक कर रही है. यदि आपको ये ही जानना है कि, वो जाग रही है या सो रही है. तब आप उसे बस इतना लिख कर भेज दो कि, मैने जो कुछ भी कहा था. वो सब झूठ था. देखिए तुरंत उसका कॉल आ जाएगा. लेकिन ऐसा करके उसे और चोट मत पहुचाईए. ये मेसेज पढ़ पढ़ कर उसका बुरा हाल हो रहा होगा."
निक्की बोली "मैं जानती हूँ कि, मैं ग़लत कर रही हूँ. लेकिन आप ये मत भूलिए कि, आप एक लड़के हो और हम लड़कियों की सोच को नही समझ सकते. आप सिर्फ़ देखते जाइए, इस मेसेज के बाद उसका मेसेज ज़रूर आएगा. यदि नही आया तो, फिर ये बात कोई मायने नही रखती की, वो जाग रही है या सो रही है. फिर मैं भी प्रिया की तरह यही मानूँगी कि, उसका प्यार सच्चा नही है. क्योकि जब उसे आपके दर्द से ज़्यादा अपने दर्द की परवाह हो तो, फिर उसका प्यार सच्चा हो ही नही सकता."
इतना बोल कर निक्की चुप हो गयी. लेकिन उसकी इस बात से जहाँ प्रिया के चेहरे पर विजयी मुस्कान आ गयी थी. वही मेरे चेहरे की रौनक उड़ गयी थी. हम सभी की नज़र अब मेरे मोबाइल पर ही टिकी हुई थी. सबको अब कीर्ति के मेसेज आने या ना आने का इंतजार था.
मेरे दिल की धड़कने बढ़ गयी थी. क्योकि अब सवाल सिर्फ़ कीर्ति के सो जाने का नही था. बल्कि अब सवाल मेरे प्यार की इज़्ज़त का था. जो सिर्फ़ कीर्ति के एक मेसेज करने या ना करने पर टिकी हुई थी. मैं मन ही मन भगवान से प्रार्थना करने लगा कि, मेरे प्यार की इज़्ज़त रख लो और साथ साथ अपने मन मे कीर्ति से बात करते हुए कहने लगा कि, "प्लीज़ जान, चाहे जैसे भी हो, पर अपने प्यार की इज़्ज़त रख लो. वरना हमारा प्यार इन लोगों की नज़र मे झूठा पड़ जाएगा."
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