MmsBee कोई तो रोक लो
09-09-2020, 01:52 PM,
#84
RE: MmsBee कोई तो रोक लो
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कीर्ति जैसी समझदार लड़की से किसी ग़लत हरकत की उम्मीद ही नही की जा सकती थी. लेकिन फिर भी अब मैं सहमा हुआ सा था. जब मैने देखा कि, वो मेरी किसी बात का जबाब नही दे रही है. अब मेरे पास उसे मेसेज करके अपनी बात कहने के सिवा कोई और रास्ता नही बचा था. सोचा.

मैं अभी उसे मेसेज करने की सोच ही रहा था. तभी मुझे उसके सिसकने की आवाज़ सुनाई दी. शायद यही वजह थी कि, वो मेरे या अपने कमरे मे चली गयी थी. मगर अभी भी वो मेरी बात नही सुन रही थी.

आख़िर मे मैने उसे एक मेसेज करने का फ़ैसला किया और उसे मेसेज टाइप कर के भेजा. "जान प्लीज़ मुझसे बात करो. तुम्हे मेरी कसम."

मेरे इस मेसज का असर ये हुआ कि, अब मुझे उसकी सिसकियाँ साफ साफ सुनाई देने लगी. शायद उसने मोबाइल, अपने कान मे लगा लिया था. मुझे ये बात समझ मे आते ही मैने उस से कहा.

मैं बोला "जान, तुम अभी तो इतनी अच्छी भली मुझसे बात कर रही थी. फिर तुम्हे अचानक ये क्या हो गया. क्या तुम्हे मेरी कोई बात बुरी लगी है."

लेकिन उसने मेरी बात का कोई जबाब नही दिया और मुझे एक ज़ोर से तडाक की आवाज़ सुनाई दी. जिसे सुनते ही मैं काँप गया. शायद उसने गुस्से मे किसी चीज़ को फेका था.

उसकी इस हरकत से साफ समझ मे आ रहा था कि, वो अभी अपने कमरे मे है और बहुत ज़्यादा गुस्से मे है. लेकिन उसके इस गुस्से का कारण मैं नही जानता था. मैने उसे शांत करने की गरज से फिर कहा.

मैं बोला "जान प्लीज़, तुम्हे मेरी कसम. अपना गुस्सा शांत करो. तुम्हे जो भी बात परेशान कर रही है. तुम मुझे बताओ. मैं तुम्हारी हर परेशानी दूर करूगा."

मगर मेरी बात सुनकर, उसकी सिसकियाँ रोने मे बदल गयी. मैने कुछ बोलने के लिए मूह खोला ही था कि, तभी फिर से मुझे किसी चीज़ के टूटने की आवाज़ आई. मेरी बात मेरे मूह मे ही रुक कर रह गयी.

वो शायद अपने आपको शांत करने की कोसिस कर रही थी. मगर खुद को शांत ना होते देख, गुस्से मे कमरे मे रखे समान को फेके जा रही थी.

उसका दर्द अब मैं समझ चुका था. वो मेरी जुदाई को सह नही पा रही थी. उसके इस दर्द को समझते ही मेरी आँखे, फिर आँसुओं मे भीग गयी और मैने पहली बार, उसे अपने दिल से कुछ लिख कर भेजा.
"तेरी बेरूख़ी से बिखर जाता हूँ मैं.
तेरी खामोशी से डर जाता हूँ मैं.
जब गिरते है तेरी आँखों से आँसू.
ना जाने कितनी मौत मर जाता हूँ मैं."

"जान प्लीज़ अपने आपको सम्भालो.
मैं तुम्हे ऐसे टूटते नही देख सकता."

मेरे मेसेज को पढ़ कर, शायद कीर्ति को भी मेरी हालत का अहसास हो गया था. लेकिन आज वो चाह कर भी, खुद को संभाल नही पा रही थी. उसने बड़ी मुस्किल से काँपती हुई आवाज़ मे, रोते हुए, मुझसे सिर्फ़ इतना कहा.

कीर्ति बोली "प्लीज़ तुम वापस आ जाओ."

मैं बोला "मैं आ जाउन्गा जान."

लेकिन मेरी बात सुन कर भी उसका रोना कम नही हुआ. उसने रोते हुए फिर अपनी बात को दोहराया.

कीर्ति बोली "नही तुम अभी वापस आओ. मैं तुम्हारे बिना नही रह पा रही हूँ."

मैं बोला "ठीक है जान. मैं अभी आता हूँ. लेकिन जब तक तुम अपने आपको संभालॉगी नही. मैं यहाँ से कैसे निकल सकता हूँ."

मगर उस पर मेरी किसी बात का कोई असर नही हो रहा था. वो किसी छोटे बच्चे की तरह रोते हुए कहने लगी.

कीर्ति बोली "नही, मुझे कुछ नही सुनना. कुछ नही समझना. तुम अभी वहाँ से निकलो."

मैं उसकी ऐसी हालत को सह नही पा रहा था. मेरे पास इस समय उसकी बात मानने के सिवा कोई रास्ता नही था. मैने उस से कहा.

मैं बोला "ठीक है जान, मैं तुम्हे कुछ नही सम्झाउन्गा. तुम चाहती हो तो, मैं अभी यहाँ से निकलता हूँ. बस एक मिनट रूको ज़रा मैं टॅक्सी बुला लूँ."

मेरी बात सुनकर भी उसका रोना बंद नही हुआ था. हाँ थोड़ा सा कम ज़रूर हो गया था. मैने अपना दूसरा मोबाइल उठाया और अजय को कॉल लगा दिया. उसने कॉल उठाने मे, ज़्यादा टाइम नही लगाया और कॉल उठाते ही कहा.

अजय बोला "हेलो, इतनी रात को कैसे याद किया. क्या अभी हॉस्पिटल मे हो."

मैं बोला "नही यार, मैं घर मे हूँ. लेकिन मुझे तुमसे एक ज़रूरी काम आ गया है. क्या तुम आज रात भी टॅक्सी चला रहे हो."

अजय बोला "हाँ, मेरी टॅक्सी अभी हॉस्पिटल के बाहर ही खड़ी है. तुम बोलो, तुम्हे इतनी रात को क्या काम आ गया."

मैं बोला "मुझे अभी के अभी, एरपोर्ट जाना है. क्या तुम मुझे वहाँ तक छोड़ने के लिए आ सकते हो."

अजय बोला "ये भी कोई पुछ्ने की बात है. मैं अभी तुम्हे लेने निकलता हूँ. लेकिन ये अचानक तुम कहाँ जा रहे हो."

मैं बोला "अभी कुछ मत पुछो. तुम जितनी जल्दी हो सके यहाँ आ जाओ. मैं तुम्हे मिल कर सब बताता हूँ."

अजय बोला "ठीक है, तुम तैयार रहो. मैं 10 मिनट मे पहुचता हूँ."

मैं बोला "ओके, मैं तुम्हे बाहर ही मिल जाउन्गा."

ये कह कर मैने फोन रख दिया. मैं अजय से बात करने मे ज़रूर लगा था. लेकिन मेरा पूरा ध्यान कीर्ति की तरफ ही था. मेरी बात सुनते सुनते, कीर्ति का रोना, अब पूरी तरह से बंद हो चुका था. बस अब उसके थोड़े बहुत सिसकने की आवाज़ आ रही थी.

मैने उस से कुछ भी नही कहा और फिर दूसरा कॉल लगाने लगा. जब उसे समझ मे नही आया कि, अब मैं क्या कर रहा हूँ. तब उसने कहा.

कीर्ति बोली "अब बैठे क्यो हो. टॅक्सी आ रही है. जल्दी से तैयार हो जाओ."

मैं बोला "एक कॉल लगा लूँ. फिर तैयार होता हूँ."

कीर्ति बोली "अब किसे कॉल लगा रहे हो."

मैं बोला "निक्की को कॉल लगा रहा हूँ. शायद वो गहरी नींद मे है. इसलिए कॉल उठा नही रही है."

कीर्ति बोली "उसको क्यो कॉल लगा रहे हो."

मैं बोला "अरे मैं घर से बाहर जाउन्गा तो, कोई दरवाजा बंद करने वाला भी तो, होना चाहिए. अभी यहाँ बाकी सब लोग तो, गहरी नींद मे होगे. एक वही है, जो अभी जाग सकती है."

अभी मेरी बात पूरी भी नही हुई थी कि, निक्की ने कॉल उठा लिया. मैने उसके कॉल उठाते ही कहा.

मैं बोला "सॉरी आपको इतनी रात को नींद से जगाया. लेकिन मुझे अचानक काम से बाहर जाना पड़ रहा है. क्या आप आकर दरवाजा बंद कर सकती है."

निक्की बोली "आप 5 मिनट वेट करिए. मैं अभी आती हूँ."

उसके फोन रखने के बाद मैने कीर्ति से कहा.

मैं बोला "लो मेरे यहाँ से निकलने का सारा इंतज़ाम हो गया है. अब तू फोन रख. हम लोग सुबह मिलते है."

कीर्ति बोली "नही मैं तुम्हारे प्लेन मे बैठने तक, फोन नही रखुगी."

मैं बोला "लेकिन तू फोन चालू रख के क्या करेगी. अभी निक्की आ जाएगी और फिर अजय आ जाएगा. उनके लोगों के सामने, मैं तुझ से बात नही कर पाउन्गा."

कीर्ति बोली "मैं बात करने को नही बोल रही. तुम बस फोन चालू रखे रहो. मैं तुम लोगों की बात सुनती रहूगी."

उसकी ये बात सुन कर, मैने उस से कुछ और बोलने के लिए अपना मूह खोला. मगर फिर उसके बिगड़े मूड का ख़याल आते ही, मैने अपनी बात को बदलते हुए उस से कहा.

मैं बोला "ठीक है, जैसी तेरी मर्ज़ी. मैं फोन चालू रखता हूँ. लेकिन मैं तुझसे बात नही कर पाउन्गा. अब मैं तैयार होने जा रहा हूँ."

कीर्ति बोली "ठीक है."

उसके इतना कहने के बाद मैं तैयार होने लगा. मैं ये सब ऐसे किए जा रहा था. जैसे कि ये सब कोई छोटी सी बात हो. मगर मेरे लिए सच भी यही था. मेरे लिए उसकी खुशी से बढ़कर कुछ नही था और मैं किसी भी हालत मे उसे खुश देखना चाहता था.

यही वजह थी कि, मैं बिना कोई बहस किए. वैसा करने को तैयार हो गया. जैसा कीर्ति चाहती थी. मेरे लिए उसके आँसुओं को देखने से कही ज़्यादा आसान ये सब करना था.

मैं जल्दी जल्दी तैयार हुआ और तभी निक्की भी आ गयी. निक्की ने दरवाजा खटखटाया तो, मैने कीर्ति वाला मोबाइल अपने जेब मे रखते हुए दरवाजा खोला.

निक्की इस समय ब्लॅक नाइट सूट मे थी और शायद घहरी नींद से जागने की वजह से, अपने चेहरे को धोकर आई थी. उसने मुझे तैयार खड़ा देख कर कहा.

निक्की बोली "आप इतनी रात को कहाँ जा रहे है."

मैं बोला "मुझे ज़रूरी काम आ गया है. इसलिए मैं अभी घर जा रहा हूँ."

निक्की बोली "लेकिन इतनी अचानक क्यो. घर मे सब ठीक तो है."

मैं बोला "घर मे सब ठीक है. लेकिन किसी से मेरा मिलना बहुत ज़रूरी है. इसलिए जा रहा हूँ."

मेरी बात सुनकर निक्की ने हंसते हुए कहा.

निक्की बोली "आप बुरा ना माने तो, एक बात बोलूं."

मैं बोला "आपको जो भी बोलना है. आप बोल सकती है. मैं आपकी किसी बात का बुरा नही मानूँगा."

निक्की बोली "आप को ऐसा नही लगता कि, ये कुछ ज़्यादा हो रहा है. मैं मानती हूँ कि, आप दोनो एक दूसरे को बहुत प्यार करते है. लेकिन अभी आप जो करने जा रहे है. उसे सिर्फ़ एक पागलपन ही कहा जा सकता है."

मैं बोला "प्यार मे कुछ भी ज़्यादा नही होता है. फिर जिस प्यार मे पागलपन ना हो. वो प्यार ही क्या. वो तो सोच समझ कर किया गया सौदा ही कहलाएगा."

निक्की बोली "ओके आप जीते और मैं हारी. लेकिन ये तो बता जाइए कि, यदि कोई मुझसे आपके बारे मे कुछ पुछेगा तो, मैं उस से क्या कहुगी."

मैं बोला "आपको किसी से कुछ कहने की ज़रूरत ही नही पड़ेगी. मैं खुद ही सबको फोन करके बता दूँगा. यदि फिर भी आप से कोई कुछ पुछे तो, आप बस इतना बोल दीजिएगा कि, मैं बाहर जा रहा था, इसलिए मैने आपको दरवाजा बंद करने के लिए बुलाया था."

निक्की बोली "ठीक है. लेकिन आप चले जाएगे तो, मेहुल अकेला परेशान नही हो जाएगा."

मैं बोला "मैं रात तक वापस आ जाउन्गा. यदि हो सके तो, आप आज बस ये सब संभाल लीजिए."

निक्की बोली "आप बेफिकर होकर जाइए. मैं आपके समय पर हॉस्पिटल पहुच जाउन्गी. मैं मेहुल या अंकल को आपकी कमी नही अखरने दुगी."

मैं बोला "थॅंक, और हो सके तो, अपना मोबाइल अपने पास ही रखिएगा. हो सकता है कि, मुझे आपसे कोई ज़रूरी बात करना पड़ जाए."

निक्की बोली "मेरा मोबाइल मेरे पास ही रहेगा. आप जब चाहे तब कॉल लगा सकते है. लेकिन एक बात बताइए, क्या आपको इतनी समय यहाँ से जाने के लिए टॅक्सी और वहाँ पहुचने पर कोई फ्लाइट मिल जाएगी."

मैं बोला "फ्लाइट का तो मुझे पता नही है. हाँ मगर वहाँ तक पहुचने के लिए टॅक्सी ज़रूर मिल जाएगी. "

मेरी बात सुनकर निक्की मुझे हैरत भरी नज़र से देखने लगी और फिर पुच्छने लगी.

निक्की बोली "इतनी रात को आपको घर बैठे टॅक्सी कहाँ से मिल जाएगी."

मैं बोला "मेरा एक दोस्त है. वो रात को ही टॅक्सी चलाता है. मैने उसे बुलाया है. अब तक तो वो शायद घर के बाहर आकर खड़ा भी हो गया होगा."

निक्की बोली "जब आपने टॅक्सी का इंतेजाम कर लिया है तो, मुझे उम्मीद है कि, आप फ्लाइट का भी कुछ ना कुछ कर ही लेगे."

मैं बोला "अब ये तो वहाँ पहुचने पर ही पता चलेगा. लेकिन अब मुझे निकलना होगा. मेरा दोस्त बाहर खड़ा मेरा इंतजार कर रहा होगा."

निक्की बोली "चलिए मैं आपको दरवाजे तक तो, छोड़ ही आती हूँ."

ये कहते हुए वो मेरे साथ दरवाजे तक आई. उसे सच मे घर के सामने टॅक्सी खड़ी दिखाई दी तो, वो मुस्कुराने लगी. लेकिन जैसे ही उसकी नज़र अजय पर पड़ी. वो चौुक्ते हुए कहने लगी.

निक्की बोली "ये आपके दोस्त है. आपकी इनसे दोस्ती कब हो गयी."

मैं बोला "हाँ ये ही मेरे दोस्त है. लेकिन आप इन्हे कैसे जानती है."

मेरी बात सुन कर निक्की हंसते हुए कहने लगी.

निक्की बोली "मैं इनके बारे मे इतना कुछ जानती हूँ. जितना कुछ आप भी नही जानते होगे. मैं ये सब कैसे जानती हूँ. ये बहुत लंबी बात है और अभी आपके पास, इतनी लंबी बात सुनने का समय नही है. मगर अब मैं इनको आपके साथ देख कर, यकीन के साथ कह सकती हूँ कि, यदि आपने जाने का इरादा नही बदला तो, आपकी फ्लाइट का इंतेजाम भी हो जाएगा."

मैं बोला "थॅंक्स, अब आप दरवाजा बंद कर लीजिए. मैं निकलता हूँ."

निक्की बोली "ओके, जब वहाँ पहुच कर, उनसे मिलिएगा तो, मेरी तरफ से उनको हेलो बोल दीजिएगा."

मैं बोला "ठीक है, बोल दूँगा, बाइ."

निक्की बोली "बाइ."

फिर निक्की ने दरवाजा बंद कर लिया और मैं अजय के पास आ गया. अजय मुझे देखते ही वापस टॅक्सी मे बैठ गया और फिर मेरे बैठे ही उसने टॅक्सी को आगे बढ़ाते हुए कहा.

अजय बोला "अचानक घर क्यों जा रहे हो. घर मे सब ठीक तो है ना."

मैं बोला "हाँ घर मे सब ठीक है. बस मेरा यहाँ मन नही लग रहा है. इसलिए सोचा कि घर होकर आ जाउ."

अजय बोला "यार हम से तो कुछ मत छुपाओ. कल से तुम्हारा मूड कुछ सही नही चल रहा है. ज़रूर कुछ गड़बड़ हुआ है."

मैं बोला "नही, कुछ भी गड़बड़ नही हुआ है. बात सिर्फ़ ये है कि, आज उसकी बहुत याद आ रही है. उसको देखे बिना रहा नही जा रहा है. इसलिए सोचा कि उसे एक बार देख कर आ जाउ."

मेरी बात सुनते ही अजय का चेहरा खुशी से खिल उठा और उसने कहा.

अजय बोला "ये तो तुमने बहुत अच्छी खबर सुनाई. मैं तो कल से ये सोच सोच कर पागल हुआ जा रहा था कि, पता नही तुम्हारी लव स्टोरी मे ऐसा कौन सा मोड़ आ गया है. जिसकी वजह से तुम्हे कल वो सब करना पड़ा था."

मैं बोला "कल भी ऐसी कोई बात नही थी. बस मुझे थोड़ी सी ग़लत फ़हमी हो गयी थी. जिस वजह से मैं वो सब कर गया था."

अजय बोला "चलो अच्छा है. ग़लत फ़हमी समय रहते ही दूर हो गयी. लेकिन तुम्हे ग़लत फ़हमी हुई क्यो थी."

मैं बोला "उसको खो देने के डर ने मेरे दिल दिमाग़ का चलना ही बंद कर दिया था."

अजय बोला "यदि ऐसा है तो, ये तुम्हारी सबसे बड़ी खराबी है. जब तुम उसे इतना प्यार करते हो तो, तुम्हे उस पर उतना विस्वास भी करना चाहिए. क्योकि ग़लत फ़हमी तभी होती है. जब विस्वास कमजोर पड़ता है."

मैं बोला "हाँ तुम ठीक कह रहे हो. मैं भी इस बात को मानता हूँ. लेकिन उस समय उसको खो देने के ख़याल ने मुझे इतना कमजोर कर दिया था कि, मैं कुछ भी सोचने और समझने के लायक ही नही था."

अजय बोला "ये बात तो तुम्हारी सही है. जब कोई अपना प्यार खोने लगता है. तब वो जीते जी मरने के बराबर हो जाता है. तुम मानो या ना मानो मगर ये सच है कि, मुझे ये जानकर बेहद खूही हुई है कि, तुम्हारा प्यार तुम्हारे पास है."

मैं बोला "तुम भी तो किसी से प्यार करते हो. उसका क्या हुआ. क्या उसका प्यार तुमने खो दिया."

अजय बोला "ये बहुत लंबी कहानी है. किसी दिन दोनो जब फ़ुर्सत मे बैठेगे. तब ज़रूर सुनाउन्गा. अभी तो तुम खुशी खुशी अपने प्यार से मिल कर आओ."

मैं बोला "वो तो ठीक है यार. मगर क्या मुझे अभी के अभी किसी फ्लाइट की टिकेट मिल जाएगी.”

अजय बोला “तुम टिकेट की चिंता मत करो. पहले ये फ्लाइट शेड्यूल देख कर ये तय कर लो कि, किस फ्लाइट से तुम्हे जाना है. टिकेट का तो, कुछ ना कुछ इंतेजाम हो ही जाएगा.”

ये कहते हुए अजय ने उसकी टॅक्सी मे रखा एक फ्लाइट शेड्यूल मेरी तरफ बढ़ा दिया. मैं शेड्यूल देखने लगा.

__________________________________________________________
एरलाइन्स नेम - फ्लाइट नंबर - डिपचयर टाइम - अराइवल टाइम - टाइम
__________________________________________________________
जेटार ------------ 9डब्ल्यू619 -------- 06:05 ---------- 08:35 -------- 2ह 30म
__________________________________________________________
एर-इंडिया --------- आई675 --------- 06:10 ---------- 08:50 -------- 2ह 40म
__________________________________________________________
जेटायर ------------ 9डब्ल्यू201 -------- 06:35 ---------- 09:20 -------- 2ह 45म
__________________________________________________________
जेटायर ------------ 9डब्ल्यू615 -------- 07:15 ---------- 09:45 -------- 2ह 30म
__________________________________________________________
इंडिगो ----------- 6ए319 --------- 07:45 ---------- 10:30 -------- 2ह 45म
__________________________________________________________
स्पीसेजेट --------- ज़्ग873 --------- 08:15 ---------- 11:00 -------- 2ह 45म
__________________________________________________________
इंडिगो ----------- 6ए321 --------- 09:40 ---------- 12:20 -------- 2ह 40म
__________________________________________________________

मैने फ्लाइट शेड्यूल देखा और फिर अजय से कहा.

मैं बोला “ये दो घंटे बाद 6:05 बजे की फ्लाइट ठीक रहेगी. इस से मे 8:35 बजे वहाँ पहुच जाउन्गा.”

अजय बोला “ठीक है मैं इसकी कोशिस करता हूँ. तुम वहाँ से वापस कब तक लोटोगे.”

मैं बोला “मैं बस आज कुछ देर के लिए ही वहाँ जा रहा हूँ. शाम की किसी फ्लाइट से आज ही वापस आ जाउन्गा.”

अजय बोला “तो फिर वापस आने की भी फ्लाइट देख लो. दोनो की टिकेट एक साथ ही निकाल लेते है. इस से तुमको वहाँ टिकेट के लिए परेशान नही होना पड़ेगा.”

अजय की ये बात मुझे भी सही लगी. मैने फ्लाइट शेड्यूल मे, वापसी की फ्लाइट देखने लगा.

_________________________________________________________
एरलाइन्स नेम - फ्लाइट न, - डेपतुरे टाइम - अराइवल टाइम - टाइम
_________________________________________________________
जेटायर ----------- 9डब्ल्यू624 ------- 16:00 ----------- 18:45 ------- 2ह 45म
_________________________________________________________
एर-इंडिया -------- आई775 -------- 16:45 ----------- 19:30 ------- 2ह 45म
_________________________________________________________
इंडिगो ---------- 6ए322 -------- 17:25 ----------- 20:00 ------- 2ह 30म
_________________________________________________________
स्पीसेजेट -------- ज़्ग874 -------- 18:00 ----------- 20:45 ------- 2ह 45म
_________________________________________________________
जेटायर ---------- 9डब्ल्यू616 -------- 18:00 ----------- 21:00 ------- 3ह 00म
_________________________________________________________
एर-इंडिया ------- आई673 --------- 19:55 ----------- 22:35 ------- 2ह 40म
_________________________________________________________
इंडिगो --------- 6ए321 --------- 20:40 ----------- 23:25 ------- 2ह 45म
_________________________________________________________
जेटायर ---------- 9डब्ल्यू628 -------- 21:05 ----------- 00:10 ------- 3ह 05म
_________________________________________________________

मैने फ्लाइट शेड्यूल मे वापसी की फ्लाइट देखी और फिर अजय से कहा.

मैं बोला “ये शाम को 4:00 बजे वाली फ्लाइट ठीक रहेगी. इस से मैं शाम को 6:45 पर यहाँ पहुच जाउन्गा.”

अजय बोला “ठीक है. मैं इन दोनो की टिकेट करवाने की कोशिश करता हूँ.”

अभी हमारी बात चल ही रही थी कि, तभी मेरा मोबाइल बज उठा. जिसे सुन कर मेरे साथ साथ अजय भी चौक गया. क्योकि इतनी समय किसी का फोन आने की मुझे कोई उम्मीद नही थी. अजय के भी चौकने की वजह शायद यही थी. मैं कॉल नही उठा रहा था तो, अजय ने कहा.

अजय बोला “अरे देख तो लो किसका फोन है. अब कोई इतनी समय कॉल कर रहा है तो, कोई ज़रूरी कॉल ही होगी.”

मैने अपना मोबाइल निकल कर देखा तो, कीर्ति का कॉल आ रहा था. मैने सोचा कि शायद दूसरा मोबाइल बंद हो गया होगा. इसलिए वो इसमे कॉल कर रही है. मैने जब अपने जेब मे मोबाइल देखा तो, वो अभी भी चालू था.

अब मैं अजय के सामने वो मोबाइल निकाल कर उसे ये जताना नही चाहता था कि, इतनी देर से जो सब बातें चल रही थी. उन्हे दूसरे मोबाइल पर कीर्ति सुन रही थी. इसलिए मैने वो मोबाइल नही निकाला मगर मुझे कीर्ति के कॉल करने का मतलब समझ मे नही आ रहा था.

मैने उसे मना भी किया था कि, मैं अजय के सामने उस से बात नही करूगा. फिर भी वो कॉल लगा रही थी. उसका ऐसा करना मुझे अच्छा नही लगा और मैने उसका मोबाइल ऐसे ही बजने दिया.

बजते बजते मोबाइल अपने आप बंद हो गया. लेकिन उसके बंद होते ही उसने दोबारा कॉल लगाना शुरू कर दिया. उसकी इस हरकत से मुझे और भी ज़्यादा चिड छूटने लगी और मैने उसके कॉल को बजने दिया.
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RE: MmsBee कोई तो रोक लो - by desiaks - 09-09-2020, 01:52 PM
(कोई तो रोक लो) - by Kprkpr - 07-28-2023, 09:14 AM

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