MmsBee कोई तो रोक लो
09-09-2020, 01:53 PM,
#85
RE: MmsBee कोई तो रोक लो
75
कीर्ति का कॉल आ रहा था और मैं अजय के मेरे साथ होने की वजह से, उसके कॉल को देख कर भी अनदेखा कर रहा था. फिर अचानक से कीर्ति का कॉल आना बंद हो गया. मैं समझ गया कि, अब वो मुझे मेसेज करेगी.

मैं कीर्ति के मेसेज आने का इंतजार करने लगा. लेकिन जब अजय ने देखा कि, इतने कॉल आने के बाद भी मैने कॉल नही उठाया. तब उस ने मुझसे कहा.

अजय बोला “यार इतना तो मैं समझ सकता हूँ कि, ये किसकी कॉल आ रही थी. तुम्हे उस से एक बार, बात कर लेना चाहिए था. यदि तुमको मेरे सामने बात करने मे परेसानी है. तो मैं गाड़ी रोक देता हूँ. तुम किनारे जाकर, उस से बात कर लो.”

मैं बोला “ऐसी कोई बात नही है. मैं सिर्फ़ इसलिए बात नही कर रहा था कि, मैं अब उस से आमने सामने बात करना चाहता हूँ. वैसे भी अब मुझे, उसके पास पहुचने मे, ज़्यादा समय तो लगना नही है.”

अजय बोला “तुम्हारी फ्लाइट तो 6 बजे की है और अभी तो सिर्फ़ 4 बजे है. ऐसे मे यदि तुम उस से बात करके उसे बता दोगे कि, तुम आ रहे हो. तब उसे भी शांति मिल जाएगी. मैं गाड़ी रोकता हूँ. तुम उस से बात कर लो.”

मैं कीर्ति से अजय के सामने बात करना नही चाहता था. लेकिन अजय की इस बात के बाद, मेरे पास अजय के सामने, कीर्ति से बात करने के सिवा, कोई रास्ता नही बचा था. मैने अजय से कहा.

मैं बोला “तुम्हे गाड़ी रोकने की कोई ज़रूरत नही है. यदि अब उसका कॉल आएगा तो, मैं उस से ज़रूर बात कर लूँगा.”

अजय बोला "गुड, ये हुई ना कोई बात. हम लोग पहले मेरे घर चल रहे है. वहाँ चल कर मैं अपने कपड़े और ये गाड़ी बदल लूँगा. फिर हम एरपोर्ट चलेगे."

मैं बोला "ओके, जैसा तुम्हे ठीक लगे."

मेरी अजय से इतनी बात हुई. हमारी सारी बातें तो, कीर्ति सुन ही रही थी. शायद यही वजह थी कि, उसने मेसेज ना करके फिर से कॉल लगा दिया. इस बार मैने उसका कॉल उठाया और अंजान बनते हुए, उस से कहा.

मैं बोला “क्या हुआ. तुम अभी तक जाग क्यो रही हो. मैने तुमसे कहा तो था कि, मैं सुबह तक वहाँ पहुच जाउन्गा. फिर तुम्हे सो जाना चाहिए था.”

कीर्ति बोली “झूठे, अपने दोस्त के सामने कितने भोले बन रहे हो. उसे नही पता कि, मैं बहुत देर से तुम लोगों की सारी बात सुन रही हूँ. यदि तुम्हारी ये पोल खुल जाए तो, वो भी कहेगा कि ये लड़का तो बिल्कुल जलेबी की तरह सीधा निकला. हा हा हा..."

ये बोल कर वो खिल खिला कर हँसने लगी. उसे इस तरह से हंसते देख कर मुझे बहुत शांति मिली. मेरे चेहरे पर भी अब मुस्कुराहट आ गयी थी. मैने थोड़ी देर पहले उस के, कॉल आने से चिड जाने की बात को भूल कर, उस से बड़े प्यार से कहा.

मैं बोला “ये फालतू की बात छोड़ और ये बता कि, तू अभी तक सोई क्यो नही. क्या तुझे सुबह मुझसे मिलना नही है.”

कीर्ति बोली "इसीलिए तो नही सो रही हूँ. मैं अब तुमसे मिलने के बाद ही सोउंगी."

मैं बोला "ये ठीक बात नही है. तुझे मेरे वहाँ आने तक, थोड़ा आराम कर लेना चाहिए. मुझे अभी वहाँ पहुचने मे बहुत समय लगेगा. ऐसे मे तू क्यो अपनी नींद खराब कर रही है."

मगर अब कीर्ति मुझे वहाँ आता देख कर बहुत खुश लग रही थी. अब उसका मूड बहुत अच्छा था और वो मस्ती करते हुए मेरी बात के जबाब मे गाना गाने लगी..

कीर्ति बोली
"हूओ नींद चुराई मेरी,
किसने ओ सनम,
तू ने, तू ने.
हां चैन चुराया मेरा
किसने ओ सनम,
तू ने, तू ने.
हूओ दिल मे मेरे,
रहने वाला, कौन है,
तू है, तू है."

मुझे उसका गाना गाने का अंदाज ऐसा लग रहा था. जैसे वो नाच नाच कर गाना गा रही हो. उसकी इस हरकत पर मैं हँसे बिना ना रह सका. मैने उसे बीच मे ही रोकते हुए कहा.

मैं बोला "चल अब अपना मूह बंद कर और ये बता तूने अभी कॉल क्यो किया."

कीर्ति बोली “ओये जान, तुम पागल हो गये हो क्या. मैं यदि अपना मूह बंद रखुगी तो, फिर बताउन्गी कैसे.”

मैं बोला “तू फिर शुरू हो गयी. तुझे यदि ऐसे ही बकवास करना है तो, मैं कॉल रखता हूँ."

कीर्ति बोली “अरे सॉरी सॉरी जान. प्लीज़ कॉल मत रखना. मुझे तुमसे सच मे बहुत ज़रूरी बात करना है.”

मैं बोला “नही रख रहा हूँ. अब तू बोल तुझे क्या बात करनी है.”

कीर्ति बोली "बताती हूँ, मगर पहले तुम बोलो कि, तुम मेरी बात सुन कर, मुझ पर गुस्सा नही करोगे."

मैं बोला "ओके मैं गुस्सा नही करूगा. अब बोल तुझे क्या बोलना है."

कीर्ति बोली "जान मैं तुमसे 2 बात कहना चाहती हूँ. पहली तो ये कि, तुम यहाँ से वापस लौटने की टिकेट, 4 बजे की जगह 5 बजे के बाद की करवा लो."

मैं बोला "ऐसा क्यो."

कीर्ति बोली "ऐसा करने से मुझे, तुम्हारे साथ थोड़ा ज़्यादा रहने को मिल जाएगा."

मैं बोला “लेकिन तू जानती है. मुझे यहाँ जल्दी वापस लौटना है."

कीर्ति बोली "ऐसा करने से भी तुम्हारे वहाँ लौटने मे कोई ज़्यादा फ़र्क नही पड़ेगा. लेकिन मेरे लिए, ये एक घंटा बहुत मायने रखता है. प्लीज़ जान मेरी खातिर ऐसा कर लो ना."

मैं बोला "ठीक है, कर लेता हूँ. अब तू अपनी दूसरी बात बोल."

कीर्ति बोली "दूसरी बात ये है कि, तुम अपने यहाँ आने की बात किसी को मत बताओ. यदि तुम सबको बता कर यहाँ आओगे तो, सब के मन मे बहुत से सवाल पैदा हो जाएगे. मैं चाहती हूँ कि, तुम यहाँ सिर्फ़ मुझसे मिलकर वापस चले जाओ."

मैं बोला "तू इतनी स्वार्थी कब से हो गयी है. तुझे बस अपनी ही पड़ी है. क्या बाकी सबका मुझसे मिलने का मन नही कर रहा होगा."

कीर्ति बोली "सॉरी जान. मेरे कहने का ये मतलब हरगिज़ नही था. मैं तो ये बात इसलिए कह रही थी कि, ऐसे समय मे तुम्हारा वहाँ से, बिना किसी वजह के यहाँ वापस आना. सबके मन मे शक़ पैदा कर देगा."

मैं बोला "तेरा कहना ठीक है. लेकिन मुझे यहाँ से दिन भर गायब रहने की वजह भी तो, कुछ बताना पड़ेगी. मैं बिना कुछ बोले तो, यहाँ से गायब नही हो सकता."

कीर्ति बोली "इसमे कोई बड़ी बात नही है. जैसे तुम अपने जनम दिन वाले दिन, दिन भर गायब रहे थे और अपने दोस्त के साथ मुंबई घूमने का बहाना बनाए थे. वैसा ही कुछ बहाना, आज के लिए भी बना देना."

मैं बोला "लेकिन तब ये बात मेरे और अजय के सिवा, किसी को नही मालूम थी. मगर आज तो मैं निक्की से बोल कर आया हूँ कि, मैं कहाँ जा रहा हूँ. क्या ऐसे मे कोई बहाना बनाना ठीक रहेगा."

कीर्ति बोली "तुम पहले अपने दोस्त के साथ मिलकर, ये सोच लो कि, सब से क्या बोलना है. फिर फोन करके ये बात निक्की को बता देना. मुझे नही लगता कि, निक्की ये बात किसी को बताएगी."

मैं बोला "ठीक है, मैं देखता हूँ कि, मैं क्या कर सकता हूँ. अब तू फोन रख और सो जा."

कीर्ति बोली "नही जान, जब तक तुम प्लेन मे नही बैठ जाते. तब तक मैं तुम्हारे साथ रहना चाहती हूँ. तुम्हारे प्लेन मे बैठते ही, मैं 2 घंटे सो लुगी."

मैं बोला "जैसी तेरी मर्ज़ी. तुझे यदि इसी मे खुशी मिल रही है तो, अब मैं तुझे नही रोकुगा. लेकिन अब तू फोन रख और मुझे ज़रा सोचने दे."

कीर्ति बोली "ओके जान, मैं ये फोन रखती हूँ. लेकिन दूसरे फोन पर, मैं तुम्हारे साथ बनी हुई हूँ."

मैं बोला "ओके."

इसके बाद कीर्ति ने फोन रख दिया. उसके फोन रखने के बाद ही, अजय का घर आ गया. जिस वजह से, इस बात को लेकर हमारे बीच कोई बात ना हो सकी. अजय के घर पहुचने पर, अजय ने कपड़े और गाड़ी बदली. फिर हम एरपोर्ट के लिए निकल पड़े. मुझे खामोश देख कर अजय ने कहा.

अजय बोला "किस बात को लेकर इतना सोच मे डूबे हुए हो. मुझे बताओ, शायद मैं तुम्हारी कुछ मदद कर सकूँ."

मैं बोला "यार वो बोल रही है कि, मैं अपने घर वापस जाने की बात किसी को ना बताऊ. इस से सब के मन मे कयि सवाल पैदा हो जाएगे. इसलिए मैं दिन भर गायब रहने के लिए, कोई दूसरा बहाना बना दूं."

अजय बोला "बात तो उसकी बिल्कुल सही है. अचानक तुम्हारे इस तरह घर वापस लौटने को लेकर, सच मे बहुत सी बातें पैदा हो जाएगी. इस सबसे बचने का रास्ता तो यही है कि, तुम कोई ऐसा बहाना बना दो. जिस से सबको यही लगे कि, तुम मुंबई मे ही कहीं हो."

मैं बोला "ऐसा कोई बहाना बना पाना मुमकिन सा नही लग रहा है. क्योकि यहाँ मैं किसी को जानता नही हूँ. ऐसे मे मेरा सुबह से लेकर रत तक गायब रहना और भी सबको परेसानी मे डाल देगा."

अजय बोला "मुझे एक रास्ता समझ मे आ रहा है. लेकिन पता नही कि, वो काम भी करेगा या नही."

मैं बोला "कौन सा रास्ता."

अजय बोला "तुम डॉक्टर. अमन को जानते हो."

मैं बोला "हाँ, निक्की ने मेरा उन से परिचय करवाया था."

अजय बोला "कहीं तुम उसी निक्की की बात तो नही कर रहे. जो उस समय तुम्हारे साथ थी. जब तुम पहली बार मेरी टॅक्सी मे बैठे थे."

मैं बोला "हाँ मैं उसी निक्की की बात कर रहा हूँ."

अजय बोला "तब तो तुम बिल्कुल बेफिकर हो जाओ. निक्की से मेरी बात करवाओ."

मैं बोला "तुम निक्की को जानते हो."

अजय बोला "क्या निक्की ने कभी तुम्हे बताया नही कि, वो मुझे जानती है."

मैं बोला "उसने मुझसे आज ही कहा कि, वो तुम्हे बहुत अच्छे से जानती है."

अजय बोला "जैसे वो मुझे जानती है. वैसे ही मैं भी उसे जानता हूँ. लेकिन अभी इन सब बातों का समय नही है. तुम मेरी उस से बात करवाओ. मैं सब कुछ ठीक कर देता हूँ."

मैं बोला "लेकिन इतने समय उस से बात करना ठीक नही होगा. मैने उसे एक बार पहले ही, गहरी नींद से जगा दिया था. यदि हम कुछ देर रुक कर बात करे तो, अच्छा रहेगा."

अजय बोला "तुम इस बात की चिंता मत करो. तुम बस उसे फोन लगा कर मुझे दे दो."

मैने आख़िर मे निक्की को कॉल लगाकर मोबाइल अजय को दे दिया. कुछ देर बाद अजय की निक्की से बात होने लगी. अजय को निक्की बहुत अच्छी तरह से जानती थी. ये बात तो वो पहले ही मुझसे कह चुकी थी और फिर दोनो को बात करते देख कर मुझे भी इस बात पर पूरा यकीन हो गया.

दोनो मे बहुत अच्छे से बात चल रही थी. अजय निक्की से कह रहा था.

अजय बोला "देखो बाकी सब मैं संभाल लुगा. तुम बस उतना करो, जितना मैं तुमसे कह रहा हूँ. आज जब कोई तुमसे पुन्नू के बारे मे पुछे, तब तुम्हे सब से यही कहना है कि, पुन्नू को सुबह सुबह डॉक्टर. अमन का फोन आया था और उनकी पुन्नू से कोई बात हुई थी. जिसके बाद पुन्नू को लेने डॉक्टर. अमन की गाड़ी आई थी और पुन्नू सुबह सुबह ही डॉक्टर. अमन से मिलने निकल गया था. यही बात तुम हॉस्पिटल मे पुन्नू के दोस्त से कह देना."

निक्की बोली "...................." "लेकिन दोपहर को तो वहाँ राज और बाकी के लोग आ जाएगे. वो नही पूछेंगे कि, पुन्नू अभी तक क्यो नही आया."

अजय बोला "उसके पहले पुन्नू का दोस्त खुद तुमको बताए कि, डॉक्टर. अमन ने पुन्नू को कुछ ज़रूरी दवाइयाँ लेकर अपने किसी दोस्त के पास भेजा है. पुन्नू देर रात तक वापस लौट पाएगा."

निक्की बोली "..................." "लेकिन ये बात उसको कौन बताएगा."

अजय बोला "ये बात पुन्नू खुद अपने दोस्त से अभी फोन करके बता देगा कि, डॉक्टर. अमन को हमारे शहर मे अपने दोस्त किसी दोस्त के पास कुछ ज़रूरी दवाइयाँ भेजना है. इसलिए वो मुझे फ्लाइट से वहाँ भेज रहे है. मैं शाम तक वापस आ जाउन्गा. मैने निक्की को बता दिया है कि, मैं डॉक्टर अमन के पास जा रहा हूँ और वो हॉस्पिटल मेरे समय पर तुम्हारे पास आ जाए. उस समय मुझे नही मालूम था कि, डॉक्टर अमन मुझे किस लिए बुला रहे है. लेकिन जब उन्हो ने मुझे ये काम बताया तो, मैं उन्हे मना भी नही कर पाया. मेरी अभी 6 बजे की फ्लाइट है और वहाँ से शाम की वापसी की फ्लाइट है. अब निक्की शायद फिर से सो गयी होगी. जिस वजह से मैने उसको फोन लगा कर ये सब बताना ठीक नही समझा. इसलिए जब वो तेरे पास आए. तब तू उसे ये सब कुछ बता देना. वैसे मैने उस से ये तो बोल दिया था कि, पता नही डॉक्टर. अमन के पास से मुझे वापस आने मे कितना समय लगे. इसलिए तुम हॉस्पिटल मे रुके रहना."

निक्की बोली "...................." "ये तो बहुत कमाल का तरीका है. सिर्फ़ थोडा सा झूठ और पूरी सच्चाई. आपका दिमाग़ तो कमाल का है."

अजय बोला "दिमाग़ का छोड़ो और बस जैसा मैने कहा है. तुम वैसा कर लेना. मैं अमन को भी सारी बात बता दूँगा."

इसके बाद अजय ने कॉल रख दिया और मुझसे मेहुल को कॉल करने को कहा. मैने मेहुल को कॉल लगाया तो, वो पहले इतने समय मेरा कॉल आया देख कर चौक गया. फिर मैने अजय के कहे अनुसार उस को सारी बात बताता चला गया.

जिसको सुनने के बाद मेहुल ने कहा कि "ये तूने ठीक किया. डॉक्टर. अमन ने हमारी बहुत मदद की है. निक्की आएगी तो, मैं उसे सारी बात बता दूँगा. दिन मे तो यहाँ सभी लोग आते जाते रहते है. दोपहर तक राज भी यहाँ आ जाएगा. अब पापा की तबीयत भी बिल्कुल ठीक है. ऐसे मे तू यहाँ की चिंता मत कर और बेफिकर होकर जा."

मैं बोला "ठीक है. तू आज दिन का बस वहाँ का देखे रहना. मैं आज रात हॉस्पिटल मे रुक जाउन्गा."

मेहुल बोला "तुझे रात को हॉस्पिटल मे रुकने की कोई ज़रूरत नही है. जैसा चल रहा है, वैसा ही चलने दे. वैसे भी तू दिन भर के सफ़र से थका हुआ रहेगा. ऐसे मे तुझे आराम की भी ज़रूरत है."

मैं बोला "आबे मुझे किसी आराम की ज़रूरत नही है. मैं सब संभाल लूँगा."

मेहुल बोला "मुझे मालूम है कि, तू सब संभाल लेगा. लेकिन तू मुझे बेवकूफ़ समझना बंद कर दे. मैं जानता हूँ कि, तू ये बात क्यों कह रहा है. तुझे ये लग रहा है कि, कहीं तेरे ना रहने पर मैं पापा को हॉस्पिटल मे छोड़ कर आराम से सोता ना रहूं. इसलिए तू चाहता है कि, मैं दिन मे थोड़ा बहुत आराम कर के पापा के पास रहूं और तू रात को आकर रह लेगा. मगर इस सब की कोई ज़रूरत ही नही है."

मैं बोला "तू सच मे बहुत समझदार हो गया है. लेकिन इस सब की ज़रूरत क्यो नही है."

मेहुल बोला "क्योकि पापा अब बिल्कुल ठीक है और तूने खुद दिन मे यहाँ रह कर देखा है. क्या तुझे ऐसा कभी लगा है कि, राज या निक्की हम लोगों से कम पापा का ख़याल रखते है. फिर भी मैं तेरी बात को नही काटुगा और जब राज दोपहर को खाना खाने घर आएगा. तब 2 बजे से 5 बजे तक मैं हॉस्पिटल मे रुक जाउन्गा. उसके बाद 2-3 घंटे घर आकर आराम कर लूँगा. इस से मुझे रात को रुकने मे कोई परेसानी नही होगी."

मैं बोला "ठीक है, जैसी तेरी मर्ज़ी."

इसके बाद मैने कॉल रख दिया. फिर मेरी अजय ने डॉक्टर. अमन को कॉल करके सारी बात बताई और उसे कुछ समझाया. जिसको करने को डॉक्टर. अमन भी तैयार हो गया. उसके बाद मेरी थोड़ी बहुत इसी बारे मे अजय से बात होती रही.

बातों बातों मे हम लोग एरपोर्ट पहुच गये. वहाँ पहुच कर अजय ने मेरी टिकेट का भी इंतेजाम करवा दिया. मैने वापसी की टिकेट शाम को 4 बजे की जगह 6 बजे वाली करवा ली थी. इस सब के चलते कीर्ति मोबाइल पर मेरे साथ बराबर बनी रही.

अजय ने मुझे टिकेट पकड़ाए और फिर हम लोग कॉफी पीने चले गये. मैने कॉफी पीते हुए अजय से पूछा.

मैं बोला "अज्जि यदि बुरा ना मानो तो, एक बात पुछु."

अजय बोला "दोस्तों की बात का मैं कभी बुरा नही मानता. तुम जो चाहे वो पुछ सकते हो."

मैं बोला "अज्जि रह रह कर एक बात मेरे मन मे आ रही है कि, हमारी दोस्ती को अभी ज़्यादा समय भी नही हुआ. तुम मेरे बारे मे ज़्यादा कुछ जानते भी नही हो. फिर भी तुमने मेरे लिए इतना सब कुछ किया है. क्या ये सब करने की कोई खास वजह है या फिर ये सब ऐसे ही किया है."

अजय बोला "दोस्ती नयी या पुरानी नही होती. मैने तुमको दोस्त माना है तो, तुम्हारे लिए कुछ भी करना मेरा फर्ज़ बनता है. हाँ लेकिन तुमसे दोस्ती करने के पिछे ज़रूर खास वजह है."

मैं बोला "क्या."

अजय बोला "मैने पहली बार तुम्हे तब देखा था. जब तुम निक्की के सामने अपनी फ्रेंड के साथ मेरी टॅक्सी मे बैठे थे. वैसे तो मेरी टॅक्सी मे लड़के लड़कियाँ बैठे क्या कर रहे है. मैं कभी इस बात पर ध्यान ही नही देता. लेकिन निक्की को मैं जानता था. इस वजह से मेरी तुम दोनो मे खास दिलचस्पी थी और मैं ना चाहते हुए भी अपना ध्यान तुम लोगों पर से ना हटा सका.

तुम्हारे साथ जब रिया मस्ती कर रही थी. तब मुझे ये देख कर ताज्जुब हो रहा था कि, ये लड़का किस मिट्टी का बना हुआ है. जो एक लड़की इसको खुला आमंत्रण दे रही है और ये पोंगा पंडित बना बैठा हुआ. फिर मेरी तुमसे बात हुई तो, पता चला कि, तुम किसी से प्यार करते हो. मुझे ये देख कर अच्छा लगा कि, तुम अपने प्यार के प्रति पूरी तरह से ईमानदार हो.

मैं भी तुम्हारी तरह इस शहर मे नया ही हूँ. मेरे यहाँ सिर्फ़ 2 दोस्त ही है और गिने चुने लोग ही मुझे जानते है. जिसकी वजह से मैने तुम्हारी तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ाया था और इसी वजह से मैं शराब पीने के लिए उस दिन अपने घर ले गया था. क्योकि मैं नही चाहता था कि, तुम्हारे साथ कुछ ग़लत हो. लेकिन मुझे उस समय ये बात बहुत परेशान कर रही थी कि, तुम्हारे जैसे सच्चे लड़के के साथ, कोई लड़की धोका कैसे कर सकती.

लेकिन आज जब अचानक तुम्हारे मूह से, उस लड़की से मिलने जाने की बात सुनी तो, मुझे बेहद खुशी हुई. मैं भी चाहता था कि, तुम हर हाल मे अपने प्यार से जाकर मिलो. इसलिए मुझसे तुम्हारे लिए, जो कुछ भी करते बना, मैने वो किया."

मैं बोला "अज्जि लेकिन मेरा सवाल वही का वही है. तुम्हारे ये सब करने की वजह क्या है."

अजय बोला "इस सब की वजह ये है कि, मैं भी तुम्हारी तरह, किसी से बेहद प्यार करता हूँ. मगर मुझे मेरा प्यार नही मिल रहा है. अब जिस प्यार करने वाले के नसीब मे किसी का प्यार ना हो. उसे सिर्फ़ दो बातों से ही शांति मिलती है. या तो वो दो प्यार करने वालों को जुदा कर दे. या फिर दो प्यार करने वालों को मिला दे. लेकिन मैं प्यार के दर्द को बहुत अच्छी तरह से जानता हूँ. इसलिए मैने दो प्यार करने वालों को मिलने की कोसिस की है."

मैं बोला "मुझे तुम्हारे बारे मे जानने की बहुत इच्छा हो रही है. समझ मे नही आ रहा है कि, तुम इस तरह की दोहरी जिंदगी क्यो जी रहे हो."

अजय बोला "किसी दिन तुम्हे फ़ुर्सत मे सब कुछ बताउन्गा. अभी तो तुम खुशी खुशी अपने प्यार से मिल कर आओ."

हम लोग ऐसे ही बहुत देर तक बात करते रहे. फिर मेरी फ्लाइट की घोषणा हो गयी और मैं अजय से गले मिल कर फ्लाइट की तरफ चल पड़ा. मैने अपना मोबाइल निकाल कर कीर्ति से कहा.

मैं बोला "जान, लो अब मैं फ्लाइट मे बैठने जा रहा हूँ. अब तो तुम सो जाओ."

कीर्ति बोली "लेकिन यदि मैं सो गयी तो, फिर मैं स्कूल नही जा पाउन्गी और फिर मैं तुमसे दिन भर किस बहाने से मिलने निकल सकुगी."

मैं बोला "तुम इसकी चिंता मत करो. अजय ने जो बहाना बनाया है. वही हमारे काम आएगा. हम डॉक्टर. अमन के दोस्त को साथ साथ दवाइयाँ देने चलेगे. तुम बेफिकर होकर सो जाओ. मैं सीधे ही घर ही आ जाउन्गा."

कीरी बोली "ओके अब मैं तुम्हारी बात नही काटुगी. मैं सो जाती हूँ. मुऊऊऊहह."

मैं बोला "मुउउहह."

इसके बाद कीर्ति ने कॉल काट दिया और मैं फ्लाइट मे बैठ गया. आज मुझे एक अजीब ही खुशी का अनुभव हो रहा था. यूँ लग रहा था, जैसे की मैं सालों बाद कीर्ति से मिलने जा रहा हूँ. इस बात को लेकर मेरे मन मे हज़ारों विचारों ने उड़ान भरना सुरू कर दिया था तो, उधर प्लेन भी अब उपर आसमान मे उड़ान भर चुका था.

दोनो की उड़ाने तब तक चलनी थी. जब तक कि उनकी मंज़िल ना आ जाए. मैं कीर्ति के ख़यालों मे खोया हुआ. बस उस पल का इंतजार कर रहा था. जब प्लेन मेरे शहर की धरती पर अपनी ये उड़ान को ख़तम करे. जैसे जैसे समय बीतता जा रहा था. मेरी कीर्ति को देखने की बेसब्री बढ़ती जा रही थी.

मुझे तो ये प्लेन का सफ़र भी बहुत लंबा लग रहा था. मैं बार बार समय देख रहा था कि, अब मुझे पहुँचने मे कितना समय बाकी है. ऐसे ही करते करते मेरा सफ़र ख़तम हो गया और 8:35 बजे प्लेन ने अपनी उड़ान रोक दी. वो मेरे शहर की धरती पर उतर चुका था.

कुछ देर बाद मैं भी प्लेन से बाहर आ गया. अपने शहर की धरती पर मेरे कदम पड़ते ही मेरी खुशी का ठिकाना ना रहा. सबसे मिल सकने की खुशी मेरे चेहरे पर झलकने लगी थी. मैं इसी खुशी के साथ जल्दी जल्दी एरपोर्ट से बाहर आने लगा.

बाहर आते समय मैं यही सोच रहा था कि, मुझे घर मे अचानक देख कर, सब किस तरह से चौक जाएगे. ये सब सोच सोच कर मैं मन ही मन मुस्कुराते हुए, बाहर आ रहा था. लेकिन मैं नही जनता था कि, अब चौकने की बारी मेरी है.

मैं अभी बाहर निकलने ही वाला था कि, तभी मुझे अपने कानो मे, एक आवाज़ सुनाई दी. जिसे सुनकर मैं चौके बिना ना रह सका. मुझे अपने कानो पर विस्वास नही हो रहा था.

मैने पलट कर उस तरफ देखा, जहाँ से आवाज़ आई थी. मगर अब जो नज़ारा मेरी आँखों के सामने था. उसे देख कर मुझे अपनी आँखों पर भी विस्वास नही हो रहा था.

Reply


Messages In This Thread
RE: MmsBee कोई तो रोक लो - by desiaks - 09-09-2020, 01:53 PM
(कोई तो रोक लो) - by Kprkpr - 07-28-2023, 09:14 AM

Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,444,875 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 538,074 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,209,664 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 914,435 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,620,946 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,053,954 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 2,906,518 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 13,907,838 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 3,974,251 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 279,656 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 9 Guest(s)