MmsBee कोई तो रोक लो
09-09-2020, 01:55 PM,
#88
RE: MmsBee कोई तो रोक लो
78
अमि निमी दोनो मेरे सामने खड़ी खिलखिला रही थी. अमि ने रेड टॉप और ब्लॅक स्कर्ट पहना हुआ था और निमी वाइट फ्रॉक मे थी. उस समय दोनो किसी परी की तरह ही सुंदर लग रही थी.

मैने हसरत भरी नज़र से कीर्ति की तरफ देखा. कीर्ति भी उन को देख कर मुस्कुरा रही थी. उसने दोनो से मुस्कुराते हुए कहा.

कीर्ति बोली “तुम दोनो तो ऐसे तैयार होकर आ गयी. जैसे तुम किसी पार्टी मे जा रही हो. अरे हम लोग काम से जा रहे है. ऐसे मे तुम्हारे ये कपड़े पहने का क्या मतलब है.”

अमि बोली “दीदी हमारे लिए भैया के साथ जाना, किसी पार्टी मे जाने से कम नही है. अब आप टाइम बर्बाद मत करो और जल्दी से अपनी स्कूटी निकालो.”

कीर्ति बोली “मैं अपनी स्कूटी क्यों निकालु. क्या तुम लोग अपने भैया के साथ नही जा रही हो.”

अमि बोली “हम तो भैया के साथ जा रहे है. लेकिन आप भी तो हमारे साथ चल रही है. अब भैया की बाइक मे तो, 4 लोग नही आएगे. ऐसे मे आपको अपनी स्कूटी तो निकालना ही पड़ेगी.”

कीर्ति बोली “मुझे स्कूटी निकालने की कोई ज़रूरत नही है. पहले तुम लोग जाकर अपने भैया के साथ घूम आओ. तब तक मैं वेट करती हूँ. जब तुम लोग वापस आ जाओगी. तब मैं चली जाउन्गी.”

अमि बोली “पर हम घूमने कहाँ जा रहे है. भैया तो अपना काम करेगे और हम उनके साथ रहेगे.”

कीर्ति बोली “नही तुम लोग अभी घूमने जा रही हो. तुम लोग 1 घंटे मन भर के अपने भैया के साथ जहाँ भी घूमना चाहो. वहाँ घूम कर आ जाओ. लेकिन सिर्फ़ एक घंटे, क्योकि तुम्हारे भैया को अपना काम भी करना है.”

अमि बोली “लेकिन दीदी, भैया के पास घूमने का टाइम कहाँ है.”

कीर्ति बोली “टाइम रहता नही है. निकाला जाता है. अब तुम लोग बातों मे टाइम खराब मत करो और घूमने जाओ. लेकिन ध्यान रखना की, तुम्हे 1 घंटे के अंदर वापस आना है. नही तो तुम्हारे भैया का काम नही हो पाएगा.”

अमि बोली “दीदी आप चिंता ना करे. अभी 11:15 बजा है. हम लोग 12:15 बजे तक वापस आ जाएगे.”

अमि की बात सुन कर कीर्ति ने हंसते हुए, मेरी तरफ देखा. मैं उस से कुछ बोलना चाहता था. लेकिन तभी उस ने मुझे, चुप चाप उनके साथ जाने का इशारा किया.

उसका इशारा पाकर मैने अमि निमी को बाइक मे बैठने को कहा. अमि निमी ने बाइक मे बैठते हुए, कीर्ति को बाइ कहा और फिर हम लोग घूमने के लिए निकल पड़े.

मैं अमि निमी के साथ एक पार्क मे गया. वहाँ पर वो लोग बहुत से झूले झूलती रही और मैं उन्हे हंसते खिलखिलते देखता रहा. ऐसे मे समय का पता ही नही चला कि कब समय बीत गया.

मैने टाइम देखा तो 12:15 बज गया था. मैने अमि निमी से वापस चलने को कहा तो, उन्हो ने भी रुकने की, कोई ज़िद नही की. रास्ते से मैने अमि निमी को चॉक्लेट और आइस क्रीम दिलाई. उसके बाद हम सीधे घर आ गये. हमे घर आते आते 12:30 बज गया था.

कीर्ति हमे घर के बाहर ही इंतजार करते मिली. वो बड़ी बेचेनी से हमारे वापस आने का रास्ता देख रही थी. अमि निमी तो समझ चुकी थी कि, उन्हे आने मे देर हो गयी है. इसलिए वो बाइक से उतरते ही, कीर्ति से कहने लगी.

अमि बोली “सॉरी दीदी, रास्ते मे हम ये चॉक्लेट और आइस क्रीम लेने लगे थे. जिस वजह से हमे आने मे थोड़ी देर हो गयी.”

कीर्ति बोली “नही, तुम लोगों ने आने मे ज़्यादा देर नही की है. सिर्फ़ 15 मिनट ही तो ज़्यादा हुए है. अब तुम लोग अंदर जाओ. नही तो मुझे जाने मे देर ज़रूर हो जाएगी.”

कीर्ति का अच्छा मूड देख कर अमि निमी हँसी खुशी, घर के अंदर जाने लगी और मैं उन्हे अंदर जाते देखता रहा. उनके अंदर चले जाने के बाद कीर्ति ने मुझसे कहा.

कीर्ति बोली “अब अपनी बहनों को घूमना हो गया हो तो, थोड़ा सा वक्त मुझे भी दे दो.”

मैं उसकी इस बात से सकपका गया. मैने जल्दी से अपनी बाइक स्टार्ट की, और कीर्ति के बाइक मे बैठते ही, बाइक आगे बढ़ा दी. कीर्ति आज मुझसे बहुत दूर हट कर बैठी हुई थी.

मैं उस से पास बैठने के लिए बोलना चाह रहा था. लेकिन मुझे उसका मूड कुछ ठीक सा नही लग रहा था. मुझे लगा शायद वो अमि निमी के मेरे साथ जाने को लेकर कुछ नाराज़ है. इसलिए मेरी उस से कुछ बोलने की हिम्मत ही नही हो रही थी.

हम दोनो आपस मे कोई बात भी नही कर रहे थे. जब काफ़ी देर तक हम ऐसे ही खामोश रहे. तब मैने खुद ही बात करने की पहल करते हुए कीर्ति से कहा.

मैं बोला “हमे कहाँ चलना है. कुछ बताएगी, या यू ही सड़क पर बाइक घुमाता रहूं.”

कीर्ति बोली “मुझे क्या मालूम. तुम जहाँ चलना चाहो, वहाँ ले चलो. अभी तो हमारे पास 3-4 घंटे है.”

उसकी इस बात से मुझे बात करने की थोड़ी हिम्मत मिली. मैने उस से पुछा.

मैं बोला “क्या तू मुझसे नाराज़ है.”

कीर्ति बोली “नही तो, तुम्हे ऐसा क्यो लग रहा है.”

मैं बोला “तू इतना चुप चुप बैठी है. इसलिए मुझे लगा कि, शायद तू किसी बात पर मुझसे नाराज़ है.”

कीर्ति बोली “चुप तो इसलिए बैठी हूँ, क्योकि समझ मे नही आ रहा कि, क्या बात करूँ.”

मैं बोला “क्या तुंझे अमि निमी का, मेरे साथ जाना पसंद नही आया.”

कीर्ति बोली “ऐसी कोई बात नही है. उनका भी तो तुम पर हक़ बनता है. मैं तुम्हे उनसे दूर क्यो करना चाहुगी.”

मैं बोला “तब तो तू सच मे, इसी बात को लेकर नाराज़ है. नही तो तू इस तरह से बात नही करती.”

कीर्ति बोली “नही, मैं सच मे किसी बात से नाराज़ नही हूँ.”

मैं बोला “नही कोई तो बात ज़रूर है. वरना तू इस तरह चुप रहने वालों मे से नही है.”

कीर्ति बोली “कुछ नही. बस ऐसे ही.”

मैं बोला “बता ना, क्या बात है. अचानक ऐसी क्या बात हो गयी. जिसने तुझे इतना परेशान कर दिया.”

कीर्ति बोली “बात तो कुछ भी नही है, और बहुत कुछ भी है. अमि निमी मुझे कितना प्यार करती है. मगर कल जब वो बड़ी हो जाएगी और उन्हे हमारे रिश्ते का पता चलेगा. क्या तब भी वो मुझे इतना ही प्यार कर सकेगी.”

मैं बोला “बस इतनी सी बात ने तुझे परेशान कर दिया. मैं बाकी सब का तो नही जानता. मगर अमि निमी के बारे मे, इतना ज़रूर कह सकता हूँ कि, वो हमारे बारे मे जानने के बाद भी हमें उतना ही प्यार करेगी. जितना की अभी करती है.”

कीर्ति बोली “यदि ऐसा ना हुआ, तब क्या करोगे.”

मैं बोला “तब हम दोनो, ये शहर छोड़ कर चले जाएगे और कहीं दूर जाकर अपनी नयी दुनिया बसाएगे.”

कीर्ति बोली “यही तो मेरी परेशानी की वजह है. मैं तुम्हे किसी से दूर करना नही चाहती और यदि मान लो ऐसा हो भी गया तो, क्या तब तुम अमि निमी के बिना रह सकोगे.”

मैं बोला “मुझे नही, ये फ़ैसला तो, आगे जाकर अमि निमी को करना है. क्या वो मेरी खुशी के साथ खुश रहना पसंद करेगी, या मेरे बिना रहना पसंद करेगी.”

कीर्ति बोली “तुम्हे क्या लगता है. वो क्या पसंद करेगी.”

मैं बोला “मैं तुझे पहले ही बता चुका हूँ कि, अमि निमी हमारे बारे मे जानने के बाद भी हमें उतना ही प्यार करेगी. जितना अभी करती है. ये हो सकता है कि, वो हमारे रिश्ते से कुछ देर के लिए नाराज़ हो जाए. मगर हमें छोड़ने का फ़ैसला वो कभी नही कर सकती. क्या तुझे मेरी बात पर विस्वास नही है.”

कीर्ति बोली “नही ऐसी बात नही है. मेरे मन में भी यही बात थी. मैं सिर्फ़ तुमसे सुनना चाहती थी.”

मैं बोला “ऐसा क्यो.”

कीर्ति बोली “मैं नही चाहती कि, मेरी वजह से तुम्हे इतनी प्यारी बहनों को खोना पड़े.”

मैं बोला “वो तो मैं देख चुका हूँ. तेरी जगह यदि कोई और होता तो, अमि निमी को मेरे साथ भेजने की बात तो दूर थी. वो मुझसे इस बात को लेकर नाराज़ ही हो गया होता.”

कीर्ति बोली “इसमे नाराज़ होने की बात ही नही थी. जितना प्यार तुम उनसे करते हो. उतना प्यार मुझे भी उनसे है. जैसे तुम्हे उनका उतरा हुआ चेहरा नही देख सकते. वैसे ही मैं भी उनका उतरा हुआ चेहरा नही देख सकती.”

मैं बोला “एक बात पुच्छू.”

कीर्ति बोली “पुछो.”

मैं बोला “यदि तुम्हे अमि निमी और मुझमे से किसी एक को चुनना पड़े तो, तुम किसे चुनोगी.”

कीर्ति बोली “ये फ़ैसला करना बहुत मुश्किल है. लेकिन फिर भी यदि ऐसा कभी हुआ तो, मैं अमि निमी को चुनूँगी.”

मैं बोला “वो क्यो. क्या तुझे, मुझसे ज़्यादा अमि निमी से प्यार है.”

कीर्ति बोली “प्यार तो मैं अपने परिवार के हर एक सदस्य से बहुत करती हूँ. लेकिन मेरे लिए तुम सब से उपर हो.”

मैं बोला “फिर तू मुझे छोड़ कर अमि निमी को क्यो चुनेगी.”

कीर्ति बोली “क्योकि मैं जानती हूँ कि, भले ही तुम मुझे अपनी जान मानते हो, पर अमि निमी तुम्हे अपनी जान से ज़्यादा प्यारी है. ऐसे मे यदि मैं उनको चुनुगी. तब भी मैं एक तरह से तुम्हे ही चुनुगी.”

मैं बोला “तू इतनी बड़ी बड़ी बातें इतनी आसानी से कैसे सोच लेती है.”

कीर्ति बोली “”इसमे सोचना क्या है. ये मेरी वो भावनाएँ है. जो मेरे दिल मे तुम सब के लिए है. भला भावनाओं को जाहिर करने के लिए किसी को सोचने की ज़रूरत क्यो पड़ेगी.”

मैं बोला “एक बात और बोलूं.”

कीरी बोली “बोलो.”

मैं बोला “यार घर तो अब बहुत पिछे निकल गया है. अब तो तुम पास आकर बैठ जाओ. मुझसे तुमसे इतनी दूर नही रहा जा रहा है.”

मेरी बात सुनकर कीर्ति ने मेरी पीठ पर एक मुक्का मारा और बिल्कुल मेरे से सट कर बैठ गयी. उसने अपना सर मेरी पीठ पर टिका दिया और मुझसे कहने लगी.

कीर्ति बोली “तुम मुंबई जाकर बहुत बोलने लग गये हो.”

मैं बोला “अब इसमे मुंबई की बात कहाँ से आ गयी. मैं तुमसे इतने दिन बाद मिल रहा हूँ और तुम हो कि, मेरे पास ही नही आ रही थी. तुम्हारा मन तो ज़रा भी मेरे पास आने का नही किया.”

कीर्ति बोली “अच्छा, मेरा मन तुम्हारे पास आने का नही है तो, फिर तुम्हे मुंबई से यहाँ किसने बुलाया.”

मैं बोला “अरे ये बात तो मैं पुच्छना भूल ही गया. तू ये बता, तुझे अचानक ऐसा क्या हो गया था. जो तूने मुझे यहाँ बुला लिया.”

कीर्ति बोली “क्यो, क्या मेरे पास दिल नही है. क्या मुझे तकलीफ़ नही होती. क्या मेरा मन तुम्हे देखने का नही करता.”

मैं बोला “वो तो ठीक है. लेकिन सिर्फ़ कुछ दिन की ही तो बात थी. मैं कोई घूमने तो वहाँ गया नही हूँ. ये तो तू भी अच्छे से जानती है.”

कीर्ति बोली “मैं सब जानती हूँ. लेकिन तुमने ही मेरी सोई हुई भावनाओं को जगा दिया था. फिर मैं अपने आप पर काबू नही रख सकी.”

मैं बोला “क्यो, मैने ऐसा क्या कर दिया था.”

कीर्ति बोली “तुमने ही मुझसे मेरी डाइयरी पढ़ने की ज़िद की थी. उसमे डाइयरी मे, मैं अपने दिल की, सारी अच्छी बुरी बातें लिखती हूँ. जब मैं उसे पढ़ रही थी. तब मुझे तुम्हारा दूर रहना बहुत ज़्यादा अखर रहा था. मुझसे तुम्हारी जुदाई सहन कर पाना मुश्किल हो गया और जब मेरी तुम्हारे बिना जान निकलने लगी. तब मैने तुम्हे वापस आने को कह दिया.”

मैं बोला “लेकिन तूने अपने कमरे मे इतनी तोड़ फोड़ क्यो की.”

कीर्ति बोली “सॉरी.”

मैं बोला “चल ठीक है. अब दोबारा ऐसा मत करना. मुझे तो तुझसे ताक़त मिलती है और तू ही यदि ऐसे कमजोर पड़ जाएगी तो, मेरा क्या हाल होगा.”

कीर्ति बोली “ये तो पुछो सॉरी किस लिए बोल रही हूँ.”

मैं बोला “इसमे पुच्छना क्या है. तूने अपने कमरे मे जो तोड़ फोड़ की थी. उसके लिए सॉरी बोल रही है.”

कीर्ति बोली “नही, मैने अपने कमरे मे कोई तोड़ फोड़ नही की थी.”

मैं बोला “तो फिर.?”

कीर्ति बोली “वो सारी तोड़ फोड़ मैने तुम्हारे कमरे मे की थी. इसलिए सॉरी बोल रही हूँ”

मैं बोला “लेकिन मुझे तो वहाँ कुछ भी ऐसा नज़र नही आया.”

कीर्ति बोली “सारा बिखरा हुआ समान, मैने सोने से पहले सॉफ कर दिया था और टूटा हुआ समान अलग कर दिया था. अभी तुम अपने कमरे मे रुके ही कहाँ हो. जब तुम अपने कमरे मे रुकोगे, तब तुम्हे पता चलेगा कि, क्या क्या समान वहाँ से गायब है.”

मैं बोला “लेकिन इसमे मेरे कमरे का क्या कसूर था. जो तूने वहाँ तोड़ फोड़ कर डाली.”

कीर्ति बोली “मुझे बहुत रोना आ रहा था. मैने सोचा तुम्हारे कमरे मे जाउन्गी तो, मुझे कुछ आराम मिलेगा. मगर वहाँ जाते ही मुझे और भी ज़्यादा तुम्हारी कमी अखरने लगी. फिर मुझे जिस जिस चीज़ को देख कर, तुम्हारी ज़्यादा कमी अखरी. मैं हर उस चीज़ को उठा कर फेकने लगी.”

मैं बोला “वाह जान तुम्हारा गुस्सा तो, बहुत निराला है. अच्छा है मैं वहाँ नही था. वरना पता नही तुम मेरा क्या हाल करती.”

कीर्ति बोली “तुम रहते तो, मुझे गुस्सा आता ही क्यों. गुस्सा तो इसी बात का था कि, तुम मेरे पास नही हो.”

अभी कीर्ति अपनी बात बता ही रही थी. तभी हम लोग लवर’स पॉइंट पहुच गये. मेरे बाइक के रुकते ही कीर्ति का बात करना भी बंद हो गया.

वो बाइक से उतर कर अपने बाल सही करने लगी. बाइक मे बैठे होने की वजह से हवा से उसके बाल बिखर गये थे. मैने बाइक खड़ी की और कीर्ति को बाल सँवारते देखने लगा.
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RE: MmsBee कोई तो रोक लो - by desiaks - 09-09-2020, 01:55 PM
(कोई तो रोक लो) - by Kprkpr - 07-28-2023, 09:14 AM

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