MmsBee कोई तो रोक लो
09-09-2020, 02:00 PM,
#95
RE: MmsBee कोई तो रोक लो
85
मैने उठने की कोशिस की लेकिन तब तक उन तीनो ने मुझे घेर लिया. मुझे अपना सब कुछ लूटते नज़र आया तो, मेरी आँखों से आँसू बहने लगे. मैं उन लोगों को भगवान का वास्ता देकर, अपने आपको छोड़े देने की भीख माँगने लगी. लेकिन उन पर, मेरे रोने गिडगिडाने, या किसी बात का कोई असर नही पड़ रहा था. वो मेरी इस हालत पर क़हक़हे लगाते रहे.

मुझे उनकी आँखों मे वासना की चमक सॉफ नज़र आ रही थी. मैं अपने साथ होने वाली घटना का सोच सोच कर कांप रही थी. मैं समझ चुकी थी कि अब मुझे उन तीनो के हाथों से बर्बाद होने से कोई नही बचा सकता. फिर भी मैं मन ही मन भगवान से, उन दरिंदों से बचा लेने की प्राथना कर रही थी.

मैं भगवान से किसी चमत्कार करने की उम्मीद लगाए हुए थी. मैं नही जानती थी कि, कैसे लेकिन मैं चाहती थी कि, भगवान ने जैसे द्रोपदि की लाज बचाई थी. वैसे ही आकर मेरी लाज भी रख ले. मुझे बर्बाद होने से बचा ले.

लेकिन मैं द्रोपदि तो थी नही. जो मेरी लाज बचाने खुद भगवान आते. भगवान ने मेरी फरियाद नही सुनी. बल्कि ऐसा लगा जैसे भगवान ने खुद मेरी फरियाद अपनी जगह उन दरिंदो तक पहुचा दी हो. क्योकि मेरे फरियाद करने के बाद उन मे से कल्लू ने हंसते हुए कहा.

कल्लू बोला “आज तुझे भगवान भी चाहे तो, हमारे हाथों बर्बाद होने से नही बचा सकता. भगवान ने तुझे मरने से नही बचाया तो, अब वो तेरी लाज कैसे बचाएगा. तुझे मरने से मैने बचाया है और अब तेरे उपर मेरा हक़ है. मैं अपने दोस्तों के साथ आज तुझे कली से फूल बनाउन्गा.”

ये कहते हुए कल्लू ने अपने हाथ मेरी तरफ बढ़ाए लेकिन मैने उसके हाथ को झटक दिया. तभी भीकू नाम के आदमी ने मेरे पास आकर, मेरे दोनो हाथ पकड़ लिए और हबसी से दिखने वाले ललवा ने मेरे दोनो पैर पकड़ लिए. अब कल्लू किसी गधे की तरह, अपना सर हिलाते हुए मेरे पास आया और अपने दोनो हाथ, मेरे सीने पर रख कर कर मेरे स्तनो को मसल्ने लगा. तभी ललवा ने कल्लू को झिड़कते हुए कहा.

ललवा बोला “अबे क्या हम तेरी शादी मे आए है. जो तू अपनी जोरू के दूध दबा कर हमारा दिल बहला रहा है. साली के कपड़े उतार और जो करना है, जल्दी से कर डाल.”

ललवा की बात सुनते ही कल्लू ने मेरी कुरती को उतारने की कोशिस की लेकिन कुरती बहुत चुस्त थी. उस से उतर नही रही थी. जब उस से कुरती उतरते नही बनी तब भीकू ने उस से कुरती फाड़ देने को कहा.

भीकू की बात सुनते ही मैं चीखने चिल्लाने लगी और उन लोगों से रहम की भीख माँगने लगी. लेकिन कल्लू पर मेरी बात का कोई असर नही पड़ा. उसने एक झटके मे पहले मेरी कुरती को फाड़ कर अलग किया और फिर मेरी सलवार को फाड़ कर अलग कर दिया.

मैं लाल ब्रा और पैंटी मे उनके सामने छटपटा रही थी. मेरे गोरे जिस्म को लाल ब्रा और पैंटी मे देख कर तीनो के मूह से लार टपकने लगी. ललवा पागलों की तरह मेरे दोनो पैरों को चाटने लगा और भीखू मेरे सर के पास आकर मेरे दोनो हाथो को पकड़े मेरे गालों को चाटने लगा. कल्लू बड़ी बेरहमी से ब्रा के उपर से मेरे स्तनो को मसल रहा था. मेरे लिए ये पीड़ा सहना असहनीय हो रही थी. मैं कसमसाने और चिल्लाने के सिवा कुछ नही कर पा रही थी.

मैं उन से छूटने के लिए छट्पटाती और चीखती चिल्लाति रही. मगर मेरा छटपटाना और चीखना चिल्लाना उनका जोश ऑर भी ज़्यादा बड़ा रहा था. उन तीनो की हरकते और भी ज़्यादा जोशीली होती जा रही थी.

इसी जोश मे कल्लू ने अपने पूरे कपड़े उतार फेके और पूरा नंगा हो गया. उसका लिंग अकड़ के खड़ा हुआ था. उसने मेरी मेरी ब्रा अलग कर दी और मेरे स्तनो पर अपना मूह लगा दिया.

कल्लू मेरे स्तनो को नीबू की तरह निचोड़ कर पी रहा था तो, ललवा मेरे पैरो के पंजो को चूस रहा था. भीकू का भी जोश बढ़ा हुआ था और वो ज़बरदस्ती मेरे होंठो को चूसे जा रहा था.

बहुत देर तक तीनो से मेरे जिस्म को चूमते चाटते रहे और मैं उनसे संघर्ष करती रही. लेकिन कुछ समय बाद मैं निढाल हो गयी.

मुझे शांत पड़ता देख कल्लू ने अपने हाथ मेरी पैंटी पर रखा और एक झटके मे मेरी पैंटी को उतार फेका और अपनी एक बड़ी बेरहमी से मेरी योनि मे डाल दी. मैं दर्द से चिल्ला उठी.

लेकिन मेरे चीखने से उनका जोश और भी बढ़ रहा था. कल्लू बड़ी तेज़ी से मेरी योनि उंगली अंदर बाहर करता रहा और कुछ देर बाद मेरा शरीर अकड़ गया. मेरी योनि ने पानी छोड़ दिया.

मगर उनके जोश मे कोई कमी नही आई. भीकू मेरे स्तन को चूसने लगा था और अब कल्लू ने मेरी योनि पर अपने होठ लगा दिए. वो मेरी योनि को चूसने लगा और थोड़ी ही देर मे मैं फिर से गरम हो गयी.

अब कल्लू ने देर करना ठीक नही समझा. वो मेरी दोनो टाँगों के बीच आ गया और मेरी दोनो टाँगों को फैला दिया. मैं आगे की सोच कर छटपटाने लगी. लेकिन उसने मेरी योनि की दोनो फांकों को अलग किया और अपना लिंग मे योनि से लगा कर एक जोरदार धक्का दिया.

कल्लू का लिंग मेरी योनि की दीवारों से रगड़ता हुआ अंदर चला गया. मैं चीख पाती उस से पहले ही भीकू ने मेरे होंठ अपने होंठों से बंद कर दिए. मैं दर्द से तिल्ल्मिला कर रह गयी और मेरी आँखों से आँसू आ गये.

लेकिन तभी कल्लू ने दूसरा धक्का मारा और उसका लिंग पूरा मेरी योनि मे समा गया. मेरा दर्द असहनीय हो गया था. ऐसे मे कल्लू ने जोरदार धक्के लगाना सुरू कर दिया. जिस से मेरा दर्द और भी बढ़ गया.

मैं जितना ज़्यादा छटपटा रही थी. कल्लू के झटके उतने तेज होते जा रहे थे. थोड़ी देर बाद उसने हान्फते हुए मेरी योनि मे ही पानी छोड़ दिया और निढाल होकर मेरे उपर गिर गया.

उसके शांत पड़ जाने से मुझे कुछ राहत महसूस हुई. लेकिन तभी उसे अलग करके ललवा मेरे उपर आ गया. उसने कब अपने कपड़े उतार दिए मुझे पता ही नही चला था. लेकिन उसका काला कलूटा और लंबा मोटा लिंग देख कर तो मेरी जान ही सूख गयी.

उसने बिना देर किए अपना लिंग मेरी योनि मे डाल दिया. मैं एक बार फिर दर्द से तिलमिला उठी. लेकिन उस हबसी ने बिना मेरी परवाह किए धक्के मारना शुरू कर दिया. मेरी चीखे कमरे मे गूंजने लगी.

तभी भीकू ने अपना लिंग निकाल कर मेरे मूह मे डाल दिया. मैं गन गुन करने के सिवा कुछ ना कर सकी और थोड़ी देर बाद भीकू का लिंग मेरे हलक तक उतार गया. मेरी आँखों से आँसू बहने लगे.

मगर ना तो भीकू रुका और ना ही ललवा रुका. भीकू मेरे मूह मे लिंग को अंदर बाहर कर रहा था और ललवा मेरी योनि मे लिंग के जोरदार धक्के लगा रहा था. मैं दर्द से कराह भी नही पा रही थी.

मेरा विरोध अब पूरी तरह से ख़तम हो गया था और अब मेरे साथ जो हो रहा था. मैं उसे होने दे रही थी. दोनो के धक्के तेज़ी से लग रहे थे. फिर थोड़ी देर बाद भीकू ने मेरे मूह मे ही पानी छोड़ दिया और अपने लिंग को निकाल कर मेरे चेहरे पर रगड़ने लगा.

उधर ललवा बड़ी बेदर्दी से मेरी योनि मे धक्के लगाए जा रहा था. उसके धक्को की रफ़्तार अब और ज़्यादा बढ़ गयी थी. कुछ देर बाद उसने भी काँपते हुए मेरी योनि मे पानी छोड़ दिया और मेरे उपर ही लेट गया.

लेकिन तब तक भीकू तैयार हो चुका था. उसने ललवा को मेरे उपर से हटाया और मेरी योनि मे अपना लिंग डाल दिया और धक्के लगाने लगा और जब तक भीकू शांत पड़ा तब तक कल्लू तैयार हो चुका था.

ये सिलसिला पूरी रात चलता. तीनो एक के बाद एक मेरे जिस्म से खिलोने की तरह खेलते रहे लेकिन मैने इस खेल मे उनका साथ पल भर के लिए भी नही दिया.

सुबह होते ही तीनो ने मुझे वही बॅड से बाँध दिया और चले गये. फिर दो लड़कियाँ आई और उन्हो ने मुझे खोला. लेकिन उनको ये हिदायत दी गयी थी कि, मुझे पल भर के लिए भी अकेला ना छोड़ा जाए.

उन लड़कियों ने मुझे समझाया कि मेरे लिए उन लोगों की बात मान लेने मे ही भलाई है. लेकिन मैं किसी भी हालत मे अपने जिस्म को बेचने तैयार नही थी.

जिसका नतीजा ये निकला कि दूसरे दिन भी मेरे साथ वही सब हुआ जो पहले दिन हुआ था. मगर मैं इस पर भी उनकी बात मानने को तैयार नही थी. फिर तो ये रोज का ही काम बन गया था. रोज रत को वो लोग मेरे शरीर को रौन्द्ते और फिर सुबह दो लड़कियों की निगरानी मे छोड़ कर चले जाते.

जब सेठ ने देखा कि इतना सब कुछ होने के बाद भी, मैं उनकी बात मानने को तैयार नही हूँ. तब सेठ ने मेरे पास आकर कहा की, मैं खुशी खुशी धंधा करने के लिए हाँ कह दूं तो, सेठ मुझे अपनी मर्ज़ी से ग्राहक चुनने और अपना रेट तय करने की आज़ादी दे देगा. जिसके साथ मैं नही जाना चाहूँगी. उसके साथ मुझे जाने के लिए मजबूर नही किया जाएगा.


सेठ के जाने के बाद एक लड़की ने मुझे समझाया कि यदि तुम्हे उनकी क़ैद से बाहर निकलना है. तब तुम्हे उनकी बात मान लेनी चाहिए. क्योकि ऐसे तो तुम कभी बाहर नही निकल पाओगी. जबकि यदि तुम उनकी बात मान लेती हो तो, कभी ना कभी तुम्हे उनकी क़ैद से छूटने का मौका मिल ही जाएगा.

मुझे उस लड़की की बात सही लगी और मैने उसे उस काम के लिए हाँ कह दिया. उसने ये बात सेठ को जाकर कही तो, सेठ ने मेरे साथ ज़बरदस्ती करवाना बंद कर दिया. लेकिन मेरी निगरानी चालू रखी.

फिर कुछ दिन बाद जब उन्हे लगने लगा कि, मैं कुछ नही करूगी. तब उन्हो ने मुझे धंधे पर बैठाने का सोचा और इत्तफाक से मेरे पहले ग्राहक तुम ही निकले. मैने तुमसे अपना रेट बहुत हाइ बताया था.

लेकिन तुमने मुझे उस रेट पर भी मुझे ले लिया. फिर मैं जब तुम्हारे साथ आई. तब तुमने मेरे साथ सेक्स करने की जगह प्यार भरी बातें की और मुझसे मेरे इस धंधे मे आने के बारे मे जानना चाहा. ये सब बातें मुझे तुम्हारी अच्छि लगी.

फिर इसके बाद मेरे पास जो भी ग्राहक आए. उनको सिर्फ़ मेरे शरीर से मतलब था. किसी ने मेरे बारे मे जानने की कभी कोशिस नही की थी. लेकिन मैं जब भी तुम्हारे पास आती थी. तुम मुझसे एक बार इस बारे मे जानने की कोशिश ज़रूर करते थे.

मैने तुम्हे अपने बाय्फ्रेंड के द्वारा मुझे बेचे जाने की कहानी बताई तो, तुमने मुझे इस से बाहर निकालने की बात भी कही थी. लेकिन तब तक मुझे सेठ की ताक़त का पता चल चुका था और मुझे तुमसे प्यार सा हो गया था.

जिसकी वजह से मैने तुम्हे इस सब मे फसाना ठीक नही समझा. मैं नही चाहती थी कि, मेरी वजह से तुम्हारी जिंदगी मे कोई परेशानी आए. लेकिन आज तुम्हारे मूह से अपने लिए बाजारू औरत सुना तो, मुझे बहुत बुरा लगा और मैं तुम्हे वो सब बातें बोल गयी.

उन बातों को पद्‍मिनी ने भी सुन लिया था. इसलिए उसने मुझसे बात करने की सोची थी. फिर उसने इन सब बातों को मेरे मूह से कुबूलवा लिया. आख़िर वो एक औरत है और एक औरत के मन को अच्छी तरह से समझ सकती है.

इतना कह कर अलीशा चुप हो गयी. लेकिन पद्‍मिनी का ये सब करना मेरे लिए अभी भी राज बना हुआ था. मैने अलीशा से पुछा.

मैं बोला “लेकिन मेरे समझ मे ये बात नही आ रही है कि, पद्‍मिनी ने तुम्हे घर क्यो नही जाने दिया.”

अलीशा बोली “ये बात तो अभी उसने मुझे अभी भी नही बताई है. उसने बस इतना कहा है कि, अभी तुम जिस काम के लिए आई हो. वो काम करो. बाकी बातें हम सुबह करेगे.”

मैं बोला “तुमको क्या लगता है. पद्‍मिनी ने तुम्हे यहाँ क्यो रोका है.”

अलीशा बोली “शायद उसके पास मुझे इस सब से निकालने का कोई रास्ता है. उसने तुम्हारे सामने ही तो कहा था कि, वो मुझे इस सब से बाहर निकालने का रास्ता जानती है.”

मैं बोला “ये तो अब कल ही पता चलेगा कि, पद्‍मिनी के मन मे क्या है. अभी तो तुम ये बताओ कि, तुम्हे यहाँ रुकना है या फिर घर जाना है.”

अलीशा बोली “पद्‍मिनी ने यही रुकने को कहा है. इसलिए मैं यही रूकूगी.”

मैं बोला “ठीक है. चलो मैं तुम्हे तुम्हारा कमरा दिखा देता हूँ.”

अलीशा बोली “कमरा क्यो. अब तो पद्‍मिनी ने भी बोल दिया है कि, मैं जिस काम से आई हूँ अभी वो काम करूँ.”

मैं बोला “उसके बोल देने बस से क्या होता है. क्या मेरे अंदर ज़रा भी शरम लिहाज नही है. वो मेरी बहू है. मैं उसके सामने ये सब नही कर सकता. तुम्हे इस कमरे मे रहना है तो, तुम यही रहो. मैं दूसरे कमरे मे चला जाता हूँ.”

अलीशा बोली “नही, तुम मुझे मेरा कमरा बता दो. मैं ही चली जाती हूँ.”

मैं बोला “क्या तुमको मेरा ऐसा करना बुरा लग रहा है.”

अलीशा बोली “नही, मुझे ज़रा भी बुरा नही लग रहा है. मैं ही ग़लत बात बोल गयी थी.”

मैं बोला “अब इन बातों को छोड़ो और चलो मैं तुम्हे तुम्हारा कमरा बता देता हूँ.”

ये बोल कर मैं अलीशा को दूसरे कमरे मे ले गया. वहाँ उसको छोड़ने के बाद मैं अपने कमरे मे आ गया. अपने कमरे मे आकर में लेटे लेटे पद्‍मिनी के इस सब को करने का कारण सोचता रहा.

लेकिन मेरी कुछ समझ मे नही आ रहा था कि, आख़िर वो क्या करना चाहती है. यही सब बातें सोचते सोचते पता नही कब मुझे नींद आ गयी.

फिर मेरी नींद सुबह पद्‍मिनी के जगाने पर खुली. वो मेरे लिए चाय लेकर आई थी. लेकिन रात को जो सब कुछ हुआ था. उस वजह से अब मैं उस से नज़र नही मिला पा रहा था.

मगर उसने इन सब बातों की परवाह किए बिना हंसते हुए मुझसे कहा.

पद्‍मिनी बोली “पिताजी, मुझे आप से ज़रूरी बातें करना है. आप जल्दी से तैयार होकर बाहर आ जाइए.”

मैं बोला “क्या बात करना है. जो भी बोलना है अभी बोल दो. उसके लिए मेरे तैयार होने की क्या ज़रूरत है.”

पद्‍मिनी बोली “नही आप चाय पीकर तैयार हो जाइए फिर हम आराम से बैठ कर बातें करेगे.”

इतना बोल कर वो चली गयी और मैं चाय पीने लगा. चाय पीने के बाद मैं फ्रेश हुआ और फिर तैयार होकर अपने कमरे से बाहर आ गया.
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RE: MmsBee कोई तो रोक लो - by desiaks - 09-09-2020, 02:00 PM
(कोई तो रोक लो) - by Kprkpr - 07-28-2023, 09:14 AM

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