MmsBee कोई तो रोक लो
09-09-2020, 02:05 PM,
#99
RE: MmsBee कोई तो रोक लो
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मैने पद्मिानी को अपनी तरफ खिचा और उसके होंठो पर अपने होंठ रख दिए. मैं कभी उसके उपर के होंठो को चूस्ता तो, कभी उसके नीचे के होंठो को चूस्ता. थोड़ी देर मे ही पद्मिउनी भी मेरा साथ देने लगी.

मैं अपने एक हाथ से बारी बारी से पद्मिसनी के दोनो बूब्स को मसल रहा था. मैं उसके होंठो को चूस रहा था और ज़ोर ज़ोर से उसके बूब्स मसल रहा था. थोड़ी ही देर मे पद्मिानी मेरे सीने पर हाथ फेरने लगी.

वो धीरे धीरे गरम होने लगी थी. मैने उसे गरम होते देखा तो, मैने उसके बूब्स पर मूह लगा कर उसके निप्पल्स को चूसना सुरू कर दिया और उसकी पुसी पर हाथ फेरने लगा.

पुसी पर हाथ फेरने से पद्मिूनी फिर कसमसाने लगी और मैं उसकी पुसी को मसल्ने लगा. कुछ देर तक मैं पद्मिफनी के निप्पल्स चूस्ता रहा और पुसी को मसलता रहा.

जब पद्मिदनी ज़्यादा कसमसाने लगी. तब मैं उसके पास से उठ कर उसकी टाँगों के पास आ गया. मैने अपनी अंडर वेअर को उतारा और पद्मिलनी की दोनो टाँगों को फैला दिया. वो अभी भी आँख बंद किए हुए इंतजार कर रही थी कि अब मैं क्या करने वाला हूँ.

मैने उसकी टाँगों को फैलाने के बाद अपना लिंग उसकी पुसी पर लगाया और उसे पुसी पर रगड़ने लगा. मेरे लिंग की रगड़ से पद्मिपनी सिसियाने लगी. थोड़ी देर मे लिंग को उसकी पुसी पर रगड़ता रहा.

फिर मैने उसकी पुसी के छेद पर अपने लिंग को लगाया और ज़ोर देकर अंदर धकेलने की कोशिश करने लगा. लेकिन मेरा लिंग पुसी के अंदर नही जा रहा था. इसकी दो वजह थी, एक तो पद्मिपनी की पुसी बहुत टाइट और उसका छेद बहुत छोटा था. दूसरी मेरा लिंग बहुत बड़ा और मोटा था. जिस वजह से वो पद्मिकनी की पुसी मे नही जा पा रहा था.

पद्मिजनी उस समय आँख बंद किए हुए थी. इसलिए उसे मेरे लिंग की लंबाई और मोटाई का और उस के अंदर जाने से होने वाले का दर्द का कोई अंदाज़ा नही था. मैं उसे ज़्यादा दर्द नही देना चाहता था. इसलिए उसे आराम से अंदर करना चाहता था.

लेकिन मेरे लिंग के अंदर जाने के लिए पद्मिरनी का पूरे जोश मे होना ज़रूरी था. ताकि उसे लिंग के अंदर जाने पर ज़्यादा दर्द महसूस ना हो. इसलिए मैने लिंग को उसकी पुसी से अलग कर अपनी एक उंगली को पद्मि़नी की पुसी मे डाला और उसे अंदर बाहर करने लगा.

मेरे उंगली अंदर बाहर करने से कुछ ही देर मे पद्मिउनी के शरीर ने हरकत करनी शुरू कर दी. अब वो अपने दोनो हाथों से अपने बूब्स मसल रही थी और अपने कुल्हों को उपर उच्छल रही थी.

मैने जब पद्मिहनी को पूरे जोश मे देखा तो, अपनी उंगली को उसकी पुसी से बाहर किया और एक बार फिर लिंग को पुसी के छेद से लगाया. उसकी पुसी पूरी तरह से गीली थी. मैने लिंग का दबाब उसकी पुसी पर बनाया और फिर उसकी पुसी के छेद पर लिंग का एक जोरदार धक्का मारा.

एक ही झटके मे मेरे लिंग का टॉप पद्मिछनी की पुसी मे फस गया था. लेकिन पद्मिेनी इतने से ही धक्के से दर्द से तड़प उठी और अपने दोनो हाथ अपने चेहरे पर रख कर सर को इधर उधर हिला रही थी. शायद उसे बहुत ज़्यादा दर्द हो रहा था. मैं थोड़ी देर रुक गया और उसके बूब्स को मसल्ने लगा.

कुछ देर बाद जब पद्मि नी कुछ शांत सी समझ मे आई. तब मैने लिंग का दबाब उसकी पुसी पर बनाया और फिर एक जोरदार धक्का मारा. इस बार पद्मिआनी अपने आपको ना रोक सकी और उसकी चीख निकल गयी “हाए मर गयी पिताजी.”

धक्का इतना जोरदार था कि मेरा आधा लिंग पद्मिजनी की पुसी के अंदर चला गया था. जिसके होने वाले दर्द से पद्मिथनी तड़प उठी और उठ कर अपनी पुसी को देखने लगी. वो आँख फड़कर कभी अपनी पुसी को देखती तो कभी उसमे फसे मेरे लिंग को देखती. उसकी आँखों मे आँसू आ गये थे.

मैने उसके होंठों को अपने होंठों से लगा लिया और उनको चूसने लगा. कुछ देर तक मैं ऐसे ही उसके होंठो को चूस्ता रहा. फिर जब उसका दर्द कुछ कम हुआ तो मैने उसे लिटा दिया और अब अपने आधे लिंग को ही धीरे धीरे अंदर बाहर करने लगा.

कुछ ही देर मे पद्मि नी को मज़ा आने लगा और वो भी अपने कूल्हे हिलाने लगी. धीरे धीरे मैने लिंग को अंदर बाहर करने की गति बढ़ाना सुरू कर दी और जब पद्मिेनी पूरी तरह से जोश मे आ गयी. तब मैने एक और जोरदार धक्का मारा और मेरा पूरा लिंग पद्मिेनी की पुसी की झिल्ली को फाड़ता हुआ अंदर तक समा गया.

इस बार पद्मिंनी और भी ज़ोर से चीख पड़ी और मुझसे मिन्नत करने लगी. “अया पिताजी मैं मर गयी. उसे बाहर निकालो, नही तो मैं सच मे मर जाउन्गी”

पद्मिरनी की पुसी की झिल्ली फट चुकी थी और उसमे से खून बह रहा था. वो दर्द से तड़प रही थी. लेकिन अभी उसने अपना खून नही देखा था. मैने उसे उठने ना दिया और उसके होंठो पर अपने होंठ रख कर चूसने लगा.

लेकिन पद्मिखनी को दर्द बहुत ज़्यादा हो रहा था. वो बार बार लिंग को बाहर निकालने को बोल रही थी. मगर मैं उसे समझा रहा था कि, पहली बार मे ऐसा दर्द होता ही है. मैं उसके बूब्स मसल रहा था और होंठ चूस रहा था.

जिस से कुछ देर बाद पद्मिानी को कुछ अच्छा महसूस होने लगा और मैं धीरे धीरे लिंग को अंदर बाहर करने लगा. कुछ ही देर मे पद्मि नी को मज़ा आने लगा और वो अपने कूल्हे उचकाने लगी.

जिसे देख कर मैने भी लिंग अंदर बाहर कररने की गति बढ़ा दी. पद्मिोनी को दर्द अभी भी हो रहा था. मगर अब उसे मज़ा भी आ रहा था. जिस की वजह से वो मुझे रोक नही रही थी. मगर उसके चेहरे पर दर्द और मज़ा दोनो के भाव साफ नज़र आ रहे थे.

कुछ ही देर मे पद्मि़नी जोश और बढ़ गया और अब वो अपने शरीर को उच्छाल उच्छाल कर कहने लगी. “अया पिताजी और ज़ोर से, पिताजी और ज़ोर से.”

मुझे भी उसकी बातों से और जोश चढ़ रहा था. मैं भी जोरदार धक्के मार रहा था. मेरे धक्को से पद्मिभनी का पूरा शरीर हिल रहा था और उसके बूब्स उपर नीचे हो रहे थे.

फिर जल्दी ही वो मुकाम भी आ गया. जब पद्मि्नी का शरीर ज़ोर ज़ोर से हिलने लगा और वो कहने लगी “ऊवू पिताजी, जल्दी करो. मेरा पानी छूटने वाला है. ज़ोर से करो पिताजी, ज़ोर से करो.”

मैने भी अपने धक्को की गति बढ़ा दी. मेरा लिंग जिस गति से बाहर आता. उस से भी तेज गति से पद्मिभनी की पुसी को चीरते हुए अंदर जा रहा था. पूरा कमरा पद्मिानी की आ उहह की आवाज़ों और मेरे धक्कों की आवाज़ों से गूँज रहा था.

कुछ ही पल बाद पद्मिवनी के शरीर ने अकड़ना सुरू कर दिया और उसकी पुसी ने पानी छोड़ना सुरू कर दिया. कुछ पल बाद ही पद्मि नी की चीख पुकार शांत पड़ गयी. मैं भी अपने अंतिम पड़ाव पर पहुच चुका था.

मेरे धक्के चालू थे और फिर कुछ ही पल बाद मेरे लिंग ने भी झटके खाना सुरू कर दिया. मैने जोरदार तीन चार धक्के लगाए और फिर मेरे लिंग ने पानी छोड़ना शुरू कर दिया. मैं धक्का लगाता रहा और मेरा लिंग पानी छोड़ता रहा. मेरे लिंग ने 5-6 पिचकारी पद्मिकनी की पुसी मे छोड़ी और शांत पड़ गया.

मैं भी शांत पड़ कर पद्मिडनी के उपर ही ढेर हो गया. कुछ देर मैं वैसे ही पद्मि नी के उपर लेटा रहा. फिर उतर कर उसके पास लेट गया. मैने उसे अपने सीने से लगा लिया और उसके गाल को दो तीन बार चूम कर कहा.

मैं बोला “मज़ा आया.”

पद्मिोनी कुछ नही बोली. तब मैने फिर कहा.

मैं बोला “अब तो तुम्हरा सब कुछ मैं देख चुका हूँ और मेरा सब कुछ तुम देख चुकी हो. अब क्यो शर्मा रही हो. बोलो ना मज़ा आया या नही.”

पद्मि नी ने मुस्कुराते हुए कहा.

पद्मि नी बोली “जी आया.”

मैं बोला “कितना मज़ा आया. थोड़ा या बहुत.”

पद्मिोनी बोली “बहुत मज़ा आया.”

मैं बोला “फिर करे.”

पद्मिोनी बोली “नही पिताजी, आज नही. आज बहुत दर्द हो रहा है.”

मैं बोला “पहली बार मे दर्द होता ही है.”

पद्मिोनी बोली “लेकिन पिताजी, मैं तो पहले भी कर चुकी हूँ. मुझे पहले इतना दर्द कभी नही हुआ. ना ही कभी इतना मज़ा आया.”

मैं समझ गया कि पद्मिआनी आकाश के साथ करने की बात कर रही है. मैने उस से कहा.

मैं बोला “क्या आकाश का लिंग भी मेरे जितना बड़ा है.”

पद्मिोनी ने मेरे लिंग की तरफ देखा और मेरे लिंग मे लगे खून को देख कर चीखती हुई कहने लगी.

पद्मिोनी बोली “पिताजी, आपके उस से तो खून निकल रहा है.”

मैने अपने लिंग को देखा और फिर हंसते हुए कहा.

मैं बोला “ये खून मेरा नही तुम्हारा है. ये तुम्हारी पुसी से निकला है.”

मेरे ये कहते ही पद्मिननी अपनी पुसी की तरफ देखने लगी. उसे पुसी पर और बेड पर बहुत सारा खून नज़र आया. वो खून देख कर कुछ घबरा सी गयी. मैने उसे समझाते हुए कहा.

मैं बोला “घबराओ नही. लड़की जब पहली बार सेक्स करती है. तब उसकी पुसी की झिल्ली फटती है. उसी से ये खून निकलता है. तुम डरो मत, कुछ नही हुआ है. तुम्हारी पुसी सही सलामत है.”

मेरी बात सुनकर पद्मिउनी को कुछ राहत हुई. लेकिन वो अभी भी चुप थी. मैने उसका ध्यान उस तरफ से अलग करने के लिए उस से कहा.

मैं बोला “तुमने बताया नही. क्या आकाश का लिंग भी इतना ही बड़ा है.”

पद्मिोनी बोली “नही पिताजी, उनका ये तो बहुत छोटा है. बिल्कुल आपकी उंगली की तरह है और वो जब ये सब करते है तो उन्हे मुस्किल से 2-4 मिनिट ही लगते है और फिर वो सो जाते है.”

मैं बोला “मैं बोला शायद यही वजह है कि तुम आज तक माँ नही बन पाई. चलो कोई बात नही. अब तुम जल्दी माँ बन जाओगी.”

मेरी बात सुन कर पद्मिानी फिर से शर्मा गयी और मैने उसे अपने सीने से लगा लिया. मैने उसे एक बार फिर करने को कहा. लेकिन उसने दर्द होने की शिकायत करने का कहते हुए मना कर दिया. मैने भी उसे ज़्यादा ज़ोर नही दिया और फिर हम दोनो एक दूसरे से चिपके चिपके ऐसे ही सो गये.

सुबह जब मेरी नींद खुली तो पद्मिजनी बिस्तर पर नही थी. मैं उठा और जाकर फ्रेश होने लगा. मैं फ्रेश होकर बाथरूम से बाहर निकला तो पद्मि नी बिस्तर सही कर रही थी.

वो नहा धो चुकी थी और मेरे लिए चाय लेकर आई थी. वो बहुत खुश नज़र आ रही थी. उसने मुझे बाथरूम से बाहर निकलते हुए देखा तो, मुझे चाय देते हुए कहने लगी.

पद्मिमनी बोली “पिताजी, आज हम बाहर से खाना मॅंगा ले.”

मैं बोला “क्यो, क्या हुआ. क्या तुम्हारी तबीयत ठीक नही है.”

पद्मिोनी बोली “तबीयत तो ठीक है पिताजी. बस थोड़ा सा दर्द हो रहा है. मुझसे चलते भी नही बन रहा है.”

मैं बोला “कोई बात नही. हम बाहर से खाना मंगा लेगे. तुम आराम करो.”

इसके बाद पद्मिननी आराम करने चली गयी. हमने बाहर से खाना मंगा कर खाया और फिर मैने पद्मिबनी को दर्द की कुछ दवाइयाँ दी. जिसे खाकर वो अपने कमरे मे आराम करने चली गयी.

सारा दिन यू ही बीत गया. रत को भी हमने बाहर से ही खाना मन्गा लिया था. खाना खाने के बाद मैं अपने कमरे मे आ गया. कुछ देर बाद पद्मि नी भी दूध लेकर आ गयी. उसने मुझे दूध दिया और वापस चली गयी.

कुछ देर बाद वो एक पिंक कलर की नाइटी पहन कर आ गयी और मेरे बाजू से लेट गयी. मैने दूध पिया और उस से पुछा.

मैं बोला “अब तुम्हारा दर्द कैसा है.”

पद्मिोनी बोली “सुबह से अब बहुत आराम है पिताजी.”

मैं बोला “ठीक है. अब तुम सो जाओ.”

पद्मिोनी बोली “ओके, गुड नाइट पिताजी.”

मैं बोला “गुड नाइट.”

इसके बाद पद्मि नी ने मेरी तरफ करवट ली और आँख बंद कर ली. थोड़ी देर बाद मैने भी पद्मिबनी की तरफ करवट ली और आँख बंद करके सोने की कोशिश करने लगा.

मगर कुछ ही देर बाद, फिर मुझे कल की तरह अजीब सी बेचेनी होने लगी. मैने इस बेचेनी की हालत मे अपनी आँख खोल दी और पद्मि नी को देखने लगा. वो गहरी नींद मे मीठे सपनो मे खोई हुई लग रही थी.

उसके चेहरे पर एक मासूम सी मुस्कुराहट थी. जो उसकी खुशी को प्रकट कर रही थी. मैं कुछ देर उसको यू ही देखता रहा. फिर मेरा दिल उसे छुने को किया तो, मैने अपना एक हाथ बढ़ाकर उसके गाल पर रख दिया और धीरे धीरे उसके कोमल गालों पर अपना हाथ फेरने लगा.

उसको छुते ही मेरे लिंग मे एक सनसनी सी हुई. मगर उसके दर्द का ख़याल आते ही मैने अपने आपको इस से आगे बादने से रोक लिया. मैं कुछ देर यू ही उसके गालों को सहलाता रहा. तभी पद्मिइनी ने एक हाथ मेरे हाथ के उपर रख कर अपने गाल पर दबा लिया.

मैं समझ गया कि वो अभी भी जाग रही है. मैने उस से कहा.

मैं बोला “क्या हुआ. नींद नही आ रही है क्या.”

वो कुछ नही बोली और आँख बंद किए हुए ही, मेरा हाथ पकड़ कर अपने गाल पर फेरने लगी. मैने उसके गालों को चूम लिया और उस से कहा.

मैं बोला “क्या आज करना है.”

उसने मुस्कुराते हुए सर हिलाकर ना मे जबाब दिया. उसकी मुस्कुराहट देख कर मेरी हिम्मत बढ़ा और मैने उस से कहा.

मैं बोला “क्यो, क्या अभी भी दर्द हो रहा है.”

उसने मुस्कुराते हुए फिर ना मे सर हिला कर जबाब दिया. मैने फिर पुछा.

मैं बोला “फिर क्या हुआ. तुम्हारा मन क्यो नही कर रहा है.”

पद्मिोनी खामोश रही मगर मेरे हाथ को अपने गाल पर रगड़ती रही. जिसे देख कर मुझे थोड़ा हौसला मिला और मैने अपना एक हाथ उसके बूब्स पर रख कर उन्हे धीरे धीरे दबाना सुरू कर दिया.

पद्मि नी ने मुझे ऐसा करने से नही रोका तो, मैने अपने चेहरे को उसकी तरफ बढ़ाया और फिर उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए. फिर मैं उसके होंठों को चूसने लगा और उसके बूब्स को मसल्ने लगा.

मैं बारी बारी से उसके दोनो बूब्स मसल रहा था और उसके होंठ चूस रहा था. कुछ देर बाद पद्मिानी भी मेरा साथ देने लगी और मेरे होंठों को चूसने लगी. मैने उसके होंठ चूस्ते चूस्ते एक हाथ से उसकी नाइटी को पकड़ कर पेट के उपर खिसका दिया और फिर अपना एक हाथ उसकी नाइटी के अंदर डाल कर उसके बूब्स पर ले गया.

अब मैं ज़ोर ज़ोर से उसके दोनो बूब्स मसल्ने लगा और निप्पल्स को उंगलियों से पकड़ कर उमेठेने लगा. मेरी इस हरकत से पद्मिसनी के मूह से सिसकारी निकलने लगी और वो मेरे सीने पर हाथ फेरने लगी.

मैने पद्मिरनी को उठा कर बैठा दिया और उसकी नाइटी को उतार दिया. अब उसके दोनो नंगे बूब्स मेरे सामने थे. मैने अपने होंठों को उसके बूब्स के निप्पल्स पर लगाया और उन्हे चूसने लगा.

कुछ ही देर मे पद्मिीनी मेरे मूह को अपने बूब्स पर दबाने लगी. मेरा लिंग भी बहुत ज़्यादा जोश मे था. मैने अपने सारे कपड़े उतारे और फिर पद्मिदनी की पैंटी उतारने के बाद उसे बेड पर लिटा दिया.

मैं उसकी टाँगों के पास आ गया और उसकी पुसी पर हाथ फेरने लगा. पद्मिकनी सिसियाते हुए कभी मुझे देख रही थी तो, कभी मेरे तने हुए लिंग को देख रही थी. मैने अपने हाथ की एक उंगली पद्मिुनी की पुसी मे डाली और उसे अंदर बाहर करने लगा.

मैं अपनी उंगली पद्मिपनी की पुसी के अंदर बाहर कर रहा था और एक हाथ से उसके बूब्स मसल रहा था. कुछ ही देर मे पद्मिीनी अपने कुल्हों को उपर उचकाने लगी. ये देख कर मैने अपनी उंगली को उसकी पुसी से बाहर निकाला और फिर अपने तने हुए लिंग को उसकी पुसी के छेद पर लगाया.

पद्मिकनी ने भी अपनी दोनो टाँगें फैला दी थी. मैने लिंग के टॉप को धीरे धीरे पद्मिमनी की पुसी पर दबाया और जब लिंग सही जगह पर बैठा गया तो, मैने एक ज़ोर का धक्का मारा.

मेरे धक्का मारते ही पद्मिगनी की चीख निकल गयी. क्योकि उसकी पुसी अभी भी टाइट थी और मेरा लिंग उसकी पुसी मे आधे से कम अंदर जा चुका था. मैं कुछ देर रुका और फिर से एक धक्का मारा और मेरा आधे से ज़्यादा लिंग अंदर जा चुका था.

इस बार फिर पद्मि नी की चीख निकली लेकिन तब तक मैने अपने होंठ उसके होंठ पर रख दिए थे और उन्हे चूस रहा था. कुछ देर तक मैं उसके होंठ चूस्ता रहा और बूब्स मसलता रहा. फिर देखा की पद्मिूनी शांत है तो, फिर मैं धीरे धीरे लिंग को अंदर बाहर करने लगा.

कुछ ही देर मे पद्मि नी को मज़ा आने लगा और फिर वो भी अपने कूल्हे उचकाने लगी. ये देख कर मैने फिर पद्मिपनी के होंठों पर अपने होंठ रखे और फिर से एक ज़ोर का धक्का मारा. इस बार मेरा सारा लिंग पद्मिदनी की पुसी मे था और वो चीख भी नही पाई थी.

कुछ देर तक मैं ऐसे ही उसके होंठ चूस्ता रहा. फिर धीरे धीरे अपने लिंग को आगे पीछे करने लगा. जब पद्मिकनी को मज़ा आने लगा तो, वो अपने कूल्हे उचकाने लगी और मैं भी तेज़ी से लिंग को उसकी पुसी के अंदर बाहर करने लगा.

आज पद्मिपनी भी पूरे जोश मे थी और वो बार बार कह रही थी. “पिताजी और ज़ोर से करो, और ज़ोर से.” उसकी बातों से मेरा जोश भी बढ़ रहा था और मैं तेज़ी से लिंग को पुसी के अंदर बाहर कर रहा था.

आज ना पद्मिीनी के जोश मे कोई कमी थी और ना ही मेरे जोश मे कोई कमी थी. हम दोनो खुल कर इस सब का मज़ा ले रहे थे और ज़ोर ज़ोर धक्के लगा रहे थे. कुछ देर बाद पद्मिुनी के शरीर ने हलचल करना सुरू कर दी.

वो कहने लगी “पिताजी, जल्दी कीजिए. मेरा पानी निकलने वाला है. जल्दी जल्दी कीजिए.”

उसकी बात सुनते ही खुद ब खुद मेरे धक्को की रफ़्तार बढ़ गयी और फिर कुछ देर बाद ही पद्मिबनी की पुसी ने पानी छोड़ना शुरू कर दिया. मगर मेरे धक्के लगातार जारी थे और फिर कुछ ही पलों मे मेरे लिंग ने भी पद्मि नी की पुसी मे 5-6 पिचकारी मारी और मैं पद्मिकनी के उपर ढेर हो गया.

मैं थोड़ी देर पद्मिगनी के उपर ऐसे ही लेटा रहा. फिर उतर कर उसके पास आकर लेट गया. मैने उसे गले से लगाया और उस से कहा.

मैं बोला “मज़ा आया.”

पद्मिोनी बोली “जी आया.”

मैं बोला “तो फिर तुम करने से मना क्यो कर रही थी.”

पद्मिोनी बोली “जी मुझे शरम आती है.”

मैं बोला “ये लो, अब मेरे तुम्हारे बीच मे शरम वाली कौन सी बात बाकी रह गयी है. ना तो मेरा कुछ तुम से छुपा है और ना तुम्हारा कुछ मुझ से छुपा है.”

मेरी बात सुनकर पद्मिरनी फिर से शरमा गयी और मेरे सीने मे अपने आपको छुपा लिया. मैने उस से कहा.

मैं बोला “आज तुम्हे दर्द तो नही हो रहा.”

पद्मिोनी बोली “हल्का हल्का दर्द है.”

मैं बोला “चलो जितना दर्द होना था, आज हो गया. अब आज के बाद तुम्हे दर्द नही होगा.”

ये कहकर मैने पद्मिोनी को अपने सीने से चिपका लिया और उसकी पीठ पर हाथ फेरने लगा.


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RE: MmsBee कोई तो रोक लो - by desiaks - 09-09-2020, 02:05 PM
(कोई तो रोक लो) - by Kprkpr - 07-28-2023, 09:14 AM

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