MmsBee कोई तो रोक लो
09-09-2020, 02:05 PM,
RE: MmsBee कोई तो रोक लो
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हम दोनो बहुत देर तक, एक दूसरे से चिपके बात करते रहे और बात करते करते मैं, उसकी पीठ पर हाथ फेर रहा था. थोड़ी देर बाद मेरा लिंग फिर से तन गया और पद्मिैनी को उसकी चुभन अपनी टाँगों के बीच महसूस होने लगी.

मेरे लिंग की चुभन महसूस करते ही, शायद पद्मिरनी को भी कुछ होने लगा था. वो मेरे लिंग को अपनी टाँगों से दबाने लगी. मैं भी उसके कुल्हों पर हाथ फेरते हुए, उन्हे अपने हाथों से मसल्ने लगा. उसके मुलायम कुल्हों के अहसास से, मेरे लिंग का तनाव और भी ज़्यादा बढ़ गया.

मैं अपने लिंग को पद्मिुनी की टाँगों के बीच रगड़ने लगा. जिस से पद्मि नी भी जोश मे आकर उसे अपनी पुसी से सटाने की कोशिश करने लगी. हम दोनो एक बार फिर से, पूरी तरह से गरम हो चुके थे.

मैने पद्मिसनी को खीच कर अपने उपर कर लिया और उसके होंठों को अपने होंठों से लगा लिया. मैं बेहताशा उसके होंठों को चूसने लगा. वो भी खुल कर मेरे होंठों को चूसने लगी और अपनी पुसी को मेरे लिंग पर रगड़ने लगी.

मैने एक हाथ उसके बूब्स पर रखा और उन्हे मसल्ने लगा. दूसरे हाथ से मैं उसके कुल्हों को अपने लिंग पर दबाने लगा. पद्मिउनी भी पूरे जोश मे थी और अपनी कमर को हिलाकर, उसका दबाव मेरे लिंग पर बना रही थी.

पद्मिलनी की हरकतों से मेरा भी जोश और ज़्यादा बढ़ गया, और मैने उसे दबोच कर अपने नीचे कर लिया. मैं अपने दोनो हाथों से उसके दोनो बूब्स मसल्ने लगा और उसकी गर्दन को चूमने लगा. पद्मियनी भी मेरे बालों और पीठ पर हाथ फेरने लगी.

मैं उसकी गर्दन को चूमते हुए उसके बूब्स पर आ गया और उसके निप्पल्स को मूह मे लेकर चूसने लगा. पद्मितनी मेरे सर को अपने दोनो हाथों से पकड़ कर अपने बूब्स पर दबाने लगी और उसके मूह से सिसकियाँ निकलने लगी.

मैं पूरे जोश से पद्मिेनी के निप्पल्स चूसने लगा और अपने लिंग को पद्मिबनी की पुसी पर रगड़ने लगा. पद्मिेनी भी अपनी कमर को उचका कर अपनी पुसी को मेरे लिंग पर रगड़ने लगी.

मैं पद्मि नी के बूब्स को चूमते हुए नीचे सरक कर उसके पेट पर आ गया और अपने होंठ उसकी नाभि पर रख दिए. मैं अपनी जीभ से उसकी नाभि को चाटने लगा और उसकी पुसी को अपने हाथ से मसल्ने लगा. पद्मिपनी के मूह आहह उहह की आवाज़े निकलने लगी और वो मेरा सर अपनी नाभि पर दबाने लगी.

थोड़ी देर बाद मैं पद्मि नी की दोनो टाँगों के बीच आ गया और उसकी टाँगों को उठा कर अपने कंधों पर रख लिया. अब पद्मिदनी बेड पर लेटी हुई थी और दोनो टाँगें मेरे कंधे पर थी. उसकी पुसी बिल्कुल मेरे ताने हुए लिंग के सामने थी.

मैने पद्मिुनी के कुल्हों पर हाथ रखा और अपना लिंग उसकी पुसी के उपर रगड़ने लगा. मैं पुसी के छेद पर अपने लिंग को उपर नीचे रगड़ रहा था और पद्मि नी इस से जोश मे भरी हुई अपने बूब्स को मसल रही थी.

फिर मैने पद्मिपनी की पुसी के छेद मे अपने लिंग का टॉप लगाया और लिंग को पुसी पर दबाने लगा. मेरा लिंग जब पुसी के छेद पर बैठ गया. तब मैने एक ज़ोर का झटका मारा और लिंग अंदर चला गया.

मेरा लिंग आधा अंदर चला गया था और पद्मिेनी कसमसाते हुए. मेरे अगले कदम का इंतजार करने लगी. अब शायद उसे लिंग के अंदर जाने से ज़्यादा दर्द नही हुआ था. ये देख कर मैने एक और ज़ोर का धक्का मारा और मेरा पूरा लिंग पद्मिजनी की पुसी मे चला गया.

मगर इस बार वो उउईईईई करके रह गयी. शायद इस बार उसे दर्द हुआ था. इसलिए मैं थोड़ी देर रुक गया और फिर पद्मिेनी की पुसी मे लिंग को धीरे धीरे अंदर बाहर करने लगा. पद्मिेनी की पुसी के टाइट होने की वजह से मेरा लिंग अभी भी फस फस कर अंदर जा रहा था. जिस वजह से मुझे और भी मज़ा आ रहा था. जब पद्मि नी को पुसी मे लिंग के अंदर बाहर होने से मज़ा आने लगा तो, मैने तेज़ी से लिंग को अंदर बाहर करना सुरू कर दिया.

अब मैं पद्मि,नी के कूल्हे पकड़ कर, लिंग को तेज़ी से अंदर बाहर कर रहा था और पद्मिेनी भी जोश मे अपने कुल्हों को उचका उचका कर, मुझे ज़ोर से लिंग अंदर करने को बोल रही थी. मेरा लिंग पद्मिेनी की पुसी को चीरते हुए अंदर जा रहा था और बाहर निकल रहा था.

कुछ ही देर बाद पद्मि नी अपने शरीर को ज़ोर ज़ोर से हिलाने लगी और कहने लगी. “पिताजी, मेरा पानी निकलने वाला है. जल्दी करो और जल्दी करो.”

ये सुनते हुए मैने अपने धक्को की रफ़्तार बढ़ा दी और कुछ ही पलों बाद पद्मि नी की पुसी पानी छोड़ने लगी और फिर मेरे लिंग ने भी 5-6 पिचकारी छोड़ दी. मैं पद्मिपनी के उपर ही ढेर हो गया.

मैं पद्मिीनी के उपर कुछ देर ऐसे ही लेटा रहा. फिर उसके उपर से उतर कर उसके पास आ गया. मेरी उस से इसी बारे मे बहुत देर तक बात चलती रही. बाद मे हम लोगों ने एक बार और सेक्स किया. फिर हम लोग देर रात को ऐसे ही सो गये.

सुबह मेरी नींद पद्मिहनी के जगाने पर खुली. वो पिंक कलर की पारदर्शी साड़ी मे थी. मैं उठा और उसे देख कर मुस्कुरा दिया. मैं अभी भी कुछ नही पहना था. उसने मुझे जागते देख कर कहा.

पद्मिेनी बोली “पिताजी, आप फ्रेश हो जाइए. मैं आपके लिए चाय लेकर आती हूँ.”

मैने उसे छेड़ते हुए कहा.

मैं बोला “बहू आज दर्द तो नही हो रहा है.”

मेरी बात सुनकर पद्मिआनी शरमा गयी और कुछ नही बोली. मैने उससे फिर से कहा.

मैं बोला “अरे शरमा क्यो रही हो. बताओ ना, आज तुम्हे दर्द तो नही हो रहा है.”

पद्मिोनी ने मुस्कुराते हुए कहा.

पद्मिोनी बोली “नही पिताजी, मुझे दर्द नही है. अब आप बात ही करते रहेगे या उठेगे भी.”

ये कहते हुए उसने मेरा हाथ पकड़ कर बेड से उठा दिया. मैं भी हंसते हुए ऐसे ही बाथरूम मे चला गया. फ्रेश होने के बाद मैने बनियान और लूँगी पहन ली. मगर अभी भी मैने अंडर वेअर नही पहनी थी. कुछ देर बाद पद्मिेनी चाय लेकर आ गयी. उसने मुझे चाय दी और फिर कहा.

पद्मिथनी बोली “पिताजी, अभी माँ का फोन आया था. वो कह रही थी कि, वो लोग कल आ रहे है.”

मैं बोला “अलीशा ने बस इतना ही कहा है.”

पद्मिोनी बोली “हाँ, उन ने बस इतना ही कहा है कि, वो लोग कल आ रहे है.”

मैं बोला “ठीक है, वैसे आज तुम खाने मे क्या बना रही हो.”

पद्मिोनी बोली “जो भी आप कह दे.”

मैं बोला “रहने दो. आज भी हम बाहर से ही कुछ मॅंगा लेते है.”

पद्मिोनी बोली “नही पिताजी, बाहर से मगाने की क्या ज़रूरत है. मैं घर पर ही कुछ बना लेती हूँ.”

मैं बोला “तुम बेकार मे परेशान मत हो. घर पर हम दोनो बस ही तो है. तुम रहने दो. हम बाहर से ही कुछ मॅंगा लेते है.”

पद्मि नी बोली “ओके, जैसी आपकी मर्ज़ी.”

ये कह कर वो बाहर चली गयी और मैं चाय पीते हुए, पिच्छले दो दिन मे हुई बातों के बारे मे सोचने लगा. इन दो दिनो मे मेरे और पद्मि नी के बीच मे बहुत कुछ बदल चुका था. ये दो दिन मैने पद्मिोनी के साथ उसके पति की तरह बिताए थे और मुझे ये सब अच्छा लगने लगा था. मगर अब अलीशा लोगों के वापस आने की खबर सुनकर ना जाने क्यो मुझे अच्छा सा नही लग रहा था.

यही सब सोचते हुए मैने अपनी चाय ख़तम की और अपने कमरे से बाहर आ गया. बाहर आया तो पद्मिबनी वॉशिंग मशीन मे कपड़े धो रही थी. मेरी तरफ उसकी पीठ थी और इस समय उसकी साड़ी का पल्लू उसकी कमर मे ख़ुसा हुआ था.

उसका ब्लाउस भी इतना पतला था की, उसमे से उसकी ब्रा सॉफ झलक रही थी. मेरी नज़र उसके ब्लाउस से सरक्ति हुई, पहले उसकी कमर पर, फिर उसके कुल्हों पर गयी. जो ज़्यादा फैले हुए तो नही थे. लेकिन उनके उभार देख कर मेरे लिंग ने, फिर से अंगड़ाई लेना सुरू कर दी. मैने लूँगी के उपर से ही अपने लिंग को मसला और धीरे धीरे पद्मिेनी की तरफ बढ़ गया.

पद्मिेनी के पास पहुच कर मैने पीछे से उसे अपनी बाहों मे जाकड़ लिया. मेरे दोनो हाथ उसके पेट पर, आपस मे जाकर जुड़ गये और मैने अपना चेहरा उसके कंधे पर रख दिया. मैं धीरे धीरे अपने लिंग को उसके कुल्हों पर रगड़ने लगा.

पद्मिकनी ने मुझे देखा तो, उसने मेरे हाथों पर अपने हाथ रखे और मुझसे खुद को छुड़ाने की कोशिश करते हुए कहा.

पद्मि नी बोली “पिताजी, ये क्या कर रहे है. मुझे छोड़िए, मुझे कपड़े धोना है.”

मैने पद्मि नी को और ज़ोर से जाकड़ लिया और उसके कुल्हों पर लिंग रगड़ते हुए कहा.

मैं बोला “नही, तुम्हे कोई काम नही करना. अभी मेरा मूड कुछ और करने का है.”

मेरी बात सुनकर पद्मि‍नी ने हंसते हुए कहा.

पद्मिबनी बोली “लेकिन अभी तो आपने दूध भी नही पिया है. फिर आपका मूड कैसे करने लगा.”

मैं बोला “दूध पीने से मेरे मूड का क्या सबंध है.”

पद्मिोनी बोली “संबंध तो है पिताजी, माँ ने मुझे एक दवा दी थी और कहा था कि, रोज सोते समय, मैं वो दवा आपको दूध मे मिलाकर दूं. उस से आपका मूड कुछ करने को करेगा.”

पद्मिोनी की बात सुनकर मुझे सारी बात समझ मे आ गयी और मैने उस से कहा.

मैं बोला “अच्छा तो ये बात थी. तभी तो मैं कहूँ की, दूध पीने के बाद मुझे ये बेचेनी सी क्यो होने लगती है.”

मेरी बात सुनकर पद्मि नी फिर से हँसने लगी और मैने उसे कस कर दबोच लिया. मैं उसे अपनी बाहों मे जकड़े हुए, उसकी गर्दन को बेहताशा चूमने लगा. पद्मिैनी ने अभी अभी नहाया था और उसके बदन की खुश्बू मुझे पागल बना रही थी. मैने उसकी गर्दन को चूमते हुए, अपने दोनो हाथ ब्लाउस के उपर से ही पद्मिानी के बूब्स पर रख दिए और उन्हे मसल्ने लगा.

मैं बड़े ही जोश मे पद्मििनी की गर्दन और कान को चूमने लगा और फिर उसके गले को चूमते हुए मैने उसका ब्लाउस खोल कर अलग कर दिया. अब पद्मिकनी पिंक ब्रा मे थी. मैने बिना देर किए उसकी ब्रा को भी खोल कर अलग कर दिया.

अब पद्मिानी के बूब्स आज़ाद हो गये थे. मैने दोनो बूब्स को अपने हाथों मे भर लिया और उन्हे मसल्ते हुए, पद्मि नी की गर्दन को चूमने चाटने लगा. मेरे लिंग मे अब बहुत ज़्यादा तनाव आ गया था.

मैं अपने लिंग को पद्मिेनी के कुल्हों पर रगड़ने लगा. मेरे ये सब करने से पद्मि नी भी गरम हो चुकी थी. वो अपना हाथ मेरे सर पर रख कर मेरे बालों को सहलाने लगी और अपने कुल्हों को मेरे लिंग की तरफ दबाने लगी.

मैने पद्मिफनी की पीठ को चूमते हुए, उसकी सारी भी अलग कर दी. अब वो पेटिकोट मे थी. मैं उसके पेटिकोट के उपर से उसकी जांघों को पकड़ कर, उसे अपने लिंग की तरफ दबाने लगा. मेरा लिंग पद्मिोनी के कुल्हों की दरारों मे रगड़ रहा था.

मैने पद्मिोनी के पेटिकोट का नाडा पकड़ कर खोल दिया. पेटिकोट एक झटके मे ज़मीन पर गिर गया और फिर मैने अपनी उंगलियों को पद्मिानी की पैंटी के किनारों मे फसा कर, उसे भी उतार दिया और अपनी लूँगी बनियान भी अलग कर दी.

अब मैं अपने दोनो हाथों से पद्मिगनी के बूब्स मसल्ने लगा और अपने लिंग को पद्मि़नी के कुल्हों की दरारों मे रगड़ने लगा. मेरा जोश सातवे आसमान पर पहुच चुका था. मैने पद्मिेनी के दोनो हाथ पकड़ कर वॉशिंग मशीन पर टिका कर, सामने की तरफ झुका दिया.

शायद पद्मिरनी को समझ मे नही आया कि, मैं ये क्या कर रहा हूँ. इसलिए वो पलट कर मेरी तरफ देखने लगी. मैने झुक कर उसके दोनो बूब्स पकड़ लिए और निप्पल्स को, उंगलियों से उमेठेने लगा.

पद्मि नी के मूह से सिसकारी निकली और उसने वॉशिंग मशीन को ज़ोर से पकड़ लिया. मैने अपने लिंग को उसके कुल्हों की दरारों मे फसाया और फिर उसे दबाने लगा. मेरी इस हरकत से पद्मि नी चिहुक उठी. उसने फिर मेरी तरफ पलट कर देखा.

लेकिन मैने उसकी पीठ पर चूमते हुए, उसकी कमर को पकड़ कर एक जोरदार धक्का मारा और मेरा लिंग पद्मि नी के कुल्हों के छेद के अंदर आधा चला गया. मगर पद्मिऔनी दर्द से चिल्ला उठी. “आअहह पिताजी, ये क्या कर रहे है. मैं मर जाउन्गी. उसे बाहर निकालिए.”

लेकिन मैने लिंग को उसकी कुल्हों से बाहर नही निकाला और पद्मि नी की पीठ पर, अपना सीना टिका कर, उसके दोनो बूब्स मसल्ने लगा और उसकी गर्दन पर चूमने लगा. कुछ देर यू ही करने के बाद, मैने धीरे धीरे पद्मिमनी के कुल्हों पर धक्का लगाना सुरू कर दिया.

कुछ देर बाद पद्मिैनी को मज़ा आने लगा और वो अपने कुल्हों को पीछे की तरफ धकेलने लगी. ये देख कर मैने एक और जोरदार धक्का मारा और मेरा पूरा लिंग पद्मि्नी के कुल्हों की दरारों मे समा गया. मगर इस बार पद्मिानी और भी ज़ोर से चीख पड़ी. “आाआआई मर गयी पिताजी, मैं इसे नही ले पाउन्गी. प्लीज़ इसे बाहर निकाल लीजिए. नही तो मैं मर जाउन्गी.”

लेकिन अब मैने उसकी बात को अनसुनी करते हुए, उसकी पुसी मे एक उंगली डाल कर अंदर बाहर करने लगा. कुछ देर बाद जब पद्मि,नी कुछ शांत हुई तो, मैं फिर से उसके कुल्हों पर ज़ोर दार धक्के लगाने लगा.

पद्मिकनी चीखने लगी. “पिताजी आगे से कर लीजिए. पीछे बहुत दर्द हो रहा है.” लेकिन मैं नही रुका और धक्के लगाता रहा और उसकी पुसी मे उंगली अंदर बाहर करता रहा. कुछ ही देर मे पद्मिऔनी के मूह से दर्द और मज़े की मिली जुली आवाज़े निकलने लगी और वो अपने कूल्हे पीछे कर के मेरा साथ देने लगी.

मैं जोरदार धक्के लगा रहा था और पद्मिजनी के बूब्स हर धक्के के साथ हवा मे उपर नीचे हो रहे थे. पद्मिोनी बार बार मुझे आगे से कर लेने के लिए कह रही थी. मगर मेरे उपर उसके कुल्हों ने ऐसा जादू कर दिया था कि, मैं रुकने का नाम ही नही ले रहा था.

पद्मिकनी मुझे जितना रुकने को कह रही थी. मैं उतनी ही तेज़ी से लिंग का धक्का उसके कुल्हों पर लगा रहा था. कुछ ही देर मे पद्मि नी की पुसी ने पानी छोड़ दिया था. लेकिन मेरे धक्के चालू रहे.

पद्मिहनी मुझे रुकने को बोलने लगी. लेकिन मेरा लिंग पूरे जोश मे था. उसके कुल्हों का छेद बहुत टाइट था. जिसमे मेरा लिंग फस कर अंदर जा रहा था और मुझे दुगुना मज़ा आ रहा था. मैं बिना रुके धक्का लगाता रहा.

अब पद्मिकनी का पानी निकल चुका था. इसलिए उसे इस सब मे ज़रा भी मज़ा नही आ रहा था. लेकिन मेरे लिंग के लिए ये एक नया ही अनुभव था और मैं उसके रोकने के बाद भी ज़ोर दार धक्के लगाए जा रहा था. मेरा लिंग सरसराते हुए अंदर जा रहा और बाहर निकल रहा था. फिर कुछ देर बाद मेरे लिंग ने भी पानी छोड़ना सुरू कर दिया.

मेरे लिंग के पानी छोड़ने के बाद मैं पद्मिकनी की पीठ पर ही सर रख कर लेट गया और उसके बूब्स से खेलने लगा. मेरे धक्के रुक जाने से पद्मि नी ने भी राहत की साँस ली और अब वो अपने आपको शांत करने मे लगी थी. मेरा लिंग अभी भी उसके कुल्हों की दरारों मे फसा हुआ था.

मैने अपने लिंग को पद्मिेनी के कुल्हों से निकाला और पद्मिरनी को सीधा करके अपने गले से लगाते हुए कहा.

मैं बोला “आज तो बहुत मज़ा आया.”

पद्मिोनी बोली “पिताजी, आप बहुत जालिम है. मैने आपसे कितना कहा कि, वहाँ मत कीजिए. लेकिन आपने मेरी बात नही मानी. मेरी तो दर्द के मारे जान ही निकल गयी थी.”

मैं बोला “सॉरी बहू, लेकिन मैं क्या करता. तुम्हारे कूल्हे इतने मस्त है कि, मैं अपने आपको रोक नही पाया.”

पद्मिानी बोली “मुझे तो लग रहा है कि, अब मैं चल भी नही पाउन्गी.”

मैं बोला “तुम्हे चलने की क्या ज़रूरत है. तुम्हे जहा जाना होगा, मैं उठा कर तुम्हे ले जाउन्गा.”

ये कह कर मैने पद्मिेनी को गोद मे उठा लिया और उसे अपने कमरे मे लाकर बेड पर लिटा दिया और मैं भी उसके पास ही लेट गया. मैं उसके बूब्स मसल रहा था और वो मुझसे शिकायत कर रही थी.

कुछ देर बाद उसका मूड सही हो गया मगर अब उसने मुझे दर्द की शिकायत करके कुछ भी करने से मना कर दिया. मैने उसे दर्द की कुछ दवा दी और फिर खाना मंगाने के लिए बाहर आ गया.

बाहर आकर मैने खाना मंगाने के लिए फोन किया. उसके बाद मैं अपने और पद्मि नी के कपड़े लेकर कमरे मे आ गया. कमरे मे आकर मैने अपने कपड़े पहने और पद्मिपनी भी अपने कपड़े पहन ने लगी.

कपड़े पहन ने के बाद मैं पद्मिेनी के पास ही बैठ गया और उस से कहा.

मैं बोला “बहू, मेरे लिंग ने तुम्हारे दो छेद का स्वाद तो चख लिया है. लेकिन एक छेद का स्वाद चखना बाकी है.”

मेरी बात सुनकर पद्मि”नी मेरी तरफ देखने लगी. उसे मेरी इस बात का मतलब समझ मे नही आया था. तब मैने मुस्कुराते हुए कहा.

मैं बोला “तुमने मेरे लिंग को अपनी पुसी और कुल्हों मे तो ले लिया. अब इसे अपने मूह मे कब लोगि.”

मेरी बात सुनते ही पद्मिेनी मुझे अपने हाथ का मुक्का मारते हुए कहने लगी.

पद्मिबनी बोली “आप बहुत गंदे हो. ना जाने क्या क्या करते रहते हो.”

मैं बोला “अरे इसमे गंदा होने वाली क्या बात है. सभी शादी शुदा लोग यही करते है. तुम्हारी माँ तो, मेरे लिंग को ऐसे चुस्ती है. जैसे उसे सच मे खा ही जाएगी.”

मेरी बात सुनकर पद्मि नी मुझे हैरत से देखने लगी. शायद उसे मेरी बात का यकीन नही आ रहा था. ये देख कर मैने उस से कहा.

मैं बोला “ऐसे क्या देख रही हो. मैं जो कह रहा हूँ, ये सच है. मैने अभी जो तुम्हारे साथ किया है. वो कोई गंदा काम नही है और जो करने को कह रहा हूँ. वो भी गंदा काम नही है. मैं भी तो तुम्हारी पुसी को चाट और चूमता हूँ. क्या तुम्हे उस मे मज़ा नही आता.”

मेरी बात सुन कर पद्मिऔनी फिर सोच मे पड़ गयी और तभी डॉरबेल बाज गयी. मैं उठ कर बाहर दरवाजा खोलने चला गया. खाना आ गया था. मैं खाना लेकर कमरे मे आ गया और फिर हम दोनो ने कमरे मे ही खाना खाया.

उसके बाद पद्मिेनी ने कमरे से बाहर जाने लगी तो, वो लंगड़ा कर चल रही थी. उस से सच मे चलते नही बन रहा था. उसे कपड़े भी धोना था. क्योकि कल सब वापस आ रहे थे और वो सबके आने के पहले गंदे कपड़े धो लेना चाहती थी.

लेकिन अब दर्द की वजह से उसे कपड़े धोने मे तकलीफ़ हो रही थी. इसलिए मैने कपड़े धोने मे उसकी मदद की और फिर उसे आराम करने को कहा. रात को भी हमने बाहर से ही मंगा कर खाना खाया और फिर सोने अपने कमरे मे आ गये.

लेकिन रात को जब पद्मि नी बिना दूध लिए ही कमरे मे आ गयी तो, मैने उस से पुछा.

मैं बोला “बहू, क्या हुआ. आज मेरा दूध कहाँ है.”

पद्मिोनी बोली “आपको दूध की क्या ज़रूरत है. आप तो बिना दूध पिए ही इतना सब कुछ कर लेते है.”

ये कह कर वो हँसने लगी और फिर बाहर चली गयी. कुछ देर बाद वो दूध लेकर आ गयी. मैने उस से पुछा.

मैं बोला “क्या आज भी तुमने इस मे वो दवा मिलाई है.”

पद्मिोनी बोली “नही, आज मैने इसमे कोई दवा नही मिलाई.”

मैं बोला “क्यो, क्या आज तुम्हे कुछ नही करना.”

पद्मिोनी बोली “नही, आज मुझे बहुत दर्द है. आज मैं आपको कुछ नही करने दूँगी. मुझे अभी भी बहुत दर्द हो रहा है.”

मैं बोला “लेकिन हमारे पास कुछ करने के लिए आज की ही रात बस है. कल तो सब आ जाएगे.”

पद्मिोनी बोली “तो आपसे दिन मे वो सब करने के लिए किसने कहा था. ना तो आप दिन मे वो सब करते और ना ही मुझे इतना दर्द होता. पता नही, कल मैं सबके सामने ठीक से चल भी पाउन्गी या नही.”

मैं बोला “अरे पहली बार मे दर्द होता ही है. तुम चिंता मत करो. कल तक तुम ठीक से चलने फिरने लगोगी.”

पद्मि नी बोली “और यदि ना चल पाई तो.”

मैं बोला “ऐसा कुछ नही होगा. कल तक तुम ठीक से चलने फिरने लगोगी. फिर भी यदि कोई परेशानी हो तो, कह देना कि बाथरूम मे पैर फिसल गया था.”

मेरी बात पद्मिननी को जम गयी और वो आकर मेरे पास लेट गयी. मैने भी दूध पिया और उसके पास लेट गया. मगर आज उसका दर्द देख कर, मेरी भी उसके साथ कुछ करने की हिम्मत नही हो रही थी.

पद्मिीनी आँख बंद करके मेरी तरफ करवट लिए लेटी थी और मैं उसकी तरफ करवट लेकर लेटा था. मैं उसके चेहरे को देखने मे खोया हुआ था. उसके चेहरे पर वही जानी पहचानी मुस्कान थी. जो उसे बहुत सुंदर बना रही थी.
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RE: MmsBee कोई तो रोक लो - by desiaks - 09-09-2020, 02:05 PM
(कोई तो रोक लो) - by Kprkpr - 07-28-2023, 09:14 AM

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