MmsBee कोई तो रोक लो
09-09-2020, 02:08 PM,
RE: MmsBee कोई तो रोक लो
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उसके होंठ किस करने के इंतजार मे फड़फडाए जा रहे थे. मैं इतने दिलकश नज़ारे को मिस करना नही चाहता था. मैं बस उसे देखे जा रहा था. मेरे सामने दुनिया की सबसे सुंदर लड़की थी और मैं उसे देख देख कर अपनी किस्मत पर गुमान कर रहा था.

मैं अपने आप मे गुम था और कीर्ति मेरे किस करने का इंतजार कर रही थी. लेकिन जब मैने उसे बहुत देर तक किस नही किया तो, उसने अपनी आँखे खोल कर मेरी तरफ देखा और पुच्छने लगी.

कीर्ति बोली “क्या हुआ जान, किस क्यो नही कर रहे हो.”

मैं बोला “जान, तू दुनिया की सबसे सुंदर लड़की है.”

कीर्ति बोली “ओके बाबा, मैं सबसे सुंदर हूँ. अब तो किस करो.”

मैं बोला “मुझे कोई किस विस्स नही करना. मैने तो तुझसे किसी लेने को कहा था.”

कीर्ति बोली “जान, अब ज़्यादा नाटक मत करो. सीधे तरह से किस करते हो या नही.”

मैं बोला “मैं नही करूगा.”

कीर्ति बोली “जानंननणणन्, प्लीज़ किस करो ना. क्यो अच्छा भला मूड खराब कर रहे हो.”

मेरा मूड उसके साथ शरारत करने का हो रहा था. इसलिए मैने उसे तंग करते हुए कहा.

मैं बोला “बोल तो दिया कि, मुझे कोई किस नही करना. फिर क्यो ज़बरदस्ती मेरे पिछे पड़ी है.”

मेरी बात सुनकर कीर्ति ताव मे आ गयी और मुझे धमकाते हुए कहने लगी.

कीर्ति बोली “अच्छा तो मैं तुम्हारे पिछे पड़ी हूँ. अब मैं भी देखती हूँ कि, तुम मुझे कैसे किस नही करते.”

ये कह कर कीर्ति ने मेरे चेहरे को अपने हाथों मे पकड़ा और अपने होंठ मेरे होंठों पर रख कर, ज़बरदस्ती किस करने लगी. मुझे उसका यू ज़बरदस्ती करना अच्छा लग रहा था. इसलिए मैं खुद को उस से छुड़ाने की कोसिस करने लगा.

मगर कीर्ति ने मेरे चेहरे को मजबूती से पकड़ लिया और मेरे होंठो को चूसना सुरू कर दिया. वो मेरे होंठ चूस रही थी और मैं खुद को उस से छुड़ाने की कोसिस कर रहा था. कीर्ति लगातार मेरे होंठ चुस्ती जा रही थी.

आख़िर कुछ देर बाद उसके किस ने असर दिखाना सुरू कर दिया और मेरी सारी नाटक बाजी बंद हो गयी. मैने भी अपने दोनो हाथ उसके चेहरे पर रख दिए और उसके किस के जबाब मे, मैं भी उसके होंठ चूसने लगा.

हम दोनो एक दूसरे के होंठों को जितना भी चूस रहे थे. हमारी प्यास उतनी ही बढ़ती जा रही थी. हम दोनो एक दूसरे के होंठ चूमने मे मगन थे. कीर्ति के होंठों को चूमते चूमते मैने अपना एक हाथ बढ़ा कर उसके सीने पर रख दिया. कीर्ति किस करने मे मगन थी. फिर भी उसका ध्यान एक पल के लिए किस से हट गया.

उसने मेरे हाथ को अपने सीने से अलग किया और फिर से किस करने लगी. मैं जानता था मेरे ऐसा करने से कीर्ति को दर्द होता है. फिर भी उसका इस तरह से मेरा हाथ अलग कर देना, मुझे अच्छा नही लगा. मेरी इस नाराज़गी का अहसास कीर्ति को चेहरे और किस करने से हो गया था.

लेकिन उसने किस करना बंद नही किया और अपनी जीभ मेरे मूह के अंदर डाल दी. फिर अपनी जीभ को मेरे मूह मे घुमाने लगी. मुझ पर एक अलग ही नशा चढ़ने लगा. कीर्ति ने अपनी आँख खोल कर मुझे देखा और फिर अचानक ही मेरा हाथ पकड़ कर अपने सीने पर रख दिया.

मगर मैने फ़ौरन ही अपना हाथ वापस हटा लिया. लेकिन कीर्ति ने फिर मेरा हाथ पकड़ कर अपने सीने पर रख लिया और धीरे धीरे अपने बूब्स पर दबाने लगी. कुछ पल के लिए मैने अपने हाथ को ढीला छोड़ा रहा. लेकिन उसके नरम नरम बूब्स का अहसास मिलते ही मेरे हाथ खुद ब खुद उसके बूब्स पर चलने लगे और मैं उन्हे धीरे धीरे दबाने लगा.

अभी हम किस करने मे मगन ही थे कि, तभी कीर्ति का मोबाइल बजने लगा. मैं किस करते करते रुक गया. लेकिन कीर्ति ने किस करना बंद नही किया और मुझे भी आँखों से इशारा करके किस करने को कहा. मैं फिर से किस करने मे मगन हो गया.

अब मैं बेहताशा कीर्ति के होंठों को चूस रहा था और उसके मूह मे अपनी जीभ डाल कर घुमा रहा था. साथ ही साथ उसके बूब्स को भी मसल रहा था. मुझे किस करने मे इतना मज़ा आ रहा था कि, मैने कीर्ति के बूब्स को ज़ोर ज़ोर से दबाना सुरू कर दिया. लेकिन कीर्ति ने मुझे नही रोका.

मेरे किस करने और कीर्ति के बूब्स मसल्ने से, कुछ ही देर मे कीर्ति के उपर वो ही पहले वाली मदहोशी सी छाने लगी और उसकी आँखे नशीली सी होने लगी. जिसे देखते ही मुझे पिच्छली बार वाली घटना की याद आ गयी. मैने फ़ौरन ही कीर्ति को किस करना और उसके बूब्स मसलना बंद कर दिया.

लेकिन कीर्ति अब पूरी तरह से मदहोशी के आलम मे थी. उसने फिर से मेरा हाथ पकड़ कर अपने बूब्स पर रख दिया और उन्हे दबाने का इशारा करने लगी. मैने डरते डरते फिर से उसे किस करना और उसके बूब्स मसलना सुरू कर दिए. कुछ ही देर मे, मेरे मे भी तनाव आना सुरू हो गया.

मेरे उपर भी एक अजब ही नशे का सुरूर छाया हुआ था. मैने इसी नशे के सुरूर मे कीर्ति को लिटा दिया और खुद उसके उपर आ गया. अब मैं मैं कपड़ो के उपर से ही कीर्ति के बूब्स को मसल्ते हुए अपने लिंग को कीर्ति की जांघों के बीच रगड़ने लगा.

कीर्ति तो मुझसे ज़्यादा नशे मे लग रही थी. वो अब बस अपनी आँखे बंद किए, मेरे बालों पर हाथ फेर रही थी. मेरे लिंग का तनाव बढ़ता जा रहा था और मैं ज़ोर ज़ोर से उसे कीर्ति की जांघों के बीच रगड़ रहा था और कीर्ति मेरे नीचे किसी मछली की तरह तड़प रही थी.

हम दोनो के उपर ही एक जुनून सॉवॅर था और जुनून मे हमे जो करना अच्छा लग रहा था. हम वो किए जा रहे थे. कुछ ही देर मे कीर्ति का तड़पना बंद हो गया. मगर मैं अभी भी ज़ोर ज़ोर से अपने लिंग को, कीर्ति की जांघों के बीच रगडे जा रहा था. अब कीर्ति लेटी लेटी बस मेरे सर पर हाथ फेर रही थी और मेरे रुकने का इंतजार कर रही थी.

फिर अचानक ही मेरे लिंग का तनाव कुछ ज़्यादा बढ़ा और उसने पानी छोड़ना सुरू कर दिया. मेरा सारा पानी मेरे अंडर वेअर मे समाने लगा. मेरा लिंग 4-5 पिचकारी छोड़ने के बाद शांत पड़ गया और मैं भी जल्दी से कीर्ति के उपर से उठ कर बैठ गया. मैने कीर्ति को भी पकड़ कर बैठा दिया और उसे अपने सीने से चिपका लिया.

आज मैं बहुत खुश था. क्योकि चाहे हम दोनो ने सेक्स ना किया हो. फिर भी आज मेरे लिंग का पानी कीर्ति की वजह से निकला था. कीर्ति का मोबाइल अभी भी बज रहा था. मगर उसे उसकी ज़रा भी परवाह नही थी. कुछ देर तक हम ऐसे ही एक दूसरे की बाहों मे बाहें डाल कर बैठे रहे.

फिर कुछ देर बाद कीर्ति ने कुछ सकुचाते हुए कहा.

कीर्ति बोली “जान, मुझे टाय्लेट जाना है.”

अब टाय्लेट तो मुझे भी जाना था. इसलिए मैं बिना कुछ कहे खड़ा हो गया और फिर हम लोग वही कुछ दूरी पर बने टाय्लेट की तरफ चल दिए. वहाँ हमे फ्रेश होने मे कोई 15 मिनट लगे. उसके बाद हम वापस आकर उसी जगह पर बैठ गये.

लेकिन अब हम दोनो ही खामोश थे और उस गुज़रे हुए पल के बारे मे सोच रहे थे. जो अभी हमने एक दूसरे के साथ बिताया था. कीर्ति की खामोशी से मुझे लगा कि, शायद उसे ये सब अच्छा नही लगा है. इसलिए मैने उस के चेहरे को पकड़ कर अपने चेहरे के सामने किया और उस से पुछा.

मैं बोला “क्या हुआ. इतना चुप चुप क्यो है. क्या तुझे मेरा वो सब करना बुरा लगा है.”

मेरे मूह से ये बात सुनते ही कीर्ति ने मुस्कुराते हुए मेरा हाथ पकड़ लिया और कहने लगी.

कीर्ति बोली “नही जान, मुझे तुम्हारा कुछ भी करना, बुरा नही लगा.”

मैं बोला “जब तुझे बुरा नही लगा तो, फिर तू इतनी चुप चुप क्यो थी.”

कीर्ति बोली “वो तो मैं इस लिए चुप थी. क्योकि मुझे समझ मे नही आ रहा था कि, क्या बात करूँ.”

मैं कीर्ति को सवाल करके परेशान नही करना चाहता था. इसलिए मैने उसे अपने गले से लगा लिया और फिर कहा.

मैं बोला “चल कोई बात नही. लेकिन कुछ भी कहो. आज की तेरी किस्सी पहले की सभी क़िस्सी से लाजबाब थी.”

लेकिन अब कीर्ति अपने शरारती मूड मे वापस आ चुकी थी. उसने बड़ी शरारत वाले अंदाज मे मुझसे कहा.

कीर्ति बोली “वो सब तो ठीक है. लेकिन तुम अपनी चाबी मुझे क्यो चुबा रहे थे.”

इतना कह कर कीर्ति हँसने लगी. उसकी बात सुनकर मुझे भी हँसी आ गयी और मुझे याद आया कि, जब पहली बार कीर्ति को मेरे लिंग की चुभन महसूस हुई थी. तब उसने मुझसे पुछा था कि, ये मुझे क्या चुभ रहा है. तब मैने ही उस से कहा था कि, ये मेरी बाइक की चाबी है. आज वो उसी बात को याद दिला कर मुझे छेड़ रही थी.

इस बात के याद आते ही, मैने भी मुस्कुरा कर, उसी के अंदाज मे जबाब देते हुए कहा.

मैं बोला “ये जिस ताले की चाबी है. वो ताला इस चाबी को आज तक मिला ही नही. इसलिए इसे तुझे चुभा कर, इस चाबी का अरमान पूरा कर दिया.”

कीर्ति बोली “जान, मुझे देखना है.”

मैं बोला “क्या देखना है.”

कीर्ति बोली “जान, मुझे तुम्हारी चाबी देखना है.”

मैं बोला “क्यो.”

कीर्ति बोली “बस यूँ ही देखना है.”

मैं बोला “अभी नही, फिर कभी देख लेना.”

कीर्ति बोली “नही, मुझे अभी ही देखना है.”

मैं बोला “क्यो बेकार मे परेशान कर रही है. कह तो रहा हूँ कि, बाद मे दिखा दूँगा.”

कीर्ति बोली “वाह, रिया देख सकती है तो, मैं क्यो नही देख सकती.”

कीर्ति के मूह से रिया का नाम सुनना मुझे अच्छा नही लगा और मेरा चेहरा उतर गया. कीर्ति समझ गयी कि, मुझे उसकी ये बात पसंद नही आई है. उसने फ़ौरन मुझे मनाते हुए कहा.

कीर्ति बोली “सॉरी जान, मैं तो मज़ाक कर रही थी. मुझे नही मालूम था कि, तुम्हे रिया का नाम लेना इतना बुरा लगेगा.”

मैने भी इस बात को ज़्यादा बढ़ाना ठीक नही समझा और अपना मूड सही करते हुए उस से कहा.

मैं बोला “देख मेरे और रिया के बीच जो कुछ भी हुआ है. वो सिर्फ़ एक वक्त का जुनून था. मैं अभी इतने दिन रिया के पास रह कर आया हूँ. मगर मैने इतने दिनो मे कभी भी उसके साथ ऐसा कुछ करने के बारे मे सोचा तक नही है.”

कीर्ति बोली “मैं जानती हूँ जान, तुम चाहते तो वहाँ सब कुछ कर सकते थे. लेकिन तुमने मेरे प्यार की खातिर कुछ भी नही किया.”

मैं बोला “जब तू सब जानती है तो, फिर बार बार रिया का नाम क्यो लेती है. तुझे मालूम है कि, मुझे तेरे मूह से उसका नाम सुनना अच्छा नही लगता.”

कीर्ति बोली “ओके, आज के बाद मैं कभी रिया का नाम नही लुगी. अब तुम अपना मूड सही करो.”

मैं बोला “मेरा मूड बिल्कुल सही है. तू बोल तुझे क्या बोलना है.”

मगर कीर्ति ने जब देखा कि मेरा मूड सही हो गया है. तब वो फिर से अपनी शरारत पर उतर आई और कहने लगी.

कीर्ति बोली “मुझे कुछ बोलना नही है. मुझे तो कुछ देखना है.”

ये बोल कर वो खिलखिला कर हँसने लगी. मैं उसकी इस बात से पिछा छुड़ाना चाहता था. इसलिए मैने बात को बदलते हुए कहा.

मैं बोला “ये बेकार की बात बंद कर और पहले अपना मोबाइल देख. ना जाने कब से किसी का फोन आए जा रहा है.”

लेकिन कीर्ति मेरी इस चल को समझ चुकी थी. उसने फ़ौरन अपनी बात को दोहराते हुए कहा.

कीर्ति बोली “ज़्यादा बात बदलने की कोसिस मत करो. मैने जो देखने को कहा है. पहले मुझे वो दिखाओ.”

मैने भी उस से भोला बनते हुए कहा.

मैं बोला “मैं कहा बात बदल रहा हूँ. मैं तो सिर्फ़ ये कह रहा हूँ कि, ना जाने कौन तुझे आधे घंटे से कॉल पर कॉल लगाए जा रहा है और तू है की देख तक नही रही है. एक बार देख तो ले, हो सकता है कि, कोई ज़रूरी कॉल आ रही हो.”

कीर्ति बोली “वो मैं कुछ देर बाद देख लुगी. अभी तो मुझे वो दिखाओ, जो मैं देखने को कह रही हूँ.”

जब मैने देखा की कीर्ति अपनी बात से पिछे नही हट रही है. तब मैने दूसरी चाल चलते हुए, उस से कहा.

मैं बोला “क्या तूने मुझे कभी कुछ दिखाया है. जो मैं तुझे दिखाऊ.”

कीर्ति बोली “तुम बोलो, तुम्हे क्या देखना है. मैं अभी दिखाती हूँ.”

मैने सोचा ये ऐसे ही बोल रही है. इसलिए मैने उसके बूब्स की तरफ इशारा करते हुए कहा.

मैं बोला “मुझे ये देखना है.”

कीर्ति बोली ‘बस इतनी सी बात, ये लो मैं अभी दिखा देती हूँ.”

ये कह कर उसने एक नज़र अगल बगल दौड़ाई और फिर अपने टॉप को पकड़ कर उपर उठाने लगी. जब मैने उसे ऐसा करते देखा तो, फ़ौरन उसका हाथ पकड़ लिया और उसे रोकते हुए कहा.

मैं बोला “तुझे कुछ शरम हया है कि नही. कहीं भी, कुछ भी करने लगती है.”

कीर्ति बोली “मेरे अंदर शरम हया दोनो है. लेकिन तुमसे कैसी शरम. ये सब तुम्हारा ही तो है. फिर भला मैं इसे देखने से, तुम्हे रोकने वाली कौन होती हूँ.”

कीर्ति की ये बात मेरे दिल को छु गयी. मुझे उसके उपर बहुत ज़्यादा प्यार आया और मैने उसे खीच कर अपने गले से लगाते हुए कहा.

मैं बोला “तू सच मे बहुत बड़ी पागल है. तुज़से जीत पाना मेरे बस की बात नही है.”

कीर्ति बोली “जब तुम्हे ये मालूम है तो, फिर तुम ऐसी कोसिस ही क्यो करते हो. अब मुझे बातों मे मत बहलाओ और जो मुझे देखना है, जल्दी से दिखाओ.”

मैं बोला “इस सब के लिए ये ठीक जगह नही है. तुझे देखना ही है तो, तू घर चल कर देख लेना.”

कीर्ति बोली “वाह इसे देखने के लिए ये सही जगह नही है और अभी जो कर रहे थे. उसके लिए ये ठीक जगह थी.”

मैं बोला “यार तुझे पता है कि, वो सब अचानक ही हो गया था. मेरा ऐसा कुछ भी करने का कोई इरादा नही था.”

कीर्ति बोली “तो फिर इसे भी अचानक कर दो.”

कीर्ति की इस बात का मेरे पास कोई जबाब नही था. मैं अजीब ही परेशानी मे फस गया था. कीर्ति मुझे अपनी बातों मे उलझाए जा रही थी और मैं उसकी बातों मे उलझा जा रहा था. जब उसने मुझे इस तरह परेशान देखा तो, फिर वो हंसते हुए कहने लगी.

कीर्ति बोली “चलो, आज मैं तुम्हे छोड़ देती हूँ. लेकिन अगली बार मैं तुम्हारी इस चाबी को देख कर ही रहूगी. अगली बार कोई बहाना नही चलेगा.”

ये कह कर वो खिलखिलाकर हँसने लगी और मैने भी राहत की साँस ली. कुछ देर तक वो यू ही हँसती रही. फिर जब उसकी हँसी थमी तो, उसने थोड़ा संजीदा होते हुए मुझसे कहा.

कीर्ति बोली “जान, मैं तुम्हे बहुत परेशान करती हूँ ना.”

मैं बोला “नही, तू मुझे ज़रा भी परेशान नही करती.”

कीर्ति बोली “सच मे मैं तुम्हे परेशान नही करती ना.”

मैं बोला “हाँ, तू सच मे मुझे परेशान नही करती. बल्कि तेरी ये शरारते ही तो है. जो तेरे पास ना होने पर भी, मुझे हमेशा तेरे पास बनाए रखती है और हमेशा गुदुगुदाये रहती है.”

मेरी बात सुनकर कीर्ति ने मेरे गाल को चूम लिया और मेरे सीने से लगती हुई कहने लगी.

कीर्ति बोली “आइ लव यू जान.”

मैं बोला “आइ लव यू टू.”

ये कह कर मैं उसके सर पर हाथ फेरने लगा. तभी फिर से उसका मोबाइल बजने लगा. मगर कीर्ति ने अभी भी अपने मोबाइल को देखने की कोसिस नही की और मुझसे बात करने मे लगी रही.
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RE: MmsBee कोई तो रोक लो - by desiaks - 09-09-2020, 02:08 PM
(कोई तो रोक लो) - by Kprkpr - 07-28-2023, 09:14 AM

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