RE: MmsBee कोई तो रोक लो
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मैं प्रिया के कुछ बोलने का इंतजार कर रहा था. प्रिया के चेहरे के रंग पल पल बदल रहे थे. ऐसा लग रहा था कि, जैसे वो मन ही मन अपने आप को कुछ समझाने की कोसिस कर रही हो.
कुछ देर वो मन ही मन, अपने आप से बातें करती रही. फिर अचानक ही उसके चेहरे पर मुस्कुराहट आ गयी. उसने मेरी तरफ मुस्कुराते हुए देखा और फिर मुझसे पुच्छने लगी.
प्रिया बोली “इस बात को तुम्हारे सिवा और कौन कौन जानता है. क्या निक्की को ये बात पता है.”
मैं बोला “इस बात को सिर्फ़ 4 लोग जानते थे. एक तो डॉक्टर अमन, दूसरा मेरा एक यही का दोस्त है, तीसरी निक्की और चौथी वो लड़की. लेकिन अब तुमको मिलकर इस बात को 5 लोग जानने लगे है.”
प्रिया बोली “लेकिन निक्की जब ये बात जानती थी. तब उसने ये बात मुझे क्यो नही बताई.”
मैं बोला “निक्की से मैने किसी से कुछ भी बताने से मना किया था. मैने निक्की से कहा था कि, जिसको भी कुछ बताना होगा. मैं खुद ही बताउन्गा. क्या इसके बाद भी तुमको लगता है कि, निक्की ने तुम्हे, बात ना बताकर ग़लत किया है.”
प्रिया बोली “नही, निक्की ने कुछ ग़लत नही किया. लेकिन उसे तुमसे जुड़ी बात मुझे बता देनी चाहिए थी. मैं थोड़ी किसी को जाकर ये बात बता देती. बल्कि मैं भी तुम्हारा साथ ही देती.”
मैं बोला “ठीक है, अगली बार जब भी ऐसी कोई बात होगी. मैं सबसे पहले तुमको ही बताउन्गा. लेकिन अब तुम इस बात को लेकर निक्की से नाराज़ मत हो जाना. नही तो वो सोचेगी कि, एक तो उसने मेरी मदद की और उपर से मैने तुमसे ये बात बता कर उसकी तुमसे लड़ाई करवा दी.”
प्रिया बोली “नही, नही, मैं निक्की से कुछ नही कहुगी. लेकिन तुम भी अपना वादा याद रखना. अगली बार तुम्हारी कोई भी बात हो, सबसे पहले मुझे ही पता चलनी चाहिए.”
मैं बोला “हाँ, मैं अपना वादा याद रखुगा. मगर अब तुम भी इतनी ज़रा ज़रा सी बात पर मुझसे नाराज़ मत होना. तुम्हारे मन मे यदि कोई बात थी तो, तुम मुझसे पुछ सकती थी. उसके लिए मुझसे नाराज़ होने की क्या ज़रूरत थी.”
मेरी बात सुनकर प्रिया खिलखिला कर हँसने लगी. उसका इस तरह से हसना मुझे बहुत अच्छा लग रहा था. मैने भी उस से हंसते हुए कहा.
मैं बोला “अब कैसे खिलखिलाकर हंस रही हो. कल तो कैसा मूह फूला कर रखा हुआ था और मेरी तरफ देख तक नही रही थी.”
प्रिया बोली “कल मुझे तुम्हारे उपर बहुत गुस्सा था. एक तो तुम मुझे बताकर नही गये थे. उस पर मैं तुम्हे कॉल कर रही थी तो, तुम मेरा कॉल उठा भी नही रहे थे.”
मैं बोला “हाँ ये मेरी ग़लती थी कि, मैं तुम्हे बता कर नही गया था. लेकिन तुमने मुझे कब कॉल लगाया. मेरे पास तो तुम्हारा कोई कॉल नही आया.”
प्रिया बोली “मैने नये वाले मोबाइल पर तुम्हे कॉल किया था.”
प्रिया की ये बात सुनकर मुझे याद आया कि, उसका मोबाइल तो मैं अपने साथ लेकर ही नही गया था और लौट कर आने के बाद, मैने उसे देखा भी नही था कि, उसमे प्रिया का कोई कॉल है या नही. ये बात याद आते ही मैने प्रिया से कहा.
मैं बोला “वो मोबाइल तो मैं जल्दी जल्दी मे, अपने साथ ले जाना ही भूल गया था. तुम्हे मेरे दूसरे नंबर पर कॉल करना चाहिए था.”
प्रिया बोली “जब मैने उस नंबर पर बहुत बार कॉल लगाया तो, मुझे समझ मे आ गया था कि, तुम वो मोबाइल अपने साथ नही ले गये. इस बात से मुझे तुम पर और भी ज़्यादा गुस्सा आ गया था. इसलिए फिर मैने तुम्हारे दूसरे नंबर पर कॉल नही लगाया.”
मैं बोला “सॉरी, ये भी मेरी ही ग़लती थी. अब मैं तुम्हे इस शिकायत का मौका भी कभी नही दूँगा. लेकिन तुम यूँ ज़रा ज़रा सी बात पर मुझसे नाराज़ रहना बंद कर दो. मैं कौन सा तुम्हारे पास जिंदगी भर रहने वाला हूँ. कुछ दिन बाद तो, मुझे अपने घर वापस जाना ही है.”
कहने को तो मैं ये बात एक ही झटके मे कह गया था. लेकिन मेरी इस बात को सुनते ही प्रिया का खिला हुआ चेहरा मुरझा गया था. उसके मुरझाए हुए चेहरे को देखते ही, मुझे अपनी ग़लती का अहसास हुआ और मुझे अपने आप बहुत गुस्सा आया.
लेकिन कमान से निकला तीर और मूह से निकली बात, जब अपने निशाने पर पहुचते है. तब उसे छोड़ने वाले को उस दर्द का अहसास नही हो पता. जो दर्द उसका निशाना बनने वाले को होता है.
ऐसा ही कुछ दर्द अब प्रिया के चेहरे से झलक रहा था. उसे मेरी जुदाई की बात ने बेचैन कर दिया था. मैं इस दौर से गुजर चुका था. इसलिए मुझे उसके दर्द का अंदाज़ा पूरा नाहो तो, कुछ हद तक ज़रूर हो रहा था.
मैने अपनी ग़लती को सुधारने और प्रिया का ध्यान इस बात से हटाने के लिए, हंसते हुए उस कहा.
मैं बोला “प्रिया, ये बताओ, तुम मुझे वो सब कब सिखा रही हो.”
प्रिया बोली “क्या.”
मैं बोला “वही, गर्लफ्रेंड बाय्फ्रेंड बंद कमरे मे क्या करते है.”
ये कह कर मैं हँसने लगा. लेकिन मेरी इस बात से भी प्रिया के चेहरे से मुस्कान गायब ही रही. उसने मुझे रूखा सा जबाब देते हुए कहा.
प्रिया बोली “प्लीज़, अभी मेरा मज़ाक का मूड नही है. अभी कोई मज़ाक मत करो.”
मैं समझ गया कि अभी प्रिया के दिमाग़ मे वही बात घूम रही है और ऐसे मे उसे मुझसे मिलने की बात के सिवा कोई बात सुकून नही देगी. इसलिए मैने प्रिया से कहा.
मैं बोला “ठीक है प्रिया. अब मैं कोई मज़ाक नही करूगा. लेकिन क्या मैं तुम से एक बात पुच्छ सकता हूँ.”
प्रिया ने बड़ी ही मायूसी भरे शब्दो मे कहा.
प्रिया बोली “हाँ पुछो.”
मैं बोला “जब राज और रिया, आंटी के साथ हमारे शहर आई थी. तब तुम उनके साथ क्यो नही आई.”
प्रिया बोली “मुझे चाचा के घर जाना बिल्कुल पसंद नही है.”
मैं बोला “क्यो.”
प्रिया बोली “वो चाचा चाची को मेरा रहन सहन ज़रा भी पसंद नही है. वो बात बात पर मुझे टोकते रहते है. इसलिए मैं उनके घर कभी नही जाती.”
मैं बोला “ये तो पहले की बात हो गयी. जब तुम मुझे जानती नही थी. लेकिन अब तो हम दोस्त बन गये है. क्या अब तुम मुझसे मिलने भी वहाँ नही आओगी.”
प्रिया बोली “मैं तो तुमसे मिलने आ जाउन्गी. लेकिन अब शायद तुम इसके बाद, मुझसे मिलने कभी नही आओगे.”
मैं बोला “ऐसी बात नही है. मेरी अंकल के डॉक्टर से बात हुई थी. उन्हो ने मुझे बताया था कि, हमे 3 महीने बाद फिर अंकल को दिखाने आना पड़ेगा.”
प्रिया बोली “वो तो तुम एक बार अंकल को दिखाने आओगे और चले जाओगे. उसके बाद क्या फिर दोबारा आ पाओगे.”
मैं बोला “हाँ क्यो नही आ पाउन्गा. डॉक्टर का कहना है कि, 5 साल तक अंकल को हर साल यहाँ आकर दिखना पड़ेगा. इसलिए साल मे एक बार तो मेरा यहाँ आना ज़रूर होगा. अब तुम बताओ कि, तुम मेरे यहाँ कब आ रही हो.”
मेरी बात सुनकर प्रिया मेरी तरफ देखने लगी. जैसे जानना चाहती हो कि, क्या मैं उसे बहलाने के लिए ये बात कह रहा हूँ या फिर मैं सच मे चाहता हूँ कि वो मेरे यहाँ आए. मैने उसे इस तरह अपनी तरफ देखते देखा तो, फिर से अपनी बात को दोहराते हुए कहा.
मैं बोला “बताओ ना, तुम मेरे यहाँ कब आ रही हो.”
प्रिया बोली “क्या तुम सच मे चाहते हो मैं वहाँ आउ.”
मैं बोला “हाँ क्यो नही. तुमने मुझे फोन बात करने के लिए दिया है. अब हम रोज बात करेगे तो, क्या मेरा दिल तुमसे मिलने के लिए नही करेगा.”
प्रिया बोली “तुम वहाँ जाकर सच मे मुझसे रोज बात किया करोगे.”
मैं बोला “हाँ, मैं वहाँ जाकर रोज तुमसे बात किया करूगा और यदि ना करूँ तो, तुम वहाँ आकर मेरी जम कर पिटाई कर देना.”
मेरी ये बात सुनकर प्रिया हँसने लगी. उसे हंसते देख कर मुझे भी सुकून मिल गया. मैने उस से फिर पुछा.
मैं बोला “अब बताओ भी, तुम मुझसे मिलने कब आओगी.”
प्रिया बोली “एग्ज़ॅम के बाद जब मेरी छुट्टियाँ पड़ेगी. तब मैं ज़रूर वहाँ आउगि.”
मैं बोला “पक्का आओगी.”
प्रिया बोली “हाँ, पक्का आउगि.”
अब प्रिया का मूड थी हो चुका था और मैं नही चाहता था कि, फिर मेरी किसी बात से उसका मूड खराब हो जाए. इसलिए मैने प्रिया से कहा.
मैं बोला “अच्छा, अब मैं उपर जाता हूँ और निक्की को नीचे भेजता हूँ. तुम उसके साथ घर चली जाना.”
प्रिया बोली “नही, मैं अभी घर नही जाउन्गी.”
मैं बोला “क्यो.”
प्रिया बोली “कल से मेरे स्कूल की छुट्टियाँ ख़तम हो रही है. इसलिए मैं आज का दिन तुम्हारे साथ ही बिताना चाहती हूँ. मैं तुम्हारे साथ ही घर चलूगी.”
मैं बोला “ठीक है, जैसी तुम्हारी मर्ज़ी.”
ये बोलकर मैं उपर चला गया और निक्की को नीचे भेज दिया. फिर मैं अंकल के पास ही बैठा रहा. उसके बाद 11:30 निक्की फिर उपर आ गयी. निक्की के आने पर मैं नीचे आ गया और प्रिया के पास बैठा बात करता रहा.
फिर 12 बजे राज भी आ गया. उस से मेरी थोड़ी बहुत बातें हुई और फिर वो हम लोगों को घर जाने के लिए बोलकर उपर अंकल के पास चला गया. कुछ देर बाद निक्की भी नीचे आ गयी और फिर मैं हम तीनो घर आ गये.
घर आकर मैने मेहुल को देखा तो, वो सो रहा था. मैने उसे जगाना ठीक नही समझा और अपने कमरे मे आ गया. मेरे कमरे मे आने के, थोड़ी ही देर बाद प्रिया मुझे खाने के लिए बुलाने आ गयी और मैं उसके साथ खाने के लिए चला गया.
आज भी रिया खाने पर मौजूद नही थी. पुच्छने पर पता चला कि, वो पापा के साथ गयी हुई है. मुझे रिया का इस तरह से पापा के साथ जाना पसंद नही आ रहा था. इसलिए मैने सोचा कि आज रिया से बात करना ही पड़ेगी. ये ही सब बातें सोचते सोचते मैने अपना खाना ख़तम किया और फिर सबसे थोड़ी बहुत बातें करने के बाद 1 बजे मैं अपने कमरे मे आ गया.
कमरे मे आकर मैं, कीर्ति के कॉल आने का इंतजार करने लगा. कुछ ही देर बाद कीर्ति का कॉल आ गया. मेरी उस से थोड़ी बहुत बातें हुई. फिर मेरे हॉस्पिटल जाने का टाइम होने लगा तो, उसने बाद मे बात करने की कह कर, फोन रख दिया.
उसके बाद मैं हॉस्पिटल चला गया. हॉस्पिटल पहुचते ही मैने राज को घर भेज दिया. अब मैं अंकल से पास बैठा हुआ था. लेकिन मेरा दिमाग़ सिर्फ़ पापा के आस पास ही घूम रहा था. इस समय मेरे दिमाग़ मे सिर्फ़ एक ही बात चल रही थी कि, चाहे जैसे भी हो, रिया को पापा के साथ यू रोज रोज जाने से रोकना है.
मैं अभी अपनी इन्ही सोचो मे गुम था कि, 3 बजे कीर्ति का कॉल आने लगा. मैं उठ कर नीचे आ गया और फिर मैने कीर्ति को रिया की बात बताई. उसने फिर से अपनी वही बात दोहराई कि, मैं रिया से इस बारे मे साफ साफ बात कर लूँ. थोड़ी देर मेरी कीर्ति से इसी बारे मे बात चलती रही. फिर उसके फोन रखने के बाद, मैं उपर अंकल के पास चला गया.
मुझे अभी अंकल के पास आए, अभी कुछ ही देर हुई थी कि, प्रिया आ गयी. उसने आते ही कहा कि, वो यहाँ अंकल के पास बैठ रही है. मैं नीचे निक्की के पास चला जाउ. उसकी बात सुनकर मैं नीचे आ गया.
नीचे आने पर जब मैं निक्की के पास पहुचा तो, वहाँ निक्की अकेली नही थी. उसके साथ वहाँ मेहुल भी था. उन दोनो को साथ देख कर मैं समझ गया था कि, आज ये दोनो ज़रूर शिल्पा वाली बात को छेड़ेंगे.
लेकिन अब मुझे इस बात के करने से कोई परेशानी नही थी. क्योकि मेरी इस बात को करने की तैयारी तो, कीर्ति के साथ मिलकर पहले ही हो चुकी थी. आज मेरा भी मूड इस बात को यही ख़तम कर देने का था.
मैं बड़े आराम से चलते हुए दोनो के पास पहुचा और फिर मैने मेहुल से पुछा.
मैं बोला “तू इस समय यहाँ कैसे. मैने सुबह तुझसे दिन मे आने से मना किया था.”
मेहुल बोला “मेरी नींद पूरी हो चुकी है. अब इस से क्या फरक पड़ता है कि, मैं यहाँ हूँ या फिर घर मे हूँ.”
मैं बोला “चल कोई बात नही. अच्छा किया, जो तू आ गया.”
ये बोलकर मैं चुप हो गया और उनके पास ही बैठ गया. थोड़ी देर कोई कुछ नही बोला. फिर मेहुल ने कहा.
मेहुल बोला “यदि तेरा मूड सही हो तो, मुझे तुझे एक ज़रूरी बात करनी है.”
मैं बोला “हाँ बोल ना, क्या बात है.”
मेहुल बोला “तू जिस बात को लेकर निक्की से नाराज़ है. मैं वही बात करना चाहता हूँ.”
मैं बोला “मैं निक्की से किसी बात को लेकर नाराज़ नही हूँ. तू चाहे तो निक्की से पुछ सकता है.”
मेहुल बोला “तू बात को बदलने की कोशिश मत कर. क्या तूने निक्की से खुद नही कहा था कि, तू शिल्पा से प्यार करता है.”
मैं बोला “नही, मैने ऐसा कुछ भी नही कहा था.”
मेरी इस बात को सुनकर मेहुल और निक्की दोनो चौक गये. मेहुल मुझे छोड़ कर निक्की का चेहरा देखने लगा और निक्की आवाक सी मेरा चेहरा देखने लगी. उसे समझ मे नही आ रहा था कि, मैं झूठ क्यो कह रहा हूँ. लेकिन वो चाह कर भी मुझसे कोई सवाल करने की हिम्मत नही कर पा रही थी.
मगर निक्की का चेहरे के हाव भाव देख कर मेहुल समझ गया था कि, मैं निक्की से कही बात से मुकर रहा हूँ. उसने फिर मेरी तरफ देखते हुए कहा.
मेहुल बोला “देख तुझे सच नही बोलना है तो, मत बोल. लेकिन झूठ बोल कर इस बात पर, परदा डालने की कोशिश मत कर की, निक्की ने जो भी बताया था, वो सच नही था. उस दिन तेरा चेहरा इस बात की गवाही दे रहा था कि, निक्की ने जो भी कहा था. वो सब सच था.”
मैं बोला “वो तो मुझे निक्की की इस बात पर गुस्सा आया था कि, मैने उसे अपना दोस्त समझ कर, जो कुछ भी बताया था. वो सब उसने तुम्हारे सामने बिना कुछ सोचे समझे उगल दिया था. क्या उस समय मेरा इस बात से गुस्सा होना जायज़ नही था.”
मेहुल बोला “लेकिन तेरी इस बात से भी तो, यही साबित होता है कि तेरे और निक्की के बीच मे शिल्पा को लेकर बात हुई थी.”
मैं बोला “हाँ, हम दोनो के बीच शिल्पा को लेकर बात हुई थी. मैं इस बात से कब इनकार कर रहा हूँ.”
मेहुल बोला “अभी तो तूने कहा कि, तू शिल्पा से प्यार नही करता. जबकि निक्की से तूने कहा था कि, तू शिल्पा से प्यार करता था.”
मैं बोला “मैं फिर कह रहा हूँ कि, मैं शिल्पा से प्यार नही करता था. मैने निक्की से ऐसा कुछ भी नही कहा.”
मेहुल बोला “ओके, मैं मान लेता हूँ कि, तूने निक्की से ऐसा कुछ नही कहा. अब तू ही बता कि, तूने निक्की से क्या कहा था.”
मैं बोला “मेरी और निक्की की गर्ल और बाय्फ्रेंड को लेकर बात चल रही थी. निक्की ने पुछा कि, मेरी कोई गर्लफ्रेंड है. तब मैने कहा नही है. इसी बात को लेकर निक्की ने मुझसे पुछा कि, आपको अब तक कोई लड़की पसंद ही नही आई या किसी ने आपको धोका दे दिया. तब मैने निक्की से कहा कि, मुझे एक लड़की पसंद तो आई थी. लेकिन वही लड़की मेहुल को भी पसंद आ गयी. इसके बाद मेरा किसी लड़की की तरफ ध्यान ही नही गया.”
ये बोलकर मैने मेहुल और निक्की का चेहरा देखा. दोनो मेरी बात सुनकर खोए हुए थे. मैने फिर अपनी बात को पूरा करते हुए कहा.
मैं बोला “मेरे और निक्की के बीच बस यही बात हुई थी. अब तुम चाहो तो, इस बात के सच झूठ का पता, निक्की से कर लो.”
मेरी बात सुनकर मेहुल तो कुछ नही बोला. लेकिन निक्की ने फ़ौरन कहा.
निक्की बोली “हाँ, बिल्कुल यही बात हुई थी.”
निक्की की ये बात सुनकर मुझे थोड़ी राहत महसूस हुई. क्योकि मैने निक्की को बिना विस्वास मे लिए, ये सब बात कह दी थी. जबकि हक़ीकत मे निक्की को मैने शिल्पा के बारे मे वही बात बताई थी. जो बात मैने कीर्ति को बताई थी. निक्की की इस बात से मुझे, इतना तो समझ मे आ गया था कि, अब वो अपनी ग़लती को सुधारना चाहती है. इसलिए उसने मेरी हाँ मे हाँ मिला रही है.
लेकिन ये बात सुनकर भी मेहुल चुप रहा और किसी सोच मे खोया रहा. उसे शायद अब भी इस बात का विस्वास नही हो रहा था कि, मैं शिल्पा से प्यार नही करता. इसलिए मैने अपनी बात आगे बढ़ाते हुए निक्की से कहा.
मैं बोला “जब यही बात मैने कही थी तो, फिर बीच मे ये बात कहाँ से आ गयी कि, मैं शिल्पा से प्यार करता था.”
निक्की बोली “ये मेरी ग़लती थी. मैने आपके पसंद आने का मतलब ये लगा लिया कि, आप उस से प्यार करते थे.”
मगर निक्की की इस बात के बाद भी मेहुल पर कोई असर नही पड़ा. वो ना जाने अपने मन ही मन मे, किन सवालों मे उलझा हुआ था. अब मुझे ना चाहते हुए भी, वो बात कहने का फ़ैसला लेना पड़ा. जो बात कहने से मैं बचना चाहता था. मैने निक्की की बात के जबाब मे कहा.
मैं बोला “जब आपने इसे इतना सब कुछ बता दिया था तो, फिर ये क्यो नही बताया कि, मैं किसी और लड़की से प्यार करता हूँ.”
मेरी ये बात सुनकर जहाँ मेहुल मेरी तरफ फटी हुई आँखों से देखने लगा. वही निक्की का मूह खुला खुला रह गया. निक्की को समझ मे नही आया कि, मैं ये क्या कह रहा हूँ. उसे लगने लगा कि, अब शायद मैं मेहुल को, कीर्ति के बारे मे बताने जा रहा हूँ.
मेरी बात से दोनो की बेचेनी बड़ी हुई थी. निक्की तो खामोशी से मेरे कुछ बोलने का इंतजार कर रही थी. लेकिन मेहुल से सबर ना हुआ. उसने मुझसे पुछा.
मेहुल बोला “क्या तू ये सच बोल रहा है.”
मैं बोला “हाँ, ये बात सच है. मैं सच मे एक लड़की से प्यार करता हूँ.”
मेहुल बोला “कौन है वो. क्या नाम है उसका. क्या मैं उसे जानता हूँ.”
मैं बोला “उसका नाम अंकिता है. तुम उसे नही जानते.”
मेरी इस बात को सुनते ही निक्की के चेहरे पर मुस्कान आ गयी. वो समझ गयी कि, मैं मेहुल को किसी और लड़की के बारे मे बता रहा हूँ.
मेहुल बोला “ये सब कब हुआ. तूने आज तक मुझे ये बात बताई क्यो नही.”
मैं बोला “जब मेरी उस से मुलाकात हुई थी. मैं तभी ये बात तुझे बताने के लिए घर गया था. लेकिन तू उस समय मामा के घर गया हुआ था. फिर उसके बाद मुझे अंकल की तबीयत की बात पता चल गयी तो, मेरा ये बात बताने का मन ही नही किया.”
मेहुल बोला “क्या वो भी तुझसे प्यार करती है.”
मैं बोला “पता नही. हम अभी सिर्फ़ एक दूसरे से बात ही करते है. इस बारे मे ना मैने उस से पुछा और ना ही उसने कुछ बताया.”
मेहुल बोला “तो उस से इस बारे मे कब बात करेगा.”
मैं बोला “पहले यहाँ से तो फ़ुर्सत हो जाउ. फिर वाहा जाकर इस बारे मे सोचुगा.”
मेहुल बोला “मुझे उस से कब मिला रहा है.”
मैं बोला “तू जब कहेगा, तब मिला दूँगा. लेकिन उस से मिलकर अभी प्यार वाली कोई बात नही करना.”
मेहुल बोला “मैं ऐसी कोई बात नही करूगा. लेकिन आज तूने ये बात सुनकर मेरा दिल खुश कर दिया. अब हम चारों मिलकर खूब मस्ती करेगे.”
मैं बोला “हम चारों से तेरा क्या मतलब है.”
मेहुल बोला “अबे तू, मैं, शिल्पा और अंकिता.”
मैं बोला “मैने ऐसा तो कुछ नही कहा. तूने एक बार मिलवाने की बात की है. वो मैं पूरी कर दूँगा. लेकिन तू यदि ये सोच रहा है कि, इसके बाद मैं तेरे साथ कही घूमने भी जाउन्गा तो, तू ये सपने देखना छोड़ दे.”
मेहुल बोला “अबे तुझे मेरे साथ जाने मे क्या परेशानी है.”
मैं बोला “कोई परेशानी नही है. लेकिन मुझे तेरे साथ नही जाना, मतलब नही जाना.”
मेहुल मुझे अपने साथ चलने के लिए मनाता रहा. लेकिन मैं भी अपनी बात पर अड़ा रहा. निक्की हमारी इन बातों का मज़ा ले रही थी और धीरे धीरे मुस्कुरा रही थी. जब मैं मेहुल की बात मानने के लिए तैयार नही हुआ. तब मेहुल उठ कर अंकल के पास चला गया.
मेहुल के जाने के बाद निक्की ने पुछा.
निक्की बोली “ये अंकिता कौन है.”
मैं बोला “अंकिता एक लड़की है.”
मेरी बात सुनकर निक्की को हँसी आ गयी और उसने हंसते हुए फिर से पुछा.
निक्की बोली “ये तो मैं भी जानती हूँ कि, अंकिता एक लड़की है. लेकिन ये अचानक आपकी लव स्टोरी मे बीच मे कहाँ से आ गयी.”
मैं बोला “वो बीच मे आई नही. उसे आपकी वजह से बीच मे लाना पड़ गया. नही तो मेरे लिए मेहुल की बात का जबाब दे पाना बहुत मुस्किल हो जाता.”
निक्की बोली “सॉरी, आपको मेरी वजह से इतनी परेशानी उठना पड़ी. लेकिन मेरा सवाल अभी भी वही का वही है कि, ये अंकिता आपको कहाँ से मिल गयी.”
मैं बोला “अंकिता कीर्ति की सहेली है. उसे मेरे और कीर्ति के सिवा कोई नही जानता. इसलिए उसे अपनी गर्लफ्रेंड बनाकर मेहुल से मिलने मे मुझे कोई परेसानी नही है.”
निक्की बोली “तो ये सारा आइडिया कीर्ति का था.”
मैं बोला “हाँ, उसके सिवा ऐसा कोई दूसरा कर भी नही सकता है.”
निक्की बोली “अब तो आपकी परेशानी हल हो गयी है. क्या आप अभी भी मुझसे नाराज़ है.”
मैं बोला “नही, मैं आपसे नाराज़ नही हूँ. लेकिन मुझे ये बात जानना है कि, आपने ऐसा क्यो किया था.”
निक्की बोली “आप मुझे अपनी सफाई देने का मौका ही नही दे रहे थे तो, मैं आपको कैसे बताती कि, मैने ऐसा क्यो किया.”
मैं बोला “चलिए अब बता दीजिए कि, आपने ऐसा क्यो किया.”
निक्की बोली “अभी नही बता सकती. अभी प्रिया आ रही है. लेकिन मुझे जब भी अपनी बात कहने का मौका मिलेगा, मैं आपको इसकी वजह ज़रूर बताउन्गी.”
ये कह कर निक्की चुप हो गयी और मैं प्रिया की तरफ देखने लगा. प्रिया बहुत खुश नज़र आ रही थी और मन ही मन मुस्कुरा रही थी. जिस वजह से उसका चेहरा खिला खिला लग रहा था.
वो अपनी धुन मे, मुस्कुराते हुए बड़े आराम से, हमारे पास आई और फिर मेरे बाएँ तरफ (लेफ्ट साइड ) आकर बैठ गयी. उसके मन मे इस समय ना जाने क्या चल रहा था. जिसे सोचते हुए, उसने मेरे बयाँ (लेफ्ट) हाथ को, अपने दाहिने (राइट) हाथ से जाकड़ लिया और मेरे कंधे पर सर टिका कर आँख बंद करके बैठ गयी.
मैं और निक्की प्रिया की इस हरकत को बड़े गौर से देख रहे थे. लेकिन वो इन सब बातों से बेख़बर, मेरे कंधे पर सर रख कर, आँख बंद किए, मंद मंद मुस्कुरा रही थी और किसी दूसरी ही दुनिया मे खो गयी थी.
मेरी समझ मे ये नही आ रहा था कि, आख़िर उसे हुआ क्या है. वो इतना ज़्यादा खुश क्यो है और इस तरह की हरकत क्यो कर रही. उसकी इस मंद मंद मुस्कुराहट का कारण क्या है.
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