RE: MmsBee कोई तो रोक लो
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मैने दोनो को अपनी तरफ आते देखा तो, मैं वही रुक गया. निक्की ने मेरे पास आते ही कहा.
निक्की बोली “आप यहाँ नीचे क्या कर रहे है. क्या उपर अंकल के पास कोई और है.”
मैं बोला “नही, मेरा एक ज़रूरी कॉल आ गया था. इसलिए मैं नीचे आया था. मैं उपर जाने ही वाला था कि, आप दोनो को आते देख कर रुक गया.”
निक्की बोली “ओके, अब आप यही रुकिये और प्रिया के साथ बात कीजिए. तब तक मैं अंकल से मिलकर आती हूँ.”
लेकिन प्रिया ने उसकी बात को काटते हुए कहा.
प्रिया बोली “नही, पहले मैं अंकल के पास होकर आती हूँ, फिर बाद मे तुम चली जाना.”
निक्की बोली “ओके, पहले तू ही जाकर अंकल से मिल आ.”
निक्की की बात सुनकर प्रिया अंकल के पास चली गयी. मैं और निक्की वही बैठ गये. मैने निक्की से पुछा.
मैं बोला “रिया तो घर पर ही थी. फिर वो क्यो नही आई.”
निक्की बोली “रिया अभी सो रही है. वो शायद 4 बजे तक आएगी.”
मैं बोला “ठीक है, अब यदि आपका मूड हो तो, मेहुल वाली बात भी बता दीजिए.”
निक्की बोली “बिल्कुल बताती हूँ. उस दिन हुआ ये था कि, आपके जाने के बाद, मैं, राज और मेहुल हॉस्पिटल मे ही रुके रहे. मैं तो सारे समय नीचे ही रही. बस राज और मेहुल उपर नीचे हो रहे थे. जब मेहुल नीचे आया तो, मेरी उस से आपके बारे मे बातें होती रही. बातों बातों मे मेहुल ने बताया कि, जब से उसकी शिल्पा के साथ दोस्ती हुई है. तभी से आपके और मेहुल के बीच दूरियाँ बढ़ गयी.”
“मेहुल की उसी समय विशाल, आयन और कार्तिक नाम के लड़को से दोस्ती हुई. जिसकी देखा देखी आपने भी राहुल और असलम नाम के अपने नये दोस्त बना लिए. मेहुल को आपके नये दोस्त बनाने से कोई परेसानी नही थी. लेकिन उसे आपका राहुल से दोस्ती करना ज़रा भी पसंद नही आया था. क्योकि मेहुल की नज़र मे राहुल अच्छा लड़का नही था.”
“मेहुल ने आपसे राहुल से दोस्ती रखने के लिए मना भी किया. लेकिन आपने उस समय, शिल्पा से जलन की वजह से, उसकी ये बात नही मानी और फिर इस वजह से, आपके और मेहुल के बीच बात चीत कम हो गयी. लेकिन इस सब के बाद भी, ना तो आपने मेहुल से मिलना बंद किया और ना ही मेहुल ने आपसे मिलना बंद किया. दिली तौर पर आप लोगों ने एक दूसरे का साथ कभी नही छोड़ा. इसलिए आप लोगों की दोस्ती हमेशा बनी रही.”
निक्की की बात सुनकर मैने कहा.
मैं बोला “मेहुल ग़लत सोचता है. मेरे मन मे शिल्पा को लेकर कभी कोई जलन नही रही है. हाँ मैने इतनी ग़लती ज़रूर की थी कि, शिल्पा की वजह से मैने मेहुल से कहा था कि, हम स्कूल मे कभी नही मिलेगे. जिस बात को लेकर मेहुल ने अपने नये दोस्त बना लिए थे और मैं बिल्कुल अकेला हो गया था. मजबूरी मे मुझे राहुल और असलम से दोस्ती करनी पड़ी.”
“मेहुल ने मुझसे राहुल से दोस्ती तोड़ने के बारे मे ज़रूर कहा था. क्योकि राहुल एक बिगड़ा हुआ लड़का था. लेकिन राहुल मेरे साथ अच्छे से रहता था और कभी कोई ग़लत बात नही करता था. ऐसे मे मे राहुल से कैसे दोस्ती तोड़ सकता था.”
निक्की बोली “बस यही जलन वाली बात, मुझे भी मेहुल की बुरी लगी और मुझे मजबूरी मे, उस से ये कहना पड़ गया कि, आप शिल्पा से इसलिए दूर रहते है, क्योकि आप भी शिल्पा को प्यार करते थे. मैं मेहुल को इसके आगे कुछ और समझा पाती कि, उसके पहले ही आप आ गये और आपने हमारी ये बात सुन ली. फिर उसके बाद जो हुआ, वो आपके सामने था.”
मैं बोला “चलिए, जो हुआ उसे भूल जाइए. मैं अब मेहुल की सारी ग़लत फ़हमी दूर कर दूँगा. लेकिन आप एक बात बताइए कि, उस रात आप अकेले कैसे रुक गयी. क्या मेहुल और राज ने आपको यहाँ रुकने से रोका नही था.”
निक्की बोली “जब आप नाराज़ होकर उपर चले गये. तब मुझे बहुत बुरा लगा और मैने मेहुल से कहा कि, मैं आपसे अपनी ग़लती की माफी माँगे बिना वापस नही जाउन्गी. लेकिन मेरी बात सुनकर मेहुल परेशान हो गया. वो बोला कि तुम यहाँ रात को अकेली कहाँ रुकोगी. तब मैने अमन भैया से बात की और उन्होने मेरे रात रुकने के लिए डॉक्टेर्स का रेस्ट रूम खुलवा दिया.”
“राज नीचे आया तो, मैने उस से कह दिया कि, मेरी अमन भैया से बात हुई है. उन्हो ने मुझे यहाँ रुकने के लिए एक कमरा खुलवा दिया है. मैं आज रात यहाँ ही रूकूगी. उसने मुझे समझाने की कोसिस की, यहाँ रुकने की कोई ज़रूरत नही है. फिर भी मैने उसकी बात नही मानी. बाद मे मेहुल ने उस से कहा कि, इसे यही रुकने दो. इसकी डॉक्टर अमन से बात हो गयी है. इसे यहाँ रुकने मे कोई परेसानी नही होगी. आख़िर मे मेहुल की बात मान कर, वो दोनो घर चले गये और मैं आपसे माफी माँगने के लिए यही रुक गयी.”
मैं बोला “उसे आप माफी माँगना कहती है. वो तो सॉफ सॉफ धमकी देना कहलाता है. भला ऐसे भी किसी से माफी माँगी जाती है.”
निक्की बोली “मैं तो आपसे कान पकड़ कर सॉरी कह रही थी. लेकिन आप इतने गुस्से मे थे कि, आप मेरी कोई बात सुन ही नही रहे थे. ये देख कर मुझे भी, आप पर गुस्सा आ गया और फिर मुझसे वो सब हो गया.”
मैं बोला “कुछ भी कहिए, लेकिन आपका उस तरह से गुस्सा करना और फिर गुस्से मे वो सब पागलपन करना, मैं कभी नही भूल सकता. उस समय तो मैं सच मे आपसे डर गया था. मुझे ये लग रहा था कि, मैं यदि आपकी बात नही मानूँगा तो, आप सही मे कुछ उल्टा सीधा ना कर ले.”
निक्की बोली “हाँ, मैं उस समय कुछ भी कर सकती थी. उस समय मेरे दिमाग़ मे आपसे माफी हासिल करने के सिवा कुछ नही चल रहा था और उसे हासिल करने के लिए मैं किसी भी हद तक जा सकती थी.”
मैं बोला “लेकिन किसी को धमका कर माफी हासिल करना कहाँ की बात हुई. ये तो सरासर ज़बरदस्ती थी.”
मेरी ये बात सुनकर निक्की बड़े ही जोशीले अंदाज मे कहने लगी.
निक्की बोली “मैं ठाकुरों की बेटी हू. मेरी रगों मे भी ठाकुरों का खून जोश मारता है. मुझे जो चाहिए, वो मैं हर कीमत पर हासिल करके रहती हूँ. मैं इस बात की परवाह नही करती कि, उसे हासिल करने के लिए, मैं जो तरीका अपना रही हूँ, वो सही है या ग़लत है.”
निक्की की ये बात सुनकर मैं हँसे बिना ना रह सका. मैने हंसते हुए कहा.
मैं बोला “वाह रे ठाकुरों की बेटी. आपके इस जोश का तो कोई जबाब नही.”
मेरी बात सुनकर निक्की भी हँसने लगी और फिर उसने मुझसे कहा.
निक्की बोली “गुस्सा तो आपका भी बहुत भयंकर है. पता नही कीर्ति आपके गुस्से को कैसे शांत करती होगी.”
निक्की की ये बात सुनकर मैने एक ठंडी साँस ली और फिर उस से कहा.
मैं बोला “मई कीर्ति से कभी ज़्यादा देर तक गुस्सा नही रह सकता. मैं उस पर उतनी ही देर गुस्सा रह सकता हूँ, जितनी देर वो मेरे सामने ना हो. उसके मेरे सामने आते ही, मेरा गुस्सा खुद ब खुद गायब हो जाता है.”
निक्की बोली “चलो कोई तो ऐसा है, जिसे देखते ही आपका गुस्सा गायब और बोलती बंद हो जाती है.”
ये बोल कर वो खिलखिलाकर हँसने लगी. काफ़ी देर तक हमारा यू ही हँसी मज़ाक चलता रहा. फिर निक्की ने अंकल के पास जाने की बात कही और वो उठ कर अंकल के पास चली गयी.
निक्की से बात करने के बाद मेरा मन कीर्ति से बात करने का कर रहा था. लेकिन निक्की के उपर जाते ही प्रिया को नीचे आना था. इसलिए मैं कीर्ति को कॉल नही करना चाहता था.
मगर जब मेरा दिल नही माना तो, मैने उसे कॉल लगा ही दिया. मेरा कॉल देखते ही कीर्ति ने फ़ौरन कॉल लगा दिया और मेरे कॉल उठाते ही कहा.
कीर्ति बोली “जान, क्या हुआ. क्या मेरी बहुत याद आ रही है, जो इस समय कॉल लगा रहे हो.”
मैं बोला “तेरी याद मुझे कब नही आती. अभी तो इस लिए कॉल लगाया कि, ज़रा पता कर लूँ. तू अभी क्या कर रही है.”
कीर्ति बोली “कुछ नही, रात को तुमसे बात करने की तैयारी कर रही हूँ.”
मैं बोला “कैसी तैयारी.”
कीर्ति बोली “सोने जा रही थी. रात को मेरी नींद पूरी नही हो पाती है ना.”
मैं बोला “ठीक है, तू आराम कर, हम रात को बात करते है.”
कीर्ति बोली “नही जान, मुझे तुमसे अभी बात करना है.”
मैं बोला “बेकार मे ज़िद मत कर, अभी प्रिया आने वाली है. मेरी तुझसे बात नही हो पाएगी.”
कीर्ति बोली “ठीक है जान, मैं फोन रख दुगी. लेकिन पहले मुझे प्रिया की आवाज़ सुनना है. क्या तुम मुझे प्रिया की आवाज़ सुना दोगे.”
मैं बोला “तू कभी नही सुधरेगी. हमेशा कुछ ना कुछ तेरे दिमाग़ मे चलता ही रहता है. चल ठीक है, मैं फोन चालू रखता हूँ. लेकिन देख, बीच बीच मे मुझे कॉल करके, तंग मत करना.”
कीर्ति बोली “थॅंक्स जान, मैं तुम्हे बिल्कुल तंग नही करूगी. मुऊऊऊहह.”
मैं बोला “ठीक है, अब मैं मोबाइल जेब मे रख रहा हूँ. मुऊऊऊहह.”
ये कह कर मैने मोबाइल जेब मे रख लिया. कुछ ही देर मे प्रिया आकर मेरे पास बैठ गयी. मैने प्रिया से पुछा.
मैं बोला “क्या बात है. आज तुम्हे अंकल से मिलने की बहुत जल्दी थी. आते ही सीधे अंकल के पास चली गयी.”
प्रिया बोली “वो तो मैं इसलिए पहले अंकल के पास चली गयी थी, ताकि उनके पास से फ्री हो कर, मैं आराम से तुम से बात कर सकूँ. अब जब तक राज भैया नही आ जाते है. तब तक मैं तुम्हारे पास से हिलने वाली नही हूँ.”
मैं बोला “तुम भी बड़ी अजीब ही हो. अच्छा ये बताओ, जब रिया घर पर ही है तो, वो तुम लोगों के साथ क्यो नही आई.”
प्रिया बोली “उनको खाना खाने के बाद नींद आ रही थी, इसलिए वो सो रही है. क्या तुम्हे मेरे साथ अकेले रहना अच्छा नही लग रहा है. जो रिया दीदी को साथ लाने की बात कर रहे हो.”
मैं बोला “ऐसी बात नही है. मैने रिया को घर पर देखा था, इसलिए तुमसे उसके बारे मे पुच्छ लिया. यदि तुमको अच्छा नही लगा तो, आगे से नही पूछूँगा.”
प्रिया बोली “मैने ये तो नही कहा था. मैं तो सिर्फ़ ये पुच्छ रही थी कि, क्या तुम्हे मेरे साथ अकेले रहना अच्छा नही लगता.”
मैं बोला “अच्छा लगता है. अब ये सब बातें छोड़ो और ये बताओ, तुम्हारा आज का स्कूल का दिन कैसा गया.”
प्रिया बोली “अच्छा नही गया. सारे समय तुम्हारी ही याद सताती रही. बस इंतजार करती रही कि, कब छुट्टी हो और मैं तुम्हारे पास पहुच जाउ.”
प्रिया की इस बात ने मुझे परेसानी मे डाल दिया था. उसकी हर बात घूम फिर कर मेरे उपर ही ख़तम हो रही थी. वो जानते हुए भी उस इंसान के सपने देख रही थी. जिसे पाना उसके नसीब मे नही था.
वो एक ऐसा सपना देखने की कोसिस कर रही थी. जो सुरू होने के पहले ही टूट चुका था. फिर भी ये उसकी दिलेरी थी कि, वो सपने की हक़ीकत से मूह चुरा कर, उसे देखने की नाकाम कोसिस किए जा रही थी.
उसके इस प्यार को देख कर, जितना मुझे अपनी किस्मत पर नाज़ हो रहा था तो, उस से कही ज़्यादा प्रिया की किस्मत पर अफ़सोस हो रहा था. मेरा तो ये सोच कर ही दिल बैठा जा रहा था कि, मेरे जाने के बाद इस लड़की का क्या हाल होगा. ये अपने आपको कैसे संभाल पाएगी. आख़िर इसे ये बात समझ मे क्यो नही आती कि, मैं इस से नही, किसी और से प्यार करता हूँ.
मैं मन ही मन अपने अनसुलझे सवालों का जबाब ढूँढ रहा था. तभी प्रिया की आवाज़ ने मुझे चौका दिया. मैने उसकी तरफ देखा तो, वो बड़ी ही मासूमियत से कह रही थी.
प्रिया बोली “तुम्हे मालूम है, आज मेरी सहेली नेहा से मेरी लड़ाई हो गयी.”
ये बोल कर वो मेरी तरफ देखने लगी. मगर मेरा मूड अब उसकी बातों को सोच कर सही नही था. इसलिए मैं चुप ही रहा. मैने जब उसकी इस बात पर कुछ नही कहा. तब उसने मेरे से पुछा.
प्रिया बोली “क्या हुआ. क्या तुम्हे मेरी बात पसंद नही आ रही.”
मेरा मन उसकी बातों को सुनने का ज़रा भी नही था. लेकिन फिर भी मैं अपनी किसी बात से, उसके दिल को ठेस लगाना नही चाहता था. इसलिए मैने उस से कहा.
मैं बोला “नही, तुम बोलो, मैं सुन रहा हू. तुम्हारी सहेली से तुम्हारी लड़ाई क्यो हुई.”
प्रिया बोली “उसका एक बाय्फ्रेंड है. वो रोज मेरे सामने अपने बाय्फ्रेंड की तारीफ करती थी. मैने भी उस से झूठ कह दिया कि, मेरा भी एक बाय्फ्रेंड है. आज उसने अपने बाय्फ्रेंड से मुझे मिलाया और फिर मुझसे कहने लगी कि, अब मैं भी उसे अपने बाय्फ्रेंड से मिलाऊ. लेकिन मैने ऐसा करने से मना कर दिया. इस पर वो कहने लगी कि, मैं झूठ बोलती हूँ. मेरा कोई बाय्फ्रेंड नही है. यदि मेरा कोई बाय्फ्रेंड है तो, मैं उस से मिलवती क्यो नही हूँ. इसी बात को लेकर मेरी उस से लड़ाई हो गयी.”
उसकी ये बात सुनकर मुझे कीर्ति की याद आ गयी. उसने भी अंकिता को ऐसी ही जलन मे आकर, मेरे और अपने बारे मे बता दिया था. मैं समझ गया था कि, प्रिया ने ऐसा क्यो किया है. फिर भी मैने अंजान बनते हुए कहा.
मैं बोला “जब तुम्हारा कोई बाय्फ्रेंड नही है तो, फिर तुम्हे उस से झूठ नही बोलना चाहिए था. इसमे तो तुम्हारी ही ग़लती है.”
मेरी बात सुनकर प्रिया को बहुत निराशा हुई. उसने मायूसी भरे शब्दो मे कहा.
प्रिया बोली “हाँ, ग़लती तो मेरी ही है. लेकिन मैं क्या करती. जब वो अपने बाय्फ्रेंड की बात बताती थी तो, मुझसे उस से जलन होने लगती थी. इसलिए मैने उस से झूठ कहा था. मुझे क्या मालूम था कि, वो मेरे बाय्फ्रेंड से मिलने की ज़िद करने लगेगी.”
मैं बोला “तो इसमे कौन सी बड़ी बात है. तुम इतनी सुंदर हो कि, तुम्हे एक से बढ़ कर एक लड़के मिल जाएगे. तुम किसी अच्छे लड़के को, अपना बाय्फ्रेंड बना लो और फिर अपने बाय्फ्रेंड से उसे मिलवा दो.”
प्रिया बोली “मुझे किसी को बॉयफ्रेंड नही बनाना. मैं बिना बाय्फ्रेंड के ही ठीक हूँ. हाँ मगर तुम चाहो तो, इसमे मेरी मदद ज़रूर कर सकते हो.”
मैं बोला “वो कैसे.”
प्रिया बोली “तुम एक बार नेहा से मेरे बाय्फ्रेंड बनकर मिल लो. उसे यकीन हो जाएगा कि, मेरा भी कोई बाय्फ्रेंड है.”
प्रिया की ये बात मानने मे मुझे कोई परेसानी नही थी. लेकिन अब मैं उसकी ये बात मान कर उसके प्यार को और गहरा करना नही चाहता था. इसलिए मैने प्रिया का दिल तोड़ते हुए कहा.
मैं बोला “नही यार, तुम्हारा ये काम मुझसे नही होगा. हाँ यदि तुम चाहो तो, मैं मेहुल से बात करके, उसे इस सब के लिए तैयार कर लेता हूँ. वो तुम्हारा बाय्फ्रेंड बनकर, तुम्हारी सहेली से मिल लेगा.”
मेरी बात का असर प्रिया पर वही पड़ा. जो मैं सोच रहा था. मेरी बात सुनते ही प्रिया गुस्सा हो गयी. उसने गुस्से मे खड़े होते हुए मुझसे कहा.
प्रिया बोली “रहने दो, मेरे लिए किसी से बात करने की, तुम्हे कोई ज़रूरत नही है. मैं खुद ही नेहा से सॉरी बोल कर, अपनी ग़लती मान लूँगी.”
ये बोलकर प्रिया गुस्से मे मेरे पास से जाने लगी. मैं उसे रोकने के लिए उठ कर खड़ा हुआ. लेकिन तभी मेरी नज़र, मेरे पिछे खड़ी डॉक्टर. निशा पर पड़ी. वो शायद समुंदर के नज़ारे देखने, अभी अभी मेरे पिछे आकर खड़ी हुई थी और उनकी तरफ मेरी पीठ होने की वजह से, मुझे पहचान नही पाई थी.
मगर जैसे ही मेरी नज़र उन पर पड़ी. उनकी भी नज़र मेरे उपर पड़ गयी. उन्हो ने मुझे पहचान लिया और वो चलती हुई मेरे पास आ गयी. उन ने प्रिया को भी मेरे पास से गुस्से मे जाते हुए देख लिया था.
वो मेरे पास आई और फिर मुस्कुराते हुए कहने लगी.
डॉक्टर निशा बोली “कैसे लड़के हो, एक लड़की को नाराज़ करते, तुम्हे शरम नही आती.”
मैं बोला “मैने कुछ नही किया. वो खुद ही नाराज़ होकर चली गयी.”
डॉक्टर निशा बोली “तुम उसे कैसे जानते हो. क्या वो तुम्हारी गर्लफ्रेंड है.”
मैं बोला “नही, वो प्रिया है, निक्की की सहेली. जिसके बारे मे निक्की ने डॉक्टर. अमन को बताया था. हम लोग इन्ही के घर मे रुके है.”
मेरी बात सुनते ही डॉक्टर निशा ने कहा.
डॉक्टर. निशा बोली “ओह माइ गॉड, क्या ये ही वो प्रिया है, जिसके बारे मे, निक्की ने अमन को बताया था.”
मैं बोला “हाँ, ये ही वो प्रिया है. लेकिन आप इस बात को सुनकर इतना चौक क्यो रही है.”
डॉक्टर. निशा बोली “कुछ नही. मैं इसे जानती हूँ, इसलिए ये सुनकर चौक गयी कि, ये वो ही प्रिया है, जिसकी बात निक्की ने अमन से की थी. लेकिन एक बात याद रखो. प्रिया को बिल्कुल परेशान मत करना और उसे हमसेषा खुश रखने की कोसिस करना. यही उसकी सेहत के लिए अछा है.”
मई बोला “आप ऐसा क्यो बोल रही है. आख़िर प्रिया को हुआ क्या है.”
डॉक्टर. निशा बोली “तुम बहुत बोलते हो. प्रिया को कुछ नही हुआ है. बस उसका ख़याल रखना और उसको ज़रा भी परेशान मत करना. अब मैं चलती हूँ. तुम्हे यदि यहाँ किसी बात की, कोई परेशानी हो तो, मुझे बता देना. बाइ.”
इतना कह कर डॉक्टर. निशा मेरे पास से चली गयी और मैं उन्हे जाते हुए देख कर, उनकी बात का मतलब निकालने की कोसिस करता रहा. अभी वो थोड़ी ही दूर पहुचि थी कि, उन्हे रास्ते मे निक्की मिल गयी.
वो रुक कर निक्की से बातें करने लगी. मैं उन से बहुत दूर था, इसलिए मुझे उनकी बातें सुनाई नही दे रही थी. मगर उनकी बातों से ऐसा लग रहा था. जैसे वो प्रिया के बारे मे ही बात कर रही हो.
अभी मैं निक्की लोगों को देख रहा था कि, तभी दूसरे मोबाइल पर कीर्ति का कॉल आने लगा. शायद उसने सोचा होगा कि, अब मैं अकेला हूँ. इसलिए उसने मुझसे बात करने के लिए, दूसरे मोबाइल पर कॉल किया था. मैने मोबाइल निकाला और कहा.
मैं बोला “हाँ बोलो, क्या बात है.”
कीर्ति बोली “जान ये तुमसे कौन बात कर रही थी और ये प्रिया के बारे मे ऐसा क्यो बोल रही है.”
मैं बोला “वो मुझसे डॉक्टर. निशा बात कर रही थी. वो डॉक्टर. अमन की मंगेतर है. मुझे खुद उनकी बात समझ मे नही आ रही है कि, वो ऐसा क्यो बोल रही थी. वो इस समय निक्की से बात कर रही है. शायद निक्की को इस बारे मे कुछ मालूम होगा.”
कीर्ति बोली “जान, मुझे तो लगता है कि, प्रिया को कोई बीमारी है. जिसकी वजह से उन्हो ने ऐसा कहा है.”
मैं बोला “नही, ऐसा नही हो सकता. प्रिया तो अच्छी भली दिखती है. ऐसे मे उसे कोई बीमारी हो ही नही सकती.”
कीर्ति बोली “फिर डॉक्टर. निशा ने ऐसा क्यो बोला.”
मैं बोला “अब ये तो निक्की के आने पर ही पता चलेगा. अब तू फोन रख दे. तुझे प्रिया की आवाज़ सुननी थी, वो मैने तुझे सुना दी. अब तू थोड़ा आराम कर ले.”
कीर्ति बोली “जान प्लीज़, मुझे जानना है कि, डॉक्टर. निशा ने ऐसा क्यो कहा और प्रिया को क्या हुआ है. प्लीज़ थोड़ी देर फोन और चालू रखने दो.”
मैं बोला “ठीक है, तुझे सुनना है तो, तू सुन ले. लेकिन अब निक्की किसी भी समय यहाँ आ सकती है, इसलिए मैं फोन जेब मे रख रहा हूँ.”
कीर्ति बोली “ओके जान.”
कीर्ति के ओके बोलने के बाद मैने मोबाइल वापस जेब मे रख लिया और निक्की के आने का वेट करने लगा. थोड़ी देर बाद ड्र. निशा और निक्की की बातें ख़तम हो गयी और निक्की मेरी तरफ आने लगी.
निक्की को आता देख कर मैं अपनी जगह पर बैठ गया. निक्की ये तो देख चुकी थी कि, मैने उसे और डॉक्टर. निशा को बात करते हुए देख लिया है. लेकिन शायद डॉक्टर. निशा ने निक्की को ये नही बताया था कि, उन्हो ने प्रिया के बारे मे मुझसे क्या कहा है.
जिस वजह से निक्की बड़ी बेफिक्री मे मेरे पास आकर बैठ गयी और कहने लगी.
निक्की बोली “क्या हुआ. प्रिया इतनी जल्दी अंकल के पास वापस क्यो चली गयी. क्या आपका उस से कोई झगड़ा हुआ है.”
मैं बोला “हाँ, उसे मेरी एक बात बुरी लग गयी और वो गुस्से मे मेरे पास उठ कर, अंकल के पास चली गयी.”
निक्की बोली “वो तो मैं उसका गुस्से मे लाल चेहरा देख कर ही समझ गयी थी. इसी वजह से मेरी उस से कुछ पुछ्ने की हिम्मत भी नही हुई. लेकिन आपका उस से झगड़ा किस बात को लेकर हो गया.”
मैं बोला “वो भी बता दूँगा. मगर पहले आप मुझे एक बात बताइए.”
निक्की बोली “हाँ पुछिये.”
मैं निक्की से कुछ पुच्छ पाता, उसके पहले ही मेरे मोबाइल की मेसेज टोन बज उठी. मुझे लगा कि ये मसेज कीर्ति ने किया है. इसलिए मुझे कीर्ति पर गुस्सा आने लगा. लेकिन जब मैने मोबाइल निकल कर मेसेज देखा तो, मेरा गुस्सा शांत हो गया.
वो मेसेज कीर्ति ने नही किया था. वो प्रिया का मेसेज था. जो इस समय उसके दिल मे छुपे दर्द को, बयान कर रहा था और मुझे मेरे किए बर्ताव पर शर्मिंदा होने पर मजबूर कर रहा था.
निक्की ने जब देखा कि मैं किसी का मसेज पढ़ रहा हूँ तो, उसने पुछा.
निक्की बोली “क्या कीर्ति का मेसेज आया है.”
मैं बोला “नही, प्रिया का मेसेज है.”
ये कह कर मैने उसे प्रिया का मेसेज पढ़कर सुनने लगा. ताकि कीर्ति को भी उसका मेसेज सुनाई दे सके.
प्रिया का मेसेज
“भीगते रहते है बारिश मे अक्सर,
कभी माँगी किसी से पनाह नही.
हसरतें पूरी हो या ना हो,
ख्वाब देखना तो कोई गुनाह नही.”
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