RE: MmsBee कोई तो रोक लो
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प्रिया का मेसेज पढ़ने के बाद कुछ पल के लिए मैं खामोश हो गया. उसके इस मेसेज मे उसके दर्द के साथ साथ एक सवाल भी छुपा हुआ था. जिसका कोई जबाब मेरे पास नही था. मैं उसके इस दर्द को अच्छी तरह से महसूस कर सकता था. लेकिन अभी मुझे डॉक्टर. निशा की बात को जानने की भी बहुत बेचेनी थी. मैं जानना चाहता था कि, उन्हो ने ऐसा क्यो कहा. आख़िर प्रिया को हुआ क्या है.
मगर प्रिया का मेसेज पढ़ने के बाद, मैं चाह कर भी प्रिया के दर्द को अनदेखा कर, निक्की से ये बात नही पुच्छ पा रहा था. इसलिए मैने निक्की से कहा.
मैं बोला “आपने प्रिया का मेसेज सुना. वो सब कुछ जानने के बाद भी, ऐसी नादानी कर रही है. मुझे समझ मे नही आ रहा की, मैं उसे कैसे समझाऊ. मुझसे उसका इतना प्यार करना, नही सहा जा रहा है. आप ही उसे कुछ समझाइये.”
मेरी बात सुनकर निक्की ने संजीदा होते हुए कहा.
निक्की बोली “मैं अपनी तरफ से उसे समझाने की पूरी कोसिस कर चुकी हूँ. मेरे सामने तो, वो ये बात मान भी चुकी है कि, अब उसके और आपके बीच मे कुछ नही है. आप और वो सिर्फ़ अच्छे दोस्त है. लेकिन अपने पहले प्यार को भूलना भी तो, इतना आसान नही होता. जब तक आप उसके सामने रहेगे. तब तक वो चाहे भी तो, इस बात को नही भुला सकती. मगर आपके जाने के बाद वो धीरे धीरे सब कुछ भूल जाएगी.”
निक्की की इन बातों मे मुझे कुछ सच्चाई नज़र आई. इसलिए मैने फिर इस बात को आगे बढ़ाना ठीक नही समझा और निक्की से कहा.
मैं बोला “शायद आप ठीक कह रही है. मैं ही इस बात को उसके दिल से निकालने मे जल्दबाज़ी कर रहा था. मुझे उसकी हालत समझनी चाहिए थी और उसे इस से बाहर निकलने के लिए वक्त देना चाहिए था.”
निक्की बोली “हाँ, वक्त हर जख्म का मरहम होता है. वक्त उसे सब कुछ समझा देगा. अब आप इस बात की चिंता मत कीजिए और उसके साथ एक अच्छे दोस्त की तरह रहिए.”
मैं बोला “ठीक है, अब ऐसा ही होगा. लेकिन अभी मुझे आपसे ये जानना है कि, प्रिया को क्या हुआ है.”
मेरी इस बात का मतलब निक्की नही समझ सकी. उसे समझ मे ही नही आया कि, मैं क्या कहना चाहता हूँ. इसलिए उसने मुझसे पूछा.
निक्की बोली “मैं समझी नही, आप क्या जानना चाहते है.”
मैं बोला “अभी मेरी डॉक्टर. निशा से बात हुई थी. वो कह रही थी कि, प्रिया को ज़्यादा परेशान मत करना और उसको हमेशा खुश रखना. यही उसकी सेहत के लिए अच्छा है. आख़िर उन्हो ने प्रिया के लिए ये बात क्यो कही. क्या प्रिया को कुछ हुआ है.”
मेरी बात सुनकर निक्की सोच मे पड़ गयी कि, वो ये बात मुझे बताए या ना बताए. लेकिन जब मैने फिर से अपने सवाल को दोहराया तो, निक्की ने अपनी खामोशी तोड़ते हुए कहा.
निक्की बोली “डॉक्टर. निशा ने ये बात इसलिए कही है. क्योकि वो प्रिया का इलाज कर रही है. वो प्रिया को तो जानती थी. लेकिन उन्हे इस बात का पता नही था कि, प्रिया मेरी सहेली है. अभी वो मुझसे इसी बारे मे बात कर रही थी. मगर उन्हो ने मुझे ये नही बताया कि, उनकी आप से भी इस बारे मे बात हुई है.”
मैं बोला “नही, उन्हो ने मुझे प्रिया के बारे मे कुछ नही बताया. मगर उन्हो ने जो बात बोली है. उस से मुझे यही लगा कि, प्रिया को कुछ हुआ है.”
निक्की बोली “आपने ठीक सोचा. प्रिया पिच्छले काफ़ी समय से बीमार है और अभी उसका इलाज चल रहा है.”
निक्की की बातों से मेरी बेचेनी और भी बढ़ गयी. मैने बेचेनी भरे शब्दों मे उस से पुछा.
मैं बोला “लेकिन प्रिया को हुआ क्या है. उसे क्या बीमारी है.”
निक्की ने एक पल को मेरी तरफ देखा और फिर नज़र नीचे करके, ठंडी साँस छोड़ते हुए कहा.
निक्की बोली “प्रिया के दिल मे छेद है.”
निक्की की ये बात किसी तीर की तरह मेरे दिल मे चुभि. मुझे अभी भी अपने कानो पर विस्वास नही आ रहा था कि, मैने जो कुछ सुना है वो सच है. मेरी आँखों मे प्रिया का हंसता खिलखिलाता चेहरा घूम गया और मैने निक्की से कहा.
मैं बोला “ये आप क्या कह रही है. ऐसा नही हो सकता. उसके जैसी हँसती खेलती लड़की को, कभी कोई बीमारी हो ही नही सकती. कह दीजिए ये सब झूठ है. आप मज़ाक कर रही है.”
लेकिन निक्की ने अपनी बात को दोहराते हुए कहा.
निक्की बोली “नही यही सच है. प्रिया के दिल मे छेद है और निशा दीदी के पास उसका इलाज चल रहा है.”
निक्की के इस जबाब ने मुझे अंदर तक हिला कर रख दिया था. प्रिया के साथ गुज़रा हुआ हर लम्हा, मेरी आँखों के सामने घूमने लगा. उसके साथ बिताए हर लम्हे मे मुझे, मेरे लिए सिर्फ़ प्यार ही प्यार नज़र आ रहा था.
कीर्ति के बाद प्रिया ही वो लड़की थी. जिसने मुझे बेपनाह प्यार किया था. मैं उसके प्यार का जबाब प्यार से तो नही दे सका था. लेकिन फिर भी मेरे दिल मे प्रिया की जो जगह थी, वो किसी और की नही थी.
ऐसे मे उसके इस दर्द को सह पाना मेरे, लिए बहुत ही मुस्किल हो गया था. उसकी इस बीमारी के अहसास ने, मेरे रोम रोम मे दर्द की एक लहर उठा दी और मैं चाहते हुए भी, अपनी आँखों मे नमी को आने से ना रोक सका.
निक्की के सामने ही मेरी आँखों से झर झर आँसू गिरने लगे. मैं जितना उन्हे रोकने की कोसिस कर रहा था. वो उतनी ही तेज़ी से आए जा रहे थे. मेरे लिए अपने आपको संभाल पाना मुस्किल हो गया था.
मैं उठ कर दूर जाकर खड़ा हो गया और अपने आपको संभालने की कोसिस करने लगा. थोड़ी देर निक्की अपनी ही जगह पर बैठी रही. फिर उठ कर मेरे पास आकर खड़ी होते हुए कहने लगी.
निक्की बोली “आप दिल छोटा मत कीजिए. प्रिया जल्दी ही ठीक हो जाएगी. निशा दीदी बोल रही थी कि, प्रिया का एक ऑपरेशन करेगे और प्रिया पूरी तरह ठीक हो जाएगी.”
मैने अपने आपको संभाल कर, निक्की से नाराज़गी जताते हुए कहा.
मैं बोला “लेकिन आपने इतनी बड़ी बात को मुझसे छुपाकर क्यो रखा. क्या आपको एक दोस्त होने के नाते, ये बात मुझे बतानी नही चाहिए थी.”
निक्की बोली “मैं ये बात आपको बताना चाहती थी. लेकिन प्रिया ने अपनी कसम देकर मुझे ऐसा करने से रोक दिया था.”
मैं बोला “प्रिया मुझसे ये बात क्यो छुपाना चाहती थी.”
निक्की बोली “प्रिया को डर था कि, यदि आपको उसकी बीमारी के बारे मे पता चलेगा तो, आप उस से हमदर्दी जताने लगॉगे. उसे आपकी हमदर्दी नही सिर्फ़ दोस्ती चाहिए थी. वो आपका सहारा नही, सिर्फ़ आपका साथ चाहती थी. इसलिए उसने मुझे कसम दी थी कि, मैं ये बात आपको कभी नही बताउन्गी.”
निक्की की बात सुनकर मुझे प्रिया के मासूम दिल मे छुपि, उसकी कोमल भावनाओ का अहसास हुआ और इस अहसास ने एक बार फिर मेरी आँखों को भिगो दिया. मैने निक्की से कहा.
मैं बोला “प्रिया सच मे बहुत भोली है. मैं आज तक सिर्फ़ यही समझता था कि, इस लड़की को हँसी मज़ाक और गुस्सा करने के सिवा कुछ नही आता. लेकिन आज पता चला कि, ये लड़की अपने अंदर कितना दर्द छुपाये बैठी है और कभी किसी को अपने दर्द का अहसास तक नही होने देती.”
निक्की बोली “हाँ, प्रिया बिल्कुल ऐसी ही है. सब कुछ अपने दिल के अंदर छुपा कर रखती है. उसे शायद किसी का दिल दुखाना अच्छा नही लगता.”
निक्की की इस बात से मुझे प्रिया का दिल दुखाने वाली बात याद आ गयी. मैने निक्की को प्रिया की मुझसे नाराज़गी की वजह बताई और उस से कहा.
मैं बोला “मैने आज जानबूझ कर प्रिया का दिल दुखाया है. मुझसे सच मे बहुत बड़ी ग़लती हो गयी है.”
निक्की बोली “इसमे आपकी कोई ग़लती नही है. आपने जो भी किया है, वो सिर्फ़ प्रिया की भलाई को ध्यान मे रख कर ही किया है. आप इस बात को अपने दिल से ना लगाए. प्रिया बहुत भोली है और आप से ज़्यादा देर नाराज़ नही रह सकती. आप उस से बात करके उसे मना लें.”
मैं बोला “ठीक है, आप उपर जाइए और प्रिया को नीचे भेज दीजिए. मैं उसकी इच्छा ज़रूर पूरी करूगा.”
निक्की बोली “ओके, लेकिन ये याद रखिएगा कि, प्रिया को इस बात का पता ना चले कि, आपको उसकी बीमारी के बारे मे मालूम हो गया है और इसलिए आप उसकी ये बात मान रहे है.”
मैं बोला “आप इस बात की बिल्कुल फिकर मत कीजिए. मैं प्रिया को कभी पता नही लगने दूँगा कि, मैं ये बात जानता हूँ.”
निक्की बोली “ओके, मैं उपर जाती हूँ और प्रिया को नीचे भेजती हूँ.”
इसके बाद निक्की उठ कर उपर चली गयी. उसके जाने के बाद, मुझे कीर्ति का फोन पर होना याद आया. मैने अपना मोबाइल बाहर निकाला और कीर्ति से बात करने लगा. कीर्ति ने मेरे फोन उठाते ही कहा.
कीर्ति बोली “जान, अभी तुम रो रहे थे.”
मैं बोला “नही तो ऐसा कुछ भी नही है.”
कीर्ति बोली “नही जान, मुझे इस बात का पूरा अहसास हुआ था कि, तुम रो रहे हो.”
मैं बोला “वो बस प्रिया की बीमारी का सुनकर, खुद ब खुद आँखों मे आँसू आ गये थे. लेकिन प्लीज़ तू इस बात का कोई ग़लत मतलब मत निकाल लेना. प्रिया सिर्फ़ मेरी दोस्त है.”
कीर्ति बोली “नही जान, मैं इस बात का, कोई ग़लत मतलब नही निकाल रही हूँ. मैं तो आज तक प्रिया से मिली भी नही हूँ. फिर भी मुझे उसकी बीमारी का सुनकर बहुत बुरा लगा. फिर तुम तो इतने दिन से उसके साथ हो. ऐसे मे उसकी बीमारी का सुनकर, तुम्हे दुख तो होगा ही.”
मैं बोला “थॅंक्स, मैं तो डर ही गया था कि, पता नही तू क्या सोचेगी.”
कीर्ति बोली “मैं क्या सोचुगी. क्या मैं तुम्हे जानती नही हूँ. मुझे मालूम है कि, तुम किसी की भी तकलीफ़ नही देख सकते. लेकिन जान, आज सच मे तुमने प्रिया का दिल दुखा कर बहुत बड़ी ग़लती की है. मुझे समझ मे नही आता कि, तुम्हे उसकी ये बात मान लेने मे परेशानी क्या थी. आख़िर हम ने भी तो अंकिता को तुम्हारी झुटि गर्लफ्रेंड बना कर मेहुल से मिलवाया है. यदि तुम उसकी सहेली से मिल लेते तो, इसमे क्या बुराई थी.”
मैं बोला “हाँ ग़लती तो मुझसे हो गयी है. लेकिन उस समय मुझे नही मालूम था कि, प्रिया बीमार है.”
कीर्ति बोली “मैं बीमारी की वजह से नही बोल रही हूँ. तुम उसकी बात को दोस्ती के नाते भी मान सकते थे. ऐसा करने मे कोई बुराई नही थी.”
मैं बोला “तू कैसी लड़की है. जो लड़की मुझे प्यार करती है. तू उसी की तरफ़दारी कर रही है. क्या तुझे उस से ज़रा भी जलन नही हो रही.”
कीर्ति बोली “इसमे जलन होने की क्या बात है. वो मेरे प्यार को मुझसे छीन थोड़े ही रही है. अब उसे अंजाने मे तुमसे प्यार हो गया तो, इसमे उस की क्या ग़लती है. वो बेचारी तो खुद ही इस आग मे जल रही है.”
मैं बोला “चल ठीक है. अभी प्रिया आएगी तो मैं उसकी ये इच्छा पूरी कर दूँगा. अब तेरा बातें सुनना हो गया हो तो, अब तू फोन रख.”
कीर्ति बोली “ओके जान. मैं अब तुम्हे और परेशान नही करूगी. मैं फोन रख रही हूँ. मुऊऊऊहह.”
इतना बोल कर कीर्ति ने फोन रख दिया. उसके फोन रखने के थोड़ी ही देर बाद प्रिया आ गयी. लेकिन उसका चेहरा अभी भी गुस्से मे लाल था. वो आई और आकर मेरे पास बैठ गयी. मगर अब उसने मेरी तरफ अपनी पीठ कर रखी थी.
मुझे उसकी इस हरकत पर हँसी भी आ रही थी और उस पर बहुत प्यार भी आ रहा था. मैं जानता था कि, वो मुझसे बात तो करना चाहती है. लेकिन अब वो खुद से कोई बात नही करेगी. इसलिए मैने खुद ही बात सुरू करते हुए कहा.
मैं बोला “प्रिया मैं सोच लिया है कि, मैं तुम्हारी सहेली से तुम्हारा बाय्फ्रेंड बनकर मिलुगा. अब तो तुम अपना गुस्सा ख़तम कर दो.”
मगर प्रिया अभी भी मुझ पर गुस्सा करते हुए कहने लगी.
प्रिया बोली “मैने फ़ैसला कर लिया है कि, अब मैं मोनिका को सब सच सच बता दूँगी. अब तुम्हे मेरे उपर कोई अहसान करने की कोई ज़रूरत नही है.”
मैं बोला “यार ये तो ग़लत बात है. मैं तुम्हारी मदद करने की बात कह रहा हूँ और तुम हो कि, उसे मेरा अहसान कह रही हो.”
प्रिया बोली “मुझे तुम्हारी कोई मदद नही चाहिए. अपनी मदद तुम अपने पास रखो.”
उसकी बातों से साफ पता चल रहा था कि, वो मुझ पर झूठा गुस्सा दिखा रही है और चाहती है कि, मैं उसे मनाऊ. मैने भी उसे मनाते हुए कहा.
मैं बोला “यार मेरे से ग़लती हो गयी, जो मैने तुम्हारी बात को पहले नही माना. अब यदि तुम बोलो तो मैं उस ग़लती के लिए, तुमसे कान पकड़ कर सॉरी बोलने को तैयार हूँ. अब तो तुम अपना गुस्सा ख़तम कर दो.”
प्रिया बोली “जो तुम्हारे सगे है, वो ही तुम पर गुस्सा करेगे. मैं तुम पर गुस्सा करने वाली कौन होती हूँ.”
प्रिया की इस बात पर मैं हँसे बिना ना रह सका. मैने हंसते हुए कहा.
मैं बोला “अच्छा तो तुम मेरी सग़ी नही हो. फिर ये भी बता दो कि, मेरे सगे कौन है.”
लेकिन प्रिया का झूठा गुस्सा दिखाना अभी भी चालू था. उसने गुस्से मे कहा.
प्रिया बोली “ज़्यादा नाटक मत करो. मैं अच्छे से जानती हूँ कि, यही बात यदि रिया दीदी या निक्की ने कही होती तो, तुम फ़ौरन मान लेते. लेकिन मैने कहा तो, किसी और को मेरा बाय्फ्रेंड बनाने लगे. जैसे मैं कोई रास्ते की चलती फिरती लड़की हूँ.”
मैं बोला “यार तुम बेकार मे बात को बढ़ा रही हो. मैने तो इतना कुछ सोचा भी नही था. मैने तो ये बात सिर्फ़ इसलिए कही थी. क्योकि मैं दिन भर हॉस्पिटल मे रहता हूँ. ऐसे मे मैं तुम्हारी सहेली से मिलने कैसे जा पाता.”
प्रिया बोली “हाँ, मेरे काम के लिए तुम्हारे पास हॉस्पिटल से निकलने का टाइम नही है. लेकिन अपने दोस्त के साथ दिन भर घूमने और अपनी गर्लफ्रेंड से मिलने जाने के लिए तुम्हे हॉस्पिटल से टाइम मिल गया था. इतना घुमा फिरा कर बात क्यो कर रहे हो. सीधे से ये क्यो नही कह देते कि, मैं तुम्हे अच्छी नही लगती.”
प्रिया की इस बात ने मुझे संजीदा होने पर मजबूर कर दिया था. मैने उसे अपना ऐसे करने की वजह समझाते हुए कहा.
मैं बोला “नही प्रिया, ऐसी कोई बात नही है. तुम मुझे बहुत अच्छी लगती हो. मैने तुम्हारी मदद करने से मना इसलिए किया था, क्योकि मैं तुमसे दूरी बनाना चाहता था. मैं नही चाहता था कि, तुम्हे मेरे जाने के बाद तकलीफ़ हो. मगर तब मैं ये नही जानता था कि, मेरे ऐसा करने से भी तुम्हे तकलीफ़ होगी. वरना मैने ऐसा हरगिज़ नही किया होता.”
मेरी बात सुनकर प्रिया का गुस्सा भाग गया. उसने मेरी तरफ मूह करके बैठते हुए कहा.
प्रिया बोली “तुम मुझसे दूरी बनाना क्यों चाहते हो. क्या तुम्हे अब भी लगता है कि, मैं तुम्हारे और तुम्हारी गर्लफ्रेंड के बीच आउगि.”
मैं बोला “नही, मुझे ऐसा कुछ नही लगता. मैं जानता हूँ की, तुम ऐसा कुछ नही करोगी. लेकिन तुम्हारी हर बात मुझसे सुरू होकर, मुझ पर ही ख़तम हो रही थी. जिसने मुझे ये सोचने पर मजबूर कर दिया था कि, मेरे जाने के बाद तुम मेरे बिना कैसे रह पाओगी. जिसकी वजह से मुझे ऐसा करना पड़ा.”
प्रिया बोली “हाँ ये मेरी ग़लती है कि, मैं तुम्हारे सिवा कुछ और नही सोच पाती हूँ. लेकिन अब हम दोस्त है, और तुमने मुझसे वादा किया है कि, तुम मेरा साथ कभी नही छोड़ोगे.”
मैं बोला “मुझे अपना वादा याद है प्रिया और मैं अपना वादा मरते दम तक निभाउन्गा.”
प्रिया बोली “ओके, अब ये बात छोड़ो और ये बताओ, क्या तुम सच मे मेरे बाय्फ्रेंड बनकर मेरी सहेली से मिलोगे.”
मैं बोला “हाँ, तुम्हारा जब मन करे, तुम मुझे उसके पास ले चलना.”
मेरी बात सुनकर प्रिया बहुत खुश हो गयी और उसे खुश देख कर मैं भी खुश हो गया. प्रिया ने बात को आगे बढ़ाते हुए कहा.
प्रिया बोली “मैं कल ही उस से मिलने का बोल देती हूँ. तुम्हे कल उस से मिलने मे कोई परेसानी तो नही होगी.”
मैं बोला “नही, मुझे कोई परेसानी नही है.”
प्रिया बोली “ओके, मैं उस से बात करके तुम्हे बता दुगी. फिर हम कल यहाँ से ही उस से मिलने चलेगे.”
मैं बोला “ठीक है.”
इसके बाद मेरी प्रिया से इसी बारे मे बात चलती रही और वो मुझे अपनी सहेली और उसके बाय्फ्रेंड के बारे मे बताती रही. हमारी बातों का ये सिलसिला तब तक चलता रहा. जब तक कि राज नही आ गया.
राज के आने पर मेरी उस से थोड़ी बहुत बात हुई और फिर वो अंकल के पास चला गया. उसके उपर पहुचते ही निक्की नीचे आ गयी. मेरी निक्की और प्रिया से थोड़ी बहुत बात हुई, फिर दोनो घर चली गयी.
उनके जाने के बाद मैं, वही बैठा बैठा, अभी कुछ देर पहले कीर्ति, निक्की और प्रिया के साथ गुज़रे हुए, लम्हों के बारे मे सोचने लगा. तीनो ही लड़की एक से बढ़ कर एक थी. कोई किसी बात मे, किसी से कम नही था.
एक तरफ कीर्ति थी, जिसके सिर्फ़ साथ होने के अहसास से ही, मेरे अंदर हर एक परेसानी से लड़ने की ताक़त आ जाती थी. जो मेरे रोम रोम मे इस तरह समाई थी कि, मेरी हर साँस के साथ, मुझे उसके होने का अहसास होता था और मेरा रोम रोम, उसकी खुश्बू से महक उठता था.
जो हज़ारों मील दूर होते हुए भी, साए की तरह मेरे साथ साथ चल रही थी. जिसके बिना मैं एक पल भी जीने का सोच नही सकता था. जो मेरा दिल, मेरी धड़कन, मेरी जान, मेरा वजूद, मेरा सब कुछ थी.
दूसरी तरफ वो दो लड़कियाँ थी, जिन्हे मैं सिर्फ़ कुछ दिनो से ही जानता था. मगर इन थोड़े से दिनो मे उन्हो ने मुझे जो प्यार, जो अपनापन दिया था. वो मुझे शायद पहले कभी नही मिला था.
निक्की को यदि मैं अपना बेस्ट फ्रेंड कहूँ तो, ये किसी भी तरह से ग़लत नही था. उसने हर कदम पर मेरा साथ, एक सच्चे दोस्त की तरह ही दिया था. वो बिल्कुल कीर्ति की तरह ही, मेरी हर बात का ख़याल रख रही थी. जिस वजह से अंजाने मे ही उसने मेरे दिल मे एक खास जगह बना ली थी. लेकिन इस बात का अंदाज़ा शायद उसे खुद भी नही था.
वही प्रिया एक ऐसी मासूम लड़की थी. जो कीर्ति और निक्की की उमर की, होने के बाद भी, बिल्कुल भोली और नादान थी. उसके अंदर से बच्पना अभी नही गया था. उसका मन किसी मासूम बच्चे की तरह, बिल्कुल कोमल और निश्छल था. जिसमे सब के लिए प्यार के सिवा कुछ नही था.
लेकिन अपने उस कोमल मन मे, उसने मेरी तस्वीर बसा ली थी. जिसे वो इसका अंजाम जाने बिना बेपनाह प्यार करती थी और मेरे ना चाहते हुए भी, उसने मेरे दिल मे अपनी अलग जगह बना ली थी.
मैं बाद के पूरे समय इन्ही ख़यालों मे खोया रहा और इन्ही ख़यालों मे खोए खोए, मेरा बाकी का समय भी बीत गया. रात को मेहुल के आने पर, मैं और राज घर आ गये.
जब हम घर पहुचे तो, वहाँ पापा भी थे. बाद मे निक्की से पता चला कि, रिया और दादा जी के कहने पर, पापा ने आज ही होटेल छोड़ दिया है और आज की रात वो हमारे साथ ही रहेगे.
मुझे इसमे कोई खास बात नज़र नही आई और फिर मैने इस बारे मे ज़्यादा जानने की कोसिस भी नही की. मैने खाना खाया और थकान होने का बहाना करके, 11 बजे अपने कमरे मे आ गया.
मेरे कमरे मे आने के थोड़ी ही देर बाद, प्रिया भी आ गयी. उसने बताया कि उसकी सहेली से उसकी बात हो गयी है. उसने कल 3 बजे का टाइम मिलने के लिए का दिया है. वो कल निक्की के साथ हॉस्पिटल आएगी और वही से मेरे साथ अपनी सहेली से मिलने चलेगी. इतनी बात करने के बाद प्रिया चली गयी.
उसके जाने के बाद मैं कीर्ति के फोन का वेट करने लगा. लेकिन 12 बजे तक कीर्ति का फोन नही आया और इसी बीच मेरी नींद लग गयी. फिर मेरी नींद रात को 2 बजे खुली.
मैने नींद खुलते ही कीर्ति को कॉल लगा दिया. मेरा कॉल देखते ही कीर्ति का कॉल आने लगा और उसने कॉल उठाते ही कहा.
कीर्ति बोली “हाए मैं मर जावा. मैं अभी तुम्हे कॉल लगाने की सोच ही रही थी कि, तुम्हारा कॉल आ गया.”
मैं बोला “ज़्यादा बातें मत बना. मुझे मालूम है कि, ना तो तू मुझे नींद से जगाती और ना ही खुद सोती. ये तो अच्छा हुआ कि मेरी नींद खुल गयी. नही तो तू रात भर जागती ही रहती.”
कीर्ति बोली “रात भर जागती तो क्या हुआ. सुबह तो देर तक सोती रहती. वैसे भी कल सनडे है. किसी बात की कोई चिंता नही थी.”
मैं बोला “चल ठीक है. तू ज़रा रुक, मैं बाहर से पानी लेकर आता हूँ. आज जल्दी जल्दी मे मैं पानी लेना ही भूल गया.”
कीर्ति बोली “मैं अकेले यहाँ क्या करूगी. मैं भी तुम्हारे साथ चलूगी.”
मैं बोला “तुझे मेरे साथ चिपकी रहना है तो, चिपकी रह. मगर मुझे अभी बहुत ज़ोर से प्यास लगी है. इसलिए चल पहले चल कर पानी ले आते है. फिर बात करते है.”
कीर्ति बोली “तो चलो ना. मैं कहाँ मना कर रही हूँ. तुम ही बातों मे लगे हो.”
मैं बोला “ठीक है.”
ये कह कर मैं बाहर जाने के लिए उठ गया. मैने कमरे से बाहर जाने के लिए, दरवाजा खोलने की कोसिस की, लेकिन दरवाजा नही खुला. शायद किसी ने दरवाजा, बाहर से बंद कर दिया था. लेकिन किसने और क्यो किया था, ये मेरी समझ के बाहर था.
दरवाजा खुलते ना देख कर, मैं निराश हो गया और वापस बेड पर आकर बैठ गया. लेकिन प्यास की वजह से मेरा हाल बहाल हो रहा था. मुझे समझ मे नही आ रहा था कि, अब मैं क्या करूँ.
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