MmsBee कोई तो रोक लो
09-09-2020, 02:15 PM,
RE: MmsBee कोई तो रोक लो
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प्रिया की बातें सुनकर कीर्ति आग बाबूला हो चुकी थी और उसका गुस्सा सातवे आसमान पर था. उसके मूह मे जो आ रहा था, वो बके जा रही थी.

कीर्ति बोली “हाँ मुझे तो सो ही जाना चाहिए था. वो हरामजादी इतनी मीठी मीठी लॉरी, जो सुना कर गयी है. मुझे तो सुनते ही नींद आ जाना चाहिए थी. लेकिन देखो मैं कितनी बद्जात लड़की हूँ. इतना सब कुछ सुनने के बाद भी, बेशर्मो की तरह जाग रही हूँ. तुमने बहुत अच्छा किया जो सब कुछ चुप चाप सुनते रहे और अब आराम से सो भी जाना. लेकिन मुझे अब उस कमिनि की नींद छीने बिना नींद नही आएगी.”

“उस रंडी की औलाद की इतनी हिम्मत कि, तुम्हे गंदे खून की पैदाइश कहे. अब मैं उस कुतिया को बताउन्गी कि गंदा खून किसका है. उसके सारे खानदान को नंगा करके रख दुगी. उसको बताउन्गी कि, उसकी बहन खुद अपने भाई से चुदती रहती है और वो खुद अपने दादा की औलाद है. उसकी माँ बहन और उसको तुमसे ना चुदवा दिया तो, मैं भी अपने माँ बाप की बेटी नही. लाओ मुझे उस रंडी का नंबर दो. मैं अभी उसको उसकी असली औकात बताती हूँ. लाओ मुझे उसका नंबर दो.”

कीर्ति गुस्से मे पागल होकर प्रिया का नंबर माँग रही थी और उसको गालियाँ बके जा रही थी. मेरे लिए कीर्ति का ये रूप बिल्कुल नया था. जिसे देख कर कुछ देर के लिए मेरी बोलती बंद और दिमाग़ शुन्य हो गया.

इतनी गंदी गालियाँ पहली बार मैं उसके मूह से सुन रहा था और समझ नही पा रहा था कि, अब मैं उसके गुस्से को कैसे शांत करू. मगर ये तो उसके गुस्से की शुरुआत थी और मेरे चुप रहने से वो ओर भी ज़्यादा गुस्से मे आग बाबूला हो गयी. उसने मेरे उपर चीखते हुए कहा.

कीर्ति बोली “क्या हुआ. तुम्हे साँप क्यो सूंघ गया. उस रंडी का नंबर क्यो नही दे रहे. कहीं उस रंडी को चोदने के सपनो मे खो गये हो. ये सपने तुम बाद मे देखते रहना. मुझे जल्दी से उसका नंबर दो, वरना मैं अभी मेहुल को कॉल करके उसका नंबर लेती हूँ.”

आख़िर कार कीर्ति के मूह से मेहुल से नंबर लेने की बात सुनकर मेरी ज़ुबान मे कुछ जान वापस आई और मैने बड़े प्यार से कीर्ति को समझाते हुए कहा.

मैं बोला “जान, तुझे ये क्या हो गया है. मैं कभी सोच भी नही सकता था कि तू इतनी गंदी गालियाँ दे सकती है. तेरे मूह से ये सब बातें अच्छी नही लगती. ये तो बाजारू लड़कियों का काम है. शरीफ घर की लड़कियाँ ऐसी बातें नही करती.”

लेकिन कीर्ति पर मेरी बात का कोई असर नही पड़ा. वो अभी भी अपनी ज़िद पर ही अडी थी और मुझ पर ही बरस पड़ी.

कीर्ति बोली “हाँ मैं बाजारू लड़की हूँ. शरीफ तो वो है जिसने अभी तुम्हे जलील किया और घर से निकल जाने को कहा है. तुम्हे जो समझना है, तुम समझते रहो. मैं अच्छी नही हूँ तो, तुम मुझे छोड़ दो. लेकिन आज कुछ भी हो जाए, मैं उस रंडी को छोड़ने वाली नही हूँ. तुम फोन रखो, मैं मेहुल से उसका नंबर ले लेती हूँ.”

कीर्ति की ये बात मेरे दिल पर चोट कर गयी. लेकिन मैं ये भी जानता था कि अभी वो अपने आप मे नही है. वो खुद ही नही जानती कि वो क्या क्या बोले जा रही है.अब मेरे पास कीर्ति को शांत करने का बस एक ही रास्ता था और मैने बड़े ही शांत शब्दों मे कीर्ति से कहा.

मैं बाला “जान, प्लीज़ शांत हो जा. तुझे मेरी कसम, अपना गुस्सा ख़तम कर. इसके बाद यदि तू अपने मूह से एक भी गंदी बात निकलेगी, तो मेरा मरा हुआ मूह देखेगी.”

मेरी बात सुनकर कीर्ति शांत पड़ गयी मगर उसकी तेज चल रही साँसे, मुझे इस बात का अहसास करा रही थी कि, उसके अंदर अभी भी गुस्से की ज्वाला भड़क रही है और जब तक वो प्रिया से मेरी बेइज़्ज़ती का बदला नही ले लेती, उसे शांति नही मिलेगी. मैने उसके गुस्से को शांत करने के लिए उसे समझाते हुए कहा.

मैं बोला “जान, मैं जानता हूँ कि तू मेरा अपमान नही सह सकती. मैं बहुत खुश नसीब हूँ, जो मुझे तेरा प्यार नसीब हुआ. लेकिन ज़रा ठंडे दिमाग़ से सोच कर देख.यदि प्रिया की जगह तू होती तो, ये सब देखने के बाद तू क्या करती.”

मेरी बात सुनकर भी कीर्ति चुप ही रही. तब मैने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा.

मैं बोला “प्रिया नादान है. वो अभी रिया की किसी हरकत को नही जानती. इसलिए उसे ये सब देख कर इतना बुरा लगा है. तू खुद सोच कर देख, जब प्रिया का अपमान करना तुझसे नही सहा गया तो, फिर प्रिया वो सब देख कर कैसे सह सकती थी. उस समय उसके सामने मैं ही था. इसलिए उसने अपना सारा गुस्सा मुझ पर उतार दिया. लेकिन बाद मे उसे उसकी ग़लती का अहसास ज़रूर होगा और वो इसके लिए मुझसे माफी भी माँगेगी.”

ये बोल कर मैं कीर्ति के कुछ बोलने का इंतजार करने लगा. मेरी इस बात का कीर्ति पर क्या असर पड़ा. ये तो वही जाने. मगर इस बात को सुनने के बाद उसने बड़े ही अनमने मन से मुझसे कहा.

कीर्ति बोली “मेरी एक बात मनोगे.”

मैं बोला “तू बोल कर तो देख, तेरी हर बात मानूँगा.”

कीर्ति बोली “कुछ भी हो, पर अब तुम यहाँ मत रहो. कल सुबह ही अपने रहने का कही और इंतेजाम कर लो.”

मैं बोला “बस इतनी सी बात, कल ही मैं अपने रहने का कही और इंतज़ाम कर लूँगा. अब तो तू खुश है ना या अभी कुछ ओर भी करना बाकी है.”

कीर्ति बोली “हाँ खुश हू. लेकिन यदि कर सको तो एक काम ऑर कर दो.”

मैं बोला “चलो वो भी कर देता हूँ. बोलो क्या करना है.”

कीर्ति बोली “प्रिया ने तुम्हारे बर्तडे मे जो मोबाइल गिफ्ट किया था. वो उसको वापस कर दो.”

मैं बोला “ओके, कल ही वापस कर दूँगा.”

मैने बिना कोई सवाल किए कीर्ति की कही, दोनो बातें पूरी करने की हामी भर दी थी. क्योकि मुझे घर से जाने के लिए खुद प्रिया ने कहा था. ऐसे मे मेरा वहाँ रुकना ठीक नही था और प्रिया ने मेरी सूरत भी देखने से मना किया था. ऐसे मे उसका मोबाइल भी अपने पास रखने का कोई मतलब नही था. मुझे कीर्ति की दोनो बातें ही सही लगी थी.

मेरी कीर्ति से ऐसी ही हल्की फुल्की बातें होती रही. उसका मूड सही नही था और मैं अपनी बातों से उसका मन बहलाने की कोशिस करता रहा. लेकिन 3:30 बजे कीर्ति ने मुझसे आराम करने को कह कर फोन रख दिया. अभी उसका मूड सही नही था इसलिए मैने उस से बात करने की कोई ज़िद करना ठीक नही समझा.

मगर कीर्ति के फोन रखने के बाद भी मेरी आँखों मे नींद नही थी. मैं कभी कीर्ति के गुस्से के बारे मे सोचता तो, कभी प्रिया के गुस्से के बारे मे सोचता. दोनो का गुस्सा अपनी अपनी जगह सही था. दोनो मे से कोई भी ग़लत नही था.

यदि कोई ग़लत था तो, वो था मेरा बाप, जिसकी वजह से आज ये सब हुआ था. मगर वो इन सब बातों से अंजान, रिया के साथ ऐयाशी करने के बाद, अब बेफिक्री की नींद सोने की तैयारी मे होगा.

ये बात मेरे दिमाग़ मे आते ही, मुझे याद आया कि रिया या पापा ने दरवाजा बाहर से बंद किया होगा और वो ज़रूर मेरा दरवाजा खोलने भी आए होगे या आने वाले होगे. ऐसे मे उन्हे मेरा दरवाजा बाहर से खुला मिला तो उन्हे इस बात का शक़ हो सकता है कि कही मुझे उनकी हरकत का पता तो नही चल गया.

ये सोच कर मैं तुरंत अपने बेड से उठा और बाहर जाकर देखा. लेकिन बाहर से कुछ समझ मे नही आ रहा था और पापा के कमरे के बाहर जाकर देखना मुझे ठीक नही लग रहा था. तभी मुझे सीडियों के रोशनदन की याद आई.

मैने अपने दरवाजे को बाहर से बंद किया और सीडियों पर बने रोशनदन के पास जाकर कान लगा दिए. रिया अभी भी अंदर ही थी. मैने धीरे से रोशनदन खोल कर देखा तो रिया कपड़े पहन रही थी. कपड़े पहनने के बाद उसने पापा को किस किया और उनके कमरे से बाहर आ गयी. पापा ने उसके जाने के बाद दरवाजा बंद कर लिया.

मैने भी रोशनदन को बंद किया और थोड़ी देर सीडियों पर वेट करने के बाद वापस नीचे आ गया. नीचे आने के बाद मैने देखा कि मेरे कमरे का दरवाजा बाहर से खोल दिया गया.

मैं वापस अपने कमरे मे आया और टाइम देखा तो अभी 4 बजा था. नींद तो मेरी आँखों मे थी नही, इसलिए मैं अपना समान पॅक करने लगा. पॅकिंग हो जाने के बाद मैं फ्रेश होने चला गया.

फ्रेश होने के बाद मैं तैयार हुआ और फिर बैठ कर ये सोचने लगा कि यहाँ पर सबको ऐसा क्या बोल कर जाउ. जिस से किसी के मन मे कोई सवाल ना उठे. लेकिन मेरे दिमाग़ मे ऐसी कोई बात नही आ रही थी.

यही सोचते सोचते 6 बज गये और निक्की ने आकर मेरा दरवाजा खटखटा दिया. मैने दरवाजा खोला तो निक्की मुझे तैयार देख कर चौक गयी.
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