RE: MmsBee कोई तो रोक लो
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अभी वो मुझसे कुछ पुच्छ या बोल पाती, उस से पहले ही मेरा मोबाइल बजने लगा. मैं और निक्की दोनो ही समझ गये कि कीर्ति का फोन आ रहा है. निक्की ने मुस्कुराते हुए मेरी तरफ देखा और मुझे फोन उठाने का इशारा करने लगी.
मैने निक्की को अंदर आने को कहा और फिर कीर्ति का कॉल उठाया. मेरे कॉल उठाते ही कीर्ति ने मुझे कुछ बोलने का मौका दिए बिना ही अपनी बात कहना सुरू कर दी.
कीर्ति बोली “सॉरी जान, मैं रात को गुस्से मे, तुमको बहुत कुछ उल्टा सीधा बोल गयी थी. प्लीज़ रात की बात के लिए मुझे माफ़ कर दो.”
कीर्ति की इस बात को सुनकर, रात से पहली बार मेरे चेहरे पर मुस्कान आई थी. मैने मुस्कुराते हुए कहा.
मैं बोला “तूने ऐसा कुछ भी नही बोला, जिसके लिए तुझे मुझसे माफी माँगना पड़े. तूने गुस्से मे जो कुछ भी बोला, वो भी मेरे लिए तेरा प्यार ही था, जो गुस्से के रूप मे बाहर निकल रहा था. मुझे तेरी किसी भी बात का, कोई बुरा नही लगा.”
लेकिन कीर्ति को अभी भी इस बात का यकीन नही हो रहा था कि, मुझे उसकी बात का बुरा नही लगा है. इसलिए उसने अपनी बात को फिर से दोहराते हुए कहा.
कीर्ति बोली “मेरी कसम खाकर बोलो कि तुम्हे सच मे मेरी किसी बात का बुरा नही लगा है.”
मैं बोला “क्या बच्चों जैसी बात करती है. कहा तो मुझे तेरी किसी बात का बुरा नही लगा. फिर इसमे कसम खाने वाली बात कहाँ से आ गयी.”
कीर्ति बोली “नही, तुम्हे बुरा लगा है. इसलिए तुम मेरी कसम नही खा रहे हो. यदि बुरा नही लगा होता तो, तुम मेरी कसम ज़रूर खा लेते.”
मैं बोला “ओके बाबा, तेरी कसम, मुझे तेरी किसी बात का कोई बुरा नही लगा. अब तो तू खुश.”
कीर्ति बोली “हाँ, अब ठीक है.”
मैं बोला “अब तू ये बता कि, तू अभी तक सोई क्यो नही.”
कीर्ति बोली “तुमसे किसने कहा कि मैं सोई नही. मैं तो अभी अभी सोकर उठती जा रही हूँ.”
मैं बोला “अब तू झूठ बोल रही है. तेरी बातों से साफ समझ मे आ रहा है कि तू रात भर जागती रही है. क्या अब ये सच जानने के लिए मुझे भी अपनी कसम देनी पड़ेगी.”
कीर्ति बोली “नही जान, कसम देने की कोई ज़रूरत नही है. तुम सही कह रहे हो. मैं रात भर जागती रही हूँ. लेकिन जान, सोए तो तुम भी नही हो. उस रंडी ने हम दोनो की ही रात खराब कर के रख दी है.”
कीर्ति के मूह से फिर प्रिया के लिए गाली सुनकर, मुझे लगा कि कही ये रात की तरह फिर से ना सुरू हो जाए. इसलिए मैने बात का रुख़ बदलते हुए कहा.
मैं बोला “देख तू अब सुबह सुबह फिर से सुरू मत हो. अभी मुझे सोचने दे कि, मुझे यहाँ से निकलने के बाद, कहाँ पर रहना है.”
कीर्ति बोली “इसमे सोचना क्या है. अपने दोस्त अजय से बात कर के देख लो. यदि उसने तुम्हे अपने घर मे रख लिया तो, तुम्हे किसी को भी कोई और वजह बताने की ज़रूरत नही पड़ेगी. तुम सब से ये कह सकते हो की, अजय के कहने पर ही, तुम उसके साथ रह रहे हो.”
कीर्ति का दिमाग़ चाचा चौधरी से भी तेज है, ये तो मैं जानता था और अब उसकी इस बात से ये भी समझ मे आ गया था कि, वो रात भर सिर्फ़ इन्ही सब बातों को सोचती रही है.
लेकिन अभी निक्की मेरे पास ही खड़ी थी. इसलिए मैने अपनी बात को जल्दी से ख़तम करते हुए कीर्ति से कहा.
मैं बोला “ठीक है, मैं अजय से बात करके देखता हूँ. अब तू सो जा, हम दोपहर मे बात करेगे.”
कीर्ति बोली “ओके जान, मुउउहह.”
कीर्ति के फोन रखने के बाद मैने निक्की की तरफ देखा तो, उसकी मुस्कान गायब थी. वो अब तक मेरे समान की पॅकिंग देख चुकी थी और मेरी कीर्ति से हुई बातों को भी सुन चुकी थी.
निक्की को इतना तो समझ मे आ चुका था कि, मैं यहाँ से जा रहा हूँ. लेकिन कहाँ और क्यो जा रहा हूँ, ये बात उसके लिए अभी भी, एक पहेली ही बनी हुई थी. मेरे कॉल रखते ही निक्की ने मुझसे कहा.
निक्की बोली “ये सब क्या है. ये समान की पॅकिंग किस लिए. आप कहाँ जा रहे है और क्यों.”
मैं बोला “मैं यहाँ से जा रहा हूँ. लेकिन कहाँ जा रहा हूँ, आपके इस सवाल का जबाब, अभी मेरे पास भी नही है.”
निक्की बोली “लेकिन क्यों जा रहे है. कल तो आप अच्छे भले थे. फिर रात भर मे ऐसा क्या हो गया. जो आप इतनी सुबह सुबह जा रहे है.”
मैं बोला “कुछ भी नही हुआ. बस अब मेरा मन यहाँ रुकने का नही कर रहा है. इसलिए यहाँ से जा रहा हूँ.”
निक्की बोली “नही, कुछ ना कुछ बात तो ज़रूर हुई है. कीर्ति और आपकी बातों से इतना तो मैं समझ ही गयी हूँ कि यहाँ रात को कुछ हुआ है. ये और बात है कि आप मुझे बताना नही चाहते है. शायद आपकी नज़र मे, मेरी दोस्ती की कोई अहमियत नही है या फिर आपको, अब भी मुझ पर विस्वास नही है.”
अपनी बात कह कर निक्की उदास सी हो गयी. उसका उदासी भरा चेहरा, मुझे सब कुछ बताने पर मजबूर कर रहा था. लेकिन मैं चाहते हुए भी, ना तो उसे कुछ बता सकता था और ना ही उसे अंधेरे मे रख सकता था. इसलिए मैने उसके दिल को राहत पहुचने के लिए उस से कहा.
मैं बोला “आप ग़लत सोच रही है. मेरी नज़रों मे आपकी दोस्ती की बहुत अहमियत है और मुझे आप पर पूरा विस्वास है. लेकिन मैं चाह कर भी, अभी आपको कुछ नही बता सकता. आप मुझे थोड़ा समय दीजिए. मैं आपको सब कुछ बता दूँगा.”
निक्की बोली “ओके, आपको जब ठीक लगे आप मुझे बता दीजिएगा. यदि आप मुझे कुछ ना भी बताएगे, तब भी चल जाएगा. लेकिन ज़रा दादा जी और आंटी के बारे मे तो सोचिए. आपके इस तरह अचानक चले जाने से वो लोग क्या सोचेगे और फिर मेहुल भी तो आपसे इसकी वजह पुछेगा.”
मैं बोला “आप इसकी फिकर मत कीजिए. मैने सब सोच लिया है. दोपहर को जब मैं खाने के लिए आउगा. तब सब से बोल कर जाउन्गा. जिसके बाद किसी के मन मे कोई बात नही रहेगी. लेकिन उसके पहले आपको मेरा एक काम करना होगा.”
निक्की बोली “क्या काम.”
मैने प्रिया वाला मोबाइल उठाया और निक्की के हाथ मे देते हुए कहा.
मैं बोला “जब प्रिया सोकर उठे तो, ये मोबाइल प्रिया को दे देना. कहना कि अब मुझे इसकी ज़रूरत नही है.”
मेरी बात सुनकर निक्की समझ गयी कि, मेरी प्रिया के साथ ही कोई बात हुई है. लेकिन उसके कुछ पुच्छने से पहले ही मैने उस से कहा.
मैं बोला “अभी आप कुछ भी मत सोचिए. मैं आप को जल्दी ही सब कुछ बता दूँगा. तब तक आपका इस बात से अंजान रहना ही ठीक है. आप सिर्फ़ वैसा ही करते जाइए, जैसा मैं आप से कह रहा हूँ.”
निक्की बोली “ओके, जैसी आपकी मर्ज़ी. अब आप रुकिये, मैं आपके लिए चाय नाश्ता लेकर आती हूँ.”
मैं बोला “नही, अब इसकी कोई ज़रूरत नही है. यदि दादा जी और आंटी का ख़याल ना होता तो, मैं दिन का खाना भी यहाँ नही ख़ाता. अब मैं चलता हूँ. दोपहर को खाने पर मिलुगा.”
इतना कहने के बाद मैं, निक्की को वही छोड़ कर, कमरे से बाहर निकल आया. पोर्च से निकलने के बाद जब मेन हॉल मे आया तो, मुझे सीडियों पर कोई साया नज़र आया. मैने पलट कर सीडियों की तरफ देखा तो, वहाँ प्रिया खड़ी थी.
लेकिन रात की प्रिया मे और अभी की प्रिया मे बहुत अंतर था. जहा रात को प्रिया का चेहरा गुस्से मे लाल और आँखों मे मेरे लिए नफ़रत झलक रही थी. वही अभी प्रिया का चेहरा मुरझाया हुआ और आँखे सूजी हुई थी.
प्रिया की आँखों को देख कर ऐसा लग रहा था, जैसे वो रात भर रोती रही हो और अभी फिर से रोने वाली हो. प्रिया उदासी भरे चेहरे से मेरी तरफ एक टक देखे जा रही थी. मानो कि कहना चाहती हो, मुझे रात की ग़लती के लिए माफ़ कर दो.
रात की प्रिया की बातें मुझे बुरी ज़रूर लगी थी मगर उन बातों को लेकर मेरे मन मे प्रिया के लिए कोई मैल नही था. इसलिए प्रिया की ऐसी हालत देख कर, मेरा मन हुआ कि उस से बात करूँ.
लेकिन अभी बात करने का सही समय नही था और प्रिया को उसकी ग़लती का अहसास कराना भी ज़रूरी था. इसलिए मैं प्रिया को देख कर भी अनदेखा करते हुए, घर से बाहर निकल गया.
बाहर आकर मैने टॅक्सी ली और हॉस्पिटल के लिए निकल पड़ा. लेकिन रास्ते भर मैं सिर्फ़ प्रिया के उदास चेहरे के बारे मे ही सोचता रहा. कहाँ आज प्रिया ने मुझे अपनी सहेली से मिलने के लिए, इतनी तैयारी की थी और कहाँ आज का दिन ही उसके लिए सबसे बुरा साबित हो रहा था.
फिर अचानक मुझे डॉक्टर निशा की बात याद आ गयी कि, प्रिया को हमेशा खुश रखो. ये बात मेरे दिमाग़ मे आते ही मुझे लगने लगा कि, मैं प्रिया के साथ जो कुछ भी करने जा रहा हूँ, वो सरासर ग़लत है.
मगर अब मैं चाह कर भी अपने फ़ैसले से पिछे हटने की स्थिति मे नही था. क्योकि यदि ये बात सिर्फ़ मेरे और प्रिया के बीच मे रही होती तो, मुझे अपना फ़ैसला बदलने के लिए इतना सोचना नही पड़ता.
मगर इस बात मे अब मेरे और प्रिया के अलावा कीर्ति भी जुड़ी हुई थी. जिसे प्रिया की बात से सबसे ज़्यादा चोट पहुचि थी. उसने छोटे से मज़ाक के लिए जब अपनी सहेली को नही छोड़ा था तो, फिर इतनी बड़ी बात के लिए प्रिया को इतनी आसानी से माफ़ कर देने का सवाल ही पैदा नही होता था.
ऐसे मे यदि मैं, कीर्ति की सहमति लिए बिना ही अपना फ़ैसला बदल कर, प्रिया की ग़लती को माफ़ कर देता तो, कीर्ति के दिल को और भी ज़्यादा चोट पहुच सकती थी. इसलिए मुझे कुछ भी करने के पहले कीर्ति की रज़ामंदी लेना ज़रूरी थी.
सारे हालात इतनी जल्दी जल्दी बदल रहे थे कि आगे क्या होगा कुछ भी समझ पाना मेरे लिए मुस्किल हो रहा था. कीर्ति और प्रिया की बातों मे उलझा हुआ मैं, हॉस्पिटल पहुच गया.
मेरी किस्मत ने साथ दिया और अजय मुझे वहाँ चाय पीते हुए मिल गया. मुझे देखते ही उसके चेहरे पर मुस्कुराहट आ गयी. मैं उसके पास पहुचा तो, उसने एक चाय और लेकर मेरी तरफ बढ़ा दी. मैने चाय ली और हंसते हुए कहा.
मैं बोला “क्या हुआ, आज तुम्हारा धंधा पानी बंद है क्या.”
अजय बोला “नही यार, अभी सवारी छोड़ कर आया हूँ और 7 बजे फिर सवारी लेकर जाना है. लेकिन तुम आज इतनी जल्दी कैसे आ गये.”
मैं बोला “तुम से एक ज़रूरी काम था इसलिए जल्दी आ गया. वरना क्या पता तुम से मिल पाता या नही.”
अजय बोला “काम था तो फोन कर लेते. मैं खुद आ जाता या कहीं जाता भी होता तो रुक जाता.”
मैं बोला “मुझे मालूम था कि इस समय तुम मुझे मिल ही जाओगे. इसलिए फोन करने की ज़रूरत नही समझी.”
अजय बोला “अच्छा किया. अब बोलो भी क्या काम है.”
मैं बोला “मुझे अपने रुकने के लिए कोई जगह चाहिए. क्या तुम कहीं मेरे रुकने का इंतेजाम करवा सकते हो.”
अजय बोला “सॉरी यार, मैं इसमे तुम्हारी कोई मदद नही कर सकता.”
अजय के मूह से इतना सॉफ ना सुनकर मुझे बहुत खराब लगा. लेकिन फिर भी मैने ये बात अजय पर जाहिर ना करते हुए कहा.
मैं बोला “कोई बात नही. मैं खुद ही दोपहर मे कोई रुकने की जगह तलाश कर लूँगा.”
मेरी बात सुनकर अजय हँसने लगा. उस समय उसका हँसना मुझे अच्छा तो नही लगा. लेकिन मैं खामोश ही रहा. मुझे खामोश देख कर अजय ने अपनी हँसी रोकते हुए कहा.
अजय बोला “सॉरी, यदि मेरी बात का बुरा लगा हो तो, लेकिन तुमने बात ही ऐसी कर दी थी कि, मुझसे भी कहे बिना ना रहा गया.”
मैं बोला “क्यो, मैने ऐसी क्या बात कर दी. सिर्फ़ ये ही तो कहा था कि मेरे रुकने के लिए किसी जगह का इंतेजाम कर दो.”
अजय बोला “ये ही तो तुमने ग़लत बात की है. तुम जब तक चाहो और जैसे चाहो, बिना किसी रोक टोक के मेरे घर मे रुक सकते हो. फिर तुम्हे अपने रुकने के लिए जगह तलाशने की क्या ज़रूरत थी. क्या मैं तुम्हारा दोस्त नही हूँ.”
मैं बोला “नही ऐसी बात नही थी. असल मे मैं तुम्हे परेशान करना नही चाहता था और पता नही, अभी मुझे यहाँ कितने दिन ऑर रुकना पड़ता है.”
अजय बोला “मैं बोल तो रहा हूँ, तुम जब तक चाहो और जैसे चाहो वहाँ रह सकते हो. तुम्हे वहाँ रोकने टोकने वाला कोई नही है. क्योकि मैं खुद भी उस घर में कभी कभी ही रुकता हूँ. अब यदि इसके बाद भी तुम्हे वहाँ रुकने मे कोई परेसानी है तो, मैं एक काम करता हूँ कि वो घर ही तुम्हारे नाम पर लिख देता हूँ. फिर तो तुम वहाँ रुकोगे ना.”
अजय की इस बात को सुनकर मैं दंग रह गया. जिस जमाने मे लोग अपने दोस्त को अपनी बाइक कुछ देर के लिए देने मे सोचने लगते है. उसी जमाने मे अजय ने सिर्फ़ चन्द दिनो की मुलाकात वाले दोस्त के नाम पर अपना घर कर देने की बात कह दी.
जहा अजय की दरियादिली देख कर मेरा दिल खुशी से भर गया था. वही उसके अनसुलझे राज़ मे एक राज़ और जुड़ गया था. वो उस घर मे कभी कभी ही रुकता है. जिसका मतलब तो यही था कि, अजय का एक बंगलो और भी है. जो शायद इस से भी बड़ा है. इसलिए वो इस घर मे कभी कभी ही रुकता है.
मैं अजय की कही बातों मे खोया हुआ था और अजय मेरे जबाब का इंतजार कर रहा था. मुझे इस तरह सोच मे गुम देख कर अजय ने मुझे टोकते हुए कहा.
अजय बोला “इतना मत सोचो. ये बोलो तुम्हे कब से रुकना है.”
मैं बोला “आज दोपहर को खाने के बाद मैं अपना समान लेकर आ जाउन्गा.”
अजय बोला “समान की तुम चिंता मत करो. तुम कोई समान नही भी लाओगे, तब भी तुम्हारे मतलब की हर ज़रूरी चीज़ तुम्हे वहाँ मिल जाएगी.”
मैं बोला “वो सब तो मैं देख चुका हूँ. फिर भी मेरी पॅकिंग हो चुकी है और अब जब वहाँ रहना ही नही तो, फिर वहाँ अपना समान रखने की ज़रूरत ही क्या है.”
अजय बोला ‘ओके, जैसी तुम्हारी मर्ज़ी. लेकिन यदि बुरा ना मानो तो, क्या ये जान सकता हूँ कि तुम वहाँ क्यो नही रुकना चाहते.”
मैं बोला “इसमे बुरा मानने की क्या बात है. कल रात को मेरा प्रिया से झगड़ा हो गया. इसलिए अब मैं वहाँ रहना नही चाहता हूँ. बस यदि हो सके तो तुम मुझे दोपहर को वहाँ लेने आ जाओ. जिससे सबको यही लगे कि मैं तुम्हारे कहने पर ही, तुम्हारे साथ रहने जा रहा हूँ.”
अजय बोला “ओके मैं सब समझ गया. मैं तुम्हे लेने आ जाउन्गा और ऐसे लेने आउगा कि, कोई तुम्हे रोकना भी चाहे तो रोक नही पाएगा.”
अभी मेरी और अजय की बात चल ही रही थी कि, अचानक अजय की टॅक्सी का हॉर्न बजने लगा. हम दोनो ने उस तरफ देखा तो, वहाँ वो ही नर्स खड़ी थी. जिसने मेरे बर्तडे वाली सुबह मुझे रोनी सी सूरत मे अंकल के पास बैठे देखा था.
मैने उसकी तरफ देखा तो, उसकी नज़र भी मेरे उपर पड़ी. वो बड़े गौर से मुझे देखने लगी. शायद मुझे पहचानने की कोसिस कर रही थी कि, उसने मुझे कहाँ देखा है. क्योकि उस दिन के बाद से मैं रात को हॉस्पिटल मे रुका ही नही था. जिस वजह से फिर दोबारा मेरा उस से सामना नही हुआ था.
अजय ने उस नर्स को अपनी टॅक्सी के पास खड़े देखा तो, मुझसे कहा.
अजय बोला “लो, मेरी सवारी आ गयी. मैं अब चलता हूँ. दोपहर को कितने बजे मैं तुम्हे वहाँ लेने पहुचू.”
मैं बोला “मैं 12 से 2 बजे के बीच मे वही रहूँगा. इस बीच तुम कभी भी आ जाना.”
अजय बोला “ओके, मैं ठीक 1 बजे वहाँ पहुच जाउन्गा. बाइ.”
मैं बोला “बाइ.”
इसके बाद अजय अपनी टॅक्सी लेकर वहाँ से चला गया. मैने टाइम देखा तो 7:15 बज चुके थे. मैने मेहुल को कॉल करके नीचे आने को कहा. मेहुल के नीचे आने पर मैने उस से कहा.
मैं बोला “तुम कितने बजे तक सोकर उठ जाओगे.”
मेहुल बोला “क्यो क्या हुआ. क्या तुम्हे कहीं जाना है.”
मैं बोला “नही, मुझे कही नही जाना. लेकिन तुमको रात रुकते हुए बहुत दिन हो गये है. आज से रात को मैं रूकुगा.”
मेहुल बोला “इसकी क्या ज़रूरत है. जैसा चल रहा है, वैसा चलने देते है.”
मैं बोला “मैने तुम्हारी सलाह नही माँगी. मैने कहा कि आज से रात को मैं रूकुगा, मतलब कि मैं ही रूकुगा..”
मेहुल बोला “अच्छा मेरे बाप, तू ही रात को रुकना. मैं 2 बजे सोकर उठुगा. उसके बाद तैयार होकर 3 बजे तक यहाँ आ जाउन्गा. अब तुझे और कुछ बोलना है या मैं जाउ.”
मैं बोला “हाँ, तुझे एक बात और बताना थी. आज से मैं राज के घर मे नही रहुगा.”
मेरी बात सुनकर मेहुल चौक गया. उसने सवालिया नज़रों से मेरे चेहरे की तरफ देखा और फिर थोड़ा चिंतित होकर पुछा.
मेहुल बोला “क्यो क्या हुआ. क्या वहाँ किसी ने तुझसे कुछ कहा है.”
मैं बोला “नही, मुझे किसी ने कुछ नही कहा.”
मेहुल बोला “तो फिर तू वहाँ क्यो नही रहेगा और यदि वहाँ नही रहेगा तो फिर तू कहाँ रहेगा.”
मैं बोला “यहाँ मेरा एक दोस्त है अजय. वो बहुत दिन से अपने साथ रुकने की ज़िद कर रहा था, इसलिए अब कुछ दिन मैं उसके साथ रहुगा.”
लेकिन मेरी बात पर मेहुल को विस्वास नही हो रहा था और उसे अब भी किसी बात की आशंका थी. उसने फिर से मुझसे पुछा.
मेहुल बोला “अबे यहाँ तेरा कोई दोस्त कहाँ से आ गया. मुझे चलाने की कोशिश मत कर. सच सच बोल क्या हुआ. यदि तुझे राज के घर मे किसी ने कुछ उल्टा सीधा बोला है तो, हम अभी के अभी उनका घर छोड़ देगे. यहाँ हमारे रुकने के लिए होटेल की कमी नही है.”
मैं बोला “तू कुछ ज़्यादा ही सोचने लगा है. कभी कुछ सही सोच पाना तेरे बस की बात नही है. इसलिए तू अपने दिमाग़ को ज़ोर देना बंद कर दे. मैने जो कुछ कहा है, सच कहा है. राज के घर के सभी लोग अच्छे है. वो भला मुझे क्यो कुछ कहने लगे.”
मेहुल बोला “तू सच बोल रहा है ना.”
मैं बोला “और कितनी बार बोलूं कि मैं सच बोल रहा हूँ. यदि तुझे अब भी मुझ पर यकीन नही है तो, दोपहर को मैं अपने उस दोस्त से तुझे मिलवा भी दूँगा. तब तो तू यकीन करेगा ना.”
मेहुल बोला “जाने दे, मुझे किसी से नही मिलना. तुझे जो दिखाई दे, तू वो कर, बस इतना याद रख, यदि तेरी बात ग़लत निकली तो मुझसे बुरा कोई नही होगा.”
मैं बोला “तुझसे बुरा कोई है भी नही. अब मेरा दिमाग़ मत खा और यहाँ से जा. मुझे अंकल के पास जाने मे देर हो रही है.”
मेरी बात सुनकर, मेहुल ने मुझे गुस्से मे घूर कर देखा, लेकिन फिर बिना कुछ बोले ही मूड कर सीधा चला गया.
मेहुल के जाने के बाद मैं अंकल के पास आ गया. मेरे पहुचते ही अंकल ने पापा के बारे मे पुछा तो, मैने कह दिया कि जब मैं यहाँ आ रहा था, तब तक वो सोकर नही उठे थे.
तब अंकल ने बताया कि पापा की फ्लाइट 9:30 बजे की है और वो जाने से पहले यहाँ आएगे. इसके बाद अंकल पापा के बारे मे ही यहाँ वहाँ की बात करते रहे. मुझे पापा के बारे मे बातें करना अच्छा नही लग रहा था. मगर अंकल की वजह से मजबूरी मे मुझे बातें करना पड़ रही थी.
इन्ही बातों के चलते, अंकल ने बताया कि पापा को प्रिया बहुत पसंद आई है और वो प्रिया से तुम्हारी शादी के बारे मे सोच रहे है. ये बात तो मुझे प्रिया से पता चल चुकी थी. फिर भी मैं अंजान बने हुए, अंकल से सारी बातें सुनते जा रहा था.
इन्ही बातों के चलते 8 बज गये और थोड़ी ही देर बाद पापा आ गये. वो वापस जाने से पहले अंकल से मिलने आए थे. अंकल से उनकी थोड़ी बहुत बात हुई और फिर वो अपनी फ्लाइट पकड़ने के लिए एरपोर्ट रवाना हो गये.
पापा के जाने के बाद बाकी का समय ऐसे ही गुजरा और फिर 12 बजे राज आ गया. राज से मेरी थोड़ी बहुत बातें हुई और इन्ही बातों के चलते मैने राज को ये भी बता दिया कि आज मैं अजय के घर जा रहा हूँ.
उसने भी मेहुल की तरह मुझसे से सवाल जबाब किए. मैने उसे भी वही सब कहा, जो मेहुल को कहा था. अपनी बातों का जबाब मिल जाने के बाद राज अंकल के पास चला गया और मैं टॅक्सी लेकर राज के घर के लिए निकल पड़ा.
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