RE: MmsBee कोई तो रोक लो
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किसी को भी डॉक्टर निशा के इस अचानक बदले मूड का कारण समझ मे नही आ रहा था. कुछ देर तक कुछ सोचने के बाद, डॉक्टर निशा ने मुझसे कहा.
डॉक्टर निशा बोली “क्या प्रिया इस बात को जानती है कि, तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड है.”
मैं बोला “हाँ, मैने उसे पहले ही सब कुछ बता दिया था.”
डॉक्टर निशा बोली “सब जानने के बाद उसने क्या कहा.”
मैं बोला “वो कहती है कि, वो सिर्फ़ मेरी दोस्त बनी रहना चाहती है. इसके सिवा वो कुछ भी नही चाहती.”
मेरी बात सुनकर, डॉक्टर निशा एक बार फिर किसी सोच मे पड़ गयी. कुछ देर सोचने के बाद, उन्हो ने बड़े ही संजीदा अंदाज़ मे मुझसे कहा.
डॉक्टर निशा बोली “बहुत ही मुस्किल होता है ना.”
मैं डॉक्टर निशा की इस बात का मतलब समझ नही सका. मैने हैरान होते हुए कहा.
मैं बोला “क्या.”
डॉक्टर निशा बोली “जिस से प्यार हो, उस से दूर रहना और जिस से प्यार ना हो, उसके साथ रहना.”
ये कह कर डॉक्टर निशा फीकी सी मुस्कान मे मुस्कुराने लगी. लेकिन उनकी इस मुस्कान से, उन के दिल मे, प्रिया के लिए छुपा दर्द सॉफ नज़र आ रहा था. जिसे मैं महसूस कर सकता था और फिर प्रिया को होने वाले दर्द का अहसास करके, ना चाहते हुए भी, मेरी आखों मे नमी आ गयी.
डॉक्टर निशा ने थोड़े से शब्दों मे जिंदगी की, एक बहुत कड़वी सच्चाई बोल दी थी. मेरे पास उनकी बात का जबाब होते हुए भी, मैं उन्हे को जबाब नही दे पा रहा था. मुझे खामोश देख कर उन्हो ने फिर कहा.
डॉक्टर निशा बोली “क्यो मुस्किल होता है ना.”
अब मेरे पास उन की बात का जबाब देने के सिवा कोई रास्ता नही था. मैने एक ठंडी सी साँस भरते हुए कहा.
मैं बोला “हाँ, बहुत मुस्किल होता है. अपने प्यार से दूर रहना एक सज़ा जैसा लगता है. लेकिन उस से ज़्यादा तकलीफ़ तब होती है. जब कोई आपको अपनी जान से बढ़ कर प्यार करे और आप उसे प्यार के बदले मे, प्यार ना दे सको. तब ऐसा लगता है, मानो सीने मे कोई आग भभक रही हो और उस आग मे दिल जल रहा हो.”
इतना बोल कर मैं खामोश हो गया और एक बार फिर प्रिया को होने वाले दर्द के बारे मे सोचने लगा. वही दूसरी तरफ डॉक्टर निशा भी मेरी बात की गहराई मे खो गयी. लेकिन जब डॉक्टर अमन ने महॉल को बहुत ज़्यादा संजीदा होते देखा तो, उन ने सबका ध्यान अपनी तरफ खिचते हुए कहा.
डॉक्टर अमन बोले “यार तुम लोग भी किस बात मे फसे हुए हो. क्या हुआ जो प्रिया को पुनीत का प्यार नही मिला. हो सकता है कि, उसकी किस्मत मे पुनीत से भी अच्छा लड़का हो. यदि पुनीत ने उसका दिल तोड़ा है तो कोई दूसरा आकर उसे जोड़ भी देगा. प्यार हमारे चारों तरफ होता है. बस उसे पहचानने की ज़रूरत होती है."
डॉक्टर अमन ने अपनी बात से सबको, सिर्फ़ जिंदगी का आईना दिखाया था. लेकिन दिल वालों की महफ़िल मे दिमाग़ की बात कौन समझता है. इसलिए उनकी बात सुनकर सब खामोश हो गये थे. मगर कहते है ना कि.......
”झूठी सच्ची आस दिला कर यूँ कब तक बहलाओगे,
दीवाने फिर दीवाने है मचल गये तो क्या होगा.”
यही हुआ भी, अजय जो अब तक सब की बातें चुप चाप सुन रहा था. उसने डॉक्टर अमन की ये बात सुनी तो, अपने आपको बोलने से ना रोक पाया. उसने डॉक्टर अमन की बात का जबाब देते हुए कहा.
अजय बोला “जो बातें अभी तुमने कही है. वो कहने और सुनने मे बहुत अच्छी और सच्ची लगती है. लेकिन ये सब दिमाग़ की बातें है. ये बातें दिल को समझ मे नही आती. दिल से इनका कोई लेना नही है. क्योकि दिल का एक अपना ही दिमाग़ होता है. वो सिर्फ़ वही देखता और सुनता है, जो वो चाहता है.”
“जो कुछ भी अभी तुमने कहा है, वो बातें कहने और सुनने मे बहुत अच्छी लगती है. प्रायोगिक तौर पर ये बातें उन के लिए बहुत अच्छी है. जो दिमाग़ से सोचते है और जिनके लिए दिल शरीर का सिर्फ़ एक ऐसा पुर्जा है, जो खून सॉफ करने के अलावा और किसी काम मे नही आता है.”
“मगर इन बातों का, उन लोगों के लिए कोई मोल नही है, जो दिल से सोचते है और जिनके लिए दिल शरीर का सिर्फ़ एक पुर्जा नही, बल्कि एक ऐसा हिस्सा है, जो उनके जज्बातों पैदा करता है और उन्हे सुख दुख का अहसास करता है.”
“दिल एक शीशे की तरह होता है, जिसके टूटने की ना तो कोई आवाज़ होती और ना ही जिसे दोबारा जोड़ा जा सकता है. क्योकि जब दिल टूटता है तो, उसके अरमानो की मौत हो जाती है. जब दिल के अरमान ही ना रहेगे तो, फिर कोई दूसरा आकर क्या जोड़ेगा. जिसे तुम दिल का जोड़ना कह रहे हो, वो जीने के लिए सिर्फ़ एक समझोता होता है. अपनी हार या नाकामयाबी से उबरने का एक दिलासा होता है.”
अजय की बात सुनकर, मुझे लगा कि अब डॉक्टर अमन कुछ नही बोल पाएगे. लेकिन ऐसा नही हुआ. उन्हो ने अजय की बात का तर्क देते हुए कहा.
डॉक्टर अमन बोले “तुम्हारी बात सही है. लेकिन तुम मेरी बात का ग़लत मतलब निकाल रहे हो. मेरे कहने का मतलब सिर्फ़ ये था कि, पुनीत प्रिया का सच्चा प्यार नही हो सकता. क्योकि पुनीत तो किसी और को प्यार करता है. इसका मतलब तो यही है हुआ ना कि, प्रिया का सच्चा प्यार कोई और है.”
मगर डॉक्टर अमन की इस बात पर अजय ने उन्हे चिडने वाली मुसकान मे, मुस्कुराते हुए कहा.
अजय बोला “भाई मेरे, तू ठहरा एक प्लास्टिक आंड कॉसमेटिक सर्जन्स, जो लोगों की बाहरी सुंदरता को ही देखता है. लेकिन मैं एक साइकिट्रिस्ट (मानो-चिकित्सक) हूँ, जो लोगों के दिल और दिमाग़ को समझता हूँ. मेरा मानना है कि, प्यार सच्चा या झूठा नही होता. प्यार या तो होता है या फिर नही होता और यहाँ पुनीत को प्रिया से प्यार नही है.”
अजय की ये बात सुनकर मुझे एक झटका और लगा. उसकी इस बात से समझ मे आया कि, वो एक साइकिट्रिस्ट (मनो-चिकित्सक) है. ये जानने के बाद, मेरी अजय के बारे मे जानने की उत्सुकता और भी बढ़ गयी थी. जबकि उसकी बात को सुनकर डॉक्टर अमन ने, उसी की बात को पकड़ कर, पलटवार करते हुए कहा.
डॉक्टर अमन बोले “तो साइकिट्रिस्ट साहब, प्रिया के बारे मे कुछ बताइए. आपकी भाषा मे कहे तो, प्रिया पुनीत से प्यार करती है और यदि उसे पुनीत से प्यार है तो, फिर पुनीत की जगह उसकी जिंदगी मे कोई नही ले सकता. अब जब पुनीत किसी और से प्यार करता है तो, फिर प्रिया के प्यार का अंजाम क्या है.”
डॉक्टर अमन की बात सुनकर, अजय ने मुस्कुराते हुए कहा.
अजय बोला “प्रिया और पुन्नू दोनो का प्यार अभी कच्ची उमर का प्यार है. ऐसे प्यार मे ये अंतर कर पाना मुस्किल होता है कि, ये सच मे प्यार ही है या फिर सिर्फ़ एक आकर्षण है, जो कि इस उमर मे अक्सर होता है.”
“यदि प्रिया का प्यार सिर्फ़ एक आकर्षण हुआ तो, फिर समय के साथ उसका ये आकर्षण कम हो जाएगा. क्योकि किसी भी चीज़ का आकर्षण तभी तक बना रहता है. जब तक वो चीज़ सामने हो या फिर जब तक कोई उस से भी बेहतर चीज़ सामने ना आ जाए.”
“क्योकि आकर्षण चाहे कितना भी गहरा क्यो ना हो, मगर एक दिन समय, दूरी और उस से बेहतर चीज़ की उपस्तिथि, उस आकर्षण को ख़तम कर देती है. अब ये तो पुन्नू के यहाँ से जाने के बाद ही पता चलेगा कि, प्रिया को सच मे पुन्नू से प्यार है या ये सिर्फ़ उसका आकर्षण है.”
अजय और डॉक्टर अमन के बीच चल रही ये बातें समझने वाली थी. लेकिन मेरा मन इन बातों मे नही लग रहा था और मुझे इन बातों से बोरियत होने लगी थी और अब मैं जल्दी से जल्दी यहाँ से निकलना चाहता था.
यही सोचते हुए, मैने निक्की की तरफ देखा. वो शायद मेरे इस तरह से देखने का मतलब समझ गयी थी. इसलिए उसने डॉक्टर अमन के कुछ बोल पाने के पहले ही, डॉक्टर निशा से प्रिया को दिए जाने वाले खाने के बारे मे पुछा और उसके बाद हम उन लोगों को बात करता छोड़, वहाँ से उठ कर आ गये.
वहाँ से निकल आने के बाद, निक्की ने राज को कॉल करके प्रिया के खाने के बारे मे बताया और फिर हम वेटिंग लाउन्ज मे बैठ कर आपस मे बातें करने लगे. कुछ देर बाद राज खाना लेकर आ गया.
राज के आने बाद, अंकल, आंटी ने घर जाकर खाना खाने की बात कही और हम लोगों से खाना खा लेने को कहा. इसके बाद आंटी प्रिया को खाना खिलाने चली गयी. हम लोगों ने मेहुल को बुलाया और फिर सब ने साथ मिलकर खाना खाया.
खाना खाने के बाद, कुछ देर तक इधर उधर की बातें चलती रही. बातों बातों मे राज ने कहा कि, आज रात को वो भी हॉस्पिटल मे ही रुकेगा. यदि आज रात को कोई परेसानी समझ मे नही आती है तो, कल से निक्की या रिया अकेली प्रिया के पास रुक सकती है.
किसी को भी राज की बात मे कोई खराबी नज़र नही आई और निक्की के साथ साथ राज का भी हॉस्पिटल मे रुकना तय हो गया. इसके बाद मेहुल अंकल के पास जाने लगा तो उसने मुझसे कहा.
मेहुल बोला “तुम्हे दिन मे ज़रा भी आराम करने के मौका नही मिला है. इसलिए तुम कल से रात को पापा के पास रुकना. आज पापा के पास मैं ही रुक रहा हूँ. तुम घर वापस चले जाओ.”
मुझे मेहुल की ये बात सही लगी. क्योकि कल रात से लगातार जागने की वजह से, अब मुझे नींद के झोके परेशान करने लगे थे और अब मेरे लिए एक एक पल जागना मुस्किल हो रहा था. इसलिए मैने मेहुल से कहा.
मैं बोला “ठीक है, मैं अभी 10 बजे तक यहाँ हूँ. उसके बाद घर चला जाउन्गा. तू बीच बीच मे राज के पास आते रहना, नही तो ये अकेला यहाँ बोर हो जाएगा.”
मेहुल बोला “तू राज की चिंता मत कर, अभी 11 बजे के बाद पापा सो जाएँगे. फिर मैं राज के साथ ही रहुगा और बीच बीच मे पापा को भी जाकर देखता रहुगा. वैसे भी वो सुबह के पहले नही उठते है.”
अपनी बात पूरी करने के बाद मेहुल अंकल के पास चला गया. मेहुल के जाने के बाद, सब एक एक करके प्रिया से मिले. फिर 9:15 बजे अंकल, आंटी, दादा जी और रिया घर चले गये.
निक्की प्रिया के पास थी और मैं राज के साथ वेटिंग लाउंज मे बैठा इधर उधर की बातें कर रहा था. मगर अब मुझे नींद बहुत ज़्यादा परेशान करने लगी थी. इसलिए मैने राज से नीचे चल कर कॉफी पीने का कहा और फिर हम लोग नीचे आ गये.
हम ने कॅंटीन से कॉफी ली और फिर बाहर समुंदर किनारे आकर कॉफी पीने लगे. अभी हम कॉफी पी ही रहे थे कि, तभी वहाँ आकर अजय की टॅक्सी रुकी और उसमे से वही नर्स उतरी, जो सुबह अजय की टॅक्सी का हॉर्न बजा रही थी.
टॅक्सी से उतरते ही उस नर्स की नज़र मुझ पर पड़ी. उसने एक नज़र मेरी तरफ देखा और फिर मूड कर हॉस्पिटल के अंदर चली गयी. उसके जाने के बाद अजय ने अपनी टॅक्सी एक किनारे लगा दी. लेकिन वो टॅक्सी से उतरा नही. शायद वो राज की वजह से मेरे पास नही आना चाहता था.
इधर राज उस नर्स को बड़ी गौर से अंदर जाते हुए देख रहा था और जब वो हॉस्पिटल के अंदर चली गयी तो, राज ने एक ठंडी सी साँस भरते हुए, मुझसे कहा.
राज बोला “क्या पटाखा लड़की है यार, इस पुल्झड़ी को जब भी देखता हूँ, तन बदन मे आग लग जाती है. साली को देखते ही लंड उठ कर खड़ा हो जाता है और इसकी गान्ड को सलामी देने लगता है. इसके सामने तो करीना कपूर भी फैल है. कसम से एक बार इसकी मारने को मिल जाए तो, अपने लंड की लाइफ ही बन जाए.”
राज के मूह से, उस नर्स के लिए इतने ख़तरनाक बोल सुनकर, मैं उसके बारे मे सोचने पर मजबूर हो गया. उसकी उमर 22-23 साल के आस पास की ही होगी. उसने इस समय पटियाला सलवार सूट पहना था और जिस मे वो सच मे बहुत सुंदर लग रही थी.
लेकिन उसका रहन सहन बहुत ही सादा सा लगता था. जिस से समझ मे आता था कि, वो बहुत सादगी पसंद है. उसका व्यक्तित्व भी कुछ कम आकर्षक नही था. उस से जब मेरी बात हुई थी. तब उसकी ज़रा सी बात मे ही, मुझे एक अजीब सा अपनापन महसूस हुआ था.
इसके पहले दो बार की मुलाकात मे मेरा ध्यान, उसकी इन सब बातों पर इसलिए नही जा पाया था, क्योकि उन दोनो बार ही मैं परेशान था. लेकिन अब जब मेरा ध्यान उसकी इन सब बातों पर गया तो, मुझे ना जाने क्यो, उसके बारे मे, राज की बातें बहुत बुरी लग रही थी.
मुझे ऐसा लग रहा था, जैसे कि राज ने वो सब बातें, उस नर्स को नही बल्कि, मेरे किसी अपने को कही है. मैं अभी इन्ही सब बातों मे उलझा हुआ था कि, राज ने मेरा ध्यान अपनी तरफ खिचते हुए कहा.
राज बोला “यार आज तो रात कमाल की कटने वाली है. हो सकता है साली रात भर मे पट जाए और जल्दी ही मेरे लंड के भी बारे न्यारे हो जाए.”
अब मुझसे राज की ये सब बातें सहन करना मुस्किल हो रहा था. फिर भी मैने अपने आपको शांत रखते हुए कहा.
मैं बोला “क्या वो अपनी ड्यूटी छोड़ कर, तुम्हारे आस पास मंढराती रहेगी. जो तुम उसे रात भर मे पटाने के सपने देख रहे हो.”
राज बोला “यार क्या तू उसको पहचानता नही है. यही तो सिखा है, जिसकी ड्यूटी आज प्रिया के पास लगी है. अब इसकी प्रिया के पास ड्यूटी है तो, इस से बात करना कौन सा मुस्किल काम है.”
मैं बोला “ड्यूटी प्रिया के पास लगी है. कोई ज़रूरी है कि, वो तुम्हारी तरफ कोई ध्यान भी दे.”
राज बोला “ध्यान तो वो ज़रूर देगी. अभी तूने देखा नही, वो जाते जाते कैसे तिर्छि नज़रों से मुझे देख रही थी. इसके पहले तो उसने कभी मुझे ऐसे नही देखा था.”
राज की इस बात ने मुझे उसको जलाने का एक मौका दे दिया. मैने राज की बात को बीच मे ही काटते हुए, उस झूठ कहा.
मैं बोला “वो तुम्हे नही, बल्कि मुझे देख रही थी. क्योकि मैं अंकल के पास रात को रुकता था. तब मेरी उस से बात चीत होती रहती थी. इतने दिन से मैं उसे दिखा नही था. इसलिए अभी मुझे यहाँ देख कर वो चौंक गयी थी.”
मेरी बात सुनकर, राज कुछ सोच मे पड़ गया और मैं मन ही मन मुस्कुरा रहा था. कुछ देर तक सोचने के बाद, राज ने मुझसे कहा.
राज बोला “यार, तेरी उस से बात चीत चलती है तो, तू उसको पटाने मे मेरी मदद कर, मैं भी वादा करता हूँ कि, जब वो मुझसे पट जाएगी तो, हम दोनो मिल कर उसकी बजाएँगे.”
राज की ये बात सुनकर, मैने मन मे कहा, “बहनचोद अपनी बहन को तो खराब कर दिया है. अब दूसरे की बहन बेटी को भी खराब करना चाहता है. लेकिन तेरा ये सपना मैं कभी पूरा नही होने दूँगा.”
मुझे अपनी बात का जबाब ना देते देख और इस तरह किसी सोच मे गुम देख कर, राज ने मुझे टोकते हुए कहा.
राज बोला “इतना क्या सोच रहा है. बता ना मेरी मदद करेगा या नही करेगा.”
मैं बोला “मुझे तुम्हारी मदद करने मे कोई परेशानी नही है. लेकिन मेरी बात मानो तो, उस से दूर ही रहो. इसी मे तुम्हारी भलाई है.”
राज बोला “ऐसा क्यो. क्या उस लड़की मे कोई खराबी है.”
मैं बोला “नही, लड़की मे कोई खराबी नही है. लड़की बहुत अच्छी है. मगर उसके भाई मे खराबी है. वो बता रही थी कि, उसका भाई कोई बड़ा गुंडा है और यदि किसी भी लड़के को, उसके आस पास भी फटकते देखता है तो, उस लड़के को सीधे हॉस्पिटल का रास्ता दिखा देता है.”
“यहाँ तक कि उसके भाई ने, यहाँ के कुछ डॉक्टेर तक के साथ मार पीट की है और हमेशा अपनी बहन पर नज़र रखे रहता है. अब कही ऐसा ना हो कि, हम दोनो उसकी बहन की बजाने जाए और उसका भाई आकर, हम दोनो की बजाकर निकल जाए.”
मेरी बात सुनकर, राज सोच मे पड़ गया. मुझे अपना काम बनता नज़र आया तो, मैने आग मे घी डालते हुए कहा.
मैं बोला “मैं तुम्हारे लिए, कोई भी ख़तरा मोल लेने को तैयार हूँ. लेकिन मैं तो कुछ दिन बाद यहाँ से चला जाउन्गा. उसके बाद सब कुछ तुम्हे अकेले ही झेलना पड़ेगा. क्या तुम ये सब कुछ झेल सकोगे.”
अपनी बात कह कर, मैं राज के जबाब देने का इंतजार करने लगा. कुछ देर सोचने के बाद राज ने कहा.
राज बोला “जाने दे यार. अगर मार पीट की नौबत आई तो, फिर थाना कचहरी भी करना पड़ेगी और बदनामी अलग होगी. मैं कौन सा उस लड़की से शादी करना चाहता हूँ. जो उसके लिए इतना सब कुछ झेलु. साला ज़रा सी चूत के लिए, इतना सब झेलने की मेरी हिम्मत नही है. इस से अच्छी तो, अपनी कामवाली रज्जो ही है. जब मर्ज़ी हो ठोको और कोई रिस्क भी नही है.”
राज की बात सुनकर, मुझे हँसी आ रही थी. लेकिन मैने अपनी हँसी दबाते हुए, बात को बदला और राज से कहा.
मैं बोला “ये रज्जो कौन है. मैने तो तुम्हारे यहाँ किसी काम वाली को नही देखा. हाँ काम करने एक बूढ़ी सी औरत ज़रूर आती है. कहीं तुम उसकी ही बात तो नही कर रहे हो.”
राज बोला “नही वो नही. वो तो अभी कुछ दिन के लिए रज्जो की जगह काम पर आ रही है. क्योकि रज्जो 15 दिन की छुट्टी पर अपने गाओं गयी है. रज्जो 1-2 दिन मे वापस आने वाली है. यदि तुम्हारा दिल उसके साथ मज़े करने को करे तो, मुझे बता देना. मैं तुम्हारे मज़े के सारे इंतज़ाम कर दूँगा.”
मैं बोला “नही, मुझे तो तुम माफ़ करो यार. मैं इन सब चीज़ों से दूर रहता हूँ. अब बात बंद करो और उपर चलो. मैं प्रिया से मिलकर, 10 बजे घर निकलुगा.”
मेरी बात सुनकर, राज ने हामी भरी और फिर हम दोनो उपर आ गये. उपर आने के बाद, राज वेटिंग लाउंज मे चला गया और मैं प्रिया के पास आ गया.
मैं जब प्रिया के पास पहुचा तो, वो सो रही थी और निक्की उसके पास कोई नॉवेल पढ़ रही थी. वो नॉवेल पढ़ने मे ऐसी मगन थी कि, उसे मेरे आने तक का अहसास नही हुआ. मैने उसका ध्यान नॉवेल से हटाने के लिए, उस से कहा.
मैं बोला “लगता है कि, आप रात रुकने की पूरी तैयारी करके निकली थी.”
अचानक मेरी आवाज़ सुनकर निक्की चौक गयी. उसने मेरी तरफ देखा और फिर मुस्कुराते हुए कहा.
निक्की बोली “नही, ऐसी कोई बात नही है. प्रिया सो गयी थी और मैं यहाँ अकेली बैठी बोर हो रही थी. तभी शिखा दीदी आ गयी और उन्हो ने मुझे बोर होते देखा तो, ये नॉवेल लाकर दे दिया.”
मैं बोला “अच्छी बात है. अब नॉवेल पढ़ते पढ़ते, आपका टाइम आसानी से कट जाएगा. मैं तो घर जाने से पहले प्रिया से मिलने आया था. लेकिन ये तो बहुत गहरी नींद मे लगती है.”
निक्की बोली “हाँ, मैने प्रिया को बताया था कि, आप 10 बजे तक यहाँ है. वो भी आपके आने का इंतजार कर रही थी. लेकिन इंतजार करते करते उसकी नींद ही लग गयी. आप रुकिये, मैं अभी प्रिया को जगा देती हूँ.”
मैं बोला “नही रहने दीजिए. अभी प्रिया का आराम करना बहुत ज़रूरी है. जब वो जागे तो, उसे बता दीजिएगा कि, मैं उस से मिलने आया था.”
निक्की बोली “ये तो मैं बता ही दूँगी. लेकिन वो इस बात को लेकर मुझसे लड़ेगी कि, जब आए थे तो, मैने उसको जगाया क्यो नही.”
मैं बोला “नही लड़ेगी. आप बोल देना कि, मैने ही जगाने से मना किया था. अब मैं चलता हूँ.”
निक्की बोली “ओके, जैसी आपकी मर्ज़ी. बाइ, गुड नाइट.”
मैं बोला “ठीक है. बाइ, गुड नाइट.”
निक्की को बाइ करके मैने एक नज़र प्रिया को देखा और फिर वापस जाने के लिए मूड गया. अभी मैने एक दो कदम ही आगे बढ़ाए थे कि, तभी मुझे प्रिया की आवाज़ सुनाई दी.
प्रिया बोली
“ज़ख़्म मुस्कुराते है अब भी तेरी आहट पर,
दर्द भूल जाते है अब भी तेरी आहट पर,
उमर काट दी लेकिन बच्पना नही जाता,
चौक चौक जाते है अब भी तेरी आहट पर,
तेरी आहट आए तो नींद उड़ जाती है,
हम खुशी मनाते है अब भी तेरी आहट पर.”
प्रिया की शायरी सुनते ही मेरे चेहरे पर मुस्कुराहट आ गयी. मैने मुस्कुराते हुए पिछे पलट कर देखा तो, प्रिया अपने दोनो हाथ को मोड़ कर, अपने सर के नीचे रखे थी और मेरी तरफ देख कर मुस्कुरा रही थी.
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