MmsBee कोई तो रोक लो
09-09-2020, 02:34 PM,
RE: MmsBee कोई तो रोक लो
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भले ही अजय से मेरी मुलाकात चन्द दिनो पहले ही हुई थी. लेकिन इतने कम समय मे भी मुझे उस से जो अपनापन मिला था. उतना अपनापन तो किसी को उसके सगे भाई से भी नही मिला होगा. बस इसी प्यार और अपनेपन की वजह से मेरा दिल इस बात को मानने को तैयार नही था कि वो एक कातिल भी हो सकता है.

कीर्ति के बर्ताव की वजह से मेरा दिमाग़ पहले ही उलझा हुआ था और अब अजय के इस खुलासे ने उसे और भी ज़्यादा उलझा दिया था. अभी मैं अपनी उलझन से बाहर निकल पाता की इस से पहले ही मेरे मोबाइल की रिंग बज उठी.

इतनी रात को मोबाइल की रिंग बजते देख, मुझे समझते देर ना लगी कि, ये कॉल ज़रूर कीर्ति का ही होगा. मैने मोबाइल निकाल कर देखा तो, मेरी सोच सही थी. कॉल कीर्ति का ही था.

लेकिन ये कॉल मेरे वाले मोबाइल पर आ रहा था, जो फ्री नही था. इसलिए मैने कीर्ति का कॉल काटा और उसे वापस कॉल किया. लेकिन कीर्ति ने मेरा कॉल काट कर फिर से वापस कॉल लगाया. मैने अब भी उसका कॉल नही उठाया और उसे वापस कॉल किया. मगर अभी भी कीर्ति ने अपनी वो ही हरकत दोहराई.

मेरा बार बार कॉल लगाना और कीर्ति का मेरा कॉल काट कर वापस कॉल लगाना. ये सब अजय भी देख रहा था. जब ये सिलसिला 4-5 बार चला तो, अजय ने मुझे टोकते हुए कहा.

अजय बोला “तुम बेकार कोशिश कर रहे हो. शायद वो तुम्हारा कॉल उठाना नही चाहती है.”

अजय की बात अपनी जगह सही थी. लेकिन वो ये नही जानता था कि मेरे ऐसा करने की वजह क्या है. मैने भी अपनी उस बात पर परदा डालते हुए कहा.

मैं बोला “तुम खुद देख लो. अभी वो मेरा कॉल उठा नही रही है और बाद मे खुद ही उल्टा मुझ पर गुस्सा करेगी.”

मेरी बात सुनकर, अजय ने कीर्ति की तरफ़दारी करते हुए कहा.

अजय बोला “लगता है वो तुमसे अभी भी नाराज़ है. इसलिए वो तुम्हारा कॉल नही उठा रही है. ऐसे मे अच्छा ये ही होगा कि तुम ही उसका कॉल उठा लो और यदि वो गुस्से मे कुछ बोल भी दे तो, उसकी बात का बुरा माने बिना ठंडे दिमाग़ से उसकी बात का जबाब दो. शायद तुम्हारे ऐसा करने से उसकी नाराज़गी दूर हो जाए. अब तुम उस से बात करो, तब तक मैं टॅक्सी पार्क करके आता हूँ.”

इतना कह कर अजय मेरे पास से चला गया. कीर्ति का कॉल अभी भी आ रहा था. मैने फ़ौरन कीर्ति का कॉल उठाते हुए कहा.

मैं बोला “हां बोलो, क्या बात है.”

मैने अपनी बात बड़े ही प्यार से कही थी. लेकिन कीर्ति ने बड़े ही गुस्से मे सवाल करते हुए कहा.

कीर्ति बोली “तुमको परेशानी क्या है. तुम्हे मुझसे बात करना पसंद नही तो साफ बोल दो. मैं तुमको परेशान करना बंद कर दूँगी.”

मुझे उसकी इस बात पर गुस्सा तो बहुत आ रहा था. लेकिन अभी गुस्सा करने का सही समय नही था. इसलिए मैने उसकी बात को अनदेखा करते हुए, उस से कहा.

मैं बोला “अभी मैं अजय के साथ हूँ.”

मैं अपनी पूरी बात भी नही कर पाया था कि, कीर्ति ने मेरी बात को बीच से काटते हुए कहा.

कीर्ति बोली “दूसरो से गॅप सॅप करने के लिए तुम्हारे पास रात को भी टाइम है और मेरा कॉल तक उठाने का टाइम नही है.”

कीर्ति की बातें मुझे गुस्सा करने और उसकी बातों का जबाब देने के लिए मजबूर कर रही थी. फिर भी मैने अपने आपको शांत रखते हुए उस से कहा.

मैं बोला “मैं कोई गॅप सॅप नही कर रहा हूँ. अजय अपनी गुज़री हुई जिंदगी के बारे मे बता रहा था. उसने बताया कि वो अपनी गर्लफ्रेंड के भाई का कातिल है. इसके बाद मैं उस से कुछ पूछ पाता कि, तेरा कॉल आ गया. उस समय मेरा दिमाग़ काम नही किया. जिसकी वजह से मैने कॉल नही उठाया था.”

मेरी इस बात ने कीर्ति पर असर किया और फिर उसने कुछ नही कहा. शायद उसके मन मे भी अजय की बात को जानने की उत्सुकता थी. जब वो चुप रही तो मैने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए उस से कहा.

मैं बोला “वो अभी अपनी टॅक्सी पार्क करने गया है. तुझे यदि उसकी जिंदगी के बारे मे जानना है तो, तू दूसरे मोबाइल पर कॉल लगा ले.”

मेरा इतना कहना था कि, कीर्ति का कॉल कट गया. मैं समझ गया कि अब वो दूसरे मोबाइल पर कॉल लगाने वाली है. मैने दूसरा मोबाइल निकाला और तभी कीर्ति का कॉल आ गया. मैने कॉल उठाते हुए कहा.

मैं बोला “मैं ये मोबाइल जेब मे रख रहा हूँ और अपने मोबाइल से तुझे कॉल करता हूँ. जब अजय आएगा तो, उसके सामने बात करके मोबाइल रख दूँगा.”

मेरी बात के बदले मे कीर्ति ने कोई जबाब नही दिया. उसकी इस हरकत से सॉफ था कि, उसका गुस्सा कम नही हुआ. मैने भी इस बात पर ज़्यादा ज़ोर देना ठीक नही समझा और अपने मोबाइल से उसे कॉल लगा दिया. उसने मेरा कॉल उठाया तो, मैने दूसरा मोबाइल जेब मे रखते हुए कहा.

मैं बोला “हां अब बोल, तूने इतनी रात को कॉल क्यो किया.”

मेरे इतना सब बोलने के बाद भी कीर्ति ने अपनी बात वही से सुरू की, जहाँ उसने छोड़ी थी. उसने अपनी बात को दोहराते हुए कहा.

कीर्ति बोली “मैने सिर्फ़ ये बोलने के लिए कॉल किया था कि, यदि तुमको मुझसे बात करने मे परेशानी है तो साफ बोल दो. मैं तुमको कॉल करके परेशान करना बंद कर दूँगी.”

मेरा मन किया कि उस से बोल दूं कि, मुझे तुमसे बात करने मे परेशानी नही है. बल्कि तुम्हारे पास मुझसे बात करने का टाइम नही है. मगर अभी उस से किसी भी बात की बहस करने का टाइम नही था. क्योकि अजय टॅक्सी पार्क करके वापस आ रहा था. इसलिए मैने उस से कहा.

मैं बोला “नही, मुझे कोई परेसानी नही है. अब अजय वापस आ रहा है. इसलिए मैं कॉल रखता हूँ.”

ये कह कर मैने कॉल रख दिया. मेरे कॉल रखते ही अजय मेरे पास आ गया. उसने मुझे कॉल रखते हुए देखा तो कहा.

अजय बोला “अरे मुझे देख कर कॉल क्यो रख दिया. मेरे सामने बात करने मे परेशानी थी तो, मुझे इशारा कर देते. मैं थोड़ी देर बाद आ जाता.”

मैं बोला “नही, ऐसी बात नही है. हमारी बात हो चुकी थी. इसलिए मैने कॉल रख दिया है.”

अजय बोला “क्या हुआ. वो क्यो कॉल की थी.”

मुझे अजय का ये सवाल करना अच्छा नही लगा. क्योकि भले ही अजय ये सवाल मुझे अकेला समझ के कर रहा था. लेकिन हक़ीकत ये थी कि, इस समय मेरे साथ कीर्ति भी थी और मुझे इस बात का डर सता रहा था कि, कहीं अजय कोई ऐसी बात ना कह दे. जिसे सुनने के बाद, कीर्ति मुझसे और भी ज़्यादा नाराज़ हो जाए.

मुझे अपनी बात का जबाब ना देते देख और किसी सोच मे गुम होते देख कर अजय ने कहा.

अजय बोला “क्या हुआ. क्या मैने कुछ ग़लत पूछ लिया.”

अजय की इस बात से मुझे होश सा आया. अजय मेरे सामने कोई झूठ नही बोल रहा था. ऐसे मे उस से झूठ बोलना मुझे सही नही लग रहा था. इसलिए मैने अपने आपको संभालते हुए कहा.

मैं बोला “नही, ऐसी कोई बात नही है. उसने सिर्फ़ ये कहने के लिए कॉल किया था कि, यदि मुझे उस से बात करने मे परेसानी है तो, मैं साफ बोल दूं. वो मुझको कॉल करके परेशान करना बंद कर देगी.”

मेरी बात सुनकर अजय को हैरानी हुई. उसने आश्चर्यचकित होकर मुझसे कहा.

अजय बोला “बस इतनी सी बात बोलने के लिए उसने रात को 1 बजे तुमको कॉल लगाया था.”

अजय की इस बात ने मुझे भी कीर्ति तक अपनी बात पहुचाने का बहाना दे दिया था. मैने भी बहती गंगा मे हाथ धोते हुए कहा.

मैं बोला “हां, उसने ये ही बात कहने को कॉल किया था. अब यदि मुझे उस से बात ही नही करना होती तो, मुझे उसका कॉल उठाने की ज़रूरत ही क्या थी. सच तो ये है कि उसे खुद ही मुझसे बात नही करना रहती है. उसे बस मुझसे झगड़ा करने का बहाना चाहिए रहता है. इसलिए उसने अभी मुझे कॉल किया था. ताकि मैं कुछ कहूँ और फिर वो सारी बात मेरे उपर ही डाल दे.”

मेरी बात सुनकर अजय कुछ सोच मे पड़ गया और मैं ये सोचने लगा कि मेरी इस बात को सुन कर कीर्ति क्या सोच रही होगी. कुछ देर चुप रहने के बाद अजय ने कहा.

अजय बोला “तुम दोनो का प्यार भी बहुत अजीब है. जब दोनो एक दूसरे के बिना रह नही पाते हो तो, इतना झगड़ा क्यो करते हो.”

मुझे अजय की बात समझ मे नही आई तो मैने उस से कहा.

मैं बोला “मैं कुछ समझा नही, तुम कहना क्या चाहते हो. मुझे तो सिर्फ़ झगड़ा ही झगड़ा दिख रहा है. इसमे प्यार कहाँ है. उसने तो अभी कॉल भी सिर्फ़ झगड़ा करने के लिए ही किया था. वो तो मैं शांत रह गया वरना एक नया झगड़ा सुरू हो जाता. फिर तुम्हे किस बात मे उसका प्यार नज़र आ गया.”

मेरी बात सुनकर अजय ने मुस्कुराते हुए कहा.

अजय बोला “तुम दोनो भले ही एक दूसरे से कितना भी झगड़ा कर लो. लेकिन फिर भी एक दूसरे के बिना नही रह पाते हो. अभी जब तुम नीचे आए थे तो, बहुत परेशान लग रहे थे. ऐसा लग रहा था कि, जैसे तुम मे जान ही ना हो. लेकिन उस से बात करने के बाद तुम्हारे चेहरे पर रौनक आ गयी है और ऐसा लग रहा है कि, जैसे मुर्दे मे जान आ गयी हो.”

अजय की इस बात मे बहुत दम था. कीर्ति से भले ही अभी मेरी अच्छे से बात नही हुई थी. मगर उसके साथ होने से ही मुझे जो खुशी मिल रही थी. उसने मेरे अंदर एक नयी ताक़त भर दी थी. फिर भी मैने अजय की बात को झुटलाते हुए कहा.

मैं बोला “ये तो तुम मेरी बात कर रहे हो. मैने इस बात से कभी मना नही किया कि, मुझे उस से बात करके खुशी नही होती. लेकिन उसका क्या है. जो हर बात पर सिर्फ़ झगड़ा करती है और अभी भी झगड़ा करने के लिए कॉल की थी. इसमे उसका कौन सा प्यार था.”

मेरी इस बात का जबाब भी अजय ने बड़ी ही समझदारी से देते हुए कहा.

अजय बोला “सबके प्यार जताने का अपना अलग अंदाज़ होता है. वो तुमसे नाराज़ थी. इसलिए चाह कर भी वो तुमको कॉल नही लगा पा रही होगी. लेकिन तुम्हारे कॉल का आने का इंतजार ज़रूर कर रही होगी. शायद ये समय तुम्हारा उसको गुड नाइट कहने का होगा.”

“इसलिए जब रात को 1 बजे तक तुम्हारा कॉल नही गया तो, उसका दिल तुम्हारी आवाज़ सुनने को तड़प गया होगा और फिर इस बहाने से तुमको कॉल लगा दिया. ताकि तुम्हारी नज़रो मे उसकी नाराज़गी भी बनी रहे और वो तुम्हारी आवाज़ भी सुन सके.”

अजय की ये बात सुन कर मैं मन ही मन उसके दिमाग़ की दाद दिए बिना नही रह सका. सच मे ही ये समय मेरा कीर्ति को गुड नाइट कहने का था. यदि अजय इस बात को ना कहता तो, शायद ही मैं कभी इस बात को समझ पाता. क्योकि इस तरह की बात शायद मैं कभी सोच भी ना पाता.

मगर इस बात के समझ मे आते ही मुझे कीर्ति पर बहुत प्यार आ रहा था. मेरा दिल कर रहा था कि, मैं अभी उस से बात कर लूँ. क्योकि मैं खुद भी उस से बात किए बिना तड़प रहा था.

लेकिन अभी अजय के सामने ऐसा कर पाना मुमकिन नही था. इसलिए मैने बात को बदलते हुए अजय से कहा.

मैं बोला “मेरी बात को छोड़ो. तुम ये बताओ कि ऐसी क्या वजह थी. जिस वजह से तुम्हे अपनी गर्लफ्रेंड के भाई का कत्ल करना पड़ गया.”

मेरी बात को सुनते ही एक बार फिर अजय के चेहरे के भाव बदल गये और उसका चेहरा किसी पत्थर की तरह सख़्त नज़र आने लगा. उसने अपने दोनो हाथ मेरे कंधों पर रख दिए और अपनी पथराई आँखों से मुझे देखते हुए कहा.

अजय बोला “मैने ये नही कहा कि, मैने अपनी गर्लफ्रेंड के भाई का कत्ल किया है. मैने ये कहा था कि, मैं जिस लड़की को प्यार करता हूँ. मैं उसके भाई का कातिल हूँ.”

मुझे अजय की ये गोल मोल बात ज़रा भी समझ मे नही आई और ना ही अब मेरे अंदर इतना सबर था कि, मैं उसकी बात को समझने की कोशिस कर सकूँ. इसलिए मैने झल्लाते हुए कहा.

मैं बोला “यार पहले ही मेरा भेजा घुमा हुआ. मेरे अंदर इतनी ताक़त नही है कि, मैं तुम्हारी गोल मोल बातों को समझ सकूँ. इसलिए जो भी बोलना है, सॉफ सॉफ बोलो.”

मेरी बात सुन कर शायद अजय को भी अपनी भूल और मेरी हालत का अहसास हो चक्का था. इसलिए उसने बिना कोई भूमिका बाँधे अपनी बात को कहना सुरू कर दिया.

अजय बोला “मैं जिस लड़की को प्यार करता हूँ. उस से अपने प्यार का इज़हार कभी किया ही नही है और ये भी नही जानता कि वो लड़की मुझसे प्यार करती है या नही. इसलिए वो मेरी गर्लफ्रेंड नही है. इसे तुम एक तरफ़ा प्यार कह सकते हो.”

अब अजय की बात मेरे समझ मे आ चुकी थी और उसके बारे मे जानने की मेरी उत्सुकता भी बढ़ चुकी थी. इसलिए मैने उस से कहा.

मैं बोला “लेकिन ऐसा क्या हुआ कि, तुम उसी के भाई के कातिल बन गये, जिस लड़की से तुम प्यार करते थे.”

अजय बोला “वैसे तो ये एक छोटी सी कहानी है. मगर मैं ये कहानी तब से सुरू करता हूँ जब से मेरी जिंदगी की नीव पड़ना सुरू हुई.”

अब आगे की कहानी अजय की ज़ुबानी….

मेरे दादा धनंजय सिंग सूरत के मशहूर उद्योगपति ( इंडस्ट्रियलिस्ट) थे. उनकी एकलौती संतान मेरे पिता संजय सिंग थे. मेरे पिता की शादी सूरत के ही एक बिज़्नेसमॅन सुमेर सिंग की एकलौती लड़की नैना सिंग से हो गयी. जिनकी पहली और आखरी संतान के रूप मे मेरा जनम हुआ.

लेकिन मेरे जनम के कुछ साल बाद ही एक सड़क दुर्घटना (रोड आक्सिडेंट) मे मेरे माता पिता का देहांत हो गया. जिन माता पिता की उंगली पकड़ कर मैने चलाना सीखा था और स्कूल जाना सुरू किया था. उन्ही को अपनी आँखों के सामने लोगों के कंधो पर जाते देख कर मैं बिलख बिलख कर रोता रहा.

जिन माता पिता का चेहरा देख कर मेरे दिन की सुरुआत होती थी. उन्ही का चेहरा दिखा कर कहा गया इनके अंतिम दर्शन कर लो. जिन हाथों को मेरे माता पिता ने पेन्सिल पकड़ा कर लिखना सिखाया था. उन्ही हाथों मे जलती हुई लकड़ी थमा कर, कहा गया कि, इनको अग्नि दे दो. मैं रोता रहा बिलखता रहा और मेरे माता पिता को मेरे हाथों से अग्नि दिला दी गयी.
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RE: MmsBee कोई तो रोक लो - by desiaks - 09-09-2020, 02:34 PM
(कोई तो रोक लो) - by Kprkpr - 07-28-2023, 09:14 AM

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